छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

डॉक्टर द्वारा मरीज को मानसिक रूप से स्वस्थ पाए जाने के बाद कार्यकारी मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किए गए मृत्यु पूर्व कथन पर भरोसा किया जा सकता है: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
डॉक्टर द्वारा मरीज को मानसिक रूप से स्वस्थ पाए जाने के बाद कार्यकारी मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किए गए मृत्यु पूर्व कथन पर भरोसा किया जा सकता है: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पाया कि डॉक्टर द्वारा यह प्रमाणित किए जाने के बाद कि मरीज बयान देने के लिए स्वस्थ है, कार्यकारी मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किए गए मृत्यु पूर्व कथन को विश्वसनीय माना जा सकता है।चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने आरोपियों की दोषसिद्धि बरकरार रखते हुए यह टिप्पणी की, जिनमें से एक को हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित दोषसिद्धि का फैसला बरकरार रखते हुए कहा कि अपीलकर्ता नंबर 1 अजय...

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने CrPC की धारा 439 के तहत जमानत आवेदन में BNSS प्रावधानों का हवाला दिया, आरोपी को रिहा करते समय शीघ्र ट्रायल की आवश्यकता पर बल दिया
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने CrPC की धारा 439 के तहत जमानत आवेदन में BNSS प्रावधानों का हवाला दिया, आरोपी को रिहा करते समय शीघ्र ट्रायल की आवश्यकता पर बल दिया

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने जमानत आवेदन स्वीकार करते हुए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 का हवाला दिया, जिसने 01.07.2024 से दंड प्रक्रिया संहिता की जगह ले ली है।आवेदक/आरोपी ने नियमित जमानत के लिए हाईकोर्ट के समक्ष धारा 439 सीआरपीसी के तहत आवेदन दायर किया। आवेदक/आरोपी को आईपीसी की धारा 420, 409, 467, 468 और 471 के तहत धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया गया था। पिछले दो आवेदनों को पहले खारिज किए जाने के बाद यह हाईकोर्ट के समक्ष जमानत का तीसरा आवेदन था। आवेदक/आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष...

S.52A NDPS Act के तहत सैंपल न्यायिक मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में लिए जाने चाहिए, राजपत्रित अधिकारी की नहीं: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
S.52A NDPS Act के तहत सैंपल न्यायिक मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में लिए जाने चाहिए, राजपत्रित अधिकारी की नहीं: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि कथित प्रतिबंधित पदार्थ से सैंपल लेने के लिए NDPS Act की धारा 52ए का आदेश तभी पूरा होता है, जब ऐसा न्यायिक मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में किया जाता है, राजपत्रित अधिकारी की उपस्थिति में नहीं।एक्ट के तहत उल्लिखित वैधानिक प्रक्रियाओं का पालन करने के महत्वपूर्ण महत्व को रेखांकित करते हुए चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की खंडपीठ ने कहा,"इस बात का कोई सबूत भी रिकॉर्ड पर नहीं लाया गया कि सैंपल मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में लिए गए और लिए गए नमूनों की सूची...

आईपीसी की धारा 364ए के तहत दोषसिद्धि के लिए फिरौती की मांग और जान से मारने की धमकी के साथ अपहरण का सबूत जरूरी: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
आईपीसी की धारा 364ए के तहत दोषसिद्धि के लिए फिरौती की मांग और जान से मारने की धमकी के साथ अपहरण का सबूत जरूरी: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने माना कि जब तक अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर देता कि अपहरण के साथ फिरौती की मांग और जान से मारने की धमकी भी थी, तब तक आईपीसी की धारा 364ए के तहत कोई दोषसिद्धि नहीं हो सकती। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की पीठ ने 2022 में आईपीसी की धारा 364ए, 343 और 323/34 के तहत ट्रायल कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए गए दो आरोपियों को बरी करते हुए यह टिप्पणी की।मामले में गवाहों के बयानों और पूरे मामले के रिकॉर्ड का विश्लेषण करते हुए, न्यायालय ने पाया कि शिकायतकर्ता के...

दुखद स्थिति | छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य केंद्र के फर्श पर महिला द्वारा बच्चे को जन्म देने का स्वतः संज्ञान लिया
'दुखद स्थिति' | छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य केंद्र के फर्श पर महिला द्वारा बच्चे को जन्म देने का स्वतः संज्ञान लिया

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सोमवार को एक समाचार पत्र में छपी उस घटना का स्वतः संज्ञान लिया जिसमें राज्य के अंबिकापुर उप स्वास्थ्य केंद्र में एक महिला को डॉक्टर/नर्स की अनुपस्थिति के कारण फर्श पर बच्चे को जन्म देना पड़ा। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की पीठ ने इसे "बहुत खेदजनक स्थिति" बताया कि स्वास्थ्य केंद्रों के मामलों के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी उस समय अनुपस्थित रहते हैं जब उनकी सबसे अधिक आवश्यकता होती है।मूलतः, संबंधित समाचार रिपोर्ट (जिस पर खंडपीठ ने मामले...

भारतीय संस्कृति में लिव-इन रिलेशन एक कलंक; वैवाहिक कर्तव्यों के प्रति उदासीनता ने इस अवधारणा को जन्म दिया: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
भारतीय संस्कृति में लिव-इन रिलेशन एक 'कलंक'; वैवाहिक कर्तव्यों के प्रति उदासीनता ने इस अवधारणा को जन्म दिया: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फैसले में टिप्‍पणी की कि लिव-इन रिलेशनशिप भारतीय संस्कृति अब भी एक "कलंक" के रूप में बनु हुआ है क्योंकि ऐसा संबंध भारतीय सिद्धांतों की सामान्य अपेक्षाओं के विपरीत आयातित विचार है। यह देखते हुए कि वैवाहिक कर्तव्यों के प्रति "उदासीनता" ने लिव-इन रिलेशनशिप की अवधारणा को जन्म दिया है, जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस संजय एस अग्रवाल की पीठ ने कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप कभी भी वह सुरक्षा, सामाजिक स्वीकृति, प्रगति और स्थिरता प्रदान नहीं करता है, जो विवाह संस्था प्रदान...

वैवाहिक घर ईंटों और पत्थरों से नहीं बल्कि पति-पत्नी के बीच प्यार, सम्मान और देखभाल से बनाया जा सकता है: छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट
वैवाहिक घर ईंटों और पत्थरों से नहीं बल्कि पति-पत्नी के बीच प्यार, सम्मान और देखभाल से बनाया जा सकता है: छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट

छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट ने हाल ही में कहा कि वैवाहिक घर केवल ईंटों और पत्थरों से नहीं बनाया जा सकता बल्कि पति-पत्नी के बीच आदान-प्रदान किए जाने वाले प्यार सम्मान और देखभाल के तत्व ही ऐसे घर की नींव रखते हैं।जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की पीठ ने सरोजलता रजक द्वारा दायर की गई पहली अपील खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। सरोजलता ने मई 2023 में फैमिली कोर्ट द्वारा पारित निर्णय और डिक्री को चुनौती दी थी, जिसमें हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13(1)(i-a) और 13(1)(i-b)] क्रूरता और परित्याग...

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य साइबर पुलिस स्टेशनों में विशेषज्ञों की कमी पर स्वत: संज्ञान जनहित याचिका शुरू की, डीजीपी से व्यक्तिगत शपथ पत्र मांगा
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य साइबर पुलिस स्टेशनों में विशेषज्ञों की कमी पर स्वत: संज्ञान जनहित याचिका शुरू की, डीजीपी से व्यक्तिगत शपथ पत्र मांगा

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने हाल ही में सूबे के साइबर पुलिस स्टेशनों में विशेषज्ञ कर्मियों की कमी पर एक स्वत: संज्ञान जनहित याचिका शुरू की। कोर्ट ने राज्य की साइबर अपराध जांच इकाइयों में विशेषज्ञ पेशेवरों की कमी संबंध‌ित 24 अप्रैल, 2024 को "बिलासपुर भास्कर" में प्रकाशित समाचार रिपोर्टों के आधार पर इस मुद्दे पर स्वतंः संज्ञान लिया।समाचार पत्र में प्रकाशित लेख का शीर्षक था-"रेंज साइबर थानों में 7 माह में सिर्फ 7 केस, क्योंकि एक्सपर्ट की भर्ती नहीं"। लेख का उपशीर्षक था- "खुद ही बचें ठगों से, प्रदेश में...

मां-बेटी को 30 घंटे से अधिक समय तक अवैध हिरासत में रखने के लिए 3 लाख रुपये का मुआवजा दे राज्य सरकार: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
मां-बेटी को 30 घंटे से अधिक समय तक अवैध हिरासत में रखने के लिए 3 लाख रुपये का मुआवजा दे राज्य सरकार: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट ने हाल ही में राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह मां-बेटी को 30 घंटे से अधिक समय तक अवैध हिरासत के लिए 3 लाख रुपये का मुआवजा दे।चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की बेंच ने अंजू लाल (मां/रिटायर्ड स्कूल टीचर) और दीक्षा लाल (बेटी) द्वारा दायर याचिका पर यह आदेश पारित किया।पूरा मामलायाचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि वे निजी प्रतिवादी (के.के. जगदे) के पड़ोसी हैं और आम सड़क शेयर करते हैं। निजी प्रतिवादी ने कथित तौर पर इस सड़क के आधे हिस्से पर अतिक्रमण कर लिया, जिससे...

पदोन्नति में एससी/एसटी के लिए आरक्षण नीति केवल मात्रात्मक डेटा एकत्र करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित मानदंडों के आधार पर ही बनाई जा सकती है: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
पदोन्नति में एससी/एसटी के लिए आरक्षण नीति केवल मात्रात्मक डेटा एकत्र करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित मानदंडों के आधार पर ही बनाई जा सकती है: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि पदोन्नति में एससी/एसटी के लिए आरक्षण नीति मात्रात्मक डेटा के आधार पर और संविधान के अनुच्छेद 16(4ए) और (4बी) के अनुसार बनाई जानी चाहिए।चीफ रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने कहा, "पदोन्नति में एससी और एसटी के लिए आरक्षण नीति केवल माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा विभिन्न आधिकारिक घोषणाओं में मात्रात्मक डेटा एकत्र करने के लिए तय किए गए मानदंडों के आधार पर बनाई जा सकती है और यह भी भारत के संविधान के अनुच्छेद 16(4ए) और (4बी) में निहित...

विश्वासघात का मामला: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने नाबालिग बेटी से बार-बार बलात्कार करने वाले पिता की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी
'विश्वासघात का मामला': छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने नाबालिग बेटी से बार-बार बलात्कार करने वाले पिता की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते 3 साल तक अपनी ही बेटी के साथ बार-बार बलात्कार करने के दोषी व्यक्ति की दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा। कोर्ट ने इसे 'विश्वासघात' और 'सामाजिक मूल्यों को कमजोर करने वाला' मामला बताया। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की पीठ ने कहा,“आरोपी ने बच्ची को पिता जैसा प्यार, स्नेह और समाज की बुराइयों से सुरक्षा देने के बजाय, उसे हवस का शिकार बनाया। यह एक ऐसा मामला है जहां विश्वास को धोखा दिया गया है और सामाजिक मूल्यों को नुकसान पहुंचाया...

छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट ने सोशल मीडिया पर न्यायालय की कार्यवाही को पुनः पोस्ट करने और जजों के विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणी करने पर कार्रवाई के आदेश दिए
छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट ने सोशल मीडिया पर न्यायालय की कार्यवाही को पुनः पोस्ट करने और जजों के विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणी करने पर कार्रवाई के आदेश दिए

छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट ने मंगलवार को रजिस्ट्रार जनरल को आदेश दिया कि वे कदम उठाएं और जरूरत पड़ने पर न्यायालय की कार्यवाही के छेड़छाड़ किए गए वीडियो को फिर से पोस्ट करने वाले व्यक्तियों तथा जजों और न्यायालय के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने वाले नेटिजनों के खिलाफ अवमानना ​​नोटिस जारी करें।न्यायालय की छवि और निष्ठा पर सोशल मीडिया पर किए गए अपमानजनक हमले पर आपत्ति जताते हुए जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की खंडपीठ ने कहा,ऐसा प्रतीत होता है कि जजों और वकीलों के खिलाफ अपमानजनक और...