महाराष्ट्र विधानसभा के खिलाफ अर्णब गोस्वामी की याचिका का मामला : ''मेरे स्वर्गीय पिता और श्री नानी पालकीवाला को विधानसभा ने ऐसे नोटिस भेजे थे'' सीजेआई बोबड़े ने कहा

LiveLaw News Network

12 Oct 2020 4:30 PM IST

  • महाराष्ट्र विधानसभा के खिलाफ अर्णब गोस्वामी की याचिका का मामला : मेरे स्वर्गीय पिता और श्री नानी पालकीवाला को विधानसभा ने ऐसे नोटिस भेजे थे सीजेआई  बोबड़े ने कहा

    वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने सोमवार को शीर्ष कोर्ट में बताया कि महाराष्ट्र विधानसभा और स्पीकर को रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के पत्रकार और प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी की तरफ से दायर याचिका के मामले में जारी नोटिस तामील नहीं हो सके हैं। अर्णब ने उसके खिलाफ महाराष्ट्र विधानसभा और विधान परिषद् द्वारा पारित विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव को चुनौती दी थी।

    मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन की पीठ को सूचित किया गया कि अधिकारी की रिपोर्ट से पता चलता है कि कि उपस्थिति दर्ज नहीं की गई थी।

    इस संदर्भ में, कोर्ट ने साल्वे को एक हलफनामा दायर करने के लिए कहा है।

    महाराष्ट्र राज्य की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए और उन्होंने अदालत को सूचित किया कि वर्तमान याचिका में उनकी कोई भूमिका नहीं है।

    सीजेआई एसए बोबड़े ने यह जानना चाहा कि, जब विशेषाधिकार समिति किसी व्यक्ति को नोटिस जारी करती है कि क्यों ने उसके खिलाफ कार्यवाही की जानी चाहिए, तो क्या प्रक्रिया अपनाई जाती है?

    इस पर सिंघवी ने जवाब दिया (अपनी व्यक्तिगत क्षमता में),

    '' मुझे कुछ ज्ञान है,इसलिए मैं जवाब दूंगा,परंतु राज्य की तरफ से नहीं। शिकायत को उस समिति को भेजा जाता है ,जो दोनों सदनों के लिए बनाई गई है।''

    सीजेआई बोबड़े ने कहा कि जब सदन में एक सदस्य किसी अन्य सदस्य के खिलाफ बयान देता है, तो स्पीकर उस पर ध्यान देता है और उसे विशेषाधिकार समिति को भेज देता है।

    सीजेआई ने कहा कि,'

    'मेरे दिवंगत पिता और श्री नानी पालकीवाला को महाराष्ट्र विधानसभा ने ऐसा नोटिस भेजा था।''

    अब इस मामले को दो सप्ताह के बाद सूचीबद्ध किया गया है।

    पिछली सुनवाई पर, गोस्वामी की तरफ वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे पेश हुए थे और उन्होंने अदालत को सूचित किया था कि याचिका में जो सवाल उठाया गया है, वह शीर्ष अदालत के 7-न्यायाधीश की पीठ (एन.राम केस) के समक्ष लंबित है। इस तथ्य का देखते हुए वइ सॉलिसिटर जनरल की सहायता चाहते हैं।

    श्री साल्वे ने तर्क दिया था कि विधानसभा के विशेषाधिकारों का उपयोग सदन के बाहर किसी के खिलाफ नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा था कि विशेषाधिकार का उल्लंघन तभी हो सकता है,जब किसी व्यक्ति द्वारा सदन के कामकाज या कर्तव्यों के निर्वहन में कोई बाधा, रूकावट या हस्तक्षेप किया जाए।

    पृष्ठभूमि

    शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक ने गोस्वामी के खिलाफ यह प्रस्ताव रखा था। इसमें आरोप लगाया गया था कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की दुर्भाग्यपूर्ण मौत के मामले में सरकार की तरफ से बरती गई कथित निष्क्रियता को लेकर गोस्वामी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया था।

    पार्टी विधायक मनीषा कयांडे ने विधान परिषद में इसी तरह का प्रस्ताव रखा था।

    इसके बाद, अर्नब गोस्वामी को 60 पन्नों का नोटिस भेजा गया था, जिसमें कहा गया था कि उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा के विशेषाधिकारों का उल्लंघन किया है।

    एक्ट्रेस कंगना रनौत के खिलाफ भी इसी तरह का प्रस्ताव रखा गया था। यह प्रस्ताव महाराष्ट्र के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में पेश किया गया था,जिसमें कंगना ने राज्य की तुलना पीओके (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) से कर दी थी।

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