हिमाचल हाईकोर्ट

तलाकशुदा पत्नी को केवल व्यभिचार के आधार पर भरण-पोषण पाने से वंचित नहीं किया जा सकता: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
तलाकशुदा पत्नी को केवल व्यभिचार के आधार पर भरण-पोषण पाने से वंचित नहीं किया जा सकता: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि तलाकशुदा पत्नी केवल व्यभिचार के आधार पर भरण-पोषण पाने से स्वतः ही अयोग्य नहीं हो जाती।जस्टिस राकेश कैंथला की पीठ ने शिमला में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा पारित आदेश को चुनौती देने वाले व्यक्ति की याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें तलाकशुदा पत्नी को भरण-पोषण देने में विफल रहने के बाद अचल संपत्ति की कुर्की के लिए वारंट जारी करने का आदेश दिया गया था।संक्षेप में मामलाव्यभिचार (कथित रूप से पत्नी द्वारा किया गया) के आधार पर फरवरी 2007 में पति के...

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हाइड्रो-इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट विवाद में अडानी पावर को 280 करोड़ वापस करने से किया इनकार
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हाइड्रो-इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट विवाद में अडानी पावर को 280 करोड़ वापस करने से किया इनकार

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हाइड्रो-इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट विवाद में अडानी पावर लिमिटेड को 280 करोड़ से अधिक की राशि वापस करने का राज्य को निर्देश देने वाले अपने पिछले आदेश को खारिज किया। न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि ब्रेकल कॉरपोरेशन द्वारा अडानी पावर के साथ की गई वित्तीय व्यवस्था राज्य द्वारा अनुमोदित नहीं थी, जो निविदा शर्तों और हाइड्रो पावर नीति का उल्लंघन है।पिछले आदेश को पलटते हुए न्यायालय ने यह भी कहा,"विचाराधीन राशि न्यायालय में कानूनी कार्यवाही शुरू होने के बाद जमा की गई। इसलिए कानूनी...

छात्राओं की पीठ और गर्दन को अनुचित तरीके से छूना, उनके पहनावे पर टिप्पणी करना POCSO अधिनियम की धारा 7 के तहत आएगा: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
छात्राओं की पीठ और गर्दन को अनुचित तरीके से छूना, उनके पहनावे पर टिप्पणी करना POCSO अधिनियम की धारा 7 के तहत आएगा: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि शिक्षक द्वारा छात्राओं के साथ अनुचित शारीरिक संपर्क तथा उनके पहनावे पर टिप्पणी करना, यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम 2012 की धारा 7 के तहत अपराध माना जाएगा, जो 'यौन उत्पीड़न' के कृत्यों को दंडित करता है। जस्टिस राकेश कैंथला की पीठ ने कहा कि आरोपी शिक्षक द्वारा छात्राओं के साथ किया गया शारीरिक संपर्क तथा उसके द्वारा कहे गए शब्दों से केवल यही निष्कर्ष निकलता है कि यह स्पर्श यौन इरादे से किया गया था, जो 2012 अधिनियम की धारा 7 के लिए आवश्यक घटक...

Right To Be Forgotten | हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने POCSO मामले में आरोपी को बरी करने का फैसला बरकरार रखा, डिजिटल रिकॉर्ड से पक्षकारों के नाम हटाने का निर्देश दिया
Right To Be Forgotten | हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने POCSO मामले में आरोपी को बरी करने का फैसला बरकरार रखा, डिजिटल रिकॉर्ड से पक्षकारों के नाम हटाने का निर्देश दिया

POCSO Act के तहत बलात्कार के आरोपी को बरी करने का फैसला बरकरार रखते हुए और बरी होने के बाद भूल जाने के अधिकार (Right To Be Forgotten) पर जोर देते हुए हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में अपनी रजिस्ट्री को अपने डिजिटल रिकॉर्ड से आरोपी और पीड़िता दोनों के नाम छिपाने का निर्देश दिया।जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने इस बात पर जोर दिया कि निजता का अधिकार, जिसमें भूल जाने का अधिकार और अकेले रहने का अधिकार शामिल है, व्यक्तिगत स्वतंत्रता का एक अंतर्निहित पहलू है।यह फैसला...

जिला जज की नियुक्ति के लिए एडवोकेट के रूप में लगातार 7 साल की प्रैक्टिस आवश्यक नहीं: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
जिला जज की नियुक्ति के लिए एडवोकेट के रूप में लगातार 7 साल की प्रैक्टिस आवश्यक नहीं: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 233(2) के तहत एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज के रूप में नियुक्ति के लिए एडवोकेट के रूप में लगातार सात साल की प्रैक्टिस आवश्यक नहीं है।फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा,“भारत के संविधान के अनुच्छेद 233(2) के तहत एडवोकेट के रूप में लगातार सात साल की प्रैक्टिस आवश्यक नहीं हैष यह केवल यह निर्धारित करता है कि उम्मीदवार के पास सात साल की प्रैक्टिस होना चाहिए और आवेदन और नियुक्ति की तिथि पर एडवोकेट होना चाहिए।”चीफ जस्टिस एम.एस. रामचंद्र...

भयावह, विकृत आदेश: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बिना पूर्व सूचना के ऋणी के विरुद्ध बलपूर्वक कार्रवाई का आदेश देने के लिए ट्रायल जज को फटकार लगाई
"भयावह, विकृत आदेश": हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बिना पूर्व सूचना के ऋणी के विरुद्ध बलपूर्वक कार्रवाई का आदेश देने के लिए ट्रायल जज को फटकार लगाई

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में एक वरिष्ठ सिविल जज को अनिवार्य कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किए बिना निष्पादन आदेश जारी करने और बिना पूर्व सूचना जारी किए निर्णय ऋणी के खिलाफ बलपूर्वक उपाय करने का निर्देश देने के लिए कड़ी फटकार लगाई। जस्टिस तरलोक सिंह चौहान ने याचिकाकर्ता की शिकायत को संबोधित करते हुए और आदेश पर अपनी असहमति व्यक्त करते हुए कहा,“यह न केवल चौंकाने वाला है बल्कि यह देखना भयावह है कि जिस तरह से विद्वान वरिष्ठ सिविल जज ने निष्पादन याचिका से निपटा है, उसने निर्णय ऋणी को नोटिस जारी...

पुलिस कार्रवाई की लाइव स्ट्रीमिंग सार्वजनिक कार्य के निर्वहन में बाधा नहीं मानी जाएगी: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
पुलिस कार्रवाई की लाइव स्ट्रीमिंग सार्वजनिक कार्य के निर्वहन में बाधा नहीं मानी जाएगी: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि कि पुलिस कार्रवाई की लाइव स्ट्रीमिंग को कर्तव्य में बाधा नहीं माना जा सकता।हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया,“बिना किसी प्रत्यक्ष कृत्य के केवल विरोध या असंयमित भाषा का प्रयोग किसी अधिकारी को सार्वजनिक कार्य के निर्वहन में बाधा डालने का आपराधिक अपराध नहीं माना जाएगा।”जस्टिस संदीप शर्मा की पीठ ने मामले पर निर्णय लेते हुए कहा,“याचिकाकर्ता के खिलाफ इस मामले में सटीक आरोप यह है कि वह फेसबुक पर लाइव हुआ और कुछ टिप्पणियां कीं, लेकिन निश्चित रूप से, उसके द्वारा किया गया ऐसा कोई...

संवैधानिक न्यायालय स्पीकर पर विधायकों के इस्तीफों को स्वीकार या अस्वीकार करने के लिए समयसीमा नहीं थोप सकते: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
संवैधानिक न्यायालय स्पीकर पर विधायकों के इस्तीफों को स्वीकार या अस्वीकार करने के लिए समयसीमा नहीं थोप सकते: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि न्यायालय विधानसभा के सदस्यों (विधायकों) द्वारा दिए गए इस्तीफों पर निर्णय लेने के लिए विधानसभा स्पीकर पर कोई विशिष्ट समयसीमा नहीं थोप सकते।अदालत ने कहा,“संवैधानिक न्यायालय द्वारा विधानसभा के सदस्यों द्वारा दिए गए इस्तीफों के मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए स्पीकर के लिए कोई समयसीमा तय नहीं की जा सकती है यदि कोई हो।"जस्टिस संदीप शर्मा ने इस बात पर जोर दिया कि संवैधानिक पदाधिकारी के रूप में स्पीकर संवैधानिक न्यायालयों के बराबर का दर्जा रखते हैं। एक बार जब...

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सदस्य के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई प्राइवेट लॉ के दायरे में, रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सदस्य के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई प्राइवेट लॉ के दायरे में, रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एम.एस. रामचंद्र राव और जस्टिस ज्योत्सना रेवाल दुआ की खंडपीठ ने कहा कि एसोसिएशन के मानदंडों/उपनियमों के अनुसार हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सदस्य के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई निजी कानून के दायरे में है। इसलिए यह माना गया कि बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के खिलाफ उनकी व्यक्तिगत क्षमता में रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं।संक्षिप्त तथ्य:याचिकाकर्ता हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकील ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और हाईकोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा जारी दो...

हिमाचल प्रदेश जेल मैनुअल 2021 के मानदंडों का पालन क्यों नहीं किया जा रहा? हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा
हिमाचल प्रदेश जेल मैनुअल 2021 के मानदंडों का पालन क्यों नहीं किया जा रहा? हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा

हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट ने राज्य की जेलों में भयावह स्थितियों को संबोधित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सरकार को हिमाचल प्रदेश जेल मैनुअल 2021 में उल्लिखित अनिवार्य स्टाफिंग मानदंडों का पालन न करने के बारे में स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया।यह आदेश कैदियों के कल्याण और स्थितियों से संबंधित एक स्वप्रेरणा जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए आया।इस मामले की कार्यवाही के दौरान चीफ जस्टिस एम.एस. रामचंद्र राव और जस्टिस ज्योत्सना रीवा दुआ की बेंच ने जेल और सुधार सेवाओं के महानिदेशक की 2 जनवरी,...

[NHAI Act] मध्यस्थ के कार्य या चूक के लिए भूमि मालिक को कष्ट नहीं उठाना चाहिए, संपत्ति का अधिकार अनुच्छेद 300ए के तहत संवैधानिक अधिकार: हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट
[NHAI Act] मध्यस्थ के कार्य या चूक के लिए भूमि मालिक को कष्ट नहीं उठाना चाहिए, संपत्ति का अधिकार अनुच्छेद 300ए के तहत संवैधानिक अधिकार: हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट

हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट के जस्टिस अजय मोहन गोयल की सिंगल बेंच ने कहा कि मध्यस्थ न्यायाधिकरण द्वारा मध्यस्थता और सुलह अधिनियम की धारा 29(ए) के अनुसार संदर्भ में प्रवेश करने की तिथि से 12 महीने की अवधि के भीतर निर्णय देने में मध्यस्थ की चूक के लिए भूमि मालिक को कष्ट नहीं उठाना चाहिए। इसने माना कि चूंकि संपत्ति का अधिकार भारत के संविधान के अनुच्छेद 300ए के तहत एक संवैधानिक अधिकार है, इसलिए भूमि मालिक को कानून के अनुसार ही उसकी संपत्ति से वंचित किया जा सकता है।भूमि स्वामी की भूमि भारतीय राष्ट्रीय...

हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट ने वकीलों के उपस्थित न होने के कारण मामले में बहस बंद की
हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट ने वकीलों के उपस्थित न होने के कारण मामले में बहस बंद की

जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर और जस्टिस बिपिन सी नेगी की खंडपीठ द्वारा पारित सख्त आदेश में हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट ने राज्य में संसदीय सचिवों की नियुक्ति को चुनौती देने वाले मामले में निजी प्रतिवादियों के लिए बहस बंद की।न्यायालय ने देखा कि अपनी दलीलें पेश करने के लिए बार-बार अवसर और समय दिए जाने के बावजूद निजी प्रतिवादियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने में विफल रहे या अपनी जिम्मेदारी से भागे रहे है।जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर और जस्टिस बिपिन सी नेगी की खंडपीठ ने निजी...

Congress नेता अभिषेक मनु सिंघवी की ड्रा ऑफ लॉट्स याचिका: हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट ने BJP राज्यसभा सांसद को नोटिस जारी किया
Congress नेता अभिषेक मनु सिंघवी की 'ड्रा ऑफ लॉट्स' याचिका: हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट ने BJP राज्यसभा सांसद को नोटिस जारी किया

हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट ने शनिवार को कांग्रेस (Congress) नेता और सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए BJP राज्यसभा सांसद हर्ष महाजन को नोटिस जारी किया। उक्त याचिका में इस साल फरवरी में राज्यसभा चुनाव में उनकी हार को प्रभावी ढंग से चुनौती दी गई।अपनी याचिका में सीनियर वकील सिंघवी ने ड्रा ऑफ लॉट्स के माध्यम से विजेता घोषित करने के रिटर्निंग अधिकारी के फैसले को चुनौती दी और आरएस चुनावों में टाई के मामलों में ड्रा ऑफ लॉट्स नियमों की चुनाव अधिकारी की व्याख्या पर सवाल उठाया।BJP...

नियोक्ता-कर्मचारी संबंध साबित करने का बोझ मुख्य रूप से इस बात पर निर्भर करता है कि कौन अपने अस्तित्व का दावा करता है: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
नियोक्ता-कर्मचारी संबंध साबित करने का बोझ मुख्य रूप से इस बात पर निर्भर करता है कि कौन अपने अस्तित्व का दावा करता है: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने राकेश शर्मा बनाम इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन और एक अन्य के मामले में लेटर्स पेटेंट अपील का फैसला करते हुए कहा कि नियोक्ता-कर्मचारी संबंध साबित करने का बोझ मुख्य रूप से उस व्यक्ति पर टिका हुआ है जिसने अपने अस्तित्व का दावा किया है, और एक बार प्रबंधन का कर्मचारी होने का दावा करने वाला व्यक्ति उनके पक्ष में सबूत देता है, तभी प्रबंधन पर कर्मचारी के ऐसे दावों का मुकाबला करने के लिए साक्ष्य देने का भार बदलेगा।मामले की...

SC/ST कोटे के तहत नियुक्त व्यक्ति बाद में भूतपूर्व सैनिक कोटे के तहत आरक्षण का दावा नहीं कर सकता: हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट
SC/ST कोटे के तहत नियुक्त व्यक्ति बाद में भूतपूर्व सैनिक कोटे के तहत आरक्षण का दावा नहीं कर सकता: हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट

हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट की चीफ जस्टिस एम.एस. रामचंद्र राव और जस्टिस ज्योत्सना रेवल दुआ की खंडपीठ ने कहा कि हिमाचल प्रदेश राज्य और अन्य बनाम जय राम कौंडल के मामले में लेटर्स पेटेंट अपील का फैसला करते हुए कहा कि एक बार जब कोई व्यक्ति अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति कोटे के तहत नियुक्त हो जाता है तो बाद में वह भूतपूर्व सैनिक कोटे के तहत आरक्षण का दावा नहीं कर सकता।मामले की पृष्ठभूमि1993 में सेना से रिटायरमेंट के बाद जय राम कौंडल (प्रतिवादी) को अनुसूचित जाति श्रेणी में आरक्षण के माध्यम से चिकित्सा...

तीन महीने और उससे अधिक की अवधि के लिए प्रदान की गई सेवा को कुल सेवा अवधि की गणना के उद्देश्य से एक आधा वर्ष माना जाएगा: हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट
तीन महीने और उससे अधिक की अवधि के लिए प्रदान की गई सेवा को कुल सेवा अवधि की गणना के उद्देश्य से एक आधा वर्ष माना जाएगा: हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट

हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट की चीफ जस्टिस एम.एस. रामचंद्र राव और जस्टिस ज्योत्सना रेवल दुआ की खंडपीठ ने यूको बैंक और अन्य बनाम चमन सिंह के मामले में लेटर्स पेटेंट अपील का फैसला करते हुए माना कि किसी कर्मचारी द्वारा तीन महीने और उससे अधिक की अवधि के लिए प्रदान की गई सेवा को कुल सेवा अवधि की गणना के उद्देश्य से एक आधा वर्ष (6 महीने) माना जाएगा।पृष्ठभूमि तथ्यचमन सिंह (प्रतिवादी) ने यूको बैंक (अपीलकर्ता) के लिए 9 वर्ष और 10 महीने की सेवा प्रदान की। यूको बैंक (कर्मचारी) पेंशन विनियमन 1995 के नियम 14 में...

आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की पात्रता निर्धारित करने के लिए व्यक्तिगत वार्षिक आय नहीं, बल्कि परिवार की वार्षिक आय पर विचार किया जाना चाहिए: हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट
आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की पात्रता निर्धारित करने के लिए व्यक्तिगत वार्षिक आय नहीं, बल्कि परिवार की वार्षिक आय पर विचार किया जाना चाहिए: हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की जस्टिस रंजन शर्मा की पीठ ने उषा रानी बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य एवं अन्य के मामले में सिविल रिट याचिका पर निर्णय लेते हुए माना कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के रूप में नियुक्ति के लिए पात्रता निर्धारित करने के लिए महिला उम्मीदवार की पारिवारिक वार्षिक आय 8000 रुपये प्रति वर्ष से कम होनी चाहिए, न कि महिला उम्मीदवार की व्यक्तिगत वार्षिक आय पर।मामले की पृष्ठभूमिउषा रानी (याचिकाकर्ता) आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के रूप में काम कर रही हैं। हिमाचल प्रदेश राज्य (प्रतिवादी) द्वारा दिनांक...

संसाधनों की कमी के आधार पर अनिश्चित अवधि के लिए पेंशन लाभ नहीं रोका जा सकता: हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट
संसाधनों की कमी के आधार पर अनिश्चित अवधि के लिए पेंशन लाभ नहीं रोका जा सकता: हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट

हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट की जस्टिस सत्येन वैद्य की एकल पीठ ने सुनीत सिंह जरयाल बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य एवं अन्य के मामले में सिविल रिट याचिका पर निर्णय लेते हुए कहा कि राज्य सरकार वित्तीय बाधाओं के बहाने अनिश्चित अवधि के लिए पेंशन लाभ नहीं रोक सकती।मामले की पृष्ठभूमिसुनीत सिंह जरयाल (याचिकाकर्ता) 31.05.2020 को अधीक्षक ग्रेड-II के पद से सेवानिवृत्त हुए। हिमाचल प्रदेश सरकार (प्रतिवादी) ने 03.01.2022 को हिमाचल प्रदेश सिविल सेवा (संशोधित वेतन) नियम, 2022 (संशोधित वेतन नियम) अधिसूचित किए, जिसके तहत...