पटना हाईकोट

धारा 92 साक्ष्य अधिनियम | बिक्री विलेख में प्लॉट नंबर के गलत विवरण के दावों के बीच दस्तावेज़ की सामग्री को साबित करने के लिए मौखिक साक्ष्य स्वीकार्य: पटना हाईकोर्ट
धारा 92 साक्ष्य अधिनियम | बिक्री विलेख में प्लॉट नंबर के गलत विवरण के दावों के बीच दस्तावेज़ की सामग्री को साबित करने के लिए मौखिक साक्ष्य स्वीकार्य: पटना हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट ने माना कि यदि किसी विक्रय पत्र में प्लॉट संख्या के गलत विवरण के बारे में दावा किया जाता है तो भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 92 के तहत किसी दस्तावेज की विषय-वस्तु को साबित करने के लिए मौखिक साक्ष्य स्वीकार्य हो सकता है। ज‌स्टिस अरुण कुमार झा मुंसिफ न्यायालय के आदेश के खिलाफ याचिकाकर्ता के मामले पर विचार कर रहे थे, जिसने याचिकाकर्ता/वादी को विक्रय पत्र में निहित सीमा के बिंदु पर प्रतिवादी से जिरह करने की अनुमति नहीं दी थी।हाईकोर्ट ने भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 91 और 92 के...

[बिहार पेंशन नियम] यदि कोई विभागीय कार्यवाही लंबित नहीं है तो नियोक्ता सेवानिवृत्ति लाभ नहीं रोक सकता: पटना हाईकोर्ट
[बिहार पेंशन नियम] यदि कोई विभागीय कार्यवाही लंबित नहीं है तो नियोक्ता सेवानिवृत्ति लाभ नहीं रोक सकता: पटना हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट ने कहा कि बिहार पेंशन नियम, 1950 के तहत सेवानिवृत्त कर्मचारी के खिलाफ कोई विभागीय कार्यवाही लंबित न होने के कारण सेवानिवृत्त कर्मचारी की पेंशन और अन्य लाभ रोकना गैरकानूनी है। जस्टिस नानी टैगिया याचिकाकर्ता के मामले पर विचार कर रहे थे, जो 2020 में शिक्षा विभाग के कार्यक्रम अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। याचिकाकर्ता को ग्रेच्युटी का 90% और पेंशन का केवल 90% ही मिला। प्रतिवादियों ने शेष सेवानिवृत्ति लाभ यानी 10% ग्रेच्युटी और पेंशन रोक ली।प्रतिवादी अधिकारियों ने दावा किया कि...

लापता कर्मचारी के आश्रित सात साल बीत जाने के बाद अनुकंपा नियुक्ति की मांग कर सकते हैं: पटना हाईकोर्ट
लापता कर्मचारी के आश्रित सात साल बीत जाने के बाद अनुकंपा नियुक्ति की मांग कर सकते हैं: पटना हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट ने कहा कि लापता व्यक्ति से संबंधित अनुकंपा नियुक्ति के दावों के लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 108 के अनुसार लापता व्यक्ति की मृत्यु की धारणा लापता होने की तिथि से 7 वर्ष बाद उत्पन्न होगी। 7 वर्ष बीत जाने के बाद ही, अधिकारियों को अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन की समय अवधि की गणना शुरू करनी चाहिए। ज‌स्टिस डॉ. अंशुमान याचिकाकर्ता की अपील पर सुनवाई कर रहे थे, जिसका अनुकंपा नियुक्ति का दावा समय बीत जाने के कारण खारिज कर दिया गया था। याचिकाकर्ता के पिता 2010 में लापता हो गए थे और...

बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद शुल्क अधिनियम | शराब पीने की पुष्टि के लिए ब्रीद एनालाइजर रिपोर्ट निर्णायक नहीं: पटना हाईकोर्ट
बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद शुल्क अधिनियम | शराब पीने की पुष्टि के लिए ब्रीद एनालाइजर रिपोर्ट निर्णायक नहीं: पटना हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट ने माना कि किसी व्यक्ति ने शराब पी है या नहीं, यह निर्धारित करने के लिए ब्रीद एनलाइज़र रिपोर्ट निर्णायक सबूत नहीं है। मूल याचिकाकर्ता (मृतक) निर्मली पुलिस स्टेशन में उप-विभागीय अधिकारी (एसडीओ) के रूप में कार्यरत थे। बिहार निषेध और उत्पाद शुल्क अधिनियम, 2016 के उल्लंघन में शराब पीने के लिए उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू की गई थी।जिला मजिस्ट्रेट ने मूल याचिकाकर्ता के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही में उसे उसकी सेवा से बर्खास्त कर दिया। अपील में, आयुक्त ने भी आदेश को बरकरार रखा।मूल...

BREAKING | पटना हाईकोर्ट ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण बढ़ाकर 65% करने पर रोक लगाई
BREAKING | पटना हाईकोर्ट ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण बढ़ाकर 65% करने पर रोक लगाई

पटना हाईकोर्ट ने 20.06.2024 को बिहार आरक्षण (अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए) (संशोधन) अधिनियम, 2023 और बिहार (शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में) आरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2023 खारिज किया।चीफ जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस हरीश कुमार की खंडपीठ जनहित याचिका (पीआईएल) पर विचार कर रही थी, जिसमें पिछड़े वर्गों, अत्यंत पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण को मौजूदा 50% से बढ़ाकर 65% करने के लिए बिहार विधानमंडल द्वारा पारित संशोधन को चुनौती दी...

भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम | संपत्ति पर मालिकाना हक का सवाल प्रोबेट कार्यवाही के दौरान तय नहीं किया जा सकता, इसके लिए अलग से मुकदमा दायर करने की आवश्यकता: पटना हाईकोर्ट
भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम | संपत्ति पर मालिकाना हक का सवाल प्रोबेट कार्यवाही के दौरान तय नहीं किया जा सकता, इसके लिए अलग से मुकदमा दायर करने की आवश्यकता: पटना हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट ने माना कि भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 के तहत वसीयतकर्ता के स्वामित्व और हित पर निर्णय लेने के लिए प्रोबेट कार्यवाही उचित चरण नहीं है और स्वामित्व के प्रश्न पर निर्णय केवल एक अलग मुकदमा दायर करके ही किया जा सकता है। जस्टिस अरुण कुमार झा याचिकाकर्ता के मामले पर विचार कर रहे थे, जिसने जिला न्यायालय, वैशाली के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें जम्मू सिंह (प्रतिवादियों के दिवंगत पिता) को जिला न्यायालय के समक्ष प्रोबेट कार्यवाही में पक्षकार बनाया गया था। याचिकाकर्ता का दावा है कि वह...

अनुकंपा नियुक्ति केवल इसलिए रद्द नहीं की जा सकती कि यह किसी अक्षम प्राधिकारी द्वारा की गई: पटना हाईकोर्ट
अनुकंपा नियुक्ति केवल इसलिए रद्द नहीं की जा सकती कि यह किसी अक्षम प्राधिकारी द्वारा की गई: पटना हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट के जज जस्टिस पूर्णेंदु सिंह की एकल पीठ ने माना कि अनुकंपा नियुक्ति केवल इसलिए रद्द नहीं की जा सकती कि नियुक्ति अनियमित थी।न्यायालय सचिव/प्रतिवादी के निर्णय के विरुद्ध याचिकाकर्ता द्वारा दायर दीवानी रिट याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें प्रारंभिक नियुक्ति की अवधि से सेवा की निरंतरता के लिए उसका दावा खारिज कर दिया गया था। प्रारंभ में, याचिकाकर्ता की नियुक्ति चीफ इंजीनियर/प्रतिवादी द्वारा की गई, जो याचिकाकर्ता को अनुकंपा के आधार पर नियुक्त करने के लिए सक्षम प्राधिकारी नहीं थे। बाद...

जिला परिषद के अध्यक्ष/उपाध्याय के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव सफल बनाने के लिए केवल उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों का बहुमत आवश्यक: पटना हाईकोर्ट
जिला परिषद के अध्यक्ष/उपाध्याय के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव सफल बनाने के लिए केवल उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों का बहुमत आवश्यक: पटना हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट के चीफ़ जस्टिस के. विनोद चंद्रन, जस्टिस आशुतोष कुमार और जस्टिस हरीश कुमार की पूर्ण पीठ ने कहा कि जिला परिषद के अध्यक्ष या उपाध्याय के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के सफल होने के लिए यह जरूरी है कि उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों का बहुमत हो , न कि कुल निर्वाचित सदस्यों का बहुमत।हाईकोर्ट बिहार पंचायती राज अधिनियम, 2006 की धारा 70 (4) की जांच कर रहा था, जिसके लिए विशेष रूप से इस उद्देश्य के लिए बुलाई गई बैठक में जिला परिषद के प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित सदस्यों की कुल संख्या के बहुमत...

BPSC Recruitment: पटना हाइकोर्ट ने अनुबंध और अतिथि शिक्षकों के लिए अनुग्रह अंकों में समानता का आदेश दिया
BPSC Recruitment: पटना हाइकोर्ट ने अनुबंध और अतिथि शिक्षकों के लिए अनुग्रह अंकों में समानता का आदेश दिया

पटना हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को हाल ही में दिए गए निर्देश में बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की भर्ती प्रक्रियाओं में अनुबंध शिक्षकों और 'अतिथि शिक्षकों' के साथ व्यवहार में समानता की वकालत की है। इस निर्देश के परिणामस्वरूप बीपीएससी की शिक्षक भर्ती परीक्षा (टीआरई)-3 को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया था।जस्टिस अंजनी कुमार शरण ने अपने फैसले में अनुबंध और अतिथि शिक्षकों दोनों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों में समानता पर जोर देते हुए कहा कि उनके शिक्षण कर्तव्यों में कोई अंतर नहीं है।उन्होंने जोर देकर...

PFI-Phulwari Sharif Conspiracy| पटना हाईकोर्ट ने 6 आरोपियों को अग्रिम जमानत देने से किया इनकार, कहा- प्रथम दृष्टया मामला बनता है
PFI-Phulwari Sharif 'Conspiracy| पटना हाईकोर्ट ने 6 आरोपियों को अग्रिम जमानत देने से किया इनकार, कहा- प्रथम दृष्टया मामला बनता है

पटना हाईकोर्ट ने पीएफआई-फुलवारी शरीफ आतंकी मॉड्यूल' मामले से जुड़े छह आरोपियों को अग्रिम जमानत देने से इनकार किया। यह मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जुलाई 2022 में बिहार यात्रा में खलल डालने की कथित साजिश से जुड़ा है।वर्तमान मामले में जांच एजेंसी द्वारा एकत्र की गई सामग्री/साक्ष्यों पर विचार करते हुए जस्टिस विपुल एम पंचोली और जस्टिस रमेश चंद मालवीय की खंडपीठ ने कहा कि अपीलकर्ताओं के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है।मामले में अग्रिम जमानत की मांग करने वाले आरोपी व्यक्तियों (मंजर परवेज,...

दूसरी शादी करना मुस्लिम पुरुष के लिए वैध हो सकता है, लेकिन यह पहली पत्नी के साथ बहुत बड़ी क्रूरता का कारण बनता है: पटना हाइकोर्ट
दूसरी शादी करना मुस्लिम पुरुष के लिए वैध हो सकता है, लेकिन यह पहली पत्नी के साथ बहुत बड़ी क्रूरता का कारण बनता है: पटना हाइकोर्ट

पटना हाइकोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पुरुष के लिए दूसरी शादी करना वैध हो सकता है, लेकिन यह पहली पत्नी के साथ बहुत बड़ी क्रूरता का कारण बनता है।जस्टिस पूर्णेंदु सिंह की बेंच ने आगे कहा कि यह सर्वविदित है कि महिलाएं, चाहे उनका धर्म और सामाजिक-आर्थिक स्थिति कुछ भी हो, अपने पति द्वारा दूसरी शादी करने से घृणा करती हैं।ये टिप्पणियां सिंगल जज ने धारा 323, 498ए और 406/34 आईपीसी और दहेज निषेध अधिनियम की धारा 3 और 4 के तहत दंडनीय अपराध के लिए दर्ज शिकायत मामले के संबंध में इरशाद कुरैशी को अग्रिम जमानत देने से...

कर्मचारी द्वारा गलत बयानी के बिना गलत तरीके से वेतन तय किए जाने पर कोई वसूली नहीं की जा सकती: पटना हाईकोर्ट
कर्मचारी द्वारा गलत बयानी के बिना गलत तरीके से वेतन तय किए जाने पर कोई वसूली नहीं की जा सकती: पटना हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट की सिंगल जज बेंच के जस्टिस राजेश कुमार वर्मा ने बिक्रम सिंह और अन्य बनाम बिहार राज्य और अन्य के मामले में एक रिट याचिका का फैसला करते हुए कहा है कि जब कोई गलत बयानी या धोखाधड़ी नहीं होती है जिसके कारण गलत वेतन निर्धारण या वेतन होता है, तो कर्मचारियों से कोई वसूली नहीं की जा सकती है।मामले की पृष्ठभूमि: बिक्रम सिंह (याचिकाकर्ता नंबर 1) और राजेंद्र प्रसाद सिंह (याचिकाकर्ता नंबर 2) (सामूहिक रूप से 'याचिकाकर्ता') को क्रमशः 1978 और 1972 में पत्राचार क्लर्क के पद पर नियुक्त किया गया था।...

पटना हाइकोर्ट ने पुलिस हिरासत में गंभीर यातना और हमले का शिकार हुए व्यक्ति को 2 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया
पटना हाइकोर्ट ने पुलिस हिरासत में 'गंभीर' यातना और हमले का शिकार हुए व्यक्ति को 2 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया

पटना हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को ऐसे व्यक्ति को 2 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया, जिसे पुलिस कस्टडी में गंभीर यातना और मारपीट का सामना करना पड़ा था।साक्ष्य अधिनियम की धारा 106 के तहत मामले के तथ्यों पर सिद्धांत लागू करते हुए जस्टिस बिबेक चौधरी की पीठ ने कहा कि मामले में शामिल पुलिसकर्मियों को इस बात की विशेष जानकारी थी कि पीड़ित पर हिरासत में हिंसा किसने की।भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 106 के प्रावधान को लागू करते हुए यह न्यायालय इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि प्रभारी अधिकारी, लॉक अप प्रभारी...

NHAI Act के तहत संदर्भ को डिफ़ॉल्ट के लिए खारिज किया गया, पार्टी को धारा 34 के तहत अवार्ड को चुनौती देनी चाहिए, रिट द्वारा नहीं: पटना हाइकोर्ट
NHAI Act के तहत संदर्भ को डिफ़ॉल्ट के लिए खारिज किया गया, पार्टी को धारा 34 के तहत अवार्ड को चुनौती देनी चाहिए, रिट द्वारा नहीं: पटना हाइकोर्ट

पटना हाइकोर्ट के जस्टिस राजीव रॉय की पीठ ने माना कि एनएचएआई अधिनियम (NHAI Act) के तहत डिफ़ॉल्ट के लिए संदर्भ खारिज करने वाले मध्यस्थ के आदेश को चुनौती देने के लिए रिट याचिका योग्य नहीं। माना गया कि पीड़ित पक्ष को अधिनियम की धारा 34 के तहत अवार्ड को चुनौती देनी चाहिए।मामले के तथ्यप्रतिवादी (NHAI) ने छपरा-गोपालगंज राजमार्ग के निर्माण के लिए याचिकाकर्ता की भूमि को 'विकासशील भूमि' के रूप में वर्गीकृत करने के बाद अधिग्रहित किया।प्रतिवादी प्राधिकरण द्वारा दिए गए मुआवजे की राशि से असहमत होकर...

पटना हाइकोर्ट ने दो न्यायिक अधिकारियों को व्यक्ति को धारा 498ए के तहत अनुचित मुकदमे के लिए 200 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया
पटना हाइकोर्ट ने दो न्यायिक अधिकारियों को व्यक्ति को धारा 498ए के तहत अनुचित मुकदमे के लिए 200 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया

पटना हाइकोर्ट ने अनोखे आदेश में राज्य के दो न्यायिक अधिकारियों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498ए के तहत अनुचित मुकदमे का सामना कर रहे व्यक्ति को 100-100 रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया।वर्तमान मामले में व्यक्ति जो उत्पीड़न और क्रूरता का सामना कर रहा है वह महिला (शिकायतकर्ता) के पति का रिश्तेदार नहीं है लेकिन IPC की धारा 498ए के तहत यह प्राथमिक आवश्यकता है। कोर्ट ने कहा,"याचिकाकर्ता (संशोधनकर्ता) को आपराधिक मुकदमे का सामना करना पड़ा, जो उसके खिलाफ सुनवाई योग्य नहीं है। उसे...

पति द्वारा नवजात शिशु के भरण-पोषण के लिए पत्नी के माता-पिता से पैसे मांगना दहेज नहीं: पटना हाइकोर्ट
पति द्वारा नवजात शिशु के भरण-पोषण के लिए पत्नी के माता-पिता से पैसे मांगना 'दहेज' नहीं: पटना हाइकोर्ट

पटना हाइकोर्ट ने कहा कि यदि पति अपने नवजात शिशु के पालन-पोषण और भरण-पोषण के लिए पत्नी के पैतृक घर से पैसे मांगता है तो ऐसी मांग दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 2 (i) के अनुसार 'दहेज' की परिभाषा के दायरे में नहीं आती।जस्टिस बिबेक चौधरी की पीठ ने पति द्वारा आईपीसी की धारा 498ए और दहेज निषेध अधिनियम 1961 की धारा 4 के तहत अपनी सजा को चुनौती देने वाली पुनर्विचार याचिका स्वीकार करते हुए यह टिप्पणी की।संक्षेप में मामलायाचिकाकर्ता (पति) का विवाह विपरीत पक्ष नंबर 2 (पत्नी) के साथ वर्ष 1994 में हिंदू...

[O.6 R.1 CPC] प्रतिवादी को साक्ष्य में दर्ज दस्तावेज़ के सामने आने पर खामियों को भरने के लिए दलीलों में देरी से संशोधन करने से रोका गया: पटना हाइकोर्ट
[O.6 R.1 CPC] प्रतिवादी को साक्ष्य में दर्ज दस्तावेज़ के सामने आने पर खामियों को भरने के लिए दलीलों में देरी से संशोधन करने से रोका गया: पटना हाइकोर्ट

पटना हाइकोर्ट ने सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश VI नियम 1 के प्रावधान पर अपने विचार-विमर्श में कहा कि यदि प्रतिवादियों को उनके साक्ष्य प्रस्तुत करने के दौरान कोई दस्तावेज मिलता है तो उन्हें अपने मामले में कमियों को दूर करने के लिए अपनी दलीलों में संशोधन करने का अधिकार नहीं दिया जाएगा।इस मामले की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस अरुण कुमार झा ने कहा,"यदि प्रतिवादियों के लिए साक्ष्य दर्ज किए जाने के दौरान कोई दस्तावेज आया और प्रतिवादियों को उससे सामना कराया जाता है तो इससे प्रतिवादियों को अपने मामले में...

गुरुद्वारा पटना साहिब में प्रबंधन समिति के नामांकन को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई से हाईकोर्ट का इनकार
गुरुद्वारा पटना साहिब में प्रबंधन समिति के नामांकन को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई से हाईकोर्ट का इनकार

पटना हाईकोर्ट ने श्री तख्त हरिमंदिर जी पटना साहिब की देखरेख करने वाली प्रबंधक समिति में पटना के जिला न्यायाधीश द्वारा किए गए नामांकन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज करते हुए इस बात पर जोर दिया कि याचिकाकर्ता, जो मुख्य रूप से धार्मिक स्थल के प्रबंधन से संबंधित हैं, वे हाशिए पर पड़े या दलित समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं, जिसके लिए अनुच्छेद 226 के तहत हस्तक्षेप की आवश्यकता है।चीफ जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस राजीव रॉय की खंडपीठ ने कहा,"रिट याचिका जनहित याचिका के रूप में दायर की गई।...