आध्रं प्रदेश हाईकोर्ट
समय के साथ संबंध विकसित हो सकता है: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने मां की हत्या के मामले में गवाह बने बेटे के पिता को मुलाक़ात के अधिकार दिए
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने व्यक्ति को सशर्त मुलाकात (visitation) का अधिकार दिया, भले ही उसके नाबालिग बेटे ने उसकी पत्नी की हत्या के मामले में उसके खिलाफ गवाही दी थी।आरोपी पिता को आपराधिक मुकदमे में बरी किए जाने को ध्यान में रखते हुए जस्टिस रवि नाथ तिलहरी और जस्टिस चला गुना रंजन की खंडपीठ ने यह उचित समझा कि उसे सशर्त मुलाकात का अधिकार दिया जाए, जिससे वह अपने व्यवहार, आचरण और सहभागिता के माध्यम से बेटे का प्यार और स्नेह जीतने का अवसर पा सके।कोर्ट ने कहा,"ग़लतफहमियां या भ्रांतियां, चाहे वह किसी भी...
IPC की धारा 57 या जेल नियम 320 उम्रकैद की अवधि सीमित नहीं करते, उम्रकैद का मतलब आजीवन कैद: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने माना है कि आजीवन कारावास की सजा का अर्थ होगा कि कैदी को उसके शेष प्राकृतिक जीवन के लिए कैद किया जाएगा और आईपीसी की धारा 57 और आंध्र प्रदेश जेल नियम, 1979 ("नियम") के नियम 320 (a) दोषी के आजीवन कारावास की सजा को कम नहीं करते हैं और न ही कैदी के प्राकृतिक जीवन के अंत से पहले रिहा होने का अधिकार बनाते हैं।जस्टिस आर रघुनंदन राव और जस्टिस महेश्वर राव कुंचियम की एक खंडपीठ ने एक कैदी की रिहाई की मांग करने वाली एक रिट याचिका का निपटारा करते हुए, जिसे शुरू में मौत की सजा सुनाई...
बलात्कार केवल शारीरिक हमला नहीं, जमानत देने में उदार दृष्टिकोण समाज हित के खिलाफ: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने माना कि बलात्कार का अपराध मात्र शारीरिक हमला नहीं माना जा सकता और ऐसे मामलों में जमानत देने में उदार दृष्टिकोण अपनाना समाज के हित के खिलाफ है।इस संदर्भ मे जस्टिस टी. मल्लिकार्जुन राव की एकल पीठ ने टिप्पणी की,"बलात्कार का अपराध कम से कम दस वर्षों के कठोर कारावास से दंडनीय है, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है। साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है। सामूहिक बलात्कार के लिए बीस वर्षों के कठोर कारावास की सजा होती है, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता...
अन्य सह-आरोपियों को फंसाने वाले अभियुक्त द्वारा दिए गए बयान को जांच में 'सुराग' के रूप में लिया जा सकता है, साक्ष्य अधिनियम की धारा 30 के तहत स्वीकार्य: एपी हाईकोर्ट
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने माना है कि पूछताछ के दौरान अभियुक्त द्वारा दिए गए इकबालिया बयानों पर विचार किया जा सकता है या अन्य सह-अभियुक्तों से जुड़ने के लिए उन पर गौर किया जा सकता है और जांच में सुराग प्रदान करने के लिए इस तरह के प्रकटीकरण बयान पर विचार किया जा सकता है। जस्टिस टी मल्लिकार्जुन राव ने आगे कहा कि इस तरह का बयान भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 30 के तहत स्वीकार्य है। धारा 30 में साबित इकबालिया बयान पर विचार करने का प्रावधान है, जो इसे करने वाले व्यक्ति और उसी अपराध के लिए संयुक्त रूप...
MV Act| बीमा कंपनी न्यायाधिकरण द्वारा दिए गए मुआवजे का भुगतान करने के बाद ही वाहन के मालिक से वसूली की मांग कर सकती है: एपी हाईकोर्ट
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में एक मामले में भुगतान और वसूली के सिद्धांत को लागू किया और कहा कि बीमा कंपनी को मोटर वाहन दावा न्यायाधिकरण द्वारा दावेदार को दिए गए मुआवजे का भुगतान करने के बाद ही किसी वाहन के मालिक के खिलाफ निष्पादन याचिका दायर करने का अधिकार है। जस्टिस वीआरके कृपा सागर ने अपने आदेश में कहा,"बीमाकर्ता द्वारा मुआवज़ा देने की ज़िम्मेदारी के मुद्दे पर, अगर बीमा पॉलिसी का बुनियादी उल्लंघन हुआ है, तो बीमा कंपनी को दायित्व से मुक्त किया जा सकता है। हालांकि, उन मामलों में जहां...
मोटर वाहन दुर्घटना में पिता की मृत्यु पर बेटी अपनी वैवाहिक स्थिति की परवाह किए बिना मुआवज़ा मांग सकती है: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने माना कि बेटी चाहे वह विवाहित हो या अविवाहित कानूनी उत्तराधिकारी होती है। इसलिए एक विवाहित बेटी मोटर वाहन दुर्घटना के कारण अपने पिता की मृत्यु पर मुआवज़े के लिए दावा करने की हकदार है।हाईकोर्ट की एकल जज पीठ, जिसमें जस्टिस वीआरके कृपा सागर शामिल थे, ने स्पष्ट किया,"दावा करने की पात्रता एक बात है और आश्रितता के नुकसान के लिए कितना मुआवजा दिया जाना है। यह दूसरा पहलू है। हर उत्तराधिकारी आश्रित नहीं हो सकता। गैर-उत्तराधिकारी भी आश्रित हो सकते हैं। सिर्फ़ इसलिए कि एक बेटी...
हमाली अनावश्यक यात्री नहीं, मोटर वाहन अधिनियम के तहत तीसरे पक्ष की परिभाषा के अंतर्गत आता है: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने माना कि हमाली को अनावश्यक यात्री नहीं कहा जा सकता है और वह मोटर वाहन अधिनियम की धारा 145(i) के तहत तीसरे पक्ष के दायरे में आता है।जस्टिस न्यापति विजय की सिंगल बेंच ने धारा 145(i) के दायरे की व्याख्या करते हुए कहा,“मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 145(i) को मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम 2019 के माध्यम से संशोधित किया गया, जिसमें तीसरे पक्ष शब्द का विस्तार किया गया। संशोधित परिभाषा के अनुसार तीसरे पक्ष में मालिक और चालक के अलावा परिवहन वाहन पर कोई भी सहकर्मी शामिल है।”यह फैसला...
लोडिंग, रखरखाव और पे लोडर कर्मचारी अल्पकालिक रोजगार नहीं, वे EPF Act के तहत भविष्य निधि के हकदार: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने माना है कि लोडिंग और अनलोडिंग, कार्यालय या फैक्ट्री रखरखाव और पे लोडर कार्य के लिए सुरक्षा एजेंसियों द्वारा नियोजित कर्मचारी कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 ("ईपीएफ अधिनियम") की धारा 2(एफ) के तहत 'कर्मचारी' की परिभाषा के अंतर्गत आते हैं और भविष्य निधि के हकदार हैं। चीफ जस्टिस धीरज सिंह ठाकुर और जस्टिस रवि चीमलपति की हाईकोर्ट की खंडपीठ ने माना कि ऊपर वर्णित कर्मचारियों की तुलना उन व्यक्तियों से नहीं की जा सकती है जो "किसी तात्कालिक आवश्यकता या कंपनी...
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने सेशन कोर्ट को शिफ्ट करने के खिलाफ दायर खारिज खारिज की, कहा-वादियों की सुविधा वकीलों की सुविधा से अधिक महत्वपूर्ण
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने मछलीपट्टनम के VI अतिरिक्त जिला सत्र न्यायालय को अवनीगड्डा में शिफ्ट करने के सरकारी आदेश को चुनौती देने वाली रिट याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस धीरज सिंह ठाकुर और जस्टिस रवि चीमालापति की खंडपीठ ने अवनीगड्डा और मछलीपट्टनम के बीच की दूरी लगभग 35 किलोमीटर होने पर गौर करते हुए कहा,“अवनीगड्डा क्षेत्र के वादियों को प्रत्येक सुनवाई की तिथि पर अपने मामले दायर करने के लिए उस दूरी को पार करने से राहत मिलेगी। न्याय वितरण प्रणाली वादियों के लाभ के लिए मौजूद है, जिनकी सुविधा और...
गवाह द्वारा अपने लिए तथा समान बचाव वाले अन्य लोगों के लिए गवाही देना, उसके साक्ष्य को अस्वीकार करने का कोई आधार नहीं: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि समान वर्ग के पक्षों की परीक्षा के क्रम को नियंत्रित करने वाला कोई प्रावधान नहीं है। हालांकि सामान्य प्रथा यह है कि पहले एक ही पक्ष के लोगों की परीक्षा ली जाती है।अदालत ने आगे कहा कि सिर्फ इसलिए कि कोई गवाह न सिर्फ अपने लिए बल्कि दूसरों के लिए भी गवाही देता है, यह उसके साक्ष्य को अस्वीकार करने का आधार नहीं हो सकता।ऐसा करते हुए अदालत ने याचिकाकर्ता (वादी) की इस दलील को खारिज कर दिया कि प्रतिवादी नंबर 1 का हलफनामा खारिज किया जाना चाहिए, क्योंकि वह अपनी ओर से तथा...
सरकारी कर्मचारियों के ट्रांसफर को विनियमित करने वाले नियमों के अभाव में अनुच्छेद 162 के तहत जारी किए गए आदेशों का वैधानिक बल होगा: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने पुष्टि की कि कर्मचारियों के ट्रांसफर को नियंत्रित करने वाले किसी भी नियम के अभाव में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 162 के तहत जारी किए गए कार्यकारी आदेश/सरकारी आदेश, जो ट्रांसफर से संबंधित दिशा-निर्देश निर्धारित करते हैं, का वैधानिक बल होगा।“प्रशासनिक प्राधिकरण अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते हुए और G.O.Ms.No.75 दिनांक 17.08.2024 के अनुसरण में स्थानांतरण करते समय उसमें निर्धारित दिशा-निर्देशों/निर्देशों का पालन करेगा। वास्तव में प्राधिकरण विनियमों से बंधा हुआ है। बेशक, भारत...
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने तिरुपति उप महापौर चुनाव के दौरान कथित हिंसा की CBI/SIT जांच के लिए सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर नोटिस जारी किया
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें 4 फरवरी को तिरुपति के उप महापौर के चुनाव के दौरान कथित हिंसा की CBI/SIT जांच की मांग की गई।चीफ जस्टिस धीरज सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार, CBI, आंध्र प्रदेश गृह विभाग, पुलिस महानिदेशक और राज्य चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया।स्वामी ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया हिंसा, जबरदस्ती और धमकियों से प्रभावित हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य पुलिस स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव...
गंभीर आरोपों से जुड़े मामले की जांच करते समय जांच अधिकारी को स्वतंत्रता दी जानी चाहिए: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने माना कि गंभीर आरोपों वाले मामले में जांच अधिकारी (IO) को जांच को उसके तार्किक निष्कर्ष तक ले जाने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए।जस्टिस टी मल्लिकार्जुन राव ने आगे कहा,“जांच अधिकारी, जिसे याचिकाकर्ता को हिरासत में लेकर पूछताछ करने से रोका गया, गंभीर आरोपों में प्रथम दृष्टया तथ्य खोजने में शायद ही सफल हो सकता है। याचिकाकर्ता के जमानत पर रिहा होने के बाद जांच प्रभावी होने की संभावना बहुत अधिक है। अग्रिम जमानत की मांग करने वाले आवेदन पर निर्णय लेते समय हिरासत में लेकर पूछताछ...
पदोन्नति के लिए सीनियोरिटी फीडर श्रेणी में पदोन्नति की तिथि से निर्धारित होती है, प्रारंभिक नियुक्ति की तिथि से नहीं: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस सुब्बा रेड्डी सत्ती की एकल पीठ ने माना कि उप निरीक्षक के पद पर पदोन्नति के लिए सीनियर फीडर श्रेणी (हेड कांस्टेबल/ASI) में पदोन्नति की तिथि से निर्धारित होती है, पुलिस कांस्टेबल के रूप में प्रारंभिक नियुक्ति की तिथि से नहीं।पूरा मामलायाचिकाकर्ता SPSR नेल्लोर जिले में हेड कांस्टेबल (HC) और सहायक उप निरीक्षक (ASI) के रूप में कार्यरत थे। उन्हें वर्ष 1989 में पुलिस अधीक्षक, नेल्लोर के कार्यालय में पुलिस कांस्टेबल (सिविल) के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्हें...
योग्यता प्राप्ति की तारीख परिणाम घोषित होने की तिथि, न कि अस्थायी प्रमाणपत्र जारी होने की तिथि: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने दोहराया कि अपेक्षित योग्यता प्राप्त करने की तिथि परिणाम घोषित करने की तिथि से होगी न कि अनंतिम प्रमाण पत्र जारी करने की तिथि से।जस्टिस रवि नाथ तिलहरी और जस्टिस वी श्रीनिवास की खंडपीठ ने आगे कहा कि यद्यपि अनंतिम प्रमाण पत्र योग्यता का प्रमाण है लेकिन इसके जारी करने की तिथि को प्रश्नगत योग्यता प्राप्त करने की तिथि नहीं माना जा सकता। न्यायालय ने बताया कि आंध्र प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड (APSB) सेवा विनियम, 1968 के विनियमन-33 में परीक्षा के अंतिम दिन का नियम निर्धारित किया...
उच्च पद पर नियुक्त व्यक्ति उस कैडर का वेतन पाने का हकदार, भले ही बाद में उसे अयोग्य पाया जाए: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फैसले में माना कि आधिकारिक आदेश पर उच्च पद पर नियुक्त किया गया कोई कर्मचारी उस पद के वेतन का हकदार है, भले ही बाद में उसकी अयोग्यता का पता चले। जस्टिस रवि नाथ तिलहरी और जस्टिस न्यापति विजय की खंडपीठ ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के निर्णय के खिलाफ दायर एक रिट याचिका में यह आदेश पारित किया।न्यायाधिकरण ने निर्देश दिया था कि प्रतिवादी को अपेक्षित योग्यता होने के बावजूद, उसकी कार्य अवधि के लिए, जिस कैडर में वह कार्यरत था, उसका वेतन दिया जाए। कैट ने...
वह बालिग है, परिवार उसे रोक नहीं सकता: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने महिला को समलैंगिक साथी के साथ रहने की अनुमति दी
कॉर्पस याचिका पर सुनवाई करते हुए, जिसमें महिला ने दावा किया था कि उसकी महिला साथी को उसके माता-पिता ने कस्टडी में लिया है, आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने महिलाओं के साथ रहने के अधिकार को बरकरार रखते हुए कहा कि बंदी बालिग है और उसका परिवार उसे अपने जीवन के फैसले लेने से नहीं रोक सकता।जस्टिस आर. रघुनंदन राव और जस्टिस महेश्वर कुंचेम की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा,"इस तथ्य को देखते हुए कि बंदी बालिग है और अपने जीवन के बारे में अपने फैसले लेने के लिए स्वतंत्र है न तो माता-पिता और न ही परिवार के अन्य सदस्य...
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने सीएम चंद्रबाबू नायडू पर अपमानजनक पोस्ट करने के आरोपी व्यक्ति को अग्रिम जमानत दी
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने संगठित अपराध करने और मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू और उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण के खिलाफ सोशल मीडिया पर कथित रूप से अपमानजनक सामग्री पोस्ट करने के लिए आरोपी एक व्यक्ति को अग्रिम जमानत दे दी, जिसके बारे में दावा किया गया था कि इससे राजनीतिक अशांति और संभावित हिंसा हुई थी।जस्टिस हरिनाथ एन ने अपने आदेश में मोहम्मद इलियास मोहम्मद बिलाल कपाड़िया बनाम गुजरात राज्य में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया था कि संबंधित राज्य कानून के तहत संगठित अपराध को लागू...
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने आपराधिक मानहानि मामले में फिल्म डाइरेक्टर राम गोपाल वर्मा को अग्रिम जमानत दी
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने मंगलवार को फिल्म निर्माता राम गोपाल वर्मा को मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के बारे में कथित रूप से अपमानजनक और आपत्तिजनक पोस्ट करने के लिए उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मानहानि मामले में अग्रिम जमानत दी।जस्टिस हरिनाथ एन ने फिल्म निर्माता को 20,000 रुपये के निजी मुचलके और समान राशि की दो जमानतें भरने की शर्त पर राहत दी और उनसे जांच के दौरान पुलिस के साथ सहयोग करने को कहा।मामले में कहा गया,"याचिकाकर्ता और लोक अभियोजक के वकील को सुना और लोक अभियोजक द्वारा प्रस्तुत रिकॉर्ड और केस...
'सोशल मीडिया ट्रोलिंग' जो गलत जानकारी फैलाता है, अश्लील शब्दों का इस्तेमाल करता है, वह सोशल एक्टिविस्ट नहीं, सरकार के आलोचक से अलग: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट
सोशल मीडिया कार्यकर्ताओं की कथित अंधाधुंध गिरफ्तारी पर एक जनहित याचिका पर विचार करते हुए, आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया पर खुद को व्यक्त करने वाले "सरकार के आलोचक" और एक "सोशल मीडिया धमकाने वाले" के बीच अंतर किया, जो किसी व्यक्ति, एक अधिकारी या प्राधिकरण में गलत जानकारी फैलाने वाले व्यक्ति को धमकाने के लिए मंच का उपयोग करता है या जो अश्लील भाषा का उपयोग करता है।कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करने वाले ऐसे व्यक्तियों को सोशल मीडिया एक्टिविस्ट नहीं कहा जा सकता है, और...