राज�थान हाईकोट
बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना: राजस्थान हाईकोर्ट ने SHO के वकीलों के साथ दुर्व्यवहार के बाद जांच और सॉफ्ट-स्किल्स ट्रेनिंग का आदेश दिया
पुलिस स्टेशन में रेप पीड़िता के साथ आए वकील के साथ पुलिस अधिकारियों के दुर्व्यवहार और बदसलूकी के मामले की सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि वकील और पुलिसकर्मी न्याय व्यवस्था के दो अहम हिस्से हैं, जिन्हें आपसी सम्मान और सहयोग के साथ मिलकर काम करना चाहिए।एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस बलजिंदर सिंह संधू की डिवीजन बेंच ने कहा कि पुलिस अधिकारियों को सॉफ्ट स्किल ट्रेनिंग दी जानी चाहिए। साथ ही यह भी कहा कि कमिश्नरेट से उम्मीद है कि इस बात की जानकारी पुलिस अकादमी को दी जाएगी...
'वकालत की कला सालों के अनुभव से बंधी नहीं है': राजस्थान हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में पद्मेश मिश्रा की AAG के तौर पर नियुक्ति को सही ठहराया
राजस्थान हाईकोर्ट ने सिंगल जज बेंच के उस फैसले को सही ठहराया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट में राजस्थान राज्य के लिए एडिशनल एडवोकेट जनरल (AAG) के तौर पर पद्मेश मिश्रा की नियुक्ति के खिलाफ चुनौती खारिज की।खास बात यह है कि मिश्रा सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस पीके मिश्रा के बेटे हैं। याचिका में दावा किया गया कि स्टेट लिटिगेशन पॉलिसी 2018 के अनुसार पद के लिए योग्य होने के लिए ज़रूरी अनुभव पूरा न करने के बावजूद मिश्रा को AAG के तौर पर नियुक्त किया गया।एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस बलजिंदर...
ओला-उबर, स्विगी-जोमैटो के गिग वर्कर्स का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य, महिला चालकों की भागीदारी बढ़ाई जाए: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने ऐप आधारित परिवहन और डिलीवरी सेवाओं से जुड़े गिग वर्कर्स के संचालन को लेकर व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए। न्यायालय ने आदेश दिया कि ओला, उबर, स्विगी, जोमैटो सहित सभी कंपनियों के चालकों और डिलीवरी कर्मियों का राज्य परिवहन विभाग तथा महानिदेशक, सायबर के समक्ष अनिवार्य रजिस्ट्रेशन किया जाए।जस्टिस रवि चिरानिया की पीठ ने महिलाओं की सुरक्षा पर विशेष जोर देते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया कि संबंधित कंपनियों को प्रोत्साहित किया जाए ताकि छह माह के भीतर कम-से-कम 15 प्रतिशत चालक महिलाएं...
ट्रिब्यूनल के पास किए गए ऑर्डर ऑप्शनल नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट ने इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल के ऑर्डर की 'बेवजह अनदेखी' के लिए राज्य की खिंचाई की
राजस्थान हाईकोर्ट ने 2019 में पास किए गए इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल के फिर से बहाल करने के ऑर्डर का पालन न करने के लिए राज्य की कड़ी आलोचना की। साथ ही कहा कि यह नाकामी, साथ ही राज्य की देर से, नामुमकिन और कानूनी तौर पर गलत दलील देने की कोशिश, "कानून के शासन की बेवजह अनदेखी" दिखाती है।जस्टिस फरजंद अली की बेंच ने कहा कि ट्रिब्यूनल का स्ट्रक्चर सिर्फ एडमिनिस्ट्रेटिव नहीं बल्कि क्वासी-ज्यूडिशियल होता है। उससे आने वाले ऑर्डर असल में ज्यूडिशियल होते हैं, जिनमें अधिकार वाली क्षमता होती है। ऐसे ऑर्डर को...
राजस्थान हाईकोर्ट ने 18 महीने से जेल में बंद बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ ट्रायल में देरी की आलोचना की, जमानत देने से मना किया
विदेशी नागरिकों को आर्टिकल 21 के तहत मिले फंडामेंटल राइट्स के विस्तार पर ज़ोर देते हुए राजस्थान हाई कोर्ट ने 1.5 साल से ज़्यादा समय से जेल में बंद दो बांग्लादेशी नागरिकों से जुड़े मामले में चार्ज फ्रेम न करने और ट्रायल शुरू न करने के लिए ट्रायल कोर्ट की आलोचना की।ऐसा करते हुए कोर्ट ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत में ट्रायल का सामना कर रहे विदेशी नागरिक भी भारत के संविधान के आर्टिकल 21 के तहत जीवन और सम्मान के अधिकार के हकदार हैं। याचिकाकर्ता विदेशी नागरिक हैं और बांग्लादेश के रहने वाले हैं।...
राजस्थान हाईकोर्ट ने मजिस्ट्रेटों के सतही संज्ञान आदेशों पर नाराज़गी जताई, चीफ जस्टिस के हस्तक्षेप की मांग
राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में कई मामलों में मजिस्ट्रेटों द्वारा “बहुत ही सामान्य और सतही तरीके से, बिना न्यायिक मस्तिष्क का प्रयोग किए” पारित किए जा रहे संज्ञान आदेशों पर गंभीर आपत्ति जताई है। कोर्ट ने पाया कि कई बार मजिस्ट्रेट न तो रिकॉर्ड को ठीक से पढ़ते हैं और न ही यह सुनिश्चित करते हैं कि आरोपियों के खिलाफ कोई prima facie मामला मौजूद है।इस स्थिति को देखते हुए, हाईकोर्ट ने मामले को प्रशासनिक पक्ष पर चीफ जस्टिस के समक्ष भेजने का निर्देश दिया है, ताकि सभी न्यायिक अधिकारियों को ईमेल के माध्यम...
NEET एडमिशन पर राजस्थान हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: कक्षा 11 में जीवविज्ञान अनिवार्य नहीं, कक्षा 12 में अतिरिक्त विषय के रूप में लेने पर भी मान्य
राजस्थान हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश में उस अभ्यर्थी को राहत दी, जिसकी NEET 2025 में सफलता के बावजूद MBBS एडमिशन इसलिए रद्द कर दिया गया, क्योंकि उसने कक्षा 11 में जीवविज्ञान विषय नहीं पढ़ा था। अभ्यर्थी ने यह विषय केवल कक्षा 12 में अतिरिक्त विषय के रूप में लिया था। अदालत ने स्पष्ट किया कि कक्षा 11 में जीवविज्ञान पढ़ना प्रवेश के लिए अनिवार्य नहीं है।जस्टिस डॉ. नूपुर भाटी की एकलपीठ ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग द्वारा वर्ष 2023 में जारी सार्वजनिक सूचना और उससे जारी सूचना पुस्तिका का हवाला देते हुए कहा...
नकली दस्तावेज़ अदालत के साथ धोखा, मुकदमे का उद्देश्य सत्य की खोज: राजस्थान हाईकोर्ट ने सेल डीड की जांच का आदेश बरकररार रखा
राजस्थान हाईकोर्ट ने यह कहते हुए कि हर मुकदमा सत्य को उजागर करने की प्रक्रिया है और अदालत में झूठे दस्तावेज़ दाखिल करना न्यायालय के साथ धोखा है, एक कथित जाली सेल डीड की सत्यता की जांच कराने के आदेश को सही ठहराया। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि अदालत का मूल उद्देश्य सत्य की खोज है और जब सत्य विफल होता है न्याय भी विफल हो जाता है।जस्टिस अनूप कुमार ढांड की पीठ ने अपनी टिप्पणी में कहा कि सत्य न्याय की नींव है, पूरा न्यायिक तंत्र वास्तविक सत्य को खोजने और स्थापित करने के लिए निर्मित किया गया। न्यायालय ने आगे...
आदिवासी क्षेत्रों के लिए विज्ञापित भर्ती से वैध उम्मीद पैदा होती है, राज्य बिना किसी कारण उम्मीदवार को कहीं और पोस्ट नहीं कर सकता: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य भर्ती के समय एक आकर्षक वादा करके बाद में बिना किसी उचित कारण के उससे पूरी तरह पीछे नहीं हट सकता।जस्टिस फरजंद अली की बेंच ने कहा कि सेवा में शामिल होने के समय उम्मीदवारों के मन में निश्चित रूप से एक वैध उम्मीद पैदा हो सकती है कि उनकी पोस्टिंग उन क्षेत्रों में या उसके आसपास होगी जिनके लिए भर्ती की गई थी खासकर जब विज्ञापन इस तरह से बनाया गया था जो ऐसे क्षेत्रों से जुड़ाव दिखाता था।2013 में मिनरल्स प्रोटेक्शन फोर्स में कांस्टेबल के पदों के लिए विज्ञापन जारी किया...
राजस्थान हाईकोर्ट ने पोस्ट-मॉर्टम रिपोर्ट को पढ़ने लायक नहीं पाए जाने के बाद फरवरी 2026 से डिजिटल मेडिको-लीगल रिपोर्ट अनिवार्य की
डॉक्टरों और मेडिकल ज्यूरिस्टों द्वारा मेडिको लीगल रिपोर्ट तैयार करने के "दयनीय तरीके" और खराब ढंग को उजागर करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश जारी किए, जिसमें 1 फरवरी, 2026 से मेडिको लीगल एग्जामिनेशन और पोस्ट मॉर्टम रिपोर्टिंग (MedLEaPR) सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल अनिवार्य कर दिया गया।जस्टिस रवि चिरानिया की बेंच आवेदक द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिस पर अपने भाई की हत्या का आरोप था। इसमें कोर्ट को पोस्ट-मॉर्टम रिपोर्ट समझने में गंभीर कठिनाई हुई।इस रोशनी में यह राय...
पति की तलाक याचिका का बदला लेने के लिए अलग होने के 20 महीने बाद दर्ज की गई FIR: हाईकोर्ट ने पत्नी की क्रूरता की FIR खारिज की
राजस्थान हाईकोर्ट ने पति के खिलाफ दर्ज की गई धारा 498ए की क्रूरता FIR को रद्द करते हुए कहा है कि यह मामला स्पष्ट रूप से प्रतिशोध (retaliation) के तौर पर दायर किया गया था। अदालत ने पाया कि पत्नी ने पति से अलग रहने के लगभग 20 महीने बाद यह FIR दर्ज कराई, और वह भी तब जब पति ने तलाक की कार्यवाही शुरू की। इस तरह की देरी और परिस्थितियाँ यह दर्शाती हैं कि मामला केवल बदला लेने के लिए दर्ज किया गया था।जस्टिस आनंद शर्मा की बेंच ने अपने फैसले में यह भी रेखांकित किया कि पत्नी ने तलाक याचिका का विरोध करते हुए...
आरोपित के निष्पक्ष मुक़दमे के अधिकार को पुलिस की निजता पर प्राथमिकता: राजस्थान हाईकोर्ट ने अधिकारी के मोबाइल लोकेशन रिकॉर्ड सुरक्षित रखने का आदेश दिया
राजस्थान हाईकोर्ट ने मादक पदार्थ नियंत्रण कानून के एक मामले में आरोपी द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों को देखते हुए महत्वपूर्ण आदेश पारित किया। आरोपी का कहना था कि जिस पुलिस अधिकारी ने उसके ख़िलाफ़ बरामदगी दिखाई वह घटना से पहले ही स्थल पर मौजूद था और उसी ने उसके पास से बरामद दिखाए गए पदार्थ को वहां रखा। इसी पृष्ठभूमि में न्यायालय ने उक्त अधिकारी के मोबाइल टावर लोकेशन का रिकॉर्ड सुरक्षित रखने का निर्देश दिया।जस्टिस अनुप कुमार ढांड ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा कि यद्यपि इस प्रकार का निर्देश पुलिस...
पूर्व में की गई निंदा कर्मचारी की पदोन्नति पर विचार करने से नहीं रोक सकती: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि किसी कर्मचारी पर लगाए गए दंड के बावजूद, विभागीय पदोन्नति समिति (DPC) पदोन्नति के लिए कर्मचारी की उपयुक्तता पर निर्णय ले सकती है और केवल लगाए गए दंड के आधार पर पदोन्नति पर विचार करने से इनकार नहीं किया जा सकता।जस्टिस फरजंद अली की पीठ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें याचिकाकर्ता (लेक्चरर) को वर्ष 2022-23 के लिए डीपीसी द्वारा केवल वर्ष 2019 में उसकी पूर्व में की गई निंदा के आधार पर पदोन्नति से वंचित करने को चुनौती दी गई, जिसमें उसे इस आधार पर पदोन्नति के लिए अयोग्य...
क्या गंभीर आर्थिक अपराध के मामलों में गिरफ्तारी वारंट जमानती वारंट में बदला जा सकता है? राजस्थान हाईकोर्ट ने मामला बड़ी पीठ को भेजा
राजस्थान हाईकोर्ट ने इस प्रश्न को बड़ी पीठ को भेज दिया कि क्या PMLA (धन शोधन निवारण अधिनियम), Custom, CGST (केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर) के प्रावधानों के तहत गंभीर आर्थिक अपराधों के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता(IPC)/भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत दंडनीय जघन्य अपराधों में गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में बदला जा सकता है।जस्टिस अनूप कुमार ढांड ने कहा,"नकली चालानों में दिखाई गई कथित आपूर्ति के आधार पर नकली ITC देने के इरादे से नकली/अस्तित्वहीन फर्मों का निर्माण करना और इस तरह विभिन्न लाभार्थियों...
3018 प्लॉट लॉटरी योजना में भ्रष्टाचार और सॉफ्टवेयर हेरफेर के आरोपों पर राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब
राजस्थान हाईकोर्ट ने भीलवाड़ा शहरी सुधार न्यास (UIT) की 3018 आवासीय प्लॉट आवंटन योजना में गंभीर अनियमितताओं, सॉफ़्टवेयर हेरफेर और भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर दायर जनहित याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया। याचिकाकर्ता का कहना है कि इस योजना में लगभग 17.6 करोड़ रुपये की आवेदन राशि जमा होने के बावजूद संपूर्ण आवंटन प्रक्रिया मनमानी, अपारदर्शी और नियम-विरुद्ध तरीके से संचालित की गई, जिससे संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन हुआ।याचिका में आरोप लगाया गया कि शुरुआत में आवेदन केवल...
40 साल तक फरार आरोपी को न पकड़ पाने पर राजस्थान हाईकोर्ट ने फटकार लगाई, भगोड़ों की तलाश के लिए विशेष सेल बनाने का आदेश
राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य में अपराध के मामलों में फरार चल रहे आरोपियों और घोषित अपराधियों को पकड़ने में पुलिस की लापरवाही पर सख्त रुख अपनाते हुए गृह विभाग के प्रधान सचिव और पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया कि ऐसे भगोड़ों का पता लगाने और उन्हें ट्रायल का सामना करवाने के लिए एक विशेष सेल का गठन किया जाए, ताकि पीड़ितों को समय पर न्याय मिल सके।जस्टिस अनूप कुमार ढांड की सिंगल बेंच ऐसे मामले पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें FIR वर्ष 1983 में दर्ज हुई थी और 1987 में आरोपी के जमानती बांड जब्त कर लिए गए। इसके...
कानून का गतिशील है समाजिक यथार्थों के अनुरूप बदलना आवश्यक: विवाह के बाद राजस्थान हाईकोर्ट ने दुष्कर्म मामला किया ख़ारिज
राजस्थान हाईकोर्ट ने यह महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए दुष्कर्म के मामले को ख़ारिज कर दिया कि किसी भी सभ्य समाज का कानून स्थिर नहीं हो सकता और उसे समय–समय पर बदलती सामाजिक परिस्थितियों और आवश्यकताओं के अनुरूप ढलना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि कानून का उद्देश्य केवल स्वीकार्य सामाजिक मानकों को निर्धारित करना ही नहीं, बल्कि यह भी तय करना है कि समाज को कब अपने हित में बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाने चाहिए।जस्टिस अनूप कुमार ढांड की सिंगल बेंच उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोपी ने अपने खिलाफ दर्ज...
बर्खास्तगी केवल लंबित आपराधिक मामले के आधार पर हुई हो तो कर्मचारी को बरी होने के बाद बहाल किया जाना चाहिए: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि यदि किसी कर्मचारी की बर्खास्तगी का मूल आधार उसके विरुद्ध लंबित आपराधिक मामला है। उस आपराधिक मामले के परिणामस्वरूप सक्षम आपराधिक न्यायालय द्वारा कर्मचारी को बरी कर दिया जाता है तो ऐसी बर्खास्तगी का आधार समाप्त हो जाता है और नियोक्ता को कर्मचारी को बहाल करना होगा।जस्टिस डॉ. पुष्पेंद्र सिंह भाटी और जस्टिस अनुरूप सिंघी की खंडपीठ ने श्रम न्यायालय और सिंगल जज की पीठ के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें उस कर्मचारी के पक्ष में फैसला सुनाया गया था, जिसे एक लंबित आपराधिक मामले के...
क्रिमिनल ट्रायल के दौरान बिना अनुमति विदेश जाने पर भी पासपोर्ट नवीनीकरण से इनकार नहीं किया जा सकता: राजस्थान हाईकोर्ट
आपराधिक मामले के लम्बित रहने पर भी दस वर्ष के लिए पासपोर्ट जारी करने के आदेश देते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि न्यायालय की बिना अनुमति के आरोपी के विदेश जाने पर विचारण न्यायालय जमानत के संबंध में समुचित आदेश पारित कर सकता है, लेकिन पासपोर्ट नवीनीकरण से इनकार नहीं कर सकता।डीडवाना निवासी रहीस खान की ओर से एडवोकेट रजाक खान हैदर ने आपराधिक विविध याचिका दायर कर हाईकोर्ट में कहा कि उसके खिलाफ वर्ष 2019 में मारपीट के आरोप में आपराधिक प्रकरण संस्थित हुआ था, जिसका विचारण अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट,...
APAR न रखने की विभागीय चूक पर कर्मचारी को सज़ा नहीं दी जा सकती: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने महत्त्वपूर्ण फैसले में साफ किया कि कर्मचारी की वार्षिक गोपनीय आख्या (ACR/APAR) संरक्षित न रख पाने की गलती यदि स्वयं विभाग की हो तो उसके आधार पर संशोधित आश्वस्त करियर प्रगति योजना (MACP) का लाभ नहीं रोका जा सकता। अदालत ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) का आदेश बरकरार रखा, जिसमें कर्मचारी के पक्ष में निर्णय दिया गया।जस्टिस विनीत कुमार माथुर और जस्टिस बिपिन गुप्ता की खंडपीठ ने कहा कि APAR को संधारित करना पूर्णतः नियोक्ता का दायित्व है और कर्मचारी का इस पर कोई नियंत्रण नहीं...
















