हाईकोर्ट
'लिव-इन रिलेशनशिप गैर-कानूनी नहीं, राज्य जोड़ों की रक्षा करने के लिए बाध्य': इलाहाबाद हाईकोर्ट
एक महत्वपूर्ण आदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट (सिंगल जज) ने बुधवार को कहा कि हालांकि लिव-इन रिलेशनशिप का कॉन्सेप्ट सभी को स्वीकार्य नहीं हो सकता है, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि ऐसा रिश्ता 'गैर-कानूनी' है या शादी की पवित्रता के बिना साथ रहना कोई अपराध है।इसमें यह भी कहा गया कि इंसान के जीवन का अधिकार "बहुत ऊंचे दर्जे" पर है, भले ही कोई जोड़ा शादीशुदा हो या शादी की पवित्रता के बिना साथ रह रहा हो।कोर्ट ने टिप्पणी की,"एक बार जब कोई बालिग व्यक्ति अपना पार्टनर चुन लेता है तो किसी अन्य व्यक्ति, चाहे वह...
आत्मनिर्भर बनने के लिए पत्नी को भरण-पोषण का 10% कौशल विकास पर खर्च करना होगा: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पत्नी को दिए गए भरण-पोषण की राशि बढ़ाने से इनकार करते हुए निर्देश दिया है कि वह प्राप्त हो रही भरण-पोषण राशि का कम से कम 10 प्रतिशत अपने कौशल विकास (स्किल डेवलपमेंट) के लिए उपयोग करे। अदालत ने कहा कि भरण-पोषण का उद्देश्य केवल जीवन-यापन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका मकसद दीर्घकालिक गरिमा और आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करना भी है।जस्टिस आलोक जैन ने कहा,“याचिकाकर्ता को अपनी क्षमताओं और जीवन स्तर को बेहतर बनाने की आवश्यकता है ताकि वह आत्मनिर्भर बन सके। तभी यह कहा जा सकेगा कि...
आपसी सहमति से तलाक की पहली अर्जी के लिए एक वर्ष की अलगाव अवधि अनिवार्य नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने अहम फैसला देते हुए कहा है कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13B(1) के तहत आपसी सहमति से तलाक की पहली अर्जी दाखिल करने से पहले आवश्यक एक वर्ष की अलगाव अवधि अनिवार्य नहीं है और इसे माफ (वेवर) किया जा सकता है।जस्टिस नवीन चावला, जस्टिस अनुप जयराम भंभानी और जस्टिस रेणु भटनागर की पूर्ण खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि इस अवधि को अधिनियम की धारा 14(1) के प्रावधान (प्रोवाइजो) को लागू करते हुए माफ किया जा सकता है।अदालत ने यह भी कहा कि एक वर्ष की अलगाव अवधि की माफी से धारा 13B(2) के तहत दूसरी...
अस्थायी कर्मचारियों को दिए गए टेक्निकल ब्रेक मातृत्व अवकाश लाभ से इनकार करने का आधार नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार (16 दिसंबर) को फैसला सुनाया कि दैनिक वेतन पर अस्थायी आधार पर काम करने वाली महिला मातृत्व अवकाश के लाभों की हकदार है। उसे इस आधार पर इससे वंचित नहीं किया जा सकता कि उसे साल में 120 दिन पूरे करने के बाद 1 या 2 दिन का टेक्निकल ब्रेक दिया जाता है।कोल्हापुर में सर्किट बेंच में बैठे जस्टिस मकरंद कर्णिक और अजीत कडेथंकर की डिवीजन बेंच ने डॉ. वृषाली यादव द्वारा दायर याचिका को स्वीकार कर लिया, जो सितंबर 2018 से राजर्षि छत्रपति शाहू महाराज सरकारी मेडिकल कॉलेज में प्रसूति एवं...
सरकारी वकीलों की नियुक्ति पर दिशानिर्देश जारी करे केंद्र सरकार: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया तीन महीने का समय
दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को विभिन्न सरकारी विभागों की ओर से अदालतों में पेश होने वाले वकीलों की नियुक्ति के लिए दिशानिर्देश जारी करने हेतु तीन महीने का समय दिया। अदालत ने यह निर्देश एक जनहित याचिका का निपटारा करते हुए दिया।चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ विषाल शर्मा द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट और अधीनस्थ अदालतों में केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व करने के लिए किए गए वकीलों के पैनल गठन को चुनौती दी गई।सुनवाई...
अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज: पंजाब सरकार ने हरियाणा पुलिस द्वारा वकील पर कथित हमले के मामले में हाईकोर्ट को बताया
पंजाब सरकार ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में बताया कि एक ऐसे मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई जिसमें हरियाणा पुलिस ने कथित तौर पर पंजाब में एक वकील पर हमला किया था।हाईकोर्ट ने मंगलवार को 30 नवंबर को चंडीगढ़ के पास नयागांव पंजाब में सादे कपड़ों में हरियाणा पुलिस कर्मियों द्वारा एक वकील अमित पर कथित हमले का स्वतः संज्ञान लिया।FIR दर्ज करने में अनुचित देरी के कारण पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने 15 दिसंबर से हड़ताल पर जाने का फैसला किया था।कोर्ट ने कहा कि 30 नवंबर को एक...
भीमा कोरेगांव मामला: बॉम्बे हाईकोर्ट ने गौतम नवलखा को दिल्ली शिफ्ट होने की अनुमति दी
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एल्गार परिषद–भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी गौतम नवलखा को बड़ी राहत देते हुए जमानत की शर्तों में ढील दी और उन्हें मुंबई छोड़कर दिल्ली में रहने की अनुमति प्रदान की। यह आदेश बुधवार को जस्टिस भारती डांगरे और जस्टिस श्याम चंदक की खंडपीठ ने पारित किया।गौतम नवलखा ने अदालत में याचिका दाखिल कर कहा था कि मुंबई में रहना उनके लिए आर्थिक रूप से संभव नहीं रह गया और वह अपने स्थायी निवास दिल्ली लौटना चाहते हैं। उनकी जमानत की एक शर्त यह थी कि वह विशेष अदालत की अनुमति के बिना मुंबई नहीं छोड़...
'ब्लॉट ऑन द यूनिफॉर्म' टिप्पणी पर दिल्ली हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी, संजू वर्मा से ट्वीट हटाने पर विचार को कहा
दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) की राष्ट्रीय प्रवक्ता संजू वर्मा से उनके ट्वीट को हटाने पर विचार करने को कहा, जिसमें उन्होंने पूर्व आईपीएस अधिकारी यशोवर्धन आज़ाद को ब्लॉट ऑन द यूनिफॉर्म (वर्दी पर धब्बा) कहा था। यह टिप्पणी आज़ाद द्वारा दायर मानहानि वाद के संदर्भ में आई।जस्टिस अमित बंसल ने मामले में संजू वर्मा को समन जारी किया और कथित मानहानिकारक पोस्ट के खिलाफ अंतरिम निषेधाज्ञा की मांग पर नोटिस भी जारी किया। आज़ाद की ओर से सीनियर एडवोकेट विकास सिंह पेश हुए जबकि संजू वर्मा का...
बंद दुकान के भीतर कथित जातिसूचक गाली 'सार्वजनिक दृष्टि' में नहीं मानी जा सकती: राजस्थान हाईकोर्ट ने 31 साल पुरानी SC/ST Act के तहत सजा रद्द की
राजस्थान हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC/ST Act) के तहत वर्ष 1994 में दी गई सजा को निरस्त कर दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि कथित जातिसूचक अपमान किसी बंद दुकान या चारदीवारी के भीतर हुआ हो, जहां आम जनता की मौजूदगी या दृश्यता न हो, तो उसे कानून की दृष्टि में “सार्वजनिक दृष्टि में” किया गया कृत्य नहीं माना जा सकता।यह फैसला जस्टिस फरजंद अली की पीठ ने सुनाया। मामला एक वाहन शोरूम संचालक से जुड़ा था, जिस पर आरोप था कि उसने एक...
गैस रेगुलेटर आवश्यक वस्तु नहीं, जब तक अधिसूचित न हों: राजस्थान हाईकोर्ट ने 27 साल पुरानी सजा रद्द की
राजस्थान हाईकोर्ट ने अहम फैसले में यह स्पष्ट किया कि गैस रेगुलेटर अपने आप में आवश्यक वस्तु नहीं माने जा सकते, जब तक कि उन्हें विधि द्वारा विशेष रूप से अधिसूचित न किया गया हो। इसी आधार पर अदालत ने वर्ष 1998 में आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत सुनाई गई सजा को निरस्त कर दिया।यह फैसला जस्टिस फरजंद अली की सिंगल बेंच ने सुनाया। मामला उस अपील से जुड़ा था, जिसमें अपीलकर्ता को बिना वैध लाइसेंस 38 गैस रेगुलेटर रखने के आरोप में आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत दोषी ठहराया गया। इस सजा को चुनौती देते हुए अपीलकर्ता ने...
मात्र आशंका के आधार पर याचिका: गुजरात हाईकोर्ट ने संभावित कार्रवाई से संबंधित मस्जिद की याचिका पर सुनवाई से किया इनकार
गुजरात हाईकोर्ट ने अहमदाबाद स्थित मस्जिद द्वारा दायर उस याचिका पर विचार करने से इनकार किया, जिसमें संबंधित प्राधिकरणों द्वारा संभावित कार्रवाई की आशंका जताई गई थी। अदालत ने स्पष्ट किया कि जब तक कोई ठोस (Cause of Action) उत्पन्न नहीं होता तब तक केवल आशंका के आधार पर दायर की गई याचिका पर सुनवाई नहीं की जा सकती।मामले की सुनवाई जस्टिस मौना एम. भट्ट कर रही थीं। याचिका में प्रार्थना की गई कि प्रतिवादी प्राधिकरणों को निर्देश दिया जाए कि वे किसी भी प्रस्तावित कार्रवाई को विधि द्वारा निर्धारित प्रक्रिया...
न्याय कोई औपचारिक रस्म नहीं: नाबालिग लड़की की मौत की लापरवाह जांच पर जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट सख्त, CBI जांच के आदेश
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने 13 वर्षीय नाबालिग लड़की की संदिग्ध मौत के मामले में पुलिस जांच के तरीके पर गहरी नाराज़गी जताते हुए मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंपने का आदेश दिया। अदालत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि न्याय को केवल औपचारिक प्रक्रिया बनाकर नहीं छोड़ा जा सकता। इस तरह की संवेदनशील घटनाओं में देरी व लापरवाही से न केवल अहम सबूत नष्ट होते हैं बल्कि पीड़ित परिवार को भी न्याय से वंचित किया जाता है।यह आदेश जस्टिस राहुल भारती ने गांव जंडियाल, जम्मू निवासी मुख्तियार अली...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रेप पीड़ितों की प्रेग्नेंसी खत्म करने में देरी पर खुद ही PIL दर्ज की
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में रेप पीड़ितों की प्रेग्नेंसी खत्म करने के मामलों में सही कदम उठाने में अलग-अलग लेवल पर हो रही देरी के मुद्दे पर खुद ही एक पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (PIL) दर्ज की।इस मामले का नाम रखा गया: प्रेग्नेंसी खत्म करने के मामलों में सभी संबंधित लोगों को जागरूक करने के लिए गाइडलाइंस बनाने के संबंध मेंPIL दर्ज करने का आदेश सितंबर में जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस अरुण कुमार की बेंच ने दिया। बेंच ने महसूस किया कि प्रक्रिया में होने वाली देरी को दूर करना ज़रूरी है, जो अक्सर...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी में एसिड की बिक्री को रेगुलेट करने वाली 2014 की PIL को स्वतः संज्ञान कार्यवाही में बदला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में उत्तर प्रदेश में एसिड की बिक्री पर रोक और रेगुलेशन से संबंधित 2014 में दायर एक जनहित याचिका (PIL) को स्वतः संज्ञान कार्यवाही में बदल दिया।यह आदेश तब पारित किया गया जब मूल याचिकाकर्ता (अनुभव वर्मा) ने कहा कि वह इस मुकदमे को आगे नहीं बढ़ाना चाहता।उन्हें मामले से हटने की अनुमति देते हुए जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस विवेक सरन की डिवीजन बेंच ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता की इच्छा के कारण मामला बंद कर दिया जाता है तो "न्याय का हित प्रभावित हो सकता है"।याचिका खारिज...
गुजरात हाई कोर्ट ने नॉन-वेज बेचने और लीज की शर्त तोड़ने के आरोप में सील किए गए रेस्टोरेंट को म्युनिसिपैलिटी से संपर्क करने की इजाज़त दी
गुजरात हाईकोर्ट ने मंगलवार (16 दिसंबर) को एक रेस्टोरेंट को, जिसे लीज एग्रीमेंट का उल्लंघन करके नॉन-वेज खाना बेचने और न्यूसेंस फैलाने के आरोपों में सील कर दिया गया था, सील हटाने के लिए आनंद नगर निगम को एक अंडरटेकिंग देने की इजाज़त दी, और निर्देश दिया कि इस पर कानून के अनुसार विचार किया जाए।कोर्ट 2-12-2025 की तारीख वाले नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसके तहत याचिकाकर्ता को 10 दिनों के भीतर जगह (दुकान) खाली करने का निर्देश दिया गया, ऐसा न करने पर गुजरात प्रांतीय नगर निगम...
क्या राष्ट्रपति की मंज़ूरी के लिए भेजा गया बिल राष्ट्रपति के फैसले से पहले गवर्नर वापस ले सकते हैं? बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकार से पूछा
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को महाराष्ट्र और केंद्र सरकार से यह साफ करने को कहा कि क्या गवर्नर द्वारा राष्ट्रपति की मंज़ूरी के लिए भेजे गए बिल को भारत के राष्ट्रपति द्वारा उस पर कोई फैसला लेने से पहले, मंत्रिपरिषद की सलाह पर वापस लिया जा सकता है।जस्टिस मनीष पिटाले और जस्टिस मंजूषा देशपांडे की डिवीजन बेंच ने यह सवाल तब उठाया, जब उन्होंने पाया कि महाराष्ट्र विधानमंडल ने 2018 में एक बिल पास किया था, जिसमें भारतीय दंड संहिता (IPC) और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) में संशोधन की सिफारिश की गई थी ताकि...
बाह्य क्षेत्रीय अपराधों की जांच - क्या मंज़ूरी आवश्यक है?
अपराध और सजा के बीच का गठजोड़ पारंपरिक रूप से स्थानिक रहा है। सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त क्षेत्रीयता सिद्धांत प्रत्येक संप्रभु को अपनी सीमाओं के भीतर किए गए अपराधों की जांच करने और उन्हें दंडित करने का अनन्य अधिकार प्रदान करता है, एक नियम जो सीआरपीसी, 1973 के अध्याय XIII (अब बीएनएसएस, 2023 में अध्याय XIV) के तहत भारत में क्रिस्टलीकृत है।हालांकि, वैश्वीकरण ने क्षेत्रीय सीमाओं को छिद्रपूर्ण बना दिया है। बढ़ी हुई गतिशीलता, डिजिटल इंटरकनेक्शन और ट्रांसनेशनल नेटवर्क ने एक बार असाधारण घटना को...
चुनावी सुधारों पर हो रही बहस को किस प्रकार समझा जाना चाहिए?
संसद के शीतकालीन सत्र ने चुनावी सुधारों पर एक विस्तृत बहस को फिर से खोल दिया है, जिसमें विपक्ष बार-बार इस बात पर जोर दे रहा है कि सुधार को मजबूत करना चाहिए, न कि भारतीय लोकतंत्र की संस्थागत नींव को कमजोर करना चाहिए। जैसे ही सदस्यों ने मतदाता सूची में संशोधन, चुनाव आयोग के कामकाज और चुनावी अखंडता के व्यापक मुद्दों के बारे में चिंताओं को चिह्नित किया, यह स्पष्ट हो गया कि सुधार को अलग-अलग प्रक्रियात्मक समायोजन तक ही सीमित नहीं किया जा सकता है। इसके बजाय, भारत अब एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहां...
वायु आपातकाल - आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता
यह 2025 की सर्दी है और अभी भी, बी ग्रेड फिल्म की तरह, वही दृश्य चल रहे हैं। एक्यूआई का स्तर खतरनाक है, डॉक्टर चेतावनी की घंटी बजा रहे हैं, माता-पिता स्कूलों को बंद करने या वर्चुअल होने के लिए चिल्ला रहे हैं, हमारे नीति निर्माता अपना दोष खेल जारी रख रहे हैं और फिर भी हम निकट भविष्य में किसी भी समय समाधान के करीब नहीं हैं? क्या यह वर्तमान पीढ़ी के बच्चों का बहुत कुछ है जो अपने फेफड़ों, उनके दिमाग और / या उनके जीवन को प्रभावित करने वाले स्वास्थ्य मुद्दों के साथ बड़े होते हैं? एक राष्ट्र के रूप में,...
एयर इंडिया के 'विस्तारा' ब्रांड से भ्रामक समानता: बॉम्बे हाईकोर्ट ने 'VISTARRAAH' ट्रेडमार्क हटाने का आदेश दिया
एयर इंडिया की एयरलाइन ब्रांड 'VISTARA' से भ्रामक रूप से मिलते-जुलते पाए जाने पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने ट्रेडमार्क रजिस्टर से “VISTARRAAH” ट्रेडमार्क को हटाने का निर्देश दिया है।जस्टिस आरिफ़ एस. डॉक्टर ने 10 दिसंबर 2025 को यह आदेश पारित करते हुए एयर इंडिया द्वारा दायर रेक्टिफिकेशन (सुधार) याचिका को स्वीकार किया। अदालत ने कहा कि विवादित ट्रेडमार्क को रजिस्टर में बने रहने देना कानून के विपरीत होगा और इससे ट्रेडमार्क प्रणाली की पवित्रता एवं विश्वसनीयता प्रभावित होगी।एयर इंडिया ने अदालत को बताया कि वह...



















