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S. 482 CrPC | हाईकोर्ट कर्ज या देनदारी की प्री-ट्रायल जांच करके चेक बाउंस मामलों को रद्द नहीं कर सकता: सुप्रीम कोर्ट
S. 482 CrPC | हाईकोर्ट कर्ज या देनदारी की प्री-ट्रायल जांच करके चेक बाउंस मामलों को रद्द नहीं कर सकता: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (19 दिसंबर) को कहा कि हाईकोर्ट के लिए विवादित तथ्यों की प्री-ट्रायल जांच करके चेक डिसऑनर की कार्यवाही रद्द करना गलत है, खासकर जब नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 (NI Act) की धारा 139 के तहत एक कानूनी अनुमान शिकायतकर्ता के पक्ष में काम करता हो।जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने पटना हाईकोर्ट का फैसला रद्द करते हुए यह बात कही, जिसमें हाईकोर्ट ने CrPC की धारा 482 के तहत अपनी अंतर्निहित शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए चेक डिसऑनर की शिकायत रद्द कर दी...

प्रधानमंत्री पर कथित सोशल मीडिया पोस्ट मामले में BJP कार्यकर्ता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार
प्रधानमंत्री पर कथित सोशल मीडिया पोस्ट मामले में BJP कार्यकर्ता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बेंगलुरु निवासी भाजपा कार्यकर्ता गुरुदत्त शेट्टी द्वारा दायर उस रिट याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कथित रूप से निशाना बनाने वाली सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर गुजरात पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी।चीफ़ जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जॉयमाल्य बागची और जस्टिस विपुल पंचोली की खंडपीठ गुरुदत्त शेट्टी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका उस पोस्ट से संबंधित थी, जो सोशल मीडिया मंच X (पूर्व में ट्विटर) पर...

नोएडा पुलिस पर 14 घंटे की अवैध हिरासत और कस्टोडियल यौन उत्पीड़न का आरोप, महिला वकील ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया
नोएडा पुलिस पर 14 घंटे की अवैध हिरासत और कस्टोडियल यौन उत्पीड़न का आरोप, महिला वकील ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया

सुप्रीम कोर्ट ने आज एक महिला अधिवक्ता द्वारा दायर रिट याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उन्हें नोएडा के एक पुलिस थाने में रातभर लगभग 14 घंटे तक अवैध रूप से हिरासत में रखा गया और इस दौरान पुलिस अधिकारियों द्वारा कस्टोडियल यौन उत्पीड़न, शारीरिक यातना और जबरदस्ती की गई। याचिका पर जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए केंद्र को 7 जनवरी 2026 तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।याचिका में संविधान के अनुच्छेद 14, 19(1)(g), 21...

सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व पंजाब मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया की आय से अधिक संपत्ति मामले में जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया
सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व पंजाब मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया की आय से अधिक संपत्ति मामले में जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया

सुप्रीम कोर्ट ने शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें कथित आय से अधिक संपत्ति से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में उन्हें नियमित जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ उनकी SLP पर नोटिस जारी किया, जिसने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(1)(b) के सपठित धारा 13(2) के तहत पंजाब...

सुप्रीम कोर्ट को राज्य सरकार का आश्वासन- अप्रैल, 2026 तक पूरे हो जाएंगे राजस्थान नगर पालिका चुनाव
सुप्रीम कोर्ट को राज्य सरकार का आश्वासन- अप्रैल, 2026 तक पूरे हो जाएंगे राजस्थान नगर पालिका चुनाव

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राजस्थान सरकार के इस भरोसे को रिकॉर्ड किया कि राज्य में शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव अप्रैल, 2026 के बाद टाले नहीं जाएंगे, जबकि राजस्थान हाईकोर्ट के उस आदेश में दखल देने से इनकार कर दिया, जिसमें चुनावों को उस समय सीमा के भीतर कराने की इजाज़त दी गई थी।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) सूर्यकांत, जस्टिस जॉयमाल्य बागची और जस्टिस विपुल पंचोली की बेंच कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक संयम लोढ़ा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई...

आखिरी बार साथ देखे जाने की थ्योरी अकेले पुख्ता सबूत के बिना सज़ा को कायम नहीं रख सकती: सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के आरोपी को बरी किया
'आखिरी बार साथ देखे जाने' की थ्योरी अकेले पुख्ता सबूत के बिना सज़ा को कायम नहीं रख सकती: सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के आरोपी को बरी किया

सुप्रीम कोर्ट ने एक व्यक्ति की हत्या की सज़ा यह मानते हुए रद्द की कि पूरी तरह से परिस्थितिजन्य सबूतों पर आधारित अभियोजन का मामला, अन्य पुख्ता सबूतों की गैरमौजूदगी में केवल "आखिरी बार साथ देखे जाने" की थ्योरी के आधार पर कायम नहीं रखा जा सकता।जस्टिस संजय करोल और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने दोषी की अपील को मंज़ूरी देते हुए कहा,"यह एक ऐसा मामला है, जहां आखिरी बार साथ देखे जाने के सबूत के अलावा, अपीलकर्ता के खिलाफ कोई अन्य पुख्ता सबूत नहीं है। इसलिए केवल आखिरी बार साथ देखे जाने के आधार पर...

वन संरक्षण अधिनियम के तहत केंद्र की पहले से मंज़ूरी के बिना वन भूमि को पट्टे पर नहीं दिया जा सकता या खेती के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
वन संरक्षण अधिनियम के तहत केंद्र की पहले से मंज़ूरी के बिना वन भूमि को पट्टे पर नहीं दिया जा सकता या खेती के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 की धारा 2 के तहत केंद्र सरकार की पहले से मंज़ूरी के बिना वन भूमि को पट्टे पर नहीं दिया जा सकता या खेती के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। इसके अलावा, कानून का उल्लंघन करके दिया गया ऐसा कोई भी पट्टा अवैध है और उसे जारी नहीं रखा जा सकता।कोर्ट ने कहा,"इस कोर्ट ने कई फैसलों में जंगल को गैर-आरक्षित करने पर रोक लगाने के लिए कई अनिवार्य निर्देश दिए हैं। वन भूमि पर खेती की अनुमति देने के लिए असल में जंगल को साफ करना होगा और ऐसा करना वन...

S. 389 CrPC | अपराध की गंभीरता और आरोपी की भूमिका को सज़ा निलंबित करने का आधार बनाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
S. 389 CrPC | अपराध की गंभीरता और आरोपी की भूमिका को सज़ा निलंबित करने का आधार बनाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट का आदेश रद्द कर दिया, जिसमें हत्या के अपराध के लिए दोषी ठहराए गए और उम्रकैद की सज़ा पाए व्यक्ति की सज़ा निलंबित कर उसे ज़मानत दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपराध की गंभीरता और आरोपी की सक्रिय भूमिका के बावजूद राहत देकर हाई कोर्ट ने एक साफ़ और गंभीर गलती की है।जस्टिस मनमोहन और एनवी अंजारिया की बेंच ने शिकायतकर्ता की अपील को मंज़ूर करते हुए यह टिप्पणी की,“आरोप की प्रकृति, अपराध की घटनाओं और अपीलकर्ता की भूमिका जैसे प्रासंगिक विचारों को ध्यान में रखते हुए, यह माना...

हाईकोर्ट ने न्यायिक अधिकारी को कहा लापरवाह, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से किया इनकार
हाईकोर्ट ने न्यायिक अधिकारी को कहा 'लापरवाह', सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से किया इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश में दखल देने से इनकार किया, जिसमें एक न्यायिक अधिकारी के आचरण पर प्रतिकूल टिप्पणी की गई। उस अधिकारी ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि आरोपी ने जमानत मांगते समय पहले के निर्देशों का पालन नहीं किया।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की बेंच न्यायिक अधिकारी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा जमानत याचिका से निपटने के तरीके पर की गई प्रतिकूल टिप्पणियों को चुनौती दी गई।हाईकोर्ट ने अपने आदेश...

राज्य डेंटल कोर्स के लिए NEET पात्रता को कम नहीं कर सकता: BDS मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गलती करने वाले कॉलेजों पर 10 करोड़ का जुर्माना लगाया
राज्य डेंटल कोर्स के लिए NEET पात्रता को कम नहीं कर सकता: BDS मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गलती करने वाले कॉलेजों पर 10 करोड़ का जुर्माना लगाया

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि राजस्थान राज्य के पास शैक्षणिक वर्ष 2016-17 के लिए बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी (बीडीएस) पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए नीट-यूजी परीक्षा में न्यूनतम योग्यता प्रतिशत को कम करने का कोई अधिकार नहीं है, और ऐसा करने का निर्णय स्पष्ट रूप से अवैध था। साथ ही, संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्तियों का आह्वान करते हुए, न्यायालय ने उन छात्रों की डिग्री की रक्षा की, जिन्होंने पहले ही बीडीएस पाठ्यक्रम पूरा कर लिया है, जबकि दंत चिकित्सा शिक्षा को नियंत्रित करने वाले...

Stray Dog Case | हम एक वीडियो चलाएंगे और पूछेंगे कि इंसानियत क्या है: MCD द्वारा कुत्तों के साथ किए गए बर्ताव को अमानवीय बताए जाने पर सुप्रीम कोर्ट
Stray Dog Case | 'हम एक वीडियो चलाएंगे और पूछेंगे कि इंसानियत क्या है': MCD द्वारा कुत्तों के साथ किए गए बर्ताव को 'अमानवीय' बताए जाने पर सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह आवारा कुत्तों के मामले में अगली सुनवाई में एक वीडियो चलाएगा और पूछेगा कि "इंसानियत" क्या होती है। कोर्ट ने यह टिप्पणी तब की, जब सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने दिल्ली नगर निगम (MCD) द्वारा बनाए गए नियमों को लागू करने पर आपत्ति जताई और MCD के नियमों के अनुसार कुत्तों के साथ किए जा रहे बर्ताव को अमानवीय बताया।यह मामला गुरुवार को जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की तीन-जजों की बेंच के सामने लिस्टेड था। हालांकि, बेंच कैंसिल हो गई और...

सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की बार काउंसिल में 30% महिला आरक्षण बढ़ाया
सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की बार काउंसिल में 30% महिला आरक्षण बढ़ाया

सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना और आंध्र प्रदेश बार काउंसिल चुनावों में महिलाओं के लिए 30% आरक्षण का निर्देश देने वाले अपने आदेश को बढ़ा दिया।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की बेंच तेलंगाना की बार काउंसिल में राज्य बार काउंसिल चुनावों में महिलाओं के लिए 30% आरक्षण तय करने के अपने पहले के आदेश को बढ़ाने के लिए निर्देश मांगने वाली अर्जियों पर सुनवाई कर रही थी।पहले, कोर्ट ने निर्देश दिया था कि राज्य बार काउंसिल में 30% सीटें - जहां चुनाव अभी अधिसूचित नहीं हुए हैं - महिला...

SIR प्रक्रिया में समय-सीमा बढ़ाने पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से सहानुभूतिपूर्वक विचार करने को कहा
SIR प्रक्रिया में समय-सीमा बढ़ाने पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से 'सहानुभूतिपूर्वक विचार' करने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (18 दिसंबर) को भारत निर्वाचन आयोग (ECI) से उत्तर प्रदेश और केरल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) के तहत गणना प्रपत्र (Enumeration Forms) जमा करने की समय-सीमा बढ़ाने के अनुरोधों पर “सहानुभूतिपूर्वक विचार” करने को कहा।चीफ़ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की खंडपीठ देश के विभिन्न राज्यों में चल रही एसआईआर प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं के समूह पर सुनवाई कर रही थी।उत्तर प्रदेश से जुड़े मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से...

इस गाथा का सुखद अंतः सुप्रीम कोर्ट ने विश्वविद्यालय वीसी नियुक्तियों पर केरल के मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच सर्वसम्मति की सराहना की
इस गाथा का सुखद अंतः सुप्रीम कोर्ट ने विश्वविद्यालय वीसी नियुक्तियों पर केरल के मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच सर्वसम्मति की सराहना की

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (18 दिसंबर) को संतोष व्यक्त किया कि केरल के मुख्यमंत्री और राज्यपाल ने दो प्रमुख राज्य विश्वविद्यालयों के नियमित कुलपतियों की नियुक्तियों पर आम सहमति बना ली है।चूंकि राज्य और राज्यपाल के बीच असहमति के कारण नियुक्तियां महीनों से रुकी हुई थीं, इसलिए न्यायालय ने गतिरोध को हल करने के लिए जस्टिस (सेवानिवृत्त) सुधांशु धूलिया के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया था। चूंकि जस्टिस धूलिया समिति के हस्तक्षेप के बाद भी कोई समाधान नहीं हुआ था, इसलिए अदालत ने पिछले हफ्ते संकेत दिया था...

न्याय तक पहुंच को सशक्त करता है: सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट की कोल्हापुर बेंच के गठन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की
न्याय तक पहुंच को सशक्त करता है: सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट की कोल्हापुर बेंच के गठन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट की कोल्हापुर सर्किट बेंच के गठन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की।यह याचिका एडवोकेट रंजीत बाबुराव निम्बालकर द्वारा दायर की गई थी, जिसमें 1 अगस्त को जारी उस अधिसूचना को चुनौती दी गई, जिसके तहत राज्यों के पुनर्गठन अधिनियम 1956 की धारा 51(3) के अंतर्गत कोल्हापुर सर्किट बेंच का गठन किया गया था। यह बेंच 18 अगस्त से प्रभावी हुई थी।जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ ने कहा कि कोल्हापुर बेंच की स्थापना सभी के लिए न्याय को सुलभ कराने की...

यदि न्यायिक आदेश बेईमानी या बाहरी कारणों पर आधारित हों तो जज के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों नहीं हो सकती? सुप्रीम कोर्ट
यदि न्यायिक आदेश बेईमानी या बाहरी कारणों पर आधारित हों तो जज के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों नहीं हो सकती? सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि सामान्य तौर पर किसी न्यायाधीश के खिलाफ केवल उसके न्यायिक आदेशों के आधार पर कार्रवाई नहीं की जा सकती लेकिन यदि यह पाया जाए कि कोई आदेश बेईमानी या बाहरी कारणों से प्रेरित होकर पारित किया गया है तो ऐसे मामले में अनुशासनात्मक कार्यवाही से इनकार क्यों किया जाए।यह टिप्पणी उस समय की गई जब अदालत मध्य प्रदेश के जिला जज द्वारा अपनी निलंबन आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।चीफ जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जॉयमल्या बागची और...

कंपनी के दोषी निदेशकों को धारा 148 के तहत जमा राशि से छूट वाले पुराने फैसले पर सुप्रीम कोर्ट को संदेह, मामला बड़ी पीठ को भेजा
कंपनी के दोषी निदेशकों को धारा 148 के तहत जमा राशि से छूट वाले पुराने फैसले पर सुप्रीम कोर्ट को संदेह, मामला बड़ी पीठ को भेजा

सुप्रीम कोर्ट ने आज अपने दो पूर्व निर्णयों पर संदेह जताया, जिनमें यह कहा गया था कि नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत दोषसिद्ध कंपनी के निदेशक या अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता को सजा निलंबन के लिए अपीलीय अदालत के समक्ष धारा 148 के तहत राशि जमा करने का निर्देश नहीं दिया जा सकता।जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की खंडपीठ ने पूर्व मिसालों से असहमति जताते हुए कहा कि कंपनी के दोषसिद्ध निदेशक/अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता को धारा 148 एनआई एक्ट के तहत जमा राशि से सामान्य रूप से...

सुप्रीम कोर्ट ने 12 वर्षों से वेजिटेटिव अवस्था में पड़े युवक की पैसिव यूथेनेशिया याचिका पर माता-पिता से मिलने की इच्छा जताई
सुप्रीम कोर्ट ने 12 वर्षों से वेजिटेटिव अवस्था में पड़े युवक की पैसिव यूथेनेशिया याचिका पर माता-पिता से मिलने की इच्छा जताई

सुप्रीम कोर्ट ने आज (18 दिसंबर) उस रिपोर्ट पर विचार किया, जो अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ने 32 वर्षीय युवक की चिकित्सकीय जांच के बाद प्रस्तुत की है। यह युवक पिछले 12 वर्षों से वेजिटेटिव अवस्था में है, जब वह एक इमारत से गिर गया था। यह रिपोर्ट पैसिव यूथेनेशिया (जीवन-रक्षक उपचार हटाने) के उद्देश्य से तैयार की गई थी।न्यायालय ने अब आदेश पारित करते हुए कहा है कि वह 13 जनवरी को युवक के माता-पिता से व्यक्तिगत रूप से बात करना चाहता है और इस बीच अधिवक्ताओं को रिपोर्ट का अध्ययन कर न्यायालय को...

देश में पेयजल की कमी के बीच बोतलबंद पानी की गुणवत्ता पर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने बताया लक्ज़री लिटिगेशन
देश में पेयजल की कमी के बीच बोतलबंद पानी की गुणवत्ता पर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने बताया 'लक्ज़री लिटिगेशन'

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पैकेज्ड पेयजल से जुड़े मानकों को लेकर दायर एक याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए इसे “लक्ज़री लिटिगेशन” करार दिया। कोर्ट ने टिप्पणी की कि देश के बड़े हिस्से आज भी मूलभूत पेयजल की उपलब्धता के लिए संघर्ष कर रहे हैं और ऐसे में बोतलबंद पानी के अंतरराष्ट्रीय मानकों पर बहस प्राथमिक मुद्दा नहीं हो सकती।चीफ़ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ सरंग वामन यादवकर द्वारा दायर उस रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें भारत में पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर के लिए...