इलाहाबाद हाईकोट

इलाहाबाद हाईकोर्ट रेरा द्वारा जारी वसूली प्रमाण पत्रों को निष्पादित नहीं करने पर स्वत: संज्ञान याचिका शुरू करने पर विचार कर रहा है
इलाहाबाद हाईकोर्ट रेरा द्वारा जारी वसूली प्रमाण पत्रों को निष्पादित नहीं करने पर स्वत: संज्ञान याचिका शुरू करने पर विचार कर रहा है

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (RERA) द्वारा जारी रिकवरी सर्टिफिकेट पर अमल न करने के लिए लखनऊ के जिलाधिकारी का व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है।कोर्ट ने कहा कि कई मामले दायर किए गए हैं और हाईकोर्ट द्वारा आदेश पारित किए गए हैं; हालांकि, रेरा द्वारा जारी निष्पादन प्रमाणपत्रों से निपटने के लिए कोई तंत्र नहीं रखा गया है। जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने कहा कि चूंकि रेरा द्वारा जारी वसूली प्रमाणपत्रों को निष्पादित न करने का मामला बड़े जनहित से संबंधित है, इसलिए...

कार्य प्रभार के रूप में सेवा को बाद में नियमित कर पेंशन के लिए अर्हक सेवा के रूप में माना जा सकता है, पेंशन की गणना के लिए नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
कार्य प्रभार के रूप में सेवा को बाद में नियमित कर पेंशन के लिए अर्हक सेवा के रूप में माना जा सकता है, पेंशन की गणना के लिए नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि किसी कर्मचारी द्वारा दैनिक वेतन भोगी के रूप में प्रदान की गई सेवाओं को पेंशन/पेंशन राशि की गणना के लिए अर्हक सेवा के रूप में नहीं लिया जा सकता है। यह माना गया कि जब कर्मचारी कार्य प्रभार के रूप में सेवाएं दे रहा था और बाद में उसे नियमित कर दिया गया तो कार्य प्रभार के रूप में दी गई अवधि को पेंशन के लिए अर्हक सेवाओं में गिना जाना चाहिए।ज‌स्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता की पीठ ने आगे स्पष्ट किया कि “याचिकाकर्ता की दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के रूप में...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अयोध्या में अतिक्रमण के खिलाफ रक्षा भूमि की सुरक्षा के लिए स्वत: संज्ञान जनहित याचिका शुरू की
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अयोध्या में अतिक्रमण के खिलाफ रक्षा भूमि की सुरक्षा के लिए स्वत: संज्ञान जनहित याचिका शुरू की

यूपी में अपने सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के लिए प्रतिष्ठित शहर अयोध्या में रक्षा भूमि पर कथित अतिक्रमण और अनधिकृत कब्जे के मुद्दे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया।अदालत इस मुद्दे की ओर तब आकर्षित हुई, जब अयोध्या में सिविल कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकील ने रक्षा भूमि पर अतिक्रमण और इसे हटाने में सिविल/जिला अधिकारियों की विफलता का आरोप लगाते हुए एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की।हालांकि, याचिकाकर्ता, जिसका कथित तौर पर 4 मामलों का आपराधिक इतिहास है, उसके आदेश पर मामले में आगे बढ़ना...

एमएसएमईडी अधिनियम, 2006 की धारा 19 के तहत न्यायालय को किश्तों में पूर्व जमा की अनुमति देने का अधिकार: इलाहाबाद हाईकोर्ट
एमएसएमईडी अधिनियम, 2006 की धारा 19 के तहत न्यायालय को किश्तों में पूर्व जमा की अनुमति देने का अधिकार: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक खंडपीठ, जिसमें चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस जसप्रीत सिंह शामिल थे, ने कहा कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम, 2006 की धारा 19 में अभिव्‍यक्ति "ऐसी अदालत द्वारा निर्देशित तरीके से" अदालत को विवेक देती है कि यदि आवश्यक लगे तो पूर्व-जमा को किस्तों में दिए जाने की अनुमति दी जा सकती है। एमएसएमई अधिनियम की धारा 19:"डिक्री, अवॉर्ड या आदेश को रद्द करने के लिए आवेदन-परिषद द्वारा या वैकल्पिक विवाद समाधान सेवाएं प्रदान करने वाले किसी संस्थान या केंद्र द्वारा किए गए...

जहां पति-पत्नी का विवाद फैमिली कोर्ट में लंबित हो, वहां मुलाक़ात के अधिकार के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका आम तौर पर सुनवाई योग्य नहीं होगी: इलाहाबाद हाईकोर्ट
जहां पति-पत्नी का विवाद फैमिली कोर्ट में लंबित हो, वहां मुलाक़ात के अधिकार के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका आम तौर पर सुनवाई योग्य नहीं होगी: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में माना कि बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट आम ​​तौर पर मुलाक़ात का अधिकार देने के लिए जारी नहीं की जाएगी, खासकर जब पार्टियों के बीच की कार्यवाही फैमिली कोर्ट के समक्ष लंबित हो। जस्टिस डॉ योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव की पीठ ने कहा, "बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट, जैसा कि लगातार माना जाता रहा है, हालांकि अधिकार की रिट है, निश्चित रूप से जारी नहीं की जानी चाहिए, खासकर जब बच्चे की कस्टडी के लिए माता-पिता के खिलाफ रिट मांगी जाती है।"पीठ ने उक्त टिप्पणियों के साथ बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को...

औद्योगिक विवाद अधिनियम | श्रम न्यायालय के पास जांच अधिकारी के डिस्चार्ज या ‌डिसमिसल ऑर्डर के निष्कर्ष की सत्यता की जांच करने की पर्याप्त शक्ति: इलाहाबाद हाईकोर्ट
औद्योगिक विवाद अधिनियम | श्रम न्यायालय के पास जांच अधिकारी के डिस्चार्ज या ‌डिसमिसल ऑर्डर के निष्कर्ष की सत्यता की जांच करने की पर्याप्त शक्ति: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि श्रम न्यायालय को औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 की धारा 11-ए के तहत जांच अधिकारी की ओर से पारित डिस्चार्ज या डिसमिसल ऑर्डर में दिए गए निष्कर्ष की सत्यता की जांच करने के लिए पर्याप्त शक्ति दी गई है। जस्टिस दिनेश पाठक की सिंगल बेंच ने कहा कि औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 11 श्रमिक के ‌डिस्चार्ज या डिसमिसल के मामले में उचित राहत देने के लिए श्रम न्यायालयों/न्यायाधिकरण/राष्ट्रीय न्यायाधिकरण की शक्ति को दर्शाती है।यह माना गया कि श्रमिक को राहत देने के मामले की जांच...

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम अपने आप में पूर्ण संहिता, परिसीमन अधिनियम उस पर लागू नहीं होता: इलाहाबाद हाईकोर्ट
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम अपने आप में पूर्ण संहिता, परिसीमन अधिनियम उस पर लागू नहीं होता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 86(1) के तहत दायर चुनाव याचिका, जिसे अधिनियम की धारा 81 के तहत निर्धारित सीमा अवधि के बाहर दायर किया गया है, सुनवाई योग्य नहीं है। जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह ने कहा कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 एक पूर्ण और स्व-निहित संहिता है, जो परिसीमन अधिनियम को अनुपयुक्त बना देता है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 81 निर्वाचित उम्मीदवार के चुनाव की तारीख से 45 दिनों की अवधि प्रदान करती है और यदि चुनाव की तारीखें अलग-अलग हैं तो...

अखिलेश यादव और जयंत चौधरी के खिलाफ COVID-19 नियमों के उल्लंघन मामले पर जून 2024 तक फैसला लेंगे: यूपी सरकार
अखिलेश यादव और जयंत चौधरी के खिलाफ COVID-19 नियमों के उल्लंघन मामले पर जून 2024 तक फैसला लेंगे: यूपी सरकार

उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को सूचित किया कि वह तय करेगी कि यूपी के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव, राष्ट्रीय लोकदल प्रमुख जयंत चौधरी और छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही (COVID-19 उल्लंघन मामले में) जारी रखी जाए या नहीं। जून 2024 के अंत तक चुनाव आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) हट जाएंगे।प्रमुख नेताओं के खिलाफ मामला 2022 में COVID​​-19 प्रोटोकॉल के कथित उल्लंघन से जुड़ा है, जिसमें गौतम बुद्ध नगर में COVID​​-19 ​​नियमों का...

सहकारी समिति के कर्मचारी/अधिकारी लोक सेवक नहीं, IPC की धारा 409 के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट
सहकारी समिति के कर्मचारी/अधिकारी लोक सेवक नहीं, IPC की धारा 409 के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि सहकारी समिति के कर्मचारी और अधिकारी भारतीय दंड संहिता की धारा 21 के अनुसार लोक सेवक नहीं हैं और इसलिए आईपीसी की धारा 409 (लोक सेवक, बैंकर, व्यापारी या एजेंट द्वारा आपराधिक विश्वासघात) के तहत उन पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है।जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की पीठ ने बृजपाल सिंह द्वारा दायर एक याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें एडिसनल चीफ़ जूडिशियल मजिस्ट्रेट, एटा की अदालत द्वारा पारित आपराधिक कार्यवाही, आरोप पत्र, और संज्ञान आदेश को रद्द करने...

सुनवाई से पहले हिरासत में लेने से व्यक्ति के चरित्र पर गंभीर कलंक लग सकता है: कर्नाटक हाईकोर्ट ने POCSO मामले में राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी को गिरफ्तारी से पहले जमानत दी
सुनवाई से पहले हिरासत में लेने से व्यक्ति के चरित्र पर गंभीर कलंक लग सकता है: कर्नाटक हाईकोर्ट ने POCSO मामले में राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी को गिरफ्तारी से पहले जमानत दी

कर्नाटक हाईकोर्ट ने पोक्सो एक्ट के तहत अपराध के आरोपी राष्ट्रीय स्तर के एक हॉकी खिलाड़ी को अग्रिम जमानत दे दी। उस पर शादी का झूठा झांसा देकर बलात्कार करने के आरोप में पोक्सो कानून के तहत मामला दर्ज किया गया था। जस्टिस राजेंद्र बदामीकर की सिंगल जज बेंच ने आरोपी द्वारा दायर आवेदन को स्वीकार कर लिया और कहा, “स्वतंत्रता का अधिकार मौलिक अधिकार है और केवल आरोपों के आधार पर, मौलिक अधिकार को कम नहीं किया जा सकता है और मामले की विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता है और यदि याचिकाकर्ता को परीक्षण के दरमियान दोषी...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मां के साथ रह रही नाबालिग लड़की को बाल गृह भेजने के लिए CWC पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मां के साथ रह रही नाबालिग लड़की को बाल गृह भेजने के लिए 'CWC' पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में सोमवार को अपनी मां के साथ रह रही 15 वर्षीय लड़की को बाल गृह में भेजने के 'चौंकाने वाले' फैसले के लिए नारी निकेतन/बाल कल्याण समिति, कानपुर नगर पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। अदालत ने निर्देश दिया कि यह राशि लड़की के पिता को सौंपी जाए और नाबालिग लड़की के पालन-पोषण के लिए इस्तेमाल की जाए।जस्टिस अरविंद सिंह सांगवान और जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्र की पीठ ने समिति के कार्यों को 'चौंकाने वाला' और 'आश्चर्यजनक' मानते हुए निर्देश दिया कि यदि समिति जुर्माने...

नैतिक अधमता का दोषी व्यक्ति किसी भी विभाग का प्रमुख बनने के लिए उपयुक्त नहीं, शिक्षण संस्थान का तो बिल्कुल भी नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
नैतिक अधमता का दोषी व्यक्ति किसी भी विभाग का प्रमुख बनने के लिए उपयुक्त नहीं, शिक्षण संस्थान का तो बिल्कुल भी नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि नैतिक अधमता से जुड़े आपराधिक मामले में दोषी ठहराए गए उम्मीदवार को किसी भी विभाग, किसी शैक्षणिक संस्थान का नेतृत्व करने के लिए उपयुक्त नहीं कहा जा सकता है। जस्टिस अजीत कुमार ने कहा,“…एक उम्मीदवार जो नैतिक अधमता से जुड़े आपराधिक मामले में दोषी ठहराया गया है, उसे किसी भी संस्थान या विभाग के प्रमुख का पद संभालने के लिए उपयुक्त उम्मीदवार नहीं माना जा सकता है, किसी शैक्षणिक संस्थान की तो बात ही छोड़िए क्योंकि उसे न केवल प्रशासन चलाना है बल्‍कि उसे उच्च...

औद्योगिक विवाद अधिनियम| लेबर कोर्ट धारा 33सी(2) के तहत नियोक्ता से धन की वसूली के लिए कार्यवाही में ब्याज नहीं दे सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट
औद्योगिक विवाद अधिनियम| लेबर कोर्ट धारा 33सी(2) के तहत नियोक्ता से धन की वसूली के लिए कार्यवाही में ब्याज नहीं दे सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 की धारा 33सी(2) के तहत कार्यवाही करते समय, श्रम न्यायालय के पास नियोक्ता द्वारा देय राशि के विलंबित भुगतान पर कर्मचारी को ब्याज देने की शक्ति नहीं है। न्यायालय ने माना कि धारा 33सी(2) के तहत कार्यवाही निष्पादन कार्यवाही है। धारा 33सी (1) में प्रावधान है कि जहां किसी कर्मचारी का उसके नियोक्ता के पास कोई पैसा बकाया है तो कर्मचारी को अपने बकाया पैसे की रिकवरी के लिए उपयुक्त सरकार को आवेदन करना होगा। यदि सरकार संतुष्ट है कि पैसा बकाया है, तो...

निंदनीय और गैर-जिम्मेदाराना आरोप: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने न्यायिक पूर्वाग्रह का आरोप लगाने वाली याचिका खारिज की, 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया
'निंदनीय और गैर-जिम्मेदाराना आरोप': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने न्यायिक पूर्वाग्रह का आरोप लगाने वाली याचिका खारिज की, 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने न्यायिक प्रणाली के खिलाफ गैर-जिम्मेदाराना आरोप लगाने के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए हाल ही में एक वादी पर 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया। वादी ने पीठासीन न्यायाधीश के खिलाफ पक्षपात का आरोप लगाते हुए अपने मामले को स्थानांतरित करने की मांग की थी। जस्टिस जेजे मुनीर की पीठ ने आरोपों को 'निंदनीय और सबसे गैर-जिम्मेदाराना' करार देते हुए कहा, "नतीजे के ज़रा भी डर के बिना अदालतों पर आरोप लगाने की इस तरह की प्रवृत्ति... को न्याय प्रशासन के व्यापक हित में इसे सख्ती से खत्म किया जाना...

सेवानिवृत्त कर्मचारी को वेतन वृद्धि नहीं देने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ नगर आयुक्त पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया, कहा-नगर आयुक्त बच्चे नहीं, जो निदेशक की गोद में बैठे हों:
सेवानिवृत्त कर्मचारी को वेतन वृद्धि नहीं देने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ नगर आयुक्त पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया, कहा-'नगर आयुक्त बच्चे नहीं, जो निदेशक की गोद में बैठे हों':

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में नगर आयुक्त, नगर निगम, मेरठ पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया। रुपये का जुर्माना लगाया है। उन पर आरोप था कि उन्होंने वेतन वृद्धि के एक दिन पहले सेवानिवृत्त हुए एक सरकारी कर्मचारी को वेतन वृद्धि से वंचित किया था। न्यायालय ने माना कि सरकारी आदेश के आधार पर नगर आयुक्त की कार्रवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट के विभिन्न निर्णयों और निदेशक (प्रशासन मानव संसाधन) केपीटीसीएल और अन्य बनाम सीपी मुंडिनामणि और अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ थी।जस्टिस जेजे मुनीर ने नगर...

संयुक्त रूप से दायर किए गए लिखित बयान को एक प्रतिवादी के कहने पर, जबतक कि अन्य की सहमति न हो, संशोधित नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट
संयुक्त रूप से दायर किए गए लिखित बयान को एक प्रतिवादी के कहने पर, जबतक कि अन्य की सहमति न हो, संशोधित नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फैसले में माना कि कई प्रतिवादियों की ओर से संयुक्त रूप से दायर किए गए लिखित बयान को किसी एक प्रतिवादी के कहने पर संशोधित नहीं किया जा सकता है, जब तक कि संयुक्त रूप से लिखित बयान दाखिल करने वाले अन्य सभी प्रतिवादियों की स्पष्ट सहमति न हो।जस्टिस जयंत बनर्जी की पीठ ने कहा, "जहां प्रतिवादियों के एक समूह ने संयुक्त रूप से लिख‌ित बयान दायर किया हो वहां इसे एक या अधिक ऐसे प्रतिवादियों के कहने पर संशोधित नहीं किया जा सकता है, जब तक कि अन्य प्रतिवादी जो संयुक्त...

डिफॉल्टर SARFAESI एक्ट के तहत आयोजित नीलामी के खिलाफ लेनदार/नीलामी क्रेता के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं कर सकता, उसे डीआरटी के पास जाना होगा: इलाहाबाद हाईकोर्ट
डिफॉल्टर SARFAESI एक्ट के तहत आयोजित नीलामी के खिलाफ लेनदार/नीलामी क्रेता के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं कर सकता, उसे डीआरटी के पास जाना होगा: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेसर्स हिमरी एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड और इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड के अधिकारियों के खिलाफ शिप्रा ग्रुप ओर से शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट ने माना कि डिफॉल्टर SARFAECI एक्ट, 2002 के प्रावधानों के तहत आयोजित नीलामी के खिलाफ लेनदार/नीलामी खरीदार के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं कर सकता है। कोर्ट ने कहा ऐसे मामलों में संपत्ति की नीलामी, हस्तांतरण के संबंध में शिकायत SARFAESI अधिनियम के तहत ऋण वसूली न्यायाधिकरणों के समक्ष उठाई जानी चाहिए।...

[Stamp Act] धारा 47-ए (3) गिफ्ट डीड के मामले में लागू नहीं होगी क्योंकि बाजार मूल्य संपत्ति के मूल्य के समान नहीं है : इलाहाबाद हाईकोर्ट
[Stamp Act] धारा 47-ए (3) गिफ्ट डीड के मामले में लागू नहीं होगी क्योंकि "बाजार मूल्य" "संपत्ति के मूल्य" के समान नहीं है : इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना है कि जहां संपत्ति गिफ्ट डीड के माध्यम से स्थानांतरित की गई है वहां भारतीय स्टाम्प अधिनियम की धारा 47-ए (3) को लागू नहीं किया जा सकता क्योंकि धारा 47-ए उन उपकरणों पर लागू होती है जहां स्टाम्प शुल्क "बाजार मूल्य" पर निर्धारित किया गया है, न कि "संपत्ति के मूल्य" पर जैसा कि गिफ्ट डीड में होता है।भारतीय स्टाम्प अधिनियम की धारा 47-ए में प्रावधान है कि यदि किसी लिखित में बताई गई संपत्ति का बाजार मूल्य अधिनियम के तहत निर्धारित न्यूनतम मूल्य से कम है, तो पंजीकरण अधिकारी ...

जानबूझकर किया गया धार्मिक अपमान: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भगवान शिव पर अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोपी व्यक्ति को राहत देने से इनकार किया
'जानबूझकर किया गया धार्मिक अपमान': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भगवान शिव पर अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोपी व्यक्ति को राहत देने से इनकार किया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज सोशल मीडिया पर भगवान शिव के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोपी ओवैस खान के खिलाफ एक आपराधिक मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया और इसे "जानबूझकर किया गया धार्मिक अपमान" बताया। न्यायालय ने कहा कि धार्मिक भावनाएं नागरिकों के लिए अत्यधिक महत्व रखती हैं, और ऐसी भावनाओं को अपमानित करने या विघटित करने के उद्देश्य से किया गया कोई भी कार्य सहिष्णुता और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का "गंभीर अपमान" है।अदालत ने कहा कि आरोपी की हरकतें, जो धार्मिक भावनाओं के प्रति "घोर उपेक्षा"...

बॉम्बे हाईकोर्ट ने प्रेमिका के चचेरे भाई का सिर काटने के दोषी व्यक्ति की उम्रकैद की सजा निलंबित की, जमानत दी
बॉम्बे हाईकोर्ट ने प्रेमिका के चचेरे भाई का सिर काटने के दोषी व्यक्ति की उम्रकैद की सजा निलंबित की, जमानत दी

बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में अपनी प्रेमिका के चचेरे भाई की सिर काटकर हत्या करने के दोषी व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा निलंबित कर दी और जमानत दे दी। जस्टिस एएस गडकरी और जस्टिस श्याम सी चांडक की खंडपीठ ने प्रथम दृष्टया अभियोजन पक्ष के मामले को इस हद तक खारिज कर दिया कि पानी से भरे स्थान पर पाए जाने के बावजूद हत्या के हथियार में मानव खून था।19 जून, 2018 को पुणे के कोंढावा के एक निवासी को एक आदमी का बिना सिर वाला शव मिला, जिसके शरीर पर केवल अंडरवियर था। बाद में शव की पहचान उमेश इंगले के रूप में...