इलाहाबाद हाईकोट
अनुमान के आधार पर कॉपियों का पुनर्मूल्यांकन नहीं; अधिनियम में प्रावधान न होने पर राहत संभव नहीं
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी छात्र या छात्रा को यह लगता है कि पुनर्मूल्यांकन होने पर उसके अंक बढ़ सकते हैं, तो मात्र इस अनुमान के आधार पर उत्तर पुस्तिकाओं का पुनर्मूल्यांकन नहीं कराया जा सकता, क्योंकि उ.प्र. इंटरमीडिएट एजुकेशन एक्ट, 1921 में पुनर्मूल्यांकन का कोई वैधानिक प्रावधान मौजूद नहीं है। अदालत ने कहा कि जब तक नियम इसकी अनुमति न दें, ऐसी मांग को स्वीकार नहीं किया जा सकता।मामले में याचिकाकर्ता ने इंटरमीडिएट परीक्षा में प्राप्त अंकों से असंतुष्ट होकर हिंदी और जीवविज्ञान...
अत्यंत अफसोसजनक स्थिति: 9 साल पुराने मामले में एडवोकेट जनरल शामिल न करने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को लगाई कड़ी फटकार
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने राज्य सरकार की कानूनी कार्यप्रणाली और मुकदमों के प्रति उसके लापरवाह रवैये पर गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए इसे अत्यंत अफसोसजनक स्थिति करार दिया है। कोर्ट ने यह तीखी टिप्पणी 2016 के एक पुराने मामले की सुनवाई के दौरान की, जिसमें राज्य सरकार ने नौ वर्षों तक एडवोकेट जनरल को पेश होने का अनुरोध नहीं किया और अंततः जब नवंबर 2025 में उन्हें इस मामले में शामिल किया गया तो उन्हें केस से संबंधित जरूरी दस्तावेज और रिकॉर्ड तक उपलब्ध नहीं कराए गए।जस्टिस संगीता चंद्रा और जस्टिस...
बोर्ड ऑफ रेवेन्यू में कैविएट प्रक्रिया में खामी: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जारी किए व्यापक दिशानिर्देश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य में बोर्ड ऑफ रेवेन्यू में कैविएट पर नोटिस जारी करने के लिए व्यापक दिशानिर्देश जारी किए।उन मामलों में होने वाली दिक्कतों को देखते हुए जिनमें बाहर के वकील शामिल होते हैं, जस्टिस जे.जे. मुनीर ने कहा:“हमारा मानना है कि कई संभावित दिक्कतों से बचने के लिए मामले में पेश होने वाले बाहर के वकील को बोर्ड द्वारा अपने एक ऐसे सहयोगी को रखने के लिए कहा जा सकता है, जो उस स्टेशन पर रहता हो जहां बोर्ड की बेंच स्थित है, यानी उस बेंच पर जहां कैविएट दायर की गई। वैकल्पिक रूप...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अवैध तोड़फोड़ और रेवेन्यू रिकॉर्ड में एकतरफ़ा बदलाव के लिए राज्य पर ₹20 लाख का जुर्माना लगाया
छुट्टियों के दौरान एक आदेश पारित करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की संपत्ति पर अवैध रूप से ढांचा गिराने और याचिकाकर्ता की संपत्ति के संबंध में रेवेन्यू रिकॉर्ड में एकतरफ़ा आदेश पारित करके बदलाव करने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य पर 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।जुर्माना लगाते हुए जस्टिस आलोक माथुर ने टिप्पणी की:“सिर्फ़ विवादित आदेश रद्द करना याचिकाकर्ता को पूरा न्याय देने के लिए काफ़ी नहीं होगा, जिसकी संपत्ति को राज्य अधिकारियों ने अवैध रूप से गिरा दिया है। उपरोक्त कार्रवाई के लिए, राज्य...
CPC की धारा 24 के तहत ट्रांसफर आदेश के खिलाफ विशेष अपील सुनवाई योग्य नहीं, क्योंकि यह 'निर्णय' नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि CPC की धारा 24 के तहत ट्रांसफर आवेदन पर दिए गए आदेश के खिलाफ विशेष अपील इलाहाबाद हाईकोर्ट नियम, 1952 के अध्याय VIII नियम 5 के तहत सुनवाई योग्य नहीं है, क्योंकि ऐसा आदेश कोई निर्णय नहीं है।जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस प्रशांत कुमार की बेंच ने कहा,“CPC की धारा 24 के तहत पारित आदेश कोई निर्णय नहीं है। इसलिए इलाहाबाद हाईकोर्ट नियम, 1952 के अध्याय VIII नियम 5 के तहत इस आधार पर अपील सुनवाई योग्य नहीं है।”CPC की धारा 24 हाईकोर्ट या जिला कोर्ट को अपनी मर्जी से या किसी...
धारा 2(वा) दंड प्रक्रिया संहिता के तहत 'निकटतम विधिक उत्तराधिकारी' की कसौटी पर पत्नी को वरीयता, चाचा का दावा खारिज: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया कि दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 2(वा) के अंतर्गत पीड़ित अथवा विधिक उत्तराधिकारी की पहचान के लिए अपनाई जाने वाली 'निकटतम विधिक उत्तराधिकारी' की कसौटी पर पत्नी मृतक के चाचा से अधिक अधिकारयुक्त मानी जाएगी। न्यायालय ने कहा कि मृतक की पत्नी, पारिवारिक और विधिक संबंधों की दृष्टि से चाचा की तुलना में अधिक निकट उत्तराधिकारी है।जस्टिस राजेश सिंह चौहान और जस्टिस अभ्देश कुमार चौधरी की खंडपीठ ने यह टिप्पणी उस याचिका पर की, जिसमें मृतक के चाचा...
रजिस्टर्ड गोद लेने के दस्तावेज़ को तब तक असली माना जाएगा, जब तक स्वतंत्र कार्यवाही में इसे गलत साबित न कर दिया जाए: इलाहाबाद हाईकोर्ट
हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि एक रजिस्टर्ड गोद लेने के दस्तावेज़ को तब तक कानून के मुताबिक माना जाएगा, जब तक स्वतंत्र कार्यवाही में इसे खास तौर पर गलत साबित न कर दिया जाए।हिंदू गोद लेने और भरण-पोषण अधिनियम की धारा 16 में यह प्रावधान है कि जब किसी अदालत में रजिस्टर्ड गोद लेने का दस्तावेज़ पेश किया जाता है, जिसमें बच्चे को देने वाले पक्ष और बच्चे को गोद लेने वाले पक्ष के हस्ताक्षर होते हैं तो ऐसे दस्तावेज़ को तब तक कानून के मुताबिक माना जाएगा, जब तक इसके विपरीत साबित न हो जाए।जस्टिस इरशाद...
एडमिनिस्ट्रेटिव मशीनरी में कन्फ्यूजन की वजह से कोर्ट के ऑर्डर का पालन न होने पर स्टेट डिपार्टमेंट के सबसे बड़े ऑफिसर पर अवमानना की कार्रवाई होगी: इलाहाबाद हाईकोर्ट
हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि अगर एडमिनिस्ट्रेटिव मशीनरी में कन्फ्यूजन की वजह से रिट कोर्ट के ऑर्डर का पालन नहीं होता है तो सरकारी डिपार्टमेंट के सबसे बड़े ऑफिसर पर अवमानना की कार्रवाई होगी।यह मानते हुए कि उत्तर प्रदेश सरकार के चीफ सेक्रेटरी लैंड एक्विजिशन एक्ट 1984 और राइट टू फेयर कंपनसेशन एंड ट्रांसपेरेंसी इन लैंड एक्विजिशन, रिहैबिलिटेशन एंड रीसेटलमेंट एक्ट 2013 से जुड़े मामलों में अवमानना के लिए जिम्मेदार होंगे, जस्टिस सलिल कुमार राय ने कहा:“राज्य सरकार के अलग-अलग डिपार्टमेंट्स...
2018 से राज्य में मॉब लिंचिंग के सिर्फ़ 11 मामले रिपोर्ट हुए: हाईकोर्ट को UP DGP के उक्त दावे पर शक
इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ बेंच) ने हाल ही में डायरेक्टर जनरल ऑफ़ पुलिस (DGP) के हाईकोर्ट के सामने दिए गए डेटा पर गंभीर शक जताया, जिसमें दावा किया गया कि 2018 से राज्य में मॉब लिंचिंग से जुड़े सिर्फ़ 11 मामले रिपोर्ट हुए।यह देखते हुए कि यह आंकड़ा "पहली नज़र में गलत लगता है", जस्टिस अब्दुल मोइन और जस्टिस राजीव भारती की डिवीजन बेंच ने बताया कि हाईकोर्ट ने अकेले अक्टूबर में इसी तरह के दो अलग-अलग मामलों को देखा था।पिछले महीने दिए गए आदेश में बेंच ने यूपी सरकार को यह भी निर्देश दिया कि वह उत्तर प्रदेश...
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के नोटिस की तामील से संबंधित प्रावधान GST Act के तहत सेवा पर लागू नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
एक ऐतिहासिक फैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के सेवा के भेजने और प्राप्त करने से संबंधित प्रावधान गुड्स एंड सर्विस टैक्स एक्ट, 2017 (GST Act) की धारा 169 के तहत की गई सेवा पर लागू नहीं होते हैं।राज्य/केंद्रीय GST Act की धारा 169(1) के तहत प्रदान किए गए सेवा के छह तरीके हैं: (1) सीधे या मैसेंजर द्वारा देना, (2) स्पीड पोस्ट आदि द्वारा पावती के साथ भेजना, (3) ईमेल द्वारा संचार भेजना, (4) कॉमन पोर्टल पर उपलब्ध कराना, (5) एक अखबार में प्रकाशन द्वारा और (6)...
कब्जा सौंपे बिना लीज़ रेंट नहीं वसूल सकता NOIDA: हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बार फिर स्पष्ट किया कि न्यू ओखला इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (NOIDA) उस भूमि पर लीज़ रेंट वसूलने का अधिकार नहीं रखती, जिसका वास्तविक कब्जा अभी तक आवंटी को नहीं दिया गया। अदालत ने कहा कि बिना कब्जा सौंपे लीज़ रेंट की मांग करना कानूनन अस्थिर है। ऐसे मामलों में आवंटी को 'ज़ीरो पीरियड' का लाभ दिया जाना चाहिए।जस्टिस प्रकाश पडिया ने आलूर डेवलपर प्राइवेट लिमिटेड बनाम राज्य सरकार व अन्य मामले में यह टिप्पणी की। कोर्ट ने अपने पूर्व के फैसलों के साथ-साथ दिल्ली हाईकोर्ट के...
शादी का झूठा वादा करके महिलाओं का यौन शोषण एक बढ़ती हुई प्रवृत्ति, इसे शुरुआत में ही खत्म किया जाना चाहिए: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि शादी का झूठा वादा करके महिलाओं का यौन शोषण करने और बाद में शादी से इनकार करने की प्रवृत्ति समाज में बढ़ रही है, जिसे शुरुआत में ही खत्म किया जाना चाहिए।यह टिप्पणी जस्टिस नलिन कुमार श्रीवास्तव की बेंच ने की, जिन्होंने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की विभिन्न धाराओं, जिसमें धारा 69 (धोखे से यौन संबंध बनाना आदि) भी शामिल है, उसके तहत आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज की।संक्षेप में मामलाआरोपी प्रशांत पाल पर पीड़िता के साथ शादी का झूठा वादा करके शारीरिक संबंध...
FIR रजिस्ट्रेशन के लिए मजिस्ट्रेट का CrPC की धारा 156 (3) के तहत आदेश, संभावित आरोपी की अपील पर रिवीजन के लिए खुला नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि एक संभावित आरोपी के पास मजिस्ट्रेट द्वारा CrPC की धारा 156(3) के तहत पुलिस को FIR दर्ज करने और जांच करने का निर्देश देने वाले आदेश को रिवीजन याचिका के ज़रिए चुनौती देने का कोई अधिकार नहीं है।जस्टिस चवन प्रकाश की बेंच ने इस तरह आपराधिक रिवीजन याचिका यह देखते हुए खारिज कर दिया कि CrPC की धारा 156 (3) के तहत पारित आदेश एक इंटरलोक्यूटरी आदेश है और इसे CrPC की धारा 397(2) के तहत रिवीजन में चुनौती नहीं दी जा सकती है।इसमें कहा गया कि CrPC की धारा 156(3) के चरण में...
हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद यूपी पुलिस भेजेगी आपराधिक मामलों में सरकारी वकीलों को ईमेल से निर्देश, 'पैरोकार' सिस्टम होगा खत्म
उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) ने एक ज़रूरी सर्कुलर जारी किया, जिसमें सभी ज़िला पुलिस प्रमुखों को निर्देश दिया गया कि वे इलाहाबाद हाईकोर्ट में सरकारी वकीलों को ज़मानत और अन्य आपराधिक मामलों में निर्देश इलेक्ट्रॉनिक तरीके से भेजें।यह कदम 9 दिसंबर को हाईकोर्ट द्वारा जारी निर्देशों का सख्ती से पालन करते हुए उठाया गया।जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की बेंच ने यह निर्देश जारी किया, जिसमें कहा गया कि मौजूदा मैनुअल सिस्टम के तहत, आपराधिक मामलों में पुलिस स्टेशनों से निर्देश मिलने में काफी देरी...
Specific Performance | जब वादी दावा करता है कि सप्लीमेंट्री एग्रीमेंट ने टाइमलाइन बढ़ाई तो लिमिटेशन सुनवाई योग्य मुद्दा: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ बेंच) ने हाल ही में कहा कि किसी कॉन्ट्रैक्ट के स्पेसिफिक परफॉर्मेंस के लिए दायर मुकदमे को ऑर्डर VII रूल 11 सिविल प्रोसीजर कोड (CPC) के तहत समय-बाधित होने के आधार पर शुरुआती दौर में ही खारिज नहीं किया जा सकता, अगर वादी ने साफ तौर पर यह दलील दी कि बाद में किए गए सप्लीमेंट्री एग्रीमेंट ने परफॉर्मेंस के लिए मूल टाइमलाइन को बढ़ा दिया।जस्टिस जसप्रीत सिंह की बेंच ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में यह सवाल कि क्या मुकदमा लिमिटेशन से बाधित है, कानून और तथ्य का एक मिला-जुला सवाल है,...
लापता व्यक्तियों की तलाश में सरकार की उदासीनता पर इलाहाबाद हाईकोर्ट सख्त, गृह विभाग के प्रमुख सचिव से व्यक्तिगत हलफनामा तलब
लापता व्यक्तियों की तलाश में राज्य प्रशासन के लचर और उदासीन रवैये पर कड़ी नाराजगी जताते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव (गृह) को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।कोर्ट ने उनसे न केवल एक याचिकाकर्ता की शिकायत पर अब तक की गई कार्रवाई का ब्यौरा मांगा है बल्कि यह भी स्पष्ट करने को कहा कि 1 जनवरी, 2024 के बाद राज्य के पोर्टल पर कितनी गुमशुदगी की शिकायतें दर्ज हुईं और उनमें से कितने मामलों में लोगों को खोज निकाला गया।यह आदेश जस्टिस अब्दुल मोइन और जस्टिस बबीता रानी की...
इलाहाबाद हाईकोर्ट: केवल धारा 313 CrPC के बयान के आधार पर दोषसिद्धि अवैध, 24 साल बाद डकैती के आरोपी को बरी किया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में डकैती के एक मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे व्यक्ति की दोषसिद्धि को रद्द करते हुए अहम टिप्पणी की कि केवल धारा 313 CrPC के अंतर्गत दिए गए कथित स्वीकारोक्ति/बयान के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता, खासकर तब जब अभियोजन पक्ष कोई भी पुष्टिकरण या आपराधिक साक्ष्य प्रस्तुत करने में विफल रहा हो।यह फैसला जस्टिस जे.जे. मुनीर और जस्टिस संजीव कुमार की खंडपीठ ने दिया। अदालत ने मामले के “दुखद पहलू” पर जोर देते हुए कहा कि अपीलकर्ता आजाद खान लगभग 24 वर्षों तक जेल में बंद...
इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश: स्मृति ईरानी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाली शूटर वर्तिका सिंह के खिलाफ जालसाजी का केस रद्द
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने अंतरराष्ट्रीय शूटर और राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित वर्तिका सिंह के खिलाफ दर्ज जालसाजी और मानहानि से जुड़े आपराधिक मामलों को रद्द कर दिया।अदालत ने कहा कि इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं है कि वर्तिका सिंह ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) या तत्कालीन केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के कार्यालय के नाम से कथित पत्रों की जालसाजी की थी।जस्टिस राजीव सिंह की पीठ ने यह स्पष्ट किया कि पुलिस द्वारा लगाए गए आरोप महज अनुमान पर आधारित हैं और रिकॉर्ड पर ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है, जिससे...
एक ही गलती पर दो बार सजा नहीं दी जा सकती: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने CISF कांस्टेबल को राहत दी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में स्पष्ट किया कि किसी कर्मचारी को एक ही कदाचार के लिए एक से अधिक बार दंडित नहीं किया जा सकता। इसी सिद्धांत को दोहराते हुए कोर्ट ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के एक कांस्टेबल को राहत प्रदान की, जिसे पहले ही उसी कथित कदाचार के लिए लघु दंड दिया जा चुका था लेकिन बाद में उसी आधार पर उसे बड़ी सजा के समान दुष्परिणाम भुगतने पड़े।जस्टिस सुभाष विद्यार्थी ने कहा,“कोई भी व्यक्ति एक ही कदाचार के लिए एक से अधिक बार दंडित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने माना कि...
सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट्स, लखनऊ इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट के तहत 'इंडस्ट्री' नहीं: हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट्स, लखनऊ, इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट, 1947 की धारा 2(j) के तहत इंडस्ट्री नहीं है। बता दें, उक्त प्लांट्स काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च, नई दिल्ली का हिस्सा/संस्थान है।1947 के एक्ट के तहत 'इंडस्ट्री' की परिभाषा इस प्रकार है:"2(j) "इंडस्ट्री" का मतलब कोई भी बिजनेस, ट्रेड, काम, मैन्युफैक्चरर या मालिकों का पेशा है। इसमें कर्मचारियों का कोई भी पेशा, सर्विस, रोजगार, हस्तशिल्प, या इंडस्ट्री का काम या...




















