साक्षात्कार
जेल सुधार-जेलों में भीड़भाड़ के कारणों को समझने के लिए एक व्यवस्थित अध्ययन की आवश्यकता : जस्टिस मदन लोकुर
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मदन लोकुर ने कलकत्ता हाईकोर्ट में वकालत करने वाली एडवोकेट झूमा सेन के साथ जेल सुधारों पर बातचीत की।जे एस.: जेल में 'सुधार' की असफल परियोजना के बारे में लिखते हुए मिशेल फौकॉल्ट ने अपनी पुस्तक 'डिसिप्लिन एंड पनिश' में प्रसिद्ध रूप से कहा था कि: "हमें याद रखना चाहिए कि जेलों में सुधार, उनके कामकाज को नियंत्रित करने का आंदोलन कोई हालिया घटना नहीं है। ऐसा भी नहीं लगता कि इसकी शुरुआत विफलता की मान्यता से हुई हो। जेल "सुधार" वस्तुतः जेल के समकालीन है: यह, जैसा कि यह था,...
'भाजपा का दर्शन मेरी सोच के अनुरूप है': मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस रोहित आर्य BJP में शामिल हुए
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के पूर्व जज के रूप में रिटायर होने के तीन महीने बाद जस्टिस रोहित आर्य इस शनिवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गए। वे तीन महीने पहले 27 अप्रैल को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के जज के रूप में रिटायर हुए।लाइव लॉ के साथ स्पेशल इंटरव्यू में जस्टिस आर्य ने विभिन्न प्रासंगिक मुद्दों पर प्रकाश डाला, जिसमें कुछ मामलों में उनके न्यायिक निर्णयों से लेकर राजनीति में प्रवेश करने के उनके उद्देश्य और तीन नए आपराधिक कानूनों पर उनके विचार शामिल हैं।लाइव लॉ से बात करते हुए पूर्व जज ने...
इंटरव्यू | सुप्रीम कोर्ट का यह कहना गलत था कि नोटबंदी का काले धन को खत्म करने के साथ उचित संबंध था: प्रोफेसर अरुण कुमार
जानेमाने अर्थशास्त्री प्रोफेसर अरुण कुमार ने लाइवलॉ के मैनेजिंग एडिटर मनु सेबेस्टियन को दिए इंटरव्यू में कहा सुप्रीम कोर्ट ने यह कह कर गलत किया कि डिमॉनेटाइटजेशन का काले धन को खत्म करने के उद्देश्य से "उचित संबंध" था।प्रोफेसर अरुण ने कुमार ब्लैक इकोनॉमी और डिमॉनेटाइजेशन पर व्यापक शोध किया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के निष्कर्ष के औचित्य पर सवाल उठाया है।उल्लेखनीय है कि 3 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने 4:1 के बहुमत से डिमॉनेटाइजेशन को कानूनी और वैध कवायद बताया था। केंद्र सरकार के फैसले को...
यह कहना गलत है कि कॉलेजियम प्रणाली में जज ही जजों की नियुक्ति करते हैंः सीनियर एडवोकेट अरविंद दातार
जजों की नियुक्ति और कॉलेजियम सिस्टम के मुद्दे पर लाइवलॉ के प्रबंध संपादक मनु सेबेस्टियन ने सीनियर एडवोकेट अरविंद पी दातार से बातचीत की। पढ़िए बातचीत का अंश-मनु सेबेस्टियन: क्या आपको लगता है कि कॉलेजियम प्रणाली, इसकी सभी खामियों और सीमाओं के साथ, न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए सबसे अच्छी उपलब्ध प्रणाली है?सीनियर एडवोकेट अरविंद दातार: निस्संदेह ऐसा है। मुझे करीब 43 साल तक प्रैक्टिस करने का मौका मिला है और मैं कॉलेजियम सिस्टम से पहले और बाद में भी बार में रहा हूं, इसलिए मैं जानता हूं कि पहले और...
इससे सरकार को क्या मतलब है कि मेरा धर्म क्या हैः धर्मांतरण विरोधी कानूनों पर पूर्व जज जस्टिस दीपक गुप्ता का साक्षात्कार
लाइवलॉ के प्रबंध संपादक मनु सेबेस्टियन ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस दीपक गुप्ता से हाल ही में धर्मांतरण के मुद्दे पर बातचीत की। पढ़िए, साक्षात्कार का अंश-मनु सेबेस्टियन: "इस हफ्ते की महत्वपूर्ण खबर यह है कि सुप्रीम कोर्ट एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसके तहत जबरन धर्मांतरण को विनियमित करने की मांग की गई है।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह बहुत ही गंभीर मुद्दा है और केंद्र सरकार को राज्यों से जानकारी एकत्र करने का निर्देश दिया है। भारत में कई राज्यों ने धर्म परिवर्तन को विनियमित करने के...
नोटबंदी- हम हाथ बांधकर नहीं बैठ सकते, जिस तरीके से फैसला लिया गया, उसका परीक्षण कर सकते हैं : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने 2016 के नोटबंदी के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि वह मूक दर्शक की भूमिका नहीं निभाएगा और केवल इसलिए हाथ बांधकर चुपचाप नहीं बैठेगा क्योंकि यह एक आर्थिक नीतिगत फैसला था।संविधान पीठ की सुनवाई में बैठे पांच न्यायाधीशों में से एक जज जस्टिस बी वी नागरत्ना ने कहा, "सिर्फ इसलिए कि यह एक आर्थिक निर्णय है, इसका मतलब यह नहीं है कि हम हाथ बांधकर बैठ जाएंगे। हम हमेशा उस तरीके की जांच कर सकते हैं जिसमें निर्णय लिया गया था। "पीठ नवंबर 2016 में 500 रुपये और...
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम का सिस्टम, उनकी स्वतंत्रता बढ़ाएगा: पूर्व सीईसी एसवाई कुरैशी
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ एसवाई कुरैशी ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रणाली को दोषपूर्ण करार दिया है। उन्होंने कहा कि भारत के चुनाव आयोग की निष्पक्षता और स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए प्रक्रिया को नया रूप दिया जाना चाहिए।लाइवलॉ के साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, "मैंने कई मौकों पर कहा है कि दुनिया के सबसे शक्तिशाली आयोग में नियुक्ति की सबसे दोषपूर्ण प्रणाली है। आज की कार्यपालिका एकतरफा रूप से चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति कर रही है, जबकि पूरी दुनिया में चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के...
'गूगल के खिलाफ सीसीआई का आदेश डिजिटल नवाचार को बढ़ावा देगा': कानूनी लड़ाई लड़ने वाले 3 युवा वकीलों का साक्षात्कार
गूगल पिछले एक हफ्ते से सुर्खियों में है। भारतीय काम्पिटिशन वाचडॉग काम्पिटिशन कमिशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) ने कंपनी पर भारी जुर्माना लगाया है। आयोग ने कंपनी के खिलाफ दो आदेश पारित किए है।20 अक्टूबर को काम्पिटिशन कमिशन ऑफ इंडिया ने एंड्रॉइड मोबाइल डिवाइस इकोसिस्टम में कई बाजारों में अपनी प्रभावशाली स्थिति का दुरुपयोग करने के लिए प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 की धारा 27 के तहत गूगल पर 1337.76 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। सीसीआई ने 2018 में तीन एडवोकेटों उमर जावेद, सुकर्मा थापर और आकिब जावीद की ओर से...
'शनिवार की विशेष सुनवाई में बरी करने का आदेश रद्द करने के बारे में कभी नहीं सुना': प्रो जीएन साईबाबा मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल [वीडियो]
सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने शुक्रवार को कहा कि माओवादियों से कथित संबंध मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईंबाबा और अन्य को आरोपमुक्त करने के बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को निलंबित करने वाले सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश को शनिवार को हुई विशेष सुनवाई में सुना गया। रोस्टर और मामलों को सूचीबद्ध करने के मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए सिब्बल ने कहा कि सरकार से जुड़े संवेदनशील मामले पिछले कुछ वर्षों में केवल एक विशेष न्यायाधीश के पास जा रहे हैं।सिब्ब्ल ने कहा,"अगर आप कोर्ट का इतिहास...
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के पास पीठों को मामले सौंपने की शक्ति नहीं होनी चाहिए, आवंटन स्वचालित होना चाहिए: दुष्यंत दवे
सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया द्वारा "मास्टर ऑफ रोस्टर" के रूप में सुप्रीम कोर्ट की पीठों को मामला सौंपने की प्रक्रिया पर चिंता व्यक्त की है।लाइव लॉ के प्रबंध संपादक मनु सेबेस्टियन के साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि रोस्टर के मास्टर के रूप में चीफ जस्टिस के पास किसी भी मामले को किसी भी बेंच को सौंपने की कोई शक्ति नहीं होनी चाहिए। प्रक्रिया पूरी तरह से स्वचालित होनी चाहिए और यह इतनी स्वचालित और कम्प्यूटरीकृत होनी चाहिए कि कोई भी मानवीय हस्तक्षेप इसे छू...
तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का आदेश असंवैधानिक और बेहद अनैतिक: दुष्यंत दवे
सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने लाइव लॉ के साथ एक साक्षात्कार में गुजरात दंगों के मामले (जकिया जाफरी बनाम गुजरात राज्य) में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की तीखी आलोचना की है। उल्लेखनीय है कि उक्त मामले में फैसले के बाद सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और गुजरात के पूर्व एडीजीपी आरबी श्रीकुमार को गिरफ्तार कर लिया गया था।गुजरात दंगों की साजिश में शामिल होने के आरोप के मामले में राज्य के आला आधिकारियों को एसआईटी की ओर से दी गई क्लीन चिट के खिलाफ जाकिया जाफरी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई में सुप्रीम...
पीएमएलए के प्रावधानों को बरकरार रखने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला "काला धब्बा", फैसले ने ईडी को हथियारबंद कर दियाः सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे
सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले की तीखी आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का धन शोधन निवारण अधिनियम के प्रावधानों को बरकरार रखने का फैसला "काला धब्बा" है।वह 27 जुलाई को जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ की ओर से दिए गए फैसले की चर्चा कर रहे थे, जिसमें गिरफ्तारी, छापे, कुर्की और बयान दर्ज करने और जमानत के लिए कड़ी शर्तें रखने और सबूत के उल्टे बोझ जैसी प्रवर्तन निदेशालय की विस्तृत शक्तियों का बरकरार रखा गया था। (विजय...
अदालतें मोबाइल पुलिस द्वारा फोन और लैपटॉप की जब्ती पर स्पष्ट दिशानिर्देश जारी करें: वृंदा ग्रोवर
वकील और सामाजिक कार्यकर्ता वृंदा ग्रोवर ने कहा है कि आपराधिक जांच के दौरान पुलिस द्वारा व्यक्तिगत इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे मोबाइल फोन और लैपटॉप की जब्ती पर अदालतों को स्पष्ट दिशा-निर्देश देने की आवश्यकता है। मोहम्मद जुबैर मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के व्यापक महत्व पर लाइव लॉ के प्रबंध संपादक मनु सेबेस्टियन के साथ एक साक्षात्कार में एडवोकेट ग्रोवर ने कहा कि आरोपियों के मोबाइल फोन की पुलिस जब्ती नियमित मामला बन गया है।उन्होंने कहा, "आज अगर आप पूछताछ के लिए जाते हैं, तो यह मानक एसओपी है कि...
मजिस्ट्रेटों को व्यक्तिगत स्वतंत्रता में लापरवाह तरीके से कटौती नहीं करनी चाहिए': जस्टिस दीपक गुप्ता
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस दीपक गुप्ता ने लाइव लॉ के मैनेजिंग एडिटर मनु सेबेस्टियन के साथ एक साक्षात्कार में फैक्ट-चेकर मोहम्मद जुबैर के खिलाफ मामले के बारे में अपनी राय साझा की और उचित जांच के बिना जमानत से इनकार करने वाली अदालतों की प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि कई जज जनता की राय के डर से जमानत देने से डरते हैं और कहा कि न्यायिक अकादमियों, जो मजिस्ट्रेटों को प्रशिक्षित करती हैं, उन्हें अपने दिमाग में यह डालना चाहिए कि वे नागरिकों के मौलिक अधिकारों से निपट रहे हैं। पूर्व...
एनएलयू में दाखिला नहीं पाना संभावनाओं का अंत नहीं: CLAT PG 2022 टॉपर समृद्धि मिश्रा का इंटरव्यू
CLAT 2022 के नतीजे 24 जून को जारी किए गए । CLAT PG (LLM एग्जाम) में लखनऊ की समृद्धि मिश्रा ने ऑल इंडिया लेवल पर पहली रैंक हासिल की। लाइव लॉ के साथ एक विशेष साक्षात्कार में मिश्रा ने अपनी तैयारी की रणनीति साझा की।पढ़िए, समृद्धि मिश्रा का इंटरव्यूःलाइव लॉ: हैलो समृद्धि! लाइव लॉ से बात करने के लिए धन्यवाद। सबसे पहले, CLAT PG 2022 में AIR 1 हासिल करने पर बधाई। आप कैसा महसूस कर रही हैं? हमें अपनी पृष्ठभूमि, अपनी शिक्षा और अपने परिवार के सदस्यों के बारे में बताएं।समृद्धि: धन्यवाद! मुझे लगता है कि यह ...
"सभी मुश्किलों पर फतह पाई, इतिहास को अपने ढंग से लिखा", देश की पहली महिला बधिर वकील से बातचीत
"अगली बार आपको नेतृत्व करना चाहिए।"कर्नाटक हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस वेणु गोपाल गौड़ा ने ये शब्द सारा सन्नी की तारीफ में कहा। वह एक मध्यस्थता कार्यवाही में थिरु एंड थिरु लॉ फर्म के अपने सहयोगियों के साथ शामिल थी।सारा सनी जन्म से ही बधिर हैं। पिता सन्नी और मां बेट्टी की यह संतान फिर भी इतिहास में अपनी जगह बनाने में कामयाब रही। दृढ़ता और कड़ी मेहनत से उन्होंने वकालत में पेश में अपनी जगह बनाई है। वह देश की पहली बधिर वकील हैं।लाइव लॉ ने सारा के साथ हाल ही में बातचीत की। पढ़िए बातचीत के अंश-लाइव...
पार्टनरशिप एक्ट की धारा 30 (5) उस नाबालिग भागीदार पर लागू नहीं होगी, जो अपने वयस्क होने के समय भागीदार नहीं था: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पार्टनरशिप एक्ट की धारा 30 की उप-धारा (5) एक नाबालिग भागीदार पर लागू नहीं होगी, जो अपने वयस्क होने के समय भागीदार नहीं था।जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने कहा कि जब वह नाबालिग होने के नाते पार्टनर था, तो वह पार्टनरशिप फर्म के किसी भी पिछले बकाया के लिएउत्तरदायी नहीं होगा।पार्टनरशिप एक्ट, 1932 की धारा 30(5) इस प्रकार है: किसी भी समय अपनी वयस्कता प्राप्त करने के छह महीने के भीतर, या उसके विवेक प्राप्त करने के लिए कि उसे साझेदारी के लाभों के लिए शामिल...
'पुलिस की अनुशासनहीनता का कारण उसके औपनिवेशिक मूल में निहित': जस्टिस चंद्रू का इंटरव्यू, जिनकी जिंदगी से प्रेरित है जय भीम
हाशिए के आदिवासी समुदायों के पुलिसिया उत्पीड़न के ईमानदार और ममस्पर्शी चित्रण के लिए तमिल फिल्म "जय भीम" की देश भर में तारीफ हो रही है। यह कोर्ट-रूम ड्रामा वास्तविक मुकदमे पर आधारित है, जिसे मद्रास हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस के चंद्रू ने तब लड़ा था, जब वह एक वकील के रूप में प्रैक्टिस कर रहे थे। फिल्म की सफलता ने सभी का ध्यान जस्टिस चंद्रू की ओर खींचा है, जो अपनी सक्रियता और प्रगतिशील निर्णयों के लिए प्रसिद्ध हैं। लाइव लॉ ने हाल ही में जस्टिस चंद्रू से कई समसामयिक मुद्दों समेत फिल्म पर बातचीत...
भारत की कानूनी बिरादरी तकनीकी अपनाने में संकोची है, हिदायतुल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो वीसी विवेकानंदन का विशेष साक्षात्कार
हिदायतुल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो वीसी विवेकानंदन का विशेष साक्षात्कार।1. यह कहना सही होगा कि COVID 19 परिदृश्य तक तकनीक को अपनाने में कानूनी बिरादरी ने बहुत रुचि नहीं दिखाई है?यह एक तथ्य है कि भारत में कानूनी बिरादरी, COVID तक इंजीनियरिंग और चिकित्सा पेशेवरों के विपरीत प्रौद्योगिकी अपनाने में या तो संकोची रही है या अवहेलना करती रही है। हो सकता है कि एक मजबूत धारणा यह हो कि प्रौद्योगिकी द्वंद्वात्मक विमर्श में अप्रासंगिक है। COVID ने डिफ़ॉल्ट रूप से इस तरह के रवैये को बदलने के लिए...