इलाहाबाद हाईकोट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग रेप पीड़िता के दूसरे बयान पर राज्य की आपत्ति और पॉलीग्राफ टेस्ट पर जोर देने पर उठाए सवाल
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग रेप पीड़िता के दूसरे बयान पर राज्य की आपत्ति और पॉलीग्राफ टेस्ट पर जोर देने पर उठाए सवाल

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक नाबालिग रेप पीड़िता से जुड़े मामले में बलरामपुर के पुलिस अधीक्षक (SP) के व्यक्तिगत हलफनामे में चौंकाने वाली और महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाने पर कड़ी आपत्ति जताई।हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव (गृह) से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा और राज्य के इस फैसले पर भी हैरानी जताई है कि वह पीड़िता के बयान को दोबारा दर्ज करने की अनुमति देने वाले कोर्ट के आदेश को चुनौती दे रहा है।जस्टिस अब्दुल मोइन और जस्टिस बबीता रानी की खंडपीठ ने एसपी द्वारा इस तरह का हलफनामा कैसे...

जमानत याचिकाओं में देरी करने वाले लापरवाह पुलिसकर्मियों पर सख़्त कार्रवाई: DGP को सर्कुलर जारी करने का इलाहाबाद हाईकोर्ट का निर्देश
जमानत याचिकाओं में देरी करने वाले लापरवाह पुलिसकर्मियों पर सख़्त कार्रवाई: DGP को सर्कुलर जारी करने का इलाहाबाद हाईकोर्ट का निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (DGP) को निर्देश दिया कि वह सभी जिला पुलिस प्रमुखों को एक सर्कुलर जारी करें कि अगर सरकारी वकील को बेल अर्जियों में निर्देश देने में किसी पुलिस अधिकारी की ओर से कोई लापरवाही पाई जाती है तो उससे सख्ती से निपटा जाएगा।जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की बेंच ने यह आदेश देते हुए कहा कि किसी आरोपी की आज़ादी को सिर्फ इसलिए कम नहीं किया जा सकता, क्योंकि पुलिस अधिकारियों ने कोर्ट को ज़रूरी निर्देश देने में लापरवाही की।हाईकोर्ट विनोद राम नामक...

2018 से पुलिस हिरासत से लापता युवक पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने DGP को फटकारा; कहा—अगर युवक को मार दिया गया है, तो SP को भी बख्शा नहीं जाएगा
2018 से पुलिस हिरासत से लापता युवक पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने DGP को फटकारा; कहा—'अगर युवक को मार दिया गया है, तो SP को भी बख्शा नहीं जाएगा'

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस की कड़ी आलोचना करते हुए पुलिस हिरासत से 2018 में गायब हुए एक व्यक्ति के मामले को न्याय प्रणाली का “घोर उपहास” बताया है। जस्टिस जे.जे. मुनीर और जस्टिस संजीव कुमार की खंडपीठ ने राज्य के डीजीपी को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि यदि detenue/कॉपस को “खत्म” कर दिया गया है, तो इसकी जिम्मेदारी सिर्फ किसी जूनियर अधिकारी पर नहीं थोपी जा सकती और ऐसे हाल में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक (SP) को भी बख्शा नहीं जा सकता। यह टिप्पणियाँ 2018 में दायर उस हैबियस कॉर्पस याचिका की...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1988 के SP के जज को पुलिस स्टेशन घसीटने की धमकी वाले मामले को फिर से उठाया, उसके ठिकाने और कार्रवाई की जानकारी मांगी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1988 के SP के जज को पुलिस स्टेशन घसीटने की धमकी' वाले मामले को फिर से उठाया, उसके ठिकाने और कार्रवाई की जानकारी मांगी

एक असामान्य आदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक 37 साल पुराने मामले को फिर से उठाया, जिसमें एक पूर्व सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस (SP) पर आरोप है कि उसने केस की सुनवाई के दौरान एक मौजूदा सेशंस जज को पुलिस स्टेशन घसीटने की धमकी दी थी।दशकों पुराने फैसले में पीठासीन अधिकारी द्वारा दर्ज की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों को गंभीरता से लेते हुए जस्टिस जे.जे. मुनीर और जस्टिस संजीव कुमार की बेंच ने उत्तर प्रदेश के डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (DGP) को एक पर्सनल एफिडेविट दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें अधिकारी...

बढ़ते करप्ट तरीकों को रोकने के लिए रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी को भी कोई छूट नहीं मिलनी चाहिए: इलाहाबाद हाईकोर्ट
बढ़ते करप्ट तरीकों को रोकने के लिए रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी को भी कोई छूट नहीं मिलनी चाहिए: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि सरकारी डिपार्टमेंट में कुछ खास वजहों से सुविधा या फेवर करने के लिए तेज़ी से बढ़ रहे करप्ट तरीकों को रोकने के लिए रिटायर्ड व्यक्ति को भी कोई छूट नहीं मिलनी चाहिए।यह बात जस्टिस मंजू रानी चौहान की बेंच ने एक रिटायर्ड टेक्निकल जूनियर इंजीनियर की रिट पिटीशन खारिज करते हुए कही। इस पिटीशन में एक मौजूदा MLA के रिश्तेदार की शिकायत के आधार पर उनके रिटायरमेंट के बाद उनके खिलाफ शुरू की गई जांच को चुनौती दी गई।आसान शब्दों में कहें तो याचिकाकर्ता (विपिन चंद्र वर्मा) जो...

संविधान के साथ धोखाधड़ी, ईसाई धर्म में कोई जाति व्यवस्था नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्म बदलने वालों के SC स्टेटस बनाए रखने की पूरे राज्य में जांच के निर्देश दिए
'संविधान के साथ धोखाधड़ी, ईसाई धर्म में कोई जाति व्यवस्था नहीं': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्म बदलने वालों के SC स्टेटस बनाए रखने की पूरे राज्य में जांच के निर्देश दिए

एक अहम आदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश की पूरी एडमिनिस्ट्रेटिव मशीनरी को यह पक्का करने का निर्देश दिया कि राज्य में जो लोग ईसाई बन गए, वे अनुसूचित जातियों (SC) के लिए बने फ़ायदे लेना जारी न रखें।यह देखते हुए कि धर्म बदलने के बाद SC स्टेटस बनाए रखना "संविधान के साथ धोखाधड़ी" है, कोर्ट ने राज्य के सभी डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के लिए ऐसी घटनाओं की पहचान करने और उन्हें रोकने के लिए कानून के अनुसार काम करने के लिए चार महीने की सख्त डेडलाइन तय की।यह निर्देश जस्टिस प्रवीण कुमार गिरी की बेंच ने...

याचिकाओं को सूचीबद्ध करने से पहले कमियों को ठीक करना निश्चित करें: फाइलिंग में बार-बार चूक के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल को दिया निर्देश
याचिकाओं को सूचीबद्ध करने से पहले कमियों को ठीक करना निश्चित करें: फाइलिंग में बार-बार चूक के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल को दिया निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया कि वे बार-बार आने वाले उन मामलों पर गौर करें जिनमें रिट याचिकाएं फाइल करते समय संबंधित सेक्शन द्वारा याचिकाओं में कमियों को नहीं बताया गया था।जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की बेंच ने संबंधित अधिकारी को यह भी निर्देश दिया कि कोर्ट में कोई भी याचिका पेश करने से पहले रजिस्ट्रार जनरल खुद या रजिस्ट्री के किसी अन्य सीनियर अधिकारी को यह वेरिफाई करने के लिए नियुक्त करेंगे कि कमियों को ठीक किया गया है या नहीं।यह मुद्दा पहली बार 3 नवंबर, 2025 को...

बार में आपराधिक पृष्ठभूमि कानून के राज के लिए खतरा: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य में वकीलों के खिलाफ पेंडिंग केस की डिटेल मांगी
बार में आपराधिक पृष्ठभूमि कानून के राज के लिए खतरा: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य में वकीलों के खिलाफ पेंडिंग केस की डिटेल मांगी

संविधान के आर्टिकल 227 के तहत हाई कोर्ट के अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते उत्तर प्रदेश के पुलिस डायरेक्टर जनरल और पुलिस डायरेक्टर जनरल (प्रॉसिक्यूशन) को बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश में रजिस्टर्ड वकीलों के खिलाफ पेंडिंग क्रिमिनल केस पर पूरे राज्य का डेटा जमा करने का निर्देश दिया।जस्टिस विनोद दिवाकर की बेंच ने यह देखते हुए डिटेल मांगी कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले कुछ वकीलों के व्यवहार से डिस्ट्रिक्ट ज्यूडिशियरी के कामकाज पर "बुरा असर" पड़ा है।कोर्ट ने चिंता जताते...

1,200 मासिक मानदेय भ्रमात्मक: पुलिस थानों में कार्यरत अंशकालिक सफाइकर्मी भी न्यूनतम मजदूरी के हकदार : इलाहाबाद हाईकोर्ट
1,200 मासिक मानदेय भ्रमात्मक: पुलिस थानों में कार्यरत अंशकालिक सफाइकर्मी भी न्यूनतम मजदूरी के हकदार : इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में स्पष्ट किया कि पुलिस थानों में काम करने वाले अंशकालिक सफाईकर्मियों को भी न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 के तहत तय वेतन पाने का अधिकार है भले ही उनकी नियुक्ति अस्थायी या पार्ट-टाइम आधार पर ही क्यों न हो। अदालत ने कहा कि वर्ष 2019 के सरकारी आदेश से तय किया गया 1,200 प्रतिमाह का मानदेय भ्रमात्मक है और यह वैधानिक अधिकारों को खत्म नहीं कर सकता।जस्टिस जे.जे. मुनिर की पीठ ने ललितपुर जिले के मदनपुर और बर्रार नरहट पुलिस थानों में कार्यरत दो सफाईकर्मियों की याचिका...

आर्म्स रूल्स 2016 के तहत रूल 32 के उल्लंघन को साबित किए बिना गन लाइसेंस कैंसिल नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट
आर्म्स रूल्स 2016 के तहत रूल 32 के उल्लंघन को साबित किए बिना गन लाइसेंस कैंसिल नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि आर्म्स रूल्स 2016 के रूल 32 के अनुसार फायरआर्म लाइसेंस कैंसिल करने से पहले यह ज़रूरी है कि फैसला करने वाला अथॉरिटी यह तय करे कि संबंधित नियमों का उल्लंघन हुआ है या नहीं।जस्टिस कुणाल रवि सिंह ने कहा,"रूल 32 को पढ़ने से यह साफ है कि रूल 32 के तहत लाइसेंस कैंसिल करने से पहले अथॉरिटी को यह राय बनानी होगी कि क्या कोई लाइसेंसी फायरआर्म सही प्रोटेक्टिव गियर में नहीं ले जाया गया या उसे लहराया गया, चलाया गया या किसी पब्लिक जगह या फायरआर्म फ्री ज़ोन में खाली फायरिंग की गई। ऐसे...

पुलिस ड्रेड स्कॉट केस के दिनों से अभी ज़्यादा आगे नहीं आई: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महिला का कब्ज़ा लेने की आलोचना की
पुलिस 'ड्रेड स्कॉट' केस के दिनों से अभी ज़्यादा आगे नहीं आई: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महिला का 'कब्ज़ा' लेने की आलोचना की

पुलिस की मनमानी की कड़ी आलोचना करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में उत्तर प्रदेश पुलिस अधिकारियों को महिला की हिरासत को 'कब्ज़ा' में लेने के तौर पर रिकॉर्ड करने के लिए कड़ी फटकार लगाई ताकि हाईकोर्ट के आदेश को नज़रअंदाज़ किया जा सके।कोर्ट ने इस बात पर कड़ी आपत्ति जताई कि यूपी पुलिस ने एक महिला से जुड़ा फर्द या पज़ेशन का मेमो तैयार किया, जिसमें दावा किया गया कि उसे 'कब्ज़ा' में लिया जा रहा था ताकि यह दिखाया जा सके कि उसे 'अरेस्ट' नहीं किया जा रहा है।एक कड़े आदेश में जस्टिस जेजे मुनीर और जस्टिस...

आंतरिक सर्कुलर का हवाला देकर बैंक FDR पर तय ब्याज दर बाद में नहीं घटा सकते: इलाहाबाद हाईकोर्ट
आंतरिक सर्कुलर का हवाला देकर बैंक FDR पर तय ब्याज दर बाद में नहीं घटा सकते: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि कोई भी बैंक, फिक्स्ड डिपॉज़िट रसीद (FDR) जारी होने के बाद उसके ब्याज दर को एकतरफा तरीके से कम नहीं कर सकता। जस्टिस अजीत कुमार और जस्टिस स्वरूपमा चतुर्वेदी की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि जिस दर पर एफडीआर जारी की जाती है, वह बैंक और निवेशक के बीच एक बंधनकारी अनुबंध होता है। बैंक किसी आंतरिक सर्कुलर या स्टाफ बेनिफिट से जुड़ी गाइडलाइन का हवाला देकर निवेशक को नुकसान पहुंचाने वाले तरीके से ब्याज दर में बाद में बदलाव नहीं कर सकता।कोर्ट ने कहा, "अनुबंध के क्षेत्र में...

वीज़ा फर्जीवाड़ा केस: भारत-चीन तनाव और प्रत्यर्पण संधि न होने के चलते इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चीनी नागरिक की जमानत खारिज की
वीज़ा फर्जीवाड़ा केस: भारत-चीन तनाव और प्रत्यर्पण संधि न होने के चलते इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चीनी नागरिक की जमानत खारिज की

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक चीनी नागरिक श्युए फ़ेई उर्फ़ कोई की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि आरोपी को रिहा करना भारत-चीन संबंधों और देश की आर्थिक सुरक्षा को देखते हुए “गंभीर जोखिम” होगा। आरोपी वीज़ा फर्जीवाड़ा, फर्जी दस्तावेज़ बनाने, अवैध निवास और आर्थिक अपराधों में शामिल होने के आरोपों का सामना कर रहा है।जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने कहा कि अदालत सबूत अधिनियम की धारा 57(11) के तहत भारत और चीन के शत्रुतापूर्ण संबंधों को अनदेखा नहीं कर सकती। अदालत ने यह भी रेखांकित किया...

टेंडर विवादों में आहत अहंकार और कारोबारी प्रतिद्वंद्विता पर आधारित याचिकाएं अदालतों पर बोझ: इलाहाबाद हाईकोर्ट
टेंडर विवादों में आहत अहंकार और कारोबारी प्रतिद्वंद्विता पर आधारित याचिकाएं अदालतों पर बोझ: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि टेंडर प्रक्रिया में असफल रहे पक्षों की काल्पनिक शिकायतें, आहत अहंकार और कारोबारी प्रतिद्वंद्विता के कारण दायर याचिकाएं न्यायिक हस्तक्षेप का आधार नहीं बन सकतीं।जस्टिस शेखर बी. सराफ और जस्टिस मंजिवे शुक्ला की खंडपीठ ने कहा कि संविदात्मक मामलों में न्यायिक समीक्षा का दायरा सीमित है और केवल गंभीर एवं स्पष्ट अवैधानिकता ही हस्तक्षेप का कारण हो सकती है।मामले में हाईकोर्ट के जजों के लिए प्रयागराज और लखनऊ में आवास निर्माण हेतु 143 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाला...

अगर सच है तो समाज को चौंकाने वाली गवाही: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1971 के युद्ध में शहीद हुए सैनिक की विधवा को ज़मीन अलॉट करने में 51 साल की देरी पर चिंता जताई
अगर सच है तो समाज को चौंकाने वाली गवाही: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1971 के युद्ध में शहीद हुए सैनिक की विधवा को ज़मीन अलॉट करने में 51 साल की देरी पर चिंता जताई

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को 1971 के युद्ध में शहीद हुए सैनिक की विधवा की हालत पर गहरी चिंता जताई। विधवा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि उसे 5 बीघा ज़मीन मिलनी चाहिए थी लेकिन उसे सिर्फ़ 2.5 बीघा ज़मीन दी गई और वह 1974 से अपने हक के लिए संघर्ष कर रही है।जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता की बेंच ने टिप्पणी की कि अगर उसकी याचिका में किए गए दावे सही हैं, तो यह स्थिति पूरे समाज की हालत की एक चौंकाने वाली गवाही है।बेंच ने यह कहा,"यह एक ऐसा मामला है, जहां 1971 के युद्ध में शहीद...

BNSS | नॉन-कॉग्निजेबल अपराध में पुलिस रिपोर्ट को शिकायत माना जाता है, ऐसे मामलों में समन से पहले आरोपी की बात सुनी जानी चाहिए: इलाहाबाद हाईकोर्ट
BNSS | नॉन-कॉग्निजेबल अपराध में पुलिस रिपोर्ट को 'शिकायत' माना जाता है, ऐसे मामलों में समन से पहले आरोपी की बात सुनी जानी चाहिए: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि नॉन-कॉग्निजेबल अपराध के लिए फाइल की गई पुलिस रिपोर्ट (चार्जशीट) को मजिस्ट्रेट द्वारा 'शिकायत' माना जाना चाहिए, न कि पुलिस केस/स्टेट केस के तौर पर। यह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS) के सेक्शन 2(1)(h) के एक्सप्लेनेशन के अनुसार है।कोर्ट ने आगे कहा कि ऐसे मामलों में ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट आरोपी को सुनवाई का मौका दिए बिना समन जारी नहीं कर सकता, जैसा कि BNSS की धारा 223(1) के पहले प्रोविज़ो के तहत ज़रूरी है।जस्टिस प्रवीण कुमार गिरी की बेंच ने शाहजहांपुर...

पितृत्व विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का सख़्त रुख: DNA Test सामान्य प्रक्रिया नहीं, पति की याचिका खारिज
पितृत्व विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का सख़्त रुख: DNA Test सामान्य प्रक्रिया नहीं, पति की याचिका खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा कि पितृत्व निर्धारण के लिए DNA Test का आदेश केवल इसलिए नहीं दिया जा सकता कि किसी पक्ष ने बच्चे के जन्म को लेकर संदेह जताया। अदालत ने स्पष्ट किया कि ऐसा आदेश तभी दिया जा सकता है जब यह साबित हो जाए कि संबंधित अवधि में पति–पत्नी के बीच सहवास का कोई अवसर ही नहीं था।जस्टिस चवन प्रकाश की सिंगल बेंच ने यह अवलोकन घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत दर्ज मामले में पति द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका पर किया, जिसमें उसने अपनी पत्नी से जन्मे बच्चे को अवैध...

SC/ST Act केस को S14-A के तहत अपील में सीधे कंपाउंड किया जा सकता है; CrPC की धारा 482 का सहारा लेने की ज़रूरत नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
SC/ST Act केस को S14-A के तहत अपील में सीधे कंपाउंड किया जा सकता है; CrPC की धारा 482 का सहारा लेने की ज़रूरत नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा है कि शेड्यूल्ड कास्ट्स एंड द शेड्यूल्ड ट्राइब्स (प्रिवेंशन ऑफ़ एट्रोसिटीज़) एक्ट, 1989 (SC/ST Act) के तहत क्रिमिनल प्रोसीडिंग्स को, 1989 एक्ट की धारा 14-A(1) के तहत फाइल की गई क्रिमिनल अपील में समझौते के आधार पर सीधे कंपाउंड और रद्द किया जा सकता है।जस्टिस शेखर कुमार यादव की बेंच ने कहा कि जब अपील का कानूनी उपाय मौजूद है तो समझौता करने के लिए CrPC की धारा 482 के तहत हाईकोर्ट की अंदरूनी शक्तियों का अलग से सहारा लेने की कोई ज़रूरत नहीं है।ऐसा कहने के लिए जस्टिस...