हाईकोर्ट
क्या आरोपी सेशंस कोर्ट जाए बिना नए सबूतों के आधार पर सीधे हाईकोर्ट में लगातार जमानत याचिका दायर कर सकता है? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया जवाब
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि दूसरी जमानत याचिका, या लगातार जमानत याचिकाएं, हाईकोर्ट द्वारा ट्रायल के दौरान इकट्ठा किए गए सबूतों के आधार पर सुनी जा सकती हैं, भले ही ये सबूत सेशंस कोर्ट या हाईकोर्ट के पास तब उपलब्ध न हों जब पिछली जमानत याचिका खारिज की गई थी।हालांकि, जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की बेंच ने साफ किया कि सही मामलों में हाईकोर्ट आवेदक-आरोपी को नए सबूतों के आधार पर सेशंस कोर्ट के सामने लगातार जमानत याचिकाएं दायर करने का निर्देश दे सकता है।संक्षेप में मामलाकोर्ट ने साफ किया कि...
पटना हाईकोर्ट ने CBI बनाम मीर उस्मान मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद स्पीडी ट्रायल के लिए गाइडलाइंस जारी की
12 दिसंबर 2025 को जारी सर्कुलर में पटना हाईकोर्ट ने सभी ट्रायल कोर्ट को प्रशासनिक निर्देश जारी किए, जिनका मकसद सुनवाई को तेज़ी से पूरा करना है।यह सर्कुलर CBI बनाम मीर उस्मान मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पालन में जारी किया गया। इसमें साफ तौर पर SLP (Crl.) नंबर 969/2025 (सेंट्रल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टिगेशन बनाम मीर उस्मान @ आरा @ मीर उस्मान अली) में 22 सितंबर 2025 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पैराग्राफ 37 का ज़िक्र है, जिसमें कोर्ट ने हाईकोर्ट को ट्रायल कोर्ट्स के लिए उचित प्रशासनिक गाइडलाइंस...
[Bihar Excise Act] अगर सह-यात्री के पास शराब मिलती है तो मोटरसाइकिल मालिक के खिलाफ कोई अनुमान नहीं: पटना हाईकोर्ट
पटना हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि जहां अवैध शराब सह-आरोपी व्यक्ति से बरामद की जाती है, न कि वाहन के किसी हिस्से से, तो यह नहीं कहा जा सकता कि मोटरसाइकिल का इस्तेमाल बिहार निषेध और उत्पाद शुल्क अधिनियम (Bihar Excise Act) के तहत अपराध करने में किया गया। नतीजतन, अधिनियम की धारा 32 के तहत वाहन के मालिक के खिलाफ कानूनी अनुमान तब तक नहीं लगाया जा सकता, जब तक अभियोजन पक्ष यह साबित न कर दे कि वाहन का इस्तेमाल कथित अपराध करने में किया गया।पटना हाईकोर्ट की जस्टिस जितेंद्र कुमार की सिंगल जज बेंच...
सोशल मीडिया यूज के लिए न्यूनतम उम्र कानून की ज़रूरत क्यों है?
16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर ऑस्ट्रेलिया के हालिया प्रतिबंध के आलोक में, भारत को भी अपने नियामक परिदृश्य पर पुनर्विचार करना चाहिए और अपने नाबालिगों की रक्षा के लिए एक न्यूनतम आयु कानून पेश करना चाहिए। क्षेत्राधिकारों और कानूनी परंपराओं के पार, एक सिद्धांत स्थिर रहता है: बच्चों को निकटवर्ती नुकसान से बचाने के लिए राज्य का एक सकारात्मक कर्तव्य है। यह दायित्व केवल सजावटी बयानबाजी नहीं है, बल्कि घरेलू कानूनों, संवैधानिक सिद्धांतों और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में आधारित एक...
नेटफ्लिक्स-वार्नर ब्रदर्स मर्जर भारत के OTT मार्केट को कैसे बदल सकता है?
जब एक एकल मंच सामग्री के निर्माण और वितरण दोनों पर प्रभाव डालना शुरू कर देता है, तो कानून के प्रश्न अनिवार्य रूप से अनुसरण करते हैं। "इसलिए नेटफ्लिक्स के वार्नर ब्रदर्स डिस्कवरी के प्रस्तावित अधिग्रहण ने न केवल व्यावसायिक प्रभावों के कारण ध्यान आकर्षित किया है, बल्कि यह निर्धारित करने में एक निर्णायक क्षण का प्रतिनिधित्व करता है कि प्रतिस्पर्धा कानून डिजिटल और रचनात्मक उद्योगों में इस तरह के अधिग्रहणों के साथ कैसे व्यवहार करेगा।" एक ही छतरी के नीचे व्यापक सामग्री पुस्तकालयों, उत्पादन क्षमता और...
MBBS सीट विवाद: दिल्ली हाईकोर्ट ने जामिया हमदर्द को संबद्धता देने का आदेश रद्द किया
दिल्ली हाईकोर्ट ने MBBS सीटों से जुड़े महत्वपूर्ण मामले में ट्रायल कोर्ट का आदेश रद्द करते हुए स्पष्ट किया कि निष्पादन न्यायालय (एग्जीक्यूटिंग कोर्ट) अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर न तो मध्यस्थता आदेश की व्याख्या कर सकता है और न ही किसी गैर-पक्षकार पर वैधानिक दायित्व थोप सकता है। अदालत ने जामिया हमदर्द डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी को 150 MBBS सीटों के लिए सहमति-पत्र (कंसेंट ऑफ एफिलिएशन) जारी करने के निर्देश को अवैध ठहराया।जस्टिस अनिल झेत्रपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने 17 दिसंबर को...
उच्च शिक्षण संस्थान अदला-बदली योग्य नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट ने चुनावों में यूनिवर्सिटी के उपयोग पर ECI को जारी किए दिशा-निर्देश
राजस्थान हाईकोर्ट ने एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि उच्च शिक्षा प्रदान करने वाले यूनिवर्सिटी और कॉलेज फंजिबल यानी आसानी से बदले जा सकने वाले संसाधन नहीं हैं। अदालत ने निर्वाचन आयोग (ECI) को निर्देश दिए कि जहां तक व्यावहारिक रूप से संभव हो आम चुनावों के दौरान यूनिवर्सिटी और कॉलेजों का उपयोग मतदान केंद्र, मतगणना स्थल या अन्य चुनावी उद्देश्यों के लिए न किया जाए।जस्टिस समीर जैन की एकल पीठ ने यह टिप्पणी उस समय की जब अदालत के समक्ष शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए छात्रसंघ चुनाव न कराए जाने के कथित राज्य...
आरोपी द्वारा हस्ताक्षरित विस्तृत रिकवरी मेमो गिरफ्तारी के आधारों की लिखित सूचना की आवश्यकता को पूरा करता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि एक विस्तृत रिकवरी मेमो (फर्द बरामदगी), जो उसी समय तैयार किया गया हो, जिसमें लागू की गई दंडात्मक धाराएं शामिल हों और जिस पर आरोपी के हस्ताक्षर हों, वह भारत के संविधान के अनुच्छेद 22 (1) के तहत गिरफ्तारी के आधारों की लिखित रूप में सूचना देने की आवश्यकता को पूरा करता है।कोर्ट ने कहा कि जहां ऐसा कोई दस्तावेज़ मौजूद है, वहां औपचारिक गिरफ्तारी मेमो में आधारों की तकनीकी चूक घातक नहीं होगी, क्योंकि यह गिरफ्तारी के आधार की सूचना देने की आवश्यकता का पर्याप्त...
नेशनल हेराल्ड केस में दिल्ली कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंची ED
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दिल्ली हाईकोर्ट में ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी, जिसमें नेशनल हेराल्ड मामले में कथित तौर पर कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और सोनिया गांधी से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग की शिकायत पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया गया।इस याचिका पर अगले हफ्ते सुनवाई होने की संभावना है।ED ने 16 दिसंबर को राउज एवेन्यू कोर्ट के स्पेशल जज विशाल गोगने द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी।ट्रायल कोर्ट ने कहा था कि गांधी परिवार के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दायर अभियोजन शिकायत कानून के तहत मान्य...
एक ही मुद्दों पर IPR विवादों की सुनवाई एक साथ की जा सकती है, भले ही वे गैर-वाणिज्यिक अदालतों में लंबित हों: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि एक ही या मिलते-जुलते मुद्दों से जुड़े इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी विवादों की सुनवाई एक साथ की जानी चाहिए ताकि समानांतर मामलों और विरोधाभासी फैसलों को रोका जा सके, भले ही उनमें से कुछ मामले गैर-वाणिज्यिक अदालतों में लंबित हों।कोर्ट ने कहा कि सिविल प्रोसीजर कोड के तहत मामलों को ट्रांसफर करने की उसकी शक्ति व्यापक है और इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी विवादों पर भी लागू होती है। यह शक्ति इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी डिवीजन (IPD) नियमों द्वारा सीमित नहीं है, जिसमें मुख्य रूप...
दावेदार अवॉर्ड के अलग किए गए हिस्से के लिए बिना लिमिटेशन बार के वैकल्पिक उपाय अपना सकता है: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि लिमिटेशन की गणना करते समय पिछली आर्बिट्रल कार्यवाही में बिताए गए समय को बाहर रखा जा सकता है, भले ही आर्बिट्रल अवॉर्ड का केवल एक हिस्सा रद्द किया गया हो और नई कार्यवाही किसी अलग एग्रीमेंट से शुरू हुई हो।जस्टिस संदीप वी मार्ने की सिंगल बेंच ने 17 दिसंबर, 2025 के आदेश में कहा कि आर्बिट्रेशन एंड कॉन्सिलिएशन एक्ट की धारा 43(4) ऐसे समय को बाहर रखने की अनुमति देती है, जब तक कि विवाद पिछली आर्बिट्रेशन का हिस्सा था।कोर्ट ने कहा,"जब ऐसे मामले में दावेदार मुकदमा दायर करता...
इस तरह शराब का लाइसेंस नहीं दिया जा सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट ने सनबर्न फेस्टिवल में शराब की खुली बिक्री की इजाज़त देने पर महाराष्ट्र सरकार से कहा
पहले सनबर्न फेस्टिवल में शराब की बिक्री को लेकर चिंता जताने वाली जनहित याचिका (PIL) पर, जो 19 दिसंबर से 21 दिसंबर तक मुंबई में हो रहा है, बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को महाराष्ट्र सरकार के इस कार्यक्रम में शराब की इजाज़त देने के फैसले पर सवाल उठाया, खासकर तब जब यह एक खुले मैदान में होने वाला है।चीफ जस्टिस श्री चंद्रशेखर और जस्टिस गौतम अंखड की डिवीजन बेंच ने भी ऐसे कार्यक्रम में शराब की इजाज़त देने के फैसले पर चिंता जताई, जिसमें हजारों लोगों के आने की उम्मीद है, क्योंकि इस कार्यक्रम के लिए पहले...
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 1995 के धोखाधड़ी मामले में खेल मंत्री माणिकराव कोकाटे की सज़ा पर रोक लगाने से इनकार किया, सज़ा निलंबित की
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) (अजित पवार गुट) के सीनियर नेता माणिकराव कोकाटे को झटका देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को 1995 के धोखाधड़ी मामले में उनकी सज़ा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। हालांकि, कोर्ट ने फिलहाल उनकी सज़ा निलंबित कर दी है।सिंगल-जज जस्टिस राजेश लड्ढा ने कोकाटे द्वारा सीनियर वकील रवि कदम और वकील अनिकेत निकम के माध्यम से दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई की, जिसमें कोर्ट से उनकी सज़ा पर रोक लगाने का आग्रह किया गया, क्योंकि इससे उन्हें विधायक (MLA) के पद से हटाया या अयोग्य...
'बिजली अधिनियम की धारा 127(2) के तहत जमा की गई वैधानिक जमा राशि पर उपभोक्ता ब्याज का दावा नहीं कर सकता': बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि बिजली अधिनियम, 2003 की धारा 127(2) के तहत अनिवार्य रूप से जमा की गई राशि पर ब्याज का दावा करने का उपभोक्ता के पास कोई लागू करने योग्य वैधानिक अधिकार नहीं है, जब बिजली के अनधिकृत उपयोग के मूल्यांकन को अपील में रद्द कर दिया जाता है। कोर्ट ने कहा कि धारा 127(2) के तहत जमा राशि वैधानिक अपील को बनाए रखने के लिए एक पूर्व शर्त है और यह टैरिफ या उपभोग शुल्क के भुगतान के लिए नहीं है; लाइसेंसधारी पर ब्याज का भुगतान करने का पारस्परिक दायित्व बनाने वाले किसी भी स्पष्ट...
राहुल गांधी नागरिकता विवाद | BJP कार्यकर्ता ने रायबरेली में वकीलों पर 'जान से मारने की धमकी' देने का आरोप लगाया, हाईकोर्ट ने मामला लखनऊ ट्रांसफर किया
इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ बेंच) ने बुधवार को लोकसभा में विपक्ष के नेता और रायबरेली के सांसद राहुल गांधी के खिलाफ दायर आपराधिक शिकायत मामले को रायबरेली के एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट-IV की कोर्ट से लखनऊ की स्पेशल MP/MLA कोर्ट में तुरंत ट्रांसफर करने का निर्देश दिया।जस्टिस बृज राज सिंह की बेंच ने इस तरह BJP कार्यकर्ता एस. विग्नेश शिशिर (मूल शिकायतकर्ता) द्वारा BNSS की धारा 447 के तहत दायर ट्रांसफर एप्लीकेशन को मंज़ूरी दी।अपनी ट्रांसफर याचिका में शिशिर ने रायबरेली कोर्ट में तनावपूर्ण और हिंसक...
सरासर उद्दंडता: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने CJM को जवाब देने के लिए सब-इंस्पेक्टर तैनात करने पर SSP को फटकारा, जवाब तलब
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को बदायूं के सीनियर पुलिस अधीक्षक (SSP) के रवैये पर कड़ी नाराजगी जताते हुए उसे सरासर उद्दंडता करार दिया। अदालत ने SSP द्वारा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) को जवाब देने का काम एक सब-इंस्पेक्टर को सौंपने पर सख्त आपत्ति जताई और उनसे व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर यह स्पष्ट करने को कहा कि उनके खिलाफ अलग से सिविल अवमानना की कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए।जस्टिस जे.जे. मुनिर और जस्टिस संजीव कुमार की खंडपीठ एक ऐसे आपराधिक अपील मामले की सुनवाई कर रही थी, जो वर्ष 1984 से लंबित है...
वकालतनामा स्टांप और सदस्यता शुल्क बढ़ाने को चुनौती: राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया
राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान एडवोकेट कल्याण निधि (संशोधन) अधिनियम, 2020 को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया। इस संशोधन अधिनियम के जरिए वकालतनामा पर लगने वाले कल्याण स्टांप शुल्क को चार गुना बढ़ाया गया। साथ ही राजस्थान अधिवक्ता कल्याण निधि की सदस्यता शुल्क में भी वृद्धि की गई।याचिका में कहा गया कि राजस्थान अधिवक्ता कल्याण निधि अधिनियम 1987 का मूल उद्देश्य अधिक से अधिक अधिवक्ताओं को इसके दायरे में लाना है ताकि उन्हें सामाजिक सुरक्षा और कल्याणकारी लाभ मिल सकें। हालांकि,...
POCSO अपराध में जमानत के दौरान शादी या बच्चे का जन्म अप्रासंगिक: एमपी हाईकोर्ट ने 20 साल की सजा बरकरार रखी
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर पीठ ने हाल ही में अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि POCSO Act के तहत अपराधों में जमानत के दौरान आरोपी और पीड़िता के बीच हुई शादी या उस विवाह से संतान का जन्म, सजा में रियायत देने के लिए किसी भी तरह से प्रासंगिक नहीं माना जा सकता। अदालत ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में सहानुभूति दिखाने का आधार नहीं बनता।जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस रामकुमार चौबे की खंडपीठ ने यह टिप्पणी साजन भट्ट द्वारा दायर आपराधिक अपील खारिज करते हुए की। अपील में आरोपी ने नाबालिग से दुष्कर्म के मामले...
कैश फॉर क्वेरी मामला: दिल्ली हाईकोर्ट से महुआ मोइत्रा को राहत, CBI चार्जशीट के लिए लोकपाल की मंजूरी रद्द
दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस (TMC) की नेता और सांसद महुआ मोइत्रा को बड़ी राहत देते हुए कैश फॉर क्वेरी विवाद से जुड़े मामले में लोकपाल द्वारा CBI को चार्जशीट दाखिल करने की मंजूरी देने का आदेश रद्द कर दिया। हाईकोर्ट ने लोकपाल के आदेश को कानून के प्रावधानों के विपरीत करार देते हुए कहा कि लोकपाल ने लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम 2013 के प्रावधानों को सही ढंग से नहीं समझा।जस्टिस अनिल क्षेतरपाल और जस्टिस हरिश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने यह आदेश पारित करते हुए लोकपाल से कहा कि वह मंजूरी...
Liberty To Bleed: मासिक धर्म अवकाश नीति
कर्नाटक सरकार ने हाल ही में एक सरकारी आदेश (जी. ओ.) जारी किया है जिसमें कामकाजी महिलाओं को प्रति वर्ष 12 दिनों की मासिक धर्म छुट्टी दी गई है। जीओ के ऑपरेटिव भाग में कहा गया है कि कारखानों, दुकानों और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों, बागानों, बीड़ी इकाइयों और मोटर परिवहन उपक्रमों में काम करने वाली 18 से 52 वर्ष की आयु की महिला कर्मचारी मासिक धर्म के कारण प्रति माह एक भुगतान अवकाश की हकदार हैं। बिहार पहला राज्य था, जिसने 1992 में एक दीर्घकालिक नीति शुरू की थी जो विशेष रूप से महिला सरकारी कर्मचारियों को...



![[Bihar Excise Act] अगर सह-यात्री के पास शराब मिलती है तो मोटरसाइकिल मालिक के खिलाफ कोई अनुमान नहीं: पटना हाईकोर्ट [Bihar Excise Act] अगर सह-यात्री के पास शराब मिलती है तो मोटरसाइकिल मालिक के खिलाफ कोई अनुमान नहीं: पटना हाईकोर्ट](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2025/11/04/500x300_629235-750x450629145-assembly-election-patna-high-court.jpg)
















