"विशेषज्ञों का कहना है कि आपकी खूबसूरत कारें भी वायु प्रदूषण में योगदान करती हैं", सीजेआई बोबडे ने पराली जलाने की समस्या की सुनवाई में कहा

LiveLaw News Network

29 Oct 2020 11:08 AM GMT

  • विशेषज्ञों का कहना है कि आपकी खूबसूरत कारें भी वायु प्रदूषण में योगदान करती हैं, सीजेआई बोबडे ने पराली जलाने की समस्या की सुनवाई में कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने राजधानी दिल्ली में बिगड़ते वायु प्रदूषण के मुद्दे पर आज मौख‌िक टिप्‍पणियां की हैं। इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने के मुद्दे का ‌निस्तारण करने के लिए आज कानून लागू किया गया है।

    भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा कि वे उन विशेषज्ञों के साथ बातचीत कर रहे हैं, जिन्होंने कहा है कि पराली जलाना राजधानी में वायु प्रदूषण का एकमात्र कारण नहीं है, वाहनों प्रदूषण का भी बड़ा योगदान है। सीजेआई बोबडे ने कहा, अपनी साइकिल बाहर निकालने का समय आ गया है।"

    सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि "राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन" पर अध्यादेश तैयार है और न्यायालय इस संबंध में उनका बयान दर्ज कर सकता है।

    पीठ, जिसमें जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यन भी शामिल हैं, ने कहा कि वह इस संबंध में कोई भी आदेश पारित करने से पहले एक बार अध्यादेश का अवलोकन करना चाहेंगे। पीठ ने कहा कि मामले के अगले शुक्रवार को आगे की सुनवाई होगी।

    इस बिंदु पर, वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह, याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए थे, ने कहा कि कानून से कोई फायदा नहीं होगा और वह वास्तव में अध्यादेश का अवलोकन कर चुके हैं।

    सिंह ने तर्क दिया, "उस समय तक, वायु गुणवत्ता और भी खराब हो जाएगी, मैंने अध्यादेश को देखा है और यह इस साल किसी भी चीज की देखभाल नहीं करेगा।"

    सीजेआई बोबडे ने उन्हें आश्वासन दिया कि याचिकाकर्ता (ओं) द्वारा दिए गए सुझावों को ध्यान में रखे बिना कोई आदेश पारित नहीं किया जाएगा।

    सीजेआई कहा, "श्री विकास सिंह, हम आपको सुनेंगे, हम एसजी से पूछेंगे कि क्या वह आपके द्वारा सुझाए गए कदमों पर विचार कर रहे हैं। यह एक प्रतिकूल याचिका नहीं है।"

    मजाकिया अंदाज में मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि अगर मामले में सुप्रीम कोर्ट में पेश होने वाला कोई भी व्यक्ति वायु प्रदूषण के कारण बीमार पड़ा तो वह सॉलिसिटर जनरल को जिम्मेदार ठहराएंगे।

    उल्लेखनीय है कि "पराली जलाने का मौसम" करीब आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में इसकी रोकथाम के कदम उठाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता में 16 अक्टूबर को एक सदस्यीय समिति का गठन किया था।

    हालांकि, दो दिन पहले, शीर्ष अदालत ने उक्त आदेश पर रोक लगा दी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा दिए गए एक अनुरोध के बाद पीठ ने ऐसा किया। मेहता ने कहा था कि केंद्र सरकार समस्या का समाधान करने के लिए एक स्थायी निकाय का गठन कर रही है।

    जनहित याचिका [आदित्य दुबे और अन्य बनाम यूनियन ऑफ इंडिया] और एमसी मेहता केस [WP (C) 13029 1985] को सुनवाई के लिए आज पोस्ट किया गया था।

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