संवैधानिक पद पर बैठे लोगों के ऐसे कार्य न्यायिक स्वतंत्रता को प्रभावित करते हैं : एससीबीए ने जस्टिस रमना के खिलाफ आरोप वाले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के पत्र की कड़ी निंदा की

LiveLaw News Network

17 Oct 2020 8:27 AM GMT

  • संवैधानिक पद पर बैठे लोगों के ऐसे कार्य न्यायिक स्वतंत्रता को प्रभावित करते हैं : एससीबीए ने जस्टिस रमना के खिलाफ आरोप वाले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के पत्र की कड़ी निंदा की

    सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) की कार्यकारिणी समिति ने एक बयान जारी करके आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश को लिखे गये उस पत्र की कड़ी निंदा की है, जिसमें उन्होंने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायिक प्रशासन में न्यायमूर्ति एन वी रमना के हस्तक्षेप का आरोप लगाया है।

    समिति ने कहा है,

    "संवैधानिक पद पर बैठे ओहदेदारों के इस तरह के कार्य परिपाटी के विरुद्ध और गम्भीर दखलंदाजी है, जिससे भारतीय संविधान में न्यायपालिका को मिली आजादी प्रभावित होती है।"

    इसने पत्र के पब्लिक डोमेन में जारी किये जाने का भी विरोध किया है, क्योंकि इससे न्यायिक स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है।

    बार काउंसिल ऑफ इंडिया, सुप्रीम कोर्ट एडववोकेट ऑन रिकॉर्ड्स एसोसिएशन और दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने भी बयान जारी करके मुख्यमंत्री के इस कदम की निंदा की है।

    आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के नेताओं द्वारा न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों के लिए दर्ज मामलों में सीबीआई जांच के आदेश जारी किये हैं।

    गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी ने 11 अक्टूबर को भारत के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि हाईकोर्ट के कुछ न्यायाधीश राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों में प्रमुख विपक्षी दल तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के हितों की रक्षा करने का प्रयास कर रहे हैं।

    मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार अजय कल्लम की ओर से शनिवार की शाम को मीडिया में जारी शिकायत की विचित्र बात यह थी कि इसमें सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश एन वी रमना पर आरोप लगाया गया है कि वह (न्यायमूर्ति रमना) आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायिक प्रशासन को प्रभावित करते हैं। न्यायमूर्ति रमना भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश बनने वाले हैं।

    इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की गयी है, जिसमें कहा गया है कि श्री जगन मोहन रेड्डी के पत्र की विषय-वस्तु के कारण आम आदमी का न्यायपालिका में भरोसा डिगा है।

    एक अन्य जनहित याचिका में श्री रेड्डी को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग भी की गयी है। याचिका में कहा गया है कि श्री रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम मौजूदा न्यायाधीश के खिलाफ सार्वजनिक मंच पर और मीडिया में झूठे, अस्पष्ट, राजनीतिक और अपमानजनक टिप्पणी करके और खुलेआम आरोप लगाकर मुख्यमंत्री के पद और शक्ति का दुरुपयोग किया है और उन्हें मुख्यमंत्री के पद से हटाया जाना चाहिए।

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