इलाहाबाद हाईकोट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोऑपरेटिव सोसाइटी चुनाव विवाद में आर्बिट्रेटर के आदेशों पर सिंगल जज के स्टे पर सुनाया खंडित फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोऑपरेटिव सोसाइटी चुनाव विवाद में आर्बिट्रेटर के आदेशों पर सिंगल जज के स्टे पर सुनाया खंडित फैसला

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच की एक डिवीजन बेंच ने सिंगल जज के एक आदेश को चुनौती देने के खिलाफ खंडित फैसला सुनाया, जिसमें सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट, जो एक आर्बिट्रेटर के तौर पर काम कर रहे है, उनके आदेश पर रोक लगा दी गई थी। इस आदेश से उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव सोसाइटी एक्ट 1965 के तहत बहुजन निर्बल वर्ग सहकारी गृह निर्माण समिति लिमिटेड (याचिकाकर्ता) के चुनाव परिणाम पर रोक लगा दी गई।जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस प्रशांत कुमार की बेंच इस मामले से निपटने में सिंगल जज के अधिकार क्षेत्र के इस्तेमाल पर सहमत नहीं...

गैंगस्टर एक्ट के नाम पर चयनात्मक कार्रवाई से कानून का राज कमजोर: इलाहाबाद हाईकोर्ट
गैंगस्टर एक्ट के नाम पर चयनात्मक कार्रवाई से कानून का राज कमजोर: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश गैंगस्टर एवं असामाजिक क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम के तहत जांच और अभियोजन की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि चयनात्मक जांच और चयनात्मक अभियोजन कानून के शासन के विरुद्ध है और इससे शासन व्यवस्था पर जनता का भरोसा कमजोर होता है। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि प्रभावशाली और संगठित अपराध से जुड़े लोग जमानत की शर्तों का खुलेआम उल्लंघन करते हैं और अदालतों में बार-बार स्थगन लिया जाता है, जबकि अभियोजन तंत्र उन्हें प्रभावी ढंग से चुनौती देने में विफल रहता है।जस्टिस...

प्रशासन की कानून से अनभिज्ञता अदालतों पर बोझ बढ़ा रही है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
प्रशासन की कानून से अनभिज्ञता अदालतों पर बोझ बढ़ा रही है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि कई बार सरकारी प्राधिकरण कानून की स्थिति से अनभिज्ञ रहते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अदालतों में अनावश्यक मुकदमों की बाढ़ आ जाती है और कोर्ट का रोस्टर अवरुद्ध हो जाता है। अदालत ने कहा कि इस तरह की लापरवाही न केवल न्यायिक समय की बर्बादी है बल्कि आम नागरिकों को भी अनावश्यक रूप से मुकदमेबाजी के लिए मजबूर करती है।जस्टिस मंजू रानी चौहान ने यह टिप्पणी उस मामले में की, जिसमें एक अशिक्षित याचिकाकर्ता ने अपनी ही संविदात्मक अनुकंपा नियुक्ति को चुनौती देते हुए...

यूपी पुलिस ने धर्मांतरण मामले में FIR और चार्जशीट में यूपी कानून की जगह गलती से छत्तीसगढ़ कानून लगाया: हाईकोर्ट ने कार्रवाई के निर्देश दिए
यूपी पुलिस ने धर्मांतरण मामले में FIR और चार्जशीट में यूपी कानून की जगह गलती से छत्तीसगढ़ कानून लगाया: हाईकोर्ट ने कार्रवाई के निर्देश दिए

इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ बेंच) ने हाल ही में यूपी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए, जिन्होंने गलती से यूपी गैर-कानूनी धर्मांतरण निषेध अधिनियम, 2021 की जगह छत्तीसगढ़ धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 1968 के तहत FIR दर्ज की और उसके बाद चार्जशीट दाखिल की।जस्टिस राजीव सिंह की बेंच ने न सिर्फ सीतापुर के पुलिस अधीक्षक (SP) को चार्जशीट वापस कर दी, बल्कि संबंधित कोर्ट द्वारा पारित संज्ञान आदेश को भी रद्द कर दिया।संक्षेप में मामला2022 में सीतापुर के धर्मांतरण मामले में नैमिश गुप्ता की शिकायत पर...

पति की मौत के बाद ससुराल वालों की मर्ज़ी पर दुल्हन के नाबालिग होने के कारण हिंदू शादी को अमान्य घोषित नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट
पति की मौत के बाद ससुराल वालों की मर्ज़ी पर दुल्हन के नाबालिग होने के कारण हिंदू शादी को अमान्य घोषित नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 (Hindu Marriage Act) के तहत एक हिंदू शादी को ससुराल वालों की मर्ज़ी पर शादी के समय दुल्हन के नाबालिग होने का दावा करके बाद में अमान्य घोषित नहीं किया जा सकता।हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 5 का उप-खंड (iii) यह शर्त रखता है कि हिंदू शादी के लिए दूल्हे की उम्र 21 साल और दुल्हन की उम्र 18 साल होनी चाहिए। अधिनियम की धारा 11 अमान्य शादियों के बारे में बताती है, जहां धारा 5 के उप-खंड (i), (ii) और (iv) का उल्लंघन शादी को अमान्य घोषित...

क्या आरोपी सेशंस कोर्ट जाए बिना नए सबूतों के आधार पर सीधे हाईकोर्ट में लगातार जमानत याचिका दायर कर सकता है? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया जवाब
क्या आरोपी सेशंस कोर्ट जाए बिना नए सबूतों के आधार पर सीधे हाईकोर्ट में लगातार जमानत याचिका दायर कर सकता है? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया जवाब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि दूसरी जमानत याचिका, या लगातार जमानत याचिकाएं, हाईकोर्ट द्वारा ट्रायल के दौरान इकट्ठा किए गए सबूतों के आधार पर सुनी जा सकती हैं, भले ही ये सबूत सेशंस कोर्ट या हाईकोर्ट के पास तब उपलब्ध न हों जब पिछली जमानत याचिका खारिज की गई थी।हालांकि, जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की बेंच ने साफ किया कि सही मामलों में हाईकोर्ट आवेदक-आरोपी को नए सबूतों के आधार पर सेशंस कोर्ट के सामने लगातार जमानत याचिकाएं दायर करने का निर्देश दे सकता है।संक्षेप में मामलाकोर्ट ने साफ किया कि...

आरोपी द्वारा हस्ताक्षरित विस्तृत रिकवरी मेमो गिरफ्तारी के आधारों की लिखित सूचना की आवश्यकता को पूरा करता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
आरोपी द्वारा हस्ताक्षरित विस्तृत रिकवरी मेमो गिरफ्तारी के आधारों की लिखित सूचना की आवश्यकता को पूरा करता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि एक विस्तृत रिकवरी मेमो (फर्द बरामदगी), जो उसी समय तैयार किया गया हो, जिसमें लागू की गई दंडात्मक धाराएं शामिल हों और जिस पर आरोपी के हस्ताक्षर हों, वह भारत के संविधान के अनुच्छेद 22 (1) के तहत गिरफ्तारी के आधारों की लिखित रूप में सूचना देने की आवश्यकता को पूरा करता है।कोर्ट ने कहा कि जहां ऐसा कोई दस्तावेज़ मौजूद है, वहां औपचारिक गिरफ्तारी मेमो में आधारों की तकनीकी चूक घातक नहीं होगी, क्योंकि यह गिरफ्तारी के आधार की सूचना देने की आवश्यकता का पर्याप्त...

राहुल गांधी नागरिकता विवाद | BJP कार्यकर्ता ने रायबरेली में वकीलों पर जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया, हाईकोर्ट ने मामला लखनऊ ट्रांसफर किया
राहुल गांधी नागरिकता विवाद | BJP कार्यकर्ता ने रायबरेली में वकीलों पर 'जान से मारने की धमकी' देने का आरोप लगाया, हाईकोर्ट ने मामला लखनऊ ट्रांसफर किया

इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ बेंच) ने बुधवार को लोकसभा में विपक्ष के नेता और रायबरेली के सांसद राहुल गांधी के खिलाफ दायर आपराधिक शिकायत मामले को रायबरेली के एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट-IV की कोर्ट से लखनऊ की स्पेशल MP/MLA कोर्ट में तुरंत ट्रांसफर करने का निर्देश दिया।जस्टिस बृज राज सिंह की बेंच ने इस तरह BJP कार्यकर्ता एस. विग्नेश शिशिर (मूल शिकायतकर्ता) द्वारा BNSS की धारा 447 के तहत दायर ट्रांसफर एप्लीकेशन को मंज़ूरी दी।अपनी ट्रांसफर याचिका में शिशिर ने रायबरेली कोर्ट में तनावपूर्ण और हिंसक...

सरासर उद्दंडता: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने CJM को जवाब देने के लिए सब-इंस्पेक्टर तैनात करने पर SSP को फटकारा, जवाब तलब
सरासर उद्दंडता: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने CJM को जवाब देने के लिए सब-इंस्पेक्टर तैनात करने पर SSP को फटकारा, जवाब तलब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को बदायूं के सीनियर पुलिस अधीक्षक (SSP) के रवैये पर कड़ी नाराजगी जताते हुए उसे सरासर उद्दंडता करार दिया। अदालत ने SSP द्वारा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) को जवाब देने का काम एक सब-इंस्पेक्टर को सौंपने पर सख्त आपत्ति जताई और उनसे व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर यह स्पष्ट करने को कहा कि उनके खिलाफ अलग से सिविल अवमानना की कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए।जस्टिस जे.जे. मुनिर और जस्टिस संजीव कुमार की खंडपीठ एक ऐसे आपराधिक अपील मामले की सुनवाई कर रही थी, जो वर्ष 1984 से लंबित है...

साफ़-साफ़ लिखें या ऑर्डर टाइप करवाएं: इलाहाबाद हाईकोर्ट का निर्देश- न्यायिक अधिकारियों को संवेदनशील बनाया जाए
'साफ़-साफ़ लिखें या ऑर्डर टाइप करवाएं': इलाहाबाद हाईकोर्ट का निर्देश- न्यायिक अधिकारियों को संवेदनशील बनाया जाए

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया कि वे सभी ज़िला जजों को फिर से निर्देश जारी करें ताकि उनके अधिकार क्षेत्र में आने वाले न्यायिक अधिकारियों को ऑर्डर शीट साफ़-साफ़ हैंडराइटिंग में लिखने या उसे टाइप करवाने के लिए संवेदनशील बनाया जा सके।जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की बेंच ने 2018 के हत्या के प्रयास के मामले में बब्बू उर्फ ​​हैदर द्वारा दायर ज़मानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया।हालांकि, कोर्ट ने आखिरकार याचिकाकर्ता को ज़मानत दी, लेकिन उसने बागपत के एडिशनल...

यूपी पुलिस की नाकामी के बाद हाईकोर्ट का केंद्र सरकार से सवाल- क्या केंद्रीय एजेंसियां ​​1984 की अपील से जुड़े फरार व्यक्ति का पता लगा सकती हैं?
यूपी पुलिस की नाकामी के बाद हाईकोर्ट का केंद्र सरकार से सवाल- क्या केंद्रीय एजेंसियां ​​1984 की अपील से जुड़े 'फरार' व्यक्ति का पता लगा सकती हैं?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार (18 दिसंबर) को केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) से पूछा कि क्या 1984 के आपराधिक अपील से जुड़े एक दोषी को गिरफ्तार करने का काम केंद्रीय एजेंसियों को सौंपा जा सकता है।जस्टिस जेजे मुनीर और जस्टिस संजीव कुमार की बेंच ने यह आदेश तब दिया, जब उन्होंने पाया कि उत्तर प्रदेश पुलिस मौलाना खुर्शीद जमाल कादरी को गिरफ्तार नहीं कर पाई, जिसे कोर्ट ने "निश्चित रूप से एक फरार" बताया।यह घटनाक्रम उसी बेंच द्वारा प्रयागराज के पुलिस कमिश्नर की एक रिपोर्ट को स्वीकार करने से इनकार करने के हफ्तों...

हिस्ट्री-शीटर वकीलों पर यूपी बार काउंसिल ने हाईकोर्ट में कहा- ऐसे वकीलों के लाइसेंस किए जाएंगे सस्पेंड
'हिस्ट्री-शीटर' वकीलों पर यूपी बार काउंसिल ने हाईकोर्ट में कहा- ऐसे वकीलों के लाइसेंस किए जाएंगे सस्पेंड

उत्तर प्रदेश बार काउंसिल ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में बताया कि उसने उन वकीलों के लाइसेंस सस्पेंड करने का सर्वसम्मत फैसला लिया है, जो पुलिस रिकॉर्ड में "हिस्ट्री-शीटर" या "गैंगस्टर" के तौर पर लिस्टेड हैं।यह बात 15 दिसंबर को जस्टिस विनोद दिवाकर की बेंच के सामने वकील मोहम्मद कफील की याचिका पर सुनवाई के दौरान कही गई। कफील पर कई आपराधिक मामले चल रहे हैं, जिनमें यूपी गैंगस्टर एक्ट, जालसाजी, जबरन वसूली और आपराधिक साजिश के आरोप शामिल हैं।संक्षेप में मामलाकफील ने एडिशनल सेशंस जज, इटावा के आदेश को चुनौती देने...

सिर कलम करने की मांग पैगंबर का अपमान, उन्होंने बुराई को अच्छाई से दूर किया: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दुर्व्यवहार के बावजूद महिला के प्रति उनकी दयालुता को याद किया
सिर कलम करने की मांग पैगंबर का अपमान, उन्होंने बुराई को अच्छाई से दूर किया: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दुर्व्यवहार के बावजूद महिला के प्रति उनकी दयालुता को याद किया

"गुस्ताख-ए-नबी की एक सजा, सर तन से जुदा" (पैगंबर का अपमान करने की एकमात्र सजा सिर कलम करना है) नारे के इरादे की निंदा करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि यह "पैगंबर मोहम्मद के आदर्शों का अपमान करने के अलावा और कुछ नहीं है"।हाईकोर्ट ने कहा कि पैगंबर ने कभी भी किसी व्यक्ति का सिर कलम करने की इच्छा नहीं जताई, यहां तक ​​कि उन लोगों का भी नहीं जिन्होंने उन्हें व्यक्तिगत रूप से नुकसान पहुंचाया है।बरेली हिंसा में शामिल एक आरोपी की जमानत याचिका खारिज करते हुए महत्वपूर्ण आदेश में जस्टिस अरुण...

Bareilly Violence | सर तन से जुदा नारा भारत की संप्रभुता के खिलाफ, सशस्त्र विद्रोह भड़काता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत देने से इनकार किया
Bareilly Violence | 'सर तन से जुदा' नारा भारत की संप्रभुता के खिलाफ, सशस्त्र विद्रोह भड़काता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत देने से इनकार किया

सितंबर, 2025 में बरेली हिंसा में शामिल आरोपी की जमानत याचिका खारिज करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि भीड़ द्वारा "गुस्ताख-ए-नबी की एक सजा, सर तन से जुदा, सर तन से जुदा" (पैगंबर का अपमान करने की एकमात्र सजा सिर कलम करना है) का नारा लगाना कानून के अधिकार और भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए सीधी चुनौती है।जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की बेंच ने कहा कि ऐसे नारे लोगों को "सशस्त्र विद्रोह" के लिए उकसाते हैं और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 152 के तहत दंडनीय हैं। सिंगल जज ने कहा कि यह इस्लाम...

जिला कोर्ट में शुरुआती दौर के वकीलों की आय बेहद सीमित: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जूनियर वकील की पत्नी को देय भरण-पोषण राशि घटाई
जिला कोर्ट में शुरुआती दौर के वकीलों की आय बेहद सीमित: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जूनियर वकील की पत्नी को देय भरण-पोषण राशि घटाई

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह कहते हुए कि जिला कोर्ट में वकालत के शुरुआती वर्षों में अधिकांश वकील पर्याप्त आय अर्जित करने में संघर्ष करते हैं और गंभीर आर्थिक कठिनाइयों का सामना करते हैं एक जूनियर वकील द्वारा अपनी पत्नी को दी जाने वाली भरण-पोषण राशि को कम कर दिया।जस्टिस मदन पाल सिंह की पीठ ने फैमिली कोर्ट, पीलीभीत के उस आदेश में आंशिक संशोधन किया, जिसमें पति को अपनी पत्नी को प्रतिमाह 5,000 रुपये भरण-पोषण के रूप में देने का निर्देश दिया गया था।हाईकोर्ट ने माना कि वकील पति की “अनिश्चित और उतार-चढ़ाव वाली...

मुस्लिम शादी | दूसरी पत्नी का भरण-पोषण करना, कानूनी तौर पर शादीशुदा पहली पत्नी को मेंटेनेंस देने से इनकार करने का आधार नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
मुस्लिम शादी | दूसरी पत्नी का भरण-पोषण करना, कानूनी तौर पर शादीशुदा पहली पत्नी को मेंटेनेंस देने से इनकार करने का आधार नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

एक मुस्लिम शादी में मेंटेनेंस के विवाद से जुड़े मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि दूसरी पत्नी का भरण-पोषण करने वाला पति, पहली कानूनी तौर पर शादीशुदा पत्नी को मेंटेनेंस देने से इनकार नहीं कर सकता जो पूरी तरह से आर्थिक मदद के लिए अपने माता-पिता पर निर्भर है।संक्षेप में, पति ने फैमिली कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की थी, जिसमें उसकी पहली पत्नी को हर महीने 20,000 रुपये मेंटेनेंस देने का आदेश दिया गया था। पति का कहना था कि वह सिर्फ 83,000 रुपये सालाना कमाता है और यह रकम...

शिक्षकों की अनुपस्थिति से RTE Act का उद्देश्य विफल होता है: हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को 3 माह में समयपालन नीति बनाने का निर्देश
शिक्षकों की अनुपस्थिति से RTE Act का उद्देश्य विफल होता है: हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को 3 माह में समयपालन नीति बनाने का निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट रूप से कहा कि यदि शिक्षक समय पर स्कूल नहीं पहुंचते, तो इससे बच्चों के निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार ( RTE Act) का उद्देश्य ही विफल हो जाता है। इस टिप्पणी के साथ हाईकोर्ट ने प्राथमिक विद्यालयों के उन शिक्षकों के निलंबन में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिन्हें निरीक्षण के दौरान विद्यालय से अनुपस्थित पाया गया था।साथ ही अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह तीन माह के भीतर शिक्षकों की समय पर उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए एक ठोस नीति...

एकतरफा तलाक के बाद केस ट्रांसफर की कोशिश देरी की मंशा दर्शाती है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
एकतरफा तलाक के बाद केस ट्रांसफर की कोशिश देरी की मंशा दर्शाती है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि जिस पति ने स्वयं एक अदालत में तलाक की याचिका दायर की और एकतरफा डिक्री हासिल करने के बाद उसी मामले से जुड़ी रिकॉल कार्यवाही को किसी अन्य शहर की अदालत में स्थानांतरित कराने की मांग की, उसका आचरण कार्यवाही को लंबा खींचने की नीयत को दर्शाता है।जस्टिस सैयद कमर हसन रिज़वी ने पति द्वारा दायर ट्रांसफर प्रार्थना पत्र को खारिज करते हुए टिप्पणी की कि पहले गोंडा की फैमिली कोर्ट को चुनकर तलाक की कार्यवाही शुरू करना और फिर उसी से उत्पन्न कार्यवाही को लखनऊ ट्रांसफर कराने का आग्रह...

यूपी बार काउंसिल ने द्विविवाह के आरोपी वकील को 10 साल के लिए किया था सस्पेंड, हाईकोर्ट ने रद्द किया आदेश
यूपी बार काउंसिल ने द्विविवाह के आरोपी वकील को 10 साल के लिए किया था सस्पेंड, हाईकोर्ट ने रद्द किया आदेश

हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश स्टेट बार काउंसिल द्वारा वकील पर लगाए गए 10 साल के सस्पेंशन को इस आधार पर रद्द कर दिया कि उसे सुनवाई का कोई मौका नहीं दिया गया। वकील पर कथित द्विविवाह के लिए नैतिक पतन का आरोप है।जस्टिस शेखर बी सर्राफ और जस्टिस मनजीव शुक्ला की बेंच ने यह टिप्पणी की:"कारण बताओ नोटिस 17 फरवरी, 2025 को 10 मार्च, 2025 को पेश होने के लिए जारी किया गया और विवादित आदेश 23 फरवरी, 2025 को पारित किया गया, जिससे यह साफ है कि विवादित आदेश बिना सुनवाई का कोई मौका दिए एकतरफ़ा पारित...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विदेश में गारंटर और संपत्ति वाली विदेशी फर्मों को दिए गए लोन के लिए RBI गाइडलाइंस की डिटेल्स मांगी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विदेश में गारंटर और संपत्ति वाली विदेशी फर्मों को दिए गए लोन के लिए RBI गाइडलाइंस की डिटेल्स मांगी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में भारत सरकार से रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) की उन गाइडलाइंस के बारे में खास निर्देश मांगे, जो विदेशी धरती पर विदेशी कंपनियों को दिए गए लोन से संबंधित हैं, जहाँ कोलैटरल सिक्योरिटी किसी विदेशी व्यक्ति की है।जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता की बेंच मोहम्मद फारूक नाम के ऑस्ट्रेलियाई नागरिक द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने यूनाइटेड अरब अमीरात (UAE) में स्थित एक फर्म से जुड़े बैंक ऑफ़ बड़ौदा के साथ लोन विवाद के संबंध में हाईकोर्ट का...