जब महिला पुरुष की शादी होने के बाद भी संबंध जारी रखती है तो ‘शादी के बहाने सहमति’ का आरोप खत्म हो जाता है : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
Manisha Khatri
15 Feb 2023 7:15 PM IST
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने बलात्कार के एक मामले में (आरोपी को बरी करने ) ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि अगर महिला पुरुष की किसी अन्य महिला से शादी हो जाने के बाद भी उसके साथ यौन संबंध बनाना जारी रखती है तो शादी के वादे पर बलात्कार करने का आरोप अपना महत्व खो देता है।
जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस कुलदीप तिवारी की खंडपीठ ने कहाः
‘‘यह आरोप कि शादी के बहाने सहमति प्राप्त की गई थी, अपना महत्व खो देता है और बिखर जाता है, केवल इस तथ्य के आलोक में कि प्रतिवादी नंबर 2 के विवाह के बाद भी यौन संबंध जारी रहे।’’
न्यायालय ने आगे कहा किः
‘‘पीड़िता एक शिक्षित लड़की है, जो एक सहायक प्रोफेसर के रूप में काम करती है ... इसलिए, वह इस तथ्य से अच्छी तरह वाकिफ थी कि जब प्रतिवादी नंबर 2 ने दूसरी महिला से शादी कर ली थी तो प्रतिवादी नंबर 2 के साथ उसका विवाह संभव नहीं था। हालांकि, सभी परिणामों से अवगत होने के बावजूद पीड़िता ने एक विवाहित पुरुष के साथ अपने रिश्ते को जारी रखने का फैसला किया। ऐसी परिस्थितियों में पीड़िता की सहमति तथ्य की किसी गलत धारणा के तहत नहीं बल्कि स्वैच्छिक थी।’’
आरोपी को बरी करने के आदेश के खिलाफ पीड़िता द्वारा दायर अपील पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह टिप्पणी की है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, जींद ने दिसंबर 2021 में प्रतिवादी को आईपीसी की धारा 354 (डी), 376 (2) (एन) और 506 के तहत अपराधों से बरी कर दिया था।
शिकायतकर्ता द्वारा दायर एफआईआर के अनुसार, प्रतिवादी ने कथित तौर पर 2012 से उसकी मर्जी के खिलाफ कई मौकों पर उसके साथ यौन संबंध बनाए, जबकि पहला संभोग प्रकृति में जबरन प्रकृति का था क्योंकि उसे नशीला पदार्थ दिया गया था और उसके बाद शादी का वादा करके उसके साथ यौन संबंध बनाए।
शिकायत के अनुसार महिला 2016 में गर्भवती हो गई थी, लेकिन आरोपी ने उसे गर्भपात कराने के लिए मजबूर किया।
इसके अलावा, एफआईआर के अनुसार प्रतिवादी ने 2017 में शादी कर ली थी जबकि पीड़िता को इस तथ्य के बारे में बाद में पता चला। हालांकि, प्रतिवादी ने शादी का झांसा देकर पीड़िता की मर्जी के खिलाफ उसके साथ शारीरिक संबंध बनाना जारी रखा। उसने कथित तौर पर उससे कहा कि वह अपनी पत्नी से तलाक लेना चाहता है।
ट्रायल कोर्ट ने फैसले में कहा कि पीड़िता का प्रतिवादी के साथ प्रेम संबंध था और उसने प्रतिरोध और सहमति के बीच अपनी पसंद का स्वतंत्र रूप से प्रयोग किया। ट्रायल कोर्ट के अनुसार, साक्ष्य पर निर्णायक रूप से यह साबित करने के लिए कुछ भी नहीं था कि प्रतिवादी का शुरू से ही उससे शादी करने का कोई इरादा नहीं था या उसने केवल उसके साथ यौन संबंध स्थापित करने के लिए ऐसा वादा किया था।
हाईकोर्ट के समक्ष अपील में पीड़िता ने तर्क दिया कि ट्रायल कोर्ट ने मामूली विरोधाभासों पर भरोसा करके गलती की है।
खंडपीठ ने एफआईआर और सीआरपीसी की धारा 164 के तहत पीड़िता के बयानों का अवलोकन करने के बाद कहा कि उसके बयानों में महत्वपूर्ण विरोधाभास है और निष्कर्ष निकाला कि यह सहमति से यौन संबंध बनाने का मामला है।
कोर्ट ने कहा,‘‘पीड़िता ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत अपने बयान में केवल यह कहा कि उसका प्रतिवादी नंबर 2 के साथ प्रेम संबंध था, जिसने उससे शादी करने का वादा किया था और इसीलिए उसने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। उसने धोखे से नशीला पदार्थ देकर बलात्कार करने की किसी भी घटना का आरोप नहीं लगाया। इतना ही नहीं, उसे कोई भी नशीला पदार्थ देने के संबंध में कोई अन्य चिकित्सा या फोरेंसिक सबूत रिकॉर्ड पर नहीं लाया गया... उपरोक्त से, यह उभर कर आता है कि पीड़िता के बयान में एक नहीं, बल्कि विभिन्न महत्वपूर्ण विरोधाभास हैं।’’
पिछले साल पारित इसी तरह के एक फैसले में, केरल हाईकोर्ट ने कहा था कि शिकायतकर्ता का याचिकाकर्ता-आरोपी के साथ 2010 से संबंध था, वर्ष 2013 में आरोपी की शादी हो जाने के बाद भी उसने इस संबंध को जारी रखा, जो शादी का झांसा देकर शारीरिक संबध बनाने की कहानी को निष्प्रभावी कर देता है।
केस टाइटल- एबीसी बनाम हरियाणा राज्य व अन्य
साइटेशन-सीआरए-एडी-140-2022 (ओ एंड एम)
कोरम- जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस कुलदीप तिवारी
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