ऋण या भविष्य में भुगतान के आधार पर संपत्ति हस्तांतरण : भारतीय स्टांप अधिनियम, 1899 की धारा 24

Himanshu Mishra

20 Feb 2025 11:52 AM

  • ऋण या भविष्य में भुगतान के आधार पर संपत्ति हस्तांतरण : भारतीय स्टांप अधिनियम, 1899 की धारा 24

    भारतीय स्टांप अधिनियम, 1899 (Indian Stamp Act, 1899) विभिन्न प्रकार के दस्तावेज़ों (Documents) पर स्टांप शुल्क (Stamp Duty) के भुगतान से संबंधित नियमों को निर्धारित करता है। यह सुनिश्चित करता है कि सभी कानूनी दस्तावेज मान्यता प्राप्त और लागू करने योग्य (Legally Enforceable) हों।

    धारा 24 उन परिस्थितियों से संबंधित है जब किसी संपत्ति (Property) को किसी ऋण (Debt) के बदले हस्तांतरित (Transferred) किया जाता है या जब हस्तांतरण (Transfer) के लिए भविष्य में भुगतान करने की शर्त होती है। इस स्थिति में, स्टांप शुल्क केवल तत्काल नकद भुगतान (Immediate Cash Payment) पर नहीं, बल्कि संपूर्ण सौदे (Total Transaction) के मूल्य पर लगता है, जिसमें ऋण की राशि (Debt Amount) या भविष्य में किया जाने वाला भुगतान (Future Payment) भी शामिल होता है।

    यह लेख धारा 24 को विस्तार से समझाएगा, इसके कानूनी प्रभाव (Legal Implications) बताएगा, पिछले संबंधित प्रावधानों (Previous Sections) का संदर्भ देगा, और उदाहरणों (Illustrations) के माध्यम से इसे स्पष्ट करेगा।

    धारा 24 (Section 24): ऋण या भविष्य में भुगतान के आधार पर संपत्ति हस्तांतरण (Transfer of Property in Consideration of Debt or Future Payment)

    धारा 24 के अनुसार, जब कोई संपत्ति किसी व्यक्ति को पूरी तरह या आंशिक रूप से किसी ऋण (Debt) के बदले हस्तांतरित (Transferred) की जाती है, या उस पर कोई भविष्य में देय भुगतान (Future Payment) या स्टॉक (Stock) हस्तांतरित करने की शर्त लागू होती है, तो स्टांप शुल्क की गणना (Calculation) पूरी सौदेबाजी की कुल राशि (Total Transaction Value) पर की जाएगी।

    इसका अर्थ यह है कि यदि कोई व्यक्ति किसी संपत्ति को पहले से मौजूद ऋण (Existing Debt) के आधार पर प्राप्त करता है या यदि कोई संपत्ति भविष्य में किए जाने वाले किसी भुगतान (Future Payment) की शर्त के साथ हस्तांतरित (Transferred) होती है, तो इस ऋण या देनदारी (Liability) को भी सौदे की कीमत (Consideration) में शामिल किया जाएगा और उसी के अनुसार स्टांप शुल्क लगेगा।

    यह नियम इस उद्देश्य से बनाया गया है कि कोई भी व्यक्ति स्टांप शुल्क से बचने के लिए संपत्ति के मूल्य (Property Value) को कम न दिखाए। यदि स्टांप शुल्क केवल तत्काल नकद भुगतान (Immediate Cash Payment) पर लगाया जाए और पहले से बकाया ऋण (Outstanding Debt) को सौदे की कीमत से अलग रखा जाए, तो लोग कम नकद राशि दिखाकर कम स्टांप शुल्क देने का प्रयास कर सकते हैं। इस प्रकार, यह प्रावधान लेनदेन की वास्तविक आर्थिक कीमत (Real Economic Value) पर कर लगाने को सुनिश्चित करता है।

    बन्धक (Mortgage) और भार (Encumbrance) का स्टांप शुल्क पर प्रभाव (Effect of Mortgage and Encumbrances on Stamp Duty)

    धारा 24 की व्याख्या में यह बताया गया है कि यदि किसी संपत्ति को किसी बन्धक (Mortgage) या अन्य भार (Encumbrance) के साथ बेचा जाता है, तो उस संपत्ति पर मौजूद बकाया बन्धक राशि (Outstanding Mortgage Amount) और उस पर देय ब्याज (Accrued Interest) को भी विक्रय मूल्य (Sale Price) का हिस्सा माना जाएगा।

    उदाहरण के लिए, यदि कोई संपत्ति पहले से ही किसी ऋण (Loan) के लिए गिरवी (Mortgaged) रखी गई है और बाद में बेची जाती है, तो नया खरीदार (Buyer) उस ऋण की जिम्मेदारी लेता है। यह वित्तीय दायित्व (Financial Obligation) संपत्ति का एक अनिवार्य हिस्सा होता है, इसलिए इसे सौदे की कुल कीमत (Total Consideration) में शामिल किया जाता है और स्टांप शुल्क उसी आधार पर लगाया जाता है।

    इसके अलावा, यदि बन्धक संपत्ति को बन्धकधारी (Mortgagee) को हस्तांतरित किया जाता है, तो बन्धकधारी को संपत्ति स्थानांतरण (Property Transfer) पर देय स्टांप शुल्क में उस राशि की कटौती (Deduction) का अधिकार होगा, जो पहले ही बन्धक (Mortgage) पर स्टांप शुल्क के रूप में चुकाई जा चुकी है। यह प्रावधान दोहरी कराधान (Double Taxation) को रोकने के लिए दिया गया है।

    उदाहरण (Illustrations) और उनकी व्याख्या (Explanation)

    धारा 24 को अधिक स्पष्ट रूप से समझाने के लिए, निम्नलिखित उदाहरणों (Illustrations) का उपयोग किया गया है, जो बताते हैं कि विभिन्न परिस्थितियों में स्टांप शुल्क की गणना कैसे की जाती है।

    उदाहरण 1: ऋण के बदले संपत्ति का हस्तांतरण (Transfer in Consideration of an Existing Debt)

    मान लीजिए, A को B से ₹1,000 उधार (Loan) लेना था। बाद में, A अपनी संपत्ति B को बेचता है, जिसमें ₹500 नकद और शेष ऋण ₹1,000 को समाप्त करने की शर्त शामिल है।

    इस स्थिति में, कुल लेन-देन मूल्य (Total Transaction Value) ₹1,500 होगा, क्योंकि B ₹500 नकद चुका रहा है और ₹1,000 के ऋण को समाप्त कर रहा है। अतः स्टांप शुल्क ₹1,500 की राशि पर लगेगा।

    यह उदाहरण दर्शाता है कि ऋण माफी (Debt Forgiveness) को भी सौदे के मूल्य का हिस्सा माना जाता है। भले ही ₹1,000 की राशि भौतिक रूप से हस्तांतरित न हो, लेकिन यह आर्थिक रूप से मूल्यवान (Economically Valuable) होती है और स्टांप शुल्क की गणना में शामिल की जाती है।

    उदाहरण 2: बन्धक सहित संपत्ति की बिक्री (Sale of Property with an Existing Mortgage)

    मान लीजिए, A एक संपत्ति B को ₹500 में बेचता है, लेकिन यह संपत्ति पहले से ही C के पास ₹1,000 के बन्धक (Mortgage) में है और उस पर ₹200 का ब्याज बकाया है।

    इस स्थिति में, कुल सौदे की कीमत ₹1,700 होगी, क्योंकि B केवल ₹500 का भुगतान नहीं कर रहा है, बल्कि ₹1,000 के ऋण और ₹200 के ब्याज की जिम्मेदारी भी ले रहा है। इसलिए, स्टांप शुल्क ₹1,700 पर लगेगा।

    यह सुनिश्चित करता है कि संपत्ति के वास्तविक मूल्य (Actual Value) पर स्टांप शुल्क लगाया जाए और बन्धकों (Mortgages) को छिपाकर लेन-देन की कीमत को कम न दिखाया जाए।

    उदाहरण 3: बन्धकधारी (Mortgagee) को संपत्ति का हस्तांतरण (Transfer of a Mortgaged Property to the Mortgagee)

    मान लीजिए, A ने B से ₹5,000 का ऋण लेकर ₹10,000 मूल्य का घर बन्धक (Mortgage) रखा। बाद में, B उसी घर को A से खरीदता है।

    इस स्थिति में, कुल सौदे की कीमत ₹10,000 होगी क्योंकि B अब पूर्ण स्वामित्व (Full Ownership) प्राप्त कर रहा है। लेकिन, चूंकि B ने पहले ही बन्धक (Mortgage) पर स्टांप शुल्क चुका दिया था, उसे इस राशि की छूट (Deduction) मिलेगी।

    यह प्रावधान दोहरी कराधान (Double Taxation) को रोकता है और यह सुनिश्चित करता है कि एक ही लेन-देन पर दो बार कर न लगाया जाए।

    भारतीय स्टांप अधिनियम, 1899 की धारा 24 महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सुनिश्चित करती है कि संपत्ति लेन-देन (Property Transactions) में स्टांप शुल्क की गणना सही तरीके से हो। यह प्रावधान इस बात को रोकता है कि लोग ऋण या बन्धकों (Mortgages) को छिपाकर संपत्ति का मूल्य कम न दिखाएं और स्टांप शुल्क से बचने की कोशिश न करें।

    यह धारा अन्य प्रावधानों जैसे कि धारा 20 (विदेशी मुद्रा रूपांतरण - Foreign Currency Conversion), धारा 21 (स्टॉक मूल्यांकन - Stock Valuation), धारा 22 (विनिमय दर - Exchange Rate), और धारा 23 (ब्याज का उपचार - Treatment of Interest) से जुड़ी हुई है, जो विभिन्न प्रकार के सौदों के लिए स्टांप शुल्क की गणना को प्रभावित करती हैं।

    अतः, संपत्ति खरीदने, बेचने या गिरवी रखने से पहले इन प्रावधानों को समझना आवश्यक है ताकि कोई कानूनी बाधा (Legal Complication) उत्पन्न न हो और सभी कर संबंधी दायित्व (Tax Obligations) सही तरीके से पूरे किए जा सकें।

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