जानिए हमारा कानून
NI Act की धारा 47 और 48 के प्रावधान
धारा 47 एवं 48 के अनुसारकोई लिखत जब खो जाता हैकोई लिखत अभिप्राप्त किया गया है।(क) अपराध से(ख) कपट से(ग) विधिविरुद्ध प्रतिफल से,ऐसा कब्जाधारी या पृष्ठांकिती देय लिखत के देय रकम पाने का हकदार नहीं होगा।जब तक कि ऐसा कब्जाधारी या पृष्ठांकिती सम्यक् अनुक्रम धारक नहीं है, या ऐसा कब्जाधारी या पृष्ठांकिती जिससे वह दावा करता है, सम्यक् अनुक्रम धारक है। धारा 58 की प्रयोज्यता धारा 47 एवं 48 पर धारा 47 एवं 45 का प्रारम्भ होने वाला वाक्य यह स्पष्ट करता है कि धारा 58 उक्त दोनों धाराओं पर एक सीमा के रूप में...
NI Act में Endorsement से Negotiation
वाहक को देय लिखत का पृष्ठांकन एक वाहक को देय लिखत के Negotiation के लिए पृष्ठांकन की आवश्यकता नहीं होती है। ऐसे वाहक को देय लिखत का Negotiation धारा 46 के अनुसार केवल परिदान के द्वारा पूर्ण हो जाता है। परन्तु विधि में किसी वाहक के देय लिखत के धारक को पृष्ठांकन करने से प्रतिबन्धित नहीं किया गया है। यदि इसका पृष्ठांकन किया जाता है तो तत्पश्चात् इसका परिदान किया जाना आवश्यक होगा, क्योंकि परिदान के बिना पृष्ठांकन पूर्ण नहीं होता है यद्यपि कि व्यवहार में एक वाहक लिखत के धारण को चेक का संदाय लेने के...
क्या संदेहजनक परिस्थितियों के आधार पर वसीयत को अमान्य किया जा सकता है?
सुप्रीम कोर्ट ने स्वर्णलता बनाम कलावती मामले में भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 (Indian Succession Act, 1925) के तहत वसीयत की वैधता (Validity) से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार किया। इस मामले में मुख्य प्रश्न यह था कि क्या वसीयत संदिग्ध परिस्थितियों से ग्रस्त थी और क्या इसे रद्द (Invalidate) किया जाना चाहिए।यह निर्णय वसीयत से जुड़े कानूनी सिद्धांतों (Legal Principles) पर प्रकाश डालता है, जैसे कि वसीयत को मान्यता देने के लिए क्या आवश्यक शर्तें होती हैं और कब इसे चुनौती दी जा सकती है। अदालत...
गलत तरीके से गिरफ्तारी पर मुआवजा: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 399
व्यक्तिगत स्वतंत्रता (Personal Liberty) प्रत्येक लोकतांत्रिक समाज का एक मौलिक अधिकार (Fundamental Right) है। भारत में, संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत, प्रत्येक व्यक्ति को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (Right to Life and Personal Liberty) प्राप्त है। यह अधिकार सुनिश्चित करता है कि किसी भी व्यक्ति को कानूनन उचित प्रक्रिया (Legal and Just Procedure) के बिना स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता।लेकिन कई बार गलत गिरफ्तारी (Wrongful Arrest) हो जाती है, जो या तो गलत जानकारी, व्यक्तिगत दुश्मनी,...
धारा 15 राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001: किरायेदार बेदखली के लिए प्रक्रिया
राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001 (Rajasthan Rent Control Act, 2001) मकान मालिक (Landlord) और किरायेदार (Tenant) के बीच संबंधों को नियंत्रित करता है। इस अधिनियम की धारा 15 (Section 15) में किरायेदार को बेदखल (Eviction) करने की प्रक्रिया बताई गई है।यह प्रक्रिया स्पष्ट रूप से बताती है कि मकान मालिक या संपत्ति पर अधिकार (Possession) का दावा करने वाला कोई भी व्यक्ति किस तरह किरायेदार को कानूनी रूप से हटाने के लिए न्यायाधिकरण (Tribunal) में याचिका (Petition) दायर कर सकता है। किरायेदार बेदखली के...
धारा 7, 8 और 9 राजस्थान न्यायालय शुल्क और वाद मूल्यांकन अधिनियम, 1961 के तहत बाज़ार मूल्य निर्धारण, सेट ऑफ और काउंटर क्लेम
बाज़ार मूल्य निर्धारण (Determination of Market Value) - धारा 7राजस्थान न्यायालय शुल्क और वाद मूल्यांकन अधिनियम, 1961 (Rajasthan Court Fees and Suits Valuation Act, 1961) में यह निर्धारित किया गया है कि किसी संपत्ति (Property) का बाज़ार मूल्य (Market Value) कैसे तय किया जाएगा, क्योंकि न्यायालय शुल्क (Court Fees) का निर्धारण इसी पर निर्भर करता है। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि संपत्तियों का मूल्यांकन न्यायसंगत तरीके से किया जाए। मूल्यांकन की तिथि (Date for Determining Market Value) धारा 7(1)...
NI Act में डिलीवरी और Negotiation
जहाँ Negotiation से भिन्न किसी अन्य प्रयोजन के लिए लिखत को परिदत्त किया गया है, अर्थात् सुरक्षित अभिरक्षा या बैंक की उगाही के लिए या किसी ऋणदाता को प्रतिभूति के रूप में, ऐसा धारक सिवाय सम्यक् अनुक्रम में धारक को छोड़कर सही मायने में लिखत का धारक नहीं होगा।परक्रमण से संबंधित धारा 46 दो तत्वों को प्रावधानित करती हैलिखतों के लिखने, प्रतिग्रहीत या पृष्ठांकन करने के लिए परिदान आवश्यक हैपरक्रामण के तरीके, जो हो सकते हैंपरिदान द्वारा- जहाँ लिखत वाहक को देय हैपृष्ठांकन एवं परिदान द्वारा- जहाँ लिखत...
NI Act की धारा 14 के प्रावधान
इस अधिनियम की धारा 14 Negotiation को परिभाषित करती है, जबकि वचन पत्र, विनिमय पत्र या चेक किसी व्यक्ति को ऐसे अन्तरित कर दिया जाता है कि वह व्यक्ति उसका धारक हो जाता है तब यह कहा जाता है कि वह उसमें पृष्ठांकित करता है और वह पृष्ठांकक कहलाता है। इस प्रकार लिखत का Negotiation केवल लिखत के सम्पत्ति का (स्वामित्व) का अन्तरण होता है जिसके अधीन कोई व्यक्ति इसका धारक हो जाता है।Negotiation लिखत का सबसे प्रमुख लक्षण उसकी परक्राम्यता का है । इसका संकल्पनीय पहलू अन्तरणीयता के सम्बन्ध में समझा जा सकता है।...
भारत में नागरिकता: कानूनी ढांचा, सुप्रीम कोर्ट के फैसले और दोहरी नागरिकता पर चर्चा
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता पर उठे सवालों से भारत में नागरिकता से संबंधित कई नए सवालों ने जन्म लिया।गौरतलब है कि राहुल गांधी के कथित दोहरी नागरिकता का मामला 2015 में उठा जब भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने ब्रिटेन में एक कंपनी (BackOps Ltd.) के दस्तावेजों में खुद को ब्रिटिश नागरिक बताया था। उन्होंने गृह मंत्रालय से उनकी भारतीय नागरिकता रद्द करने की मांग की थी।भारतीय संविधान के तहत दोहरी नागरिकता मान्य नहीं है, इसलिए यह विवाद का विषय बन गया। गृह...
गवाह संरक्षण योजना : भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 398
भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली (Criminal Justice System) में गवाहों (Witnesses) की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। उनकी गवाही (Testimony) के आधार पर ही न्यायालय (Court) अपराधियों को सजा देता है। लेकिन कई बार गवाहों को धमकी (Threat), डराने-धमकाने या शारीरिक नुकसान (Physical Harm) का सामना करना पड़ता है, जिससे वे सच्ची गवाही देने से बचते हैं। इस समस्या को हल करने के लिए सरकार ने गवाह संरक्षण योजना (Witness Protection Scheme) बनाई, जिसे बाद में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Bharatiya Nagarik Suraksha...
धारा 14 राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001 के तहत किराया संशोधन की प्रक्रिया
राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001 (Rajasthan Rent Control Act, 2001) में मकान मालिक (Landlord) और किरायेदार (Tenant) के अधिकारों को संतुलित करने के लिए स्पष्ट प्रावधान हैं। इस अधिनियम की धारा 14 में किराया संशोधन (Rent Revision) की प्रक्रिया बताई गई है। यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि किराए में कोई भी बदलाव उचित और पारदर्शी (Transparent) तरीके से किया जाए। यदि मकान मालिक धारा 6 या धारा 7 के तहत किराया बढ़ाना चाहता है, तो उसे किराया अधिकरण (Rent Tribunal) में एक याचिका (Petition) दायर...
Multifarious Suits – राजस्थान न्यायालय शुल्क और वाद मूल्यांकन अधिनियम, 1961 की धारा 6
राजस्थान न्यायालय शुल्क और वाद मूल्यांकन अधिनियम, 1961 (Rajasthan Court Fees and Suits Valuation Act, 1961) में यह स्पष्ट किया गया है कि न्यायालय में दाखिल किए जाने वाले दस्तावेजों पर किस प्रकार का शुल्क (Court Fee) लगेगा। इस अधिनियम की पिछली धाराओं में यह बताया गया कि न्यायालयों और सार्वजनिक कार्यालयों में प्रस्तुत दस्तावेजों पर शुल्क देना अनिवार्य है (धारा 4), और अगर गलती से बिना शुल्क वाले दस्तावेज़ को स्वीकार कर लिया जाए, तो क्या किया जाएगा (धारा 5)।अब, धारा 6 बहु-विषयक वादों (Multifarious...
Know The Law | सुप्रीम कोर्ट ने समझाया गिफ्ट/सेटलमेंट डीड और वसीयत के बीच अंतर
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में गिफ्ट डीड, सेटलमेंट डीड और वसीयत (Will) के बीच अंतर को स्पष्ट किया है। कोर्ट ने कहा कि गिफ्ट बिना किसी प्रतिफल के किया गया स्वैच्छिक हस्तांतरण है, जिसके लिए दानकर्ता के जीवनकाल में स्वीकृति की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, अचल संपत्ति के लिए पंजीकरण अनिवार्य है, लेकिन जब दानकर्ता गिफ्ट स्वीकार करता है तो उस पर कब्ज़ा होना गिफ्ट के रूप में अर्हता प्राप्त करने के लिए अनिवार्य नहीं है।इसके अलावा, जब प्यार, देखभाल और स्नेह से स्वैच्छिक हस्तांतरण किया जाता है, जो तुरंत...
अस्पतालों को पीड़ितों को त्वरित मेडिकल सुविधा देने और पुलिस को सूचना देने की कानूनी बाध्यता : धारा 397, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) की धारा 397 एक महत्वपूर्ण प्रावधान (Provision) है, जो सभी अस्पतालों—चाहे वे सरकारी हों या निजी—को यह अनिवार्य (Mandatory) करता है कि वे कुछ गंभीर अपराधों के पीड़ितों (Victims) को तुरंत और मुफ्त चिकित्सा सुविधा (Medical Treatment) प्रदान करें। इसके अलावा, अस्पतालों को पुलिस को भी इस घटना की जानकारी तुरंत देनी होगी।यह प्रावधान उन मामलों में बहुत महत्वपूर्ण है, जहां किसी अपराध के कारण पीड़ित को शारीरिक क्षति (Physical...
राजस्थान न्यायालय शुल्क और वाद मूल्यांकन अधिनियम, 1961 की धारा 4 और 5 के तहत न्यायालयों और सार्वजनिक कार्यालयों में दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए शुल्क भुगतान का नियम
राजस्थान न्यायालय शुल्क और वाद मूल्यांकन अधिनियम, 1961 (Rajasthan Court Fees and Suits Valuation Act, 1961) एक महत्वपूर्ण कानून है जो न्यायालयों (Courts) और सार्वजनिक कार्यालयों (Public Offices) में दस्तावेज़ों (Documents) के लिए शुल्क (Fee) के भुगतान को नियंत्रित करता है।इस अधिनियम के अध्याय II (Chapter II) में शुल्क की देयता (Liability to Pay Fee) से संबंधित प्रावधान शामिल हैं। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए हैं कि सरकार को कानूनी कार्यवाहियों (Legal Proceedings) और प्रशासनिक...
राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001 की धारा 13 के अनुसार किराया न्यायाधिकरण की स्थापना, कार्य प्रणाली और प्रभाव
राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001 (Rajasthan Rent Control Act, 2001) को राज्य में मकान मालिकों (Landlords) और किरायेदारों (Tenants) के बीच संबंधों को नियंत्रित (Regulate) करने के लिए लागू किया गया था।इस अधिनियम के तहत किराया ट्रिब्यूनल (Rent Tribunal) की स्थापना की गई, जो किराए, बेदखली (Eviction) और अन्य किरायेदारी मामलों का निपटारा (Settlement) करने के लिए एक विशेष प्राधिकरण (Special Authority) के रूप में कार्य करता है। अधिनियम के अध्याय 5 (Chapter V) में किराया ट्रिब्यूनल की संरचना...
यदि सरकार अनुबंध की शर्तों को बदल दे तो ठेकेदार को क्या कानूनी सुरक्षा मिलेगी?
सुप्रीम कोर्ट ने श्रिपति लखू माने बनाम महाराष्ट्र जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड (2022) के मामले में एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रश्न पर विचार किया—क्या किसी ठेकेदार (Contractor) द्वारा काम रोक देना, जब दूसरा पक्ष अपने वादों (Reciprocal Promises) को पूरा नहीं करता, अनुबंध (Contract) का परित्याग (Abandonment) माना जाएगा?यह मामला भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872 (Indian Contract Act, 1872) से संबंधित था, जिसमें अनुबंध में परिवर्तन (Alteration), उल्लंघन (Breach), और कानूनी उपायों (Legal Remedies) की चर्चा की गई।...
NI Act में बगैर किसी कंसीडरेशन के इंस्ट्रूमेंट्स
एक इंस्ट्रूमेंट के भुगतान के लिए यह आवश्यक नहीं है कि उसमे कोई प्रतिफल हो परन्तु यह आवश्यक है कि जब लिखत की रचना हो तब उसके पीछे न कोई प्रतिफल आवश्यक रूप से होना चाहिए। चूँकि किसी परक्राम्य लिखत का रचना, लिखना, प्रतिग्रहीत करना, पृष्ठांकन करना या अन्तरण करना भारतीय संविदा अधिनियम के अधीन संविदा सृजित करता है। अतः इस प्रकार सभी कार्य प्रतिफल से समर्थित होना चाहिए। प्रतिफल के अभाव में अनुबन्ध को न्यूडम पैक्टम (बिना प्रतिफल के) कहा जाएगा, में और अप्रवर्तनीय होगा। अतः प्रत्येक संविदा, अधिनियम की...
NI Act में प्रतिग्रहीता की ड्यूटी
प्रतिग्रहीतावचन पत्र के रचयिता एवं विनिमय पत्र के प्रतिग्रहीता के दायित्व का उपबन्ध परक्राम्य लिखत अधिनियम की धारा 32 में किया गया है। उक्त दोनों लिखत के प्राथमिक पक्षकार मूल ऋणी होते हैं।वचन पत्र का रचयिता-लिखत के अधीन वचन पत्र का रचयिता प्रधान रूप से दायी होता है और उसकी वचनबद्धता आत्यन्तिक एवं बिना शर्त के होती है। वचनपत्र का रचयिता इसे लिखकर यह वचनबद्ध होता है कि इसका भुगतान वचन पत्र के प्रकट शब्दों के अनुसार करेगा। चूँकि रचयिता का दायित्व प्रधान रूप से आत्यन्तिक होता है अतः अनादर की सूचना...
हाईकोर्ट जज पर कैसे होती है कानूनी कार्रवाई, कितनी मिलती है सैलरी?
भारत में हाईकोर्ट न्याय व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सर्वोच्च न्यायालयों के रूप में काम करते हैं और संविधान व कानून की रक्षा करते हैं। हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति, उनका वेतन और उन्हें हटाने की प्रक्रिया भारतीय संविधान में तय की गई है ताकि न्यायपालिका स्वतंत्र और निष्पक्ष बनी रहे।हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति भारतीय संविधान के अनुच्छेद 217 के तहत हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति होती है। यह प्रक्रिया कई अधिकारियों की भागीदारी से पूरी होती है, जिनमें...