राज�थान हाईकोट

वकालतनामा स्टांप और सदस्यता शुल्क बढ़ाने को चुनौती: राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया
वकालतनामा स्टांप और सदस्यता शुल्क बढ़ाने को चुनौती: राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया

राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान एडवोकेट कल्याण निधि (संशोधन) अधिनियम, 2020 को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया। इस संशोधन अधिनियम के जरिए वकालतनामा पर लगने वाले कल्याण स्टांप शुल्क को चार गुना बढ़ाया गया। साथ ही राजस्थान अधिवक्ता कल्याण निधि की सदस्यता शुल्क में भी वृद्धि की गई।याचिका में कहा गया कि राजस्थान अधिवक्ता कल्याण निधि अधिनियम 1987 का मूल उद्देश्य अधिक से अधिक अधिवक्ताओं को इसके दायरे में लाना है ताकि उन्हें सामाजिक सुरक्षा और कल्याणकारी लाभ मिल सकें। हालांकि,...

₹42 करोड़ की कथित धोखाधड़ी मामले में फिल्म निर्माता विक्रम भट्ट की याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
₹42 करोड़ की कथित धोखाधड़ी मामले में फिल्म निर्माता विक्रम भट्ट की याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

राजस्थान हाईकोर्ट ने फिल्म निर्माता और निर्देशक विक्रम भट्ट द्वारा उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। एफआईआर में आरोप है कि फिल्म बनाने के नाम पर शिकायतकर्ता से ₹42 करोड़ की राशि ली गई और उसके साथ धोखाधड़ी की गई।यह FIR 7 दिसंबर को विक्रम भट्ट की गिरफ्तारी के बाद दर्ज की गई थी। मामले की सुनवाई जस्टिस समीर जैन कर रहे थे। याचिका विक्रम भट्ट और गंगेश्वर लाल श्रीवास्तव द्वारा दायर की गई थी।मामला दोनों याचिकाकर्ताओं और शिकायतकर्ता के बीच दो...

बंद दुकान के भीतर कथित जातिसूचक गाली सार्वजनिक दृष्टि में नहीं मानी जा सकती: राजस्थान हाईकोर्ट ने 31 साल पुरानी SC/ST Act के तहत सजा रद्द की
बंद दुकान के भीतर कथित जातिसूचक गाली 'सार्वजनिक दृष्टि' में नहीं मानी जा सकती: राजस्थान हाईकोर्ट ने 31 साल पुरानी SC/ST Act के तहत सजा रद्द की

राजस्थान हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC/ST Act) के तहत वर्ष 1994 में दी गई सजा को निरस्त कर दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि कथित जातिसूचक अपमान किसी बंद दुकान या चारदीवारी के भीतर हुआ हो, जहां आम जनता की मौजूदगी या दृश्यता न हो, तो उसे कानून की दृष्टि में “सार्वजनिक दृष्टि में” किया गया कृत्य नहीं माना जा सकता।यह फैसला जस्टिस फरजंद अली की पीठ ने सुनाया। मामला एक वाहन शोरूम संचालक से जुड़ा था, जिस पर आरोप था कि उसने एक...

गैस रेगुलेटर आवश्यक वस्तु नहीं, जब तक अधिसूचित न हों: राजस्थान हाईकोर्ट ने 27 साल पुरानी सजा रद्द की
गैस रेगुलेटर आवश्यक वस्तु नहीं, जब तक अधिसूचित न हों: राजस्थान हाईकोर्ट ने 27 साल पुरानी सजा रद्द की

राजस्थान हाईकोर्ट ने अहम फैसले में यह स्पष्ट किया कि गैस रेगुलेटर अपने आप में आवश्यक वस्तु नहीं माने जा सकते, जब तक कि उन्हें विधि द्वारा विशेष रूप से अधिसूचित न किया गया हो। इसी आधार पर अदालत ने वर्ष 1998 में आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत सुनाई गई सजा को निरस्त कर दिया।यह फैसला जस्टिस फरजंद अली की सिंगल बेंच ने सुनाया। मामला उस अपील से जुड़ा था, जिसमें अपीलकर्ता को बिना वैध लाइसेंस 38 गैस रेगुलेटर रखने के आरोप में आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत दोषी ठहराया गया। इस सजा को चुनौती देते हुए अपीलकर्ता ने...

राजस्थान हाईकोर्ट ने सजा अवधि की गलती धारणा के बावजूद हत्या की दोषी महिला को दी राहत
राजस्थान हाईकोर्ट ने सजा अवधि की गलती धारणा के बावजूद हत्या की दोषी महिला को दी राहत

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महिला को जेल वापस भेजने से इनकार किया, जिसकी सज़ा 15 साल पहले डिवीज़न कोर्ट ने इस गलत धारणा के आधार पर कम कर दी थी कि उसने जेल में लगभग 8 साल बिता लिए हैं, जबकि असल में वह सिर्फ़ 2 साल ही जेल में रही है।जस्टिस फरजंद अली और जस्टिस आनंद शर्मा की डिवीज़न बेंच ने सभी परिस्थितियों पर विचार किया। इन्हें कम करने वाले कारकों के रूप में देखते हुए बेंच ने यह राय दी कि ऐसी परिस्थितियों में कानूनी रूप से अनुमत सीमा के भीतर सज़ा में बदलाव करना ज़रूरी है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके...

राजस्थान हाईकोर्ट ने भारतीय मज़दूर के शव को वापस लाने में देरी पर सऊदी दूतावास को नोटिस जारी किया
राजस्थान हाईकोर्ट ने भारतीय मज़दूर के शव को वापस लाने में देरी पर सऊदी दूतावास को नोटिस जारी किया

राजस्थान हाईकोर्ट ने नई दिल्ली में स्थित सऊदी अरब के दूतावास को याचिकाकर्ता के बेटे के शव को जल्द-से-जल्द वापस लाने के लिए नोटिस जारी किया, जो वहां काम करता था और नवंबर 2025 में उसकी मौत हो गई थी।जस्टिस डॉ. नूपुर भाटी की बेंच एक पिता की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसका बेटा सऊदी अरब में वैलिड वर्क वीज़ा पर काम कर रहा था। 13 नवंबर, 2025 को उसकी मौत हो गई। हालांकि, आज तक वह उसके शव का इंतज़ार कर रहे हैं।कोर्ट ने राज्य के वकील की बात रिकॉर्ड की कि रियाद में कम्युनिटी वेलफेयर से मिले ईमेल के अनुसार...

जनहित से जुड़े शांतिपूर्ण आंदोलनों पर दर्ज मामलों की वापसी को मंजूरी: राजस्थान हाईकोर्ट
जनहित से जुड़े शांतिपूर्ण आंदोलनों पर दर्ज मामलों की वापसी को मंजूरी: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक पूर्व विधायक एवं राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री के खिलाफ दर्ज अभियोजन को वापस लेने की अनुमति देते हुए कहा है कि एफआईआर में जिस कथित जन-अशांति का उल्लेख है, वह जनहित से जुड़े मुद्दों के कारण उत्पन्न हुई थी और इसके पीछे कोई व्यक्तिगत स्वार्थ नहीं था।जस्टिस अनूप कुमार ढांड की पीठ ने यह पाया कि आरोप पानी की किल्लत तथा प्रशासन से न्याय की मांग जैसे विषयों पर किए गए शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों से संबंधित थे, जिनसे सार्वजनिक व्यवस्था भंग करने का कोई प्रयास परिलक्षित नहीं...

NDPS Act का कस्टम एरिया में भी ज़्यादा असर होता है: राजस्थान हाईकोर्ट ने ₹15.5 करोड़ के हाइड्रोपोनिक वीड ज़ब्ती मामले में ज़मानत देने से मना किया
NDPS Act का कस्टम एरिया में भी ज़्यादा असर होता है: राजस्थान हाईकोर्ट ने ₹15.5 करोड़ के हाइड्रोपोनिक वीड ज़ब्ती मामले में ज़मानत देने से मना किया

राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में कस्टम डिपार्टमेंट के उस काम को माना और कन्फर्म किया, जिसमें बैंकॉक से एयरपोर्ट पर पकड़ी गई हाइड्रोपोनिक वीड की कथित स्मगलिंग से जुड़े मामले में कस्टम एक्ट के प्रोविज़न का इस्तेमाल नहीं किया गया। यह कन्फर्म किया कि NDPS Act एक स्पेशल कानून होने के नाते, अपनी धारा 80 की रोशनी में कस्टम एक्ट पर ज़्यादा असर डालता है।इसके अलावा, जस्टिस समीर जैन की बेंच ने इस मामले में 21 साल के आरोपी की ज़मानत अर्ज़ी खारिज की, जिसमें बरामद नारकोटिक सब्सटेंस की तेज़ी, उसकी मार्केट...

फैमिली पेंशन में शादी के अलग-अलग दावे: सिविल सर्विसेज़ नियमों में क्लैरिटी के लिए बदलाव की ज़रूरत- राजस्थान हाईकोर्ट
फैमिली पेंशन में शादी के अलग-अलग दावे: सिविल सर्विसेज़ नियमों में क्लैरिटी के लिए बदलाव की ज़रूरत- राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि राजस्थान सिविल सर्विसेज़ (पेंशन) नियम, 1996 में सही बदलाव की ज़रूरत हो सकती है ताकि नॉमिनेशन, शादी खत्म होने और हक से जुड़े नियम ट्रांसपेरेंट और साफ़ हों, जिससे मतलब निकालने में कोई कन्फ्यूजन न हो।जस्टिस फरजंद अली ने एडवोकेट जनरल को यह बात राज्य के नोटिस में डालने का निर्देश दिया।यह मामला दो महिलाओं के बीच हुए झगड़े में सामने आया, जिनमें से हर एक एक मरे हुए सरकारी कर्मचारी की कानूनी तौर पर शादीशुदा पत्नी होने का दावा कर रही हैं, और उसकी विधवा होने के नाते फैमिली पेंशन...

नज़रदारी रजिस्टर पुलिस की पसंद–नापसंद का दस्तावेज़ नहीं : राजस्थान हाईकोर्ट ने मनमाने तरीके से खोली गई हिस्ट्रीशीट रद्द की
नज़रदारी रजिस्टर पुलिस की पसंद–नापसंद का दस्तावेज़ नहीं : राजस्थान हाईकोर्ट ने मनमाने तरीके से खोली गई हिस्ट्रीशीट रद्द की

राजस्थान हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि पुलिस को यह अधिकार नहीं है कि वह अपनी व्यक्तिगत पसंद या नापसंद के आधार पर किसी भी व्यक्ति का नाम नज़रदारी रजिस्टर (Surveillance Register) में दर्ज कर दे।कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक द्वारा याचिकाकर्ता के खिलाफ खोली गई हिस्ट्रीशीट को गैरकानूनी और मनमाना बताते हुए निरस्त कर दिया।जस्टिस अनूप कुमार ढांड की एकल पीठ ने कहा कि हिस्ट्रीशीट खोलने का आधार पुलिस अधिकारियों की विवेकाधीन संतुष्टि जरूर है पर यह संतुष्टि तभी वैध मानी जाएगी, जब वह ठोस तथ्यों और उचित...

राजस्थान हाईकोर्ट ने कोर्ट द्वारा सील किए गए फिक्स्ड डिपॉज़िट को बिना वजह निकालने के लिए एक्सिस बैंक को फटकार लगाई, कहा - कोई भी कानून से ऊपर नहीं
राजस्थान हाईकोर्ट ने कोर्ट द्वारा सील किए गए फिक्स्ड डिपॉज़िट को 'बिना वजह' निकालने के लिए एक्सिस बैंक को फटकार लगाई, कहा - कोई भी कानून से ऊपर नहीं

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक्सिस बैंक की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई। इसमें बैंक को करीब 8 करोड़ रुपये फिर से जमा करने का निर्देश दिया गया। यह रकम बैंक ने एक फिक्स्ड डिपॉज़िट से एकतरफा निकाल ली थी, जिसे कोर्ट ने अनिवार्य किया।जस्टिस अनूप कुमार ढांड की बेंच ने कहा कि जब कोई संवैधानिक अदालत या कोई भी अदालत कोई आदेश देती है तो हर व्यक्ति या अथॉरिटी, चाहे उसका पद कुछ भी हो, उसका पालन करने के लिए बाध्य है; और अवज्ञा कानून के शासन की नींव पर ही हमला करती है,...

राजस्थान हाईकोर्ट ने पिता की हत्या के लिए 22 साल से जेल में बंद उम्रकैद की सज़ा पाए व्यक्ति को किया रिहा
राजस्थान हाईकोर्ट ने पिता की हत्या के लिए 22 साल से जेल में बंद उम्रकैद की सज़ा पाए व्यक्ति को किया रिहा

राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने पिता की हत्या के लिए उम्रकैद की सज़ा पाए व्यक्ति को समय से पहले रिहा करने का निर्देश दिया। यह निर्देश एमिक्स क्यूरी की रिपोर्ट के आधार पर दिया गया, जिसमें एडवाइजरी कमेटी के इस आधार को गलत बताया गया था कि वह व्यक्ति मानसिक रूप से अस्थिर था और उसका परिवार उसे अपनाने को तैयार नहीं था।जस्टिस विनीत कुमार माथुर और जस्टिस आनंद शर्मा की डिवीजन बेंच को सेंट्रल जेल, उदयपुर से पत्र याचिका मिली थी, जिसमें कोर्ट ने याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने के लिए एमिक्स क्यूरी नियुक्त किया...

लिव-इन रिश्ते में रह रहे बालिग जोड़े को संरक्षण का अधिकार, भले ही युवक 21 वर्ष से कम हो: राजस्थान हाईकोर्ट
लिव-इन रिश्ते में रह रहे बालिग जोड़े को संरक्षण का अधिकार, भले ही युवक 21 वर्ष से कम हो: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश में स्पष्ट किया कि यदि महिला और पुरुष दोनों बालिग हैं तथा आपसी सहमति से लिव-इन संबंध में रह रहे हैं, तो उन्हें पुलिस संरक्षण पाने का पूरा अधिकार है, भले ही युवक की आयु 21 वर्ष से कम हो।जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश 18 वर्षीय युवती और 19 वर्षीय युवक द्वारा दायर याचिका पर पारित किया।याचिकाकर्ताओं ने अपने परिवारजनों से जान के खतरे की आशंका जताते हुए पुलिस सुरक्षा की मांग की थी।मामले में याचिकाकर्ताओं ने बताया कि वे विवाह करना चाहते हैं, किंतु युवक...

भविष्य की फीस वसूलने के लिए स्टूडेंट्स के मूल दस्तावेज रोकना अवैध: राजस्थान हाईकोर्ट
भविष्य की फीस वसूलने के लिए स्टूडेंट्स के मूल दस्तावेज रोकना अवैध: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने अहम फैसले में स्पष्ट किया कि यूनिवर्सिटी या शैक्षणिक संस्थान किसी स्टूडेंट के मूल दस्तावेजों को भविष्य की फीस वसूली के साधन के रूप में अपने पास नहीं रख सकते। अदालत ने कहा कि एडमिशन के समय जमा कराए गए दस्तावेज केवल सत्यापन और पात्रता जांच के उद्देश्य से होते हैं, न कि स्टूडेंट को फीस भुगतान के लिए बाध्य करने के उपकरण के रूप में।जस्टिस अनुरूप सिंघी की सिंगल बेंच एक पूर्व MBBS स्टूडेंट की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। स्टूडेंट ने अदालत से अपने मूल दस्तावेज वापस दिलाने का निर्देश...

उच्च मेरिट पाने वाले आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी को सामान्य वर्ग में समायोजित करना अनिवार्य: राजस्थान हाईकोर्ट
उच्च मेरिट पाने वाले आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी को सामान्य वर्ग में समायोजित करना अनिवार्य: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक बार फिर स्पष्ट किया कि यदि किसी आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी ने शुल्क छूट के अतिरिक्त किसी भी प्रकार की आरक्षण-सुविधा का लाभ नहीं लिया और उसके अंक सामान्य वर्ग की अंतिम चयन कट-ऑफ से अधिक हैं तो उसे अनिवार्य रूप से सामान्य वर्ग में समायोजित किया जाना चाहिए। ऐसे मामलों में मेरिट माइग्रेशन का सिद्धांत लागू होता है, जिसके तहत खुली श्रेणी (जनरल कैटेगरी) में सभी समुदायों के योग्य अभ्यर्थियों को समान अवसर मिलता है।जस्टिस फरजंद अली की पीठ ने यह टिप्पणी उस याचिका पर सुनवाई करते हुए...

बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना: राजस्थान हाईकोर्ट ने SHO के वकीलों के साथ दुर्व्यवहार के बाद जांच और सॉफ्ट-स्किल्स ट्रेनिंग का आदेश दिया
बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना: राजस्थान हाईकोर्ट ने SHO के वकीलों के साथ दुर्व्यवहार के बाद जांच और सॉफ्ट-स्किल्स ट्रेनिंग का आदेश दिया

पुलिस स्टेशन में रेप पीड़िता के साथ आए वकील के साथ पुलिस अधिकारियों के दुर्व्यवहार और बदसलूकी के मामले की सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि वकील और पुलिसकर्मी न्याय व्यवस्था के दो अहम हिस्से हैं, जिन्हें आपसी सम्मान और सहयोग के साथ मिलकर काम करना चाहिए।एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस बलजिंदर सिंह संधू की डिवीजन बेंच ने कहा कि पुलिस अधिकारियों को सॉफ्ट स्किल ट्रेनिंग दी जानी चाहिए। साथ ही यह भी कहा कि कमिश्नरेट से उम्मीद है कि इस बात की जानकारी पुलिस अकादमी को दी जाएगी...

वकालत की कला सालों के अनुभव से बंधी नहीं है: राजस्थान हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में पद्मेश मिश्रा की AAG के तौर पर नियुक्ति को सही ठहराया
'वकालत की कला सालों के अनुभव से बंधी नहीं है': राजस्थान हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में पद्मेश मिश्रा की AAG के तौर पर नियुक्ति को सही ठहराया

राजस्थान हाईकोर्ट ने सिंगल जज बेंच के उस फैसले को सही ठहराया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट में राजस्थान राज्य के लिए एडिशनल एडवोकेट जनरल (AAG) के तौर पर पद्मेश मिश्रा की नियुक्ति के खिलाफ चुनौती खारिज की।खास बात यह है कि मिश्रा सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस पीके मिश्रा के बेटे हैं। याचिका में दावा किया गया कि स्टेट लिटिगेशन पॉलिसी 2018 के अनुसार पद के लिए योग्य होने के लिए ज़रूरी अनुभव पूरा न करने के बावजूद मिश्रा को AAG के तौर पर नियुक्त किया गया।एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस बलजिंदर...

ओला-उबर, स्विगी-जोमैटो के गिग वर्कर्स का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य, महिला चालकों की भागीदारी बढ़ाई जाए: राजस्थान हाईकोर्ट
ओला-उबर, स्विगी-जोमैटो के गिग वर्कर्स का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य, महिला चालकों की भागीदारी बढ़ाई जाए: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने ऐप आधारित परिवहन और डिलीवरी सेवाओं से जुड़े गिग वर्कर्स के संचालन को लेकर व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए। न्यायालय ने आदेश दिया कि ओला, उबर, स्विगी, जोमैटो सहित सभी कंपनियों के चालकों और डिलीवरी कर्मियों का राज्य परिवहन विभाग तथा महानिदेशक, सायबर के समक्ष अनिवार्य रजिस्ट्रेशन किया जाए।जस्टिस रवि चिरानिया की पीठ ने महिलाओं की सुरक्षा पर विशेष जोर देते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया कि संबंधित कंपनियों को प्रोत्साहित किया जाए ताकि छह माह के भीतर कम-से-कम 15 प्रतिशत चालक महिलाएं...

ट्रिब्यूनल के पास किए गए ऑर्डर ऑप्शनल नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट ने इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल के ऑर्डर की बेवजह अनदेखी के लिए राज्य की खिंचाई की
ट्रिब्यूनल के पास किए गए ऑर्डर ऑप्शनल नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट ने इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल के ऑर्डर की 'बेवजह अनदेखी' के लिए राज्य की खिंचाई की

राजस्थान हाईकोर्ट ने 2019 में पास किए गए इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल के फिर से बहाल करने के ऑर्डर का पालन न करने के लिए राज्य की कड़ी आलोचना की। साथ ही कहा कि यह नाकामी, साथ ही राज्य की देर से, नामुमकिन और कानूनी तौर पर गलत दलील देने की कोशिश, "कानून के शासन की बेवजह अनदेखी" दिखाती है।जस्टिस फरजंद अली की बेंच ने कहा कि ट्रिब्यूनल का स्ट्रक्चर सिर्फ एडमिनिस्ट्रेटिव नहीं बल्कि क्वासी-ज्यूडिशियल होता है। उससे आने वाले ऑर्डर असल में ज्यूडिशियल होते हैं, जिनमें अधिकार वाली क्षमता होती है। ऐसे ऑर्डर को...

राजस्थान हाईकोर्ट ने 18 महीने से जेल में बंद बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ ट्रायल में देरी की आलोचना की, जमानत देने से मना किया
राजस्थान हाईकोर्ट ने 18 महीने से जेल में बंद बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ ट्रायल में देरी की आलोचना की, जमानत देने से मना किया

विदेशी नागरिकों को आर्टिकल 21 के तहत मिले फंडामेंटल राइट्स के विस्तार पर ज़ोर देते हुए राजस्थान हाई कोर्ट ने 1.5 साल से ज़्यादा समय से जेल में बंद दो बांग्लादेशी नागरिकों से जुड़े मामले में चार्ज फ्रेम न करने और ट्रायल शुरू न करने के लिए ट्रायल कोर्ट की आलोचना की।ऐसा करते हुए कोर्ट ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत में ट्रायल का सामना कर रहे विदेशी नागरिक भी भारत के संविधान के आर्टिकल 21 के तहत जीवन और सम्मान के अधिकार के हकदार हैं। याचिकाकर्ता विदेशी नागरिक हैं और बांग्लादेश के रहने वाले हैं।...