सुप्रीम कोर्ट मंथली डायजेस्ट : अक्टूबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

LiveLaw News Network

3 Nov 2020 4:26 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट मंथली डायजेस्ट : अक्टूबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    सुप्रीम कोर्ट मंथली डायजेस्ट में अक्टूबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।

    "अयोध्या को रखा, मथुरा को छोड़ दिया", सुप्रीम कोर्ट में पूजा स्‍थल अधिनियम के खिलाफ याचिका

    पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 की धारा 2, 3 और 4 की संवैधानिक वैधता के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। य‌ाचिका में कहा गया है कि उक्त प्रावधान 15 अगस्त, 1947 से पहले पूजा और तीर्थ स्थानों पर अवैध अतिक्रमणों के खिलाफ उपचार पर रोक लगाते हैं। यह कहा गया है कि उक्त प्रावधानों ने उन लंबित मुकदमे/ कार्यवाही को समाप्त कर दिया है, जिनकी कार्रवाई का कारण 15 अगस्त, 1947 से पहले उत्पन्न हुआ था और इस प्रकार, पीड़ित व्यक्ति के लिए अदालत के माध्यम से उपलब्ध उपचार से इनकार कर दिया गया है।

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    'क्या वह कोई राक्षस है? ': सुप्रीम कोर्ट ने मृत्युदंड की सजा पर रोक लगाते हुए टिप्पणी की

    सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसे शख्स को मिली मौत की सज़ा पर रोक लगा दी है, जिसे एक महिला की गला घोंटकर हत्या करने, उसके पेट को काटने और उसके शरीर से कुछ अंगों को बाहर निकालने के भीषण कृत्य के लिए दोषी पाया गया था। हालांकि भारत के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस सजा पर रोक लगा दी, लेकिन बेंच ने अपराध की भयानकता पर घोर आश्चर्य जताया। वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा विधिक सहायता योजना के तहत दोषी मोहन सिंह के लिए पैरवी कर रहे थे।

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    पुलिस की मौजूदगी में टेस्ट आइडेंटिफिकेशन के दौरान पहचानकर्ता द्वारा दिया गया बयान सीआरपीसी की धारा 162 के प्रतिबंध के दायरे में : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब पुलिस की मौजूदगी में टेस्ट आइडेंटिफिकेशन परेड आयोजित कराई जाती है तो उसके परिणामस्वरूप हुआ कम्यूनिकेशन पहचानकर्ता द्वारा जांच के दौरान पुलिस अधिकारी के समक्ष दिये गये बयान के समान होता है और वे आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 162 के प्रतिबंध के दायरे में आते हैं। इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने अभियुक्त चुंथुराम और सह-अभियुक्त जगन राम को हत्या का दोषी ठहराया था। हाईकोर्ट ने चश्मदीदों की गवाही का हवाला देते हुए जगन राम को बरी कर दिया था। फिलिम साई द्वारा लुंगी की पहचान की गयी थी, जो चुंथुराम के खिलाफ इस्तेमाल एक और साक्ष्य थी।

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    सुप्रीम कोर्ट ने मातृत्व अवकाश के दौरान प्रोफेसर को बर्खास्त करने के लिए डीयू कॉलेज पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाने का फैसला बरकरार रखा

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ अपील खारिज कर दी, जिसमें एक एडहॉक (तदर्थ) सहायक प्रोफेसर को फिर से बहाल किया गया था, जिसे दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कॉलेज ने मातृत्व अवकाश के दौरान सेवा से हटा दिया था। इसके साथ साथ दिल्ली हाईकोर्ट ने कॉलेज पर 50 हज़ार रुपए का जुर्माना भी लगाया था। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ ने कॉलेज के आचरण के खिलाफ गंभीर आपत्ति व्यक्त की और कहा कि मातृत्व अवकाश सेवाओं की समाप्ति का आधार नहीं हो सकता।

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    सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस देश की सभी अदालतों के लिए बाध्यकारी : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को विशेष अनुमति याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि इस देश की सभी अदालतें शीर्ष अदालत के फैसले से बंधी हुई हैं। न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन के नेतृत्व वाली पीठ भूमि अधिग्रहण मामले में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर एसएलपी (SLP) पर विचार कर रही थी । पीठ के समक्ष यह प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ता को यह लगता है कि कार्यकारी अदालत ने गुरप्रीत सिंह बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (2006) 8 एससीसी 457 में दिए गए उच्चतम न्यायालय के फैसले का पालन नहीं किया।

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    बच्चे की कस्टडी निर्धारित करने में उसकी प्राथमिकताएं और झुकाव महत्वपूर्णः सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने बच्चे की अंतरराष्ट्रीय कस्टडी से संबंधित एक फैसले में गार्ड‌ीअन एंड वार्ड एक्ट 1890 की धारा 17 (3) पर भरोसा किया, जिसमें कहा गया कि कोर्ट नाबालिग की प्राथमिकताओं पर विचार कर सकता है, यदि वह इतना बड़ा/बड़ी है कि विवेकपूर्ण प्र‌ाथम‌िकताएं तय कर पाए।

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    NDPS की धारा 53 के तहत नियुक्त अधिकारी CrPC के तहत चार्जशीट दाखिल करने समेत सारी शक्तियों का इस्तेमाल कर सकता है : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सीआरपीसी के तहत एक पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी में निहित सभी जांच शक्तियां, जिसमें चार्जशीट दाखिल करने की शक्ति भी शामिल है,एनडीपीएस अधिनियम की धारा 53 के तहत नामित अधिकारियों में भी निहित होती हैं जब उन्हें एनडीपीएस अधिनियम के तहत अपराध निपटना होता है। अदालत (2: 1) ने, इस संबंध में राज कुमार करवाल बनाम भारत संघ (1990) 2 एससीसी 409 में व्यक्त किए गए विपरीत विचार को खारिज करते हुए तूफान सिंह बनाम तमिलनाडु राज्य के संदर्भ में जवाब दिया।

    अंतरराष्ट्रीय कस्टडी के मामले में विदेशी अदालत का 'मिरर ऑर्डर' नाबालिग बच्चे की भलाई सुनिश्चित करता है : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने एक बच्चे की अंतरराष्ट्रीय कस्टडी से जुड़े मामले में 'मिरर ऑर्डर' की अवधारणा को लागू किया। जब एक अदालत किसी बच्चे को किसी विदेशी देश में स्थानांतरित करने की अनुमति देती है, तो यह एक शर्त लगा सकती है कि विदेशी अधिकार क्षेत्र में माता-पिता को भी वहां सक्षम अदालत से बच्चे के लिए हिरासत का समान आदेश प्राप्त करना चाहिए। इस तरह के आदेश को 'मिरर ऑर्डर' कहा जाता है। ये शर्त यह सुनिश्चित करने के लिए लगाई जाती है ताकि विदेशी क्षेत्राधिकार की अदालतों को मामले के संबंध में नोटिस दिया जाए और बच्चे की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

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    'बरी होना विभागीय जांच का निष्कर्ष नहीं': सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के मामले में बरी सिपाही की बर्खास्तगी को बरकरार रखा

    सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस सिपाही की बर्खास्तगी को बरकरार रखते हुए दोहराया कि भले ही अपराधी अधिकारी को आपराधिक आरोप से बरी कर दिया गया हो, बर्खास्तगी के आदेश को पारित किया जा सकता है। हेम सिंह को 1992 में राजस्थान की पुलिस सेवा में एक कांस्टेबल के रूप में नियुक्त किया गया था। अगस्त 2002 में, उसे हत्या के मामले में एक एफआईआर में नामित किया गया था और बाद में धारा 302, 201 और 120 बी के तहत एक आरोप पत्र दायर किया गया था। आपराधिक ट्रायल के लंबित के दौरान, एक आरोप-पत्र जारी किया गया, जिसके बाद राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम 1958 के नियम 16 के प्रावधानों के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही की गई। सत्र न्यायालय ने उसे और सह-अभियुक्त को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।

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    "विशेषज्ञों का कहना है कि आपकी खूबसूरत कारें भी वायु प्रदूषण में योगदान करती हैं", सीजेआई बोबडे ने पराली जलाने की समस्या की सुनवाई में कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने राजधानी दिल्ली में बिगड़ते वायु प्रदूषण के मुद्दे पर आज मौख‌िक टिप्‍पणियां की हैं। इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने के मुद्दे का ‌निस्तारण करने के लिए आज कानून लागू किया गया है। भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा कि वे उन विशेषज्ञों के साथ बातचीत कर रहे हैं, जिन्होंने कहा है कि पराली जलाना राजधानी में वायु प्रदूषण का एकमात्र कारण नहीं है, वाहनों प्रदूषण का भी बड़ा योगदान है। सीजेआई बोबडे ने कहा, अपनी साइकिल बाहर निकालने का समय आ गया है।"

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    सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ CBI जांच के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई

    सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई जांच के निर्देश देने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है।

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    सुप्रीम कोर्ट ने व्यक्तिगत गारंटियों के मुद्दों से संबंधित इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को अपने पास ट्रांसफर किया

    सुप्रीम कोर्ट ने व्यक्तिगत गारंटियों के मुद्दों से संबंधित इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के प्रावधानों को चुनौती देने वाली उच्च न्यायालयों में लंबित याचिकाओं को ट्रांसफर करने का आदेश दिया है। जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने मामले की सुनवाई की। आईबीबीआई द्वारा कार्यवाही की बहुलता के आधार पर स्थानांतरण और उच्च न्यायालय में समान मुद्दों के लंबित के कारण परस्पर विरोधी निर्णयों से बचने के लिए याचिका दायर की गई थी। वरिष्ठ अधिवक्ता माधवी दीवान ने अदालत को बताया कि यह उचित होगा कि मुद्दे शीर्ष अदालत द्वारा तय किए जाएं ताकि इस मुद्दे पर एक सामान्य निर्णय पारित किया जा सके

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    NDPS मामलों की जांच करने वाले अधिकारी 'पुलिस अधिकारी' हैं और उनके सामने इकबालिया बयान मान्य नहीं : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट (2: 1), ने कहा है कि नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस (NDPS) एक्ट के तहत नियुक्त केंद्र और राज्य एजेंसियों के अधिकारी पुलिस अधिकारी हैं और इसलिए धारा 67 के तहत उनके द्वारा दर्ज किए गए 'स्वीकारोक्ति' बयान स्वीकार्य नहीं हैं। जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन और जस्टिस नवीन सिन्हा ने इस तरह का फैसला दिया जबकि जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने असहमति व्यक्त की।

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    '41 ए CrPC के तहत शक्ति का उपयोग धमकाने, प्रताड़ित करने और परेशान करने के लिए नहीं किया जा सकता' : सुप्रीम कोर्ट ने WB सरकार के खिलाफ पोस्ट करने पर दिल्ली निवासी को जारी समन पर रोक लगाई

    सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की एक निवासी को पश्चिम बंगाल सरकार के खिलाफ 'आपत्तिजनक' फेसबुक पोस्ट करने के आरोपी के रूप में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 ए के तहत जारी नोटिस के जवाब में पश्चिम बंगाल में जांच अधिकारी के सामने पेश होने के दिशा-निर्देश पर रोक लगा दी है।

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    (सीपीसी ऑर्डर 8 रूल 1 ए 3) अतिरिक्त दस्तावेज पेश करने की बचाव पक्ष की अर्जी पर विचार करते वक्त कोर्ट को नरम रुख अख्तियार करना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अदालतों को उस वक़्त नरम रुख अख्तियार करना चाहिए जब बचाव पक्ष उस दस्तावेज को पेश करने की अर्जी देता है जो वह लिखित बयान के साथ नहीं दे पाया था। कोर्ट मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील पर विचार कर रहा था। हाईकोर्ट ने बचाव पक्षों की ओर से दायर उस पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें नागरिक प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) के ऑर्डर 8 रूल 1(ए)(3) के तहत दायर याचिका को सुनने से इनकार कर दिया गया था। बचाव पक्ष ने अपनी पुनर्विचार याचिका में अतिरिक्त दस्तावेज पेश करने की अनुमति मांगी थी, जिसे हाईकोर्ट ने ठुकरा दिया था। उसके बाद बचाव पक्ष ने मद्रास हाईकोर्ट के इस फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। बचाव पक्ष ने कहा था कि उन्हें विवादित प्रॉपर्टी से संबंधित ये दस्तावेज हाल में प्राप्त हुए हैं, इसलिए उन्होंने लिखित बयान के साथ इन दस्तावेजों को तब पेश नहीं किया था।

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    ताजा खबरें [ उपभोक्ता संरक्षण ] निष्पादन कार्यवाही में एससीडीआरसी के आदेश के खिलाफ एनसीडीआरसी के समक्ष पुनर्विचार याचिका सुनवाई योग्य नहीं : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कहा है कि डिक्री के निष्पादन मामले में एक अपील पर राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एससीडीआरसी) के फैसले के खिलाफ राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के समक्ष उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 21 के तहत पुनर्विचार याचिका सुनवाई योग्य नहीं होती। इस मामले में, एनसीडीआरसी ने निष्पादन मामले में जिला उपभोक्ता फोरम के आदेश के खिलाफ अपील पर महाराष्ट्र राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग द्वारा जारी आदेश को चुनौती देने वाली पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी। आयोग ने यह टिप्पणी की थी कि पुनर्विचार याचिकाएं किसी उपभोक्ता विवाद में राज्य आयोग के आदेश के खिलाफ ही सुनवाई योग्य होती हैं, न कि आदेश पर अमल मामले में।

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    इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय, एनआईसी और एनईजीडी को जानकारी नहीं कि आरोग्य सेतु ऐप किसने बनाया और कैसे बनाया : सीआईसी ने सीपीआईओ को समन जारी किया

    केंद्रीय सूचना आयोग ने मंगलवार को इलेक्ट्रॉनिक मंत्रालय,नेशनल इन्फर्मैटिक्स सेंटर व एनईजीडी के सीपीआईओ को कारण बताओ नोटिस जारी किया है कि क्यों न आरटीआई एक्ट की धारा 20 के तहत उन पर जुर्माना लगा दिया जाए क्योंकि उन्होंने प्रथम दृष्टया सूचनाएं प्रदान करने में बाधा ड़ाली हैं और आरोग्य सेतु ऐप से संबंधित एक आरटीआई आवेदन का स्पष्ट जवाब नहीं दिया है।

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    सुप्रीम कोर्ट ने निजी स्कूलों को फीस में 20 प्रतिशत तक कमी करने के कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्देशों पर रोक लगाने से इनकार किया

    सुप्रीम कोर्ट ने निजी स्कूलों को फीस में कम से कम 20 प्रतिशत कमी करने के कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्देशों पर रोक लगाने से इनकार किया सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा पारित निर्देशों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसके तहत निजी स्कूलों को फीस में कम से कम 20 प्रतिशत की कमी करने और वित्तीय वर्ष 2020-21 में शुल्क वृद्धि नहीं करने का निर्देश दिया गया था।

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    ताजा खबरें "वह कहीं भाग नहीं रही है": सुप्रीम कोर्ट ने देवांगना कलिता को जमानत देने के फैसले को चुनौती देने वाली दिल्ली पुलिस की याचिका खारिज की

    दिल्ली दंगों से जुड़े एक मामले में छात्र एक्टिविस्ट देवांगना कलिता को जमानत देने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली दिल्ली पुलिस द्वारा दायर एक विशेष अनुमति याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को खारिज कर दिया। जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एम आर शाह की पीठ ने कहा कि अदालत जमानत आदेश में हस्तक्षेप करने के लिए इच्छुक नहीं है।

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    'असंशोधनीय आचरण': सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को कानून विभाग में सुधार को कहा, देरी के लिए 35 हजार का जुर्माना लगाया

    मध्य प्रदेश राज्य बार-बार एक ही काम करता है और ये असंशोधनीय आचरण लगता है!, सुप्रीम कोर्ट ने 588 दिनों की देरी के साथ राज्य द्वारा दायर एक विशेष अनुमति याचिका को खारिज करते हुए ये टिप्पणी की। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अगुवाई वाली पीठ ने मध्य प्रदेश राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे कानूनी विभाग को संशोधित करने के पहलू पर गौर करें। ऐसा प्रतीत होता है कि विभाग समय सीमा में किसी भी उचित अवधि के भीतर अपील दायर करने में असमर्थ है, अदालत ने कहा।

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    [ तब्लीगी जमात] : हम उम्मीद कर सकते हैं कि संशोधन याचिकाओं का त्वरित निस्तारण किया जाएगा : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उम्मीद जताई कि तब्लीगी जमात के संबंध में विदेशियों के आरोपमुक्त किए जाने के खिलाफ संशोधन के आवेदन पर सुनवाई की जाएगी और उसका त्वरित निस्तारण किया जाएगा।

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    आपराधिक ट्रायल प्रणाली में खामियां : सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालयों से क्रिमिनल प्रैक्टिस मसौदे पर प्रतिक्रिया मांगी

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आपराधिक ट्रायल प्रणाली में अपर्याप्तता और अक्षमताओं से संबंधित स्वत: संज्ञान कार्यवाही के दौरान, सभी उच्च न्यायालयों से एमिक्स क्यूरी द्वारा तैयार किए गए ड्राफ्ट ऑफ क्रिमिनल प्रैक्टिस के कार्यान्वयन पर प्रतिक्रिया मांगी। स्वत: संज्ञान मामले में अदालत द्वारा नियुक्त किए गए एमिक्स क्यूरी में से एक, वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने सुझाव दिया कि उच्च न्यायालयों को प्रशासनिक पक्ष में मसौदा आपराधिक नियमों को अपनाना चाहिए।

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    अभियुक्त की 'डिफॉल्ट बेल' की माकूल स्थिति आ जाने पर कोर्ट को उसके इस अधिकार के बारे में बताना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

    "मजिस्ट्रेट द्वारा इस तरह की जानकारी साझा करने से अभियोजन पक्ष का टालमटोल वाला रवैया विफल होगा" सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अभियुक्त की 'डिफॉल्ट जमानत' की माकूल स्थिति आ जाने पर कोर्ट को चाहिए कि वह अभियुक्त को उसके इस अपरिहार्य अधिकार की उपलब्धता के बारे में बताये।

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    "एनआई एक्ट की धारा 138 के मामलों की जल्द सुनवाई की जाए" : सुप्रीम कोर्ट ने एमिकस क्यूरी की रिपोर्ट पर सभी हाईकोर्ट से जवाब मांगा

    सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को एमिकस क्यूरी द्वारा प्रस्तुत की गई प्रारंभिक रिपोर्ट पर सभी हाईकोर्ट से जवाब मांगा है। इस रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत चेक बाउंस मामलों की सुनवाई जल्द पूरी की जाए।

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    'यह जजों के लिए जेंडर सेंसटाइजेशन शिक्षा प्रदान करने का अवसर' : एजी ने यौन उत्पीड़न आरोपी को पीड़िता से राखी बंधवाने के हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट से कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह 30 जुलाई को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई जमानत की शर्त पर रोक लगाने की मांग करने वाली 9 महिला वकीलों की याचिका पर जमानत के लिए शर्तें लगाने में न्यायाधीशों की सीमाओं पर विचार-विमर्श करेगा, जिसमें एक महिला का शील भंग करने के लिए आरोपी को जमानत दी गई, बशर्ते वह शिकायतकर्ता के घर जाए और उसे आने वाले समय में उसकी सर्वश्रेष्ठ क्षमता की रक्षा करने के वादे के साथ "राखी बांधने" का अनुरोध करे।

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    सुप्रीम कोर्ट ने हाथरस केस के पीड़ितों व गवाहों की सुरक्षा CRPF को देने के आदेश दिए

    सुप्रीम कोर्ट ने हाथरस गैंगरेप और हत्या मामले से जुड़ी याचिकाओं का निपटारा करते हुए निर्देश दिया है कि पीड़ित परिवार और गवाहों को एक सप्ताह के भीतर सीआरपीएफ द्वारा सुरक्षा प्रदान की जाएगी। सीजेआई एस बोबडे के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि यह 'आश्वस्त है कि राज्य सरकार द्वारा पीड़ित परिवार और गवाहों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त व्यवस्था करने के लिए कदम उठाए गए हैं।' हालांकि, वर्तमान प्रकृति के एक मामले में सामान्य धारणा और निराशावाद को संबोधित करना आवश्यक है जिसे औचित्य के बिना नहीं कहा जा सकता है।

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    सुप्रीम कोर्ट ने तरुण तेजपाल के खिलाफ यौन उत्पीड़न का ट्रायल पूरा करने के लिए 31 मार्च, 2021 तक समय दिया

    सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में सहयोगी के यौन उत्पीड़न के मामले में तहलका के पूर्व संपादक तरुण तेजपाल के खिलाफ गोवा की अदालत में चल रहे ट्रायल की समय सीमा 31 मार्च, 2021 कर दी है। पहले ये समय सीमा 31 दिसंबर 2020 थी। मंगलवार को जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एम आर शाह ने ये समय सीमा गोवा पुलिस की अर्जी पर बढ़ाई जिसमें कहा गया था कि ये ट्रायल 31 दिसंबर तक पूरा नहीं हो पाएगा।

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    "आप किसी कानून को लागू करने के लिए सामान्य निर्देश नहीं मांग सकते": सुप्रीम कोर्ट ने किसान कानूनों को लागू कराने की याचिका खारिज की

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें केंद्र और राज्यों को हाल ही में पारित तीन किसान अधिनियमों को लागू करने के लिए निर्देश मांगे गए थे।

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    यदि बाद में चार्जशीट/ समय बढ़ाने की रिपोर्ट दाखिल होती है तो भी डिफ़ॉल्ट जमानत का अधिकार लागू होने योग्य : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जहां अभियुक्त पहले ही डिफ़ॉल्ट जमानत के लिए आवेदन कर चुका है, अभियोजक अंतिम रिपोर्ट (Final Report), अतिरिक्त शिकायत या समय बढ़ाने की रिपोर्ट दर्ज करके उसके अपरिहार्य अधिकार को लागू नहीं करने को पराजित नहीं सकता है।

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    हाथरस मामला : सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को सीबीआई जांच की निगरानी करने को कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय से हाथरस गैंगरेप और हत्या मामले की सीबीआई जांच की निगरानी करने को कहा है। ट्रायल के उत्तर प्रदेश राज्य के बाहर ट्रांसकक करने की दलील पर सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि जांच पूरी होने तक स्थानांतरण का सवाल खुला रखा गया है। पीठ ने भारत के सॉलिसिटर जनरल की याचिका पर भी ध्यान दिया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश में पीड़ित और उसके परिवार के सदस्यों के बारे में विवरण का खुलासा किया गया है। उसके आधार पर, न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय से अनुरोध किया कि वह पीड़िता और उसके परिवार के विवरण को प्रकट करने वाले तथ्यों को हटाए।

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    [एनडीपीएस] महज जांच या अभियोजन पक्ष के केस में कमी जांच अधिकारी के पूर्वाग्रह को साबित करने का एक मात्र आधार नहीं हो सकता : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटांसेज (एनडीपीएस) मामले के एक अभियुक्त को दोषी ठहराते हुए कहा है कि जांच में या अभियोजन पक्ष के केस में कमी जांच अधिकारी के पूर्वाग्रह को साबित करने का एक मात्र आधार नहीं हो सकता। इस मामले में, ट्रायल कोर्ट द्वारा अभियुक्त को बरी कर दिया गया था। हाईकोर्ट ने सरकार की अपील स्वीकार कर ली थी और अभियुक्त को दोषी ठहराया था। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष, अभियुक्त की दलील थी कि शिकायतकर्ता द्वारा खुद जांच करना एनडीपीएस एक्ट की योजना के विपरीत होगा, जो पूरे ट्रायल को जोखिम में डाल देगा।

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    यह कभी सार्वजनिक प्रवचन का स्तर नहीं रहा : CJI बोबडे ने अर्नब गोस्वामी के वकील से कहा

    भारत के मुख्य न्यायाधीश ने सोमवार को रिपब्लिक टीवी के मुख्य संपादक अर्नब गोस्वामी की रिपोर्टिंग की शैली पर कुछ टिप्पणी की।

    वीडियो कांफ्रेंसिंग सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में बिना शर्ट पेश हो गया वकील, जस्टिस चंद्रचूड़ बोले कुछ तो मर्यादा रखें

    सोमवार को सुदर्शन टीवी मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान में एक एडवोकेट को शर्टलेस देख सभी चौंक गए। वीसी सुनवाई के दौरान एक वकील स्क्रीन पर बिना शर्ट के दिखाई दिए। हालांकि कुछ सेकेंड के बाद वह वकील लॉग आउट हो गए। पीठ के पीठासीन न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने पूछा कि अधिवक्ता कौन है? हालांकि जज ने दो-तीन बार क्वेश्चन दोहराया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। मामला स्थगित होने के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस घटना पर अपनी नाराजगी जताते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से ये घटना शेयर की।

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    सुप्रीम कोर्ट ने 2002 गुजरात दंगों की पीड़िता को नौकरी और आवास पर संबंधित अधिकारियों से संपर्क करने को कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 2002 के गुजरात दंगों के दौरान पांच महीने की गर्भवती और सामूहिक बलात्कार की शिकार बिलकिस बानो को राज्य द्वारा प्रदान की गई नौकरी की पेशकश और आवास पर अपनी शिकायतों को लेकर संबंधित अधिकारियों से संपर्क करने के लिए कहा। मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने बानो का प्रतिनिधित्व कर रहीं वकील शोभा गुप्ता से कहा कि वह उनके हस्तक्षेप आवेदन को वापस ले लें और प्रतिनिधित्व करें।

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    सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल कॉलेजों में 2020-2021 में OBC कोटा के तहत 50 % कोटा देने के अंतरिम आदेश देने वाली याचिका खारिज की

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तमिलनाडु राज्य और AIADMK द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें तमिलनाडु में स्नातक, स्नातकोत्तर चिकित्सा और दंत चिकित्सा पाठ्यक्रम 2020-2021 शैक्षणिक वर्ष के लिए अखिल भारतीय कोटा में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 50% कोटा लागू करने के लिए अंतरिम आदेश की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने मद्रास उच्च न्यायालय के 27 जुलाई के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया और कहा कि उच्च न्यायालय ने यह नहीं कहा था कि चालू शैक्षणिक वर्ष में अपने आप ओबीसी कोटा लागू किया जाना चाहिए।

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    केंद्र के आग्रह पर सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने की निगरानी के लिए जस्टिस मदन बी लोकुर की नियुक्ति के फैसले पर रोक लगाई

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए उठाए गए कदमों के समन्वय और निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट के (सेवानिवृत्त) जज न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर को एक सदस्यीय समिति नियुक्त करने के 16 अक्टूबर के अपने आदेश पर रोक लगा दी। भारत के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को यह आदेश भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध पर दिया। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि केंद्र सरकार पराली जलाने की समस्या को दूर करने के लिए एक स्थायी निकाय गठित करने के लिए एक व्यापक कानून ला रही है। मामले के उस दृश्य में, एसजी ने पीठ से न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की नियुक्ति के 16 अक्टूबर के आदेश पर रोक लगाने का आग्रह किया।

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    सुशांत राजपूत की पूर्व मैनेजर दिशा सालियान की मौत की सीबीआई जांच की मांग : सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को बॉम्बे हाईकोर्ट जाने को कहा

    फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की पूर्व मैनेजर दिशा सालियान की मौत की घटना की अदालत की निगरानी में सीबीआई जांच के लिए याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को बॉम्बे हाईकोर्ट जाने को कहा है। सोमवार को सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की पीठ ने याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने और हाईकोर्ट जाने की अनुमति दे दी। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील विनीत ढांडा ने अदालत में कहा कि सुशांत और दिशा की मौत की घटनाओं में लिंक है। लेकिन सीजेआई बोबडे ने कहा कि वो बॉम्बे हाईकोर्ट क्यों नहीं जाते। हाईकोर्ट इस पर निर्णय ले सकता है। ढांडा ने सहमति जताते हुए याचिका वापस ले ले ली।

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    सुप्रीम कोर्ट ने वर्चुअल चुनावी सभा कराने के मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले के संचालन पर रोक लगाई

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के विधानसभा उपचुनावों में चुनाव प्रचार के लिए राजनीतिक दलों द्वारा शारीरिक सभाएं आयोजित करने की शर्तों के आदेश पर रोक लगा दी।

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    क्या उपभोक्ता फोरम विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों के खिलाफ शिकायतों पर सुनवाई कर सकता है? सुप्रीम कोर्ट करेगा जांच

    क्या कोई शैक्षिक संस्थान या विश्वविद्यालय उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के प्रावधानों के अधीन होगा? सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय उपभोक्ता निवारण आयोग के एक फैसले के खिलाफ दायर अपील में नोटिस जारी किया है जिसमेंं इस मुद्दे को उठाया गया है। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, इंदु मल्होत्रा और इंदिरा बनर्जी की पीठ ने अपील स्वीकार करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के विचार अलग अलग हैं। इस मामले में [मनु सोलंकी और ओआरएस बनाम विनायक मिशन विश्वविद्यालय], शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि विश्वविद्यालय ने 2005-2006 में थाईलैंड में दो साल के अध्ययन के ऑफशोर प्रोग्राम [डेंटल कोर्स] में प्रवेश पाने के लिए प्रेरित करके सेवा की कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार को बढ़ावा दिया है क्योंंकि यह विश्वविद्यालय न तो किसी यूनिवर्सिटी से संबद्ध था और न ही डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा मान्यता प्राप्त था। विश्वविद्यालय ने यह कहते हुए शिकायत की सुनवाई की योग्यता पर आपत्ति जताई कि वे 'उपभोक्ता' नहीं हैं और 'शिक्षा' कोई वस्तु नहीं है और यह कि शैक्षणिक संस्थान 'सेवा' प्रदान नहीं कर रहे हैं।

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    चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश के फिजिकल पोल कैंपेन पर रोक लगाने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी

    चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया है जिसने राज्य में विधानसभा उपचुनावों में प्रचार के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा फिजिकल सभाओं को आयोजित करने में विभिन्न शर्तें लगाई हैं। चुनाव आयोजित करने के फैसले लेने के लिए संविधान के तहत सशक्त पोल पैनल ने चुनाव प्रचार के दौरान सीमित राजनीतिक सभाओं को अनुमति देने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। हालाँकि, उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ ने महामारी की स्थिति को देखते हुए मध्यप्रदेश में विधानसभा उपचुनाव के लिए उम्मीदवारों द्वारा शारीरिक चुनाव प्रचार पर कड़े प्रतिबंध लगाए।

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    बीमाकर्ता को पहले से मौजूद बीमारियों की जानकारी देना प्रस्तावक का कर्तव्यः सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि एक प्रस्तावक जीवन बीमा की पॉलिसी लेने से पहले से, अपनी मौजूदा बीमार‌ियों की जानकारी बीमाकर्ता को देना के लिए कर्तव्यबद्ध है। मौजूदा मामले में, बीमा प्रस्ताव फॉर्म में प्रस्तावक के स्वास्थ्य और चिकित्सा इतिहास से संबंधित प्रश्न थे और इस बात का व‌िशेष रूप से खुलासा करना था कि क्या प्रस्तावक को किसी भी प्रकार की बीमारी है, या अस्पताल में भर्ती किया गया है या उपचार किया गया है और उसे अपने अच्छे स्वास्थ्य की घोषणा करनी थी। प्रस्तावक ने प्रश्नों का उत्तर नकारात्मक दिया, जिसका अर्थ था कि उसने किसी भी प्रकार कि चिकित्सा उपचार नहीं लिया या अस्पताल में भर्ती नहीं हुआ है और किसी भी रोग या बीमारी से पीड़ित नहीं है।

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    "पुरुषों और महिला के लिए विवाह की असमान उम्र स्टीरियोटाइप रूढ़ियों पर आधारित": SC में शादी की उम्र एक करने और हाईकोर्ट से याचिकाएं ट्रांसफर करने की मांग

    सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है जिसमें राजस्थान उच्च न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित उन याचिकाओं को स्थानांतरित करने की मांग की गई है, जिसमें पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए विवाह की एक समान उम्र की मांग की गई है। अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि यह याचिका अनुच्छेद 14, 15 और 21 की व्याख्या पर मुकदमों की बहुलता और परस्पर विरोधी विचारों से बचने के लिए दायर की गई है और इसमें लैंगिक न्याय और समानता से संबंधित निर्णय शामिल हैं।

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    क्या तलाकशुदा पत्नी घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत निवास के अधिकार का दावा कर सकती है?

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक फैसले में [सतीश चंदर आहूजा बनाम स्नेहा आहूजा] यह माना कि एक महिला रिश्तेदारों के स्वामित्व वाले घरों में भी निवास करने के अधिकार का दावा कर सकती है। इसका मतलब यह है कि वह संपत्ति के संबंध में निवास आदेश की मांंग कर सकती है जो ससुराल से संबंधित है, अगर वह और उसका पति शादी के बाद कुछ स्थायित्व के साथ वहां रहते थे। शादीशुदा जोड़े के तलाक के बाद क्या होता है? क्या कोई महिला तलाक के बाद घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज करा सकती है? क्या शादी खत्म होने के बाद भी वह निवास आदेश मांग सकती है? ये कुछ शंकाएं हैं जो उच्चतम न्यायालय द्वारा यह निर्णय सुनाए जाने के बाद उत्पन्न हुई हैं।

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    आपराधिक मामले में पहली अपील की सुनवाई कर रहे कोर्ट को खुद की राय बनाने की जरूरत होती है, सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया

    सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कहा है कि आपराधिक मामलों में पहली अपील की सुनवाई कर रहे कोर्ट को रिकॉर्ड में दर्ज साक्ष्य और ट्रायल कोर्ट की राय के आधार पर खुद की राय बनाने की आवश्यकता होती है। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका पर विचार करते हुए महसूस किया कि ट्रायल कोर्ट के दोषसिद्धि के फैसले के खिलाफ अपील को खारिज करने का हाईकोर्ट का आदेश केवल साक्ष्यों का प्रस्तुतीकरण है, जिसमें हाईकोर्ट ने अपील में दोषसिद्धि के पुष्टीकरण के उद्देश्य से उन साक्ष्यों का मूल्यांकन नहीं किया। खंडपीठ में न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय भी शामिल थे।

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    दहेज हत्या मामले में कार्रवाई में 21 साल की देरी क्यों? सुप्रीम कोर्ट ने मांगा बिहार के डीजीपी, पटना हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से स्पष्टीकरण

    सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के पुलिस महानिदेशक और पटना हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को यह स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है कि दहेज हत्या के एक मामले में अभियुक्त व्यक्ति को गिरफ्तार करने में 21 साल क्यों लग गये? मृतक महिला के भाई ने दो फरवरी, 1999 को एक प्राथमिकी दर्ज करायी थी, जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि मृतका के पति और उसके परिवार वालों ने दहेज के लिए उसका उत्पीड़न किया था। शिकायतकर्ता ने कहा था कि मृतका के पति और उसके परिवार वालों ने महिला के शव का अंतिम संस्कार उनलोगों (मृतका के परिजनों) को सूचित किये बिना ही कर दिया था।

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    एक जज के लिए सभी दबावों और बाधाओं को झेलना और सभी बाधाओं के खिलाफ बहादुरी से खड़े होना महत्वपूर्ण गुण हैः जस्टिस एनवी रमना

    जस्टिस एनवी रमना ने कहा है कि एक जज के लिए सभी दबावों और बाधाओं को झेलना और सभी बाधाओं के खिलाफ बहादुरी से खड़े होना महत्वपूर्ण गुण है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम जज और भारत के आगामी चीफ जस्टिस, ज‌स्ट‌िस एनवी रमना सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश, ज‌स्टिस एआर लक्ष्मणन की स्मृति में आयोजित ऑनलाइन शोक समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि ऐसे असंख्य गुण हैं, जिन्हें एक व्यक्ति को जीने की आवश्यकता है, जैसे विनम्रता, धैर्य, दया, ठोस कार्य नैतिकता और लगातार सीखने और सुधार करने का उत्साह। जस्ट‌िस रमना ने कहा कि एक जज को सिद्धांतों पर कायम रहना चाहिए और निर्णयों में निडर होना चाहिए।

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    निर्धारित सीमा अवधि की अनदेखी करने वाली सरकारों के लिए सुप्रीम कोर्ट तफरीह की जगह नहीं हो सकतीः सुप्रीम कोर्ट

    जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने कहा है कि निर्धारित सीमा अवधि को अनदेखा करने वाली सरकारों के लिए सुप्रीम कोर्ट तफरीह की जगह नहीं हो सकती है। अदालत ने मध्य प्रदेश द्वारा 663 दिनों के विलंब के साथ दायर एक विशेष अवकाश याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। पीठ में जस्टिस दिनेश माहेश्वरी भी शामिल थे। पीठ ने राज्य पर पच्चीस हजार रुपये की लागत लगाई। अपने आवेदन में, राज्य ने कहा था कि इस प्रकार के असमान्य ‌विलंब का कारण "दस्तावेज की अनुपलब्धता और दस्तावेज को व्यवस्थ‌ित करने की की प्रक्रिया के कारण" रहा। विलंब के लिए "नौकरशाही की प्रक्रिया को भी जिम्मेदार ठहराया गया।"

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    सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के आदेश को उचित ठहराया, अग्रिम जमानत की शर्त के रूप में पति को बीस हजार रुपये प्रतिमाह पत्नी को देने होंगे

    सुप्रीम कोर्ट ने एक पति की तरफ से पटना हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर एक याचिका को खारिज कर दिया है। पटना हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता पति को अग्रिम जमानत देते हुए शर्त लगाई थी कि वह हर महीने अपनी पत्नी को बीस हजार रुपये दे। इस मामले में, पत्नी ने याचिकाकर्ता पति के खिलाफ एक घरेलू हिंसा की शिकायत दायर की थी। इसी मामले में अग्रिम जमानत की मांग करते हुए पति ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। अदालत ने इस अग्रिम जमानत याचिका का निपटारा करते हुए कहा था कि दोनों पक्षों के बीच तलाक का मामला लंबित है। इसलिए, हाईकोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार कर लिया था परंतु साथ में एक शर्त लगा दी थी कि उसे अपनी पत्नी को बीस हजार रुपये मासिक भुगतान करना होगा। हालांकि उसने आदेश में संशोधन करने की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया था,परंतु उस आवेदन को खारिज कर दिया गया।

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    सुप्रीम कोर्टकॉलेजियम ने गुवाहाटी हाईकोर्ट के एडिशनल जज मनीष चौधरी को स्थायी करने का प्रस्ताव रखा

    सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनीष चौधरी को उस उच्च न्यायालय का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त करने का प्रस्ताव रखा है। जस्टिस चौधरी ने गुवाहाटी विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल करने के बाद 1999 में बार काउंसिल ऑफ असम में दाखिला लिया । उन्होंने मुख्य रूप से प्रिंसिपल सीट के साथ-साथ आइजोल बेंच, ईटानगर बेंच और गुवाहाटी हाईकोर्ट की कोहिमा बेंच में भी प्रक्टिस की ।

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    सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और यूपी में पराली जलाने से रोकने और कदम उठाने के लिए जस्टिस मदन बी लोकुर की एक सदस्यीय समिति नियुक्त की

    सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने को रोकने के लिए निगरानी करने और कदम उठाने के लिए जस्टिस (सेवानिवृत्त) मदन बी लोकुर की एक सदस्यीय समिति नियुक्त की है। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन की पीठ ने तीसरे साल के लॉ स्टूडेंट आदित्य दुबे की याचिका में सुझाव को स्वीकार कर लिया कि पराली जलाने से रोकने के लिए जस्टिस लोकुर की समिति नियुक्त की जाए, जिसमें पंजाब, हरियाणा और यूपी के मुख्य सचिव शामिल हों जो न्यायमूर्ति लोकुर को राज्यों में पराली जलाने से रोकने के लिए अतिरिक्त साधनों और तरीकों को तैयार करने के लिए सक्षम करें।

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    ''क्या आप ये कह रहे हैं कि जब से एक बॉलीवुड अभिनेता की मौत हुई है, संविधान का पालन नहीं किया जा रहा है'' : सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को बर्खास्त करने की मांग वाली याचिका खारिज की

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है, जिसमें महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली राज्य सरकार को बर्खास्त करने और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की गई थी। भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की खंडपीठ ने इस जनहित याचिका (पीआईएल) को सुना और कहा कि अदालत ऐसी प्रार्थनाओं पर विचार नहीं कर सकती।

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    संवैधानिक पद पर बैठे लोगों के ऐसे कार्य न्यायिक स्वतंत्रता को प्रभावित करते हैं : एससीबीए ने जस्टिस रमना के खिलाफ आरोप वाले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के पत्र की कड़ी निंदा की

    सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) की कार्यकारिणी समिति ने एक बयान जारी करके आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश को लिखे गये उस पत्र की कड़ी निंदा की है, जिसमें उन्होंने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायिक प्रशासन में न्यायमूर्ति एन वी रमना के हस्तक्षेप का आरोप लगाया है।

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    आरोपी पर पीड़िता से राखी बंधवाने की अदालती शर्त के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी किया

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा एक अभियुक्त पर लगाई गई जमानत शर्त चुनौती देने वाली याचिका पर अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी किया जिसमें उसे शिकायतकर्ता से राखी बंधवाने के लिए कहा गया और उसके साथ उदारता दिखाने के आरोप लगाए थे। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने कहा कि चूंकि याचिका इस तरह के आदेश पारित नहीं करने के लिए सभी उच्च न्यायालयों पर एक सामान्य घोषणा की मांग कर रही है, इसलिए इसे केवल अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी करने की जरूरत है।

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    [घरेलू हिंसा अधिनियम] पत्नी पति के रिश्तेदारों से संबंधित साझा घर में रहने के अधिकार का दावा करने की भी हकदार है, सुप्रीम कोर्ट ने 2006 के 'एस आर बत्रा' फैसले को पलटा

    एक पत्नी पति के रिश्तेदारों से संबंधित साझा घर में रहने के अधिकार का दावा करने की भी हकदार है, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 2006 के एस आर बत्रा बनाम तरुणा बत्रा फैसले को पलटते हुए ये अहम फैसला सुनाया।

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    CrPC की धारा 167 (2), के तहत डिफ़ॉल्ट जमानत / वैधानिक जमानत के लिए अदालत पैसा जमा कराने की शर्त नहीं लगा सकती : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 167 (2) के तहत डिफ़ॉल्ट जमानत / वैधानिक जमानत देते समय, राशि जमा करने की शर्त नहीं लगाई जा सकती। CrPC की धारा 167 (2), के तहत डिफ़ॉल्ट जमानत / वैधानिक जमानत पाने के लिए एकमात्र आवश्यकता ये है कि क्या आरोपी 60 या 90 दिनों से अधिक समय तक जेल में है, जैसा भी मामला हो, और 60 या 90 दिनों के भीतर, जैसा भी मामला हो, जांच पूरी नहीं हुई है और 60 वें या 90 वें दिन तक कोई चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है और अभियुक्त डिफ़ॉल्ट जमानत के लिए आवेदन करता है और जमानत दाखिल के लिए तैयार है, ये कहते हुए पीठ, जिसमें जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह शामिल हैं, ने मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै बेंच द्वारा लगाई गई शर्त को रद्द कर दिया, जिसमें एक अभियुक्त को डिफ़ॉल्ट जमानत / वैधानिक जमानत पर रिहा करते समय 8 00,000 रुपये जमा करने की शर्त लगाई गई थी।

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    विदेशी अवार्ड को मान्यता देने और लागू करने के हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका बहुत ही बारीक आधार पर टिकेगी : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विदेशी अवार्ड (आदेश) को मान्यता देने और उसे लागू करने से संबंधित हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ भारतीय संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) एक अत्यंत संकीर्ण आधार पर टिकी होगी। कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ रिस्पॉन्सिव इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका खारिज करते हुए कहा कि अपवाद के मामलों में मध्यस्थता कानून की धारा 48 की खुल्लमखुला अवहेलना अंधाधुंध इस्तेमाल किया जाने वाला मंत्र नहीं है।

    फेसबुक सिर्फ प्लेटफार्म देता है, इसके वाइस प्रेसिडेंट दिल्ली विधानसभा पैनल के समक्ष उपस्थित नहीं होंगे : हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट को बताया

    वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के सामने कहा कि फेसबुक इंडिया के उपाध्यक्ष अजीत मोहन दिल्ली विधानसभा की शांति और सद्भाव समिति के सामने पेश नहीं होंगे। वरिष्ठ वकील ने फेसबुक के उपाध्यक्ष द्वारा दिल्ली विधानसभा पैनल द्वारा दिल्ली के दंगों में फेसबुक की भूमिका में तथ्य-खोज के लिए पेश होने को लेकर जारी किए गए समन को चुनौती देते हुए दायर की गई याचिका पर ये दलीले दीं। "फेसबुक केवल एक प्लेटफ़ॉर्म देता है। यह कुछ भी नहीं लिखता है।" साल्वे ने उन आरोपों को खारिज किया कि फेसबुक में घृणित संदेश सांप्रदायिक हिंसा को उकसाते हैं।

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    [ हाथरस केस ] सुप्रीम कोर्ट ने अदालत की निगरानी में SIT जांच की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को हाथरस मामले की सीबीआई / एसआईटी जांच की निगरानी करने वाली याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन की पीठ को सूचित किया कि शीर्ष न्यायालय के पहले के आदेश के अनुपालन में गवाह संरक्षण योजना के साथ-साथ पीड़ितों के परिवार द्वारा कानूनी प्रतिनिधित्व के विकल्प के रूप में राज्य की ओर से हलफनामा दायर किया गया है।

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    "पुलिस आयुक्तों के साक्षात्कार देने की प्रवृति से हम भी चिंतित": सुप्रीम कोर्ट ने टीआरपी केस में मुंबई पुलिस बनाम रिपब्लिक पर कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को रिपब्लिक टीवी और उसके प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी को मुंबई पुलिस द्वारा टेलीविज़न रेटिंग या टीआरपी में हेरफेर करने के लिए दर्ज की गई एफआईआर को रद्द करने के लिए बॉम्बे उच्च न्यायालय का रुख करने की अनुमति दी

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    आसान भाषा में कानून की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया

    सर्वोच्च कोर्ट ने सभी सरकारी संचारों, अधिसूचना और दस्तावेजों में आम जनता के हित को ध्यान में रखते हुए आसान भाषा इस्तेमाल करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग करने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया है। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और वी. रामासुब्रमण्यन की पीठ ने याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा।

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    "हाईकोर्ट में भरोसा रखिए": सुप्रीम कोर्ट ने टीआरपी घोटाले में समन के खिलाफ दाखिल याचिका पर रिपब्लिक टीवी को बॉम्बे हाईकोर्ट जाने को कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को रिपब्लिक टीवी चलाने वाली कंपनी और उसके प्रमुख अर्नब गोस्वामी द्वारा दायर एक रिट याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें मुंबई पुलिस द्वारा टेलीविजन रेटिंग अंक (टीआरपी) में हेरफेर करने के आरोप में दर्ज एफआईआर में जारी किए गए समन पर रोक लगाने की मांग की गई थी। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता दी।

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    "अनुच्छेद 19 (1) (ए) के अधिकार को एक अपराध की जांच में ढाल नहीं बनाया जा सकता": मुंबई पुलिस ने टीआरपी घोटाले में रिपब्लिक टीवी की याचिका का SC में विरोध किया

    मुंबई पुलिस ने टीआरपी घोटाले में चैनल के खिलाफ मुंबई पुलिस की जांच को चुनौती देने वाली रिपब्लिक टीवी (एजीआर आउटलेयर मीडिया प्राइवेट लिमिटेड) और अर्णब गोस्वामी द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक हलफनामा दायर कर इसे अनुकरणीय जुर्माने के साथ खारिज करने का आग्रह किया है। मुंबई पुलिस ने तर्क दिया है कि एक कथित अपराध की जांच को अनुच्छेद 19 (1) (ए) के उल्लंघन के लिए एक आधार के रूप में नहीं टाला जा सकता है।

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    "यह आपकी धारणा है": सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री पर भेदभाव और उत्पीड़न का आरोप लगाने वाले वकील को कहा

    अधिवक्ता रीपक कंसल जिन्होंने पहले ही प्रभावशाली वकीलों/याचिकाकर्ताओं, लॉ फर्मों आदि द्वारा दायर मामलों को सूचीबद्ध करने में वरीयता नहीं देने के लिए रजिस्ट्री को निर्देशित करने के लिए याचिका याचिका दाखिल की थी, ने बुधवार को निस्तारित मामले को अदालत के समक्ष सूचीबद्ध करने के लिए रजिस्ट्री पर कथित तौर पर आगे "उत्पीड़न" करने का आरोप लगाया। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा 6 जुलाई को 100 रुपये के जुर्माने के साथ उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी। कंसल ने बुधवार को न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की पीठ के समक्ष कहा कि उन्होंने बाद में 31 अगस्त को फैसले को संशोधित करने के लिए एक आवेदन दायर किया था और उसका निपटारा कर दिया गया था।

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    [हाथरस] उत्तर प्रदेश सरकार का हलफनामा अदालत का ध्यान भटकाने के लिए है: याचिकाकर्ता ने रिजॉइंडर में एसआईटी के लिए न्यायाधीशों के नाम सुझाए

    हाथरस की घटना की कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका में कार्यकर्ता सत्यम दुबे ने यूपी सरकार के हलफनामे का जवाब दाखिल कर दिया है। दुबे ने प्रस्तुत किया है कि एसआईटी के गठन के बारे में राज्य का हलफनामा सिर्फ एक "आईवॉश" है और नोटिस जारी करने से पहले ही दायर किया गया था जो केवल अदालत का ध्यान भटकाने और यह प्रदर्शित करने के लिए कि इस मामले में जांच सही दिशा में की जा रही है ।

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    " खतरनाक लोगों को हथकड़ी लगानी चाहिए " : सुप्रीम कोर्ट ने कैदियों को हथकड़ी लगाने पर दाखिल याचिका को खारिज किया

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अतिरिक्त न्यायिक हत्याओं और कैदियों को हथकड़ी लगाने की चिंताओं को उठाने वाली एक याचिका को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता के लिए पेश वरिष्ठ अधिवक्ता जितेंद्र शर्मा से शुरुआत में सीजेआई एस ए बोबडे ने पूछा, आप इसके साथ कहां जा रहे हैं? आप अतिरिक्त-न्यायिक हत्या को कैसे रोक सकते हैं? उन्हें नहीं होना चाहिए, लेकिन आप उन्हें कैसे रोकेंगे?"

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    सुप्रीम कोर्ट ने उस अभ्यर्थी की जिला न्यायाधीश पद की उम्मीदवारी को खारिज किया, जिससे एक साल बाद IPC 498A से बरी किया गया

    सुप्रीम कोर्ट ने जिला न्यायाधीश पद के एक उम्मीदवार की उस अर्जी को खारिज कर दिया है जिसमें पत्नी द्वारा दायर आईपीसी की धारा 498A के तहत एक आपराधिक मामले के लंबित रहने के आधार पर उम्मीदवारी को रद्द कर दिया गया। केवल तथ्य यह है कि एक साल से अधिक समय के बाद बरी होने के बाद, जिस व्यक्ति की उम्मीदवारी को रद्द कर दिया गया था, वह घड़ी को पीछे की ओर मोड़ने के लिए एक आधार नहीं हो सकता है, पीठ, जिसमें जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एमआर शाह शामिल थे, ने कहा।

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    "पीड़ित परिवार के सदस्यों और गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त बल तैनात किया": सुप्रीम कोर्ट में हाथरस मामले को लेकर यूपी सरकार का हलफनामा

    हाथरस मामले में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपने हलफनामे में, उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रस्तुत किया है कि उसने पीड़ित परिवार के सदस्यों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त बल तैनात किया है। सीजेआई एस ए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने पहले राज्य सरकार को इस तरह के विवरण को दाखिल करने का निर्देश दिया था। उत्तर प्रदेश के गृह विभाग के विशेष सचिव ने अपने हलफनामे में कहा कि वह उत्तर प्रदेश सरकार पीड़ित परिवार और गवाहों को स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए पूरी सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। राज्य ने अदालत से यह भी अनुरोध किया कि वह इस माननीय न्यायालय की निगरानी में सीबीआई द्वारा जांच को समयबद्ध तरीके से चलाने की अनुमति देने वाली याचिका को लंबित रखे। इसने जांच पर पाक्षिक स्थिति रिपोर्ट राज्य सरकार को प्रस्तुत करने के लिए सीबीआई के लिए निर्देश भी मांगा।

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    "इलाहाबाद हाईकोर्ट जाइए": सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार सिद्दीक कप्पन की रिहाई की याचिका पर कपिल सिब्बल को कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन की रिहाई के लिए दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई को स्थगित कर दिया, जिसे उत्तर प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जब वे हाथरस में 19 वर्षीय दलित लड़की के बलात्कार और हत्या के मामले को कवर करने के लिए जा रहे थे। याचिका को चार सप्ताह के लिए स्थगित करते हुए, भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल को इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए कहा।

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    महाराष्ट्र विधानसभा के खिलाफ अर्णब गोस्वामी की याचिका का मामला : ''मेरे स्वर्गीय पिता और श्री नानी पालकीवाला को विधानसभा ने ऐसे नोटिस भेजे थे'' सीजेआई बोबड़े ने कहा

    वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने सोमवार को शीर्ष कोर्ट में बताया कि महाराष्ट्र विधानसभा और स्पीकर को रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के पत्रकार और प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी की तरफ से दायर याचिका के मामले में जारी नोटिस तामील नहीं हो सके हैं। अर्णब ने उसके खिलाफ महाराष्ट्र विधानसभा और विधान परिषद् द्वारा पारित विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव को चुनौती दी थी। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन की पीठ को सूचित किया गया कि अधिकारी की रिपोर्ट से पता चलता है कि कि उपस्थिति दर्ज नहीं की गई थी।

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    कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को संसद द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली तीन रिट याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया, जिसके कारण देश भर के कई किसान समूह विरोध कर रहे हैं। भारत के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने अटॉर्नी जनरल को छह सप्ताह की अवधि के भीतर याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने को कहा। पीठ मनोहर लाल शर्मा, छत्तीसगढ़ किसान कांग्रेस (राकेश वैष्णव और अन्य) के पदाधिकारियों और डीएमके सांसद तिरुचि शिवा द्वारा दायर तीन रिट याचिकाओं पर विचार कर रही थी।

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    COVID 19 के चलते सिविल सेवा परीक्षा में एक प्रयास की छूट की याचिका, SC ने याचिका की प्रति UPSC और DoPT को देने के कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को याचिकाकर्ताओं को वर्ष 2021 में सिविल सेवा सेवा परीक्षा में अतिरिक्त प्रयास के लिए की 24 यूपीएससी उम्मीदवारों ओर से दाखिल याचिका की प्रति को यूपीएससी और डीओपीटी को देने का निर्देश दिया। जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने उक्त याचिका पर नोटिस जारी नहीं किया, लेकिन कहा कि वे सोमवार को याचिकाओं की एक प्रति की प्रतिवादियों को दिए जाने के बाद सुनवाई करेंगे।

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    उच्च पद पर होने से कोई अभियुक्त अग्रिम जमानत का हकदार नहीं हो जाता : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उच्च पद पर विराजमान होने से कोई अभियुक्त अग्रिम जमानत का हकदार नहीं हो जाता है। यह मामला 2007 के बिहार नगरपालिका चुनाव से जुड़ा है। अनिल सिंह उर्फ अनिल कुमार सिंह और अन्य को वर्ष 2007 में हुए जनरल नगरपालिका चुनावों में दाखिल नामांकन पत्रों में कथित तौर पर झूठी जानकारियां उपलब्ध कराने के लिए बिहार नगर पालिका अधिनियम, 2007 की धारा 447 के तहत अभियुक्त बनाया गया था। राज्य निर्वाचन आयोग ने आरोपों को सही पाया था और निर्वाचन को रद्द कर दिया था। आयोग ने संबंधित कानून की धारा 447 तथा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420/34 के तहत प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश भी दिया था।

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    सही पाये जाने पर 'संबद्ध' गवाहों की गवाही भी दोषसिद्धि का आधार हो सकती है: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 'सम्बद्ध' गवाहों की गवाही यदि सही पायी जाती है तो यह दोषसिद्धि का आधार हो सकती है। न्यायमूर्ति एन वी रमन, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने कहा कि यदि गवाह दूसरे प्रकार से विश्वास करने योग्य हैं तो अतीत की दुश्मनी भी अपने आप में किसी भी गवाही को दरकिनार नहीं करेगी। कोर्ट ने हत्या के एक मामले में पांच अभियुक्तों की दोषसिद्धि बरकरार रखते हुए यह टिप्पणी की। कोर्ट ने अभियुक्तों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 148, 302 एवं धारा 149 के तहत दोषी ठहराये जाने के मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील खारिज कर दी। कारुलाल, अमरा, कचरु, सूरत राम और भगीरथ को माधवजी नामक व्यक्ति की हत्या का अभियुक्त बनाया गया था।

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    "कानून आम लोगों को समझ में आना चाहिए": कानून, नियम और सूचना को आसान भाषा में ड्राफ्ट करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका

    सर्वोच्च कोर्ट में एक याचिका दायर करके सभी सरकारी संचारों, अधिसूचना और दस्तावेजों में आम जनता के हित को ध्यान में रखते हुए आसान भाषा इस्तेमाल करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया को निर्देश देने की मांग की कि वह 'लीगल राइटिंग इन प्लेन इंग्लिश' विषय को 3 तीन वर्षीय और 5 वर्षीय एलएलबी पाठ्यमक्र में अनिवार्य बनाए। याचिका में यह भी मांग की गई कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दलील और मौखिक तर्क पेश करते हुए कुछ सीमा तय की जाए।

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    सुप्रीम कोर्ट ने CLAT 2020 के उम्मीदवारों को शिकायत निवारण समिति के समक्ष प्रतिनिधित्व करने की स्वतंत्रता दी, जल्द फैसला करने को कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को CLAT 2020 के उम्मीदवारों को परीक्षा के संचालन से संबंधित शिकायतों के बारे में शिकायत निवारण समिति के समक्ष प्रतिनिधित्व करने की स्वतंत्रता दी जो सेवानिवृत्त भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में है। न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कमेटी को जल्द से जल्द उम्मीदवारों द्वारा की गई आपत्तियों पर फैसला लेना चाहिए। पीठ ने हालांकि, अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया और काउंसलिंग और प्रवेश प्रक्रिया को रोकने के लिए मना कर दिया।

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    सुप्रीम कोर्ट ने महामारी के दौरान वकीलों के लिए ब्याज मुक्त ऋण की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार किया

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमें वकील के लिए 20 लाख रूपए तक के लिए ब्याज मुक्त ऋण की मांग की गई थी। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यन की पीठ ने याचिकाकर्ता-संघ, सुप्रीम कोर्ट के वकील संघ से याचिका वापस लेने और इसके बजाय एक अन्य मामले में हस्तक्षेप आवेदन दायर करने को कहा जो इसी मुद्दे पर अदालत के समक्ष लंबित है।

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    डॉ पायल तड़वी आत्महत्या: सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी डॉक्टरों को कॉलेज में प्रवेश और आगे पढ़ाई करने की अनुमति दी

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को डॉ पायल तड़वी की आत्महत्या के आरोपी डॉक्टरों को अध्ययन के अपने पाठ्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए कॉलेज और अस्पताल में प्रवेश करने की अनुमति दी। तीन डॉक्टरों, डॉ अंकिता कैलाश खंडेलवाल, डॉ हेमा सुरेश आहूजा और डॉ भक्ति अरविंद मेहरा पर डॉ पायल तड़वी को आत्महत्या करने के लिए उकसाने और उनकी जाति के बारे में अपमानजनक टिप्पणी पारित करने का आरोप लगाया गया है। सशर्त जमानत देते समय, बॉम्बे हाईकोर्ट ने माना कि जमानत अवधि के दौरान उन्हें बीवाईएल नायर अस्पताल परिसर के अंदर अनुमति नहीं दी जाएगी।

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    आरोप-पत्र दाखिल करना ही CrPC 164 के तहत बयानों की प्रतियों के लिए आरोपी को हकदार नहीं बनाता : सुप्रीम कोर्ट

    सिर्फ आरोप-पत्र दाखिल करने से ही, संहिता की धारा 164 के तहत बयान सहित किसी भी संबंधित दस्तावेज की प्रतियों के लिए एक आरोपी खुद ही हकदार नहीं बन जाता है, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द करते हुए कहा जिसमें बलात्कार पीड़िता के बयान की प्रमाणित प्रति लेने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता चिन्मयानंद की याचिका की अनुमति दी गई थी। इस तरह के बयान की एक प्रति प्राप्त करने का अधिकार केवल संज्ञान लेने के बाद ही उत्पन्न होगा जैसा कि संहिता के खंड 207 और 208 द्वारा तय किया गया है और इससे पहले नहीं, न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा।

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    बोलने की स्वतंत्रता हाल के दिनों में सबसे अधिक दुरुपयोग वाली स्वतंत्रता हो सकती है : सीजेआई एसए बोबडे

    इस साल के शुरू में COVID-19 के महामारी की शुरूआत में दिल्ली में आयोजित तब्लीगी जमात की बैठक के सामने आने और उसके के सांप्रदायिकरण के लिए मीडिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने टिप्पणी की कि हाल के दिनों की स्वतंत्रता, बोलने की स्वतंत्रता के दुर्व्यवहार में से एक हो सकती है। वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने केंद्र द्वारा दायर हलफनामे की ओर इशारा किया और कहा कि केंद्र ने इस बात का पक्ष लिया था कि तात्कालिक याचिकाएं फ्रीडम ऑफ स्पीच का प्रयास थीं।

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    "पूरी तरह गोलमोल और ब्योरे की निर्लज कमी": सुप्रीम कोर्ट ने COVID-19 के सांप्रदायिकरण की याचिका पर केंद्र के हलफनामे पर उठाए सवाल

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली के निज़ामुद्दीन में तब्लीगी जमात की बैठक के मद्देनज़र कोरोनावायरस महामारी के सांप्रदायिकरण के लिए मीडिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करने वाली याचिका पर तुच्छ हलफनामा दाखिल करने के लिए केंद्र की खिंचाई की। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन की पीठ ने कहा कि संबंधित मंत्रालय ने खराब रिपोर्टिंग की घटनाओं से संबंधित विवरणों को ध्यान में रखते हुए हलफनामा दायर नहीं किया है।

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    सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कहाः महज चयन सूची में उम्मीदवार का नाम शामिल हो जाने से उसे नियुक्ति पाने का अधिकार नहीं मिल जाता

    सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कहा है कि महज चयन सूची में उम्मीदवार का नाम शामिल होने से ही उसे नियुक्ति पाने का अधिकार हासिल नहीं हो जाता। इस मामले में, उम्मीदवारों ने 'दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल (एक्जक्यूटिव)- पुरुष' पद के लिए 2013 की भर्ती प्रक्रिया में हिस्सा लिया था। इन लोगों को पहले चरण के परीक्षा परिणाम में सफल घोषित किया गया था। बाद में परीक्षाफल संशोधित किया गया, जिसमें ये उम्मीदवार बाहर हो गये थे। उम्मीदवारों ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) का दरवाजा खटखटाया था, जिसने 'ओए' को खारिज कर दिया था। कैट के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी, जिसने नियुक्ति का निर्देश दिया था।

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    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाथरस केस के पीड़ित परिवार की कथित अवैध हिरासत के खिलाफ दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज की

    यूपी सरकार द्वारा कथित अवैध हिरासत के खिलाफ हाथरस पीड़ित परिवार की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गुरुवार को खारिज कर दिया। जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने पाया कि सत्यम दुबे और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य के मामले में यह मुद्दा पहले ही सुप्रीम कोर्ट के सामने लंबित है। इस प्रकार, उच्च न्यायालय के लिए इस याचिका पर विचार करना उचित नहीं होगा।

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    "अपराध के समय आरोपी किशोर था": सुप्रीम कोर्ट ने चार दशक पुराने केस में आरोपी के आजीवन कारावास को रद्द किया

    सुप्रीम कोर्ट ने 1981 के हत्या के मामले में आरोपी एक व्यक्ति पर लगाया गया आजीवन कारावास की सजा को रद्द कर दिया है, जिसमें कहा गया है कि अपराध की तारीख पर उसकी आयु 18 वर्ष से कम थी। न्यायमूर्ति एस अब्दुल नज़ीर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने हालांकि किशोर न्याय अधिनियम, 2000 अधिनियम के तहत दोषी ठहराया और किशोर न्याय बोर्ड को हिरासत और कस्टडी के संबंध में आदेश पारित करने का निर्देश दिया।

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    सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व केंद्रीय मंत्री चिन्मयानंद को CrPC 164 के तहत रेप पीड़िता के बयान की प्रति की अनुमति देने वाले फैसले को रद्द किया

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता चिन्मयानंद को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत रेप पीड़िता के बयान की प्रमाणित प्रति लेने की अनुमति दी थी। न्यायमूर्ति यू यू ललित की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने आदेश को निर्धारित किया और कहा कि कानून की छात्रा द्वारा दायर अपील की अनुमति दी गई है और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 7 नवंबर के आदेश को खारिज कर दिया गया है जिसमें चिन्मयानंद को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत पीड़िता के बयान की प्रमाणित प्रति देने के आदेश दिए गए थे।

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    तीस्ता सीतलवाड़ के CJP संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में हाथरस मामले की एसआईटी/सीबीआई जांच की जनहित याचिका में हस्तक्षेप करने की मांग की, गवाहों की सुरक्षा और निगरानी का आग्रह

    तीस्ता सीतलवाड़ के सिटीजन्स जस्टिस एंड पीस संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में हाथरस मामले की एसआईटी/सीबीआई जांच के लिए जनहित याचिका में हस्तक्षेप करने की मांग की है। संगठन ने प्रस्तुत किया है कि उसके पास पीड़ितों के साथ काम करने का अनुभव है, जिन्हें अतीत में राज्य द्वारा धमकाया गया था, और इसलिए यह अदालत की सहायता करने की स्थिति में है।

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    [पालघर लिंचिंग] पुलिसवालों पर कार्रवाई की गई, रिट याचिका को लंबित रखने की आवश्यकता नहीं : महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया

    महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि वह यह देखे कि क्या पालघर लिंचिंग प्रकरण के संबंध में दायर जनहित याचिका "सही परिप्रेक्ष्य में है या नहीं।"

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    खाड़ी देशों से भारतीय कामगारों को वापस लाने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस

    उच्चतम न्यायालय ने केंद्र को नोटिस जारी कर सरकार को खाड़ी देशों से कामगारों को वापस लाने के लिए निर्देश देने की मांग की है। खाड़ी तेलंगाना कल्याण एवं सांस्कृतिक संघ के अध्यक्ष पथकुरी बसंत रेड्डी ने खाड़ी देशों में पासपोर्ट खो चुके भारतीय कामगारों को वापस लाने और उनके कल्याण के लिए बनाई गई नीतियों को लागू करने के लिए एक तंत्र स्थापित करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग की है। न्यायमूर्ति एनवी रमण, सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने याचिका पर नोटिस जारी कर केंद्र, राज्यों के साथ-साथ सीबीआई से उस याचिका पर जवाब मांगा है जिसमें अदालत से खाड़ी देशों में भारतीयों को आर्थिक और कानूनी रूप से उनके पुनर्वास के लिए सहायता देने के निर्देश जारी करने का आग्रह किया गया है।

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    [पालघर लिंचिंग] पुलिसवालों पर कार्रवाई की गई, रिट याचिका को लंबित रखने की आवश्यकता नहीं : महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया

    महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि वह यह देखे कि क्या पालघर लिंचिंग प्रकरण के संबंध में दायर जनहित याचिका "सही परिप्रेक्ष्य में है या नहीं।"

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    जमानत के लिए असंगत शर्तों को लगाकर आरोपी के अधिकार को भ्रामक नहीं बनाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

    अदालत द्वारा जमानत देने के लिए लगाई जाने वाली शर्तों में अभियुक्तों के अधिकारों के साथ आपराधिक न्याय के प्रवर्तन में जनहित को संतुलित किया जाना चाहिए, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ ने कहा कि न्याय के प्रशासन को सुविधाजनक बनाने, अभियुक्तों की उपस्थिति को सुरक्षित करने और अभियुक्त की स्वतंत्रता का जांच, गवाहों को रोकने या न्याय में बाधा डालने में दुरुपयोग ना हो, ये सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

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    सार्वजनिक स्थानों पर अनिश्चित काल तक कब्जा नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग धरने पर कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को माना कि सार्वजनिक स्थानों पर अनिश्चित काल तक कब्जा नहीं किया जा सकता है। "असहमति और लोकतंत्र हाथोंहाथ चलता है, लेकिन निर्धारित क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन किया जाना चाहिए," न्यायमूर्ति एसके कौल, न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने विरोध करने के अधिकार के दायरे में ये निर्णय सुनाया कि क्या इस तरह के अधिकार पर कोई सीमाएं हो सकती हैं। अदालत ने कहा कि "सोशल मीडिया चैनल अक्सर खतरे से भरे होते हैं" और वे अत्यधिक ध्रुवीकरण वाले वातावरण की ओर ले जाते हैं।

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    उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति की अंतरिम जमानत पर मंगलवार को फैसला करेगा सुप्रीम कोर्ट, अस्पताल में रहने की राहत देने से इनकार

    सुप्रीम कोर्ट ने चिकित्सा आधार पर उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति को अंतरिम जमानत देने के खिलाफ याचिका का मंगलवार को फैसला करने पर सहमति व्यक्त करते हुए तब तक अस्पताल में रहने की अनुमति देने की अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 21 सितंबर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा तीन सितंबर को सामूहिक बलात्कार के मामले में उनको दी गई अंतरिम जमानत देने के आदेश पर रोक लगा दी थी।

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    हिंदू धर्म परिषद ने किसान कानूनों को लागू करने के लिए सु्प्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की, प्रदर्शनों पर रोक लगाने की मांग

    केंद्र और राज्यों को किसान अधिनियम लागू करने और राजनीतिक दलों और संगठनों द्वारा आंदोलन और जुलूसों के खिलाफ नियम और दिशानिर्देश बनाने के की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है। हिंदू धर्म परिषद द्वारा दायर याचिका में उन आंदोलन और जुलूसों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश भी मांगा गया है, जो मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम, 2020 की संख्या 20 और उसके बाद किसानों के अधिकार व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020 की संख्या 21 के खिलाफ या उसके पक्ष में हैं जब तक कि अदालत अपना फैसला ना सुना दे।

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    हाथरस जा रहे पत्रकार की गिरफ्तारी : केरल पत्रकार यूनियन ने सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की

    केरल यूनियन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (KUWJ) ने केरल के पत्रकार, सिद्धिक कप्पन को यूपी पुलिस द्वारा गिरफ़्तार करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है, जब वह हाथरस में 19 साल की दलित लड़की से बलात्कार और हत्या की घटना को कवर करने के लिए जा रहे थे। गिरफ्तारी को गैरकानूनी और असंवैधानिक करार देते हुए, KUWJ ने याचिका दायर की है कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उनको तत्काल प्रस्तुत करें और "अवैध हिरासत" से मुक्त किया जाए।

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    "सासंदों/ विधायकों पर लंबित आपराधिक मामले लोगों के सिर पर लटके हुए हैं, केंद्र को अंतिम रूप देना चाहिए": SC ने कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र से देश भर में सासंदों/ विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के बारे में विवरण प्रस्तुत करने को कहा। न्यायमूर्ति रमना ने कहा, "जो मामले लंबित हैं और लोगों के सिर पर लटके हुए हैं, आपको अंतिम रूप देना चाहिए और हमें देना चाहिए। आप कहते हैं कि हम तैयार हैं और हम शीघ्र चाहते हैं ..." न्यायमूर्ति एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि विभिन्न उच्च न्यायालय लंबित आपराधिक मामलों के निपटान के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाओं की मांग कर रहे हैं और केंद्र से इस संबंध में निर्देश लेने को कहा, विशेष रूप से फंडिंग के संदर्भ में।

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    हाथरस कांड : सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से गवाह संरक्षण योजना मांगी, पक्षकारों से इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई का दायरा विस्तृत करने पर सुझाव मांगा

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश राज्य को निर्देश दिया कि वह उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में उच्च जाति के चार पुरुषों द्वारा कथित रूप से सामूहिक बलात्कार की शिकार 19 वर्षीय लड़की के परिवार के लिए गवाह संरक्षण योजना का एक हलफनामा दायर करे। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस, ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल से भी कहा कि वह यूपी राज्य से यह पता लगाए कि पीड़ित परिवार ने प्रतिनिधित्व के लिए वकील चुना है या नहीं।

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    यूपी सरकार की छवि खराब करने का "योजनाबद्ध प्रयास": यूपी सरकार ने SC से हाथरस मामले को सीबीआई को सौंपने की मांग की

    यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से हाथरस गैंग रेप मामले की सीबीआई जांच का आदेश देने को कहा है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि एक केंद्रीय एजेंसी द्वारा निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच हो "जो राज्य प्रशासन के प्रशासनिक नियंत्रण में नहीं है।" यह प्रस्तुति सामाजिक कार्यकर्ता सत्यम दुबे की ओर से अधिवक्ता संजीव मल्होत्रा द्वारा दायर जनहित याचिका में आई है, जिसमें मामले की जांच के लिए सीबीआई जांच या एसआईटी की नियुक्ति की मांग की गई है।

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    पुनर्विचार याचिका खारिज करने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ एसएलपी सुनवाई योग्य नहीं, यदि मुख्य फैसले को चुनौती नहीं दी गयी: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हाईकोर्ट द्वारा पुनर्विचार याचिका खारिज किये जाने के आदेश को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) की सुनवाई नहीं की जा सकती, जब तक रिट याचिका में मुख्य फैसले को चुनौती नहीं नहीं दी जाती। तीन-सदस्यीय बेंच ने कहा कि जब हाईकोर्ट के मुख्य फैसले को किसी भी तरीके से प्रभावित नहीं किया जा सकता है, तो उस फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका खारिज किये जाने को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर विशेष अनुमति याचिका द्वारा कोई राहत नहीं दी जा सकती।

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    "यूपीएससी जिहाद शो": अंतर-मंत्रालयी समिति की अतिरिक्त सिफारिशों पर सुदर्शन न्यूज चैनल को एक और नोटिस भेजा है, केंद्र ने SC को बताया

    केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि अंतर- मंत्रालयी समिति (IMC) ने सुदर्शन न्यूज टीवी चैनल के संबंध में कुछ अतिरिक्त सिफारिशें की हैं, जो अपने शो 'बिंदास बोल' के बारे में सांप्रदायिक घृणा फैलाने की शिकायतों का सामना कर रहा है जिसमें मुसलमानों की अखिल भारतीय सिविल सेवा में प्रवेश को लेकर सवाल उठाए गए हैं। इससे पहले, केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने केबल टीवी नेटवर्क रेग्युलेशन एक्ट के तहत प्रोग्राम कोड के उल्लंघन की शिकायतों पर चैनल को नोटिस दिया था।

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    "उत्तर प्रदेश राज्य में संवैधानिक मशीनरी विफल" : सुप्रीम कोर्ट में राज्य में आपातकाल लगाने के निर्देश देने की याचिका

    एक वकील सीआर जया सुकिन ने भारत के सुप्रीम कोर्ट से उत्तर प्रदेश राज्य में संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत आपातकाल लगाने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की है। राज्य में एक वर्ष की अवधि में हुई विभिन्न घटनाओं की पृष्ठभूमि में यह याचिका दायर की गई है और सुकिन के अनुसार, "लगातार हो रहे इन मामलों को देखते हुए संविधान के प्रावधानों के अनुसार उत्तर प्रदेश राज्य की सरकार को आगे चलने नहीं दिया जा सकता है।"

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    [ ऋण स्थगन] " केंद्र के हलफनामे में वो विवरण नहीं जो अदालत ने मांगा था" : सुप्रीम ने केंद्र और आरबीआई से उचित हलफनामा मांगा

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार, आरबीआई, भारतीय बैंक संघ और व्यक्तिगत बैंकों को अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया, जिसमें ऋण स्थगन को लेकर नीतिगत फैसले, समय सीमा, परिपत्र और सभी शिकायतों पर प्रतिक्रिया दर्ज करनी होगी। न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने रिट याचिकाकर्ताओं की याचिकाओं पर ध्यान दिया कि 2 अक्टूबर का केंद्रका हलफनामा कई मुद्दों से नहीं निपटता है।

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    सांसदों/ विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के शीघ्र निपटारे पर एमिकस क्यूरी ने सुप्रीम कोर्ट में विभिन्न हाईकोर्ट की कार्य योजना सौंपी

    सांसदों/ विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए मामले में सुप्रीम कोर्ट की सहायता के लिए एमिकस क्यूरी वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया ने 16 सितंबर, 2020 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के संदर्भ में विभिन्न उच्च न्यायालयों द्वारा तैयार की गई कार्य योजना का विवरण दिया है। उन्होंने सूचित किया है कि दो, यानी त्रिपुरा और मेघालय उच्च न्यायालयों को छोड़कर सभी उच्च न्यायालयों ने अपनी कार्य योजना और कदम उठाए हैं ताकि मुकदमों के त्वरित निपटारे के साथ-साथ उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित मामलों का त्वरित निस्तारण सुनिश्चित हो सके।

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    [बच्चे की कस्टडी पर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका] सबसे महत्वपूर्ण विचार बच्चे की भलाई है, सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया

    नाबालिग बच्चे की कस्टडी के मामले के संबंध में बंदी प्रत्यक्षीकरण की रिट जारी करते समय सबसे महत्वपूर्ण विचार, बच्चे की भलाई, सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया है। शीर्ष अदालत एक पिता द्वारा हाईकोर्ट की लगाई गईं शर्तों के खिलाफ अपील पर विचार कर रही थी जो उसे बच्चे को वापस संयुक्त राज्य अमेरिका ले जाने की अनुमति देते समय लगाई गई थीं। शर्त (ए) के लिए उसे बेंगलुरु के जिला स्वास्थ्य अधिकारी के रैंक के एक अधिकारी से एक प्रमाण पत्र प्राप्त करने की आवश्यकता है जो यह प्रमाणित करे कि "यह देश", भारत COVID -19 महामारी से मुक्त है और नाबालिग बच्चे के लिए अमेरिका की यात्रा करना सुरक्षित है।

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    कोर्ट अभियुक्त के वादे से मुकर जाने के कारण मेरिट के आधार पर उसकी जमानत याचिका सुनने से इनकार नहीं कर सकता : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोई कोर्ट एक अभियुक्त की जमानत याचिका मेरिट के आधार पर सुनने से सिर्फ इसलिए इनकार नहीं कर सकता कि वह वाद निपटारे के लिए पूर्व में किये गये प्रस्ताव पर अमल करने में विफल रहा था। न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने यह टिप्पणी करते हुए मद्रास हाईकोर्ट के उस फैसले को दरकिनार कर दिया, जिसमें अभियुक्त की जमानत याचिका इस आधार पर खारिज कर दी गयी थी कि वह वाद निपटारे के लिए किया गया अपना वायदा पूरा करने में विफल रहा था।

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    2 करोड़ रुपये तक के एमएसएमई ऋण और व्यक्तिगत ऋणों के लिए चक्रवृद्धि ब्याज माफ किया जा सकता है : केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया

    केंद्र सरकार ने शुक्रवार को छह महीने की अधिस्थगन अवधि के दौरान 2 करोड़ रुपये तक के एमएसएमई ऋण और व्यक्तिगत ऋणों के लिए चक्रवृद्धि ब्याज माफ करने के अपने फैसले से सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया। भारत संघ ने प्रस्तुत किया कि "छोटे उधारकर्ताओं को संभालने की परंपरा" को जारी रखने का निर्णय लिया गया है और इसलिए, उसने "उधारकर्ताओं की सबसे कमजोर श्रेणी" के लिए उक्त अवधि के लिए ब्याज माफ कर दिया है ...

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    'सतर्क प्रहरी' का सुप्रीम कोर्ट का मुहावरा जीर्ण हुआ हो सकता है, लेकिन जजों को सदैव इसका मूल्य खुद याद रखना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

    "बदलते समय के बीच यह मुहावरा आलेखों, संगोष्ठियों और अब वेबिनारों की भरमार में जीर्ण हुआ हो सकता है।" इस कोर्ट का 'सतर्क प्रहरी' का मुहावरा जीर्ण हुआ हो सकता है, लेकिन यदि संवैधानिक चेतना को सार्थक बनाये रखना है, तो न्यायाधीशों को अपने पूर्ण कार्यकाल में खुद ही इसके मूल्य को सदैव याद रखना चाहिए। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने गुरुवार को दिये गये एक फैसले में यह टिप्पणी की। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने यह टिप्पणी अपने उस फैसले में की जिसके माध्यम से सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के श्रम एवं नियोजन विभाग की ओर से जारी अधिसूचना को निरस्त कर दिया। संबंधित अधिसूचना में गुजरात श्रम एवं नियोजन विभाग ने राज्य के सभी कल-कारखानों को फैक्ट्री अधिनियम, 1948 के उन प्रावधानों से छूट दी थी, जिसके तहत रोज और साप्ताहिक काम के घंटों, आराम को लेकर मध्यावकाश और धारा 59 के तहत दोगुनी दर पर ओवरटाइम दिया जाना निर्धारित किया गया है। कोर्ट ने कहा कि व्यक्ति के काम की शर्तों और कानून द्वारा निर्धारित ओवरटाइम को दरकिनार करने वाली अधिसूचना संविधान के अनुच्छेद 21 और 23 के तहत कामगारों के जीवन के अधिकार तथा बंधुआ मजदूरी के खिलाफ अधिकारों का उल्लंघन है।

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    हाथरस केस: बलात्कार को साबित करने के लिए पी‌ड़िता के शरीर में वीर्य की मौजूदगी आवश्यक नहीं, उत्तर प्रदेश पुलिस का दावा कानून के विपरीत

    उत्तर प्रदेश पुलिस ने दावा किया है कि हाथरस की 19 वर्षीय दलित युवती के साथ बलात्कार नहीं हुआ। उल्लेखनीय है कि वारदात में आई चोटों के कारण युवती की हाल ही मौत हो गई ‌थी। उत्तर प्रदेश के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला के परिणाम में मृतक युवती के शरीर पर वीर्य के नमूनों की मौजूदगी नहीं दिखी है। एडीजी (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने कहा, "एफएसएल की रिपोर्ट भी आ चुकी है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि नमूनों में वीर्य नहीं थे। यह स्पष्ट करता है कि कोई बलात्कार या सामूहिक बलात्कार नहीं हुआ था।"

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    सरकारी वकील का विवरण पूरी तरह सही नहीं कहा जा सकता : सुप्रीम कोर्ट ने आतंक-निरोधक कानून यूएपीए के तहत अभियुक्त की जमानत मंजूर की

    सुप्रीम कोर्ट ने गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 1967 के तहत ट्रायल का सामना कर रहे जोधपुर निवासी एक अभियुक्त की विशेष अनुमति याचिका बुधवार को मंजूर कर ली। उस पर संदिग्ध आतंकी को भागने में मदद करने के आरोप है। न्यायमूर्ति आर. एफ. नरीमन, न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ की खंडपीठ ने यह कहते हुए आरोपी को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया कि राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकारी वकील के ब्योरे पर भरोसा करके त्रुटि की है।

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    सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नया रोस्टर, 5 अक्टूबर से होगा प्रभावी

    नए रोस्टर के अनुसार, जनहित याचिकाओं और पत्र याचिकाओं को CJI, जस्टिस रमाना, जस्टिस नरीमन, जस्टिस ललित, जस्टिस खानविलकर, जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस नागेश राव की अध्यक्षता वाली बेंचों द्वारा निपटाया जाना है।

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    आईपीसी 306 के तहत दुराशय के होने का अनुमान नहीं बल्कि इसे स्पष्ट और विशिष्ट होना चाहिए, SC ने पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने में दोषी करार पति को बरी किया

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आत्महत्या के लिए उकसाने [धारा 306 आईपीसी] की सामग्री को जाहिर तौर पर होने के अनुमान के तहत नहीं माना जा सकता बल्कि इसे स्पष्ट और विशिष्ट होना चाहिए। जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने एक ऐसे पति की दोषसिद्धि को रद्द कर दिया है, जिस पर पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप था।

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    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाथरस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया कहा, इन घटनाओं ने हमारी अंतरात्मा को झकझोर दिया

    इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने हाथरस गैंगरेप मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा कि यह एक "अत्यंत संवेदनशील" मामला है, जो नागरिकों के बुनियादी मानव / मौलिक अधिकारों को छू रहा है। जस्टिस जसप्रीत सिंह और जस्टिस राजन रॉय की बेंच ने उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) के माध्यम से, पुलिस महानिदेशक, यूपी, लखनऊ, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, कानून और व्यवस्था, यूपी, लखनऊ, जिला मजिस्ट्रेट, हाथरस, पुलिस अधीक्षक, हाथरस के माध्यम से यूपी राज्य को नोटिस जारी किया है और उन्हें सुनवाई की अगली तारीख 12 अक्टूबर को अदालत के समक्ष उपस्थित होने के लिए कहा है।

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    हाथरस गैंगरेप केस : सुप्रीम कोर्ट में CBI/SIT से जांच की याचिका, केस को हाथरस से ट्रांसफर करने की मांग

    सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की गई है जिसमें कथित तौर पर उत्तर प्रदेश के हाथरस में उच्च-जाति के चार पुरुषों द्वारा 19 वर्षीय दलित लड़की के साथ क्रूर बलात्कार और हत्या की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो या एक विशेष जांच दल द्वारा की मांग की गई है। याचिका में आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने में राज्य सरकार की विफलता आरोप लगाया गया है और केस को उत्तर प्रदेश से दिल्ली स्थानांतरित करने के लिए कहा गया है।

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    [CrPC 406] साक्ष्य देने से पहले ही न्यायिक अधिकार क्षेत्र की कमी के आधार पर आपराधिक मामले को ट्रांसफर करने का आदेश नहीं दिया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 406 के तहत साक्ष्य देने से पहले ही न्यायिक अधिकार क्षेत्र की कमी के आधार पर आपराधिक मामले को ट्रांसफर करने का आदेश नहीं दिया जा सकता है। न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यन ने कहा (i) कि न्यायालय के अधिकार क्षेत्र का मुद्दा "अपराध" या "अपराधी" के साथ-साथ ट्रायल के क्षेत्राधिकार का मुद्दा साक्ष्य के माध्यम से स्थापित तथ्यों पर निर्भर करता है, (ii) यदि एक मुद्दा प्रादेशिक क्षेत्राधिकार के अनुसार है, संहिता की 177 से 184 की धारा में उल्लिखित विभिन्न नियमों के संबंध में निर्णय लिया जाना है और (iii) कि इन सवालों को ट्रायल करने वाले न्यायालय के उठाया जाना चाहिए और वही न्यायालय विचार करने के लिए बाध्य है।

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    सजा की अवधि या मूल अपराध की गंभीरता, समय से पहले रिहाई से इनकार करने का एकमात्र आधार नहीं हो सकती : सुप्रीम कोर्ट

    सजा की अवधि या मूल अपराध की गंभीरता, समय से पहले रिहाई से इनकार करने का एकमात्र आधार नहीं हो सकती है, सुप्रीम कोर्ट ने दो दोषियों की प्रोबेशन यानी परिवीक्षा पर रिहाई का निर्देश देते हुए टिप्पणी की। न्यायमूर्ति एनवी रमना की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि रिहाई पर अपराध करने की पूर्वधारणा के बारे में कोई भी आकलन जेल में रहते हुए कैदियों के आचरण के साथ-साथ पृष्ठभूमि पर आधारित होना चाहिए, न कि केवल उनकी उम्र या पीड़ितों और गवाहों की आशंकाओं पर।

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    [ हवाई किराया वापसी ] लॉकडाउन से पहले की गई हवाई बुकिंग पर रिफंड और क्रेडिट शेल की सुविधा पर DGCA के प्रस्ताव को सुप्रीम कोर्ट ने मंज़ूरी दी

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) द्वारा COVID-19 के चलते लॉकडाउन के दौरान बुक किए गए हवाई टिकटों के किराए की वापसी के संबंध में की गई सिफारिशों को स्वीकार कर लिया। जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस सुभाष रेड्डी और हवाई एमआर शाह की पीठ ने कहा कि याचिकाएं DGCA प्रस्तावों के संदर्भ में निपटा दी जाएंगी और ट्रैवल एजेंटों द्वारा जारी किए गए टिकटों के वाउचर का उपयोग ट्रैवल एजेंटों द्वारा किया जाएगा, जब कि जंजीरों को प्रभावित किया जाता है।

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    सामान्य इरादे के आधार पर दोषी ठहराने के लिए अभियुक्त को हमले की शारीरिक गतिविधि में सक्रिय रूप से शामिल होना आवश्यक नहीं : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह आवश्यक नहीं है कि सामान्य इरादे के आधार पर दोषी ठहराने के लिए एक अभियुक्त को हमले की शारीरिक गतिविधि में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। एक विशेष परिणाम को लाने के लिए एक सामान्य इरादा भी किसी विशेष मामले के तथ्यों और परिस्थितियों से अलग-अलग व्यक्तियों के बीच मौके पर विकसित हो सकता है, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस नवीन सिन्हा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की तीन न्यायाधीशों वाली बेंच ने कहा।

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    COVID-19 सार्वजनिक आपातकाल नहीं : SC ने बिना ओवरटाइम फैक्टरी एक्ट के तहत श्रमिकों के काम के घंटे बढ़ाने की अधिसूचना रद्द की

    सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात श्रम और रोजगार विभाग द्वारा गुजरात में सभी कारखानों को फैक्ट्रियों अधिनियम, 1948 की धारा 59 के प्रावधानों से छूट प्रदान करने से संबंधित उस अधिसूचना को रद्द कर दिया है, जिसमें दैनिक कामकाज के घंटे, साप्ताहिक काम के घंटे, आराम के लिए अंतराल और वयस्क श्रमिकों के विस्तार के अलावा दोगुनी दरों पर ओवरटाइम मज़दूरी के भुगतान से छूट दी गई थी।

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    यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा स्थगित नहीं की जा सकती, सुप्रीम कोर्ट ने यूपीएससी को दिया निर्देश लास्ट चांस वाले कैंडिडेट को एक अतिरिक्त मौका देने पर विचार करें

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उस याचिका को खारिज कर दिया है,जिसमें COVID19 महामारी के मद्देनजर संघ लोक सेवा परीक्षा (यूपीएससी) 2020 को स्थगित करने की मांग की गई थी। यह परीक्षा 4 अक्टूबर, 2020 आयोजित की जानी है। जस्टिस एएम खानविल्कर, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने परीक्षा को स्थगित करने से इनकार कर दिया है। वहीं यूपीएससी के साथ-साथ केंद्र को भी निर्देश जारी किया है कि जिन उम्मीदवारों का यूपीएससी की परीक्षा देने का यह लास्ट चांस या अंतिम प्रयास है,उनको वे ऊपरी आयु-सीमा का विस्तार किए बिना एक औैर अतिरिक्त मौका देने पर विचार करें।

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    अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला बार और भाषण की स्वतंत्रता पर मौलिक हमला है: प्रशांत भूषण ने बीसीडी को उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं करने का आग्रह किया

    "मैं प्रस्तुत करता हूं कि बार काउंसिल को कानूनी पेशे के सदस्यों के अधिकारों के साथ एकजुटता में खड़ा होना चाहिए, और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का संज्ञान नहीं लेना चाहिए, जिसने बार सदस्यों और सामान्य नागरिकों की स्वतंत्रता, अधिकारों और गरिमा को गंभीर रूप से बाधित और निरस्त किया है।" उक्त टिप्पणी एडवोकेट प्रशांत भूषण ने दिल्ली बार काउंसिल ‌की ओर से भेजे गए पत्र के जवाब में की है। पत्र में पूछा गया था कि स्वतः संज्ञान अवमानना मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद प्रशांत भूषण के खिलाफ कार्यवाही क्यों न शुरु की जाए।

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    (हाथरस क्रूरता) "कानून के शासन में विश्वास को आश्वस्त कीजिये": महिला वकीलों ने सीजेआई को पत्र लिखकर आरोपी को सख्त और तेजी से संभव सजा सुनिश्चित करने की मांग की

    महिला अधिवक्ताओं के एक समूह ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर हाथरस बलात्कार और हत्या के मामले में आरोपी को सख्त और त्वरित संभव सजा सुनिश्चित करने के लिए उच्च न्यायालय की निगरानी वाली जांच और मुकदमे का गठन करने की मांग की है। समूह ने इस मामले में तथ्यों और सबूतों में हेरफेर करने की कोशिश करने वाले सभी दोषी पुलिस, प्रशासनिक और यहां तक कि चिकित्सा अधिकारियों के खिलाफ तत्काल जांच और निलंबन या कोई दंडात्मक कार्रवाई करने की मांगा की है।44. सुप्रीम कोर्ट ने वर्चुअल चुनावी सभा कराने के मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले के संचालन पर रोक लगाई

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