दस्तावेजों पर स्टाम्प लगाने का सही समय: भारतीय स्टाम्प अधिनियम की धारा 17 - 19

Himanshu Mishra

18 Feb 2025 12:03 PM

  • दस्तावेजों पर स्टाम्प लगाने का सही समय: भारतीय स्टाम्प अधिनियम की धारा 17 - 19

    भारतीय स्टैम्प अधिनियम, 1899 (Indian Stamp Act, 1899) उन नियमों को निर्धारित करता है जिनके तहत दस्तावेजों पर स्टैम्प लगाया जाना आवश्यक है ताकि वे कानूनी रूप से वैध (Legally Valid) बने रहें और टैक्स चोरी को रोका जा सके। इस अधिनियम के तहत यह स्पष्ट किया गया है कि दस्तावेजों पर स्टैम्प लगाने का सही समय क्या है और यदि कोई व्यक्ति इसका पालन नहीं करता है तो उसके क्या परिणाम हो सकते हैं।

    धारा 17 से 19 (Sections 17 to 19) के तहत यह बताया गया है कि दस्तावेज कब और कैसे स्टैम्प किए जाने चाहिए, इस आधार पर कि वे भारत (India) में तैयार किए गए हैं या भारत के बाहर। इसके अलावा, यह भी निर्धारित किया गया है कि बिल ऑफ एक्सचेंज (Bill of Exchange) और प्रोमिसरी नोट (Promissory Note) को कब और कैसे स्टैम्प किया जाना चाहिए।

    इस लेख में हम इन कानूनी प्रावधानों को आसान भाषा में समझाने का प्रयास करेंगे ताकि आम लोग भी इसे आसानी से समझ सकें।

    धारा 17: भारत में तैयार किए गए दस्तावेजों पर स्टैम्प लगाने का समय (Section 17: Timing of Stamping for Instruments Executed in India)

    भारतीय स्टैम्प अधिनियम की धारा 17 के अनुसार, भारत में बनाए गए सभी दस्तावेजों पर स्टैम्प ड्यूटी (Stamp Duty) का भुगतान या तो पहले या फिर दस्तावेज के निष्पादन (Execution) के समय किया जाना चाहिए।

    निष्पादन (Execution) का अर्थ है किसी दस्तावेज पर हस्ताक्षर (Signature) करना या उसे पूरा करना ताकि वह कानूनी रूप से प्रभावी (Legally Effective) बन जाए। यदि कोई दस्तावेज बिना स्टैम्प के निष्पादित किया जाता है, तो उसे बाद में कोर्ट में सबूत (Evidence) के रूप में मान्यता नहीं मिल सकती, जब तक कि स्टैम्प शुल्क और पेनल्टी (Penalty) का भुगतान नहीं किया जाता।

    उदाहरण (Illustration)

    मान लीजिए, अमन नाम का व्यक्ति मुंबई में एक मकान किराए (Rental Agreement) पर लेने के लिए मकान मालिक के साथ एक एग्रीमेंट करता है। चूंकि यह दस्तावेज भारत में निष्पादित किया जा रहा है और इस पर स्टैम्प ड्यूटी लगती है, इसलिए इसे हस्ताक्षर करने से पहले या हस्ताक्षर के समय स्टैम्प करना होगा। यदि अमन और मकान मालिक पहले हस्ताक्षर कर देते हैं और बाद में स्टैम्प लगाते हैं, तो यह दस्तावेज धारा 17 के अनुसार अमान्य (Invalid) हो सकता है, जब तक कि अतिरिक्त पेनल्टी का भुगतान न किया जाए।

    इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लोग स्टैम्प ड्यूटी का भुगतान करने से बचने के लिए स्टैम्पिंग (Stamping) में देरी न करें।

    धारा 18: भारत के बाहर तैयार किए गए दस्तावेजों के लिए स्टैम्पिंग (Section 18: Stamping of Instruments Executed Outside India)

    धारा 18 उन दस्तावेजों पर लागू होती है जो भारत के बाहर तैयार किए गए हैं लेकिन भारत में उपयोग किए जाने वाले हैं। इस धारा के अनुसार, ऐसे दस्तावेजों को भारत में प्राप्त होने के तीन महीने के भीतर स्टैम्प किया जाना चाहिए।

    हालांकि, यह प्रावधान बिल ऑफ एक्सचेंज (Bill of Exchange) और प्रोमिसरी नोट (Promissory Note) पर लागू नहीं होता, क्योंकि उनके लिए अलग नियम धारा 19 में दिए गए हैं।

    इस धारा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विदेशी दस्तावेजों (Foreign Documents) पर भी भारत में उपयोग करने से पहले स्टैम्प ड्यूटी का भुगतान हो।

    विशेष नियम (Special Rule - Section 18(2))

    यदि किसी व्यक्ति को किसी कारण से अपने दस्तावेज को स्वयं स्टैम्प करने में कठिनाई होती है, तो वह इसे तीन महीने के भीतर कलेक्टर (Collector) के पास ले जा सकता है, जो इसे राज्य सरकार द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार स्टैम्प करेगा।

    उदाहरण (Illustration)

    मान लीजिए कि यूके (United Kingdom) की एक कंपनी भारत की एक कंपनी के साथ एक व्यावसायिक अनुबंध (Business Contract) करती है। यह अनुबंध लंदन में हस्ताक्षरित (Signed) होता है लेकिन इसे भारत में लागू किया जाना है। ऐसे में जब यह दस्तावेज भारत में आता है, तो भारतीय कंपनी को इसे तीन महीने के भीतर स्टैम्प करना होगा।

    यदि इस अनुबंध के लिए किसी विशेष प्रकार की स्टैम्पिंग आवश्यक है जिसे कंपनी स्वयं नहीं कर सकती, तो उसे दस्तावेज को कलेक्टर के पास ले जाना होगा, जो आवश्यक शुल्क (Stamp Duty) लेने के बाद उचित स्टैम्प लगा देगा।

    धारा 19: भारत के बाहर बनाए गए बिल ऑफ एक्सचेंज और प्रोमिसरी नोट्स पर स्टैम्पिंग (Section 19: Stamping of Bills and Promissory Notes Drawn Outside India)

    धारा 19 खासतौर पर उन बिल ऑफ एक्सचेंज (Bill of Exchange) और प्रोमिसरी नोट्स (Promissory Notes) पर लागू होती है जो भारत के बाहर तैयार किए गए हैं लेकिन भारत में उपयोग किए जाने हैं।

    इस धारा के अनुसार, जब कोई व्यक्ति भारत में इन दस्तावेजों का पहला धारक (First Holder) बनता है, तो उसे इन्हें स्वीकार (Acceptance), भुगतान (Payment), हस्तांतरण (Transfer) या किसी भी अन्य तरीके से उपयोग करने से पहले सही स्टैम्प लगाना और उसे रद्द (Cancel) करना होगा।

    विशेष प्रावधान (Special Proviso)

    1. यदि बिल ऑफ एक्सचेंज या प्रोमिसरी नोट पर पहले से ही सही स्टैम्प लगा हुआ है और उसे धारा 12 के अनुसार रद्द कर दिया गया है, और धारक (Holder) को यह विश्वास करने का कोई कारण नहीं है कि स्टैम्प गलत तरीके से लगाया गया था, तो वह स्टैम्प वैध (Valid) माना जाएगा।

    2. हालांकि, यह प्रावधान किसी भी व्यक्ति को स्टैम्प न लगाने या उसे सही तरीके से रद्द न करने के लिए लगने वाले दंड (Penalty) से मुक्त नहीं करता।

    उदाहरण (Illustration)

    मान लीजिए, अमेरिका (United States) का एक व्यापारी भारत के एक आयातक (Importer) को एक प्रोमिसरी नोट देता है, जिसमें वह एक निश्चित राशि चुकाने का वादा करता है। जब यह नोट भारत में आयातक को प्राप्त होता है, और वह इसे किसी और को सौंपना (Transfer) चाहता है, तो उसे यह सुनिश्चित करना होगा कि इस पर उचित स्टैम्प पहले ही लगा हुआ हो और उसे सही तरीके से रद्द किया गया हो।

    यदि स्टैम्प पहले से सही तरीके से लगाया गया है और आयातक को इसमें कोई गड़बड़ी नजर नहीं आती, तो वह इसे उपयोग कर सकता है। लेकिन यदि स्टैम्प गलत तरीके से लगाया गया है, तो उसे इसे सही करने की जिम्मेदारी लेनी होगी।

    स्टैम्पिंग सही समय पर करने का महत्व (Importance of Timely Stamping)

    किसी दस्तावेज को सही समय पर स्टैम्प करना जरूरी है क्योंकि:

    • कानूनी वैधता (Legal Validity): बिना स्टैम्प वाले दस्तावेज अदालत में मान्य नहीं होते।

    • टैक्स अनुपालन (Tax Compliance): सरकार के राजस्व (Revenue) को बनाए रखने के लिए स्टैम्प ड्यूटी का भुगतान जरूरी है।

    • दंड से बचाव (Avoiding Penalty): यदि समय पर स्टैम्पिंग नहीं की गई, तो अतिरिक्त दंड देना होगा।

    • धोखाधड़ी की रोकथाम (Prevention of Fraud): स्टैम्पिंग नियमों से वित्तीय घोटालों को रोका जा सकता है।

    भारतीय स्टैम्प अधिनियम की धारा 17 से 19 यह सुनिश्चित करती है कि सभी दस्तावेज, चाहे वे भारत में बनाए गए हों या विदेश में, सही समय पर स्टैम्प किए जाएं। इससे न केवल कानून का पालन होता है बल्कि व्यापारिक और व्यक्तिगत लेन-देन (Transactions) भी सुरक्षित रहते हैं।

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