"पीड़ित परिवार के सदस्यों और गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त बल तैनात किया": सुप्रीम कोर्ट में हाथरस मामले को लेकर यूपी सरकार का हलफनामा
LiveLaw News Network
14 Oct 2020 1:47 PM IST
हाथरस मामले में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपने हलफनामे में, उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रस्तुत किया है कि उसने पीड़ित परिवार के सदस्यों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त बल तैनात किया है।
सीजेआई एस ए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने पहले राज्य सरकार को इस तरह के विवरण को दाखिल करने का निर्देश दिया था।
उत्तर प्रदेश के गृह विभाग के विशेष सचिव ने अपने हलफनामे में कहा कि वह उत्तर प्रदेश सरकार पीड़ित परिवार और गवाहों को स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए पूरी सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। राज्य ने अदालत से यह भी अनुरोध किया कि वह इस माननीय न्यायालय की निगरानी में सीबीआई द्वारा जांच को समयबद्ध तरीके से चलाने की अनुमति देने वाली याचिका को लंबित रखे। इसने जांच पर पाक्षिक स्थिति रिपोर्ट राज्य सरकार को प्रस्तुत करने के लिए सीबीआई के लिए निर्देश भी मांगा।
पीड़ित परिवार / गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तीन स्तरीय सुरक्षा तंत्र को राज्य हलफनामे में बताया गया है।
इसमें कहा गया,
"सरकार ने परिसर की 24 घंटे की निगरानी / अवलोकन सुनिश्चित करने के लिए 8 सीसीटीवी भी लगाए हैं। गांव में तैनात पूरे सुरक्षा कर्मचारियों को यह सुनिश्चित करने का सख्त निर्देश दिया गया है कि पीड़ित परिवार / गवाहों की निजता में कोई घुसपैठ न हो और वे लोग कहीं भी जाने और किसी से भी मिलने के लिए स्वतंत्र हैं जिनसे वो चाहते हैं।"
पीड़ित के घर, परिवार के सदस्यों और गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तैनात किए गए समग्र सुरक्षा कर्मियों का एक विस्तृत चार्ट भी हलफनामे में है।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट सामाजिक कार्यकर्ता सत्यमा दुबे द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर विचार कर रहा है, जिसमें पीड़िता पर क्रूर हमले, बलात्कार और हत्या के लिए न्याय की मांग की गई है। याचिका में यह मुद्दा उठाया गया है कि पुलिस अधिकारियों ने अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया है और वो आरोपियों को संरक्षण दे रहे हैं। इसके अलावा, उच्च जाति के व्यक्तियों द्वारा पीड़ित के परिवार को पीड़ित किया जा रहा है।
सीजेआई ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की,
"हम समझते हैं। हम यह नहीं कह रहे हैं कि घटना चौंकाने वाली नहीं है या इस तरह की चीजों को होने दिया जाना चाहिए, या यह कि किसी को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए और कोई जांच नहीं होनी चाहिए ... हम केवल इस मामले में अदालत के समक्ष घटना पर हैं। हम मामले पर नहीं हैं बल्कि हमारे क्षेत्राधिकार के आह्वान पर हैं।"
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