झारखंड हाईकोट

झारखंड हाईकोर्ट ने कैदियों को दिए जाने वाले खाने की क्वालिटी की जांच के लिए जेलों के इंस्पेक्शन का निर्देश दिया
झारखंड हाईकोर्ट ने कैदियों को दिए जाने वाले खाने की क्वालिटी की जांच के लिए जेलों के इंस्पेक्शन का निर्देश दिया

झारखंड हाईकोर्ट ने अलग-अलग डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विसेज़ अथॉरिटीज़ (DLSA) को अलग-अलग जेलों का इंस्पेक्शन करने का निर्देश दिया ताकि कैदियों को दिए जाने वाले खाने की क्वालिटी की जांच की जा सके और यह चेक किया जा सके कि यह जेल मैनुअल के अनुसार है या नहीं।कोर्ट ने आगे निर्देश दिया कि DLSA या झारखंड स्टेट लीगल सर्विसेज़ अथॉरिटी जेलों में दिए जाने वाले खाने की क्वालिटी की अक्सर ऐसी जांच करेगी।कोर्ट एक आदमी के अपील करने वाले की सुनवाई कर रहा था, जिसने स्पेशल जज, NIA के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसकी...

हाईकोर्ट के सामने क्रिमिनल रिवीजन सुनवाई योग्य, लेकिन आमतौर पर पहले सेशन कोर्ट जाना चाहिए: झारखंड हाईकोर्ट
हाईकोर्ट के सामने क्रिमिनल रिवीजन सुनवाई योग्य, लेकिन आमतौर पर पहले सेशन कोर्ट जाना चाहिए: झारखंड हाईकोर्ट

झारखंड हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि सेशन जज का रिवीजनल जूरिस्डिक्शन और हाईकोर्ट की अंदरूनी शक्तियां एक साथ काम करती हैं। इसलिए एक का इस्तेमाल करने से दूसरे का सहारा लेने पर रोक नहीं लगती। हालांकि, ज्यूडिशियल डिसिप्लिन के तौर पर हाईकोर्ट आमतौर पर अपनी अंदरूनी शक्तियों का इस्तेमाल करने से बचता है, जब सेशन जज के सामने उतना ही असरदार उपाय मौजूद हो।जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की सिंगल जज बेंच भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS) की धारा 438 और 442 के तहत फाइल की गई क्रिमिनल रिवीजन पिटीशन पर...

शुरुआती पुष्टि के बाद एडवाइजरी बोर्ड के रिव्यू के बिना भी प्रिवेंटिव डिटेंशन बढ़ाया जा सकता है: झारखंड हाईकोर्ट
शुरुआती पुष्टि के बाद एडवाइजरी बोर्ड के रिव्यू के बिना भी प्रिवेंटिव डिटेंशन बढ़ाया जा सकता है: झारखंड हाईकोर्ट

झारखंड हाईकोर्ट ने हाल ही में साफ किया कि एक बार जब एडवाइजरी बोर्ड प्रिवेंटिव-डिटेंशन ऑर्डर को मंज़ूरी दे देता है और राज्य सरकार एक कन्फर्मेटरी ऑर्डर जारी कर देती है तो बाद में एक्सटेंशन के लिए बोर्ड की किसी और मंज़ूरी की ज़रूरत नहीं होती है।जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण कुमार राय की डिवीजन बेंच ने झारखंड कंट्रोल ऑफ क्राइम्स एक्ट, 2002 के तहत दिए गए प्रिवेंटिव डिटेंशन के ऑर्डर को चुनौती देने वाली रिट याचिका खारिज करते हुए ये बातें कहीं। याचिकाकर्ता को एक्ट की धारा 12(2) के तहत...

पर्सनल लॉ के तहत चार शादी करना चाहता था मुस्लिम पति, हाईकोर्ट ने कहा- स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी करने के बाद ऐसा नहीं किया जा सकता
पर्सनल लॉ के तहत चार शादी करना चाहता था मुस्लिम पति, हाईकोर्ट ने कहा- स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी करने के बाद ऐसा नहीं किया जा सकता

झारखंड हाईकोर्ट ने कहा कि एक बार जब दोनों स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954 के तहत शादी कर लेते हैं तो एक्ट की धारा 22 के तहत वैवाहिक अधिकारों की बहाली से जुड़े नियम पूरी तरह से लागू होते हैं, भले ही वे किसी भी पर्सनल लॉ को मानते हों।कोर्ट ने पति की इस दलील को खारिज कर दिया कि मुस्लिम होने के नाते वह चार महिलाओं से शादी करने का हकदार है, इसलिए उसकी पत्नी का ससुराल छोड़ना गलत था।जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस राजेश कुमार की डिवीजन बेंच ने कहा कि वैवाहिक अधिकारों की बहाली सिर्फ कानून का नतीजा नहीं है।...

“राज्य के वकील कोर्ट में उपस्थित हों”: सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड की गृह सचिव को निर्देश दिया
“राज्य के वकील कोर्ट में उपस्थित हों”: सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड की गृह सचिव को निर्देश दिया

झारखंड की गृह सचिव वंदना डाडेल गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुईं। कोर्ट ने उनकी मौजूदगी इसलिए तलब की थी क्योंकि नोटिस की सेवा पूरी होने के बावजूद झारखंड सरकार कई मामलों में लगातार गैर-हाज़िर रही। कोर्ट ने उनसे कहा कि राज्य के वकील सभी ऐसे मामलों में अनिवार्य रूप से उपस्थित हों।मुख्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार से कहा कि वह हाईकोर्ट द्वारा दो हत्या आरोपियों—अर्शद और शमशेर—को दिए गए anticipatory bail को चुनौती दे, क्योंकि हाईकोर्ट ने बिना मेरिट देखे यह...

झारखंड हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: DACP लाभ सिर्फ मुकदमा लड़ने वालों तक सीमित नहीं, सभी समान पदस्थ अधिकारियों को मिलेगा फायदा
झारखंड हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: DACP लाभ सिर्फ मुकदमा लड़ने वालों तक सीमित नहीं, सभी समान पदस्थ अधिकारियों को मिलेगा फायदा

झारखंड हाईकोर्ट ने डायनेमिक एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन (DACP) योजना को लेकर अहम फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया कि इस लाभ को केवल उन्हीं मेडिकल अधिकारियों तक सीमित नहीं रखा जा सकता, जिन्होंने पहले अदालत से राहत मांगी थी। कोर्ट ने कहा कि DACP का लाभ उसी कैडर के सभी समान रूप से स्थित अधिकारियों को दिया जाएगा, चाहे उन्होंने न्यायालय का रुख किया हो या नहीं।जस्टिस अनंदा सेन ने अपने निर्णय में कहा कि जब एक विशेष तिथि तय कर दी जाती है तो उस दायरे में आने वाले सभी व्यक्तियों को समान फायदा मिलना चाहिए।...

अनुकंपा नियुक्ति से इनकार होने पर आवेदन की तिथि से ही आर्थिक मुआवज़ा दिया जाना चाहिए: झारखंड हाईकोर्ट
अनुकंपा नियुक्ति से इनकार होने पर आवेदन की तिथि से ही आर्थिक मुआवज़ा दिया जाना चाहिए: झारखंड हाईकोर्ट

झारखंड हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने कहा कि यदि अनुकंपा नियुक्ति से इनकार किया जाता है तो नियोक्ता को अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन की तिथि से ही आर्थिक मुआवज़ा देना होगा।पृष्ठभूमि तथ्यकर्मचारी सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (CCL) ढोरी (के) कोलियरी में पीस रेटेड कर्मचारी था। सेवाकाल के दौरान दिसंबर 1996 में उसकी मृत्यु हो गई। उसकी विधवा ने 1998 में अनुकंपा नियुक्ति का अनुरोध किया। 2002 में इस आधार पर अनुरोध अस्वीकार कर दिया गया कि CCL के नियमों के अनुसार...

झारखंड हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: मामूली चूकों के लिए सेवा से बर्खास्तगी की सजा असंगत
झारखंड हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: मामूली चूकों के लिए सेवा से बर्खास्तगी की सजा असंगत

झारखंड हाईकोर्ट की जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि प्रक्रियात्मक चूकों काम में लापरवाही अरुचि और अधीनस्थों के उत्पीड़न से संबंधित आरोपों के लिए 'सेवा से हटाने की कठोरतम सजा देना अपराध के अनुपात में असंगत है। कोर्ट ने इस सजा को "सेवा की पूंजीगत सज़ा" बताते हुए सिंगल जज फैसला बरकरार रखा और राज्य सरकार की अपील खारिज की।यह मामला मीना कुमारी राय से संबंधित है, जो 1988 से बिहार शिक्षा सेवा में थीं और राज्य पुनर्गठन के बाद झारखंड कैडर...

नौकरी के विज्ञापन के अनुसार पुरानी पेंशन योजना को इसलिए अस्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि कर्मचारी अंतिम तिथि के बाद नियुक्त हुए: झारखंड हाईकोर्ट
नौकरी के विज्ञापन के अनुसार पुरानी पेंशन योजना को इसलिए अस्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि कर्मचारी अंतिम तिथि के बाद नियुक्त हुए: झारखंड हाईकोर्ट

चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की झारखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि 01.01.2004 से पहले जारी विज्ञापनों के आधार पर चयनित कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना के लाभों के हकदार हैं, भले ही उनकी वास्तविक नियुक्ति या कार्यभार नई पेंशन योजना लागू होने के बाद हुआ हो।पृष्ठभूमि तथ्यभारतीय खनन विद्यालय, धनबाद द्वारा 02.09.2003 को सीनियर मेडिकल अधिकारी के पद के लिए विज्ञापन जारी किया गया। इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया कि इस पद पर सामान्य भविष्य निधि (GPF)-सह-पेंशन लाभ मिलेगा। प्रतिवादी इंडियन...

धमकाने की कोशिश: झारखंड हाईकोर्ट ने जज के साथ तीखी बहस करने वाले वकील को जारी किया अवमानना ​नोटिस
'धमकाने की कोशिश': झारखंड हाईकोर्ट ने जज के साथ तीखी बहस करने वाले वकील को जारी किया अवमानना ​नोटिस

झारखंड हाईकोर्ट ने एक वकील को आपराधिक अवमानना ​​का नोटिस जारी किया। बता दें, उक्त वकील गुरुवार को अदालती कार्यवाही के दौरान सिंगल जज के साथ तीखी बहस करते हुए वीडियो में दिखाई दिया था। कोर्ट ने कहा कि वकील ने जज को धमकाने की कोशिश की।चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान, जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद, जस्टिस रोंगोन मुखोपाध्याय, जस्टिस आनंद सेन और जस्टिस राजेश शंकर की पांच जजों की पीठ ने शुक्रवार (17 अक्टूबर) को वकील के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेते हुए आपराधिक अवमानना ​​का मामला शुरू किया था।अपने आदेश में कोर्ट...

झारखंड हाईकोर्ट ने जज के साथ तीखी बहस करने वाले वकील के खिलाफ शुरू किया आपराधिक अवमानना ​​मामला
झारखंड हाईकोर्ट ने जज के साथ तीखी बहस करने वाले वकील के खिलाफ शुरू किया आपराधिक अवमानना ​​मामला

झारखंड हाईकोर्ट ने शुक्रवार (17 अक्टूबर) को वकील के खिलाफ स्वतः संज्ञान से आपराधिक अवमानना ​​का मामला शुरू किया, जो गुरुवार को अदालती कार्यवाही के दौरान वीडियो क्लिप में सिंगल जज के साथ तीखी बहस करते हुए दिखाई दे रहा था।चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान, जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद, जस्टिस रोंगोन मुखोपाध्याय, जस्टिस आनंद सेन और जस्टिस राजेश शंकर की पांच जजों की पीठ ने स्वतः संज्ञान से अवमानना ​​मामले की सुनवाई की।हाईकोर्ट की वेबसाइट पर मामले की जानकारी के अनुसार, मामले की सुनवाई 11 नवंबर के लिए...

झारखंड हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान गुंडागर्दी को लेकर वकील के खिलाफ की गई प्रतिकूल टिप्पणियां खारिज की, उनकी माफी स्वीकार की
झारखंड हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान 'गुंडागर्दी' को लेकर वकील के खिलाफ की गई प्रतिकूल टिप्पणियां खारिज की, उनकी माफी स्वीकार की

झारखंड हाईकोर्ट ने एक वकील के खिलाफ की गई प्रतिकूल टिप्पणियों को खारिज किया, जिन्होंने पिछले महीने अग्रिम ज़मानत मामले में बहस करते हुए "तेज़ आवाज़ में भाषण" दिया था और यह कहते हुए "अदालत को आदेश पारित करने की धमकी" दी थी कि वह इसे चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी ने अपने 25 सितंबर के आदेश में कहा कि यह एक ऐसा मामला है, जहां "अदालत में न्याय के समुचित प्रशासन में बाधा डालने का प्रयास किया गया" और इस तरह का हस्तक्षेप "अदालत को बदनाम करने" के समान है।...

झारखंड हाईकोर्ट ने चौकीदार भर्ती पर मुहर लगाई, कहा- नियुक्ति ज़िला स्तर पर होगी, ज़रूरी कारणों पर बीट से बाहर भी पोस्टिंग संभव
झारखंड हाईकोर्ट ने चौकीदार भर्ती पर मुहर लगाई, कहा- नियुक्ति ज़िला स्तर पर होगी, ज़रूरी कारणों पर बीट से बाहर भी पोस्टिंग संभव

झारखंड हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि ग्रामीण चौकीदार की भर्ती बीट-वार नहीं बल्कि जिला स्तर पर होगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि चौकीदारों को सामान्यतः उनके आवासीय बीट क्षेत्र में ही पदस्थापित किया जाना चाहिए लेकिन तर्कसंगत कारण होने पर उन्हें किसी अन्य बीट क्षेत्र में भी नियुक्त या ट्रांसफर किया जा सकता है।चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने यह फैसला कोडरमा के डिप्टी कमिश्नर-सह-जिला दंडाधिकारी द्वारा कराई गई भर्ती प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनाया।कोर्ट ने कहा कि...

झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जेलों में बंद कैदियों की HIV जांच और इलाज के लिए दिशानिर्देश बनाने का निर्देश दिया
झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जेलों में बंद कैदियों की HIV जांच और इलाज के लिए दिशानिर्देश बनाने का निर्देश दिया

झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को HIV और एड्स (रोकथाम एवं नियंत्रण) अधिनियम, 2017 के वैधानिक ढांचे के अनुरूप जेलों में HIV जांच और उपचार के लिए उचित दिशानिर्देश और नियम बनाने और उन्हें लागू करने का निर्देश दिया। साथ ही छह सप्ताह के भीतर अपना प्रस्ताव प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस संजय प्रसाद की खंडपीठ ने दोषी द्वारा दायर आपराधिक अपील पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया, जिसने जेल में प्रवेश के बाद "एचआईवी जाँच कराने से इनकार कर दिया था"।अदालत ने अपने आदेश...

झारखंड हाईकोर्ट ने प्लास्टिक प्रतिबंध के क्रियान्वयन में विफलता के लिए भ्रष्टाचार को ज़िम्मेदार ठहराया, सुधारों का सुझाव दिया
झारखंड हाईकोर्ट ने प्लास्टिक प्रतिबंध के क्रियान्वयन में विफलता के लिए भ्रष्टाचार को ज़िम्मेदार ठहराया, सुधारों का सुझाव दिया

झारखंड हाईकोर्ट ने कहा कि भ्रष्टाचार, बुनियादी ढांचे की कमी और कमज़ोर प्रवर्तन ने राज्य में प्लास्टिक कैरी बैग और एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध को अप्रभावी बना दिया।चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ डॉ. शांतनु कुमार बनर्जी द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें विभिन्न सरकारी एजेंसियों द्वारा कानून होने के बावजूद प्लास्टिक प्रतिबंध के गंभीर क्रियान्वयन के अभाव को लेकर चिंता जताई गई।अदालत ने ज़ोर देकर कहा कि प्रवर्तन को प्रणालीगत सुधारों के साथ जोड़ा...

झारखंड हाईकोर्ट का अहम फैसला: संशोधन याचिका के लिए पहले सेशन कोर्ट जाएं, दुर्लभ मामलों में ही सीधे हाईकोर्ट आएं
झारखंड हाईकोर्ट का अहम फैसला: संशोधन याचिका के लिए पहले सेशन कोर्ट जाएं, 'दुर्लभ' मामलों में ही सीधे हाईकोर्ट आएं

झारखंड हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 397 के तहत संशोधन अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने के लिए याचिकाकर्ताओं को पहले सेशन कोर्ट जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि केवल दुर्लभ और विशेष परिस्थितियों में ही सीधे हाईकोर्ट से संपर्क किया जाना चाहिए।जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी ने न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ सीधे हाईकोर्ट में दायर संशोधन याचिका खारिज करते हुए यह बात कही। याचिकाकर्ता ने CrPC की धारा 245 के तहत अपने आरोप मुक्त होने के अनुरोध को खारिज किए जाने को चुनौती दी...

सेवा रिकॉर्ड में जन्मतिथि में सुधार को सेवा के अंतिम चरण में अधिकार के रूप में दावा नहीं किया जा सकता: झारखंड हाईकोर्ट
सेवा रिकॉर्ड में जन्मतिथि में सुधार को सेवा के अंतिम चरण में अधिकार के रूप में दावा नहीं किया जा सकता: झारखंड हाईकोर्ट

झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने कहा कि सेवा अभिलेखों में जन्मतिथि में सुधार को अधिकार के रूप में दावा नहीं किया जा सकता, भले ही इसके लिए मैट्रिकुलेशन प्रमाणपत्र जैसे वास्तविक दस्तावेज़ ही क्यों न हों, खासकर जब ऐसा अनुरोध अत्यधिक विलंब (दो दशकों से अधिक) के बाद और सेवानिवृत्ति की तिथि के निकट किया गया हो। तथ्यअपीलकर्ता को मेसर्स भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) के अंतर्गत 02.12.1986 को अस्थायी भूमिगत लोडर के रूप में नियुक्त किया गया था। अपनी...

बिना दोषसिद्धि के लंबित आपराधिक कार्यवाही पेंशन और ग्रेच्युटी जैसे वैधानिक अधिकारों को रोकने का आधार नहीं हो सकती: झारखंड हाईकोर्ट
बिना दोषसिद्धि के लंबित आपराधिक कार्यवाही पेंशन और ग्रेच्युटी जैसे वैधानिक अधिकारों को रोकने का आधार नहीं हो सकती: झारखंड हाईकोर्ट

झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने कहा कि बिना दोषसिद्धि के आपराधिक कार्यवाही का लंबित रहना पेंशन, ग्रेच्युटी या अवकाश नकदीकरण रोकने का आधार नहीं हो सकता क्योंकि ये कर्मचारी के वैधानिक अधिकार हैं। तथ्यप्रतिवादी को 01.11.1984 को बी.एन.जे. कॉलेज में अस्थायी आधार पर एक वर्ष की अवधि के लिए हिंदी व्याख्याता के रूप में नियुक्त किया गया था। इसमें एक प्रावधान था कि बिना कारण बताए उनकी सेवाएं कभी भी समाप्त की जा सकती हैं। उन्होंने 07.01.1985 को कॉलेज में...

झारखंड हाईकोर्ट ने 2018 से अब तक हुई हिरासत में मौतों का ब्योरा पेश करने का निर्देश
झारखंड हाईकोर्ट ने 2018 से अब तक हुई हिरासत में मौतों का ब्योरा पेश करने का निर्देश

झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में हिरासत में होने वाली मौतों के मामलों को लेकर गंभीर रुख अपनाया। कोर्ट ने राज्य के गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव को व्यक्तिगत हलफ़नामा दाख़िल करने का आदेश दिया।इस हलफ़नामे में वर्ष 2018 से अब तक हुई सभी हिरासत में मौतों का ब्योरा देना होगा। यह भी स्पष्ट करना होगा कि क्या इन मौतों की सूचना संबंधित मजिस्ट्रेट को जांच के लिए दी गई थी।चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में मांग की गई कि 2018 से अब...

वसीयत की प्रति के साथ प्रोबेट प्रदान करना वैध निष्पादन का निर्णायक प्रमाण: झारखंड हाईकोर्ट
'वसीयत की प्रति के साथ प्रोबेट प्रदान करना वैध निष्पादन का निर्णायक प्रमाण': झारखंड हाईकोर्ट

झारखंड हाईकोर्ट ने माना कि एक बार वसीयत की प्रति के साथ प्रोबेट प्रदान कर दिए जाने पर यह निष्पादक की नियुक्ति और वसीयत के वैध निष्पादन को निर्णायक रूप से सिद्ध कर देता है। न्यायालय ने दोहराया कि प्रोबेट कार्यवाही में निर्धारण का एकमात्र मुद्दा वसीयत की वास्तविकता और उचित निष्पादन है, न कि संपत्ति के स्वामित्व या अस्तित्व से संबंधित प्रश्न।जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 की धारा 276 सहपठित धारा 300 के तहत बीरेन पोद्दार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें...