पटना हाईकोट

सरकारी मशीनरी में प्रक्रियागत बाधाएं मध्यस्थता अधिनियम की धारा 37 के तहत अपील दायर करने में देरी को माफ करने के लिए पर्याप्त कारण नहीं: पटना हाईकोर्ट
सरकारी मशीनरी में प्रक्रियागत बाधाएं मध्यस्थता अधिनियम की धारा 37 के तहत अपील दायर करने में देरी को माफ करने के लिए 'पर्याप्त कारण' नहीं: पटना हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट की जस्टिस रमेश चंद मालवीय की पीठ ने माना कि सरकारी तंत्र में प्रक्रियागत बाधाएं अपील दायर करने में देरी को माफ करने के लिए 'पर्याप्त कारण' नहीं हैं। इसके अतिरिक्त, न्यायालय ने माना कि किसी पक्ष का आचरण, व्यवहार और उसकी निष्क्रियता या लापरवाही से संबंधित रवैया देरी को माफ करने में प्रासंगिक कारक हैं।तथ्यजिला न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश के विरुद्ध मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 37(1)(सी) के तहत वर्तमान अपील दायर की गई है। जिला न्यायाधीश ने सीमा अधिनियम, 1963 की धारा 5 के...

मध्यस्थ की एकतरफा नियुक्ति धारा नियुक्ति प्रक्रिया में पक्षों की समान भागीदारी में बाधा डालती है: पटना हाईकोर्ट
मध्यस्थ की एकतरफा नियुक्ति धारा नियुक्ति प्रक्रिया में पक्षों की समान भागीदारी में बाधा डालती है: पटना हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ ने माना कि एक खंड, जो एक पक्ष को एकतरफा रूप से एकमात्र मध्यस्थ नियुक्त करने की अनुमति देता है, मध्यस्थ की स्वतंत्रता और निष्पक्षता के बारे में उचित संदेह को जन्म देता है। इसके अलावा ऐसा एकतरफा खंड अनन्य है और मध्यस्थों की नियुक्ति प्रक्रिया में पक्षों की समान भागीदारी में बाधा डालता है।मामलाप्रतिवादी द्वारा शुरू की गई निविदा प्रक्रिया के अनुसार पक्षों ने एक समझौता किया। अलग-अलग किए गए समझौतों में विवाद समाधान के लिए खंड-25 शामिल था। याचिकाकर्ता...

उन मामलों में पुनर्मूल्यांकन स्वीकार्य नहीं, जहां अधिकारियों ने स्पष्टता सुनिश्चित की है: पटना हाईकोर्ट
उन मामलों में पुनर्मूल्यांकन स्वीकार्य नहीं, जहां अधिकारियों ने स्पष्टता सुनिश्चित की है: पटना हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट के चीफ़ जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस नानी टैगिया की खंडपीठ ने पुनर्मूल्यांकन का निर्देश देने वाले एकल न्यायाधीश के एक फैसले को रद्द करते हुए कहा कि पुनर्मूल्यांकन से संबंधित मामलों में, अदालत इस तरह के पुनर्मूल्यांकन या जांच की अनुमति तभी दे सकती है जब यह बहुत स्पष्ट रूप से प्रदर्शित हो, बिना किसी "तर्क की अनुमानित प्रक्रिया या युक्तिकरण की प्रक्रिया" के और केवल दुर्लभ या असाधारण मामलों में जहां एक भौतिक त्रुटि हो प्रतिबद्ध है। बेंच ने कहा कि ऐसे मामलों में जहां अधिकारियों को...

जिन व्यक्तियों के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल नहीं किया गया, उन्हें भी मुकदमे का सामना करने के लिए बुलाया जा सकता है: पटना हाईकोर्ट
जिन व्यक्तियों के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल नहीं किया गया, उन्हें भी मुकदमे का सामना करने के लिए बुलाया जा सकता है: पटना हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट ने माना कि जिन व्यक्तियों के खिलाफ पुलिस ने आरोप-पत्र दाखिल नहीं किया, उन्हें भी भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (CrPC) की धारा 319 के तहत मुकदमे का सामना करने के लिए बुलाया जा सकता है, यदि मुकदमे के दौरान उनके खिलाफ मजबूत और ठोस सबूत सामने आते हैं।जस्टिस जितेंद्र कुमार ने द्रौपदी कुंवर और अन्य द्वारा दायर आपराधिक पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए कहा,"यदि न्यायालय को चल रहे मुकदमे के दौरान प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर ऐसा प्रतीत होता है कि उसने अपराध किया है तो न्यायालय को...

वसूली के आदेश के पांच साल से ज्यादा पहले से सेवानिवृत्त कर्मचारी से अतिरिक्त राशि की वसूली अनुचित: पटना हाईकोर्ट
वसूली के आदेश के पांच साल से ज्यादा पहले से सेवानिवृत्त कर्मचारी से अतिरिक्त राशि की वसूली अनुचित: पटना हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट की जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल की खंडपीठ ने एक सेवानिवृत्त क्लर्क से वसूली के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को अनुमति दे दी, जिसे कथित गलत वेतन निर्धारण के कारण अधिक राशि का भुगतान किया गया था। न्यायालय ने दोहराया कि गलती से भुगतान की गई अतिरिक्त राशि की वसूली उन मामलों में स्वीकार्य नहीं है, जहां वसूली तृतीय श्रेणी और चतुर्थ श्रेणी सेवा से संबंधित कर्मचारियों के मामले में की जाती है और उन मामलों में भी जहां वसूली का आदेश जारी होने से पहले पांच साल से अधिक की अवधि के लिए...

रिटायर्ड वर्ग-III कर्मचारी से अतिरिक्त पेंशन भुगतान की वसूली अस्वीकार्य: पटना हाईकोर्ट
रिटायर्ड वर्ग-III कर्मचारी से अतिरिक्त पेंशन भुगतान की वसूली अस्वीकार्य: पटना हाईकोर्ट

जस्टिस पूर्णेंदु सिंह की एकल पीठ ने रिट याचिका को अनुमति दी, जिसमें रिटायर्ड केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल उपनिरीक्षक को किए गए अतिरिक्त पेंशन भुगतान की वसूली को चुनौती दी गई थी।पंजाब राज्य बनाम रफीक मसीह के मामले में न्यायालय ने फैसला सुनाया कि वर्ग-III कर्मचारियों से अतिरिक्त भुगतान की वसूली अस्वीकार्य है, जब त्रुटि प्रशासनिक हो और कर्मचारी द्वारा गलत बयानी के कारण न हो। इस प्रकार, न्यायालय ने बिना किसी कटौती के पूर्ण पेंशन लाभ बहाल करने का आदेश दिया।मामले की पृष्ठभूमिप्रमोद कुमार सिन्हा...

आंगनवाड़ी पर्यवेक्षक की सेवा बिना प्रक्रिया का पालन किए समाप्त की गई, पटना हाईकोर्ट ने रद्द किए आदेश
आंगनवाड़ी पर्यवेक्षक की सेवा बिना प्रक्रिया का पालन किए समाप्त की गई, पटना हाईकोर्ट ने रद्द किए आदेश

पटना हाईकोर्ट की जस्टिस बिबेक चौधरी की एकल पीठ ने माना कि आंगनवाड़ी पर्यवेक्षक को परवेक्षिका नियोजन मार्गदर्शक की धारा XIV के तहत समाप्ति प्रक्रिया का पालन किए बिना सेवा से बर्खास्त करना अवैध है। तथ्यराज्य सरकार ने भोजपुर जिले के पिलापुर के वार्ड संख्या 8 में आंगनवाड़ी केंद्र संख्या 206 बनाया। इसलिए आंगनवाड़ी सेविका/सहायिका के पदों के लिए 2016 में विज्ञापन दिया गया। विज्ञापित पद के लिए चौदह आवेदन प्राप्त हुए। याचिकाकर्ता ने सर्वोच्च योग्यता अंक प्राप्त किए और 12 नवंबर, 2016 को अधिकारियों की...

बिना मेडिकल एक्सपर्ट की राय के चोट की प्रकृति के बारे में सामान्य गवाह की मौखिक गवाही हत्या से मौत साबित करने के लिए अपर्याप्त: पटना हाईकोर्ट
बिना मेडिकल एक्सपर्ट की राय के चोट की प्रकृति के बारे में सामान्य गवाह की मौखिक गवाही हत्या से मौत साबित करने के लिए अपर्याप्त: पटना हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट ने हाल ही में हत्या के आरोप में तीन महिलाओं को बरी करने का फैसला बरकरार रखा, जबकि फैसला सुनाया कि मृतक को लगी चोट की प्रकृति के बारे में सामान्य गवाहों की मौखिक गवाही (मेडिकल एक्सपर्ट की पुष्टि के बिना) हत्या से मौत साबित करने के लिए अपर्याप्त है।जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद और जस्टिस जितेंद्र कुमार की खंडपीठ ने कहा,"कथित हमले के कारण हत्या से मौत साबित करने के लिए सामान्य गवाहों के मौखिक साक्ष्य पर्याप्त नहीं हैं। केवल मेडिकल साइंस के एक्सपर्ट गवाह ही चोट की प्रकृति और मृतक की मौत ऐसी...

ई-मेल द्वारा ट्रिपल तालक मानसिक यातना, पति का तलाक देने की एकतरफा शक्ति अस्वीकार्य: पटना हाईकोर्ट
ई-मेल द्वारा ट्रिपल तालक मानसिक यातना, पति का तलाक देने की एकतरफा शक्ति अस्वीकार्य: पटना हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा है कि यह विचार स्वीकार्य नहीं है कि एक मुस्लिम पति को तत्काल तलाक देने की मनमानी और एकतरफा शक्ति प्राप्त है और मुस्लिम पत्नी को केवल ई-मेल भेजकर तलाक देना मानसिक यातना के रूप में हैपति के खिलाफ दहेज और मानसिक प्रताड़ना के आरोपों को रद्द करने की याचिका खारिज करते हुए जस्टिस शैलेंद्र सिंह की पीठ ने यह भी कहा कि तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के 2017 के फैसले का संचालन पूर्वव्यापी रूप से लागू होगा और इसलिए, यह उक्त निर्णय पारित करने से पहले सुनाए गए ट्रिपल तालक पर...

अपीलीय प्राधिकारी को अपील में उठाए गए आधारों पर विचार करना होगा और गुण-दोष के आधार पर निर्णय लेना होगा, भले ही अपील एकपक्षीय रूप से सुनी गई हो: पटना हाईकोर्ट
अपीलीय प्राधिकारी को अपील में उठाए गए आधारों पर विचार करना होगा और गुण-दोष के आधार पर निर्णय लेना होगा, भले ही अपील एकपक्षीय रूप से सुनी गई हो: पटना हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट ने कहा कि अपीलीय प्राधिकारी का कर्तव्य और दायित्व है कि वह अपील के ज्ञापन में करदाता द्वारा उठाए गए आधारों की जांच करे और गुण-दोष के आधार पर मामले का निर्णय करे भले ही अपील एकपक्षीय रूप से दायर की गई हो।चीफ जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने कहा कि अपीलीय प्राधिकारी को अपील पर एकपक्षीय रूप से विचार करते समय भी अपील के ज्ञापन में उठाए गए आधारों पर विचार करना होगा और गुण-दोष के आधार पर अपील का निर्णय करना होगा।करदाता/याचिकाकर्ता ने अपीलीय प्राधिकारी द्वारा...

पटना हाईकोर्ट ने कर्मचारी की बहाली को बरकरार रखा, कहा- अनिवार्य सेवानिवृत्ति व्यक्तिपरक संतुष्टि पर आधारित होनी चाहिए
पटना हाईकोर्ट ने कर्मचारी की बहाली को बरकरार रखा, कहा- अनिवार्य सेवानिवृत्ति व्यक्तिपरक संतुष्टि पर आधारित होनी चाहिए

पटना हाईकोर्ट ने हाल ही में बिहार के राज्यपाल सचिवालय में पदस्थ तृतीय श्रेणी के एक कर्मचारी की बहाली को बरकरार रखा है, जिसे उसके खिलाफ लंबित विभागीय कार्यवाही के बीच अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिया गया था। एकल पीठ के फैसले की पुष्टि करते हुए चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने कहा कि कर्मचारी के खिलाफ लगाए गए आरोपों के आधार पर कर्मचारी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश देना अनुचित और अन्यायपूर्ण होगा, जिसके लिए कर्मचारी के खिलाफ विभागीय कार्यवाही लंबित है। ...

केवल इस आधार पर आर्म्स लाइसेंस देने से इनकार नहीं किया जा सकता कि आवेदक को कोई विशेष सुरक्षा खतर नहीं है: पटना हाईकोर्ट
केवल इस आधार पर आर्म्स लाइसेंस देने से इनकार नहीं किया जा सकता कि आवेदक को कोई विशेष सुरक्षा खतर नहीं है: पटना हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट ने हाल ही में दोहराया कि किसी व्यक्ति को आर्म्स लाइसेंस देने से केवल इस आधार पर इनकार नहीं किया जा सकता कि आवेदक को कोई विशेष सुरक्षा खतरा या आसन्न खतरा नहीं है।जस्टिस मोहित कुमार शाह ने जिला मजिस्ट्रेट, खगड़िया और संभागीय आयुक्त, मुंगेर के आदेशों को खारिज कर दिया, जिसमें याचिकाकर्ता को शस्त्र लाइसेंस देने से केवल इसलिए इनकार कर दिया गया, क्योंकि उनकी जान को कोई खतरा नहीं है।बिहार राज्य और अन्य बनाम दीपक कुमार (2019) और एक अन्य निर्णय में हाईकोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए ...

वसीयत के निष्पादक की मृत्यु के साथ प्रोबेट कार्यवाही समाप्त हो जाती है, कानूनी उत्तराधिकारियों का प्रतिस्थापन स्वीकार्य नहीं: पटना हाईकोर्ट
वसीयत के निष्पादक की मृत्यु के साथ प्रोबेट कार्यवाही समाप्त हो जाती है, कानूनी उत्तराधिकारियों का प्रतिस्थापन स्वीकार्य नहीं: पटना हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट ने कहा कि वसीयत के निष्पादक की मृत्यु के बाद उसके कानूनी उत्तराधिकारियों को उसके स्थान पर प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता है, साथ ही कहा कि वसीयत के निष्पादक की मृत्यु के बाद प्रोबेट कार्यवाही समाप्त हो जाती है। भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 की धारा 222 पर भरोसा करते हुए जस्टिस अरुण कुमार झा ने कहा कि प्रोबेट प्राप्त करने का अधिकार निष्पादक तक ही सीमित है और यह किसी भी तरह से वसीयत द्वारा नियुक्त निष्पादक के उत्तराधिकारी को नहीं दिया जा सकता है। संदर्भ के लिए प्रोबेट यह स्थापित...

अनुकंपा नियुक्ति पाने के लिए 5 साल की सीमा उस तारीख से शुरू होती है जब कार्रवाई का कारण उत्पन्न होता है: पटना हाईकोर्ट
अनुकंपा नियुक्ति पाने के लिए 5 साल की सीमा उस तारीख से शुरू होती है जब कार्रवाई का कारण उत्पन्न होता है: पटना हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट की जस्टिस पीबी बंजंथरी और जस्टिस बीपीडी सिंह की खंडपीठ ने उस निर्णय को चुनौती देने वाली अपील स्वीकार कर ली जिसमें कांस्टेबल के पद पर अनुकंपा नियुक्ति के लिए एक आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि आवेदन निर्धारित 5 वर्ष की अवधि के भीतर अधिकारियों के समक्ष दायर नहीं किया गया था। न्यायालय ने पाया कि अपीलकर्ता अपने पिता की मृत्यु के ठीक बाद नियुक्ति के लिए आवेदन दायर नहीं कर सकता था, क्योंकि उसे उसकी मृत्यु से छह महीने पहले सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। यह माना गया कि...

नियुक्ति कानून के अनुसार नहीं है तो ड्यूटी पर बिताया गया समय महत्वहीन : पटना हाईकोर्ट
नियुक्ति कानून के अनुसार नहीं है तो ड्यूटी पर बिताया गया समय महत्वहीन : पटना हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट के जस्टिस पी.बी. बंजंथरी और जस्टिस बी.पी.डी. सिंह की खंडपीठ ने माना कि यदि किसी उम्मीदवार की नियुक्ति कानून के अनुसार नहीं है तो यह महत्वहीन होगा कि उसने पद के संबंध में कितने वर्षों तक कर्तव्यों का निर्वहन किया। खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश के आदेश को बरकरार रखा जिसने अपीलकर्ता (प्रधान लिपिक) को राहत देने से इनकार किया, जिसे नियुक्ति की तिथि पर मेरिट सूची में नहीं होने के बावजूद पद पर नियुक्त किया गया।पूरा मामलाअपीलकर्ता ने प्रतिवादी नंबर 5 के साथ प्रधान लिपिक के पद के लिए आवेदन किया।...

एक ही निर्णय से उत्पन्न होने वाली आपराधिक अपीलों की सुनवाई खंडपीठ द्वारा एक साथ की जानी चाहिए: पटना हाईकोर्ट
एक ही निर्णय से उत्पन्न होने वाली आपराधिक अपीलों की सुनवाई खंडपीठ द्वारा एक साथ की जानी चाहिए: पटना हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि जब एक ही निचली अदालत के फैसले से कई आपराधिक अपीलें उत्पन्न होती हैं, जिनमें से एक में दस साल से अधिक की सजा होती है और दूसरी में दस साल से कम की सजा होती है तो कम सजा वाली अपील की सुनवाई भी खंडपीठ द्वारा की जानी चाहिए।जस्टिस आशुतोष कुमार, जस्टिस जितेंद्र कुमार और जस्टिस आलोक कुमार पांडे की पीठ ने टिप्पणी की,"हम इस संदर्भ का उत्तर इस प्रकार देते हैं कि यदि एक ही निचली अदालत के फैसले से उत्पन्न होने वाली कुछ आपराधिक अपीलें, जिनमें दस साल से अधिक की सजा...

अनुकंपा नियुक्ति के लिए 5 वर्ष की समय-सीमा उस तिथि से शुरू होती है, जब कार्रवाई का कारण उत्पन्न होता है: पटना हाईकोर्ट
अनुकंपा नियुक्ति के लिए 5 वर्ष की समय-सीमा उस तिथि से शुरू होती है, जब कार्रवाई का कारण उत्पन्न होता है': पटना हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट की जस्टिस पी.बी. बजंथरी और जस्टिस एस.बी. पीडी. सिंह की खंडपीठ ने उस निर्णय को चुनौती देने वाली अपील स्वीकार की, जिसमें कांस्टेबल के पद पर अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन इस आधार पर खारिज किया था कि 5 वर्ष की निर्धारित समय-सीमा के भीतर अधिकारियों के समक्ष आवेदन दायर नहीं किया गया। न्यायालय ने पाया कि अपीलकर्ता अपने पिता की मृत्यु के ठीक बाद नियुक्ति के लिए आवेदन दायर नहीं कर सकता था, क्योंकि उनकी मृत्यु से छह महीने पहले ही उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। यह माना गया कि...

विवादित प्रमाणपत्र रद्द न किए जाने पर उम्मीदवार को सेवा से बर्खास्त नहीं किया जा सकता: पटना हाईकोर्ट ने बर्खास्तगी आदेश खारिज किया
'विवादित प्रमाणपत्र रद्द न किए जाने पर उम्मीदवार को सेवा से बर्खास्त नहीं किया जा सकता': पटना हाईकोर्ट ने बर्खास्तगी आदेश खारिज किया

पटना हाईकोर्ट की जस्टिस पी.बी. बजंथरी और जस्टिस एस.बी. पीडी. सिंह की खंडपीठ ने बर्खास्तगी आदेश खारिज करते हुए कहा कि जब तक विवादित प्रमाणपत्रों को रद्द नहीं किया जाता, तब तक अधिकारी अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू नहीं कर सकते या बर्खास्तगी आदेश के रूप में दंड नहीं लगा सकते।मामले की पृष्ठभूमिअपीलकर्ता को बिहार लोक सेवा आयोग के तहत 23.06.1987 को बिहार में असिस्टेंट इंजीनियर के रूप में नियुक्त किया गया। उनके पिता उत्तर प्रदेश के थे, लेकिन वे बिहार राज्य में तैनात थे। अपीलकर्ता ने दावा किया कि वह...

POCSO अधिनियम के गलत प्रावधान के तहत दोषसिद्धि: पटना हाईकोर्ट ने 10 साल बाद साठ वर्षीय व्यक्ति को रिहा करने का आदेश दिया, पीड़िता का मुआवज़ा बढ़ाया
POCSO अधिनियम के गलत प्रावधान के तहत दोषसिद्धि: पटना हाईकोर्ट ने 10 साल बाद साठ वर्षीय व्यक्ति को रिहा करने का आदेश दिया, पीड़िता का मुआवज़ा बढ़ाया

पटना हाईकोर्ट ने एक ऐसे व्यक्ति को रिहा करने का आदेश दिया है जो अपनी 12 वर्षीय भतीजी के साथ बलात्कार के लिए सत्र न्यायालय द्वारा दोषी ठहराया जा चुका है। न्यायालय ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 के गलत प्रावधान के आधार पर उसे रिहा करने का आदेश दिया है। न्यायालय ने माना कि निचली अदालत ने अधिनियम की धारा 6 के तहत अपीलकर्ता को गलत तरीके से सजा सुनाई है, जो 2014 में किए गए अपराध पर लागू नहीं होती। जस्टिस जितेंद्र कुमार और जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने कहा, "हमें लगता...