बच्चे की कस्टडी निर्धारित करने में उसकी प्राथमिकताएं और झुकाव महत्वपूर्णः सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network

31 Oct 2020 4:30 AM GMT

  • बच्चे की कस्टडी निर्धारित करने में उसकी प्राथमिकताएं और झुकाव महत्वपूर्णः सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने बच्चे की अंतरराष्ट्रीय कस्टडी से संबंधित एक फैसले में गार्ड‌ीअन एंड वार्ड एक्ट 1890 की धारा 17 (3) पर भरोसा किया, जिसमें कहा गया कि कोर्ट नाबालिग की प्राथमिकताओं पर विचार कर सकता है, यदि वह इतना बड़ा/बड़ी है कि विवेकपूर्ण प्र‌ाथम‌िकताएं तय कर पाए।

    कोर्ट ने कहा, "धारा 17 (3) के अनुसार, नाबालिग बच्चे की कस्टडी के मुद्दे को निर्धारित करने के लिए बच्चे की प्राथमिकताएं और झुकाव महत्वपूर्ण हैं। धारा 17 (5) में यह प्रावधान है कि बच्‍चे की इच्छा के विरुद्ध अदालत किसी व्यक्ति को अभिभावक नियुक्त या घोषित नहीं करेगी।"

    तीन जजों की खंडपीठ, जिसमें जस्टिस यूयू ललित, इंदु मल्होत्रा, और हेमंत गुप्ता (2: 1) शामिल थे, ने एक पिता को बच्चे की कस्टडी की अनुमति देते हुए, उक्त नियम लागू किया। पीठ ने बच्चे के साथ, उसकी आकांक्षाओं और इच्छाओं का पता लगाने के लिए, व्यक्तिगत रूप से बातचीत की।

    सुप्रीम कोर्ट ने मौजूदा मामले में (स्मृति मदान कंसाग्रा बनाम पेरी कंसाग्रा) उस सिद्धांत की पुष्टि की, जिसमें कहा गया है कि पैरेन्स पेट्र‌िआ अधिकार क्षेत्र का उपयोग करते समय, एकमात्र और सर्वोपरि विचार बच्चे के हित और कल्याण का संरक्षण करना होगा।

    इसलिए, यह तय करने के लिए कि बच्चे के हित में क्या है, अदालत विभिन्न कारकों को ध्यान में रखा। यह दर्ज किया गया कि इन नील रतन कुंडू बनाम अभिजीत कुंडू (2008) मामले में इन मार्गदर्शक कारकों का निर्धारण किया गया है और जीडब्ल्यूए की धारा 17 में भी निर्धारित किया गया है।

    धारा 17 (3), विशेष रूप से, कहती है कि "यदि नाबालिग इतना बड़ा है कि वह विवेकपूर्ण प्राथमिकताएं तय कर पाए तो अदालत उसकी प्राथमक‌िताओं पर विचार कर सकती है।"

    न्यायालय ने कहा कि वर्तमान मामले में, नाबालिग की कस्टडी का मुद्दा "बच्चे के समग्र विकास के समग्र विचार पर निर्भर करता है, जिसे धारा 17 (3) की अनिवार्यता के रूप में, उसकी प्राथमिकताओं के आधार निर्धारित किया जाना है ..."

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नाबालिगों के साथ कोर्ट व्यक्तिगत रूप से बातचीत कर इस प्रकार के विचारों को समझ सकता है, और बच्चों की कस्टडी के मुद्दे पर नाबालिगों की पसंद न्याय‌िक फैसले की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।

    फैसले में नाबालिग बच्चे के साथ अपनी बातचीत और निष्कर्षों का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा, "हमने पाया कि आदित्य अपनी उम्र से अधिक आत्मविश्वासी और मुखर हैं। वह हमसे बातचीत करने में सहज थे। वह विदेश में आगे पढ़ने और यूके और अन्य स्थानों की यात्राओं संबंध‌ित अपनी रुचि में बहुत ही स्पष्ट हैं। उन्होंने अपनी मां और नानी के प्रति गहन प्रेम और स्नेह प्रकट किया। साथ ही, हमने पाया कि उन्हें अपने पिता और दादा-दादी से गहरा लगाव है।"

    फैमिली कोर्ट, हाईकोर्ट और काउंसलर की रिपोर्ट पर भरोसा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि नाबालिग ने अपने पिता के प्रति अधिक स्नेह दिखाया है और दोनों का संबंध वास्तविक था।

    यह देखते हुए कि नाबालिग की कस्टडी के मुद्दे को निर्धारित करने के लिए धारा 17 (3) के अनुसार बच्चे की प्राथमिकताएं महत्वपूर्ण हैं, सुप्रीम कोर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि कस्टडी का हस्तांतरा प‌िता को करना बच्चे के हित में होगा, यदि उसकी प्राथमिकताओं को उचित सम्मान नहीं दिया गया था, इसका उस प्रतिकूल मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ सकता है।

    कोर्ट ने कहा, "व्यक्तिगत स्तर पर हुई कई बातचीत के बाद, जो अदालतों की कार्यवाही के विभिन्न चरणों में की गई, 6 वर्ष की आयु से, अब जब वह लगभग 11 वर्ष की है, हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि बच्‍चे की कस्टडी का हस्तांतरण पिता करना, उसके हित में होगा। यदि उसकी प्राथमिकताओं को उचित सम्मान नहीं दिया जाता है, तो यह उस पर प्रतिकूल मनोवैज्ञानिक प्रभाव डाल सकता है।

    पीठ ने केन्या में स्थित बच्चे के पिता को कस्टडी की अनुमति देते हुए "मिरर ऑर्डर" की अवधारणा को भी लागू किया ( इस विषय पर पढ़ने के लिए यहां क्‍ल‌िक करें।)

    जस्टिस हेमंत गुप्ता ने बहुमत के इस फैसले से असहमति जताई कि बच्चे की कस्टडी दिल्ली स्‍थति उसकी मां के पास ही रहनी चाहिए।

    केस का विवरण

    टाइटल: स्मृति मदान कंसाग्रा बनाम पेरी कंसाग्रा (सिविल अपील संख्या 3559​​/2020)

    कोरम: जस्टिस यूयू ललित, इंदु मल्होत्रा, और हेमंत गुप्ता

    प्र‌तिनिधित्व: सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान और एडवोकेट पी बनर्जी और निधि मोहन पराशर (अपीलार्थी के लिए) और एडवोकेट अनुन्या मेहता और इंद्रजीत सरूप (प्रतिवादी के लिए)

    फैसला डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

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