झारखंड हाईकोट
रिस जुडिकाटा का सिद्धांत समान राहत की मांग करने वाले दूसरे संशोधन आवेदन को रोकता है: झारखंड हाईकोर्ट
झारखंड हाईकोर्ट ने हाल ही में दिए गए एक फैसले में दोहराया कि कार्यवाही के एक चरण में पारित आदेश उसी मुद्दे पर बाद के चरण में पुनर्विचार करने से रोकता है।कोर्ट ने सत्यध्यान घोषाल बनाम देवरजिन देबी (एआईआर 1960 एससी 941) के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा किया, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि किसी मामले में पहले दिया गया निर्णय बाद के आवेदनों में उसी मामले पर पुनर्विचार करने से रोकता है।जस्टिस सुभाष चंद ने मामले की अध्यक्षता करते हुए कहा,"कार्यवाही के एक चरण में दिया गया आदेश उसी...
निष्पक्ष चुनाव कराने के नाम पर किसी नागरिक को हिरासत में लेकर उसकी स्वतंत्रता पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता: झारखंड हाईकोर्ट
झारखंड हाईकोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति को इस आधार पर हिरासत में नहीं लिया जा सकता कि विधानसभा चुनाव के समुचित संचालन के लिए ऐसा करना आवश्यक है।जस्टिस आनंद सेन और जस्टिस प्रदीप कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने कहा,"यदि यह आधार बन जाता है तो यह प्रशासन को चुनाव के समय अधिनियम के तहत किसी भी व्यक्ति को हिरासत में लेने के लिए बेलगाम, अनियंत्रित व्यापक शक्ति देने के समान होगा, यह नागरिकों की स्वतंत्रता के साथ खिलवाड़ करने के अलावा और कुछ नहीं होगा।"खंडपीठ ने यह भी कहा कि केवल स्टेशन डायरी प्रविष्टि दर्ज...
सत्य कथन को शामिल करने के लिए हलफनामे में संशोधन अस्वीकार्य: झारखंड हाईकोर्ट
झारखंड हाईकोर्ट ने दोहराया कि कमर्शियल वाद याचिका में सत्य कथन को शामिल करने के लिए हलफनामे में संशोधन कमर्शियल कोर्ट एक्ट 2015 के प्रावधानों के तहत अस्वीकार्य है।न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि सत्य कथन को अधिनियम के नियम 15 A के तहत निर्धारित प्रारूप में दाखिल किया जाना चाहिए और वादपत्र में जुड़ें हलफनामे में बदलाव करके इसे संशोधित नहीं किया जा सकता।जस्टिस सुभाष चंद ने मामले की अध्यक्षता करते हुए कहा,"यह स्थापित कानून है कि वादपत्र और लिखित कथन सहित वादपत्र में संशोधन किया जा सकता है। कानून...
संपत्ति विवाद में हस्तक्षेप की याचिका खारिज, सिर्फ तरजीही अधिकार माना, मालिकाना हक नहीं: झारखंड हाईकोर्ट
हाल के एक फैसले में, झारखंड हाईकोर्ट ने दोहराया है कि बेचने के लिए एक समझौता किसी संपत्ति में कोई शीर्षक या स्वामित्व अधिकार प्रदान नहीं करता है, बल्कि, यह केवल उस व्यक्ति को अधिमान्य अधिकार प्रदान करता है जिसके पक्ष में समझौता निष्पादित किया जाता है।जस्टिस सुभाष चंद ने मामले की अध्यक्षता करते हुए जोर देकर कहा, "यह स्थापित कानून है कि बेचने का समझौता कोई शीर्षक प्रदान नहीं करता है, यह उस व्यक्ति को केवल अधिमान्य अधिकार प्रदान करता है जिसके पक्ष में बेचने का समझौता निष्पादित किया गया है। ...
झारखंड हाईकोर्ट ने कथित OTP दुरुपयोग पर फ्लिपकार्ट कर्मचारियों की अवैध गिरफ्तारी के लिए पुलिस को सजा सुनाई, कहा- अर्नेश कुमार दिशा-निर्देशों की अनदेखी की गई
झारखंड हाईकोर्ट ने दो पुलिस अधिकारियों पर आपराधिक अवमानना का आरोप लगाया, क्योंकि उन्होंने फ्लिपकार्ट समूह की कंपनियों के भीतर रसद शाखा के रूप में काम करने वाली एजेंसी में दो इंस्टाकार्ट कर्मचारियों को अवैध रूप से गिरफ्तार किया था, जो अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य में निर्धारित सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है।चीफ जस्टिस एम.एस. रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने कहा,"विपक्षी पक्ष नंबर 2 और विपक्षी पक्ष नंबर 3 द्वारा अर्नेश कुमार में निर्धारित सिद्धांतों की घोर...
ग्रेच्युटी के भुगतान में देरी पर नियोक्ता को केंद्र सरकार की अधिसूचना के अनुसार 10% ब्याज देना होगा : झारखंड हाईकोर्ट
जस्टिस अनुभा रावत चौधरी की एकल पीठ ने माना कि ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 की धारा 7 (3-ए) के अनुरूप केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, यदि नियोक्ता ग्रेच्युटी के भुगतान में देरी करते हैं तो उन्हें 10% की दर से ब्याज देना होगा।पूरा मामलाप्रतिवादी कर्मचारी टाटा स्टील लिमिटेड (प्रबंधन) के लिए काम कर रहा था। प्रबंधन ने कर्मचारी को निर्दिष्ट समय अवधि में ग्रेच्युटी का भुगतान करने में विफल रहा, इसलिए कर्मचारी ने ग्रेच्युटी राशि पर ब्याज का दावा किया।ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम 1972 की धारा...
हिरासत के आदेशों का सम्मान किया जाना चाहिए, जब तक कि हाईकोर्ट द्वारा चुनौती न दी जाए या संशोधित न किया जाए: झारखंड हाईकोर्ट ने मां को बेटे को पिता को सौंपने का निर्देश दिया
इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि हिरासत के आदेश का सम्मान किया जाना चाहिए, जब तक कि हाईकोर्ट द्वारा चुनौती न दी जाए या संशोधित न किया जाए, झारखंड हाईकोर्ट ने नाबालिग लड़के की हिरासत उसके पिता को देने के फैमिली कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा।ऐसा करते हुए हाईकोर्ट ने आगे कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं है, जो यह सुझाव दे कि नाबालिग का कल्याण पिता के हाथों में किसी भी तरह से खतरे में था।न्यायालय ने मां से बातचीत की जिसने अदालत को बताया कि उसने फैमिली कोर्ट के 2022 के आदेश को चुनौती नहीं दी है।इसी के मद्देनजर...
झारखंड हाईकोर्ट ने मोतियाबिंद, सुगर और हाई ब्लडप्रेशर से पीड़ित बुजुर्ग कैदियों के लिए अनिवार्य मासिक मेडिकल कैंप लगाने का निर्देश दिया
झारखंड हाईकोर्ट ने हाल ही में झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (JHALSA) को निर्देश दिया कि वह जेलों में आयोजित मासिक विधिक शिविरों के साथ-साथ मोतियाबिंद सुगर और ब्लडप्रेशर जैसी बीमारियों से पीड़ित कैदियों, विशेष रूप से बुजुर्ग कैदियों के लिए मेडिकल कैंप आयोजित करे।जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और नवनीत कुमार की खंडपीठ ने निर्देश दिया,“इस न्यायालय ने उपरोक्त आदेश पारित करने के बाद यह भी विचार किया कि इस तरह के मुद्दे पर विचार किया गया कि विचाराधीन कैदियों या न्यायिक हिरासत में बंद कैदियों की,...
झारखंड हाईकोर्ट ने निजी नौकरियों में स्थानीय लोगों को 75% आरक्षण देने वाले कानून पर रोक लगाई, कहा- नियोक्ताओं को पसंद के आधार पर भर्ती करने से नहीं रोका जा सकता
एक अंतरिम आदेश में झारखंड हाईकोर्ट ने निजी क्षेत्र में कुल अधिसूचित रिक्तियों के मुकाबले 75% स्थानीय उम्मीदवारों को रोजगार देने वाले राज्य कानून के संचालन पर रोक लगा दी। यह देखते हुए कि कानून किसी निजी नियोक्ता के खुले बाजार के कर्मचारियों से भर्ती करने के अधिकार को प्रतिबंधित करता है।हाईकोर्ट ने झारखंड राज्य निजी क्षेत्र में स्थानीय उम्मीदवारों के रोजगार अधिनियम, 2021 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। यह अधिनियम राज्य में ऐसे हर प्रतिष्ठान...
एलआईसी एजेंट का रिन्यूअल कमीशन वंशानुगत: झारखंड हाईकोर्ट ने विधवा को 1.14 करोड़ रुपये का मुआवजा देने की पुष्टि की
झारखंड हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फैसले में कहा कि मृतक एलआईसी एजेंट द्वारा अर्जित रिन्यूअल कमीशन वंशानुगत है और चाहे मृत्यु प्राकृतिक, हत्या या दुर्घटनावश हुई हो, विधवा को देय है। न्यायालय ने माना कि इस कमीशन को मुआवजे के दावों में आश्रितता की हानि राशि से नहीं काटा जा सकता है।इस मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस सुभाष चंद ने कहा, "रिन्यूअल कमीशन वंशानुगत कमीशन है और यह मृतक की विधवा को मृत्यु के बाद भी देय है, भले ही मृत्यु अन्यथा हुई हो। इस प्रकार, यह रिन्यूअल कमीशन वंशानुगत कमीशन है और यह आर्थिक...
कार्रवाई का नया कारण और राहत मांगने के लिए संशोधन के लिए धारा 80 के तहत पूर्व सूचना अनिवार्य: झारखंड हाईकोर्ट
झारखंड हाईकोर्ट ने हाल ही में दिए गए अपने फैसले में कहा कि राज्य के खिलाफ कार्रवाई का नया कारण पेश करने और नई राहत मांगने वाले वाद में संशोधन सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) की धारा 80 के तहत पूर्व सूचना के बिना स्वीकार्य नहीं।मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस सुभाष चंद ने कहा,"यह प्रस्तावित संशोधन कार्रवाई के नए कारण और नई राहत के संबंध में है। इस संशोधन की मांग करने से पहले वादी को CPC की धारा 80 के तहत राज्य को पूर्व सूचना देनी चाहिए थी, जिसमें मुकदमे में शामिल भूमि पर ट्रॉमा सेंटर के निर्माण के...
झारखंड हाईकोर्ट ने कहा, दलीलों में की गई स्वीकारोक्ति साक्ष्य अधिनियम की धारा 21 के तहत बाध्यकारी, इसे अपील स्तर पर इसे वापस नहीं लिया जा सकता
झारखंड हाईकोर्ट ने हाल ही में माना कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 21 के तहत दलीलों में की गई स्वीकारोक्ति बाध्यकारी है, और अपीलीय चरण में इसे वापस नहीं लिया जा सकता है। मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस सुभाष चंद ने कहा, "जहां तक अपीलकर्ता द्वारा उठाए गए दूसरे तर्क का सवाल है, जिसमें इस आधार पर आरोपित अवॉर्ड को चुनौती दी गई है कि घायल दावेदार को ट्रक द्वारा दुर्घटना के कारण कोई चोट नहीं आई है। अपीलकर्ता की ओर से इस तथ्य की दलील पहली बार अपील के चरण में उठाई गई है।" जस्टिस चंद ने कहा,...
झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य शिक्षा विभाग के दो सीनियर अधिकारियों को न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन करने और वेतन रोकने के लिए अवमानना नोटिस जारी किया
झारखंड हाईकोर्ट ने विद्यालय शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव तथा माध्यमिक शिक्षा निदेशक को न्यायालय के पूर्व निर्देशों का पालन न करने तथा उसके आदेशों को दरकिनार करने का प्रयास करने के लिए वेतन रोकने का निर्देश दिया।मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस संजय प्रसाद ने बार-बार किए गए कदाचार पर प्रकाश डालते हुए टिप्पणी की,"यह न्यायालय राज्य प्राधिकारियों के दृष्टिकोण को समझने में विफल रहा है, क्योंकि याचिकाकर्ताओं को बार-बार विभाग के राज्य प्राधिकारियों, विशेषकर झारखंड सरकार के माध्यमिक शिक्षा निदेशक के...
स्वामित्व, कब्जे संबंधित विवाद रिट अधिकार क्षेत्र का विषय नहीं: झारखंड हाईकोर्ट ने हाउसिंग बोर्ड के हस्तक्षेप के खिलाफ याचिका खारिज की
झारखंड हाईकोर्ट ने हाल ही में याचिकाकर्ता की संपत्ति के कब्जे और स्वामित्व में कथित हस्तक्षेप के खिलाफ राहत की मांग संबधी एक रिट याचिका को खारिज कर दिया। फैसले में हाईकोर्ट ने कहा कि "अधिकार, स्वामित्व, हित और कब्जे" संबधी विवादों में साक्ष्य की आवश्यकता होती है और रिट क्षेत्राधिकार के तहत उनका फैसला नहीं किया जा सकता है।मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस अनुभा रावत चौधरी ने कहा, "इस न्यायालय को लगता है कि वर्तमान मामले में शामिल संपत्ति के संबंध में अधिकार, स्वामित्व, हित और कब्जे के संबंध में गंभीर...
Jharkhand Building Control Act| मृतक किराएदार के साथ रहने वाला और उस पर आश्रित परिवार का सदस्य कानूनी उत्तराधिकारी माना जाएगा: हाईकोर्ट
झारखंड हाईकोर्ट ने माना कि मृतक किराएदार के साथ रहने वाला और उस पर आश्रित परिवार का सदस्य झारखंड भवन (पट्टा, किराया और बेदखली नियंत्रण) अधिनियम 2011 की धारा 5 के प्रावधान के तहत कानूनी उत्तराधिकारी माना जाएगा।इस प्रकार न्यायालय ने ट्रायल और अपीलीय न्यायालयों के आदेशों को खारिज कर दिया जिसमें मृतक वादी के भतीजे का प्रतिस्थापन आवेदन खारिज कर दिया गया, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि वैधानिक प्रावधानों की अनदेखी की गई, जिसके कारण एक विकृत निष्कर्ष निकला।जस्टिस सुभाष चंद ने फैसला सुनाते हुए...
वकीलों के बीमा लाभ के लिए 9 करोड़ रुपये का अनुदान कब जारी किया जाएगा? झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा
झारखंड हाईकोर्ट ने हाल ही में राज्य सरकार को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें यह बताया जाएगा कि झारखंड अधिवक्ता कल्याण निधि ट्रस्टी समिति को 9 करोड़ रुपये का स्वीकृत अनुदान कब जारी किया जाएगा।अदालत ने राज्य में वकीलों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया, जिसमें बीमा जैसे स्वास्थ्य लाभ और कानून के तहत स्वीकार्य अन्य लाभ शामिल हैं।चीफ जस्टिस एम.एस. रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने कहा,"प्रतिवादी नंबर 3 एक हलफनामा दाखिल करेगा,...
सिविल जज (सीनियर डिवीजन) के पास असीमित वित्तीय अधिकार क्षेत्र है, वह 5 लाख रुपये से कम मूल्य के मुकदमों पर फैसला कर सकते हैं: झारखंड हाईकोर्ट
झारखंड हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सिविल जज (वरिष्ठ डिवीजन) के पास असीमित वित्तीय अधिकार क्षेत्र है और वह 5 लाख रुपये से कम या उससे अधिक मूल्य के मुकदमों का निपटारा कर सकता है, भले ही ऐसा मूल्यांकन मुंसिफ न्यायालय के वित्तीय अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आता हो। न्यायालय ने फैसला सुनाया कि ऐसे मामलों में अधिकार क्षेत्र का प्रयोग अवैधानिक नहीं है। जस्टिस सुभाष चंद ने कहा कि असीमित वित्तीय अधिकार क्षेत्र वाले सिविल जज (वरिष्ठ डिवीजन) को 5 लाख रुपये या उससे कम मूल्य के मुकदमों का फैसला करने का...
झारखंड सरकार ने सांसद निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी के खिलाफ देवघर हवाईअड्डा मामले में सुप्रीम कोर्ट से कहा, 'जांच के लिए मंजूरी की जरूरत नहीं'
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (27 नवंबर) को झारखंड राज्य की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें झारखंड हाईकोर्ट द्वारा देवघर हवाईअड्डा मामले में भाजपा सांसदों निशिकांत दुबे, मनोज तिवारी और अन्य के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने के फैसले को चुनौती दी गई थी। जस्टिस अभय ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने राज्य से कहा कि वह अपने इस तर्क का समर्थन करने के लिए निर्णय प्रस्तुत करे कि बिना पूर्व अनुमति के जांच जारी रह सकती है।हाईकोर्ट ने इस आधार पर एफआईआर को रद्द कर दिया था कि विमान (संशोधन) अधिनियम, 2020 के...
रेस - ज्यूडिकाटा का सिद्धांत गुजारा भत्ता, स्त्रीधन की राहत पर लागू नहीं होता, जिसका दावा किसी भी बाद के चरण में किया जा सकता है: राजस्थान हाईकोर्ट
हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 25 की उद्देश्यपूर्ण व्याख्या के लिए स्वर्णिम नियम को लागू करते हुए, राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ ने फैसला सुनाया कि रेस - ज्यूडिकाटा का सिद्धांत प्रावधान में दिए गए स्थायी गुजारा भत्ता और स्त्रीधन की राहत पर लागू नहीं होता है।ऐसा करते हुए न्यायालय ने रेखांकित किया कि रेस - ज्यूडिकाटा लागू नहीं होता है, क्योंकि धारा 25 के तहत मांगी गई राहत का दावा "किसी भी बाद के चरण में" भी किया जा सकता है और अधिनियम के तहत अधिकार क्षेत्र रखने वाले किसी भी न्यायालय द्वारा प्रदान...
संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत शक्ति का उपयोग संयम से किया जा सकता है, इसका उपयोग 'केवल त्रुटियों को सुधारने' के लिए नहीं किया जा सकता: झारखंड हाईकोर्ट
संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत शक्ति का प्रयोग करने और संबंधित अदालत द्वारा नए आदेश पारित होने तक अंतरिम आदेश पारित करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने दोहराया कि प्रावधान के तहत शक्ति का संयम से उपयोग किया जाना चाहिए और इसका उपयोग "मात्र त्रुटियों" को सुधारने के लिए नहीं किया जा सकता है।ऐसा करने में अदालत ने आगे कहा कि यदि इस तरह से शक्ति का उपयोग किया जाता है, तो इससे की गई त्रुटि में तेजी आएगी। हाईकोर्ट कोयला असर न्यायाधिकरण के आदेश के खिलाफ भारत संघ द्वारा...