राज�थान हाईकोट
तीन बच्चे होने से अयोग्यता के कारण 15 वर्ष की सर्विस के बाद टर्मिनेशन अनुकंपा नियुक्ति के उद्देश्य के खिलाफ: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने उस याचिकाकर्ता को राहत प्रदान की है जिसे अनुकंपा नियुक्ति मिलने के 15 साल बाद इस आधार पर सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था कि वह तीन बच्चे होने के कारण नियुक्ति के लिए अयोग्य था। यह देखते हुए कि याचिकाकर्ता ने कोई जानकारी नहीं छिपाई और नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा उचित जांच के बाद की गई थी, न्यायालय ने बर्खास्तगी को रद्द कर दिया। अनुकंपा नियुक्ति के उद्देश्य पर ज़ोर देते हुए, जस्टिस विनीत कुमार माथुर की पीठ ने कहा कि यह सर्वमान्य स्थिति है कि अनुकंपा नियुक्ति नीतियों को...
"वेतन को मनमाने ढंग से रोकना अनुच्छेद 14 का उल्लंघन"; J&K हाईकोर्ट ने सरकार को पूरे हो चुके कामों के लिए लघु उद्योगों को लंबित भुगतान जारी करने का निर्देश दिया
श्रीनगर स्थित जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने लघु औद्योगिक इकाइयों के अधिकारों को सुदृढ़ करते हुए दोहराया कि पूर्ण हो चुके कार्यों के भुगतान को मनमाने ढंग से रोकना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। जस्टिस वसीम सादिक नरगल की पीठ ने केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन और संबंधित विभागों को निर्देश दिया कि वे सरकार द्वारा सौंपे गए कार्यों के निष्पादन हेतु पंजीकृत लघु औद्योगिक (एसएसआई) इकाई को लंबे समय से लंबित बकाया राशि जारी करें।एसएसआई इकाई की याचिका को स्वीकार करते हुए, जस्टिस नरगल...
सद्भावना के आधार पर बेदखली के लिए लगातार याचिकाएं वर्जित नहीं, भले ही इसी आधार पर पहले दायर किया गया मुकदमा खारिज कर दिया गया हो: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि बेदखली के लिए दायर याचिका वर्जित नहीं मानी जा सकती, भले ही आवश्यकता के प्रश्न पर मकान मालिक के विरुद्ध पहले भी निर्णय हो चुका हो, इस आधार पर कि मकान मालिक को भविष्य में कभी भी सद्भावना और वास्तविक आवश्यकता नहीं होगी।जस्टिस अनूप कुमार ढांड की पीठ बेदखली के लगातार मुकदमे के खिलाफ चुनौती पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता का तर्क था कि पहले भी एक बार मकान मालिक ने साड़ी की दुकान चलाने की आवश्यकता के आधार पर बेदखली का मुकदमा दायर किया, जिसे खारिज कर दिया गया। अब फिर से टूर...
नई आबकारी नीति के प्रावधान केवल नए आवेदनों पर लागू होंगे, पहले से मौजूद गोदामों पर नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने शराब लाइसेंस धारक द्वारा दायर याचिका खारिज की। इस याचिका में उसने आशंका जताई थी कि राजस्थान आबकारी एवं विधिक संयम नीति 2024-25 में संशोधन के कारण उसका लाइसेंस नवीनीकृत नहीं किया जाएगा। न्यायालय ने कहा कि याचिका समय से पहले ही दायर की जा चुकी है और नई नीति के तहत नवीनीकरण न मिलने की आशंका मात्र याचिका को बनाए रखने के लिए पर्याप्त नहीं है।जस्टिस चंद्रशेखर और जस्टिस संदीप शाह की खंडपीठ ने कहा कि यह सर्वमान्य है कि नई नीति भविष्य में भी लागू रहेगी और पुरानी नीति के तहत वैध तरीके...
राज्य को धोखाधड़ी करने वाली फर्म को उसके साथ अनुबंधात्मक संबंध बनाने से रोकने के लिए वैधानिक शक्ति की आवश्यकता नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा कि ठेकेदार को काली सूची में डालने की शक्ति अनुबंध आवंटित करने वाले पक्ष में निहित है, जबकि कानून द्वारा ऐसी शक्ति प्रदान करने की आवश्यकता नहीं है। धोखाधड़ी करने वाली फर्म को काली सूची में डालना संविदात्मक कानून के लिए विदेशी अवधारणा नहीं है। कानून में विशेष रूप से किसी भी फर्म को किसी पक्ष के साथ आगे के व्यावसायिक संबंधों में प्रवेश करने से रोकने का प्रावधान है, यदि पाया जाता है कि उसने दूसरे पक्ष के साथ धोखाधड़ी की है, तो यह माना जाता है। जस्टिस रेखा...
फेयर प्राइस शॉप लाइसेंस विवाद: आदेश की प्रति देना अनिवार्य, आवेदक को विधिक उपचार का अधिकार : राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की कार्यशैली को गंभीर लापरवाही और अवैध करार देते हुए जिला आपूर्ति अधिकारी को निर्देश दिया कि वह उस आदेश की प्रति याचिकाकर्ता को एक सप्ताह के भीतर उपलब्ध कराएं, जिसके तहत फेयर प्राइस शॉप का लाइसेंस निजी प्रतिवादी को दिया गया।जस्टिस मुनुरी लक्ष्मण की एकल पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को राजस्थान खाद्यान्न एवं अन्य आवश्यक वस्तुएं (वितरण का विनियमन) आदेश 1976 के तहत कानूनी उपाय लेने का अधिकार है और बिना उस आदेश की प्रति के, वह ऐसा करने में असमर्थ है।मामले में याचिकाकर्ता...
ब्रिटिश नागरिक बने पिता सिर्फ एक महीने में चल बसे, अंतिम संस्कार के लिए बेटे को राजस्थान हाईकोर्ट से मिली बड़ी राहत, सरकार को NOC जारी करने का आदेश
राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह भारतीय मूल के व्यक्ति के पार्थिव शरीर को यूके से भारत लाने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) जारी करे। उक्त व्यक्ति की अप्रैल 2025 में ब्रिटेन में मृत्यु हो गई थी मात्र एक माह पहले ही उसने ब्रिटिश नागरिकता प्राप्त की थी।जस्टिस सुनील बेनीवाल की एकल पीठ ने विदेश मंत्रालय के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें मृतक के बेटे को NOC देने से इनकार किया गया था।याचिकाकर्ता भाया लाल भगरिया ने कोर्ट को बताया कि उनके पिता ने मौत से एक माह पहले...
सरकारी भर्ती परीक्षा में डिग्री जालसाजी और नकल साजिश का मामला: राजस्थान हाईकोर्ट ने तीन आरोपियों को राहत देने से किया इंकार
राजस्थान हाईकोर्ट ने तीन व्यक्तियों (जिसमें एक महिला भी शामिल है) की याचिकाएं खारिज कर दीं, जिन्होंने शैक्षणिक प्रमाणपत्रों की जालसाजी और सरकारी भर्ती परीक्षा में नकल के आरोप में दर्ज FIR रद्द करने की मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि ये ऐसे गंभीर अपराध हैं, जो जनहित से जुड़े हुए हैं। FIR को समय से पहले रद्द करना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा और ईमानदार उम्मीदवारों के अधिकारों को नुकसान पहुंचाएगा।जस्टिस समीर जैन की एकल पीठ ने कहा,“FIR में लगाए गए आरोप प्रथम दृष्टया भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा...
राजस्थान हाईकोर्ट ने सड़क हादसे की शिकार युवती की मुआवजा राशि बढ़ाकर 1.9 करोड़ की, कहा- ये दान नहीं, न्याय व गरिमा की अनिवार्यता
राजस्थान हाईकोर्ट ने सड़क दुर्घटना में 21 वर्षीय युवती को 100% निचले शरीर के पक्षाघात (पैरालिसिस) के मामले में मुआवजा राशि को 1.49 करोड़ से बढ़ाकर 1.90 करोड़ कर दिया।जस्टिस गणेश राम मीणा की बेंच ने कहा कि यह सिर्फ शारीरिक चोट नहीं बल्कि युवती के जीवन की पहचान, आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास को गहरा आघात है।कोर्ट ने कहा,“यह मुआवजा कोई दया या चैरिटी नहीं बल्कि नैतिक और कानूनी ज़रूरत है। यह न्यायिक तंत्र का प्रयास है कि जो भविष्य, शरीर और स्वतंत्रता उससे छीन ली गई, उसे आंशिक रूप से ही सही, लौटाया जा...
राजस्थान हाईकोर्ट का अनोखा जमानती आदेश: आरोपी को रोज़ाना 2 घंटे करना होगा स्वच्छ भारत अभियान में काम
राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में एनडीपीएस (NDPS) आरोपी को ज़मानत पर रिहा करते हुए शर्त लगाई कि वह दो महीने तक रोजाना दो घंटे केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत मिशन में सेवा देगा।जस्टिस समीर जैन की बेंच ने यह आदेश देते हुए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 (Bhartiya Nagarika Suraksha Sanhita) में निहित 'सामुदायिक सेवा' की अवधारणा को विस्तारित किया।इस संहिता में छोटे अपराधों के लिए सजा के रूप में सामुदायिक सेवा को न्यायिक सुधार के रूप में शामिल किया गया।जस्टिस जैन ने कहा,"भारतीय न्याय संहिता में निहित...
स्वास्थ्य का अधिकार: राजस्थान हाईकोर्ट ने नागरिकों, विशेषकर बच्चों में कुपोषण/मोटापे का स्वतः संज्ञान लिया
राजस्थान हाईकोर्ट ने बच्चों में कुपोषण, अस्वस्थ खान-पान की आदतों के कारण मोटापे तथा मोबाइल फोन के अत्यधिक और बढ़ते उपयोग को गंभीरता से लेते हुए इन मुद्दों का उचित समाधान खोजने के लिए स्वतः संज्ञान लिया।अदालत ने मामले को 'स्वतः संज्ञान: नाबालिग बच्चों, महिलाओं और नागरिकों को कुपोषण या मोटापे से बचाने के संबंध में दर्ज किया, जो उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है।स्थिति पर दुख व्यक्त करते हुए, न्यायालय ने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 और खाद्य सुरक्षा और मानक...
राजस्थान हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी: बच्चों में मोबाइल की लत और जंक फूड पर लगे रोक, शिक्षा बोर्ड तैयार करें नया सिलेबस
राजस्थान हाईकोर्ट ने मंगलवार (1 जुलाई) को केंद्र और राज्य सरकार को सुझाव दिया कि सभी माध्यमिक शिक्षा बोर्डों को निर्देश दिए जाएं कि वे ऐसा पाठ्यक्रम तैयार करें, जो बच्चों में जंक फूड खाने की आदत को हतोत्साहित करे और मोबाइल फोन के अत्यधिक उपयोग पर समय-सीमा निर्धारित करने का प्रावधान करे।जस्टिस अनुप कुमार ढांड ने कहा कि मोबाइल फोन का अत्यधिक उपयोग 1 से 21 वर्ष तक की उम्र के बच्चों की शारीरिक और मानसिक सेहत पर गंभीर असर डाल रहा है। कोर्ट ने कहा कि अब सरकार, शिक्षा विभाग और अभिभावकों को जागने और...
न्यायिक फैसले रेत के टीले नहीं, जिन्हें हल्के में डगमगाया जा सके : राजस्थान हाईकोर्ट ने निष्पादित निर्णयों को दोबारा खोलने पर पक्षकारों की आलोचना की
राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया कि न्यायिक निर्णयों की पहचान उनकी स्थिरता और अंतिमता है और इन्हें हल्के में अस्थिर नहीं किया जाना चाहिए।न्यायिक फैसले रेत के टीले नहीं हैं, जो हवा और मौसम की मार से बदल जाएं, जस्टिस अनुप कुमार ढांड ने यह टिप्पणी शारीरिक प्रशिक्षण अनुदेशक (Physical Training Instructor) पद पर नियुक्ति रद्द किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए की।याचिकाकर्ता ने 19 सितंबर 2022 को पात्रता परीक्षा दी थी जिसमें वह एक विषय में असफल हो गई थी और उस पेपर को पुनर्मूल्यांकन के लिए...
राजस्थान हाईकोर्ट ने PMLA मामले में गिरफ्तार व्यक्ति को सशर्त विदेश यात्रा की दी अनुमति, कहा- विदेश यात्रा का अधिकार
राजस्थान हाईकोर्ट ने PMLA मामले में गिरफ्तार एक व्यक्ति को व्यापारिक बैठकों के लिए दुबई और सिंगापुर जाने की अनुमति दी। साथ ही दोहराया है कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत 'व्यक्तिगत स्वतंत्रता' की अभिव्यक्ति में विदेश जाने का अधिकार भी शामिल है।जस्टिस अनूप कुमार ढांड ने मेनका गांधी बनाम भारत संघ (1978) में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का उल्लेख किया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि "भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत 'व्यक्तिगत स्वतंत्रता' की अभिव्यक्ति का दायरा व्यापक है, जिसमें विदेश जाने...
बिना वजह बैंक अकाउंट को फ्रीज करना चिंता का विषय, व्यापार और व्यक्तियों पर भारी वित्तीय असर: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने जांच एजेंसियों द्वारा यांत्रिक (मैकेनिकल) तरीके से बिना उचित कारण के बैंक अकाउंट को फ्रीज किए जाने पर गंभीर चिंता व्यक्त की।जस्टिस मनोज कुमार गर्ग की एकल पीठ ने कहा कि यह एक बढ़ती हुई समस्या है, जिससे भारतीय व्यापारिक संस्थाओं और व्यक्तियों को गंभीर वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें याचिकाकर्ताओं ने अपने बैंक अकाउंट के फ्रीज किए जाने के विरुद्ध पहले आवेदन और फिर पुनरीक्षण याचिका दायर की थी, जो दोनों ही खारिज कर दी...
राजस्थान हाईकोर्ट ने उस कांस्टेबल को बरी किया, जिसकी निगरानी से दो विचाराधीन कैदी भाग गए थे
राजस्थान हाईकोर्ट ने धारा 223 (IPC) के तहत आरोपित एक पुलिस कांस्टेबल को बरी कर दिया। उन्हें दो विचाराधीन कैदियों के जेल से फरार होने के बाद आरोपित किया गया था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, जब एक पुलिस अधिकारी को सुरक्षा के साथ-साथ वायरलेस ऑपरेशन में भाग लेने जैसे दोहरे और एक साथ काम करने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है तो निगरानी बिना किसी गलती के हो, ऐसी अपेक्षाओं को और मैनपॉवर और बुनियादी ढांचे की व्यावहारिक सीमाओं को दूसरे के आमने-सामने रखकर देखा जाना चाहिए।धारा 223, IPC क्या है?धारा 223, IPC का...
राजस्थान हाईकोर्ट ने आपराधिक न्याय प्रणाली के सुधारात्मक दृष्टिकोण पर दिया जोर, गर्भवती पत्नी की देखभाल के लिए NDPS आरोपी को 60 दिन की अंतरिम जमानत दी
राजस्थान हाईकोर्ट ने NDPS (मादक पदार्थ कानून) मामले के आरोपी को नियमित जमानत देने से इनकार करते हुए उसकी गर्भवती पत्नी की देखभाल के लिए 60 दिन की अंतरिम जमानत प्रदान की। आरोपी की पत्नी कुछ ही दिनों में बच्चे को जन्म देने वाली है और परिवार में उसकी देखरेख और चिकित्सकीय सहायता के लिए कोई और मौजूद नहीं है।जस्टिस फर्जंद अली की एकल पीठ ने कहा कि भले ही यह आधार नियमित जमानत के लिए पर्याप्त न हो लेकिन एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाते हुए वैध व्यक्तिगत परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अस्थायी जमानत दी जा...
राजस्थान लघु खनिज नियम | राजस्थान हाईकोर्ट ने नियम 16(2) के तहत LOI के विस्तार के लिए लगाए गए जुर्माने की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा
राजस्थान लघु खनिज रियायत नियम, 2017 के नियम 16(2) के प्रावधान 3 की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि एक बार नियम को संवैधानिक और वैधानिक रूप से वैध मान लिया गया तो राज्य द्वारा इसके अनुपालन में की गई किसी भी कार्रवाई को केवल कठिनाई या असुविधा के आधार पर गलत नहीं ठहराया जा सकता। प्रावधान में जारी किए गए आशय पत्र (एलओआई) को एलओआई जारी करने की तिथि से ऐसी विस्तारित अवधि के लिए हर महीने वार्षिक डेड रेंट के 10% की दर से जुर्माना अदा करने की शर्त पर विस्तारित...
सीपीसी की धारा 47 के तहत पारित आदेश को कब डिक्री माना जा सकता है? राजस्थान हाईकोर्ट ने समझाया
राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा सीपीसी की धारा 47 के तहत पारित आदेश को कब डिक्री माना जा सकता है? राजस्थान उच्च न्यायालय ने समझाया सीपीसी की धारा 47 के तहत न्यायालयों द्वारा पारित आदेशों को सीपीसी के आदेश XXI नियम 58, 97 और 99 के साथ पढ़ा जाए तो उन्हें डिक्री माना जाएगा और उन पर सीपीसी की धारा 96 के तहत अपील की जा सकती है।धारा 47 सीपीसी डिक्री निष्पादित करने वाले न्यायालय द्वारा निर्धारित किए जाने वाले प्रश्नों से संबंधित है। आदेश XXI नियम 58 संपत्ति की कुर्की के दावों या आपत्तियों के न्यायनिर्णयन से...
राजस्थान हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय जोधपुर में 25% डोमिसाइल आरक्षण को बरकरार रखा
राजस्थान हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, जोधपुर (NLUJ) में 25% अधिवास-आधारित आरक्षण की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा, और निर्णय दिया कि इस तरह का आरक्षण अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करता है, क्योंकि वर्गीकरण उचित, गैर-मनमाना था और क्षेत्रीय शैक्षिक विकास को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से तर्कसंगत संबंध बनाए रखता है। जस्टिस डॉ. पुष्पेंद्र सिंह भाटी और जस्टिस चंद्र प्रकाश श्रीमाली की खंडपीठ ने कई अन्य NLU पर ध्यान दिया, जिन्होंने अपने-अपने राज्यों के आधार पर अधिवास-आधारित आरक्षण लागू किया है,...