झारखंड हाईकोट

चलती ट्रेन से गिरकर पति की दुर्घटना में मौत के 7 साल बाद, झारखंड हाईकोर्ट ने विधवा को 8 लाख रुपए का मुआवजा दिया
चलती ट्रेन से गिरकर पति की दुर्घटना में मौत के 7 साल बाद, झारखंड हाईकोर्ट ने विधवा को 8 लाख रुपए का मुआवजा दिया

झारखंड हाईकोर्ट ने 2017 में चलती ट्रेन से दुर्घटनावश गिरने से मरने वाले एक व्यक्ति की विधवा को मुआवजे के रूप में ब्याज सहित 8 लाख रुपए दिए हैं। न्यायालय ने रेलवे दावा न्यायाधिकरण के उस फैसले को खारिज कर दिया है, जिसमें उसके दावे को खारिज कर दिया गया था। ऐसा करते हुए हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि मृतक एक वास्तविक यात्री था, जबकि जांच रिपोर्ट के दौरान उसके पास टिकट नहीं था। फैसला सुनाते हुए जस्टिस सुभाष चंद की एकल पीठ ने कहा, "इस तरह, यह तथ्य पूरी तरह साबित हो चुका है कि मृतक वास्तविक यात्री था।...

प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत महज औपचारिकता नहीं: झारखंड हाईकोर्ट ने प्रक्रिया का पालन न करने पर ब्‍लैकलिस्ट करने के आदेश को रद्द किया
प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत महज औपचारिकता नहीं: झारखंड हाईकोर्ट ने प्रक्रिया का पालन न करने पर ब्‍लैकलिस्ट करने के आदेश को रद्द किया

झारखंड हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को महज औपचारिकता नहीं माना जा सकता। न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि जब कोई प्रतिकूल निर्णय लिया जा रहा हो, तो संबंधित प्राधिकारी को प्रभावित पक्ष को उसके खिलाफ प्रस्तावित कार्रवाई के बारे में अवश्य सूचित करना चाहिए। इस प्रक्रिया का पालन न करना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन न करने के बराबर होगा। कार्यवाहक चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने कहा, "पक्षकारों की ओर से प्रस्तुत किए गए...

O. 23 R.1A CPC | प्रतिवादियों को कानून के महत्वपूर्ण प्रश्न या मुकदमे के परित्याग के बिना वादी के रूप में ट्रांसफर नहीं किया जा सकता: झारखंड हाईकोर्ट
O. 23 R.1A CPC | प्रतिवादियों को कानून के महत्वपूर्ण प्रश्न या मुकदमे के परित्याग के बिना वादी के रूप में ट्रांसफर नहीं किया जा सकता: झारखंड हाईकोर्ट

झारखंड हाईकोर्ट ने सिविल प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) के आदेश XXIII नियम 1ए के आवेदन को स्पष्ट किया, जिसमें पुष्टि की गई है कि प्रतिवादियों को केवल दो विशिष्ट स्थितियों में वादी के रूप में स्थानांतरित किया जा सकता है पहला, जब वादी ने मुकदमा वापस ले लिया हो या छोड़ दिया हो। दूसरा, जब प्रतिवादी के पास किसी अन्य प्रतिवादी के खिलाफ तय किए जाने वाला कानून का महत्वपूर्ण प्रश्न हो।जस्टिस सुभाष चंद ने एकल पीठ के फैसले में दोहराया,"सीपीसी के आदेश XXIII नियम 1ए के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए यह स्पष्ट...

पंचायत के समक्ष आरोपी द्वारा किया गया कबूलनामा न्यायेतर स्वीकारोक्ति के रूप में योग्य: झारखंड हाईकोर्ट
पंचायत के समक्ष आरोपी द्वारा किया गया कबूलनामा न्यायेतर स्वीकारोक्ति के रूप में योग्य: झारखंड हाईकोर्ट

झारखंड हाईकोर्ट ने माना है कि पंचायत के समक्ष एक आरोपी व्यक्ति द्वारा की गई स्वीकारोक्ति एक अतिरिक्त-न्यायिक स्वीकारोक्ति के रूप में योग्य है।कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि एक अतिरिक्त-न्यायिक स्वीकारोक्ति दोषसिद्धि के आधार के रूप में काम कर सकती है यदि जिस व्यक्ति के समक्ष स्वीकारोक्ति की गई है वह निष्पक्ष है और अभियुक्त के प्रति शत्रुतापूर्ण नहीं है। जस्टिस आनंद सेन और जस्टिस गौतम कुमार चौधरी की खंडपीठ ने कहा, 'आरोपी व्यक्तियों द्वारा पंचायत के समक्ष की गई स्वीकारोक्ति न्यायेतर स्वीकारोक्ति...

विरोधाभासी संस्करण और अधूरे सबूत: झारखंड हाईकोर्ट ने गर्भवती पत्नी, शिशु की हत्या के दोषी व्यक्ति की मौत की सजा को रद्द किया
'विरोधाभासी संस्करण और अधूरे सबूत': झारखंड हाईकोर्ट ने गर्भवती पत्नी, शिशु की हत्या के दोषी व्यक्ति की मौत की सजा को रद्द किया

झारखंड हाईकोर्ट ने हाल ही में निचली अदालत द्वारा एक व्यक्ति को उसकी गर्भवती पत्नी और 15 माह के नवजात बच्चे की हत्या के लिए दोषी ठहराए गए मौत की सजा को 'अधूरे सबूतों' का हवाला देते हुए रद्द कर दिया था और कहा था कि अभियोजन पक्ष मामले की परिस्थितियों को साबित करने में असमर्थ रहा।हाईकोर्ट ने मुकदमे के दौरान कथित अपराध की जांच और मुकदमा चलाने के तरीके पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि किसी भी परिस्थिति से यह साबित नहीं हुआ कि पति की मिलीभगत थी। अभियोजन पक्ष के सबूतों पर ध्यान देते हुए, जस्टिस...

कर्मचारी की नियुक्ति पर आपत्ति सेवा के दौरान नहीं उठाई गई तो सेवानिवृत्ति के बाद नहीं उठाई जा सकती: झारखंड हाईकोर्ट
कर्मचारी की नियुक्ति पर आपत्ति सेवा के दौरान नहीं उठाई गई तो सेवानिवृत्ति के बाद नहीं उठाई जा सकती: झारखंड हाईकोर्ट

झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस दीपक रोशन की एकल पीठ ने एक रिट याचिका पर निर्णय देते हुए कहा कि यदि कर्मचारी की सेवा अवधि के दौरान कोई आपत्ति नहीं की गई है तो सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारी की नियुक्ति के बारे में आपत्ति नहीं उठाई जा सकती। तथ्यकर्मचारी को 1 अगस्त, 1975 को एस.पी. कॉलेज, दुमका के शासी निकाय द्वारा टाइपिस्ट के रूप में नियुक्त किया गया था। 31 दिसंबर, 2006 को सेवानिवृत्त होने से पहले उन्होंने 31 वर्षों तक लगातार कॉलेज में काम किया। अपनी सेवा के दौरान, उन्हें कॉलेज के एक प्रस्ताव के माध्यम...

पुरुष उम्मीदवार की अनुपस्थिति में ही महिला उम्मीदवार को रोजगार के लिए विचार करना लैंगिक भेदभाव: झारखंड हाईकोर्ट
पुरुष उम्मीदवार की अनुपस्थिति में ही महिला उम्मीदवार को रोजगार के लिए विचार करना लैंगिक भेदभाव: झारखंड हाईकोर्ट

झारखंड हाईकोर्ट ने दोहराया कि केवल लिंग के आधार पर महिला उम्मीदवार को रोजगार से वंचित करना भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के प्रावधानों के खिलाफ है।अदालत ने कहा कि असाधारण मामलों में, जहां कोई पुरुष नामांकित व्यक्ति नहीं है, महिला रोजगार के प्रस्ताव पर ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड द्वारा विचार किया जा रहा था और इस तरह, लिंग के आधार पर, कंपनी रोजगार से इनकार कर रही थी। जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी ने कहा, "महिला उम्मीदवार को रोजगार से वंचित करना भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 में किए गए...

श्रमिक मुआवजा अधिनियम के तहत लेबर कोर्ट के आदेश के खिलाफ रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं: झारखंड हाईकोर्ट
श्रमिक मुआवजा अधिनियम के तहत लेबर कोर्ट के आदेश के खिलाफ रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं: झारखंड हाईकोर्ट

झारखंड हाईकोर्ट ने व्यवस्था दी है कि श्रमिक मुआवजा अधिनियम के तहत लेबर कोर्ट द्वारा पारित आदेश के खिलाफ दायर रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।उपरोक्त निर्णय एक रिट याचिका में आया था, जिसे एक कामगार मुआवजा मामले में पीठासीन अधिकारी, लेबर कोर्ट, देवघर द्वारा पारित 2017 के फैसले को चुनौती देते हुए दायर किया गया था। लेबर कोर्ट ने याचिकाकर्ता संजय करपरी को तीन महीने के भीतर 3,36,000 रुपये की मुआवजा राशि जमा करने का निर्देश दिया था, जिसका याचिकाकर्ता ने विरोध किया था। मामले के तथ्यात्मक मैट्रिक्स के...

पीड़ित विज्ञान सिर्फ मुआवज़ा के बारे में नहीं, बल्कि यह आनुपातिक सज़ा के बारे में भी है: झारखंड हाईकोर्ट ने क्रूर बलात्कार और हत्या मामले में मौत की सज़ा की पुष्टि की
पीड़ित विज्ञान सिर्फ मुआवज़ा के बारे में नहीं, बल्कि यह आनुपातिक सज़ा के बारे में भी है: झारखंड हाईकोर्ट ने क्रूर बलात्कार और हत्या मामले में मौत की सज़ा की पुष्टि की

झारखंड हाईकोर्ट ने रांची में 19 वर्षीय महिला के बलात्कार और हत्या के दोषी व्यक्ति की मृत्युदंड की पुष्टि की है, इस बात पर जोर देते हुए कि पीड़ित विज्ञान केवल मुआवजे से परे है। जस्टिस आनंद सेन और जस्टिस गौतम कुमार चौधरी की खंडपीठ ने कहा, "पीड़ित विज्ञान केवल पीड़ित मुआवजे के बारे में नहीं है, जो ऐसी परिस्थिति में अपराध के कारण खोए गए मूल्यवान जीवन के लिए प्रतिपूर्ति नहीं हो सकता है। यह अपराध की प्रकृति और गंभीरता के अनुपात में दंड देने के लिए भी है। अगर ऐसे मामलों में मृत्युदंड नहीं दिया जाता है...

झारखंड हाईकोर्ट ने सरकार के परीक्षा आयोजित करने के आधार पर इंटरनेट बंद करने पर रोक लगाई
झारखंड हाईकोर्ट ने सरकार के परीक्षा आयोजित करने के आधार पर इंटरनेट बंद करने पर रोक लगाई

विशेष सुनवाई में झारखंड हाईकोर्ट ने सरकार को किसी भी परीक्षा के आयोजन के आधार पर राज्य में इंटरनेट सेवाओं को निलंबित करने से अस्थायी रूप से रोक दिया। अदालत ने कहा कि अदालत की अनुमति के बिना कोई भी इंटरनेट सेवा बाधित नहीं की जाएगी।कोर्ट ने आदेश दिया,"यह स्पष्ट किया जाता है कि इस रिट याचिका के लंबित रहने तक इस न्यायालय की अनुमति के बिना किसी भी परीक्षा के आयोजन के आधार पर झारखंड राज्य में किसी भी रूप में कोई भी इंटरनेट सुविधा निलंबित नहीं की जाएगी।”जस्टिस आनंद सेन और जस्टिस अनुभा रावत चौधरी की...

व्हाट्सएप ग्रुप में बलात्कार पीड़िता की पहचान का खुलासा भी प्रतिबंधित: झारखंड हाईकोर्ट ने जामताड़ा विधायक के खिलाफ आरोप बरकरार रखे
व्हाट्सएप ग्रुप में बलात्कार पीड़िता की पहचान का खुलासा भी प्रतिबंधित: झारखंड हाईकोर्ट ने जामताड़ा विधायक के खिलाफ आरोप बरकरार रखे

झारखंड हाईकोर्ट ने जामताड़ा विधायक और राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री डॉ. इरफान अंसारी के खिलाफ आरोपों को खारिज करने से इनकार किया। उन पर व्हाट्सएप से मीडिया को नाबालिग बलात्कार पीड़िता की पहचान प्रसारित करने का आरोप है।जस्टिस अरुण कुमार राय की एकल पीठ ने आईपीसी की धारा 228ए का उल्लेख किया, जो किसी भी मामले में बलात्कार पीड़िता का नाम या पहचान छापने या प्रकाशित करने पर रोक लगाती है। इसने आगे कहा कि PCOSO Act की धारा 23, जो किसी भी प्रकार के मीडिया या स्टूडियो या फोटोग्राफिक सुविधाओं में नाबालिग...

बलात्कार पीड़िता की गवाही सिर्फ़ मेडिकल साक्ष्य के अभाव से प्रभावित नहीं होती, अदालतों को आरोपी को गलत तरीके से फंसाने से सावधान रहना चाहिए: झारखंड हाईकोर्ट
बलात्कार पीड़िता की गवाही सिर्फ़ मेडिकल साक्ष्य के अभाव से प्रभावित नहीं होती, अदालतों को आरोपी को गलत तरीके से फंसाने से सावधान रहना चाहिए: झारखंड हाईकोर्ट

झारखंड हाईकोर्ट ने दोहराया कि यौन उत्पीड़न जो आम तौर पर सार्वजनिक रूप से नहीं होता हर मामले में पुष्टि की ज़रूरत नहीं होती।कोर्ट ने इस बात पर ज़ोर दिया कि जब तक पीड़िता की गवाही में कुछ असामान्य न हो उसे सिर्फ़ मेडिकल साक्ष्य के अभाव में खारिज नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ़ गलत आरोप लगाने से बचने के लिए सतर्कता की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया।जस्टिस आनंद सेन और जस्टिस गौतम कुमार चौधरी की अगुवाई वाली खंडपीठ ने कहा,"शुरुआत में यह ध्यान देने की आवश्यकता है कि साक्ष्य अधिनियम...

Live Wire Accident: झारखंड हाईकोर्ट ने बाद के सरकारी अधिसूचनाओं के आधार पर मुआवज़ा बढ़ाने से इनकार किया
Live Wire Accident: झारखंड हाईकोर्ट ने बाद के सरकारी अधिसूचनाओं के आधार पर मुआवज़ा बढ़ाने से इनकार किया

झारखंड हाईकोर्ट ने अप्रैल 2018 में लाइव वायर गिरने से हुई दुर्घटना के कारण 60% दृष्टि खोने का दावा करने वाले व्यक्ति को अतिरिक्त मुआवज़ा देने से इनकार किया। कोर्ट ने फैसला सुनाया कि यह दुर्घटना झारखंड राज्य विद्युत विनियामक आयोग (JSERC) द्वारा 21 दिसंबर 2018 को जारी किए गए राजपत्र अधिसूचना से पहले हुई थी, जिससे अतिरिक्त मुआवज़े का दावा अमान्य हो गया।हालांकि अदालत ने झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (JBVNL) से कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (CSR) के तहत याचिकाकर्ता को मदद देने पर विचार करने का आग्रह...

ट्रायल से पहले या उसके दौरान हिरासत में रखना मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं, बरी किए गए व्यक्ति को मुआवजा नहीं: झारखंड हाईकोर्ट
ट्रायल से पहले या उसके दौरान हिरासत में रखना मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं, बरी किए गए व्यक्ति को मुआवजा नहीं: झारखंड हाईकोर्ट

झारखंड हाईकोर्ट ने व्यक्ति द्वारा आपराधिक मामले में बरी किए जाने के बाद मुआवजे की मांग करने वाली याचिका खारिज की। न्यायालय ने कहा कि बरी किए गए आरोपी मानवाधिकार उपाय के रूप में मुआवजे का दावा नहीं कर सकते, क्योंकि मुकदमे से पहले या उसके दौरान हिरासत में रखना मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं है।जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी ने कहा,“प्रमुख मानवाधिकार संधियां बरी किए गए आरोपी के लिए मुआवजे का स्पष्ट अधिकार प्रदान नहीं करती हैं, आपराधिक मामले में बरी किए गए आरोपी मानवाधिकार उपाय के रूप में मुआवजे का दावा...

झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से झालसा भवन निर्माण में 6 साल की देरी के बारे में स्पष्टीकरण मांगा
झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से झालसा भवन निर्माण में 6 साल की देरी के बारे में स्पष्टीकरण मांगा

झारखंड हाईकोर्ट ने हाईकोर्ट की सुरक्षा पर केंद्रित कई जनहित याचिकाओं (PIL) को संबोधित करते हुए हाईकोर्ट परिसर के पास स्थित झारखंड विधिक सेवा प्राधिकरण (झालसा) भवन के निर्माण में लंबे समय से हो रही देरी पर गहरा असंतोष व्यक्त किया।न्यायालय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि इस देरी के कारण लागत में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, यह देखते हुए कि 2018 में मूल रूप से 48 करोड़ रुपये की लागत से स्वीकृत यह परियोजना अब 2024 तक अनुमानित 57 करोड़ रुपये तक बढ़ गई है।सुनवाई के दौरान न्यायालय ने समयसीमा पर मौखिक टिप्पणी...

एनआईए एक्ट | विशेष अदालत की अनुपस्थिति में सत्र न्यायालय की ओर से आदेश पारित किए जाने पर भी अपील खंडपीठ के समक्ष दायर की जानी चाहिए: झारखंड हाईकोर्ट
एनआईए एक्ट | विशेष अदालत की अनुपस्थिति में सत्र न्यायालय की ओर से आदेश पारित किए जाने पर भी अपील खंडपीठ के समक्ष दायर की जानी चाहिए: झारखंड हाईकोर्ट

झारखंड हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिनियम, 2008 के तहत अनुसूचित अपराधों से संबंधित अपील हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष दायर की जानी चाहिए, भले ही मूल निर्णय या आदेश किसी निर्दिष्ट विशेष न्यायालय की अनुपस्थिति में कार्यरत सत्र न्यायालय द्वारा पारित किया गया हो। जस्टिस राजेश शंकर द्वारा दिए गए फैसले में कहा गया, “अधिनियम, 2008 की अनुसूची के तहत अपराधों की गंभीरता को देखते हुए, विधानमंडल ने ऐसे मामलों की सुनवाई में तेजी लाने के लिए हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष अपील दायर करने...

झारखंड हाईकोर्ट ने जज के यातायात में फंसने के बाद स्वत: संज्ञान लेते हुए जिला जज की सड़क पर हुई हत्या को याद किया
झारखंड हाईकोर्ट ने जज के यातायात में फंसने के बाद स्वत: संज्ञान लेते हुए जिला जज की सड़क पर हुई हत्या को याद किया

जस्टिस एस.के. द्विवेदी के यातायात जाम में फंसने और वहां मौजूद पुलिस बल से उचित सहायता नहीं मिलने के मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए मंगलवार को झारखंड हाईकोर्ट के समक्ष शीर्ष पुलिस अधिकारियों को पेश होना पड़ा।जस्टिस द्विवेदी ने खुलासा किया कि 23 अगस्त को राजनीतिक दल द्वारा आयोजित प्रदर्शन के कारण यातायात जाम के बीच उनके कर्मचारियों को उन्हें एस्कॉर्ट करने के लिए पीसीआर वैन बुलानी पड़ी, लेकिन दुर्भाग्य से आवास पर वापस जाते समय वह आधे घंटे तक अपनी कार में फंसे रहे और मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारियों...

राज्य ने कहा, बांग्लादेशियों की घुसपैठ नहीं हुई, लेकिन कुछ क्षेत्रों में जनजातीय आबादी में कमी के कारणों पर चुप्पी साधी गई: झारखंड हाईकोर्ट
राज्य ने कहा, बांग्लादेशियों की घुसपैठ नहीं हुई, लेकिन कुछ क्षेत्रों में जनजातीय आबादी में कमी के कारणों पर चुप्पी साधी गई: झारखंड हाईकोर्ट

झारखंड हाईकोर्ट ने गुरुवार को संथाल परगना क्षेत्र में जनजातीय आबादी में गिरावट के बारे में राज्य के अधिकारियों द्वारा हलफनामों में चुप्पी साधे रखने पर निराशा व्यक्त की। यह टिप्पणी क्षेत्र में बांग्लादेश से कथित अवैध अप्रवास को उजागर करने वाली जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए पारित किए गए न्यायालय के आदेश में की गई।एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ दानियाल दानिश द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें दावा किया गया कि छह जिलों - गोड्डा,...

आदिवासियों की घटती आबादी पर जनहित याचिका | झारखंड हाईकोर्ट ने कहा- राज्य का दावा, बांग्लादेशियों की घुसपैठ नहीं हुई, लेकिन जनजातियों की आबादी में कमी के कारणों पर चुप
आदिवासियों की घटती आबादी पर जनहित याचिका | झारखंड हाईकोर्ट ने कहा- राज्य का दावा, बांग्लादेशियों की घुसपैठ नहीं हुई, लेकिन जनजातियों की आबादी में कमी के कारणों पर चुप

झारखंड हाईकोर्ट ने गुरुवार को संथाल परगना क्षेत्र में घटती आदिवासी आबादी पर हलफनामों में राज्य अधिकारियों की चुप्पी पर निराशा व्यक्त की। बांग्लादेश से कथित अवैध अप्रवास के मुद्दे पर दायर एक जनहित याचिका पर पारित आदेश में कार्यवाहक चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने उक्त टिप्पण‌ियां कीं। जनहित याचिका दानियाल दानिश ने दायर की है, जिसमें दावा किया गया था कि छह जिलों - गोड्डा, जामताड़ा, पाकुड़, दुमका, साहिबगंज और देवघर (संथाल परगना क्षेत्र में) में बड़े पैमाने पर...

झारखंड हाईकोर्ट ने किसी भी दंडात्मक कार्यवाही के अभाव में कर भुगतान में देरी के लिए आपराधिक कार्यवाही रद्द की
झारखंड हाईकोर्ट ने किसी भी दंडात्मक कार्यवाही के अभाव में कर भुगतान में देरी के लिए आपराधिक कार्यवाही रद्द की

झारखंड हाईकोर्ट ने आयकर अधिनियम 1961 (INCOME TAX Act ) के तहत कर चोरी के आरोपी व्यक्ति के विरुद्ध आपराधिक कार्यवाही रद्द की। इस मामले में आरोप लगाया गया कि याचिकाकर्ता ट्रैक्टर डीलर अपने दाखिल किए गए रिटर्न में राशि घोषित करने के बावजूद आकलन वर्ष 2011-12 के लिए अपने आयकर रिटर्न से जुड़ी कर देयता का भुगतान करने में विफल रहा।कार्यवाही रद्द करने का कोर्ट का निर्णय इस तथ्य पर टिका था कि कर का भुगतान अंतत किया गया। हालांकि कुछ देरी के साथ और याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई वसूली कार्यवाही लंबित नहीं...