जानिए हमारा कानून
प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की Powers
भारत के संविधान में दी गई प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की शक्तियां कुछ भागों में बांटी जा सकती हैं। जैसे कि प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की कार्यपालिका शक्ति, सैनिक शक्ति, कूटनीतिक शक्ति ,विधायिका शक्ति, न्यायिक शक्ति और आपातकालीन शक्तियां।संविधान में प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया को अनेकों कार्यपालिका शक्ति प्राप्त है। संघ की कार्यपालिका शक्ति प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया में निहित है। वह भारतीय गणतंत्र का प्रधान है। भारत की समस्त कार्यपालिका कार्यवाही प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया के नाम से की जाती है। वह देश के सभी उच्च अधिकारियों की...
Constitution में भारत की संसद का उल्लेख
संसदीय लोकतंत्र को तीन हिस्सों में बांटा गया है जिसमें कार्यपालिका के बाद विधायिका का महत्वपूर्ण स्थान है। कांस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया में केंद्रीय विधान मंडल के संदर्भ में अत्यंत विस्तृत उपबंध किए गए हैं। भारत की संसद को केंद्रीय विधान मंडल कहा जा सकता है अर्थात भारत की संसद केंद्रीय कानून बनाने का काम करती है। भारत की संसद के 3 अंग होते हैं। राष्ट्रपति राज्यसभा और लोकसभा राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों में से किसी भी सदन का सदस्य नहीं है परंतु फिर भी राष्ट्रपति संसद का अहम और महत्वपूर्ण हिस्सा है,...
Constitution में प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया के इलेक्शन की प्रोसेस
भारत का प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया अप्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुना जाता है। इसके लिए कोई सीधा चुनाव नहीं होता है अर्थात जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा ही प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया को चुन लिया जाता है। संसदीय प्रणाली के अंतर्गत प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया नाम मात्र का राष्ट्र अध्यक्ष होता है इसलिए इसके लिए कोई सीधा चुनाव नहीं होता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया के लिए जनता से सीधा चुनाव होता है। जनता द्वारा सीधे चुना गया व्यक्ति ही प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया होता है परंतु भारत की संसदीय सरकार...
Constitution में प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की पात्रता
भारतीय संविधान में भारत में संसदीय सरकार की स्थापना की है, संयुक्त राज्य अमेरिका में अध्यक्षतामक शासन व्यवस्था है। संसदीय सरकार में प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया संविधान एक अध्यक्ष होता है लेकिन वास्तविक शक्ति मंत्रिपरिषद में है जिसका प्रधान प्रधानमंत्री होता है। मंत्री परिषद लोकसभा के प्रति उत्तरदाई होती है मंत्री परिषद के सदस्य जनता के निर्वाचित प्रतिनिधि होते हैं।आर्टिकल 53 द्वारा संघ की कार्यपालिका शक्ति प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया में निहित की गई है लेकिन आर्टिकल 74 में यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि वह...
Constitution में डायरेक्टिव प्रिंसिपल क्या हैं?
कांस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया के भाग 3 के अंतर्गत मौलिक अधिकारों का उल्लेख किया गया है, इसके ठीक बाद भाग 4 में राज्य की नीति के निदेशक तत्व का उल्लेख किया गया है। भाग 4 के आर्टिकल 36 से लेकर आर्टिकल 51 तक राज्य की नीति के निदेशक तत्व समाविष्ट किये गए हैं। राज्य की नीति के निदेशक तत्व से आशय संविधान द्वारा राज्य को निर्देश दिया गया है कि राज्य किस प्रकार के तत्वों पर अपनी नीतियों का निर्धारण करेगा। राज्य इन तत्वों को ध्यान में रखकर अपनी नीतियां बनाता है और उन नीतियों से इस देश का संचालन करता है। मौलिक...
Constitution में फंडामेंटल राइट्स प्राप्त करने के लिए उपचार
कांस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया में केवल संविधान में मौलिक अधिकारों की ही घोषणा नहीं की है अपितु कोर्ट द्वारा इन मौलिक अधिकारों को प्रवर्तन कराने का रास्ता भी बताया है। संविधान निर्माताओं का ऐसा मानना था कि यदि संविधान के मौलिक अधिकारों को प्रवर्तनीय नहीं बनाया गया तो इस प्रकार के मौलिक अधिकार केवल कागज का ढेर मात्र बनकर रह जाएंगे तथा इन मौलिक अधिकारों की कोई महत्ता नहीं होगी। इन मौलिक अधिकारों को प्रवर्तनीय बनाने हेतु ही संविधान के आर्टिकल 32 से लेकर 35 तक प्रावधान किए गए। यहां पर एक बात ध्यान देने...
भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 324 के तहत Mischief पर कानून और सजा
धारा 324, भारतीय न्याय संहिता 2023, में Mischief को परिभाषित किया गया है। यह ऐसे कृत्यों को शामिल करता है जो जानबूझकर या संभावित रूप से किसी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के इरादे से किए जाते हैं।इस प्रावधान में Mischief की परिभाषा, अपराधी की मानसिक स्थिति, और नुकसान की गंभीरता के आधार पर अलग-अलग दंड दिए गए हैं। इस लेख में, धारा 324 के हर पहलू को सरल भाषा में समझाया गया है, और प्रत्येक उपधारा के उदाहरण दिए गए हैं। Mischief क्या है? (What Constitutes Mischief) धारा 324 की उपधारा (1) के अनुसार,...
क्या धारा 170 CrPC के तहत हिरासत का मतलब गिरफ्तारी है?
सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धार्थ बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य (2021) मामले में एक महत्वपूर्ण सवाल पर फैसला दिया कि क्या CrPC (Criminal Procedure Code) की 170 के तहत आरोपपत्र (Chargesheet) दाखिल करने से पहले आरोपी को अनिवार्य रूप से हिरासत (Custody) में लिया जाना चाहिए।इस निर्णय ने संविधान में निहित व्यक्तिगत स्वतंत्रता (Personal Liberty) के सिद्धांत को दोहराया और पुलिस द्वारा गिरफ्तारी के अधिकार का दुरुपयोग रोकने का प्रयास किया। धारा 170 CrPC: एक संक्षिप्त अवलोकन (Section 170 CrPC: A Brief...
लाइसेंस की अवधि और नवीनीकरण: धारा 15, आर्म्स एक्ट
आर्म्स एक्ट (Arms Act) के धारा 15 में लाइसेंस की अवधि और उसके नवीनीकरण (Renewal) से संबंधित प्रावधान दिए गए हैं। यह धारा स्पष्ट करती है कि लाइसेंस कितने समय तक वैध रहेगा और इसके नवीनीकरण की प्रक्रिया क्या होगी। साथ ही, यह धारा 13 और 14 से जुड़े प्रावधानों का भी संदर्भ देती है।लाइसेंस की वैधता अवधि (Validity Period of Licence) धारा 3 के तहत जारी किया गया लाइसेंस सामान्यतः पांच वर्षों (Five Years) के लिए वैध होता है। यह वैधता उस तारीख से शुरू होती है, जब लाइसेंस जारी किया जाता है। हालांकि,...
न्यायालय में कैदियों की उपस्थिति: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 305 और 306
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 305 और 306 उन प्रक्रियाओं और अपवादों को स्पष्ट करती हैं जो कैदियों (prisoners) की न्यायालय में उपस्थिति सुनिश्चित करने से संबंधित हैं। ये धाराएं इस अध्याय की पूर्ववर्ती प्रावधानों के साथ मिलकर न्यायिक और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को संतुलित करती हैं।जेल प्रभारी अधिकारी का कर्तव्य: धारा 305 धारा 305 के अंतर्गत, जेल प्रभारी अधिकारी (Officer in charge of prison) की यह जिम्मेदारी होती है कि वह न्यायालय के धारा 302 के तहत दिए गए आदेश का पालन सुनिश्चित करे।...
Constitution में फ्रीडम ऑफ रिलीजन
कॉन्सिटिटूशन ऑफ इंडिया के आर्टिकल 25 से लेकर 28 तक धर्म की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के संबंध में उल्लेख किया गया है। संविधान में पंथनिरपेक्ष राज्य शब्द को अभिव्यक्त रूप से उल्लेखित नहीं किया गया है परंतु इस बात का कोई संदेह नहीं हो सकता कि हमारे संविधान निर्माता ऐसा राज्य स्थापित करना चाहते थे तदनुसार संविधान के यह उपबंध बनाए गए थे। पंथनिरपेक्ष शब्द को बाद में जोड़ा गया परंतु आर्टिकल 25 में धर्म की स्वतंत्रता का उल्लेख कॉन्सिटिटूशन ऑफ इंडिया को बनाए जाने के समय से है। आर्टिकल 25, 28 इसी...
Constitution में आर्टिकल 22 में दिया गया अधिकार
कॉन्सिटिटूशन ऑफ इंडिया का आर्टिकल 22 बन्दीकरण के विरुद्ध निरोध के विरुद्ध संरक्षण उपलब्ध करता है। आर्टिकल 22 उन प्रक्रियात्मक शर्तों को विहित करता है जिसका विधान मंडल द्वारा विहित किसी प्रक्रिया में होना आवश्यक है। यदि इन प्रक्रियात्मक शर्तों का समुचित रूप से पालन नहीं किया गया है तो किसी व्यक्ति को उसके दैहिक स्वतंत्रता से वंचित करना विधि द्वारा विहित प्रक्रिया के अनुसार नहीं माना जाएगा और उसे अवैध घोषित कर दिया जाएगा। विधि और प्रक्रिया युक्तियुक्त उचित और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के...
संपत्ति के धोखाधड़ीपूर्ण हस्तांतरण और छिपाव: भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 322 और 323
भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023) में संपत्ति (Property) और ऋण (Debt) से जुड़े धोखाधड़ीपूर्ण कार्यों को रोकने के लिए प्रभावी प्रावधान (Provisions) शामिल किए गए हैं।धारा 322 और 323 ऐसे मामलों को संबोधित करती हैं जहां लोग जानबूझकर (Intentionally) या धोखाधड़ी (Fraudulently) से संपत्ति से संबंधित गलत जानकारी प्रस्तुत करते हैं या संपत्ति छिपाते हैं। ये धाराएँ धारा 320 और 321 के सिद्धांतों को आगे बढ़ाती हैं और ऋणदाताओं (Creditors) के अधिकारों को सुरक्षित करती हैं। इस लेख में...
किस परिस्थितियों में जेल अधिकारी अदालत के आदेश का पालन करने से बच सकते हैं: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023, धारा 304
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) की धारा 304 उन विशेष परिस्थितियों का उल्लेख करती है जिनमें जेल का प्रभारी अधिकारी (Officer in Charge of Prison) अदालत के धारा 302 के तहत जारी आदेश का पालन करने से बच सकता है। यह प्रावधान व्यावहारिक कठिनाइयों और कानूनी सीमाओं को ध्यान में रखते हुए न्यायिक अधिकार और प्रशासनिक आवश्यकताओं के बीच संतुलन सुनिश्चित करता है।अदालत के आदेश का पालन न करने के कारण (Grounds for Not Executing Court Orders) जेल अधिकारी निम्नलिखित...
क्या अधिकार-ए-आवास सरकारी आवास के निरंतर कब्जे को उचित ठहरा सकता है?
भारत के सुप्रीम कोर्ट ने Union of India बनाम ओंकार नाथ धर (2021) में एक महत्वपूर्ण संवैधानिक और प्रशासनिक प्रश्न पर फैसला दिया। यह मामला सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों, विस्थापित व्यक्तियों और सरकारी आवास के उद्देश्य के बीच संतुलन पर केंद्रित था।अदालत ने यह तय किया कि क्या दया (Compassion) और अधिकार-ए-आवास (Right to Shelter) के आधार पर किसी सेवानिवृत्त कर्मचारी को सरकारी आवास पर अनिश्चितकाल तक कब्जा बनाए रखने की अनुमति दी जा सकती है। मुख्य मुद्दे और प्रावधान (Key Issues and Provisions) अदालत...
शस्त्र लाइसेंस से इनकार के नियम और उनके कारण: आर्म्स एक्ट की धारा 14
आर्म्स एक्ट (Arms Act) के तहत धारा 14 यह सुनिश्चित करता है कि लाइसेंस (Licence) केवल उन्हीं व्यक्तियों को दिया जाए जो इसके योग्य हैं और जिनसे सार्वजनिक सुरक्षा (Public Safety) को खतरा नहीं हो। यह प्रावधान स्पष्ट रूप से बताता है कि किन परिस्थितियों में लाइसेंस जारी करने से इनकार किया जा सकता है।यह धारा उन लोगों को शस्त्रों और गोला-बारूद (Arms and Ammunition) से दूर रखने में मदद करता है, जो इन्हें गलत उद्देश्यों के लिए उपयोग कर सकते हैं। निषिद्ध शस्त्र और गोला-बारूद (Prohibited Arms and...
हथियार लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया और नियम : आर्म्स एक्ट, 1959 के चैप्टर III के अंतर्गत सेक्शन 13
आर्म्स एक्ट, 1959 के चैप्टर III के अंतर्गत सेक्शन 13 लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया का विवरण प्रदान करता है। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि हथियारों (arms) का लाइसेंस केवल उचित जांच और प्रक्रिया के बाद ही दिया जाए। इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य सुरक्षा और जिम्मेदारीपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करना है।लाइसेंस के लिए आवेदन प्रक्रिया (Application Process)लाइसेंस प्राप्त करने के इच्छुक व्यक्ति को लाइसेंसिंग अथॉरिटी (licensing authority) के पास आवेदन करना होगा। यह आवेदन तय फॉर्मेट में किया जाना चाहिए और...
किसी भी कैदी को जेल से बाहर न ले जाने का आदेश देने की सरकार की शक्ति : धारा 303 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) की धारा 303 सरकार को यह अधिकार देती है कि वह किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह को जेल से बाहर लाने पर रोक लगा सके, भले ही अदालत ने धारा 302 के तहत आदेश जारी किया हो। यह प्रावधान उन विशेष परिस्थितियों के लिए है जहां सार्वजनिक हित (Public Interest) या सुरक्षा (Security) से जुड़े मुद्दे सामने आते हैं।जेल से बाहर न ले जाने का आदेश (Order to Restrict Removal from Prison) - उपधारा (1) उपधारा (1) के अनुसार, राज्य सरकार...
धोखाधड़ी से संपत्ति और ऋणों का दुरुपयोग: भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 320 और 321
भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023), जो भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) का स्थान लेती है, अपराधों से संबंधित कानूनों को स्पष्ट और आधुनिक बनाने का प्रयास करती है।इसमें धारा 320 और 321 संपत्ति (Property) और ऋण (Debt) से संबंधित धोखाधड़ी के मामलों पर ध्यान केंद्रित करती हैं। ये प्रावधान (Provisions) ऋणदाताओं (Creditors) के अधिकारों की रक्षा करते हैं और संपत्ति तथा ऋणों का पारदर्शी प्रबंधन सुनिश्चित करते हैं। इस लेख में इन धाराओं की सरल भाषा में व्याख्या (Explanation)...
सत्यापन समितियों के अधिकार और सीमाएं: क्या जाति प्रमाणपत्र जांच की प्रक्रिया को दोहराया जा सकता है?
सुप्रीम कोर्ट ने जे. चित्रा बनाम जिला कलेक्टर और अध्यक्ष, राज्य स्तरीय सतर्कता समिति के मामले में यह महत्वपूर्ण सवाल उठाया कि क्या पहले से सत्यापित और अंतिम रूप प्राप्त जाति प्रमाणपत्र (Caste Certificate) को राज्य स्तरीय समिति द्वारा पुनः जांच के लिए खोला जा सकता है।यह मामला जाति प्रमाणपत्रों की सत्यापन प्रक्रिया (Verification Process) के प्रशासनिक दिशा-निर्देशों और न्याय की निष्पक्षता पर केंद्रित था। कानूनी ढांचा और प्रावधान (Legal Framework and Provisions) भारत में आरक्षण नीति (Reservation...