राज�थान हाईकोट
सरकारी कर्मचारी माता-पिता की मृत्यु के बाद विधवा या तलाकशुदा हुई बेटी पेंशन नियमों के तहत “परिवार” में शामिल नहीं होगी: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने बेटियों की ओर से दायर उन रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने अपने माता-पिता, जो सरकारी कर्मचारी थे, की मृत्यु के बाद पारिवारिक पेंशन का दावा किया था। इन याचिकाओं में बेटियों ने अपने माता-पिता की मृत्यु के बाद विधवा या तलाकशुदा होने का दावा किया था। जस्टिस दिनेश मेहता की पीठ ने फैसले में कहा कि पारिवारिक पेंशन प्राप्त करने के लिए परिवार के अधिकार को निर्धारित करने की प्रासंगिक तिथि सरकारी कर्मचारी की सेवानिवृत्ति की तिथि या मृत्यु की तिथि है, और तदनुसार, पिता की...
क्या बलात्कार और POCSO Act के दोषियों को जेल से खुले शिविरों में भेजा जा सकता है? राजस्थान हाईकोर्ट ने मामले को बड़ी पीठ को भेजा
विरोधाभासी विचारों को ध्यान में रखते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने इस मुद्दे को बड़ी पीठ को भेजा कि क्या जेल में कारावास की सजा काट रहे IPC की धारा 376/POCSO Act के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराए गए कैदी को खुले शिविर में भेजा जा सकता है।जस्टिस अनूप कुमार ढांड ने जेल से खुले शिविरों में ट्रांसफर करने की मांग करने वाले व्यक्तियों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा,“इस याचिका में शामिल कानूनी मुद्दे पर कोई सटीक निर्णय नहीं है, बल्कि इस न्यायालय की विभिन्न खंडपीठों की परस्पर विरोधी राय और विचार...
यदि पुलिस जांच में आरोपी की कथित अपराध में संलिप्तता नहीं पाई जाती है तो LOC जारी रखना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ जारी लुकआउट सर्कुलर और गिरफ्तारी वारंट को रद्द करने का निर्देश दिया है जिसे पुलिस द्वारा कथित अपराध में संलिप्त नहीं पाया गया। यह निर्णय देते हुए कि जब पुलिस स्वयं उस पर मुकदमा चलाने में रुचि नहीं रखती है तो LOC जारी रखना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।जस्टिस अनूप कुमार ढांड की पीठ एक बेटे और एक मां द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिनके खिलाफ महिलाओं के खिलाफ क्रूरता का आरोप लगाते हुए FIR दर्ज की गई। इसमें उनके...
राजस्थान हाईकोर्ट ने आसाराम बापू को पुलिस हिरासत में 17 दिनों तक महाराष्ट्र में मेडिकल इलाज की अनुमति दी
राजस्थान हाईकोर्ट ने मंगलवार को नाबालिग लड़की से बलात्कार के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे स्वयंभू संत आसाराम बापू को पुलिस हिरासत में 17 दिनों तक महाराष्ट्र स्थित मल्टीडिसिप्लिनरी कार्डियक केयर अस्पताल में मेडिकल ट्रीटमेंट की अनुमति दी।जस्टिस दिनेश मेहता और जस्टिस विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा,"यह सच है कि आवेदक पिछले 12 वर्षों से सलाखों के पीछे है और वह 88 वर्ष का है तथा हृदय रोग सहित कई बीमारियों से पीड़ित है। इसलिए उचित उपचार पाने के उसके अधिकार को सुनिश्चित करने...
राजस्थान हाईकोर्ट ने आसाराम बापू को पुलिस हिरासत में 17 दिन के लिए महाराष्ट्र में इलाज की अनुमति दी
राजस्थान हाईकोर्ट ने एक नाबालिग लड़की से बलात्कार के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा काट रहे स्वयंभू बाबा आसाराम बापू को महाराष्ट्र स्थित मल्टीडिसिप्लिनरी कार्डियक केयर अस्पताल में 17 दिन की पुलिस हिरासत में इलाज कराने की मंगलवार को अनुमति दे दी।अदालत ने कहा, ''बेशक, आवेदक पिछले 12 साल से जेल में बंद है और उसकी उम्र 88 साल है और दिल की बीमारी समेत कई बीमारियों से पीड़ित है। जस्टिस दिनेश मेहता और जस्टिस विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा, ''इसलिए, उचित इलाज पाने के उसके अधिकार को...
राजस्थान हाईकोर्ट ने डेंटल मेडिकल ऑफिसर्स परीक्षा की उत्तर कुंजी को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज किया
राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर पीठ ने डेंटल मेडिकल ऑफिसर्स परीक्षा के लिए राजस्थान हेल्थ साइंस यूनिवर्सिटी (RUHS) द्वारा जारी अंतिम उत्तर कुंजी को चुनौती देने वाली कई रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया कि विवादित उत्तर कुंजी में हस्तक्षेप केवल तभी किया जा सकता है, जब वह "स्पष्ट और प्रत्यक्ष रूप से त्रुटिपूर्ण" प्रतीत हो।ऐसा करते हुए न्यायालय ने पाया कि RUHS ने संबंधित अभ्यर्थियों द्वारा मॉडल उत्तर कुंजी के विरुद्ध उठाई गई आपत्तियों को विधिवत नोट किया, जिसका विशेषज्ञों द्वारा विश्लेषण भी...
राज्य पर यौन पीड़िता को गर्भपात के अधिकार के बारे में सूचित करने का कोई दायित्व नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट ने एमटीपी नियमों पर चिंता जताई, स्वत: संज्ञान लेकर मामला शुरू किया
राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर पीठ ने कथित रूप से तस्करी और बलात्कार की शिकार अपनी बेटी के 24 सप्ताह से अधिक के गर्भ को समाप्त करने की मांग करने वाले एक पिता की याचिका को खारिज करने के आदेश को बरकरार रखते हुए इस मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लिया और कहा कि राज्य पर यौन उत्पीड़न की शिकार महिला को गर्भपात के उसके अधिकार के बारे में बताने का कोई कानूनी दायित्व नहीं है। ऐसा करते हुए न्यायालय ने पाया कि कदम उठाने में देरी के कारण कई जटिलताएं पैदा हुईं, जिसके कारण ऐसी महिलाओं को अनचाहे गर्भ को जारी रखने के...
गलाकाट प्रतिस्पर्धा के युग में फर्जी मार्कशीट के जरिए नौकरी पाने वाला उम्मीदवार समानता का दावा नहीं कर सकता: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (प्रतिवादी) के उस आदेश के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें याचिकाकर्ता की नियुक्ति इस आधार पर रद्द कर दी गई थी कि जिस एमबीए डिग्री के आधार पर नियुक्ति प्राप्त की गई थी, वह फर्जी और झूठी थी। जस्टिस दिनेश मेहता की पीठ ने याचिकाकर्ता की बाद की डिग्री के आधार पर उसकी नियुक्ति को नियमित करने की प्रार्थना को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया कि भर्ती के लिए एमबीए की डिग्री एक शर्त थी, इसलिए एक फर्जी/गैर-मान्यता प्राप्त और...
राजस्थान हाईकोर्ट ने महामारी के कारण पूर्ण शैक्षणिक सत्र में शामिल न हो पाने वाले स्टूडेंट को नवोदय विद्यालय में एडमिशन की अनुमति दी
राजस्थान हाईकोर्ट ने स्कूल जवाहर नवोदय विद्यालय में स्टूडेंट को एडमिशन देने का निर्देश दिया, जो COVID-19 के कारण कुछ महीनों की देरी से शुरू होने वाली कक्षाओं के कारण पूरे शैक्षणिक सत्र में तीसरी कक्षा में शामिल नहीं हो पाया था, जबकि चयन दिशा-निर्देशों के अनुसार उम्मीदवार को पूर्ण शैक्षणिक सत्र बिताने के बाद तीसरी चौथी और पांचवीं कक्षा उत्तीर्ण करना आवश्यक है।जस्टिस विनीत कुमार माथुर की पीठ ने कहा कि दिशा-निर्देशों में इस शर्त को निर्दिष्ट करने वाले खंड को इस तरह से उदारतापूर्वक पढ़ा जाना चाहिए...
2018 में मां द्वारा भारत लाया गया नाबालिग बेटा अमेरिकी नागरिक, भारत में अवैध प्रवासी: राजस्थान हाईकोर्ट ने पिता की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका स्वीकार की
राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर पीठ ने नाबालिग बच्चे के पिता द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका स्वीकार की, जो अमेरिका में पैदा हुआ था। पहले वहीं रहता था, उसे उसकी मां 2018 में भारत लेकर आई और वह अपने वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद भी वापस नहीं लौटा। फैसला सुनाया कि बच्चे को भारत में अवैध प्रवासी माना जाएगा।जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने आगे कहा कि न्यायालयों के शिष्टाचार के सिद्धांत के आधार पर याचिकाकर्ता के पक्ष में अमेरिकी न्यायालय द्वारा पारित अंतिम हिरासत आदेश के आलोक...
COVID-19 महामारी के दौरान अस्थायी सेवा के लिए बोनस अंक या नर्स के पद के लिए आरक्षण मांगने का कोई आधार नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने महिला नर्स के पद के लिए दिव्यांग उम्मीदवार की याचिका इस आधार पर खारिज की कि पद के आरक्षण के लिए पात्र दिव्यांगताओं को निर्दिष्ट करने वाले दिशा-निर्देश केवल एक पैर की दिव्यांगता को दर्शाते हैं और कहा कि केवल इसलिए कि उसने COVID-19 के दौरान अस्थायी रूप से पद पर सेवा की है, उसे किसी भी तरह की समानता नहीं दी जा सकती।जस्टिस अरुण मोंगा की पीठ ने यह भी रेखांकित किया कि याचिकाकर्ता के समान स्थिति वाले अन्य उम्मीदवारों को भी समान मानदंडों के तहत अयोग्य ठहराया गया। इसलिए याचिकाकर्ता...
राजस्थान हाईकोर्ट ने एएजी, विधि अधिकारियों की नियुक्तियों के खिलाफ दायर याचिका खारिज की; कहा- उनकी उपयुक्तता तय करना कार्यपालिका का अधिकार क्षेत्र
राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) और विधि अधिकारी (एलओ) की नियुक्तियों के खिलाफ दायर दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने माना कि “लश्कर-ए-हिंद” के राष्ट्रीय अध्यक्ष की ओर से दायर याचिका में दम नहीं है और यह अस्पष्ट आरोपों के आधार पर दायर की गई है। कोर्ट ने कहा, “सरकार द्वारा नियुक्त वकील की उपयुक्तता पूरी तरह से कार्यकारी निर्णय के दायरे में आता है और इस तरह के निर्णय को इस आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती कि अन्य उपयुक्त और अधिक सक्षम वकीलों को छोड़...
आरोपी की इच्छा के विरुद्ध आवाज के नमूने एकत्र करना निजता के अधिकार या आत्म-दोषी ठहराने के खिलाफ अधिकार का उल्लंघन नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 20(3) में केवल यह कहा गया है कि अभियुक्त को स्वयं के विरुद्ध गवाह बनने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है, न कि यह कि अभियुक्त को गवाह बनने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। परिणामस्वरूप, अभियुक्त से उसके आवाज के नमूने प्रस्तुत करने के लिए कहना, आत्म-दोषी ठहराने के समान नहीं है, जब दोषारोपण उस आवाज के नमूने की उपलब्ध रिकॉर्डिंग से तुलना करने पर निर्भर था।जस्टिस समीर जैन की पीठ ने आगे कहा कि बीएनएसएस की धारा 349 के तहत, विधानमंडल...
विभाग यह साबित करने में विफल रहा कि फर्में अस्तित्व में नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट ने फर्मों को फर्जी चालान जारी करने के आरोप में करदाता को जमानत दी
राजस्थान हाईकोर्ट ने फर्मों को फर्जी चालान जारी करने के आरोप में करदाता को इस आधार पर जमानत दी कि विभाग यह साबित करने में विफल रहा कि ये फर्में अस्तित्व में नहीं हैं। उनका GST पंजीकरण रद्द कर दिया गया।जस्टिस गणेश राम मीना की पीठ ने कहा कि इस बात का कोई रिकॉर्ड नहीं कि आरोपी द्वारा जारी किए गए कथित फर्जी चालान के आधार पर किसने कितना इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा किया।इस मामले में करदाता/आरोपी (याचिकाकर्ता) पर नौ फर्जी फर्मों के नाम पर फर्जी चालान जारी करने का आरोप लगाया गया, जिसके कारण ऐसे फर्जी...
राजस्थान हाईकोर्ट ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को राहत दी, जिसे ग्राम पंचायत की चूक के कारण 2016 से नियुक्ति पत्र नहीं मिला
राजस्थान हाईकोर्ट ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के पद के लिए सफल उम्मीदवार को राहत प्रदान की, जिसे 2016 में चयन सूची में मेधावी घोषित किया गया था लेकिन ग्राम पंचायत की ओर से निष्क्रियता के कारण उसे आज तक कोई नियुक्ति पत्र नहीं मिला।जस्टिस अरुण मोंगा की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को ग्राम पंचायत की ओर से निष्क्रियता या मंत्री स्तर की चूक के लिए प्रतिकूल परिणामों का सामना नहीं करना पड़ सकता है। उसे केवल प्रक्रियात्मक सहायता के लिए उसकी योग्यता से वंचित नहीं किया जा सकता है।न्यायालय याचिकाकर्ता द्वारा...
उर्दू भाषा व्यापक रूप से प्रचलित नहीं, निकाहनामा को समझने योग्य बनाने के लिए उसमें हिंदी/अंग्रेजी भी होनी चाहिए: राजस्थान हाईकोर्ट
मुस्लिम विवाहों के संबंध में राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि विवाह जैसे पवित्र रिश्ते को ऐसे दस्तावेज द्वारा मान्यता दी जानी चाहिए, जो सुस्पष्ट स्पष्ट, सुस्पष्ट और पारदर्शी हो। इसे उर्दू जैसी भाषा में जारी नहीं किया जाना चाहिए, जो समाज में व्यापक रूप से खासकर लोक सेवकों और न्यायालय के अधिकारियों के लिए ज्ञात न हो ।जस्टिस फरजंद अली की पीठ ने कहा कि यदि निकाहनामा के मुद्रित प्रोफार्मा में हिंदी या अंग्रेजी हो तो इससे जटिलताओं को हल करने में मदद मिलेगी।इसके अलावा न्यायालय ने यह भी कहा कि...
बेंचमार्क स्तर से कम विकलांगता का प्रतिशत मेधावी विकलांग उम्मीदवार को नौकरी के लिए अयोग्य नहीं ठहराएगा: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ ने एक विकलांग व्यक्ति की उम्मीदवारी को खारिज करने के लिए तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड (ओएनजीसी) पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया है, जिसे चयन प्रक्रिया में अन्यथा योग्य घोषित किया गया था, तथा उसे 30% दृष्टि दोष से पीड़ित होने के कारण चिकित्सकीय रूप से अयोग्य प्रमाणित किया गया था। ऐसा करते हुए न्यायालय ने पाया कि उम्मीदवार को केवल इसलिए खारिज करना कि वह न्यूनतम विकलांगता 40% से कम है, अर्थात बेंचमार्क विकलांगता ओएनजीसी द्वारा की गई एक अवैध कार्रवाई थी।चीफ...
आरोपी के वकील के पेश होने से इनकार करने पर ट्रायल कोर्ट ने साक्ष्य बंद करने में गलती की: राजस्थान हाईकोर्ट ने POCSO दोषसिद्धि खारिज की
राजस्थान हाईकोर्ट ने विशेष POCSO कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति (अपीलकर्ता) की दोषसिद्धि को इस आधार पर खारिज किया कि जब अपीलकर्ता के वकील ने पेश होने से इनकार किया तो उस समय एमिकस क्यूरी नियुक्त करने के बजाय ट्रायल कोर्ट ने साक्ष्य बंद कर दिए। जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने कहा कि यदि कोई वकील आरोपी के लिए पेश होने से इनकार करता है तो आरोपी का प्रतिनिधित्व करने के लिए एमिक्स क्यूरी नियुक्त करना न्यायालय का कर्तव्य है।अदालत अपीलकर्ता द्वारा दायर आपराधिक अपील पर सुनवाई...
'वकील की नेकनीयती से की गई गलती के लिए वादी को नहीं भुगतना चाहिए': राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रतिवादी को नोटिस न देने के कारण खारिज की गई अपील बहाल की
राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि कभी-कभी वादी के वकील द्वारा प्रतिवादी को अपेक्षित नोटिस न देने के कारण नेकनीयती से गलती की जा सकती है। हालांकि अति-तकनीकी दृष्टिकोण अपनाने और मामले को खारिज करने के बजाय न्यायोचित दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए।जस्टिस दिनेश मेहता की पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में माना है कि वकील की गलती के लिए वादियों को कष्ट नहीं दिया जा सकता।न्यायालय राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय न्यायाधिकरण (ट्रिब्यूनल) के आदेश के खिलाफ दायर रिट याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें...
राजस्थान सिविल सेवा नियम | जांच में लंबा समय लगने की आशंका धारा 19 के तहत अनुशासनात्मक जांच को टालने का आधार नहीं: हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि अनुशासनात्मक जांच में लंबा समय लगने की संभावना राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम, 1958 की धारा 19 (ii) को लागू करने और जांच को खत्म करने का कारण नहीं हो सकती।न्यायालय ने यह भी कहा कि कर्मचारी द्वारा साक्ष्य को प्रभावित करने या छेड़छाड़ करने की आशंका विभाग की अपनी प्रणाली में विश्वास की कमी को दर्शाती है।नियमों के नियम 19 में यह प्रावधान है कि जहां अनुशासनात्मक प्राधिकारी संतुष्ट हो कि दंड लगाने की प्रक्रिया सहित नियमों में निर्धारित...