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क्या केंद्र सरकार सेवा से जुड़े मामलों में विधायी या कार्यपालिका कार्रवाई के ज़रिए दिल्ली की निर्वाचित सरकार की शक्तियों को निरस्त कर सकती है?
क्या केंद्र सरकार सेवा से जुड़े मामलों में विधायी या कार्यपालिका कार्रवाई के ज़रिए दिल्ली की निर्वाचित सरकार की शक्तियों को निरस्त कर सकती है?

Government of NCT of Delhi v. Union of India (29 नवंबर 2023) के ऐतिहासिक निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच लंबे समय से चले आ रहे संवैधानिक और प्रशासनिक विवाद पर फैसला दिया। इस मामले में मुख्य प्रश्न यह था कि दिल्ली सरकार के अधिकारियों की नियुक्ति (Appointment), स्थानांतरण (Transfer), और अनुशासनात्मक कार्रवाई (Disciplinary Action) जैसे सेवा संबंधी मामलों पर नियंत्रण किसका होगा – चुनी हुई दिल्ली सरकार का या केंद्र सरकार का।यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 239AA (Article...

Hindu Marriage Act में मैरिज के लिए सपिंड नहीं होना और विवाह के लिए ज़रूरी संस्कार का होना
Hindu Marriage Act में मैरिज के लिए सपिंड नहीं होना और विवाह के लिए ज़रूरी संस्कार का होना

इस एक्ट की धारा 5 के अधीन किसी भी हिंदू विवाह के संपन्न होने के लिए विवाह के पक्षकारों का आपस में सपिंड संबंध का नहीं होना चाहिए। यदि विवाह के पक्षकार आपस में सपिंड संबंध के होते हैं तो इस प्रकार का विवाह अधिनियम की धारा 11 के अनुसार शून्य होता है। सपिंडा रिलेशनशिप का हिंदू विवाह अधिनियम के अंतर्गत कड़ाई से पालन किए जाने का प्रयास किया गया है।सपिंड नातेदारी के अंदर वाले दो हिंदू पक्षकारों के बीच विवाह प्रारंभ से ही कोई भी वजूद नहीं रखता है तथा इस प्रकार का विवाह किए जाने पर तो अधिनियम के अंतर्गत...

Hindu Marriage Act में मैरिज के लिए पूर्व पति या पत्नी का जीवित नहीं होना और पक्षकारों की मानसिक स्थिति का ठीक होना
Hindu Marriage Act में मैरिज के लिए पूर्व पति या पत्नी का जीवित नहीं होना और पक्षकारों की मानसिक स्थिति का ठीक होना

हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 5 के अंतर्गत यह महत्वपूर्ण शर्त अधिरोपित की गई है कि हिंदू विवाह तभी संपन्न होगा जब विवाह के समय दोनों पक्षकारों में से न तो वर कि कोई पत्नी जीवित होगी और न ही वधू का कोई पति जीवित होगा। प्राचीन शास्त्रीय हिंदू विवाह बहुपत्नी को मान्यता देता था परंतु आधुनिक हिंदू विवाह अधिनियम 1955 बहुपत्नी का उन्मूलन करता है।लीला गुप्ता बनाम लक्ष्मी नारायण 1978 (3) सुप्रीम कोर्ट 558 के मामले में कहा गया है कि दांपत्य युगल शब्द से आशय पूर्व दांपत्य युगल से नहीं है यदि वर या वधू...