हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

Shahadat

19 Feb 2023 4:30 AM GMT

  • हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (13 फरवरी, 2023 से 17 फरवरी, 2023) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।

    फैमिली कोर्ट के पास मानहानि के दावे पर विचार करने का क्षेत्राधिकार नहीं: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि फैमिली कोर्ट के पास मानहानि के दावे पर विचार करने का अधिकार नहीं है। अदालत ने कहा कि फैमिली कोर्ट के अधिकार क्षेत्र को ग्रहण करने के लिए विवाद का पक्षकारों के वैवाहिक संबंधों से निकट संबंध होना चाहिए।

    जस्टिस अनिल के.नरेंद्रन और जस्टिस पी.जी. अजीतकुमार की खंडपीठ पत्नी द्वारा दायर उस अपील पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें पति और ससुर के खिलाफ मानहानि का दावा किया गया। कार्रवाई का कारण फैमिली कोर्ट के समक्ष दलीलें और दूसरों की उपस्थिति में उसे मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति के रूप में वर्णित करने वाले कथन भी हैं।

    अपीलकर्ता के वकील: एडवोकेट वी टी माधवनुन्न और वी ए सतीश

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    कस्टडी का मामला- यदि बच्चा बड़ा हो गया है और व्यक्तिगत मामलों में तर्कसंगत निर्णय लेने में सक्षम है तो माता-पिता की मांगों को महत्व नहीं दिया जा सकता : केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि जब बच्चा बड़ा हो जाता है और अपने दम पर तर्कसंगत निर्णय लेने में सक्षम होता है, तो अदालत को बच्चे की कस्टडी के लिए जूझ रहे माता-पिता की मांगों को बहुत अधिक महत्व नहीं देना चाहिए।

    जस्टिस अनिल के. नरेंद्रन और जस्टिस पी.जी. अजित कुमार की पीठ फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने पिता को बच्चे की कस्टडी देने से इनकार कर दिया था। इस मामले में अदालत ने बच्चे की इच्छा का पता लगाने के लिए उससे व्यक्तिगत रूप से बातचीत की थी। बच्चे ने अपनी मां के साथ रहने की इच्छा जताई थी।

    केस टाइटल-एक्सएक्सएक्स बनाम एक्सएक्सएक्स

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    यदि श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया तो कर्नाटक कोऑपरेटिव सोसायटी एक्ट की धारा 70 के तहत प्रतिबंध लागू नहीं होगा: कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि इंडियन कॉफी वर्कर्स को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड में कार्यरत कामगारों को यदि निर्धारित न्यूनतम मजदूरी का भुगतान नहीं किया जाता है तो वे वसूली के लिए अपने दावे पर विचार करने के लिए न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत गठित उपयुक्त प्राधिकरण को न्यूनतम मजदूरी का आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा, यह कहा गया कि कर्नाटक को-ऑपरेटिव सोसायटी एक्ट, 1959 की धारा 70 न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत किसी प्राधिकरण पर दावे पर विचार करने के लिए कोई प्रतिबंध नहीं लगाती।

    केस टाइटल: इंडियन कॉफ़ी वर्कर्स कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड और वरिष्ठ श्रम निरीक्षक व अन्य

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    वास्तविक पब्लिकेशन के बजाय पब्लिकेशन की रिसर्च पेपर की स्वीकृति किसी भी पद के लिए रिसर्चर की योग्यता निर्धारित करती है: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि किसी भी पोस्ट या योग्यता के लिए लेखक की योग्यता निर्धारित करने के लिए वास्तविक पब्लिकेशन के बजाय किसी मैगजीन में पब्लिकेशन के लिए केवल रिसर्च पेपर की स्वीकृति प्रासंगिक है। जस्टिस सुनील बी शुकरे और जस्टिस वृषाली वी जोशी की खंडपीठ ने कहा कि पब्लिकेशन के लिए कागज की योग्यता पात्रता निर्धारित करती है।

    केस टाइटल- डॉ. सुनील पुत्र नीलकंठ वाशिमकर बनाम महाराष्ट्र राज्य व अन्य।

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    विभिन्न अनुबंधों के तहत विशिष्ट दावों वाले समेकित SoC की अनुमति देने में आर्बिट्रेटर द्वारा कोई क्षेत्राधिकार त्रुटि नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि आर्बिट्रेटर को यह नहीं कहा जा सकता कि उसने विरोधी पक्ष/निर्णय देनदार की सहमति के बिना दावों के समेकित विवरण (एसओसी) की अनुमति देकर न्यायिक त्रुटि की है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि विशिष्ट दावों से संबंधित नौ अनुबंधों में से प्रत्येक को दावों के विवरण में स्पष्ट रूप से रखा गया और अवार्ड देनदार ने भी सभी नौ अनुबंधों से संबंधित एक समेकित प्रतिदावा दर्ज करने का विकल्प चुना।

    केस टाइटल: बीएसटी टेक्सटाइल मिल्स प्राइवेट लिमिटेड बनाम द कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड

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    [रेलवे एक्ट की धारा 123] ट्रेन में पत्नी के साथ छेड़छाड़ का विरोध करने पर रेलवे पुलिस के हमले के कारण मौत 'अप्रिय घटना': झारखंड हाईकोर्ट

    झारखंड हाईकोर्ट ने एक विधवा को रेलवे अधिनियम के तहत 4 लाख का मुआवजा, जिसने उक्त कर्मियों द्वारा उसके साथ छेड़छाड़ का विरोध करने के बाद ट्रेन यात्रा के दौरान रेलवे पुलिस कर्मियों के हमले में अपने पति को खो दिया।

    याचिकाकर्ता के दावे को खारिज करने वाले रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल के फैसले को रद्द करते हुए जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा कि घटना रेलवे अधिनियम की धारा 123 (सी) के तहत एक 'अप्रिय घटना' है और इस प्रकार, विधवा अधिनियम की धारा 124ए के तहत मुआवजे की हकदार होगी।

    केस टाइटल: संगीता देवी व अन्य बनाम महाप्रबंधक, एसईआर के माध्यम से भारत संघ

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    कर अधिकारी निर्धारिती को वैधानिक अधिकार का दावा करने से नहीं रोक सकते: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कहा कि कर अधिकारी, तकनीकीता की आड़ में, किसी भी निर्धारिती को उसके वैधानिक अधिकार का दावा करने से नहीं रोक सकते, जैसा कि इनकम टैक्स में कहा गया है।

    जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की खंडपीठ ने कहा कि विभाग की गलती या सॉफ्टवेयर में तकनीकी खराबी के कारण जब किसी निर्धारिती की अपील पोर्टल पर दिखाई नहीं देती है, तो विभाग तकनीकी आधार पर ऑफलाइन दायर की गई अपील को अस्वीकार नहीं कर सकता है।

    केस टाइटल: यश कोठारी पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट बनाम यूपी राज्य और 2 अन्य

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    अगर कोई रिजर्व कैटेगरी का उम्मीदवार अंतिम चयनित जनरल कैटेगरी के उम्मीदवार से अधिक अंक प्राप्त करता है, तो वो जनरल सीट का हकदार है: गुवाहाटी हाईकोर्ट

    गुवाहाटी हाईकोर्ट (Gauhati High Court) ने कहा कि अगर कोई रिजर्व कैटेगरी का उम्मीदवार अंतिम चयनित जनरल कैटेगरी के उम्मीदवार से अधिक अंक प्राप्त करता है, तो वो जनरल सीट का हकदार है।

    रिट याचिका की अनुमति देते हुए जस्टिस अचिंत्य मल्ला बुजोर बरुआ की एकल पीठ ने कहा, "याचिकाकर्ता ने अंतिम चयनित सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार की तुलना में अधिक अंक प्राप्त किए हैं, इसलिए याचिकाकर्ता सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार के रूप में कांस्टेबल (जीडी) के रूप में चयनित और नियुक्त होने का हकदार है।"

    केस टाइटल: बिप्लब कर्मकार बनाम भारत संघ और 7 अन्य।

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    OVII R11 सीपीसी | बिना किसी वैध आधार, अधिकार के उल्लंघन की मात्र संभावना पर वाद कार्रवाई के कारण का खुलासा नहीं करता है: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में दोहराया कि केवल चिंतन की संभावना या यह संभावना कि किसी अधिकार के लिए बिना किसी वैध आधार के किसी अधिकार का उल्लंघन किया जा सकता है, यह मानने के लिए पर्याप्त नहीं होगा कि वादी कार्रवाई के कारण का खुलासा करता है।

    जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की खंडपीठ ने आगे कहा कि उक्त परिस्थितियों में, वाद को कार्रवाई के अभाव में खारिज किया जा सकता है- "वादी के पूर्वोक्त अभिवचनों के अवलोकन से स्पष्ट पता चलता है कि एक ओर, यह वादी का मामला है कि विवादित भूमि में प्रतिवादियों का कोई अधिकार, हक या हित नहीं है, और दूसरी ओर वादी ने स्वयं उसी भूमि के संबंध में प्रतिवादियों के विरुद्ध विक्रय विलेख के निष्पादन के लिए एक वाद दायर किया है।

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    नियम, जिसने रजिस्ट्रार को बंधक के तहत संपत्ति के पंजीकरण से इनकार करने की शक्ति दी है, वह मूल अधिनियम के दायरे से परे: मद्रास हाईकोर्ट

    मद्रास हाईकोर्ट ने माना कि तमिलनाडु पंजीकरण नियमों के नियम 55ए का प्रावधान अमान्य और असंवैधानिक है क्योंकि यह इसके मूल अधिनियम - पंजीकरण अधिनियम और संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम के दायरे के खिलाफ है। नियम 55ए, जिसे 9 सितंबर 2022 को पंजीकरण अधिनियम के तहत शक्ति का प्रयोग करके पंजीकरण महानिरीक्षक द्वारा अधिसूचित किया गया था, उन परिस्थितियों को सूचीबद्ध करता है, जहां रजिस्ट्रार बिक्री विलेख दर्ज करने से इनकार कर सकता है।

    केस टाइटल: द फेडरल बैंक लिमिटेड बनाम उप पंजीयक और अन्य

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    अब्दुल्ला आज़म की यूपी विधान सभा की सदस्यता रद्द, मुरादाबाद कोर्ट ने 15 साल पुराने मामले में अब्दुल्ला को सुनाई है दो साल की सजा

    उत्तर प्रदेश विधान सभा सचिवालय ने बुधवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक अब्दुल्ला आजम खान के प्रतिनिधित्व वाली सीट को मुरादाबाद कोर्ट द्वारा 15 साल पुराने एक मामले में दो साल की जेल की सजा सुनाए जाने के दो दिन बाद 'रिक्त' घोषित कर दिया। स्वार विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले अब्दुल्ला समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता आजम खान के बेटे हैं।

    2 जनवरी 2008 पूर्व मंत्री और रामपुर के पूर्व विधायक आजम खां अपने परिवार के साथ मुजफ्फरनगर में एक कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे थे। छजलैट थाने के सामने वाहन चेकिंग के दौरान आजम खां की गाड़ी पुलिस ने रुकवा ली थी। इसके विरोध में आजम खां और उनके बेटे स्वार-टांडा विधानसभा सीट से विधायक अब्दुल्ला आजम सड़क पर धरने पर बैठ गए थे।

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    कुछ देय राशि के लिए वैध रूप से हस्ताक्षर किया गया ब्लैंक चेक, एनआई एक्ट की धारा 139 के तहत प्राप्तकर्ता के पक्ष में अनुमान को आकर्षित करेगा: कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर अभियुक्त ने वैध रूप से हस्ताक्षर किया हुआ ब्लैंक चेक भी दिया है, जो कि कुछ भुगतान के लिए है, तो यह निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 139 के तहत, यह दिखाने के लिए कि चेक ऋण के निर्वहन में जारी नहीं किया गया था, किसी ठोस सबूत के अभाव में उपधारणा को आकर्षित करेगा।

    जस्टिस रामचंद्र डी हुड्डर की सिंगल जज बेंच ने निचली अदालत द्वारा अधिनियम की धारा 138 के तहत अभियुक्त जयम्मा को दी गई सजा को बरकरार रखते हुए यह ‌टिप्पणी की, जिसकी पुष्टि प्रथम अपीलीय अदालत ने की थी।

    केस टाइटल: जयम्मा और जयम्मा @ नागम्मा

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    धारा 311 सीआरपीसी | त्रुटि, कमी से अलग; पार्टियों की त्रुटियों को ठीक करने की अनुमति देने में न्यायालयों को उदार होना चाहिए: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि निष्पक्ष सुनवाई के सिद्धांतों के अनुसार किसी भी पक्ष को अपनी त्रुटियां सुधारने के अवसर से वंचित नहीं किया जाना चाहिए और ऐसी गलतियों को सुधारने के लिए अदालतों को उदार होना चाहिए। जस्टिस के बाबू की एकल पीठ ने कहा ‌‌कि पार्टियों की त्रुटि या चूक को कमी के साथ भ्रमित नहीं किया जाना चाहिए।

    जबकि कमी एक पार्टी के मामले में एक आंतरिक कमजोरी की ओर इशारा करती है, त्रुटि मात्र एक चूक हो सकती है। अदालत किसी भी पक्ष को इन त्रुटियों को सुधारने का अवसर देकर निष्पक्ष सुनवाई से इंकार नहीं कर सकती है।

    केस का शीर्षक: मनु देव वी XXX और अन्य

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    लॉकर होल्डर के आदेश पर ज्वाइंट एक्सेस बदलने के कारण बैंक मैनेजरों पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता: कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने कथित रूप से ज्वाइंट होल्डर्स में से एक के आवेदन पर लॉकर का एक्सेस बदलने के कारण दो बैंक प्रबंधकों के खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया।

    जस्टिस वी श्रीशानंद की सिंगल जज की पीठ ने कहा कि केवल ग्राहक के आदेश पर कार्य करने के कारण बैंक प्रबंधकों के इरादे में आपराधिकता नहीं देखी जा सकती है। प्रगति कृष्ण ग्रामीण बैंक के दो प्रबंधकों रामचंद्र और गुरुराज देशपांडे पर आईपीसी की धारा 420, 409, 120 (बी) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

    केस टाइटल: रामचंद्र और अन्य और कर्नाटक राज्य

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    जब महिला पुरुष की शादी होने के बाद भी संबंध जारी रखती है तो ‘शादी के बहाने सहमति’ का आरोप खत्म हो जाता है : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने बलात्कार के एक मामले में (आरोपी को बरी करने ) ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि अगर महिला पुरुष की किसी अन्य महिला से शादी हो जाने के बाद भी उसके साथ यौन संबंध बनाना जारी रखती है तो शादी के वादे पर बलात्कार करने का आरोप अपना महत्व खो देता है।

    जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस कुलदीप तिवारी की खंडपीठ ने कहाः ‘‘यह आरोप कि शादी के बहाने सहमति प्राप्त की गई थी, अपना महत्व खो देता है और बिखर जाता है, केवल इस तथ्य के आलोक में कि प्रतिवादी नंबर 2 के विवाह के बाद भी यौन संबंध जारी रहे।’’

    केस टाइटल- एबीसी बनाम हरियाणा राज्य व अन्य

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    CrPC की धारा 156(3)- वसूली के वारंट वाले मामलों में पुलिस जांच का आदेश आवश्यक, जब भौतिक वस्तुएं अभियुक्त के कब्जे में हों: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) ने सोमवार को सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत एक मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश को रद्द कर दिया, क्योंकि उसने चोरी के एक कथित मामले में पुलिस जांच का आदेश नहीं दिया था। जस्टिस के.बाबू की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा कि ऐसे मामले में जहां साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 के तहत आरोप वसूली की मांग करते हैं, यह कार्य पुलिस को सौंपना आवश्यक होगा।

    केस टाइटल: फेमिना ई. बनाम केरल राज्य

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    सभी एकतरफा नियुक्तियां तब तक अमान्य नहीं जब तक कि नियुक्त आर्बिट्रेटर 7वीं अनुसूची के भीतर न हो: कलकत्ता हाईकोर्ट

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने माना कि आर्बिट्रेटर की सभी एकतरफा नियुक्ति तब तक अवैध नहीं है जब तक कि आर्बिट्रेटर का संबंध ए&सी अधिनियम की सातवीं अनुसूची के अंतर्गत नहीं आता है। जस्टिस मौसमी भट्टाचार्य की पीठ ने आर्बिट्रेशन क्लॉज के बीच अंतर किया, जो आर्बिट्रेटर की एकतरफा नियुक्ति की अनुमति देता है और एक क्लॉज जो किसी एक पक्ष के प्रभारी व्यक्ति के समक्ष आर्बिट्रेशन या उस व्यक्ति के अधिकार को किसी तीसरे पक्ष को सौंपने का अधिकार प्रदान करता है। न्यायालय ने माना कि केवल बाद के परिदृश्य में व्यक्तित्व पदनाम न केवल स्वयं आर्बिट्रेटर के रूप में कार्य करने के लिए अयोग्य होगा, बल्कि उसकी ओर से किसी और को नियुक्त करने से भी रोका जाएगा।

    केस टाइटल: मैकलियोड रसेल इंडिया लिमिटेड बनाम आदित्य बिड़ला फाइनेंस लिमिटेड, 2020 का ए.पी. नंबर 106

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    [पशु क्रूरता निवारण अधिनियम] अभियुक्त-मालिक को जब्त मवेशियों की अंतरिम कस्टडी देने से मना करने का कोई विशेष प्रावधान नहीं: उड़ीसा हाईकोर्ट

    उड़ीसा हाईकोर्ट (Orissa High Court) ने कहा कि पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम अधिनियम, 1960 या पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम (जानवरों की देखभाल और रखरखाव) नियम, 2017 के तहत कोई विशेष नियम नहीं है, जिसमें कहा गया हो कि आरोपी-मालिक को जब्त की गई मवेशी की अंतरिम कस्टडी देने से अनिवार्य रूप से मना किया जाए।

    केस टाइटल: गौ ज्ञान फाउंडेशन 'रुद्राश्रम गौशाला' बनाम ओडिशा राज्य और अन्य।

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    आईपीसी और अन्य कानून के तहत अपराधों के लिए निजी शिकायत सुनवाई योग्य, मध्य प्रदेश सोसायटी पंजीकरण अधिनियम की धारा 37 के तहत वर्जित नहीं: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने हाल ही में कहा कि भारतीय दंड संहिता और अन्य कानूनों के तहत अपराध करने का आरोप लगाने वाली एक निजी शिकायत सुनवाई योग्य है और मध्य प्रदेश सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1973 की धारा 37 के तहत वर्जित नहीं है। कोर्ट के सामने सवाल था कि क्या एक पंजीकृत सोसायटी के सदस्यों के खिलाफ एक निजी पार्टी द्वारा दायर की गई शिकायत अधिनियम की धारा 18, 32 और 37 (2) के प्रावधानों के मद्देनजर खारिज करने योग्य है।

    केस टाइटल- अनूप मिश्रा व अन्य बनाम अलका दुबे और अन्य।

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    सीआरपीसी की धारा 173 के तहत दायर 'नकली पुलिस रिपोर्ट' के जर‌िए अभियुक्त के डिफॉल्ट जमानत के अधिकार को विफल नहीं किया जा सकता: जेकेएल हाईकोर्ट

    जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने माना कि धारा 173 सीआरपीसी के तहत एक 'नकली पुलिस रिपोर्ट', भले ही धारा 167 सीआरपीसी की समय सीमा के भीतर दायर की गई हो, को किसी अभियुक्त के वैधानिक/डिफ़ॉल्ट जमानत अधिकार के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए कानूनी मान्यता नहीं दी जा सकती है।

    जस्टिस राहुल भारती की बेंच ने कहा, "यह अधिकार, उपार्जित होने पर, प्री-ट्रायल कस्टडी के तहत आरोपी के खिलाफ अपराध के आरोप की कथित गंभीरता के बावजूद, हकदार अभियुक्त के पूछने पर सीधे दिया जाता है"।

    केस टाइटल: गोपाल कृष्ण और अन्य बनाम जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश

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    अन्यत्र उप‌‌‌स्थिति की प्रतिरक्षा को आरोप तय करने के स्तर पर ‌उठाया जा सकता है, ऐसा कोई नियम नहीं कि केवल प्रतिरक्षा साक्ष्य के दरमियान ही इस पर विचार किया जा सकता है: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फैसले में कहा कि आरोप तय करने के चरण में अन्यत्र उपस्थिति की प्रतिरक्षा को जल्द से जल्द उठाया जा सकता है, क्योंकि ऐसा कोई नियम नहीं है कि इस तरह के बचाव को केवल बचाव साक्ष्य के स्तर पर ही माना जा सकता है। औरंगाबाद खंडपीठ के जस्टिस एसजी मेहारे ने सीआरपीसी की धारा 319 के तहत एक व्यक्ति को पॉक्सो अधिनियम के तहत मुकदमे के लिए जारी किए गए निचली अदालत के सम्मन को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि निचली अदालत को उसकी अन्यत्र उपस्थिति की प्रतिरक्षा पर पर विचार करना चाहिए था।

    केस नंबरः क्रिमिनल रिवीजन एप्लीकेशन नंबर 296 ऑफ 2022

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    एससी/एसटी एक्ट के तहत आरोपी जमानत या अग्रिम जमानत के लिए सीधे हाईकोर्ट नहीं जा सकता: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत दंडनीय अपराधों का आरोपी व्यक्ति जमानत के लिए सीधे हाईकोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटा सकता। जस्टिस ए. बदरुद्दीन की एकल पीठ याचिकाकर्ता द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिस पर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (पीओए) एक्ट की धारा 3(1)(आर) और 3(1)(एस) के तहत अपराध का आरोप लगाया गया।

    केस टाइटल: सिजी बनाम केरल राज्य

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    किसी एक कानून के प्रावधान के तहत भरण-पोषण प्राप्त कर रही महिला को अन्य कानून के तहत भरण पोषण की मांग करने से नहीं रोका जा सकता : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि ऐसा कोई कानून नहीं है कि किसी एक कानून के प्रावधान के तहत भरण-पोषण प्राप्त कर रही महिला को अन्य कानून के तहत भरण पोषण की मांग करने से रोका जा सके। जस्टिस जी.एस. अहलूवालिया की पीठ ने हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 14(1) के तहत भरण पोषण के एवज में महिला को मिली संपत्ति पर उसका स्वामित्व बरकरार रखते हुए उक्त अवलोकन किया।

    केस टाइटल: द्वारका प्रसाद पटेल बनाम मैरी (एस.ए. 466/2007)

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    यदि चार्जशीट में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध शामिल नहीं है तो सीबीआई के अधिकार क्षेत्र में जांच बंद हो जाती है: मेघालय हाईकोर्ट

    मेघालय हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि सीबीआई आईपीसी के तहत अपराधों की जांच करने के अपने अधिकार में है, बशर्ते कि वे भ्रष्टाचार अधिनियम की रोकथाम के तहत अपराधों के साथ सांठगांठ में हों। हालांकि जब पीसी अधिनियम के प्रावधानों के तहत अपराधों को चार्जशीट से हटा दिया जाता है तो सीबीआई को अपना अभियोजन जारी रखने के लिए राज्य की विशिष्ट सहमति की आवश्यकता होती है, क्योंकि सीबीआई का अधिकार क्षेत्र ऐसी चार्जशीट दाखिल करने की तारीख से समाप्त हो जाएगा।

    केस टाइटल: टी.पथव बनाम पुलिस निरीक्षक, सीबीआई और अन्य।

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    निराधार सुरक्षा आशंकाओं का आश्रय लेकर अभियुक्त अभियोजन की जगह नहीं चुन सकता: जेकेएल हाईकोर्ट

    जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता प्रो. एसके भल्ला द्वारा डोडा में पत्रकार द्वारा दायर मानहानि शिकायत को जम्मू ट्रांसफर करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। जस्टिस एम ए चौधरी की पीठ ने कहा कि निराधार व्यक्तिगत सुरक्षा आशंकाओं का सहारा लेकर अभियुक्त को मुकदमा चलाने के लिए उसकी पसंद की जगह की अनुमति नहीं दी जा सकती।

    भल्ला ने दावा किया कि प्रतिवादी "डोडा के दो फर्जी आरटीआई कार्यकर्ताओं" के बारे में उसके सोशल मीडिया पोस्ट से चिढ़ गया था, जिसने कथित रूप से प्रतिवादी के "दुष्कर्म" को उजागर किया। इसके चलते आपराधिक मानहानि की शिकायत की गई और उन्हें समन जारी किया गया।

    केस टाइटल: प्रोफेसर एस के भल्ला बनाम हक नवाज नेहरू

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    लोगों के एक समूह के साथ रेप के कृत्य में मदद करने वाली महिला पर आईपीसी की धारा 376D के तहत 'गैंग रेप' का मुकदमा चलाया जा सकता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कहा कि एक महिला रेप का अपराध नहीं कर सकती है, लेकिन अगर वह लोगों के एक समूह के साथ रेप के कृत्य में मदद की है तो संशोधित प्रावधानों के मद्देनजर उस पर आईपीसी की धारा 376D के तहत 'गैंग रेप (Gang Rape)' के लिए मुकदमा चलाया जा सकता है।

    आईपीसी की धारा 375 और 376 (भारतीय दंड संहिता, 1860 के 2013 के अधिनियम 13 द्वारा संशोधित) के प्रावधानों का अवलोकन करते हुए जस्टिस शेखर कुमार यादव की पीठ ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि एक महिला पर कथित गैंग रेप के अपराध के लिए मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है।

    आवेदक के वकील: रवींद्र प्रकाश श्रीवास्तव

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    टोल एक टैक्स, कलेक्‍शन कंपनी और सिविक कंपनी के बीच संविदात्मक ऋण नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह देखते हुए कि वाहन टोल एक कर है, यह कलेक्‍शन कंपनी और सिविक बॉडी के बीच एक संविदात्मक ऋण नहीं है, मुंबई स्थित एमईपी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स लिमिटेड (एमईपीआईडीएल) की ओर से दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की रिकवरी की कार्यवाही के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दिया। एमईपीआईडीएल इकट्टा किए गए टोल की राशि का भुगतान एमसीडी को नहीं कर पाया ‌था, जिसके बाद मौजूदा मामला दायर किया गया।

    केस टाइटलः MEP इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स लिमिटेड बनाम साउथ दिल्ली म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन अन्य मामलों के साथ

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    आपराधिक मामले के लंबित रहने के दौरान सीलबंद कवर प्रक्रिया अपनाने के आधार पर पदोन्नति रोक नहीं सकते: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि सक्षम प्राधिकारी आपराधिक मामले के लंबित रहने के दौरान सीलबंद कवर प्रक्रिया अपनाने के आधार पर अनिश्चित काल के लिए किसी व्यक्ति की सिफारिश को रोक नहीं सकता है।

    जस्टिस जसप्रीत सिंह की पीठ ने रणबीर सिंह (वर्तमान में राज्य सरकार के साथ तहसीलदार के रूप में सेवा कर रहा है और डिप्टी कलेक्टर के पद पर पदोन्नति की मांग कर रहा है) को राहत देते हुए सक्षम प्राधिकारी को आज से आठ सप्ताह की अवधि के भीतर सीलबंद कवर खोलने के उनके दावे पर विचार करने का निर्देश दिया।

    उपस्थितिः याचिकाकर्ता के वकील: सीनियर एडवोकेट एस.एम. फ़राज़ आई. काज़मी और प्रतिवादी के लिए वकील: सी.एस.सी., एम.एन. सिंह।

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    [पीआईटी-एनडीपीएस एक्ट] अगर प्राधिकरण संतुष्ट है कि हिरासत में लिया गया व्यक्ति मादक पदार्थों की तस्करी में लिप्त है, जनस्वास्‍थ्य के लिए खतरा हिरासत का आधार हो सकता है: जेकेएल हाईकोर्ट

    जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फैसले में कहा कि केवल इसलिए कि हिरासतकर्ता प्राधिकरण ने अन्य आधारों के साथ यह भी देखा है कि हिरासत में लिए गए लोगों की गतिविधियां आम जनता के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करती हैं, पीआईटी-एनडीपीएस अधिनियम की धारा 3 के तहत हिरासत के आदेश को अवैध नहीं बनाती है।

    प्र‌िवेंशन ऑफ इल्लिसिट ट्रै‌फिक इन नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1988 में धारा 3 सरकार को किसी व्यक्ति को मादक दवाओं और साइकोट्रोपिक पदार्थों के अवैध व्यापार में शामिल होने से रोकने के लिए हिरासत में लेने का अधिकार देती है।

    केस टाइटल: तजिंदर सिंह उर्फ हैप्पी बनाम यूटी ऑफ जेएंडके व अन्य।

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    वक्फ अधिनियम से संबंधित रिट याचिकाओं पर विचार बंद करने का समय, पक्षकारों को पहले वैधानिक अधिकारियों से संपर्क करना चाहिए: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि समय आ गया है कि वह वक्फ से संबंधित निर्देशों की मांग करने वाली रिट याचिकाओं पर विचार करना बंद करे और इस बात पर जोर दे कि पक्षकार पहले वक्फ अधिनियम के तहत अधिकारियों से संपर्क करना चाहिए।

    जस्टिस ए.के. जयशंकरन नांबियार और जस्टिस मोहम्मद नियास सी.पी. की खंडपीठ ने उस व्यक्ति द्वारा दायर रिट याचिका खारिज कर दिया, जिसने पन्नूर करंदोमथुक जुमा-अठ पल्ली समिति के वर्तमान वंशानुगत मुथावल्ली होने का दावा किया था और उस आदेश को चुनौती दी थी जिसके द्वारा वक्फ बोर्ड ने जुमा-अथवा समिति के चुनाव कराने के लिए रिटर्निंग ऑफिसर नियुक्त किया था।

    केस टाइटल: हमीदली के.पी. बनाम मुख्य कार्यकारी अधिकारी और अन्य।

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    समरी सूट को कमर्शियल सूट में बदलने के बाद भी सीपीसी के तहत समरी जजमेंट के लिए आवेदन सुनवाई योग्य: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में एक आदेश में कहा कि सीपीसी के आदेश 13-ए के तहत सिविल कोर्ट के समक्ष संक्षिप्त निर्णय के लिए एक व्यक्ति का आवेदन, जिसका समरी सूट कमर्शियल सूट में परिवर्तित हो गया है, सुनवाई योग्य है। जस्टिस संदीप वी मार्ने ने कहा कि इस तरह के रूपांतरण से याचिकाकर्ता को आदेश 13-ए के तहत संक्षिप्त निर्णय लेने का अधिकार और आदेश 37 नियम 3 के तहत फैसला सुनाने का अधिकार नहीं खोना पड़ेगा।

    केस टाइटलः एम/एस अशोक वाणिज्यिक उद्यम और अन्य बनाम राजेश जुगराज मधानी

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    सीपीसी अनुच्छेद 226 की कार्यवाही पर लागू नहीं, कोर्ट रिट याचिका पर पक्षकार के पेश न होने पर भी गुण-दोष के आधार पर फैसला कर सकता है: एमपी हाईकोर्ट

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए हाल ही में याचिकाकर्ता की अनुपस्थिति में एक रिट याचिका पर निर्णय लेने के अपने फैसले को बरकरार रखा, यह देखते हुए कि संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत कार्यवाही में सीपीसी के प्रावधानों का पालन करना अनिवार्य नहीं था। जस्टिस विवेक अग्रवाल की पीठ ने कहा कि सीपीसी के प्रावधानों का अनिवार्य रूप से पालन करने के लिए एक रिट कोर्ट की आवश्यकता विधायिका की मंशा नहीं थी।

    केस टाइटल: राज कुमार पटेरिया बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य।

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