'क्या वह कोई राक्षस है? ': सुप्रीम कोर्ट ने मृत्युदंड की सजा पर रोक लगाते हुए टिप्पणी की
LiveLaw News Network
31 Oct 2020 11:00 AM IST
सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसे शख्स को मिली मौत की सज़ा पर रोक लगा दी है, जिसे एक महिला की गला घोंटकर हत्या करने, उसके पेट को काटने और उसके शरीर से कुछ अंगों को बाहर निकालने के भीषण कृत्य के लिए दोषी पाया गया था।
हालांकि भारत के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस सजा पर रोक लगा दी, लेकिन बेंच ने अपराध की भयानकता पर घोर आश्चर्य जताया।
वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा विधिक सहायता योजना के तहत दोषी मोहन सिंह के लिए पैरवी कर रहे थे।
मुख्य न्यायाधीश ने अधिवक्ता लूथरा से कहा,
"हमने इस तरह का कोई मामला पहले कभी नहीं देखा।"
उन्होंने कहा,
"क्या वह (सिंह) कोई राक्षस है क्या?"
पीठ ने कहा,
"आपके मुवक्किल ने सबसे अप्रिय कार्य किया है। उसने पेट काटकर खोला और उसमें कपड़ा डाल दिया? क्या वह कोई सर्जन है?"
पीठ ने तब मामले के रिकॉर्ड मंगवाए और मौत की सज़ा के निष्पादन पर रोक लगा दी।
शीर्ष अदालत राजस्थान उच्च न्यायालय के 7 अगस्त के फैसले के खिलाफ एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसने 2019 में दर्ज मामले में ट्रायल कोर्ट द्वारा सिंह को मौत की सजा की पुष्टि की थी। यह अपराध मई 2019 में हुआ था जिसके लिए ट्रायल कोर्ट ने नौ महीने के भीतर जुर्माना सहित मौत की सजा सुनाई थी।
पुलिस के अनुसार, पिछले साल मई में एक तारों से बंधा एक महिला का शव एक बैग में मिला था, जिसके बाद इस मामले में एक एफआईआर दर्ज की गई थी।
अदालत ने कहा कि आरोपी को पहले एक अन्य हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था। उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए उसे मौत की सजा कायम रखी थी, जिसमें पीड़िता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के हवाले से कहा गया था कि उसके शरीर से लीवर सहित कई अंग गायब थे।
हाईकोर्ट के फैसले में जस्टिस सबीना और जस्टिस चंद्र कुमार सोंगरा की बेंच ने कहा था,
".. दोषी ने न केवल गला दबाकर मृतक की हत्या की थी, बल्कि उसके पेट को काट दिया था और शरीर से कुछ अंगों को निकाल लिया था और उसकी कुर्ती और पेटीकोट को उसके पेट में डाल दिया था और पेट को तार से सील दिया था।"
हाईकोर्ट ने कहा कि दोषी के आपराधिक कदमों को ध्यान में रखते हुए और वर्तमान अपराध को जिस तरह से अंजाम दिया गया है, उसे देखते हुए, निचली अदालत ने दोषी मोहन सिंह @ महावीर को धारा 302 आईपीसी के तहत मौत की सजा सुनाई थी।