मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
सिर्फ़ इसलिए कि कोई पुरुष महिला को जानता है, उसे बलात्कार करने का लाइसेंस नहीं मिल जाता: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने FIR रद्द करने से किया इनकार
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पुरुष के ख़िलाफ़ बलात्कार की FIR रद्द करने की अर्ज़ी खारिज करते हुए कहा कि सिर्फ़ इसलिए कि कोई पुरुष महिला को जानता है, उसे बलात्कार करने का लाइसेंस नहीं मिल जाता।जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया की एकल पीठ ने कहा,"पीड़िता ने अपनी FIR में स्पष्ट रूप से कहा कि आवेदक पिछले 3 वर्षों से उसे जानता था। इसलिए आवेदक द्वारा जिन तस्वीरों पर भरोसा किया गया, वे पीड़िता के इस तर्क की पुष्टि करती हैं कि आवेदक उसे जानता है। सिर्फ़ इसलिए कि कोई पुरुष महिला को जानता है, उसे बलात्कार करने का...
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने गैर मान्यता प्राप्त नर्सिंग कॉलेजों के स्टूडेंट्स की 2022-23 सत्र की परीक्षा में शामिल होने की याचिका खारिज की
नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने में अनियमितताओं का दावा करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने उन कॉलेजों के स्टूडेंट्स की ओर से दायर हस्तक्षेप आवेदन खारिज कर दिया है, जिन्हें कोई मान्यता नहीं दी गई और उनकी मान्यता खारिज कर दी गई।जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस अचल कुमार पालीवाल की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा,"मौजूदा परिस्थितियों में कॉलेजों और स्टूडेंट्स के हितों पर विचार करने के लिए प्राधिकरण की कार्रवाई को चुनौती देने के लिए प्रत्येक दिन महत्वपूर्ण है, क्योंकि...
एमपी हाईकोर्ट ने MPHJS (भर्ती और सेवा की शर्तें) नियम, 1994 के नियम 5(1) (सी) का प्रावधान रद्द किया; 2016, 2017 की सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की नियुक्तियां भी रद्द
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह (चार अप्रैल, 2025) मध्य प्रदेश उच्च न्यायिक सेवा (एचजेएस) (भर्ती और सेवा की शर्तें) नियम 1994 के नियम 5(1) (सी) के प्रावधान को रद्द कर दिया। साथ ही इसके अनुसरण में 2016 और 2017 में सिविल जज (वरिष्ठ डिवीजन) की नियुक्तियों को रद्द कर दिया। कोर्ट ने निर्णय में माना कि आक्षेपित प्रावधान कानून की नज़रों में टिकाऊ नहीं है। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने छिंदवाड़ा की एडवोकेट सपना झुनझुनाला की याचिका पर यह फैसला दिया।यााचिका में 2016 के...
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 'हंगामा करने' के लिए सीनियर एडवोकेट की बिना शर्त माफी को खारिज कर दिया, कहा- पदनाम छीनने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बुधवार को सीनियर एडवोकेट नरिंदर सिंह रूपराह द्वारा बिना शर्त माफी मांगने की याचिका खारिज कर दी, क्योंकि अदालत ने उनके आचरण पर टिप्पणी की थी कि उन्होंने इस सप्ताह की शुरुआत में एक आबकारी मामले की सुनवाई के दौरान "अदालत में बवाल" किया था और "अपनी आवाज उठाई थी"।जब पहली बार मामले को बुलाया गया, तो सीनियर एडवोकेट आरएन सिंह ने चीफ़ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत किया, "मैं श्री रूपराह की ओर से पेश हो रहा हूं, जिनके खिलाफ इस माननीय अदालत ने...
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भाजपा नेता अक्षय कांतिलाल बाम और उनके पिता के खिलाफ हत्या के प्रयास के मुकदमे पर दो मई तक रोक लगाई
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने IPC की धारा 307 के तहत हत्या के प्रयास के मामले में भाजपा नेता अक्षय कांतिलाल बाम और उनके पिता के खिलाफ मुकदमे की कार्यवाही पर रोक लगा दी है।जस्टिस संजीव एस. कालगांवकर की एकल पीठ ने कहा, "मामले के विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों में, यह निर्देश दिया जाता है कि मुकदमे की आगे की कार्यवाही केवल सुनवाई की अगली तारीख तक ही रोक रहेगी। इस बीच, राज्य के विद्वान वकील को केस डायरी और संबंधित दस्तावेजों को जमा करने और प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाता है। दोनों ने...
अयोग्य व्यक्तियों को बचाने का प्रयास | MP हाईकोर्ट ने सरकारी पदों पर नियुक्त व्यक्तियों के अनुभव प्रमाण पत्र पर RTI जानकारी न देने के CIC के आदेश को खारिज किया
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने केंद्रीय सूचना आयोग के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें एक आवेदक को आरटीआई अधिनियम के तहत सार्वजनिक पद पर नियुक्त उम्मीदवारों की शैक्षिक योग्यता सहित अनुभव प्रमाण पत्र से संबंधित जानकारी देने से मना कर दिया गया था। न्यायालय ने कहा कि इसे निजी जानकारी नहीं कहा जा सकता। ऐसा करते हुए न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता को सूचना देने से मना करने में केंद्रीय सूचना आयोग द्वारा लिया गया रुख, जिसकी अनुमति धारा 11(1) के प्रावधान के अनुसार दी गई थी और जो पहले के सीआईसी आदेशों के...
हाईकोर्ट जज के घर पर तैनात गार्ड द्वारा ड्यूटी के दौरान शराब पीना गंभीर कदाचार: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अनिवार्य रिटायरमेंट दंड बरकरार रखा
हाईकोर्ट जज के बंगले पर तैनात गार्ड की अनिवार्य रिटायरमेंट का आदेश बरकरार रखते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि चूंकि गार्ड का कर्तव्य सुरक्षा करना है, इसलिए ड्यूटी के दौरान शराब पीना गंभीर कदाचार है।जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने कहा,"याचिकाकर्ता गार्ड के तौर पर तैनात था और सतर्क रहना उसका कर्तव्य था। अगर गार्ड को ड्यूटी के दौरान शराब पीने की अनुमति दी जाती है तो इसे गंभीर कदाचार नहीं कहा जा सकता। जिस व्यक्ति का कर्तव्य सुरक्षा करना है, उसका शराब पीना बहुत गंभीर कदाचार है। याचिकाकर्ता के...
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कानून के प्रावधानों की अनदेखी करते हुए गुप्त आदेश पारित करने वाले जिला जज के कामकाज पर रिपोर्ट मांगी
भूमि अधिग्रहण पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम 2013 में उचित मुआवज़ा और पारदर्शिता के अधिकार से संबंधित गुप्त आदेश खारिज करते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने उक्त जिला जज की फाइलों का निरीक्षण करने और जिला जज के कामकाज के बारे में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकल पीठ ने कहा,"यदि चौथे जिला जज ने अधिनियम 2013 की धारा 64 के तहत प्रावधानों को पढ़ने के लिए खुद को तैयार किया होता तो ऐसा गुप्त आदेश पारित नहीं किया जाता। तदनुसार, दिनांक 03.08.2024 का विवादित आदेश गुप्त होने...
प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के काफिले को धमकाने का आरोप, व्हाट्सएप मैसेज के आधार पर की गई गिरफ्तारी, अब हाईकोर्ट ने राज्य से मांगा जवाब
व्हाट्सएप मैसेज के आधार पर एक व्यक्ति को 24 घंटे तक हिरासत में रखने से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस विशाल धगत ने राज्य को यह दिखाने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया कि मैसेज का याचिकाकर्ता से क्या संबंध है और प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के काफिले को धमकाने से संबंधित हिरासत के कथित आधार क्या हैं।मामले के तथ्यात्मक मैट्रिक्स के अनुसार, याचिकाकर्ता को उसके घर से उठाकर 20.06.2023 को सुबह लगभग 7.00 बजे पुलिस स्टेशन ले जाया गया और अगले दिन रिहा होने से पहले बिना किसी कारण के स्टेशन प्रभारी...
'आप इसके लायक नहीं', वकील से 'सीनियर डेजिग्नेशन' छीनने पर हाईकोर्ट में हुई तीखी नोकझोंक
यह देखते हुए कि सीनियर एडवोकेट नरिंदर पाल सिंह रूपरा ने आबकारी मामले की सुनवाई के दौरान "ऊंची आवाज में चिल्लाये" और "हंगामा" किया, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सोमवार (7 अप्रैल) को रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह वकील का नाम फुल कोर्ट के समक्ष रखे, जिससे इस बात पर विचार किया जा सके कि वकील सीनियर एडवोकेट (Senior' Designation) के रूप में काम करना जारी रख सकते हैं या नहीं।28 मार्च को अपने अंतिम आदेश में न्यायालय ने प्रतिवादी नंबर 5 (नए लाइसेंसधारी) की ओर से जिम्मेदार व्यक्ति को सुनवाई की अगली तारीख पर...
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत न करने के आधार पर प्रवासी उम्मीदवार का नामांकन पत्र खारिज करने का आदेश बरकरार रखा
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने जिला कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें राजस्थान से प्रवास करने वाली महापौर उम्मीदवार की चुनाव याचिका इस आधार पर खारिज कर दी गई कि उसके नामांकन पत्र को निर्वाचन अधिकारी द्वारा सही तरीके से खारिज कर दिया गया, क्योंकि उसने राज्य के सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया था।ऐसा करते हुए न्यायालय ने राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी सर्कुलर पर भरोसा किया, जिसके अनुसार राज्य सरकार ने स्पष्ट किया कि मध्य प्रदेश राज्य द्वारा जारी जाति...
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने चीन से MBBS पूरा करने वाले स्टूडेंट की इंटर्नशिप अवधि तीन साल तक बढ़ाने के खिलाफ याचिका पर नोटिस जारी किया
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने मेडिकल स्टूडेंट की याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया, जिसने चीनी यूनिवर्सिटी से MBBS की पढ़ाई पूरी की है।स्टूडेंट ने एमपी मेडिकल काउंसिल द्वारा MBBS स्टूडेंट के लिए इंटर्नशिप की अवधि दो साल से बढ़ाकर तीन साल करने के आदेश को चुनौती दी है।जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने अपने आदेश में राज्य निदेशक चिकित्सा शिक्षा, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग और एमपी मेडिकल काउंसिल को नोटिस जारी किया और याचिका को एक अन्य याचिका के साथ 24 अप्रैल को सूचीबद्ध किया।याचिका...
मस्जिद में नमाज़ न पढ़ने देने की याचिका पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने रक्षा मंत्रालय से मांगा जवाब
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान रक्षा मंत्रालय से सवाल किया कि जब जबलपुर की रिड्ज़ रोड स्थित मस्जिद नूर में आम मुस्लिम नागरिकों को नमाज़ पढ़ने से रोका जा रहा है तो ऐसा क्यों हो रहा है, जबकि मंदिर और चर्च में आम जनता को पूजा-पाठ की अनुमति है?चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने कहा,“उत्तरदाता यह स्पष्ट करें कि क्या आम नागरिकों को मंदिर और चर्च में पूजा करने की अनुमति है और यदि हाँ, तो फिर मुस्लिम समुदाय के नागरिकों को मस्जिद नूर में नमाज़ पढ़ने से...
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एडवोकेट जनरल पर अत्यधिक पेशेवर फीस लेने के आरोप वाली याचिका खारिज की
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में याचिका खारिज की, जिसमें यह आरोप लगाया गया कि राज्य के एडवोकेट जनरल प्रशांत सिंह ने कुछ मामलों में पेश होने के लिए अत्यधिक पेशेवर फीस ली और उन्हें भुगतान किया गया, जिनमें एक ऐसा मामला भी शामिल था, जिसमें एडवोकेट जनरल ने राज्य नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल की ओर से पेशी दी।इस याचिका में यह दावा किया गया कि यह भुगतान सरकार के उस निर्देश के बावजूद किया गया जिसमें कहा गया कि सरकारी विभागों का प्रतिनिधित्व करने वाले लॉ अधिकारियों को अलग से कोई फीस देने की आवश्यकता नहीं...
एमपी हाईकोर्ट ने फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र दाखिल करने पर मलेरिया तकनीकी पर्यवेक्षक को हटाने का आदेश दिया
शिवपुरी में मलेरिया तकनीकी पर्यवेक्षक को तत्काल हटाने का आदेश देते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकारी सेवा की चयन प्रक्रिया में चयन समिति में धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेज दाखिल करने पर चिंता व्यक्त की और इसे एक गंभीर मुद्दा बताया, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।ऐसा करते हुए न्यायालय ने मलेरिया तकनीकी पर्यवेक्षक के पद पर उम्मीदवार के चयन को यह पाते हुए रद्द कर दिया कि उसने "जाली अनुभव प्रमाण पत्र" दाखिल किया था।जस्टिस गुरपाल सिंह आहलूवालिया ने अपने आदेश में कहा,"चयन समिति में धोखाधड़ी करना या जाली...
विसंगतियों को दूर करने के लिए बायोमेट्रिक्स आवश्यक, लेकिन मशीन द्वारा किसी व्यक्ति को पहचानने में विफलता उसके मौलिक अधिकारों को प्रभावित नहीं कर सकती: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने कहा कि किसी व्यक्ति के कानूनी और मौलिक अधिकारों को केवल बायोमेट्रिक मशीन द्वारा उसे पहचानने में विफलता के कारण सीमित नहीं किया जा सकता।जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ ने कहा,"इस संबंध में इस न्यायालय का विचार है कि यद्यपि यह सत्य है कि रिकॉर्ड में किसी भी विसंगति को दूर करने और चयन की स्वतंत्र और निष्पक्ष प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए आजकल बायोमेट्रिक सत्यापन प्रक्रिया आवश्यक है। तथापि, यह भी सत्य है कि बायोमेट्रिक सत्यापन हमेशा विसंगतियों को दूर करने में...
सरकारी कर्मचारी द्वारा ट्रांसफर रोकने के लिए सांप्रदायिक पक्षपात के निराधार आरोप प्रशासनिक आदेशों के क्रियान्वयन में गंभीर उल्लंघन का कारण बनेंगे: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
धार्मिक भेदभाव के आधार पर ट्रांसफर आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने कहा कि यदि इस तरह के निराधार आरोपों को उनके वास्तविक स्वरूप में स्वीकार किया जाता है तो इससे प्रशासनिक आदेशों के क्रियान्वयन में गंभीर उल्लंघन होगा।न्यायालय ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता राज्य की ओर से किसी भी तरह की दुर्भावनापूर्ण मंशा प्रदर्शित नहीं कर सका।जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ ने कहा,"इस न्यायालय का यह भी मानना है कि यदि इस तरह के निराधार...
Section 25 HMA| आवेदन के अभाव में पति या पत्नी को स्थायी गुजारा भत्ता देने का निर्देश नहीं दिया जा सकता: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने दोहराया
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने दोहराया कि हिंदू विवाह अधिनियम (HMA) की धारा 25 के तहत औपचारिक आवेदन-चाहे लिखित हो या अलग-से-दायर किए बिना पति या पत्नी को स्थायी गुजारा भत्ता देने का निर्देश नहीं दिया जा सकता।HMA की धारा 25 स्थायी गुजारा भत्ता और भरण-पोषण से संबंधित है। इसमें कहा गया कि HMA के तहत अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने वाला कोई भी न्यायालय, किसी भी डिक्री को पारित करने के समय या उसके बाद किसी भी समय पत्नी या पति द्वारा इस उद्देश्य के लिए किए गए आवेदन पर जैसा भी मामला हो आदेश दे सकता है कि...
भोपाल गैस त्रासदी: मध्य प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट को यूनियन कार्बाइड के विषाक्त कचरे के 72 दिनों में निपटान का दिया भरोसा
मध्य प्रदेश सरकार ने गुरुवार (27 मार्च) को हाईकोर्ट को सूचित किया कि वह अब निष्क्रिय हो चुकी भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री द्वारा उत्पन्न विषाक्त कचरे का निपटान 72 दिनों की अवधि में कर सकती है—पिथमपुर सुविधा केंद्र में इसे जला कर।राज्य ने एक हलफनामा दायर कर बताया कि पिछले महीने हाईकोर्ट द्वारा 30 मीट्रिक टन कचरे के निपटान के लिए दी गई अनुमति के तहत किए गए परीक्षण सफल रहे, और शेष कचरे का निपटान केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की निगरानी में, 270 किलोग्राम...
आईपीसी की धारा 109 | पुरुष और महिला दोनों दुष्कर्म के लिए उकसाने पर जिम्मेदार, अगर उकसावे के परिणामस्वरूप अपराध हुआ हो: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट
आपराधिक पुनर्विचार पर सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने दोहराया कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 109 के तहत बलात्कार के लिए उकसाने के लिए पुरुष और महिला दोनों को उत्तरदायी ठहराया जा सकता है।ऐसा करते हुए न्यायालय ने रेखांकित किया कि उकसाना बलात्कार से अलग और विशिष्ट अपराध है और यदि उकसाने के परिणामस्वरूप उकसाया गया कार्य किया जाता है तो ऐसे अपराध को उकसाने वाले व्यक्ति यानी पुरुष या महिला को IPC की धारा 109 के तहत दंडित किया जा सकता है।संदर्भ के लिए IPC की धारा 109 में उकसाने की सजा का...