इलाहाबाद हाईकोट

रजिस्टर्ड गोद लेने के दस्तावेज़ को तब तक असली माना जाएगा, जब तक स्वतंत्र कार्यवाही में इसे गलत साबित न कर दिया जाए: इलाहाबाद हाईकोर्ट
रजिस्टर्ड गोद लेने के दस्तावेज़ को तब तक असली माना जाएगा, जब तक स्वतंत्र कार्यवाही में इसे गलत साबित न कर दिया जाए: इलाहाबाद हाईकोर्ट

हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि एक रजिस्टर्ड गोद लेने के दस्तावेज़ को तब तक कानून के मुताबिक माना जाएगा, जब तक स्वतंत्र कार्यवाही में इसे खास तौर पर गलत साबित न कर दिया जाए।हिंदू गोद लेने और भरण-पोषण अधिनियम की धारा 16 में यह प्रावधान है कि जब किसी अदालत में रजिस्टर्ड गोद लेने का दस्तावेज़ पेश किया जाता है, जिसमें बच्चे को देने वाले पक्ष और बच्चे को गोद लेने वाले पक्ष के हस्ताक्षर होते हैं तो ऐसे दस्तावेज़ को तब तक कानून के मुताबिक माना जाएगा, जब तक इसके विपरीत साबित न हो जाए।जस्टिस इरशाद...

एडमिनिस्ट्रेटिव मशीनरी में कन्फ्यूजन की वजह से कोर्ट के ऑर्डर का पालन न होने पर स्टेट डिपार्टमेंट के सबसे बड़े ऑफिसर पर अवमानना ​​की कार्रवाई होगी: इलाहाबाद हाईकोर्ट
एडमिनिस्ट्रेटिव मशीनरी में कन्फ्यूजन की वजह से कोर्ट के ऑर्डर का पालन न होने पर स्टेट डिपार्टमेंट के सबसे बड़े ऑफिसर पर अवमानना ​​की कार्रवाई होगी: इलाहाबाद हाईकोर्ट

हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि अगर एडमिनिस्ट्रेटिव मशीनरी में कन्फ्यूजन की वजह से रिट कोर्ट के ऑर्डर का पालन नहीं होता है तो सरकारी डिपार्टमेंट के सबसे बड़े ऑफिसर पर अवमानना ​​की कार्रवाई होगी।यह मानते हुए कि उत्तर प्रदेश सरकार के चीफ सेक्रेटरी लैंड एक्विजिशन एक्ट 1984 और राइट टू फेयर कंपनसेशन एंड ट्रांसपेरेंसी इन लैंड एक्विजिशन, रिहैबिलिटेशन एंड रीसेटलमेंट एक्ट 2013 से जुड़े मामलों में अवमानना ​​के लिए जिम्मेदार होंगे, जस्टिस सलिल कुमार राय ने कहा:“राज्य सरकार के अलग-अलग डिपार्टमेंट्स...

2018 से राज्य में मॉब लिंचिंग के सिर्फ़ 11 मामले रिपोर्ट हुए: हाईकोर्ट को UP DGP के उक्त दावे पर शक
2018 से राज्य में मॉब लिंचिंग के सिर्फ़ 11 मामले रिपोर्ट हुए: हाईकोर्ट को UP DGP के उक्त दावे पर शक

इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ बेंच) ने हाल ही में डायरेक्टर जनरल ऑफ़ पुलिस (DGP) के हाईकोर्ट के सामने दिए गए डेटा पर गंभीर शक जताया, जिसमें दावा किया गया कि 2018 से राज्य में मॉब लिंचिंग से जुड़े सिर्फ़ 11 मामले रिपोर्ट हुए।यह देखते हुए कि यह आंकड़ा "पहली नज़र में गलत लगता है", जस्टिस अब्दुल मोइन और जस्टिस राजीव भारती की डिवीजन बेंच ने बताया कि हाईकोर्ट ने अकेले अक्टूबर में इसी तरह के दो अलग-अलग मामलों को देखा था।पिछले महीने दिए गए आदेश में बेंच ने यूपी सरकार को यह भी निर्देश दिया कि वह उत्तर प्रदेश...

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के नोटिस की तामील से संबंधित प्रावधान GST Act के तहत सेवा पर लागू नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के नोटिस की तामील से संबंधित प्रावधान GST Act के तहत सेवा पर लागू नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

एक ऐतिहासिक फैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के सेवा के भेजने और प्राप्त करने से संबंधित प्रावधान गुड्स एंड सर्विस टैक्स एक्ट, 2017 (GST Act) की धारा 169 के तहत की गई सेवा पर लागू नहीं होते हैं।राज्य/केंद्रीय GST Act की धारा 169(1) के तहत प्रदान किए गए सेवा के छह तरीके हैं: (1) सीधे या मैसेंजर द्वारा देना, (2) स्पीड पोस्ट आदि द्वारा पावती के साथ भेजना, (3) ईमेल द्वारा संचार भेजना, (4) कॉमन पोर्टल पर उपलब्ध कराना, (5) एक अखबार में प्रकाशन द्वारा और (6)...

शादी का झूठा वादा करके महिलाओं का यौन शोषण एक बढ़ती हुई प्रवृत्ति, इसे शुरुआत में ही खत्म किया जाना चाहिए: इलाहाबाद हाईकोर्ट
शादी का झूठा वादा करके महिलाओं का यौन शोषण एक बढ़ती हुई प्रवृत्ति, इसे शुरुआत में ही खत्म किया जाना चाहिए: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि शादी का झूठा वादा करके महिलाओं का यौन शोषण करने और बाद में शादी से इनकार करने की प्रवृत्ति समाज में बढ़ रही है, जिसे शुरुआत में ही खत्म किया जाना चाहिए।यह टिप्पणी जस्टिस नलिन कुमार श्रीवास्तव की बेंच ने की, जिन्होंने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की विभिन्न धाराओं, जिसमें धारा 69 (धोखे से यौन संबंध बनाना आदि) भी शामिल है, उसके तहत आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज की।संक्षेप में मामलाआरोपी प्रशांत पाल पर पीड़िता के साथ शादी का झूठा वादा करके शारीरिक संबंध...

FIR रजिस्ट्रेशन के लिए मजिस्ट्रेट का CrPC की धारा 156 (3) के तहत आदेश, संभावित आरोपी की अपील पर रिवीजन के लिए खुला नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
FIR रजिस्ट्रेशन के लिए मजिस्ट्रेट का CrPC की धारा 156 (3) के तहत आदेश, संभावित आरोपी की अपील पर रिवीजन के लिए खुला नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि एक संभावित आरोपी के पास मजिस्ट्रेट द्वारा CrPC की धारा 156(3) के तहत पुलिस को FIR दर्ज करने और जांच करने का निर्देश देने वाले आदेश को रिवीजन याचिका के ज़रिए चुनौती देने का कोई अधिकार नहीं है।जस्टिस चवन प्रकाश की बेंच ने इस तरह आपराधिक रिवीजन याचिका यह देखते हुए खारिज कर दिया कि CrPC की धारा 156 (3) के तहत पारित आदेश एक इंटरलोक्यूटरी आदेश है और इसे CrPC की धारा 397(2) के तहत रिवीजन में चुनौती नहीं दी जा सकती है।इसमें कहा गया कि CrPC की धारा 156(3) के चरण में...

हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद यूपी पुलिस भेजेगी आपराधिक मामलों में सरकारी वकीलों को ईमेल से निर्देश, पैरोकार सिस्टम होगा खत्म
हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद यूपी पुलिस भेजेगी आपराधिक मामलों में सरकारी वकीलों को ईमेल से निर्देश, 'पैरोकार' सिस्टम होगा खत्म

उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) ने एक ज़रूरी सर्कुलर जारी किया, जिसमें सभी ज़िला पुलिस प्रमुखों को निर्देश दिया गया कि वे इलाहाबाद हाईकोर्ट में सरकारी वकीलों को ज़मानत और अन्य आपराधिक मामलों में निर्देश इलेक्ट्रॉनिक तरीके से भेजें।यह कदम 9 दिसंबर को हाईकोर्ट द्वारा जारी निर्देशों का सख्ती से पालन करते हुए उठाया गया।जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की बेंच ने यह निर्देश जारी किया, जिसमें कहा गया कि मौजूदा मैनुअल सिस्टम के तहत, आपराधिक मामलों में पुलिस स्टेशनों से निर्देश मिलने में काफी देरी...

Specific Performance | जब वादी दावा करता है कि सप्लीमेंट्री एग्रीमेंट ने टाइमलाइन बढ़ाई तो लिमिटेशन सुनवाई योग्य मुद्दा: इलाहाबाद हाईकोर्ट
Specific Performance | जब वादी दावा करता है कि सप्लीमेंट्री एग्रीमेंट ने टाइमलाइन बढ़ाई तो लिमिटेशन सुनवाई योग्य मुद्दा: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ बेंच) ने हाल ही में कहा कि किसी कॉन्ट्रैक्ट के स्पेसिफिक परफॉर्मेंस के लिए दायर मुकदमे को ऑर्डर VII रूल 11 सिविल प्रोसीजर कोड (CPC) के तहत समय-बाधित होने के आधार पर शुरुआती दौर में ही खारिज नहीं किया जा सकता, अगर वादी ने साफ तौर पर यह दलील दी कि बाद में किए गए सप्लीमेंट्री एग्रीमेंट ने परफॉर्मेंस के लिए मूल टाइमलाइन को बढ़ा दिया।जस्टिस जसप्रीत सिंह की बेंच ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में यह सवाल कि क्या मुकदमा लिमिटेशन से बाधित है, कानून और तथ्य का एक मिला-जुला सवाल है,...

लापता व्यक्तियों की तलाश में सरकार की उदासीनता पर इलाहाबाद हाईकोर्ट सख्त, गृह विभाग के प्रमुख सचिव से व्यक्तिगत हलफनामा तलब
लापता व्यक्तियों की तलाश में सरकार की उदासीनता पर इलाहाबाद हाईकोर्ट सख्त, गृह विभाग के प्रमुख सचिव से व्यक्तिगत हलफनामा तलब

लापता व्यक्तियों की तलाश में राज्य प्रशासन के लचर और उदासीन रवैये पर कड़ी नाराजगी जताते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव (गृह) को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।कोर्ट ने उनसे न केवल एक याचिकाकर्ता की शिकायत पर अब तक की गई कार्रवाई का ब्यौरा मांगा है बल्कि यह भी स्पष्ट करने को कहा कि 1 जनवरी, 2024 के बाद राज्य के पोर्टल पर कितनी गुमशुदगी की शिकायतें दर्ज हुईं और उनमें से कितने मामलों में लोगों को खोज निकाला गया।यह आदेश जस्टिस अब्दुल मोइन और जस्टिस बबीता रानी की...

इलाहाबाद हाईकोर्ट: केवल धारा 313 CrPC के बयान के आधार पर दोषसिद्धि अवैध, 24 साल बाद डकैती के आरोपी को बरी किया
इलाहाबाद हाईकोर्ट: केवल धारा 313 CrPC के बयान के आधार पर दोषसिद्धि अवैध, 24 साल बाद डकैती के आरोपी को बरी किया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में डकैती के एक मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे व्यक्ति की दोषसिद्धि को रद्द करते हुए अहम टिप्पणी की कि केवल धारा 313 CrPC के अंतर्गत दिए गए कथित स्वीकारोक्ति/बयान के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता, खासकर तब जब अभियोजन पक्ष कोई भी पुष्टिकरण या आपराधिक साक्ष्य प्रस्तुत करने में विफल रहा हो।यह फैसला जस्टिस जे.जे. मुनीर और जस्टिस संजीव कुमार की खंडपीठ ने दिया। अदालत ने मामले के “दुखद पहलू” पर जोर देते हुए कहा कि अपीलकर्ता आजाद खान लगभग 24 वर्षों तक जेल में बंद...

इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश: स्मृति ईरानी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाली शूटर वर्तिका सिंह के खिलाफ जालसाजी का केस रद्द
इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश: स्मृति ईरानी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाली शूटर वर्तिका सिंह के खिलाफ जालसाजी का केस रद्द

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने अंतरराष्ट्रीय शूटर और राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित वर्तिका सिंह के खिलाफ दर्ज जालसाजी और मानहानि से जुड़े आपराधिक मामलों को रद्द कर दिया।अदालत ने कहा कि इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं है कि वर्तिका सिंह ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) या तत्कालीन केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के कार्यालय के नाम से कथित पत्रों की जालसाजी की थी।जस्टिस राजीव सिंह की पीठ ने यह स्पष्ट किया कि पुलिस द्वारा लगाए गए आरोप महज अनुमान पर आधारित हैं और रिकॉर्ड पर ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है, जिससे...

सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट्स, लखनऊ इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट के तहत इंडस्ट्री नहीं: हाईकोर्ट
सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट्स, लखनऊ इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट के तहत 'इंडस्ट्री' नहीं: हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट्स, लखनऊ, इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट, 1947 की धारा 2(j) के तहत इंडस्ट्री नहीं है। बता दें, उक्त प्लांट्स काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च, नई दिल्ली का हिस्सा/संस्थान है।1947 के एक्ट के तहत 'इंडस्ट्री' की परिभाषा इस प्रकार है:"2(j) "इंडस्ट्री" का मतलब कोई भी बिजनेस, ट्रेड, काम, मैन्युफैक्चरर या मालिकों का पेशा है। इसमें कर्मचारियों का कोई भी पेशा, सर्विस, रोजगार, हस्तशिल्प, या इंडस्ट्री का काम या...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोऑपरेटिव सोसाइटी चुनाव विवाद में आर्बिट्रेटर के आदेशों पर सिंगल जज के स्टे पर सुनाया खंडित फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोऑपरेटिव सोसाइटी चुनाव विवाद में आर्बिट्रेटर के आदेशों पर सिंगल जज के स्टे पर सुनाया खंडित फैसला

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच की एक डिवीजन बेंच ने सिंगल जज के एक आदेश को चुनौती देने के खिलाफ खंडित फैसला सुनाया, जिसमें सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट, जो एक आर्बिट्रेटर के तौर पर काम कर रहे है, उनके आदेश पर रोक लगा दी गई थी। इस आदेश से उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव सोसाइटी एक्ट 1965 के तहत बहुजन निर्बल वर्ग सहकारी गृह निर्माण समिति लिमिटेड (याचिकाकर्ता) के चुनाव परिणाम पर रोक लगा दी गई।जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस प्रशांत कुमार की बेंच इस मामले से निपटने में सिंगल जज के अधिकार क्षेत्र के इस्तेमाल पर सहमत नहीं...

गैंगस्टर एक्ट के नाम पर चयनात्मक कार्रवाई से कानून का राज कमजोर: इलाहाबाद हाईकोर्ट
गैंगस्टर एक्ट के नाम पर चयनात्मक कार्रवाई से कानून का राज कमजोर: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश गैंगस्टर एवं असामाजिक क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम के तहत जांच और अभियोजन की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि चयनात्मक जांच और चयनात्मक अभियोजन कानून के शासन के विरुद्ध है और इससे शासन व्यवस्था पर जनता का भरोसा कमजोर होता है। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि प्रभावशाली और संगठित अपराध से जुड़े लोग जमानत की शर्तों का खुलेआम उल्लंघन करते हैं और अदालतों में बार-बार स्थगन लिया जाता है, जबकि अभियोजन तंत्र उन्हें प्रभावी ढंग से चुनौती देने में विफल रहता है।जस्टिस...

प्रशासन की कानून से अनभिज्ञता अदालतों पर बोझ बढ़ा रही है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
प्रशासन की कानून से अनभिज्ञता अदालतों पर बोझ बढ़ा रही है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि कई बार सरकारी प्राधिकरण कानून की स्थिति से अनभिज्ञ रहते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अदालतों में अनावश्यक मुकदमों की बाढ़ आ जाती है और कोर्ट का रोस्टर अवरुद्ध हो जाता है। अदालत ने कहा कि इस तरह की लापरवाही न केवल न्यायिक समय की बर्बादी है बल्कि आम नागरिकों को भी अनावश्यक रूप से मुकदमेबाजी के लिए मजबूर करती है।जस्टिस मंजू रानी चौहान ने यह टिप्पणी उस मामले में की, जिसमें एक अशिक्षित याचिकाकर्ता ने अपनी ही संविदात्मक अनुकंपा नियुक्ति को चुनौती देते हुए...

यूपी पुलिस ने धर्मांतरण मामले में FIR और चार्जशीट में यूपी कानून की जगह गलती से छत्तीसगढ़ कानून लगाया: हाईकोर्ट ने कार्रवाई के निर्देश दिए
यूपी पुलिस ने धर्मांतरण मामले में FIR और चार्जशीट में यूपी कानून की जगह गलती से छत्तीसगढ़ कानून लगाया: हाईकोर्ट ने कार्रवाई के निर्देश दिए

इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ बेंच) ने हाल ही में यूपी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए, जिन्होंने गलती से यूपी गैर-कानूनी धर्मांतरण निषेध अधिनियम, 2021 की जगह छत्तीसगढ़ धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 1968 के तहत FIR दर्ज की और उसके बाद चार्जशीट दाखिल की।जस्टिस राजीव सिंह की बेंच ने न सिर्फ सीतापुर के पुलिस अधीक्षक (SP) को चार्जशीट वापस कर दी, बल्कि संबंधित कोर्ट द्वारा पारित संज्ञान आदेश को भी रद्द कर दिया।संक्षेप में मामला2022 में सीतापुर के धर्मांतरण मामले में नैमिश गुप्ता की शिकायत पर...

पति की मौत के बाद ससुराल वालों की मर्ज़ी पर दुल्हन के नाबालिग होने के कारण हिंदू शादी को अमान्य घोषित नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट
पति की मौत के बाद ससुराल वालों की मर्ज़ी पर दुल्हन के नाबालिग होने के कारण हिंदू शादी को अमान्य घोषित नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 (Hindu Marriage Act) के तहत एक हिंदू शादी को ससुराल वालों की मर्ज़ी पर शादी के समय दुल्हन के नाबालिग होने का दावा करके बाद में अमान्य घोषित नहीं किया जा सकता।हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 5 का उप-खंड (iii) यह शर्त रखता है कि हिंदू शादी के लिए दूल्हे की उम्र 21 साल और दुल्हन की उम्र 18 साल होनी चाहिए। अधिनियम की धारा 11 अमान्य शादियों के बारे में बताती है, जहां धारा 5 के उप-खंड (i), (ii) और (iv) का उल्लंघन शादी को अमान्य घोषित...

क्या आरोपी सेशंस कोर्ट जाए बिना नए सबूतों के आधार पर सीधे हाईकोर्ट में लगातार जमानत याचिका दायर कर सकता है? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया जवाब
क्या आरोपी सेशंस कोर्ट जाए बिना नए सबूतों के आधार पर सीधे हाईकोर्ट में लगातार जमानत याचिका दायर कर सकता है? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया जवाब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि दूसरी जमानत याचिका, या लगातार जमानत याचिकाएं, हाईकोर्ट द्वारा ट्रायल के दौरान इकट्ठा किए गए सबूतों के आधार पर सुनी जा सकती हैं, भले ही ये सबूत सेशंस कोर्ट या हाईकोर्ट के पास तब उपलब्ध न हों जब पिछली जमानत याचिका खारिज की गई थी।हालांकि, जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की बेंच ने साफ किया कि सही मामलों में हाईकोर्ट आवेदक-आरोपी को नए सबूतों के आधार पर सेशंस कोर्ट के सामने लगातार जमानत याचिकाएं दायर करने का निर्देश दे सकता है।संक्षेप में मामलाकोर्ट ने साफ किया कि...