जानिए हमारा कानून
निर्दोष ठहराए जाने पर राज्य सरकार या जिला मजिस्ट्रेट द्वारा अपील का अधिकार: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 419
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) के अध्याय XXXI में अपील (Appeal) संबंधी प्रावधान दिए गए हैं। इस अध्याय में जहां एक ओर दोषसिद्धि (Conviction) के विरुद्ध अपील का अधिकार समझाया गया है, वहीं दूसरी ओर यह भी स्पष्ट किया गया है कि क्या किसी व्यक्ति को दोषमुक्त (Acquittal) किए जाने पर भी अपील संभव है। धारा 419 इसी विषय को विस्तार से संबोधित करती है।इस लेख में हम धारा 419 के प्रत्येक उप-खंड को सरल भाषा में समझेंगे और इससे जुड़े अन्य प्रावधानों का भी उल्लेख...
राजस्थान न्यायालय शुल्क और वाद मूल्यांकन अधिनियम की धारा 28, 29 और 30
राजस्थान न्यायालय शुल्क और वाद मूल्यांकन अधिनियम में वादों के प्रकार के अनुसार न्यायालय शुल्क की गणना की जाती है। इस लेख में हम तीन महत्वपूर्ण धाराओं — धारा 28 (Specific Relief Act के तहत कब्जे के वाद), धारा 29 (अन्य कब्जे के वाद), और धारा 30 (इज़मेन्ट से संबंधित वाद) — का विस्तृत और सरल विश्लेषण करेंगे।इन धाराओं का उद्देश्य यह है कि यदि कोई व्यक्ति किसी अचल संपत्ति (immovable property) का कब्जा चाहता है या इज़मेन्ट अधिकार (easement rights) को लागू करना चाहता है, तो उसे न्यायालय शुल्क किस प्रकार...
ज़रूरी मरम्मत की जिम्मेदारी – किरायेदार और मकान-मालिक के कर्तव्य: राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001 की धारा 24 और 24-ए
किरायेदारी संबंधों में मरम्मत (Repairs) का प्रश्न अक्सर विवाद का कारण बनता है। मकान की देखभाल, ज़रूरी मरम्मत, और खर्चों का वहन किसके द्वारा किया जाएगा — ये बातें अक्सर लिखित समझौते में तय होती हैं। लेकिन जब ऐसा कोई लिखित समझौता (Written Agreement) नहीं होता, तो राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001 की धारा 24 (Section 24 of the Rajasthan Rent Control Act, 2001) इन जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से निर्धारित करती है।धारा 24 बताती है कि मरम्मत का खर्च कितनी राशि तक किरायेदार को वहन करना होगा और किस...
क्या एयरबैग जैसे Safety Feature के नाकाम होने पर कार निर्माता को सज़ा मिलनी चाहिए?
सुप्रीम कोर्ट ने Hyundai Motor India Ltd. बनाम Shailendra Bhatnagar मामले में यह महत्वपूर्ण सवाल उठाया कि क्या कार में दिए गए Safety Feature, जैसे एयरबैग (Airbag), अगर सही समय पर काम न करें, तो क्या यह "डिफेक्ट" (Defect) माना जाएगा और क्या कार निर्माता को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है? इस फैसले में कोर्ट ने Consumer Protection Act, 1986 और Sale of Goods Act, 1930 की कानूनी व्याख्या (Interpretation) करते हुए उपभोक्ताओं (Consumers) के अधिकारों को मज़बूती से सामने रखा।उपभोक्ता कानून का दायरा...
राजस्थान न्यायालय शुल्क अधिनियम की धारा 27 : Trust Property से संबंधित वादों में न्यायालय शुल्क
राजस्थान न्यायालय शुल्क और वाद मूल्यांकन अधिनियम की धारा 27 एक विशेष और महत्वपूर्ण धारा है, जो विशेष रूप से विश्वास संपत्ति (Trust Property) से संबंधित वादों में न्यायालय शुल्क (Court Fees) के निर्धारण से जुड़ी है। यह धारा तब लागू होती है जब कोई व्यक्ति या संस्था अदालत में ऐसे विवादों को लेकर जाती है जो किसी ट्रस्ट की संपत्ति, ट्रस्टी का अधिकार, या ट्रस्टी के बीच विवादों से जुड़े होते हैं।धारा 27 का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ट्रस्ट या धर्मार्थ संपत्तियों से संबंधित मुकदमों में न्याय की...
किरायेदार को दी जा रही सुविधाएं बंद करने पर रोक – राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001 की धारा 23
कई बार मकान-मालिक (Landlord) और किरायेदार (Tenant) के बीच विवाद की स्थिति में मकान-मालिक जानबूझकर किरायेदार को दी जा रही आवश्यक सुविधाएं (Amenities) जैसे बिजली, पानी, सफाई, पार्किंग आदि बंद कर देता है। इससे किरायेदार को असुविधा होती है और कई बार उसे मकान खाली करने के लिए मजबूर भी किया जाता है।राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001 की धारा 23 (Section 23 of the Rajasthan Rent Control Act, 2001) इस तरह की मनमानी पर रोक लगाती है। यह धारा सुनिश्चित करती है कि जब तक Rent Authority की अनुमति न हो, तब...
धारा 418 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 – जब सरकार अपर्याप्त सजा के खिलाफ अपील करती है
संदर्भ (Reference): इससे पहले के लेखों में हमने धारा 415, 416 और 417 के अंतर्गत यह समझा कि कौन व्यक्ति अपील कर सकता है, और किन परिस्थितियों में अपील का अधिकार नहीं होता। अब हम धारा 418 के माध्यम से यह जानेंगे कि राज्य सरकार या केंद्र सरकार किस स्थिति में यह मानते हुए कि किसी दोषी को मिली सजा बहुत कम (Inadequate) है, उसके खिलाफ अपील कर सकती है।अपील की अनुमति – जब सजा अपर्याप्त हो धारा 418 के अनुसार, जब किसी व्यक्ति को अपराध के लिए दोषी ठहराया गया हो और उसे जो सजा दी गई हो, वह सरकार को अपर्याप्त...
क्या किसी Criminal Case को सिर्फ Political Rival के दर्ज कराने पर रद्द किया जा सकता है?
सुप्रीम कोर्ट ने Ramveer Upadhyay & Anr. v. State of U.P. & Anr. मामले में यह महत्वपूर्ण सवाल उठाया कि क्या किसी Criminal Case को सिर्फ इसलिए खारिज (Quash) किया जा सकता है क्योंकि वह मामला Political Rival द्वारा दर्ज कराया गया है? इस फैसले में कोर्ट ने CrPC की धारा 482 (Section 482 of CrPC), Complaint को शुरुआती स्तर पर खारिज करने की प्रक्रिया, और Political Rivalry के प्रभाव को गहराई से समझाया। इस लेख में हम कोर्ट द्वारा तय किए गए महत्वपूर्ण कानून बिंदुओं को सरल भाषा में समझेंगे।धारा 482...
सुप्रीम कोर्ट अपने लंबित मामलों को कैसे कम कर सकता है? आइये जानते हैं
वर्तमान में, भारत के सुप्रीम कोर्ट में 81,712 मामले लंबित हैं। न्यायालय में लंबित मामलों की संख्या नागरिकों को अपने मामलों के निर्णय के लिए प्रतीक्षा करने में लगने वाले समय को बढ़ा देती है। यह संवैधानिक मामलों की सुनवाई में भी देरी करता है जो महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों को सुलझाते हैं क्योंकि मुख्य न्यायाधीशों को नियमित मामलों की सुनवाई और संवैधानिक मामलों के बीच निरंतर संतुलन बनाए रखना चाहिए। लंबित मामलों से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पास कोई सुसंगत रणनीति न होने के दो कारण हैं, पहला,...
NI Act की धारा 93,94,97 और 98 के प्रावधान
अधिनियम की धारा 93 में अप्रतिग्रहण या असंदाय लिखत के अनादर की सूचना देने की अपेक्षा की गई है-उन सब पक्षकारों को, जिन्हें कि धारक उस पर अलग-अलग दायी बनाना चाहता है।उन कई पक्षकारों में से किसी एक को, जिन्हें कि वह उस पर संयुक्तत: दायी बनाना।चेक की दशा में असंदाय की दशा में लेखोवाल को आपराधिक आवद्धता से भारित करने में चाहता है।अनादर के पश्चात् माँग सूचना भेजना आवश्यक होता है। (धारा 138) अनादर की सूचना क्यों?- अनादर की सूचना देने का प्रयोजन संदाय की माँग करना नहीं होता है, बल्कि उसकी आबद्धता को...
NI Act में किसी इंस्ट्रूमेंट के बाउंस हो जाने पर इन्फॉर्म करना
किसी भी इंस्ट्रूमेंट के बाउंस हो जाने पर उसकी सूचना प्रेषित करना होती है। परक्राम्य लिखत में विनिमय पत्र एवं चेक की दशा में एक निश्चित धनराशि के संदाय करने का आदेश एवं वचन पत्र की दशा में निश्चित धनराशि के संदाय का वचन अन्तर्विष्ट होता है। ऐसी आबद्धता संविदात्मक सम्बन्ध भी उत्पन्न करती है। जब यह आबद्धता उन्मोचित हो जाती है तो यह कहा जाता है कि लिखत का आदरण कर दिया गया है एवं मना करने की दशा में यह कहा जाता है कि लिखत का अनादर कर दिया गया है एवं यह संविदा भंग होता है।एक लिखत का अनादर हो सकता...
धारा 416 और 417 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 – जब अपील का अधिकार नहीं होता
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bhartiya Nagarik Suraksha Sanhita - BNSS) में जहाँ एक ओर धारा 415 यह बताती है कि दोषसिद्ध व्यक्ति (Convicted Person) को किन परिस्थितियों में अपील (Appeal) का अधिकार होगा, वहीं धारा 416 और 417 यह स्पष्ट करती हैं कि कुछ विशेष स्थितियों में अपील का अधिकार नहीं होगा।इन धाराओं का उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया को अनावश्यक अपीलों से बचाना है, खासकर तब जब मामला बहुत साधारण हो या जब व्यक्ति ने खुद ही अपराध स्वीकार कर लिया हो। धारा 416 – जब आरोपी ने अपराध स्वीकार कर लिया...
किराया न स्वीकारने या संदेह की स्थिति में किराया प्राधिकरण के पास किराया जमा कराने की प्रक्रिया – राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001 की धारा 22-जी
राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001 (Rajasthan Rent Control Act, 2001) की धारा 22-जी (Section 22-G) किरायेदार (Tenant) को यह अधिकार देती है कि जब मकान-मालिक (Landlord) किराया स्वीकार करने से इनकार कर दे या जब यह स्पष्ट न हो कि किराया किसे दिया जाना चाहिए, तब किरायेदार Rent Authority के पास वह किराया जमा कर सके। यह प्रावधान खासकर उन मामलों में बेहद महत्वपूर्ण है जहाँ मकान-मालिक और किरायेदार के बीच विवाद (Dispute) हो या संपत्ति को लेकर स्वामित्व (Ownership) का झगड़ा चल रहा हो।इस लेख में हम धारा...
Injunction से संबंधित वादों में न्यायालय शुल्क की गणना – धारा 26 राजस्थान न्यायालय शुल्क अधिनियम
राजस्थान न्यायालय शुल्क और वाद मूल्यांकन अधिनियम की धारा 26 उन वादों से संबंधित है जिनमें वादी अदालत से निषेधाज्ञा (injunction) की मांग करता है। निषेधाज्ञा एक प्रकार का आदेश होता है जिसमें अदालत प्रतिवादी को किसी कार्य को करने या न करने का निर्देश देती है। यह धारा बताती है कि ऐसे वादों में न्यायालय शुल्क कैसे गणना किया जाएगा।धारा 26 की व्याख्या करने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि इस अधिनियम में विभिन्न प्रकार के वादों के लिए अलग-अलग शुल्क निर्धारण की व्यवस्था की गई है: • धारा 21: धन की वसूली...
क्या फ्लैट खरीदार को देर से कब्ज़ा मिलने पर Consumer Law के तहत Refund और Compensation मिल सकता है?
Experion Developers Pvt. Ltd. बनाम Sushma Ashok Shiroor (2022) में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय उन अहम कानूनी और संवैधानिक (Constitutional) सवालों को छूता है जो खासकर Real Estate विवादों में उपभोक्ताओं (Consumers) के अधिकारों से जुड़े हैं।इस फैसले में कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि अगर कोई Homebuyer, जो कि एक Consumer है, उसे फ्लैट का कब्जा समय पर नहीं मिलता, तो वह Consumer Protection Act, 1986 के तहत Refund और Compensation की मांग कर सकता है, भले ही RERA (Real Estate Regulation and Development Act,...
NI Act के किसी इंस्ट्रूमेंट में दिखाई देने वाले बदलाव
धारा 89 की योजना है कि कोई भी किया गया तात्विक बदलाव लिखत पर दृश्यमान होना चाहिए, यदि यह ऐसा नहीं है वहाँ सम्यक् अनुक्रम में किया गया पेमेंट बाध्यकारी होगा और एक सही एवं मान्य पेमेंट माना जाएगा। इस धारा के अनुसार यदि :-कोई वचन पत्र, विनिमय या चेकतात्विक रूप में परिवर्तित है,परन्तु ऐसा किया गया बदलाव दिखाई नहीं देता है, याजहाँ चेक को पेमेंट के लिए उपस्थापित किया गया है,जो उपस्थापन के समयरेखांकित है, दिखाई नहीं देता, यारेखांकन है, परन्तु उसे मिटा दिया गया है,व्यक्ति बैंकर जो पेमेंट करने के लिए...
NI Act में किसी इंस्ट्रूमेंट में बदलाव करना
यह सामान्य सिद्धान्त है कि कोई भी तात्विक बदलाव लिखत को, ऐसे बदलाव के समय उसका पक्षकार है, के विरुद्ध शून्य बनाने का प्रभाव रखता है। परन्तु ऐसा लिखत बदलाव के पूर्व के पक्षकारों में विधिमान्य बना रहेगा।यह नियम इस सिद्धान्त पर आधारित है कि ऐसे बदलाव से लिखत की पहचान नष्ट होती है और पक्षकारों को ऐसी परिस्थिति में दायी ठहराना होगा जिसके लिए उन्होंने कभी करार न किया हो। लिखत का बदलाव उसके कूटरचना से भिन्न होता है कूटरचना लिखत को निष्प्रभावी एवं शून्य बनाता है।इस धारा के अधीन बदलाव के लिए निम्नलिखित...
पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी को 187 साल की सजा क्यों मिली? क्या कहता है बच्चों की सुरक्षा के लिए कानून?
Taliparamba Fast-Track Court ने हाल ही में एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाया, जिसमें एक मदरसा शिक्षक को 187 वर्ष की सजा सुनाई गई। यह निर्णय एक 16 वर्षीय बच्ची के साथ दो वर्षों से अधिक समय तक हुए यौन शोषण के मामले में आया। इस मामले ने पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया और यह प्रश्न उठाया कि बच्चों के विरुद्ध यौन अपराधों के मामलों में POCSO अधिनियम किस प्रकार कार्य करता है और इसकी सजा कितनी कठोर हो सकती है।इस लेख में हम सरल भाषा में समझेंगे: • POCSO अधिनियम क्या है? • इसमें कौन-कौन से अपराध (Offences) आते...
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 415: सजा के खिलाफ अपील का अधिकार
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bhartiya Nagarik Suraksha Sanhita - BNSS) के तहत भारत की आपराधिक न्याय व्यवस्था में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। इस संहिता का अध्याय 31 (Chapter XXXI) "अपीलें" (Appeals) से संबंधित है। इसी अध्याय की धारा 415 (Section 415) में यह बताया गया है कि सजा पाए व्यक्ति को किन परिस्थितियों में और किस न्यायालय में अपील करने का अधिकार है।अपील (Appeal) कानून में एक बहुत ज़रूरी उपाय (Remedy) है, जो किसी दोषसिद्ध व्यक्ति (Convicted Person) को अदालत के फैसले के खिलाफ अपनी...
घोषणात्मक डिक्री से संबंधित वादों में न्यायालय शुल्क की गणना – धारा 24 राजस्थान कोर्ट फीस एक्ट
राजस्थान न्यायालय शुल्क और वाद मूल्यांकन अधिनियम की धारा 24 उन वादों पर लागू होती है जिनमें वादी केवल एक घोषणा (Declaration) चाहता है, चाहे उसके साथ किसी अन्य राहत (Relief) की भी मांग हो या नहीं। इस धारा में विस्तार से बताया गया है कि ऐसी घोषणात्मक डिक्री या आदेश के लिए शुल्क किस प्रकार से गणना किया जाएगा। यह धारा उस स्थिति पर लागू होती है जब वाद धारा 25 के अंतर्गत नहीं आता हो।धारा 24 में कुल पांच उपखंड (a से e) दिए गए हैं, जो विभिन्न प्रकार की घोषणात्मक याचिकाओं को अलग-अलग परिस्थितियों में...