दहेज हत्या मामले में कार्रवाई में 21 साल की देरी क्यों? सुप्रीम कोर्ट ने मांगा बिहार के डीजीपी, पटना हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से स्पष्टीकरण
LiveLaw News Network
19 Oct 2020 9:45 AM IST
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के पुलिस महानिदेशक और पटना हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को यह स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है कि दहेज हत्या के एक मामले में अभियुक्त व्यक्ति को गिरफ्तार करने में 21 साल क्यों लग गये?
मृतक महिला के भाई ने दो फरवरी, 1999 को एक प्राथमिकी दर्ज करायी थी, जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि मृतका के पति और उसके परिवार वालों ने दहेज के लिए उसका उत्पीड़न किया था। शिकायतकर्ता ने कहा था कि मृतका के पति और उसके परिवार वालों ने महिला के शव का अंतिम संस्कार उनलोगों (मृतका के परिजनों) को सूचित किये बिना ही कर दिया था।
प्राथमिकी में नामजद सभी अभियुक्तों के खिलाफ 10 साल बाद आरोप पत्र दायर किया गया था। अंतिम रिपोर्ट में कहा गया है कि "प्राथमिकी के सभी नामजद अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र के लिए पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध कराये जा चुके हैं।
इस वर्ष के शुरू में हाईकोर्ट ने उसकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसने कहा था कि केस डायरी के अनुसार, मृतका की बिसरा जांच में अत्यधिक जहरीले पदार्थ का पता चला था। अभियुक्त को सात जून 2020 को गिरफ्तार किया गया था। पहले सत्र अदालत ने और फिर बाद में हाईकोर्ट ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
न्यायमूर्ति एन वी रमना, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ ने अभियुक्त पति की ओर से दायर अपील पर विचार करते हुए कहा,
"एक युवती की हत्या से जुड़े गम्भीर अपराध के सिलसिले में जांच किये जाने में और अभियुक्त के खिलाफ अभियोग शुरू करने में स्पष्ट देरी बहुत ही परेशान करने वाली है और इसका कारण स्पष्ट भी नहीं है
कोर्ट ने कहा कि यह 'काफी चिंताजनक' है कि पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। बेंच ने कहा कि रिकॉर्ड में लाये गये साक्ष्य चौंकाने वाली स्थिति को दर्शाते हैं।
बेंच ने अभियुक्त की जमानत याचिका खारिज करते हुए बिहार के पुलिस महानिदेशक और पटना हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को नोटिस जारी किये। कोर्ट ने उन्हें मुकदमे के विवरण को लेकर एक रिपोर्ट पेश करने और इस तरह की अत्यधिक देरी का कारण बताने का निर्देश दिया है।
केस का नाम : बच्चा पांडेय बनाम बिहार सरकार
केस नंबर : स्पेशल लीव टू अपील (क्रिमिनल) नंबर 4769 / 2020
कोरम : न्यायमूर्ति एन वी रमना, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस