मद्रास हाईकोर्ट
धार्मिक कर्मकांड पर रोक लगाकर साम्प्रदायिक सौहार्द नहीं बन सकती: थिरुपरंकुंद्रम दीपम मामले पर मद्रास हाईकोर्ट की टिप्पणी
मद्रास हाईकोर्ट ने गुरुवार को थिरुपरंकुंद्रम पहाड़ी पर दीप प्रज्वलन से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान महत्वपूर्ण मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी एक समुदाय को उसके धार्मिक कृत्य करने से रोककर साम्प्रदायिक सौहार्द नहीं बनाया जा सकता। सौहार्द तभी संभव है जब विभिन्न समुदाय आपसी सह-अस्तित्व के साथ एक-दूसरे की आस्थाओं का सम्मान करें।जस्टिस जी. जयचंद्रन और जस्टिस के.के. रामकृष्णन की खंडपीठ ने यह टिप्पणी उस अपील की सुनवाई के दौरान की, जो सिंगल जज द्वारा दिए गए उस आदेश के विरुद्ध दायर की गई, जिसमें...
SC/ST समुदाय की भूमि बेदखली शिकायत को 'सिविल विवाद' बताकर FIR दर्ज करने से इनकार नहीं कर सकती पुलिस: मद्रास हाईकोर्ट
मद्रास हाईकोर्ट ने कहा: SC/ST समुदाय की भूमि से बेदखली की शिकायत पर FIR दर्ज करना अनिवार्य, पुलिस “सिविल विवाद” बताकर इनकार नहीं कर सकतीमद्रास हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सदस्यों की भूमि से बेदखली या अवैध कब्जे की शिकायत को पुलिस केवल यह कहकर खारिज नहीं कर सकती कि मामला “सिविल विवाद” है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 18A के तहत यदि शिकायत में संज्ञेय अपराध का खुलासा होता है, तो पुलिस प्रारंभिक जांच किए...
घूस की रकम लौटाने के लिए जारी चेक के बाउंस पर धारा 138 लागू नहीं: मद्रास हाईकोर्ट
मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि घूस की रकम वापस करने के लिए जारी किया गया चेक बाउंस होने पर नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता, क्योंकि यह कानूनी रूप से वसूली योग्य ऋण (legally enforceable debt) नहीं माना जाता।जस्टिस के. मुरली शंकर ने कहा कि नौकरी दिलाने के लिए पैसे लेना-देना एक ऐसा समझौता है जो शुरू से ही अवैध (void ab initio) है और भारतीय अनुबंध अधिनियम की धारा 23 के तहत गैरकानूनी माना जाता है। इसलिए, ऐसी अवैध राशि लौटाने के लिए जारी चेक पर धारा 138...
क्या सरकारी कर्मचारी की SC/ST समुदाय की स्थिति रिटायरमेंट के बाद सत्यापित की जा सकती है? मद्रास हाईकोर्ट ने मामला बड़ी बेंच को भेजा
मद्रास हाईकोर्ट ने इस प्रश्न को बड़ी बेंच को भेज दिया कि क्या किसी कर्मचारी के समुदाय प्रमाण पत्र का रिटायरमेंट के बाद सत्यापन किया जा सकता है।चीफ जस्टिस मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव और जस्टिस जी अरुल मुरुगन की खंडपीठ ने न्यायालय की समन्वय पीठों द्वारा लिए गए परस्पर विरोधी विचारों को देखते हुए इस मुद्दे को बड़ी बेंच को भेजना उचित समझा।अतः, न्यायालय ने रजिस्ट्रार (न्यायिक) को निर्देश दिया कि वह प्रशासनिक पक्ष के चीफ जस्टिस के समक्ष मामला प्रस्तुत करें ताकि निम्नलिखित मुद्दों पर विचार करने के लिए एक...
बिना संज्ञेय अपराध पुलिस पूछताछ नहीं कर सकती: मद्रास हाईकोर्ट ने करंट पेपर इन्क्वायरी की प्रथा पर लगाई फटकार
मद्रास हाईकोर्ट ने बिना किसी वैधानिक आधार के पुलिस अधिकारियों द्वारा करंट पेपर इन्क्वायरी आयोजित करने की प्रथा की कड़ी आलोचना की है।जस्टिस बी. पुगलेंधी ने कहा कि इस तरह की अनौपचारिक कार्यवाही को कानून के तहत कोई मान्यता प्राप्त नहीं है और किसी भी व्यक्ति को पुलिस के सामने पेश होने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता, जब तक कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 173 के अनुसार किसी संज्ञेय अपराध का खुलासा और रिकॉर्ड न किया गया हो।न्यायालय ने कहा, "यह अदालत यह नोट करने के लिए बाध्य है कि 'करंट...
विवाह पुरुष को पत्नी पर असीमित अधिकार नहीं देता, महिलाओं की सहनशीलता को सहमति नहीं माना जा सकता: मद्रास हाईकोर्ट
मद्रास हाईकोर्ट ने एक 80 वर्षीय व्यक्ति की बरी को रद्द करते हुए उसे धारा 498A (पत्नी के प्रति क्रूरता) के तहत फिर से दोषी ठहराया है। अदालत ने कहा कि विवाह पुरुष को पत्नी पर असीम अधिकार नहीं देता और पत्नी की सुरक्षा, गरिमा और सम्मान सुनिश्चित करना पति की मुख्य वैवाहिक जिम्मेदारी है।जस्टिस एल. विक्टोरिया गौरी ने कहा कि भारतीय पुरुषों को यह पुरानी सोच छोड़नी चाहिए कि विवाह उन्हें अधिकार देता है। कोर्ट ने कहा, “पत्नी की सुविधा, सुरक्षा और गरिमा कोई द्वितीय जिम्मेदारी नहीं, बल्कि वैवाहिक बंधन का मूल...
आधार कार्ड पर मद्रास हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- आधार कार्ड में बदलाव कराना मौलिक अधिकार
मद्रास हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि आधार कार्ड धारक को अपने कार्ड में विवरण में बदलाव की मांग करने का मौलिक अधिकार है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जनसांख्यिकीय जानकारी में बदलाव की सुविधा स्थानीय स्तर पर उपलब्ध होनी चाहिए।जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन ने अपने आदेश में कहा कि चूंकि कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने का अधिकार मौलिक अधिकार है और आधार कार्ड वह अनिवार्य माध्यम है, जिसके जरिए यह लाभ प्राप्त किया जा सकता है, इसलिए कार्ड धारक को आधार अधिनियम की धारा 31 के तहत अपने...
क्या ED राज्य पुलिस को FIR दर्ज करने का निर्देश देने की मांग कर सकती है? मद्रास हाईकोर्ट ने पूछा सवाल
मद्रास हाईकोर्ट ने शुक्रवार को यह सवाल उठाया कि क्या प्रवर्तन निदेशालय (ED), जो एक जांच एजेंसी है, दूसरी जांच एजेंसी (राज्य पुलिस) को मामला दर्ज करने का निर्देश देने के लिए अदालत में याचिका दायर कर सकती है?चीफ़ जस्टिस मनींद्र मोहन श्रीवास्तव और जस्टिस जी. अरुलमुरुगन की खंडपीठ ED द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में तमिलनाडु राज्य को रेत खनन मामले की जांच में सहयोग करने और पुलिस महानिदेशक को ED के पत्र के आधार पर प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। ...
संसद में बिना पर्याप्त चर्चा बने कानून को क्या चुनौती दी जा सकती है? मद्रास हाईकोर्ट का सवाल
मद्रास हाईकोर्ट ने गुरुवार को यह सवाल उठाया कि क्या संसद में किसी कानून के पारित होने के समय पर्याप्त विचार-विमर्श या चर्चा न होने के आधार पर किसी केंद्रीय कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी जा सकती है?चीफ़ जस्टिस मनींद्र मोहन श्रीवास्तव और जस्टिस जी. अरुलमुरुगन की खंडपीठ भारत न्याय संहिता, भारत नागरिक सुरक्षा संहिता और भारत साक्ष्य अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा — “आप यह कहकर किसी कानून को कैसे चुनौती दे सकते हैं कि...
अविवाहित बेटी की ओर से नानी-नानी द्वारा किया गया दत्तक-पत्र उसकी सहमति से ही मान्य होगा: मद्रास हाईकोर्ट
मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि अविवाहित महिला के बच्चे को गोद लेने के मामले में नाना-नानी द्वारा किया गया दत्तक-पत्र तभी मान्य होगा, जब यह दर्शाया गया हो कि माँ ने इस दत्तक-पत्र के लिए सहमति दी थी।अदालत ने कहा,"सिर्फ़ यह तथ्य कि बच्चे के नाना-नानी ने दत्तक-पत्र पर हस्ताक्षर किए, दत्तक-पत्र को अमान्य नहीं कर सकता, बशर्ते कि दत्तक-पत्र बच्चे की माँ, जो कोई और नहीं बल्कि बच्चे के नाना-नानी की बेटी है, की सहमति से किया गया हो।"जस्टिस ढांडापानी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि दत्तक-पत्र की अवधारणा...
मद्रास हाईकोर्ट ने Cryptocurrency को संपत्ति के रूप में मान्यता दी, कहा- इसे "ट्रस्ट में रखा जा सकता है"
मद्रास हाईकोर्ट ने शनिवार को क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) को एक प्रकार की संपत्ति के रूप में मान्यता दी, जिसका स्वामित्व, आनंद और ट्रस्ट में रखा जा सकता है। साथ ही न्यायालय ने निवेशक को सुरक्षा प्रदान की, जिसकी डिजिटल संपत्तियां एक बड़े साइबर हमले के बाद वज़ीरएक्स एक्सचेंज पर ज़ब्त कर ली गई थीं।जस्टिस एन आनंद वेंकटेश द्वारा अंतरिम राहत की मांग करने वाली मध्यस्थता याचिका पर पारित आदेश में सुप्रीम कोर्ट के दो फैसलों अहमद जी.एच. आरिफ बनाम संपत्ति कर आयुक्त और जिलुभाई नानभाई खाचर बनाम गुजरात...
जुवेनाइल जस्टिस एक्ट मुस्लिम लॉ पर लागू, गोद लिया बच्चा जैविक बच्चे के बराबर का अधिकारी: मद्रास हाईकोर्ट
मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट (JJ Act) की धारा मुस्लिम पर्सनल लॉ पर प्राथमिक होगी और गोद लिया बच्चा जैविक बच्चे के समान दर्जा रखेगा। जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन ने कहा कि कोई भी बच्चा 'दूसरे दर्जे' का नहीं होगा।अदालत ने गोद लेने की प्रक्रिया में प्रशासनिक देरी पर चिंता जताई। कई बच्चे अपने शुरुआती साल संस्थागत देखभाल में बिताते हैं, जिससे उनका विकास और जीवन प्रभावित होता है। अधिकारियों को गोद लेने की प्रक्रिया शीघ्र पूरी करने का निर्देश दिया गया। मामला एक मुस्लिम व्यक्ति की याचिका...
माता-पिता के बच्चे से मिलने के अधिकार से बच्चे का विकास प्रभावित नहीं होना चाहिए: मद्रास हाईकोर्ट
मद्रास हाईकोर्ट ने इस बात पर ज़ोर दिया कि माता-पिता के बच्चे से मिलने के अधिकार पर निर्णय लेते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे की स्कूली शिक्षा और उसके शारीरिक, नैतिक और भावनात्मक विकास पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।जस्टिस एम. जोतिरमन ने दोहराया कि बच्चे से मिलने के अधिकार से संबंधित मामलों पर विचार करते समय कोर्ट का सर्वोपरि विचार बच्चे के कल्याण पर होना चाहिए। कोर्ट ने आगे कहा कि यद्यपि माता-पिता को बच्चे से मिलने का अधिकार है, लेकिन इससे बच्चे के विकास में बाधा नहीं आनी चाहिए।अदालत ने...
पत्नी के व्यभिचार को साबित करने के लिए पति बच्चे को मोहरा नहीं बना सकता: मद्रास हाईकोर्ट ने NDA टेस्ट की याचिका खारिज की
मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में एक व्यक्ति की अपने बच्चे के NDA टेस्ट की मांग वाली याचिका ख़ारिज की, जिसमें आरोप लगाया गया था कि विवाह के दौरान दंपति के बीच पैदा हुआ बच्चा उसका नहीं है।ऐसा करते हुए जस्टिस शमीम अहमद ने स्पष्ट किया कि दशकों पहले हुई कथित बेवफाई को साबित करने के लिए NDA टेस्ट का इस्तेमाल शॉर्टकट के तौर पर नहीं किया जा सकता। अदालत ने आगे कहा कि NDA टेस्ट की आवश्यकता बच्चे के नजरिए से तय की जानी चाहिए, न कि माता-पिता के नजरिए से।अदालत ने कहा,"NDA टेस्ट का इस्तेमाल एक दशक से भी पहले या...
सोशल मीडिया पर जजों को भी नहीं बख्शा जा रहा, उनके आदेशों के लिए ट्रोल किया जा रहा: हाईकोर्ट के जज की मौखिक टिप्पणी
मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस एन सेनहतिलकुमार ने सोमवार (5 अक्टूबर) को मौखिक टिप्पणी की कि सोशल मीडिया पर जजों को भी नहीं बख्शा जा रहा और उनके द्वारा पारित आदेशों के लिए अक्सर उन्हें ट्रोल किया जाता है।उन्होंने कहा कि कभी-कभी जजों के अतीत और उनके परिवारों को भी सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना दिया जाता है।जज ने मौखिक टिप्पणी की,"सोशल मीडिया में किसे बख्शा जा रहा है, जजों को भी ट्रोल किया जा रहा है। दरअसल व्यक्तिगत रूप से हमारे द्वारा पारित कुछ आदेशों के लिए हमें भी ट्रोल किया जा रहा है। अतीत को भी...
पति और बच्चे पत्नी/माँ का रखरखाव करने के कानूनी और नैतिक जिम्मेदार: मद्रास हाईकोर्ट
मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में मदुरै की फैमिली कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा है, जिसमें पति और बेटों को पत्नी/मां को ₹21,000 प्रतिमाह भरण-पोषण देने का निर्देश दिया गया था।जस्टिस शमीम अहमद ने कहा कि किसी पुरुष का अपनी पत्नी और मां का जीवनभर भरण-पोषण करना उसका कानूनी और नैतिक कर्तव्य है। यह दायित्व इसलिए है ताकि मां और पत्नी वृद्धावस्था में सम्मान और देखभाल के साथ जीवन जी सकें।अदालत ने कहा कि यह जिम्मेदारी केवल आर्थिक सहायता नहीं है, बल्कि मां के प्रति सम्मान और कृतज्ञता का प्रतीक भी है, जिन्होंने...
आपसी तलाक़ मामलों में कूलिंग पीरियड थोपना केवल पीड़ा बढ़ाना : मद्रास हाईकोर्ट
मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि जब पति-पत्नी आपसी सहमति से अलग होने का निश्चय कर चुके हों, तो अदालत को उन पर अनिवार्य “कूलिंग-ऑफ पीरियड” थोपने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि इससे केवल उनकी पीड़ा बढ़ेगी।जस्टिस पी.बी. बालाजी ने सुप्रीम कोर्ट और अन्य हाईकोर्ट्स के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि दोनों पक्षकारों ने अलग-अलग हलफनामों में स्पष्ट रूप से अपनी मर्ज़ी से अलग होने की बात कही है। न तो बच्चों का सवाल है और न ही किसी तरह का धोखा, दबाव या साज़िश। ऐसे में अनिवार्य प्रतीक्षा अवधि उन पर थोपना...
योग्य आवेदक को निकाह के लिए NOC जारी न करना अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का उल्लंघन: मद्रास हाईकोर्ट
मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि यदि आवेदक अन्यथा अयोग्य नहीं है तो क्षेत्राधिकार प्राप्त जमात निकाह कराने के लिए आवेदक को अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) जारी करने के लिए बाध्य है।जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन ने कहा कि योग्य आवेदक को NOC जारी न करना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत आवेदक के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा। अदालत ने कहा कि इस्लामी परंपरा के अनुसार, निकाह संपन्न कराने के लिए क्षेत्राधिकार प्राप्त जमात द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करना आवश्यक है। इसलिए न्यायालय ने कहा कि जब यह प्रथा लागू हो तो...
मद्रास हाईकोर्ट ने ईशा फाउंडेशन पर प्रदूषण नियमों के उल्लंघन के आरोप वाली याचिका खारिज की
मद्रास हाईकोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें ईशा फाउंडेशन पर सीवेज और गंदे पानी को पास की जमीन पर छोड़ने का आरोप लगाया गया था और अधिकारियों को कार्रवाई करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।चीफ़ जस्टिस मनीन्द्र मोहन श्रीवास्तव और जस्टिस जी. अरुल मुरुगन की खंडपीठ ने नोट किया कि इसी मुद्दे पर याचिकाकर्ता ने बाद में एक और याचिका दायर की थी, जिसमें प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने निरीक्षण कर संतोषजनक रिपोर्ट दी थी। इसके बाद कोर्ट ने माना कि मौजूदा याचिका में अब कुछ नहीं बचा है और उसे खारिज कर दिया।...
मद्रास हाईकोर्ट ने राहुल गांधी के वोटर लिस्ट हेराफेरी आरोप पर दायर PIL खारिज की, याचिकाकर्ता पर 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया
मद्रास हाईकोर्ट ने उस जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया है, जिसमें विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा 2024 लोकसभा चुनावों में बड़े पैमाने पर वोटर लिस्ट में हेराफेरी के आरोपों पर चुनाव आयोग से स्पष्टीकरण मांगा गया था।चीफ़ जस्टिस मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव और जूसस्तिके जी अरुल मुरुगन की खंडपीठ ने कहा कि याचिका में ठोस सामग्री नहीं है और यह केवल पक्षकारों द्वारा लगाए गए आरोप-प्रत्यारोपों का हवाला देती है। कोर्ट ने कहा कि याचिका मूल रूप से अदालत से बिना आधार वाली जांच कराने की मांग करती है। कोर्ट ने...




















