राज�थान हाईकोट

NEET UG 2024 | राजस्थान हाईकोर्ट ने OMR शीट में देरी के कारण ग्रेस मार्क्स के लिए उम्मीदवार की याचिका पर NTA, UOI को नोटिस जारी किया
NEET UG 2024 | राजस्थान हाईकोर्ट ने OMR शीट में देरी के कारण ग्रेस मार्क्स के लिए उम्मीदवार की याचिका पर NTA, UOI को नोटिस जारी किया

राजस्थान हाईकोर्ट ने NEET UG 2024 के उम्मीदवार की याचिका के जवाब में राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) और भारत संघ (UOI) को नोटिस जारी किया, जिसने परीक्षा के दौरान OMR शीट के आवंटन में देरी के कारण समय की हानि पर ग्रेस मार्क्स की मांग करते हुए न्यायालय का रुख किया।अपनी याचिका में 19 वर्षीय तनुजा यादव ने कहा कि प्रतिवादी/परीक्षण एजेंसी ने OMR शीट आवंटित करने में देरी के बदले में उसे ग्रेस मार्क्स देने में विफल रही यह गलती है, जो पूरी तरह से परीक्षण एजेंसी की है।यह दावा करते हुए कि उसे OMR शीट 25...

वनोपज के परिवहन के संबंध में राजस्थान वन अधिनियम की धारा 41 के तहत बनाए गए नियमों का उल्लंघन गैर-संज्ञेय अपराध: हाईकोर्ट ने FIR रद्द की
वनोपज के परिवहन के संबंध में राजस्थान वन अधिनियम की धारा 41 के तहत बनाए गए नियमों का उल्लंघन गैर-संज्ञेय अपराध: हाईकोर्ट ने FIR रद्द की

राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया है कि वन उपज के पारगमन को विनियमित करने के लिए राजस्थान वन अधिनियम, 1953 की धारा 41 के तहत राज्य सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के उल्लंघन के संबंध में कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकती है।अधिनियम की धारा 42 में नियमों के उल्लंघन के लिए छह माह तक के कारावास की सजा का प्रावधान है। जस्टिस अनिल कुमार उपमन की पीठ ने मौसम खान बनाम भारत संघ और अन्य के मामले में यह फैसला सुनाया, जहां एक समन्वय पीठ ने माना कि धारा 41 के तहत अपराध पर केवल अधिकृत/सक्षम अधिकारी द्वारा शिकायत दर्ज...

वन उपज के परिवहन के संबंध में राजस्थान वन अधिनियम की धारा 41 के तहत बनाए गए नियमों का उल्लंघन गैर-संज्ञेय अपराध:  हाईकोर्ट ने एफआईआर रद्द की
वन उपज के परिवहन के संबंध में राजस्थान वन अधिनियम की धारा 41 के तहत बनाए गए नियमों का उल्लंघन गैर-संज्ञेय अपराध: हाईकोर्ट ने एफआईआर रद्द की

राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया कि वन उपज के परिवहन को विनियमित करने के लिए राजस्थान वन अधिनियम 1953 की धारा 41 के तहत राज्य सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के उल्लंघन के संबंध में कोई एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती।अधिनियम की धारा 42 में नियमों के उल्लंघन के लिए छह महीने तक के कारावास की सजा का प्रावधान है।जस्टिस अनिल कुमार उपमन की पीठ ने मौसम खान बनाम राजस्थान राज्य और अन्य पर भरोसा किया, जहां समन्वय पीठ ने माना कि धारा 41 के तहत अपराध केवल अधिकृत/सक्षम अधिकारी द्वारा शिकायत दर्ज करके ही चलाया जा सकता...

चेक डिसऑनर | पूर्व निदेशकों को उनके इस्तीफे स्वीकार किए जाने के बाद कंपनी द्वारा जारी किए गए चेक के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता: राजस्थान हाईकोर्ट
चेक डिसऑनर | पूर्व निदेशकों को उनके इस्तीफे स्वीकार किए जाने के बाद कंपनी द्वारा जारी किए गए चेक के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया है कि त्यागपत्र के बाद कंपनी द्वारा त्यागपत्र के अनुसरण में जारी किए गए चेक के अनादर के लिए निदेशक को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता। कोर्ट ने आगे कहा कि यह साबित करने के लिए कि अभियुक्त कंपनी के दिन-प्रतिदिन के मामलों के लिए जिम्मेदार था, जैसा कि एनआई अधिनियम की धारा 141 के तहत अपेक्षित है, उस प्रभाव के लिए धारा में प्रयुक्त शब्दों की पुनरावृत्ति पर्याप्त नहीं है, यह साबित करना होगा कि वह व्यक्ति किस तरह से कंपनी के कामकाज का प्रभारी था। एनआई अधिनियम की धारा 141...

भर्ती के लिए कट-ऑफ तिथियां तय करना नियोक्ता के अधिकार क्षेत्र में है, किसी को भी समायोजित करने के लिए इसमें ढील नहीं दी जा सकती: राजस्थान हाईकोर्ट
भर्ती के लिए कट-ऑफ तिथियां तय करना नियोक्ता के अधिकार क्षेत्र में है, किसी को भी समायोजित करने के लिए इसमें ढील नहीं दी जा सकती: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया है कि भर्ती प्रक्रियाओं के लिए कट-ऑफ तिथि निर्धारित करना पूरी तरह से नियोक्ता के अधिकार क्षेत्र में आता है और ऐसी कट-ऑफ तिथि सभी आवेदकों के लिए एक समान है और कुछ प्रतिभागियों के लिए इसमें छूट नहीं दी जा सकती। न्यायालय ने कहा, "यह कानून की एक स्थापित स्थिति है कि कट-ऑफ तिथि निर्धारित करना और रखना पूरी तरह से नियोक्ता के अधिकार क्षेत्र में आता है, जिसे उनकी आवश्यकताओं और संबंधित परीक्षा के प्रशासन के अनुसार तय किया जाना चाहिए और/या लगाया जाना चाहिए।"जस्टिस समीर जैन...

राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1996 | ड्यूटी के दौरान हार्ट अटैक से मरने वाले सरकारी कर्मचारी का परिवार अनुग्रह राशि पाने का हकदार: हाईकोर्ट
राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1996 | ड्यूटी के दौरान हार्ट अटैक से मरने वाले सरकारी कर्मचारी का परिवार अनुग्रह राशि पाने का हकदार: हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया है कि यदि किसी सरकारी कर्मचारी की ड्यूटी के दौरान हृदय गति रुकने से मृत्यु हो जाती है, तो वह राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1996 के नियम 75 के तहत अनुग्रह राशि पाने का हकदार है। नियम 75 में ऐसी स्थितियों का प्रावधान है, जिसमें ड्यूटी के दौरान मरने वाले सरकारी कर्मचारी के परिवार को अनुग्रह राशि पाने का हकदार माना जाता है। ज‌स्टिस गणेश राम मीना की पीठ एक सरकारी कर्मचारी की विधवा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता के पति पुलिस अधिकारी थे और सहायक...

Rajasthan Electricity (Duty) Act | अपीलीय प्राधिकारी अपने समक्ष मामले से संबंधित आदेश और अंतरिम आदेश पारित कर सकता है, जब तक कि उस पर रोक न हो: हाईकोर्ट
Rajasthan Electricity (Duty) Act | अपीलीय प्राधिकारी अपने समक्ष मामले से संबंधित आदेश और अंतरिम आदेश पारित कर सकता है, जब तक कि उस पर रोक न हो: हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी मामले पर निर्णय करते समय राजस्थान विद्युत (शुल्क) अधिनियम 1962 के तहत अपीलीय प्राधिकारी के पास मामले से संबंधित आदेश पारित करने का अधिकार है, जिसमें अंतरिम आदेश भी शामिल हैं।न्यायालय ने कहा:"हमारे विचार से अपीलीय प्राधिकारी द्वारा लिया गया दृष्टिकोण पूरी तरह से गलत है और कानून में टिकने योग्य नहीं है। यह सुस्थापित सिद्धांत है कि किसी मामले पर निर्णय लेने की शक्ति रखने वाले वैधानिक प्राधिकारी/अपीलीय प्राधिकारी के पास ऐसे आदेश पारित करने का निहित अधिकार है,...

जब तथ्यों से प्रथम दृष्टया आपराधिक अपराध का पता चलता है तो सिविल उपाय का लाभ उठाना आपराधिक कार्यवाही रद्द करने का आधार नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट
जब तथ्यों से प्रथम दृष्टया आपराधिक अपराध का पता चलता है तो सिविल उपाय का लाभ उठाना आपराधिक कार्यवाही रद्द करने का आधार नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया कि सिविल उपाय का लाभ उठाना अपने आप में उन तथ्यों के संबंध में दायर आपराधिक शिकायत रद्द करने का आधार नहीं बनता है, जो न केवल सिविल गलत बल्कि आपराधिक अपराध भी बनाते हैं।न्यायालय ने कहा,"केवल इस तथ्य के आधार पर कि शिकायतकर्ता के पास सिविल उपाय था और उसने उस उपाय का लाभ भी उठाया, याचिकाकर्ता के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की शुरुआत को आरोपित एफआईआर में जांच के प्रारंभिक चरण में रद्द करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।"जस्टिस सुदेश बंसल की पीठ याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज एफआईआर...

अग्रिम जमानत पर विचार करते समय अपराध की प्रकृति और गंभीरता को ध्यान में रखा गया: राजस्थान हाईकोर्ट ने पट्टों के जालसाजी के लिए राहत देने से इनकार किया
अग्रिम जमानत पर विचार करते समय अपराध की प्रकृति और गंभीरता को ध्यान में रखा गया: राजस्थान हाईकोर्ट ने पट्टों के जालसाजी के लिए राहत देने से इनकार किया

राजस्थान हाईकोर्ट ने अजमेर विकास प्राधिकरण द्वारा कभी जारी नहीं किए गए पट्टों के जालसाजी के लिए पांच अलग-अलग एफआईआर के तहत आरोपित व्यक्ति को अग्रिम जमानत देने से इनकार किया और इन जाली पट्टों और दस्तावेजों को वितरित करने के लिए शिकायतकर्ताओं से लाखों रुपये लिए हैं।जस्टिस अनूप कुमार ढांड की पीठ ने कहा,“अग्रिम जमानत देने के लिए आवेदन पर विचार करते समय निस्संदेह न्यायालय को प्रासंगिक कारक के रूप में आरोपी की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को ध्यान में रखना होगा। हालांकि, साथ ही न्यायालय का यह कर्तव्य है कि वह...

दिव्यांगता अधिनियम के तहत आयुक्त किसी भी कर्मचारी के रिटायरमेंट पर रोक नहीं लगा सकते: राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया
दिव्यांगता अधिनियम के तहत आयुक्त किसी भी कर्मचारी के रिटायरमेंट पर रोक नहीं लगा सकते: राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया

राजस्थान हाईकोर्ट में जस्टिस समीर जैन की पीठ ने दोहराया है कि दिव्यांग व्यक्ति (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 (Disabilities Act) के तहत आयुक्त को किसी कर्मचारी की सेवानिवृत्ति पर रोक लगाने के लिए अंतरिम निर्देश पारित करने का अधिकार नहीं है।न्यायालय राजस्थान लोक सेवा आयुक्त द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें दिव्यांगता अधिनियम के तहत आयुक्त द्वारा पारित आदेश इस आधार पर रद्द करने का निर्देश देने की मांग की गई कि आयुक्त के पास ऐसे आदेश पारित करने का कोई...

यात्रा भत्ता देने में अनियमितता कर्मचारी के स्थानांतरण आदेश की वैधता को प्रभावित नहीं करती है: राजस्थान हाईकोर्ट
यात्रा भत्ता देने में अनियमितता कर्मचारी के स्थानांतरण आदेश की वैधता को प्रभावित नहीं करती है: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस पुष्पेंद्र सिंह भाटी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा है कि यात्रा भत्ते की स्वीकार्यता के निर्धारण को किसी कर्मचारी के स्थानांतरण आदेश में गैर-इलाज योग्य दोष नहीं माना जाएगा।कोर्ट एक सरकारी कर्मचारी द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसे यात्रा भत्ता का भुगतान किए बिना दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया गया था। अपीलकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि राजस्थान यात्रा भत्ता नियम 1971 के नियम 17 में एक सरकारी कर्मचारी को यात्रा भत्ता प्रदान करने का प्रावधान है, जिसे एक स्टेशन...

आपराधिक अपीलों की लंबी सूची सुनवाई के लिए लंबित: राजस्थान हाईकोर्ट ने 10 साल की सजा काट चुके आजीवन कारावास के दोषी की सजा निलंबित की
आपराधिक अपीलों की लंबी सूची सुनवाई के लिए लंबित: राजस्थान हाईकोर्ट ने 10 साल की सजा काट चुके आजीवन कारावास के दोषी की सजा निलंबित की

राजस्थान हाईकोर्ट ने हत्या के अपराध में आजीवन कारावास की सजा पाए व्यक्ति की सजा निलंबित की। कोर्ट ने मामले में उसकी अपील लंबित रहने तक उसे जमानत पर रिहा किया। व्यक्ति ने धारा 389, सीआरपीसी के तहत आवेदन दायर किया था, जिसमें तर्क दिया गया कि वह 10 साल से अधिक समय से हिरासत में है और निकट भविष्य में अपील पर सुनवाई होने की कोई संभावना नहीं है।धारा 389 सीआरपीसी में प्रावधान है कि यदि किसी ऐसे मामले में अपील लंबित है, जिसमें किसी व्यक्ति को दोषी ठहराया गया है तो अपीलीय अदालत उस व्यक्ति की सजा निलंबित...

एक बार सुधार विंडो समाप्त हो जाने के बाद उम्मीदवारों को आवेदन पत्र में संशोधन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती: राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया
एक बार सुधार विंडो समाप्त हो जाने के बाद उम्मीदवारों को आवेदन पत्र में संशोधन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती: राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया

राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा, "किसी अभ्यर्थी की उम्मीदवारी पर केवल उसके ऑनलाइन/ऑफलाइन आवेदन पत्र में की गई प्रविष्टियों के आधार पर विचार किया जा सकता है, जिसमें भर्ती एजेंसी द्वारा दी गई अवधि के भीतर ऐसे आवेदन पत्र में किए गए सुधार/संशोधन शामिल हैं।" जस्टिस गणेश राम मीना ने दोहराया कि किसी अभ्यर्थी को आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि के बाद या आवेदन में सुधार/संशोधन करने के लिए अभ्यर्थी को दी गई अवधि और अवसर तक ऑनलाइन आवेदन पत्र में सुधार/संशोधन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।पीठ कंपाउंडर/नर्स के...

धारा 451 सीआरपीसी | जब्त संपत्ति को कबाड़ नहीं बनने दिया जा सकता, अदालत को जल्द ही कस्टडी आर्डर जारी करना चाहिए: राजस्थान हाईकोर्ट
धारा 451 सीआरपीसी | जब्त संपत्ति को कबाड़ नहीं बनने दिया जा सकता, अदालत को जल्द ही कस्टडी आर्डर जारी करना चाहिए: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया कि किसी भी आपराधिक न्यायालय में विचाराधीन मुकदमे के दौरान जब्त की गई संपत्ति की कस्टडी और निपटान के लिए धारा 451 सीआरपीसी के तहत प्रदत्त शक्ति का प्रयोग शीघ्रता से किया जाना चाहिए। जस्टिस अनिल कुमार उपमन की पीठ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें एक आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें याचिकाकर्ता की कार को छोड़ने की प्रार्थना को अस्वीकार कर दिया गया था, जिसे एनडीपीएस अधिनियम के तहत उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर के संबंध में जब्त किया गया था।याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया...

सरकारी कर्मचारियों को वांछित स्थान पर सेवा जारी रखने के लिए कोई पूर्ण संरक्षण नहीं, प्रशासनिक आवश्यकता पारिवारिक सुविधा से पहले आती है: राजस्थान हाईकोर्ट
सरकारी कर्मचारियों को वांछित स्थान पर सेवा जारी रखने के लिए कोई पूर्ण संरक्षण नहीं, प्रशासनिक आवश्यकता पारिवारिक सुविधा से पहले आती है: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया कि सरकारी कर्मचारियों के स्थानांतरण आदेशों के विरुद्ध न्यायिक समीक्षा का दायरा नगण्य है। न्यायालय ने कहा कि स्थानांतरण एक स्थानांतरणीय सरकारी नौकरी का अभिन्न अंग है, इसलिए सरकारी कर्मचारियों को अपनी पसंद के स्थान पर सेवा जारी रखने के लिए मौलिक संरक्षण प्राप्त नहीं है। जस्टिस समीर जैन की पीठ ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों की पोस्टिंग के संबंध में निर्णय पूरी तरह से उपयुक्त प्राधिकारी या विभाग के अधिकार क्षेत्र में आता है, जो विभाग के आउटपुट और सेवा दक्षता को बढ़ाता...

सर्विस अपील में बिना किसी कारण के 7 वर्षों तक निर्णय में देरी न्याय से वंचित करने के समान: राजस्थान हाईकोर्ट
सर्विस अपील में बिना किसी कारण के 7 वर्षों तक निर्णय में देरी न्याय से वंचित करने के समान: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान सिविल सर्विस (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम, 1958 के तहत अपीलीय प्राधिकारी द्वारा सर्विस अपील पर निर्णय में 7 वर्षों की देरी पर नाराजगी जताई।जस्टिस अरुण मोंगा की पीठ ने कहा,"मेरा मानना ​​है कि बिना किसी कारण के सर्विस अपील को सात वर्षों तक रोके रखना, सरासर देरी के आधार पर न्याय से वंचित करने के समान है।"न्यायालय नियमों के तहत अपीलीय आदेश के खिलाफ सरकारी शिक्षक (याचिकाकर्ता) द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई कर रहा था। अपीलीय आदेश ने जिला शिक्षा अधिकारी...

राजस्थान नगर पालिका अधिनियम की धारा 39(ई) लागू होने से पहले पार्षद को जारी किया गया चुनाव-पूर्व अयोग्यता का नोटिस वैध नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान नगर पालिका अधिनियम की धारा 39(ई) लागू होने से पहले पार्षद को जारी किया गया चुनाव-पूर्व अयोग्यता का नोटिस वैध नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 (Rajasthan Municipalities Act) की धारा 39(ई) जिसे 13 अप्रैल, 2024 को संशोधन के माध्यम से शामिल किया गया, जिससे राज्य सरकार को चुनाव-पूर्व अयोग्यता के आधार पर नगर पालिका के सदस्य को हटाने का अधिकार मिल सके, पूर्वव्यापी प्रभाव नहीं रखती।कोर्ट ने कहा,“संशोधन 13.04.2023 को किया गया और रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो दर्शाता हो या सुझाव देता हो कि यह संशोधन पूर्वव्यापी तिथि से प्रभावी हुआ है। इसलिए सभी उद्देश्यों के लिए धारा...

न्याय बिकाऊ नहीं है, समान स्थिति वाले व्यक्तियों को न्याय का लाभ न देना संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन: राजस्थान हाईकोर्ट
न्याय बिकाऊ नहीं है, समान स्थिति वाले व्यक्तियों को न्याय का लाभ न देना संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में टिप्पणी की, "न्याय बिकाने वाली चीज़ नहीं है। सभी पीड़ित व्यक्तियों को राज्य प्राधिकारियों द्वारा न्यायालय में जाने तथा समान स्थिति वाले व्यक्तियों के पक्ष में पारित समान आदेश प्राप्त करने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए, जिन्होंने पहले न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।"परिवहन विभाग द्वारा खनन विभाग के अनुरोध पर उनके वाहनों को काली सूची में डालने को चुनौती देने वाली कई रिट याचिकाओं का निपटारा करते समय यह टिप्पणी की गई।जस्टिस अनूप कुमार ढांड की पीठ ने कहा कि इसी तरह...

कर्मचारी मुआवजा अधिनियम की धारा 30 के तहत अपील में सीमित क्षेत्राधिकार, साक्ष्यों की जांच या तथ्य की जांच का जोखिम नहीं उठा सकते: राजस्थान हाईकोर्ट
कर्मचारी मुआवजा अधिनियम की धारा 30 के तहत अपील में सीमित क्षेत्राधिकार, साक्ष्यों की जांच या तथ्य की जांच का जोखिम नहीं उठा सकते: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया कि कर्मचारी मुआवजा अधिनियम (Workmen Compensation Act) की धारा 30 के तहत अपील हाईकोर्ट के क्षेत्राधिकार को केवल विधि के सारवान प्रश्नों तक सीमित करती है, जिसमें न्यायालय जांच या जांच के लिए साक्ष्यों का पुनर्मूल्यांकन नहीं कर सकता।जस्टिस नरेन्द्र सिंह ढढ्ढा की पीठ ने कहा कि तथ्यों के प्रश्न पर कर्मचारी मुआवजा आयुक्त अंतिम अधिकारी है।उन्होंने कहा,“कानून की यह स्थापित स्थिति है कि हाईकोर्ट केवल विधि के सारवान प्रश्न तक सीमित क्षेत्राधिकार दिया गया है और हाईकोर्ट दोनों...

S.427 CrPC | जुर्माना अदा न करने पर दी गई सजा को मुख्य सजा के साथ-साथ चलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती: राजस्थान हाईकोर्ट
S.427 CrPC | जुर्माना अदा न करने पर दी गई सजा को मुख्य सजा के साथ-साथ चलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी व्यक्ति को किसी अपराध के लिए दी गई अन्य मुख्य सजाओं के साथ-साथ चलने का लाभ डिफ़ॉल्ट सजाओं को नहीं मिलता।जस्टिस अनिल कुमार उपमन की पीठ ने धारा 427 सीआरपीसी से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि जुर्माना/मुआवजा अदा न करने पर दी गई सजाओं के साथ-साथ मुख्य सजाओं को चलाने की अनुमति नहीं है।पीठ ने कहा,“याचिकाकर्ता को डिफ़ॉल्ट सजाएं काटनी होंगी, क्योंकि धारा 427 सीआरपीसी के प्रावधान जुर्माना/मुआवजा अदा न करने पर दी गई सजाओं के साथ-साथ मुख्य सजाएं चलाने के...