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अवैध निर्माण को यह कहकर प्रोटेक्ट नहीं किया जा सकता कि यह कंपाउंडेबल उल्लंघन है: सुप्रीम कोर्ट ने तोड़फोड़ के खिलाफ याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अवैध निर्माण को गिराने के खिलाफ दायर याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि उल्लंघन कंपाउंडेबल प्रकृति का है।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) सूर्यकांत ने टिप्पणी की,"सोचिए, आप इस देश में हर किसी को क्या लाइसेंस देंगे कि मैं एक गैर-कानूनी काम करूंगा, यह कंपाउंडेबल है... वे यह कहते हुए अथॉरिटी को 30 साल तक कोर्ट में घसीटेंगे कि यह कंपाउंडेबल है। भगवान जाने क्या होगा! लोग पागल हैं, वे सड़कें भी बनाकर कब्जा कर लेंगे!"सीजेआई कांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की वेकेशन बेंच ने सीनियर...
वसीयत के आधार पर भूमि रिकॉर्ड में नामांतरण पर कोई कानूनी रोक नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि वसीयत (Will) के आधार पर भूमि रिकॉर्ड में नामांतरण (Mutation) करने पर कोई कानूनी प्रतिबंध नहीं है और केवल इस आधार पर नामांतरण से इनकार नहीं किया जा सकता कि दावा एक वसीयतनामा पर आधारित है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द करते हुए, न्यायालय ने पंजीकृत वसीयत के आधार पर लेगेटी (उत्तराधिकारी) के पक्ष में किया गया नामांतरण बहाल कर दिया। हालांकि, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसा नामांतरण किसी भी दीवानी कार्यवाही में शीर्षक (Title) के अंतिम निर्णय के अधीन...
“सरकार अपनी ही नीति के विरुद्ध कार्य नहीं कर सकती” : सुप्रीम कोर्ट ने व्यक्तियों के नाम पर राजस्थान के गांवों का नामकरण किया रद्द
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए यह स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार ने अपनी ही बाध्यकारी नीति (binding policy) का उल्लंघन किया है, जब उसने नए बनाए गए राजस्व गांवों के नाम निजी व्यक्तियों के नाम पर रखे। कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के सिंगल जज के आदेश को बहाल करते हुए ऐसे नामकरण को रद्द कर दिया।मामले की पृष्ठभूमियह विवाद राजस्थान के बाड़मेर जिले के सोहड़ा गांव से जुड़ा है। राज्य सरकार ने 31 दिसंबर 2020 को राजस्थान भूमि राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 16 के तहत एक अधिसूचना जारी कर...
अजमेर शरीफ दरगाह पर प्रधानमंत्री द्वारा 'चादर' चढ़ाने की परंपरा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें इस्लामी विद्वान और सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती और/या अजमेर शरीफ दरगाह को केंद्र सरकार व उसकी संस्थाओं द्वारा दिए जा रहे राज्य-प्रायोजित औपचारिक सम्मान और प्रतीकात्मक मान्यता को चुनौती दी गई है।याचिका में यह भी मांग की गई है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अजमेर शरीफ दरगाह पर चादर चढ़ाने की परंपरा पर रोक लगाई जाए। यह मामला आज चीफ़ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ के समक्ष उल्लेख किया गया, लेकिन अदालत ने तत्काल सुनवाई से...
जमानत याचिका और कानून की संवैधानिक वैधता को एक साथ चुनौती देने वाली 'पैकेज याचिका' पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने आज जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान उन याचिकाओं की कड़ी आलोचना की, जिनमें आरोपी एक ही याचिका में जमानत की मांग के साथ-साथ किसी कानून की संवैधानिक वैधता को भी चुनौती देता है, ताकि निचली अदालतों को दरकिनार कर सीधे शीर्ष अदालत का रुख किया जा सके।चीफ़ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ Supreme Court में यह टिप्पणी उस याचिका पर की गई, जो प्रधुमनसिंह प्रविनसिंह राठौड़ द्वारा दायर की गई थी। याचिकाकर्ता ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग के साथ-साथ गुजरात...
2025 के सुप्रीम कोर्ट के 100 महत्वपूर्ण फैसले - पार्ट 1 [1-25]
हर साल की इस तरह इस साल भी लाइव लॉ आपने अंत की ओर बढ़ते वर्ष, 2025 के सुप्रीम कोर्ट के 100 महत्वपूर्ण निर्णयों की सूची लेकर आया है। आइये जानते हैं, सुप्रीम कोर्ट ने इस बीते वर्ष में किन अहम मुद्दों पर परिवर्तनकारी, रोचक और समाज-सुधार के क्षेत्र में अहम फ़ैसले दिए। प्रस्तुत है इन 100 फैसलों की पहली सूची- पार्ट-11.वैवाहिक अधिकारों की बहाली पर डिक्री के अनुसार पत्नी अपने पति से भरण-पोषण का दावा कर सकती है, भले ही वह उसके साथ न रहती हो: सुप्रीम कोर्टसुप्रीम कोर्ट ने एक उल्लेखनीय फैसले में कहा कि...
जमानत पर रहते हुए गवाह का मर्डर करने वाले आरोपी को हाईकोर्ट ने दी जमानत: सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया आदेश, कहा- 'स्पष्ट रूप से गलत'
सुप्रीम कोर्ट ने मर्डर केस में आरोपी को ज़मानत देने वाले मद्रास हाईकोर्ट का आदेश यह देखते हुए रद्द कर दिया कि ज़मानत देने का आदेश गलत, मनमाना और बिना सोचे-समझे दिया गया।जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच हाईकोर्ट की मदुरै बेंच के एक आदेश के खिलाफ अपील सुन रही थी, जिसने हत्या के प्रयास के मामले में आरोपी को इस बात पर विचार किए बिना ज़मानत दी कि उन पर पहले ज़मानत पर रहते हुए एक मुख्य चश्मदीद गवाह की हत्या का भी आरोप है।यह मामला 24 फरवरी, 2020 की एक घटना से जुड़ा है, जब कथित तौर...
शिकायतकर्ता द्वारा दायर क्रिमिनल रिवीजन उसकी मौत पर खत्म नहीं होता, दूसरे पीड़ित इसे जारी रख सकते हैं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक क्रिमिनल रिवीजन याचिका रिवीजन करने वाले की मौत पर अपने आप खत्म नहीं होती, खासकर तब जब रिवीजन किसी आरोपी ने नहीं बल्कि किसी शिकायतकर्ता या पीड़ित ने दायर किया हो। कोर्ट ने साफ किया कि ऐसे मामलों में रिवीजन कोर्ट के पास विवादित आदेश की वैधता और सही होने की जांच जारी रखने का अधिकार है। वह न्याय के लिए किसी पीड़ित को कोर्ट की मदद करने की इजाज़त दे सकता है।जस्टिस संजय करोल और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा पारित दो आदेशों को रद्द कर दिया, जिसमें...
उत्तराखंड में वन भूमि कब्जे पर सुप्रीम कोर्ट सख्त — हजारों एकड़ जंगल पर अवैध कब्जे के दौरान राज्य बना रहा मूक दर्शक
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर वन भूमि पर कथित अवैध कब्जे के मामले में राज्य सरकार और उसके अधिकारियों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि वे इस पूरे प्रकरण में “मूक दर्शक” बने रहे। अदालत ने इस मामले को गंभीर मानते हुए इसकी परिधि बढ़ाकर स्वतः संज्ञान (सुओ मोटो) के रूप में आगे बढ़ाने का निर्णय लिया।यह मामला चीफ़ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ के समक्ष आया। सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने प्रथम दृष्टया यह टिप्पणी की कि हजारों एकड़ वन भूमि को निजी व्यक्तियों...
1995 धोखाधड़ी मामले में NCP नेता माणिकराव कोकाटे की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई आंशिक रोक, विधायक पद से अयोग्यता पर फिलहाल राहत
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) अजित पवार गुट) के सीनियर नेता माणिकराव कोकाटे को बड़ी राहत देते हुए वर्ष 1995 के एक धोखाधड़ी मामले में उनकी दोषसिद्धि पर आंशिक रूप से रोक लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस रोक का प्रभाव केवल इतना होगा कि कोकाटे को विधायक के रूप में अयोग्यता का सामना नहीं करना पड़ेगा। हालांकि यह आदेश उन्हें किसी लाभ के पद पर बने रहने का अधिकार नहीं देगा।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) सूर्य कांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने यह आदेश...
S. 482 CrPC | FIR रद्द करने से मना करते हुए हाईकोर्ट को 'गिरफ्तारी नहीं' की सुरक्षा नहीं देनी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश रद्द किया, जिसमें FIR रद्द करने से इनकार किया था। साथ ही जांच पूरी करने के लिए एक तय समय सीमा तय की गई थी और आरोपी को संज्ञान लिए जाने तक गिरफ्तारी से सुरक्षा दी गई थी।जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने नीहारिका इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड बनाम महाराष्ट्र राज्य, (2021) 19 SCC 401 के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि FIR रद्द करने की याचिका खारिज करते समय "गिरफ्तारी नहीं" या "कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं" के आदेश देना, बिना सख्त...
NCR राज्यों में क्षेत्राधिकार की कमियों का फायदा उठा रहे हैं हार्डकोर अपराधी: सुप्रीम कोर्ट ने उठाया मुद्दा
दिल्ली-NCR में क्षेत्राधिकार की कमियों पर गंभीर चिंता जताते हुए, जो संगठित अपराधियों को आपराधिक न्याय प्रणाली का फायदा उठाने की अनुमति देती हैं, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक प्रभावी कानूनी तंत्र की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया ताकि अंतर-राज्य जटिलताओं को दूर किया जा सके, जो केंद्रीय दंड कानूनों के तहत गंभीर अपराधों में अक्सर मुकदमों में बाधा डालती हैं।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की खंडपीठ केंद्रीय दंड कानूनों के तहत मुकदमों के लिए विशेष अदालतों के गठन से...
CrPC की धारा 311 की शक्ति का इस्तेमाल कम ही किया जाना चाहिए, सिर्फ़ तभी जब सच जानने के लिए सबूत बहुत ज़रूरी हों: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट का आदेश रद्द कर दिया, जिसमें प्रॉसिक्यूशन को CrPC की धारा 311 के तहत 11 साल की लड़की को दोबारा बुलाने की इजाज़त दी गई। कोर्ट ने कहा कि इस प्रावधान का इस्तेमाल कम ही किया जाना चाहिए और सिर्फ़ तभी जब सच का पता लगाने के लिए सबूत बहुत ज़रूरी हों।यह देखते हुए कि यह एप्लीकेशन 21 गवाहों की जांच के बाद और ट्रायल के आखिरी स्टेज में बिना किसी देरी की वजह बताए दायर की गई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस ए.जी. मसीह की बेंच ने पाया कि प्रॉसिक्यूशन यह साबित करने में नाकाम रहा कि...
सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
सुप्रीम कोर्ट में पिछले सप्ताह (15 दिसंबर, 2025 से 19 दिसंबर, 2025 तक) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।नॉन-कम्पीट फीस को इनकम टैक्स एक्ट की धारा 37(1) के तहत रेवेन्यू खर्च के तौर पर घटाया जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नॉन-कम्पीट फीस का पेमेंट करने से किसी कैपिटल एसेट का अधिग्रहण नहीं होता या बिजनेस के प्रॉफिट कमाने के स्ट्रक्चर में कोई बदलाव नहीं होता। इसे इनकम टैक्स एक्ट, 1961...
नॉन-कम्पीट फीस को इनकम टैक्स एक्ट की धारा 37(1) के तहत रेवेन्यू खर्च के तौर पर घटाया जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नॉन-कम्पीट फीस का पेमेंट करने से किसी कैपिटल एसेट का अधिग्रहण नहीं होता या बिजनेस के प्रॉफिट कमाने के स्ट्रक्चर में कोई बदलाव नहीं होता। इसे इनकम टैक्स एक्ट, 1961 (Income Tax Act) की धारा 37(1) के तहत रेवेन्यू खर्च के तौर पर अनुमति दी जा सकती है।कोर्ट ने कहा,“इस तरह नॉन-कम्पीट फीस सिर्फ बिजनेस की प्रॉफिटेबिलिटी को बचाने या बढ़ाने की कोशिश करती है, जिससे बिजनेस को ज़्यादा कुशलता से और प्रॉफिट के साथ चलाने में मदद मिलती है। ऐसे पेमेंट से न तो कोई नई एसेट बनती है और न ही...
कोर्ट की छुट्टियों के दौरान ज़रूरी मामलों पर 22 दिसंबर को सुनवाई करेगी स्पेशल वेकेशन बेंच
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) ने चल रही कोर्ट की छुट्टियों के दौरान ज़रूरी मामलों की सुनवाई के लिए एक स्पेशल वेकेशन बेंच बनाई।इस बेंच में सीजेआई सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची शामिल होंगे। यह बेंच सोमवार, 22 दिसंबर, 2025 को उन मामलों पर सुनवाई करेगी, जिन पर तुरंत न्यायिक विचार की ज़रूरत है।यह स्पेशल सुनवाई इसलिए तय की गई ताकि छुट्टियों के दौरान ज़रूरी मामलों को टाला न जाए और उन्हें समय पर न्यायिक ध्यान मिले।सुप्रीम कोर्ट 19 दिसंबर से 5 जनवरी तक सर्दियों की छुट्टियों पर है। शुक्रवार को जब कई...
बकाया बिक्री राशि जमा करने में मामूली देरी से विशिष्ट निष्पादन की डिक्री निष्प्रभावी नहीं होती: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि खरीदार समझौते को पूरा करने के लिए तैयार और इच्छुक बना रहता है तो बिक्री मूल्य की शेष राशि जमा करने में तय समय-सीमा से कुछ देरी मात्र से विशिष्ट निष्पादन (स्पेसिफिक परफॉर्मेंस) की डिक्री को निष्पादित न किए जाने योग्य नहीं ठहराया जा सकता।जस्टिस संजय करोल और जस्टिस मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने यह निर्णय देते हुए कहा कि असली कसौटी यह है कि क्या वादी का आचरण अनुबंध को पूरा करने से इनकार या उसे छोड़ने का संकेत देता है। अदालत ने अपने हालिया फैसले रामलाल बनाम जरनैल सिंह...
2007 अजमेर ब्लास्ट मामला: सुप्रीम कोर्ट ने देरी के बावजूद पीड़ित की अपील पर मेरिट के आधार पर फैसला करने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने 2007 के अजमेर शरीफ दरगाह ब्लास्ट मामले में अहम आदेश देते हुए राजस्थान हाईकोर्ट से कहा कि वह पीड़ित द्वारा दायर अपीलों पर देरी को नजरअंदाज करते हुए मामले के गुण-दोष (मेरिट) के आधार पर फैसला करे। यह निर्देश उन अपीलों से संबंधित है, जिनमें कुछ आरोपियों को बरी किए जाने को चुनौती दी गई।जस्टिस एम. एम. सुंदरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने यह अंतरिम निर्देश अजमेर शरीफ दरगाह के खादिम और मामले के शिकायतकर्ता सैयद सरवर चिश्ती की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। सुप्रीम कोर्ट ने...
पति का माता-पिता को पैसे भेजना या खर्च का हिसाब मांगना 'क्रूरता' नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने 498A का मामला किया रद्द
सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक विवादों में आपराधिक कानून के दुरुपयोग पर महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए पति के खिलाफ दर्ज क्रूरता और दहेज उत्पीड़न का मामला रद्द किया। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पति द्वारा अपने माता-पिता और भाई को पैसे भेजना या पत्नी से घरेलू खर्चों का लेखा-जोखा रखने के लिए कहना अपने आप में न तो क्रूरता है और न ही इसे दहेज की मांग के रूप में देखा जा सकता है।जस्टिस बी. वी. नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की खंडपीठ ने पति की अपील स्वीकार करते हुए कहा कि ऐसे आरोपों के आधार पर आपराधिक...
बाल तस्करी व नाबालिगों के यौन शोषण पर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला
भारत में बाल तस्करी और व्यावसायिक यौन शोषण को एक “गंभीर और विचलित करने वाली वास्तविकता” बताते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (19 दिसंबर) को नाबालिग पीड़ितों की गवाही के मूल्यांकन को लेकर महत्वपूर्ण दिशानिर्देश जारी किए। अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में पीड़िता की गवाही को मामूली विरोधाभासों या रूढ़िवादी सामाजिक धारणाओं के आधार पर खारिज नहीं किया जाना चाहिए।जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस जोयमाल्य बागची की खंडपीठ ने यह दिशानिर्देश बेंगलुरु के एक व्यक्ति और उसकी पत्नी को नाबालिग लड़की की तस्करी और यौन...






![2025 के सुप्रीम कोर्ट के 100 महत्वपूर्ण फैसले - पार्ट 1 [1-25] 2025 के सुप्रीम कोर्ट के 100 महत्वपूर्ण फैसले - पार्ट 1 [1-25]](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2025/12/22/500x300_642363-100importantjudgmentsof2025part1.jpg)











