जानिए हमारा कानून
National Security Act में निरोध का आर्डर
इस एक्ट में धारा 3 निरोध में रखे जाने का आदेश दिए जाने की शक्ति स्टेट को देती है। इस धारा के अनुसार-(1) केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार(क) यदि किसी व्यक्ति के संबंध में संतुष्ट है, कि भारत की प्रतिरक्षा की किसी हानिकारक कार्य को रोकने के दृष्टि से जो कि भारत की सुरक्षा वैदेशिक शक्तियों से भारत के संबंध में, या(ख) यदि किसी भी विदेशी के बारे में इस बात से संतुष्ट हैं कि वह अपनी लगातार उपस्थिति भारत में विनियमित करने की दृष्टि से या भारत से स्वयं को भगाने की व्यवस्था करने की दृष्टि से प्रयत्न कर रहा...
National Security Act क्राइम रोकने का कानून
कानूनों में कुछ क़ानून ऐसे होते हैं जो रोकथाम का काम करते हैं। NSA भी ऐसा ही क़ानून है जो अपराध रोकने के उद्देश्य से बनाया गया है। भारत के संविधान का अनुच्छेद 21 व्यक्तियों को प्राण और दैहिक स्वतंत्रता प्रदान करता है परंतु अनुच्छेद 22(3) में प्रावधान निवारक निरोध के संबंध में उल्लेख करते हैं। किसी भी राज्य का यह कर्तव्य है कि राज्य सामूहिक हितों की रक्षा करें और ऐसी रक्षा करते समय उसे इस प्रकार के अधिनियम की आवश्यकता है।यदि कोई व्यक्ति बार-बार अपराधों में संलिप्त है तथा वह आए दिन कोई न कोई अपराध...
क्या PMLA मामले में ED गिरफ्तारी के बाद CrPC को दरकिनार कर पुलिस कस्टडी मांग सकती है?
PMLA और CrPC के तहत गिरफ्तारी का दायरा (Scope of Arrest under PMLA and CrPC)सुप्रीम कोर्ट ने वी. सेंथिल बालाजी बनाम राज्य (2023) में यह तय किया कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 (Prevention of Money Laundering Act – PMLA) के तहत प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate – ED) गिरफ्तारी कर सकता है और अपराध प्रक्रिया संहिता 1973 (Code of Criminal Procedure – CrPC) की धारा 167 के तहत कस्टडी (Custody) की मांग भी कर सकता है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि ED के अधिकारी पारंपरिक अर्थों में...
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 87: नियम बनाने की केंद्र सरकार की शक्ति
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 का उद्देश्य डिजिटल युग में साइबर अपराधों को नियंत्रित करना, डिजिटल दस्तावेजों की वैधता को सुनिश्चित करना और ऑनलाइन लेन-देन को कानूनी सुरक्षा प्रदान करना है। इस अधिनियम में केंद्र सरकार को विभिन्न धाराओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए नियम (Rules) बनाने का अधिकार भी दिया गया है। यह अधिकार विशेष रूप से अधिनियम की धारा 87 में बताया गया है। इस लेख में हम धारा 87 को विस्तार से समझेंगे, साथ ही इसमें उल्लिखित अन्य धाराओं का संक्षेप में उल्लेख करते हुए यह जानेंगे कि ये...
मूल्यांकन पर बिक्री का समझौता : Sales of Goods Act, 1930 की धारा 9 और 10
कीमत का निर्धारण (Ascertainment of Price)माल विक्रय अधिनियम (Sales of Goods Act), 1930 का अध्याय II अनुबंध की एक और आवश्यक शर्त (Essential Condition) - कीमत (Price) - के निर्धारण से संबंधित है। धारा 9 यह बताती है कि किसी बिक्री अनुबंध में कीमत कैसे निर्धारित की जा सकती है। धारा 9(1) के अनुसार, बिक्री अनुबंध में कीमत निम्नलिखित तीन तरीकों से तय की जा सकती है: 1. अनुबंध द्वारा निश्चित (Fixed by the Contract): यह सबसे सीधा तरीका है जहाँ खरीदार और विक्रेता स्पष्ट रूप से अनुबंध में कीमत तय करते...
राजस्थान भू राजस्व अधिनियम, 1956 की धाराएं 230–233: चल व अचल संपत्ति की जब्ती और जब्ती के बाद बिक्री का न्यायसंगत ढांचा
राजस्थान भू राजस्व अधिनियम में धाराएं 230 से 233 तक की व्यवस्थाएँ राजस्व वसूली की अंतर्निहित प्रक्रिया को गहरी, न्यायसंगत और स्पष्ट बनाती हैं। इन धाराओं के उद्देश्य डिफॉल्टर की संपत्ति को जब्त करना है लेकिन सरकारी वसूली करते समय इनकी रक्षा करना भी है कि धार्मिक या सामाजिक उपयोग में रखी गई संपत्ति को अतिक्रमण नहीं हो। आइए इसे सरल हिंदी में, उदाहरणों के साथ समझते हैं।धारा 230 – चल संपत्ति की जब्ती और बिक्री (Attachment and Sale of Movable Property)इस धारा के अनुसार, जब कोई व्यक्ति राजस्व या किराया...
Right to Information Act की धारा 24 के प्रावधान
इस एक्ट की धारा 24 यह उल्लेख करती है कि यह एक्ट कहाँ पर और किस आर्गेनाइजेशन पर लागू नहीं होता है। धारा 24 के अनुसार-(1) इस अधिनियम में अंतर्विष्ट कोई बात, केन्द्रीय सरकार द्वारा स्थापित आसूचना और सुरक्षा संगठनों को, जो दूसरी अनुसूची में विनिर्दिष्ट है या ऐसे संगठनों द्वारा उस सरकार को दी गई किसी सूचना को लागू नहीं होगी :परन्तु भ्रष्टाचार और मानव अधिकारों के अतिक्रमण के अभिकथनों से संबंधित सूचना इस उपधारा के अधीन अपवर्जित नहीं की जाएगी। परन्तु यह और कि यदि मांगी गई सूचना मानवाधिकारों के अतिक्रमण...
Right to Information Act में जुर्माना का आदेश बदला जाना
इस एक्ट से जुड़े एक मामले लुईस मैथ्यू बनाम राज्य सूचना आयुक्त, 2016 (160) ए आई सी 720 (केरल) में सूचना की ईप्सा की गयी थी कि किन परिस्थितियों के अन्तर्गत चतुर्थ प्रत्युत्तरदाता के स्वामित्याधीन भूमि को "धोदू" के रूप में परिवर्तित कर दिया गया था तथा यह सुनिश्चित किया जाये कि अभिकथित भूमि के क्षेत्र को "धोडू" के रूप में परिवर्तित किया गया था। अभिनिर्धारित किया गया कि, ईप्सित सूचना अधिनियम के अधीन परिभाषित "सूचना के अन्तर्गत नहीं आती है। संविधि के निबन्धनों के अनुसार आवेदन राजसाक्षी (अप्रूवर) आवेदन...
Sales of Goods Act, 1930 की धारा 6, 7 और 8 : वर्तमान या भविष्य का माल
वर्तमान या भविष्य का माल (Existing or Future Goods)माल विक्रय अधिनियम (Sales of Goods Act), 1930 का अध्याय II अनुबंध के निर्माण (Formation of the Contract) के एक और महत्वपूर्ण पहलू, यानी अनुबंध की विषय-वस्तु (Subject-matter of Contract) को संबोधित करता है। धारा 6 माल की प्रकृति (Nature of Goods) को परिभाषित करती है जो बिक्री अनुबंध का विषय बन सकते हैं। धारा 6(1) के अनुसार, माल जो बिक्री अनुबंध का विषय बनते हैं, वे या तो वर्तमान माल (Existing Goods) हो सकते हैं, जिनका स्वामित्व (Owned) या कब्ज़ा...
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 80 से 86 : कंपनियों द्वारा अपराध के लिए उत्तरदायित्व
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (Information Technology Act, 2000) डिजिटल युग में भारत का एक प्रमुख कानून है जो कंप्यूटर, इंटरनेट, साइबर अपराध और इलेक्ट्रॉनिक लेन-देन से संबंधित पहलुओं को नियंत्रित करता है। अध्याय XIII अधिनियम के विविध प्रावधानों (Miscellaneous Provisions) से संबंधित है, जो पुलिस अधिकारियों के विशेष अधिकारों, अधिनियम की सर्वोपरिता, और इलेक्ट्रॉनिक चेक से जुड़े नियमों को स्पष्ट करता है। इस लेख में हम विशेष रूप से धाराएं 80 से 86 तक को विस्तारपूर्वक सरल भाषा में समझेंगे।धारा 80:...
राजस्थान भू राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 225–229A: राजस्व की जिम्मेदारी, बकाया वसूली और किश्तों के माध्यम से पुनर्भुगतान
धारा 225 — सभी धारकों की संयुक्त और व्यक्तिगत जिम्मेदारीइस धारा के तहत यह स्पष्ट किया गया है कि संपत्ति के सभी धारक (holders) या सह स्वामी (co sharers) उस भूमि पर सरकारी लगान (rent) के लिए संयुक्त एवं व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होते हैं। इसका अर्थ है कि किसी एक हिस्सेदार का बकाया चुकाया न जाने पर सरकार पूरे बकाए की वसूली किसी भी भागीदार से कर सकती है। उसी तरह, किसी कार्यकारी क्षेत्र (holding) के सभी किराएदार (tenants) एवं सह किराएदार (co tenants) भी संयुक्त व्यक्ति की तरह जिम्मेदारी स्वीकारते...
क्या दहेज के मामलों में कोर्ट Arnesh Kumar के दिशा-निर्देशों को नजरअंदाज़ करके अग्रिम ज़मानत से इनकार कर सकती है?
प्रस्तावना (Introduction): गिरफ्तारी के दुरुपयोग से स्वतंत्रता की रक्षासुप्रीम कोर्ट का फैसला मोहम्मद असफाक आलम बनाम झारखंड राज्य (2023) उन मामलों में अत्यंत महत्वपूर्ण है, जहां पति या उसके परिजनों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न (Dowry Harassment) या क्रूरता (Cruelty) के आरोप में धारा 498A भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code – IPC) के तहत एफआईआर दर्ज की जाती है। कोर्ट ने यह दोहराया कि यदि अपराध 7 साल या उससे कम सजा वाला है, तो Arnesh Kumar बनाम बिहार राज्य (2014) में दिए गए दिशा-निर्देशों...
Right to Information Act सूचना नहीं दिए जाने पर अपनायी जाने वाली प्रक्रिया
इस अधिनियम में सूचना प्रदान नहीं किये जाने पर जुर्माना किये जाने का प्रावधान है। इस संबंध में इस एक्ट की धारा 20 दी गयी है जिसके अनुसार-(1) जहाँ किसी शिकायत या अपील का विनिश्चय करते समय, यथास्थिति, केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग की यह राय है कि, यथास्थिति, केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी ने, किसी युक्तियुक्त कारण के बिना सूचना के लिए कोई आवेदन प्राप्त करने से इंकार किया है या धारा 7 की उपधारा (1) के अधीन सूचना के लिए विनिर्दिष्ट समय के भीतर सूचना नहीं दी है या...
Right to Information Act में अपील एक कानूनी अधिकार
किसी भी सूचना को मांगे जाने पर सूचना के नहीं दिए जाने पर आवेदक को मिला अपील का अधिकार एक कानूनी अधिकार है। अपील का अधिकार संविधि का सृजन है। यह मूल्यवान विधिक अधिकार है, जो व्यक्ति व्यक्ति को उच्चतर फोरम के समक्ष उसकी सहायता का आश्रय लेने के लिए तथा निम्नतर फोरम की त्रुटियों को सुधरवाने के लिए प्रदान किया गया है।अधिनियम की धारा 19 (1) अपील के ऐसे अधिकार का प्रयोग ऐसे व्यक्ति द्वारा किये जाने के लिए प्रदान करती है, जो व्यक्ति व्यक्ति को जिसने अधिनियम की धारा 6 के अधीन सूचना प्राप्त करने के लिए...
क्या UAPA के तहत ज़मानत इस आधार पर दी जा सकती है कि आरोपी का आतंकवादी कृत्य से कोई सीधा संबंध नहीं है?
प्रस्तावना (Introduction): आतंकवाद निरोधक कानून और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संतुलनसुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण निर्णय वर्नन बनाम महाराष्ट्र राज्य (2023) में यह स्पष्ट किया गया कि अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ कोई प्रत्यक्ष प्रमाण (Direct Evidence) नहीं है जिससे यह साबित हो कि उसने आतंकवादी गतिविधियों (Terrorist Acts) में भाग लिया है, तो अनलॉफ़ुल एक्टिविटीज़ (प्रिवेंशन) एक्ट, 1967 (Unlawful Activities Prevention Act – UAPA) के तहत उसकी ज़मानत (Bail) से इनकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने इस...
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 82 से 84C : केंद्र सरकार का राज्य सरकार को निर्देश देने का अधिकार
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 भारत में डिजिटल दुनिया को नियंत्रित करने वाला एक प्रमुख कानून है। यह अधिनियम साइबर अपराध, इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज, डिजिटल साक्ष्य, और ऑनलाइन लेन-देन जैसे विषयों को कानूनी रूप से परिभाषित करता है। इस अधिनियम की धाराएं 82 से 84C उन प्रावधानों से जुड़ी हैं जो अधिकारियों के कर्तव्यों, उनके अधिकारों, संरक्षण और अपराध के प्रयास व उकसावे से संबंधित हैं। यह लेख इन धाराओं का सरल और व्यावहारिक विश्लेषण करता है ताकि आम पाठक भी इन कानूनी प्रावधानों को आसानी से समझ सकें। धारा...
राजस्थान भू राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 221 से 224: कम मूल्यांकित सम्पत्ति से अधिक मूल्यांकित सम्पत्ति को भुगतान
धारा 221 – कम मूल्यांकित सम्पत्ति से अधिक मूल्यांकित सम्पत्ति को भुगतान (Under-Assessed Estates to Refund to Over-Assessed Estates)धारा 221 का उद्देश्य विभाजन की प्रक्रिया में हुए राजस्व मूल्यांकन की गलतियों को ठीक करना है। यदि विभाजन के बाद यह पाया जाता है कि किसी संपत्ति का मूल्यांकन कम हो गया था (अर्थात कम लगान निर्धारित हुआ) और किसी अन्य संपत्ति पर अधिक लगान लग गया था, तो अधिक लाभ में रहने वाले संपत्ति स्वामी से तीन वर्षों तक प्रतिवर्ष उस राशि की भरपाई करवाई जा सकती है जितनी राशि से उसका...
Sales of Goods Act, 1930 की धारा 4 और 5 : बिक्री और बेचने का समझौता
बिक्री और बेचने का समझौता (Sale and Agreement to Sell)माल विक्रय अधिनियम (Sales of Goods Act), 1930 का अध्याय II अनुबंध के निर्माण (Formation of the Contract) से संबंधित है, और इसकी धारा 4 बिक्री (Sale) और बेचने के समझौते (Agreement to Sell) की अवधारणाओं (Concepts) को परिभाषित करती है। धारा 4(1) के अनुसार, माल की बिक्री का अनुबंध (Contract of Sale of Goods) एक ऐसा अनुबंध है जिसके तहत विक्रेता (Seller) एक कीमत (Price) के बदले में खरीदार (Buyer) को माल में संपत्ति (Property in Goods) हस्तांतरित...
Right to Information Act में अपील की व्यवस्था
इस एक्ट की धारा 19 में अपील की व्यवस्था की गयी है जिसके अनुसार,(1) ऐसा कोई व्यक्ति, जिसे धारा 7 की उपधारा (1) या उपधारा (3) के खण्ड (क) में विनिर्दिष्ट समय के भीतर कोई विनिश्चय प्राप्त नहीं हुआ है या जो, यथास्थिति, केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी के किसी विनिश्चय से व्यथित है, उस अवधि की समाप्ति से या ऐसे किसी विनिश्चय की प्राप्ति से तीस दिन के भीतर ऐसे अधिकारी को अपील कर सकेगा, जो प्रत्येक लोक प्राधिकरण में, यथास्थिति, केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या लोक सूचना अधिकारी की...
Right to Information Act में धारा 18 के प्रावधान
इस एक्ट की धारा 18 इनफार्मेशन कमीशन के पॉवर्स के संबंध में है जो इस प्रकार है(1) इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन रहते हुए, यथास्थिति केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य आयोग का यह कर्तव्य होगा कि वह निम्मलिखित किसी ऐसे व्यक्ति से शिकायत प्राप्त करे और उसकी जांच करे(क) जो, यथास्थिति, किसी केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी को, इस कारण से अनुरोध प्रस्तुत करने में असमर्थ रहा है कि इस अधिनियम के अधीन ऐसे अधिकारी की नियुक्ति नहीं की गई है या, यथास्थिति, केन्द्रीय सहायक लोक सूचना अधिकारी...