राज�थान हाईकोट

शारीरिक विशेषता के आधार पर भेदभाव: राजस्थान उच्च न्यायालय ने 1 सेमी कम ऊंचाई का हवाला देकर भूविज्ञानी पद से वंचित की गई महिला को राहत प्रदान की
शारीरिक विशेषता के आधार पर भेदभाव: राजस्थान उच्च न्यायालय ने 1 सेमी कम ऊंचाई का हवाला देकर भूविज्ञानी पद से वंचित की गई महिला को राहत प्रदान की

राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा महत्वपूर्ण निर्णय में फरजंद अली की पीठ ने भूविज्ञानी का पद पाने के लिए संघर्ष कर रही एक महिला को राहत प्रदान की, जिसे उसने योग्यता के आधार पर प्राप्त किया था लेकिन सरकार ने उसे इसलिए अस्वीकार कर दिया, क्योंकि उसे कुछ दिशानिर्देशों में निर्धारित न्यूनतम सीमा से 1 सेमी छोटा माना गया था।न्यायालय ने माना कि जब पद के लिए सेवा नियमों में ऊंचाई के संबंध में कोई मानदंड निर्धारित नहीं किया गया तो कुछ गैर-अनिवार्य निर्देशों के आधार पर एक मेधावी उम्मीदवार को अस्वीकार करना शारीरिक...

बहू द्वारा क्रूरता का मामला आधिकारिक कर्तव्य से संबंधित नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट ने मृतक सरकारी कर्मचारी के उत्तराधिकारियों को 21 वर्ष बाद रिटायरमेंट लाभ प्रदान किया
बहू द्वारा क्रूरता का मामला आधिकारिक कर्तव्य से संबंधित नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट ने मृतक सरकारी कर्मचारी के उत्तराधिकारियों को 21 वर्ष बाद रिटायरमेंट लाभ प्रदान किया

राजस्थान हाईकोर्ट ने मृतक सरकारी कर्मचारी के उत्तराधिकारियों को राहत प्रदान की, जिसके रिटायरमेंट लाभ को सरकार ने उसके बेटे और उसके सहित अन्य सभी परिवार के सदस्यों के खिलाफ उसकी बहू द्वारा धारा 498ए, आईपीसी के तहत मामला दर्ज करने के बाद निलंबित कर दिया था।न्यायालय ने माना कि रिटायरमेंट के समय दिए जाने वाले रिटायरमेंट लाभ कथित आपराधिक अपराध के आधार पर निलंबित नहीं किए जा सकते, जब उक्त अपराध आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन से संबंधित नहीं था।जस्टिस समीर जैन की पीठ रिटायर सरकारी कर्मचारी द्वारा दायर...

कद के आधार पर भेदभाव करना भी मौलिक अधिकारों का उल्लंघन: राजस्थान हाईकोर्ट
कद के आधार पर भेदभाव करना भी मौलिक अधिकारों का उल्लंघन: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने रिपोर्टेबल जजमेंट में कहा कि कद के आधार पर भेदभाव करना भी मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने सेवा नियमों में अपेक्षित नहीं होने के बावजूद राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा एक महिला अभ्यर्थी को उसकी ऊंचाई 140 सेमी से एक सेमी कम होने पर भूविज्ञानी पद पर नियुक्ति से इनकार करने के आदेश को विभेदकारी मानते हुए दो महीने में याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने के आदेश दिए हैं।जस्टिस फरजंद अली की बेंच ने रिपोर्टेबल जजमेंट में कहा कि भूविज्ञानी का पद पुलिस, रक्षा और अर्धसैनिक...

राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकारी परीक्षा देने के लिए डमी उम्मीदवार भेजने के आरोप में गिरफ्तार व्यक्ति को जमानत दी
राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकारी परीक्षा देने के लिए 'डमी उम्मीदवार' भेजने के आरोप में गिरफ्तार व्यक्ति को जमानत दी

राजस्थान हाईकोर्ट ने शिक्षक पद के लिए आयोजित परीक्षा में डमी भेजने के आरोप में गिरफ्तार व्यक्ति को जमानत दी। कोर्ट ने जमानत इस आधार पर दी कि उम्मीदवार को परीक्षा हॉल में नहीं पकड़ा गया था, बल्कि यह मामला परीक्षा आयोजित होने के एक साल बाद दर्ज किया गया।जस्टिस फरजंद अली की पीठ आरोपी द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। आरोप लगाया गया कि याचिकाकर्ता शिक्षक की भर्ती के लिए आयोजित परीक्षा का उम्मीदवार था और उसने अपनी ओर से परीक्षा में बैठने के लिए किसी अन्य व्यक्ति को भेजा था।आरोपी पर आईपीसी...

S.24 CPC | जिला न्यायालय के समक्ष सफल ट्रांसफर याचिका को हाईकोर्ट में दूसरी ट्रांसफर याचिका दायर करके चुनौती नहीं दी जा सकती: राजस्थान हाईकोर्ट
S.24 CPC | जिला न्यायालय के समक्ष सफल ट्रांसफर याचिका को हाईकोर्ट में दूसरी ट्रांसफर याचिका दायर करके चुनौती नहीं दी जा सकती: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि धारा 24, सीपीसी के तहत जिला न्यायालय के समक्ष सफल ट्रांसफर याचिका को धारा 24, सीपीसी के तहत दूसरी ट्रांसफर याचिका दायर करके हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती नहीं दी जा सकती।न्यायालय ने कहा कि धारा 24 जिला न्यायालय और हाईकोर्ट के समवर्ती क्षेत्राधिकार का प्रावधान करती है। इसलिए जिला न्यायालय के समक्ष असफल पक्ष समान क्षेत्राधिकार का हवाला देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है लेकिन विरोध करने वाले पक्ष को ऐसा करने की अनुमति नहीं होगी।जस्टिस मनोज कुमार गर्ग की पीठ...

अपराध की जघन्यता का हवाला देकर त्वरित सुनवाई का अधिकार नहीं छीना जा सकता: राजस्थान हाईकोर्ट ने हत्या के आरोपी को 3 साल बाद रिहा किया
अपराध की जघन्यता का हवाला देकर त्वरित सुनवाई का अधिकार नहीं छीना जा सकता: राजस्थान हाईकोर्ट ने हत्या के आरोपी को 3 साल बाद रिहा किया

राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में हत्या के आरोपी को लंबी सुनवाई के आधार पर जमानत दे दी। न्यायालय ने कहा कि त्वरित सुनवाई का अधिकार भारत के संविधान द्वारा गारंटीकृत है। इसे अपराध की गंभीरता या जघन्यता के कारण आरोपी से नहीं छीना जा सकता। यदि आरोपी जेल में बंद है तो अभियोजन पक्ष के लिए जल्द से जल्द सबूत पेश करना अनिवार्य है।जस्टिस फरजंद अली की पीठ आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो 2021 से आईपीसी की धारा 302 के तहत अपराध के लिए जेल में था। यह देखा गया कि अभियोजन पक्ष को कुल 30 गवाहों की...

राजस्थान हाईकोर्ट ने दहेज हत्या मामले में गलत, काल्पनिक तथ्य डालने के लिए जांच अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया
राजस्थान हाईकोर्ट ने दहेज हत्या मामले में गलत, 'काल्पनिक' तथ्य डालने के लिए जांच अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया

राजस्थान हाईकोर्ट ने दहेज हत्या के एक मामले में जांच और एक आईओ द्वारा दायर आरोप पत्र में गंभीर कमियों और अशुद्धि की पहचान की और डीजी पुलिस और पुलिस अधीक्षक को आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि दहेज हत्या जैसे गंभीर अपराध की जांच में आईओ के लिए उच्च स्तर की सटीकता और स्पष्टवादिता बनाए रखना अनिवार्य था।जस्टिस राजेंद्र प्रकाश सोनी की पीठ दहेज हत्या के मामले में आरोपी पति की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। यह आवेदक का मामला था कि उसकी पत्नी की मृत्यु सीढ़ियों से गिरने के कारण...

विशेषज्ञ समिति की आंसर की में केवल तभी हस्तक्षेप किया जा सकता है, जब वह स्पष्ट रूप से गलत हो, अस्पष्टता के मामले में उसे सही माना जाना चाहिए: राजस्थान हाईकोर्ट
विशेषज्ञ समिति की आंसर की में केवल तभी हस्तक्षेप किया जा सकता है, जब वह स्पष्ट रूप से गलत हो, अस्पष्टता के मामले में उसे सही माना जाना चाहिए: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने माना कि विशेषज्ञ समिति द्वारा प्रकाशित आंसर की की शुद्धता के संबंध में न्यायालय द्वारा हस्तक्षेप केवल तभी स्वीकार्य है, जब यह गलत साबित हो बिना किसी अनुमानात्मक तर्क प्रक्रिया या युक्तिकरण की प्रक्रिया के और केवल दुर्लभ या असाधारण मामलों में।यह कहा गया कि न्यायालय को उत्तरों की शुद्धता मान लेनी चाहिए। उस धारणा पर आगे बढ़ना चाहिए और संदेह की स्थिति में लाभ उम्मीदवार के बजाय परीक्षा प्राधिकरण को जाना चाहिए।चीफ जस्टिस मनींद्र मोहन श्रीवास्तव और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ...

राजस्थान हाईकोर्ट ने संशोधित आंसर की और संशोधित मेरिट सूची के कारण एक वर्ष की सेवा के बाद सरकारी पद से बर्खास्त किए गए उम्मीदवारों को राहत देने से इनकार किया
राजस्थान हाईकोर्ट ने संशोधित आंसर की और संशोधित मेरिट सूची के कारण एक वर्ष की सेवा के बाद सरकारी पद से बर्खास्त किए गए उम्मीदवारों को राहत देने से इनकार किया

राजस्थान हाईकोर्ट ने उन पीड़ित व्यक्तियों द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज किया, जिन्हें संशोधित आंसर की और परिणामी मेरिट सूची में बदलाव के कारण उनकी सेवा के एक वर्ष बाद पशुधन सहायक के पद से बर्खास्त कर दिया गया।जस्टिस समीर जैन की पीठ उन व्यक्तियों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिन्हें पद के लिए आयोजित परीक्षा में मेधावी घोषित किए जाने के बाद 2022 में पशुधन सहायक के रूप में नियुक्त किया गया। हालांकि, लगभग एक वर्ष बाद परीक्षा की मॉडल आंसर की को चुनौती देते हुए याचिका दायर की गई।मामले के...

धारा 27 के तहत इकबालिया बयान तब तक विश्वसनीय नहीं माना जाएगा, जब तक कि इसकी सत्यता की पुष्टि करने के लिए कोई सबूत न मिल जाए: राजस्थान हाईकोर्ट
धारा 27 के तहत इकबालिया बयान तब तक विश्वसनीय नहीं माना जाएगा, जब तक कि इसकी सत्यता की पुष्टि करने के लिए कोई सबूत न मिल जाए: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की धारा 27 के तहत एकत्रित की गई किसी भी जानकारी को पुलिस अधिकारी के समक्ष अभियुक्त द्वारा किए गए इकबालिया बयान को सत्यापित करने के लिए उस जानकारी के अनुसरण में कुछ बरामद करने या खोजने के द्वारा पुष्टि और समर्थन किया जाना आवश्यक है, जो अपराध के कमीशन से स्पष्ट रूप से संबंधित हो।अधिनियम की धारा 27 में प्रावधान है कि जब किसी पुलिस अधिकारी की हिरासत में किसी अभियुक्त से प्राप्त जानकारी के परिणामस्वरूप कोई तथ्य पता चलता है तो ऐसी...

झूठी चोट रिपोर्ट प्रस्तुत करना अत्यधिक घृणित, कर्तव्य की उपेक्षा: राजस्थान हाईकोर्ट ने मेडिकल अधिकारी की अनिवार्य रिटायरमेंट की पुष्टि की
झूठी चोट रिपोर्ट प्रस्तुत करना अत्यधिक घृणित, कर्तव्य की उपेक्षा: राजस्थान हाईकोर्ट ने मेडिकल अधिकारी की अनिवार्य रिटायरमेंट की पुष्टि की

राजस्थान हाईकोर्ट ने मामले में तथ्यात्मक रूप से गलत चोट रिपोर्ट प्रस्तुत करके कर्तव्य की उपेक्षा करने वाले मेडिकल अधिकारी को राहत देने से इनकार किया। आचरण को अत्यधिक घृणित मानते हुए न्यायालय ने कहा कि ऐसे आचरण के लिए अनिवार्य रिटायरमेंट कोई अनुचित दंड नहीं है, जिसके लिए न्यायालय को हस्तक्षेप करना चाहिए।यह माना गया:"यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता ने झूठी रिपोर्ट प्रस्तुत की है और अपने कर्तव्य के निर्वहन में लापरवाही की है। कोई भी चोट के मामलों में सच्ची और सही मेडिकल-कानूनी रिपोर्ट के महत्व को कम...

सिविल उपचार की उपलब्धता आपराधिक कार्यवाही को जारी रखने से इनकार करने का कोई आधार नहीं, दोनों उपचार सह-व्यापक: राजस्थान हाईकोर्ट
सिविल उपचार की उपलब्धता आपराधिक कार्यवाही को जारी रखने से इनकार करने का कोई आधार नहीं, दोनों उपचार सह-व्यापक: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि दीवानी उपाय उपलब्ध होने से आपराधिक कार्यवाही शुरू होने से नहीं रोका जा सकता। यह माना गया कि दोनों उपाय परस्पर अनन्य नहीं हैं, बल्कि सह-व्यापक हैं, जिनकी विषय-वस्तु और परिणाम अलग-अलग हैं। कोर्ट ने कहा,“यह मानना ​​अभिशाप है कि जब दीवानी उपाय उपलब्ध है, तो आपराधिक मुकदमा पूरी तरह से वर्जित है। दोनों प्रकार की कार्रवाइयां विषय-वस्तु, दायरे और महत्व में बिल्कुल भिन्न हैं। कई धोखाधड़ी वाणिज्यिक और धन संबंधी लेन-देन के दौरान की जाती हैं।” जस्टिस राजेंद्र...

NDPS Act | बरामदगी के स्थान के अलावा अन्य स्थान पर जब्ती ज्ञापन तैयार करना जब्ती को दोषपूर्ण बनाता है: राजस्थान हाईकोर्ट
NDPS Act | बरामदगी के स्थान के अलावा अन्य स्थान पर जब्ती ज्ञापन तैयार करना जब्ती को दोषपूर्ण बनाता है: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि जब्ती अधिकारी द्वारा NDPS Act के तहत प्रतिबंधित सामग्री की बरामदगी के स्थान पर जब्ती ज्ञापन तैयार किया जाना चाहिए, जैसा कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो द्वारा जारी स्थायी निर्देश के तहत निर्धारित किया गया है। ऐसा न करने पर जब्ती दोषपूर्ण हो जाती है, जिससे जब्ती के तरीके के संबंध में उचित संदेह पैदा होता है।जस्टिस राजेंद्र प्रकाश सोनी की पीठ NDPS Act के तहत आरोपित एक आरोपी द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसके पास कथित तौर पर 4 किलोग्राम से अधिक...

राजस्थान हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी से बचने के लिए पुलिस पर गोलीबारी करने वाले आरोपी को जमानत दी
राजस्थान हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी से बचने के लिए पुलिस पर गोलीबारी करने वाले आरोपी को जमानत दी

राजस्थान हाईकोर्ट ने नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (NDPS Act) के तहत गिरफ्तार आरोपी को जमानत दी। उक्त आरोपी ने गिरफ्तारी के समय पुलिसकर्मियों पर कथित तौर पर गोलीबारी की थी।आरोप है कि छापेमारी के दौरान जब कमांडो ने आरोपी को घेरना शुरू किया तो गोलीबारी हुई, जिसके परिणामस्वरूप सह-आरोपी की मौत हो गई और आवेदक घायल हो गया। पुलिस ने उनके वाहन से हथियार और पोस्ता पुआल बरामद होने का आरोप लगाया।आवेदक के वकील ने तर्क दिया कि हथियार और पोस्त की बरामदगी की बात मनगढ़ंत है। उसने घटना के दौरान...

राजस्थान हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता की प्रेग्नेंसी टर्मिनेट करने की अनुमति दी
राजस्थान हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता की प्रेग्नेंसी टर्मिनेट करने की अनुमति दी

राजस्थान हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीडि़ता की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए उसके गर्भ समापन की अनुमति दी है। जस्टिस दिनेश मेहता की एकलपीठ ने अतिआवश्यक प्रकरण के रूप में याचिका की सुनवाई करते हुए राजकीय अस्पताल, सिरोही के अधीक्षक को तीन दिन में याचिकाकर्ता के प्रेग्नेंसी टर्मिनेशन की कार्रवाई करने के निर्देश दिए।याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए वकील मनीष व्यास ने कहा कि याचिकाकर्ता दुष्कर्म की शिकारहै। सुरक्षित टर्मिनेशन के सम्बन्ध में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रग्नेंसी संशोधन अधिनियम, 2021...

नए आपराधिक कानूनों के प्रवर्तन से पहले दर्ज FIR के लिए ट्रायल/ जांच CrPC द्वारा शासित होगी, न कि BNSS द्वारा: राजस्थान हाईकोर्ट
नए आपराधिक कानूनों के प्रवर्तन से पहले दर्ज FIR के लिए ट्रायल/ जांच CrPC द्वारा शासित होगी, न कि BNSS द्वारा: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि जहां 1 जुलाई, 2023 से पहले CrPC की धारा 154 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी, यह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023, की धारा 531 (2) (A) के तहत लंबित पूछताछ/जांच होगी। इसलिए, उस एफआईआर के संबंध में पूरी बाद की जांच प्रक्रिया और यहां तक कि परीक्षण प्रक्रिया सीआरपीसी द्वारा शासित होगी न कि बीएनएसएस द्वारा।पीठ ने कहा, 'हम यहां केवल उपधारा 531(2)(A) में निहित बचत उपबंध को लेकर चिंतित हैं। इसके अवलोकन से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि न केवल लंबित मुकदमे, बल्कि...

हिंदू देवता उस जमीन को जागीर के रूप में नहीं रख सकते, जिस पर काश्तकार द्वारा या उसके माध्यम से खेती की गई हो: राजस्थान हाईकोर्ट
हिंदू देवता उस जमीन को 'जागीर' के रूप में नहीं रख सकते, जिस पर काश्तकार द्वारा या उसके माध्यम से खेती की गई हो: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने पुष्टि की है कि राजस्थान भूमि सुधार एवं जागीर पुनर्ग्रहण अधिनियम, 1952 के अनुसार, हिंदू मूर्तियां (देवता) केवल तभी जागीर के रूप में भूमि रख सकती हैं, जब ऐसी भूमि पर शेबैत/पुजारी द्वारा स्वयं या उनके द्वारा रखे गए भाड़े के मजदूर या नौकर के माध्यम से खेती की जाती है, ताकि अधिनियम के तहत पुनर्ग्रहण/अधिग्रहण से उसे बचाया जा सके। कोर्ट ने कहा,यदि भूमि काश्तकार को खेती के लिए दी गई थी या काश्तकार के माध्यम से खेती की गई थी, तो यह काश्तकार की खातेदारी बन जाती है, जिस पर काश्तकार...

अवैध, मनमाना और असंवैधानिक: राजस्थान हाईकोर्ट ने बिना जांच के सेवा से बर्खास्त कांस्टेबल को राहत दी
अवैध, मनमाना और असंवैधानिक: राजस्थान हाईकोर्ट ने बिना जांच के सेवा से बर्खास्त कांस्टेबल को राहत दी

राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम, 1958 की धारा 19 (ii) के तहत पुलिस अधीक्षक द्वारा पारित आदेश को पूरी तरह से अवैध, मनमाना और असंवैधानिक मानते हुए रद्द कर दिया है। नियमों के नियम 19 (ii) में प्रावधान है कि जहां अनुशासनात्मक प्राधिकारी को लगता है कि नियमों में निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना उचित रूप से व्यावहारिक नहीं है, तो वह जांच करने की आवश्यकता को समाप्त करते हुए ऐसे आदेश पारित कर सकता है, जो उसे उचित लगे।जस्टिस गणेश राम मीना की पीठ एक कांस्टेबल...

राजस्थान हाईकोर्ट ने कथित ड्रग तस्कर को बहन की शादी में शामिल होने के लिए जमानत देने से किया इनकार
राजस्थान हाईकोर्ट ने कथित ड्रग तस्कर को बहन की शादी में शामिल होने के लिए जमानत देने से किया इनकार

राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस अधिनियम (NDPS Act) के तहत आरोपी को अंतरिम जमानत देने से इनकार किया, जिसने अपनी बहन की शादी में शामिल होने के लिए 40 दिनों के लिए रिहा होने की मांग की थी।अंतरिम जमानत आवेदन यह कहते हुए दायर किया गया कि बहन की शादी के लिए याचिकाकर्ता का घर पर मौजूद होना जरूरी है और उसके भागने की कोई संभावना नहीं है।सरकारी अभियोजक ने रिहाई का विरोध करते हुए तर्क दिया कि बहन की शादी की आड़ में याचिकाकर्ता के फरार होने और हिरासत से बचने की...

धारा 31 राज्य वित्तीय निगम अधिनियम केवल देनदार, ज़मानत के खिलाफ दावों के प्रवर्तन के लिए प्रक्रिया प्रदान करता है, कोई डिक्री पारित नहीं की जा सकती: राजस्थान हाईकोर्ट
धारा 31 राज्य वित्तीय निगम अधिनियम केवल देनदार, ज़मानत के खिलाफ दावों के प्रवर्तन के लिए प्रक्रिया प्रदान करता है, कोई डिक्री पारित नहीं की जा सकती: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने माना है कि राज्य वित्तीय निगम अधिनियम 1951 की धारा 31 के तहत एक सफल आवेदन के संबंध में कोई भी स्वतंत्र निष्पादन याचिका सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि धारा 31 के तहत आवेदन को एक मुकदमे में वाद नहीं कहा जा सकता है जिसमें अदालत द्वारा मनी डिक्री पारित की जा सकती है।अधिनियम की धारा 31 में वित्तीय निगम द्वारा दावों के प्रवर्तन के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। राजस्थान वित्तीय निगम ने ऋण मंजूर किया था जिसे ऋणी चुकाने में विफल रहा। राशि की वसूली के लिए आरएफसी ने धारा 31 (1) (AA) के...