किराएदार की आवश्यक सेवाओं को रोकना या बंद करना – हिमाचल प्रदेश शहरी किराया नियंत्रण अधिनियम, 1987 की धारा 11
Himanshu Mishra
19 Feb 2025 11:49 AM

हिमाचल प्रदेश शहरी किराया नियंत्रण अधिनियम, 1987 (Himachal Pradesh Urban Rent Control Act, 1987) किराएदारों (Tenants) को मकान मालिकों (Landlords) द्वारा किए जाने वाले अन्यायपूर्ण (Unfair) व्यवहार से बचाने के लिए बनाया गया है।
इस अधिनियम की धारा 11 (Section 11) बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मकान मालिक को किराएदार द्वारा उपयोग की जा रही आवश्यक सेवाओं (Essential Supply or Service) को रोकने या बंद करने से रोकती है। यह प्रावधान (Provision) यह सुनिश्चित करता है कि मकान मालिक किराएदार को परेशान करने के लिए या किराए में बढ़ोतरी करवाने के लिए ऐसी अनुचित हरकतें न करें।
आवश्यक सेवाओं को बंद करने या रोकने पर रोक (Prohibition on Cutting Off or Withholding Essential Supply or Service)
धारा 11(1) के अनुसार, कोई भी मकान मालिक स्वयं या अपने किसी प्रतिनिधि (Representative) के माध्यम से किराएदार को दी जाने वाली आवश्यक सेवाओं को बिना किसी उचित और पर्याप्त कारण (Just and Sufficient Cause) के बंद नहीं कर सकता।
आवश्यक सेवाएँ (Essential Supply or Service) कौन-कौन सी होती हैं?
• जल आपूर्ति (Water Supply) – मकान मालिक पानी की सप्लाई को नहीं रोक सकता।
• बिजली आपूर्ति (Electricity Supply) – मकान मालिक बिजली कनेक्शन को नहीं काट सकता।
• साझा स्थानों की रोशनी (Lights in Common Areas) – सीढ़ियों और गलियारों में पर्याप्त रोशनी बनाए रखना ज़रूरी है।
• सफाई सेवाएँ (Sanitary Services) – कचरा प्रबंधन, शौचालय की सफाई आदि शामिल हैं।
• निगमीय सेवाएँ (Conservancy Services) – नगरपालिका की सफाई और अन्य जरूरी सेवाएँ भी इसमें आती हैं।
उदाहरण: यदि कोई मकान मालिक किराएदार से ज्यादा किराया लेने के लिए पानी की सप्लाई रोक देता है, तो यह कानून का उल्लंघन होगा।
किराएदार की शिकायत करने का अधिकार (Right of the Tenant to File a Complaint)
यदि मकान मालिक आवश्यक सेवाओं को अनुचित तरीके से रोकता है, तो धारा 11(2) के तहत किराएदार नियंत्रक (Controller) के पास शिकायत दर्ज कर सकता है। नियंत्रक मकान मालिक और किराएदार के बीच होने वाले विवादों को हल करने का अधिकारी होता है।
शिकायत में यह स्पष्ट होना चाहिए कि किस सेवा को बंद किया गया, कब और कैसे किया गया, और इसका किराएदार पर क्या प्रभाव पड़ा।
उदाहरण: अगर किसी मकान मालिक ने किराएदार की बिजली आपूर्ति को बिना किसी सूचना के काट दिया और किराएदार को बाहर से जनरेटर लेकर रहना पड़ रहा है, तो वह नियंत्रक के पास शिकायत कर सकता है।
आवश्यक सेवाओं को बहाल करने का अंतरिम आदेश (Interim Order for Immediate Restoration of Essential Supply or Service)
धारा 11(3) नियंत्रक को यह अधिकार देती है कि यदि उसे यह लगे कि मकान मालिक ने किराएदार को परेशान करने के लिए सेवा बंद की है, तो वह तुरंत आदेश देकर आवश्यक सेवाओं को बहाल (Restore) करने का निर्देश दे सकता है।
महत्वपूर्ण बात: नियंत्रक यह आदेश बिना मकान मालिक को पूर्व सूचना दिए भी जारी कर सकता है, यदि स्थिति बहुत गंभीर हो।
उदाहरण: यदि किसी मकान मालिक ने किराएदार को गर्मी के दिनों में परेशान करने के लिए बिजली सप्लाई काट दी, तो नियंत्रक किराएदार की शिकायत पर तुरंत बिजली बहाल करने का आदेश दे सकता है।
पूरी जाँच के बाद अंतिम आदेश (Final Order after Inquiry)
धारा 11(4) के अनुसार, नियंत्रक पूरी जाँच करेगा और यदि यह साबित हो जाता है कि मकान मालिक ने बिना उचित कारण के आवश्यक सेवाओं को रोका है, तो वह मकान मालिक को सेवा बहाल करने का आदेश देगा।
हालांकि, यदि मकान मालिक के पास उचित कारण है, जैसे कि किराएदार द्वारा बिजली का बिल न चुकाना या किसी तकनीकी समस्या के कारण सेवा बाधित होना, तो नियंत्रक मकान मालिक को दोषी नहीं ठहराएगा।
उदाहरण: यदि मकान मालिक यह दावा करता है कि पानी की सप्लाई नगरपालिका ने बंद की है और जाँच में यह सच निकलता है, तो उस स्थिति में मकान मालिक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा। लेकिन यदि वह जानबूझकर पंप बंद करके पानी की सप्लाई रोकता है, तो नियंत्रक उसे सेवा बहाल करने का आदेश देगा।
झूठी शिकायत या गलत कार्य के लिए हर्जाना (Compensation for Frivolous or Unjust Actions)
धारा 11(5) के तहत नियंत्रक को यह अधिकार है कि वह या तो किराएदार को या फिर मकान मालिक को ₹100 तक का हर्जाना (Compensation) देने का आदेश दे सकता है।
• यदि किराएदार ने झूठी शिकायत की, तो उसे मकान मालिक को हर्जाना देना होगा।
• यदि मकान मालिक ने जानबूझकर सेवा बंद की, तो उसे किराएदार को हर्जाना देना होगा।
उदाहरण: यदि किराएदार झूठी शिकायत करता है कि पानी की सप्लाई बंद कर दी गई है, लेकिन जाँच में पता चलता है कि वास्तव में पानी नगरपालिका के पाइप लाइन में खराबी के कारण नहीं आ रहा था, तो नियंत्रक किराएदार पर ₹100 तक का हर्जाना लगा सकता है।
इसी तरह, यदि मकान मालिक जानबूझकर बिजली का कनेक्शन हटाकर किराएदार को परेशान करता है, तो उसे हर्जाना देना होगा।
आवश्यक सेवाओं का विस्तृत अर्थ (What Constitutes an "Essential Supply or Service"?)
धारा 11 की व्याख्या (Explanation I) में यह स्पष्ट किया गया है कि कौन-कौन सी सेवाएँ "आवश्यक सेवाएँ" मानी जाएँगी। इसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
• जल आपूर्ति (Water Supply)
• बिजली आपूर्ति (Electricity Supply)
• साझा स्थानों की रोशनी (Lights in Passages and Staircases)
• सफाई सेवाएँ (Sanitary Services)
• निगमीय सेवाएँ (Conservancy Services)
उदाहरण: यदि किसी अपार्टमेंट में रहने वाले किराएदारों के लिए एक कॉमन बोरवेल है और मकान मालिक जानबूझकर मोटर बंद कर देता है, तो यह आवश्यक सेवा को रोकने का मामला होगा।
मकान मालिक की लापरवाही के कारण सेवाएँ बाधित होना (Withholding Service Due to Acts or Omissions of the Landlord)
व्याख्या II (Explanation II) के अनुसार, यदि मकान मालिक की किसी गलती या लापरवाही के कारण आवश्यक सेवा बंद हो जाती है, तो इसे भी "सेवा रोकने" का मामला माना जाएगा।
उदाहरण:
1. यदि मकान मालिक बिजली का बिल नहीं भरता और बिजली विभाग कनेक्शन काट देता है, तो मकान मालिक को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
2. यदि मकान मालिक ने संपत्ति कर (Property Tax) का भुगतान नहीं किया और इस कारण नगर निगम ने पानी की सप्लाई बंद कर दी, तो भी यह धारा 11 का उल्लंघन होगा।
हिमाचल प्रदेश शहरी किराया नियंत्रण अधिनियम, 1987 की धारा 11 किराएदारों को यह अधिकार देती है कि वे आवश्यक सेवाओं को बंद करने के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकें। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि किराएदार बिना किसी अनुचित दबाव के रह सके। यदि मकान मालिक सेवा बंद करता है, तो किराएदार शिकायत दर्ज कर सकता है और नियंत्रक उसे बहाल करने का आदेश दे सकता है।
इसके साथ ही, यह धारा झूठी शिकायतों को रोकने के लिए दोनों पक्षों पर हर्जाना लगाने का भी प्रावधान करती है। इस तरह, यह कानून मकान मालिक और किराएदार दोनों के अधिकारों और कर्तव्यों के बीच संतुलन बनाए रखता है।