BNSS, 2023 की धारा 366 और CrPC, 1973 की धारा 327 में अंतर: Open Court की नई व्यवस्था
Himanshu Mishra
19 Feb 2025 11:40 AM

न्यायपालिका में खुले न्यायालय (Open Court) का सिद्धांत बहुत महत्वपूर्ण होता है, जिससे न्याय प्रक्रिया पारदर्शी (Transparent) और जवाबदेह (Accountable) बनी रहती है। इससे जनता को यह भरोसा रहता है कि न्याय निष्पक्ष और उचित तरीके से दिया जा रहा है।
दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (Criminal Procedure Code, 1973 - CrPC) में धारा 327 (Section 327) के तहत खुले न्यायालय का प्रावधान था, जिसे अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023 - BNSS, 2023) की धारा 366 (Section 366) में समाहित किया गया है।
हालांकि, BNSS, 2023 में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जिससे न केवल खुले न्यायालय की व्यवस्था को स्पष्ट किया गया है, बल्कि यौन अपराधों (Sexual Offences) से जुड़े मामलों में पीड़िता (Victim) की सुरक्षा और गोपनीयता (Confidentiality) को और मजबूत किया गया है। इस लेख में हम CrPC, 1973 की धारा 327 और BNSS, 2023 की धारा 366 के बीच अंतर को विस्तार से समझेंगे और यह जानेंगे कि नए कानून के तहत क्या बदलाव लाए गए हैं।
खुले न्यायालय (Open Court) का सिद्धांत
खुले न्यायालय (Open Court) का मतलब है कि आपराधिक मामलों (Criminal Cases) की सुनवाई जनता के सामने हो, जिससे न्याय प्रक्रिया पारदर्शी (Justice Process Transparent) बनी रहे। यदि सभी अदालती कार्यवाही जनता की उपस्थिति में होती है, तो यह न्यायपालिका पर जनता का विश्वास बनाए रखती है।
हालांकि, कुछ मामलों में न्यायालय यह तय कर सकता है कि सुनवाई को जनता के लिए बंद किया जाए, खासकर उन मामलों में जहां किसी व्यक्ति की निजता (Privacy) या गोपनीयता (Confidentiality) को बनाए रखना जरूरी हो।
CrPC, 1973 की धारा 327 (Section 327 of CrPC, 1973) में खुले न्यायालय का प्रावधान
धारा 327 के तहत, सामान्य आपराधिक मुकदमों (Criminal Trials) को खुले न्यायालय में सुना जाता था। इसका मतलब यह था कि कोई भी व्यक्ति न्यायालय की कार्यवाही में शामिल हो सकता था, बशर्ते कि अदालत में बैठने की जगह हो।
लेकिन इस धारा में एक महत्वपूर्ण अपवाद (Exception) यह था कि यदि न्यायाधीश (Judge) या मजिस्ट्रेट (Magistrate) को लगता था कि किसी विशेष मामले में जनता की उपस्थिति को प्रतिबंधित (Restrict) करना आवश्यक है, तो वह ऐसा कर सकता था।
विशेष रूप से बलात्कार (Rape) और यौन अपराधों (Sexual Offences) के मामलों को इन-कैमरा (In-Camera) सुनवाई के लिए अनिवार्य कर दिया गया था। इन-कैमरा सुनवाई का मतलब होता है कि सुनवाई बंद कमरे में होगी और केवल न्यायालय द्वारा अनुमत (Permitted) व्यक्तियों को ही प्रवेश दिया जाएगा।
इसके अलावा, इस तरह के मामलों की सुनवाई के दौरान किसी भी जानकारी को प्रकाशित (Publish) करने या छापने (Print) की अनुमति नहीं थी, जब तक कि न्यायालय विशेष रूप से इसकी अनुमति न दे।
BNSS, 2023 की धारा 366 (Section 366 of BNSS, 2023) में खुले न्यायालय की नई व्यवस्था
जब CrPC, 1973 को समाप्त (Repeal) कर BNSS, 2023 लागू किया गया, तो इसमें धारा 327 की जगह धारा 366 लाई गई। इस धारा के तहत, खुले न्यायालय की मूल अवधारणा को बनाए रखा गया, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण बदलाव और स्पष्टता जोड़ी गई।
BNSS, 2023 की धारा 366 में भी यह प्रावधान रखा गया है कि आपराधिक न्यायालय (Criminal Court) में होने वाली सुनवाई जनता के लिए खुली होगी। लेकिन इसके साथ-साथ, न्यायाधीश (Judge) या मजिस्ट्रेट (Magistrate) को यह अधिकार दिया गया है कि यदि उन्हें ऐसा उचित लगे, तो वे किसी भी व्यक्ति को न्यायालय से बाहर कर सकते हैं।
बलात्कार (Rape) और यौन अपराधों (Sexual Offences) से जुड़े मामलों में, इन-कैमरा सुनवाई को और अधिक अनिवार्य और प्रभावी बनाया गया है। इसके अलावा, इस तरह के मामलों की सुनवाई महिला न्यायाधीश (Female Judge) द्वारा कराए जाने की सिफारिश को और अधिक मजबूत किया गया है।
धारा 327 (CrPC, 1973) और धारा 366 (BNSS, 2023) के बीच मुख्य अंतर
1. अधिक अपराधों पर इन-कैमरा सुनवाई का प्रावधान
CrPC, 1973 की तुलना में, BNSS, 2023 में इन-कैमरा सुनवाई का दायरा बढ़ाया गया है। पहले, केवल कुछ गिने-चुने यौन अपराधों के मामलों में इन-कैमरा सुनवाई होती थी, लेकिन BNSS, 2023 में इसे और व्यापक बनाया गया है।
2. महिला न्यायाधीश द्वारा सुनवाई को अधिक अनिवार्य बनाना
CrPC, 1973 में यह केवल एक सिफारिश (Recommendation) थी कि यौन अपराधों की सुनवाई महिला न्यायाधीश द्वारा कराई जाए। लेकिन BNSS, 2023 में इसे और अधिक प्रभावी बनाने का प्रयास किया गया है, ताकि पीड़िता को अधिक न्यायसंगत वातावरण (Fair Environment) मिल सके।
3. न्यायालय की शक्ति को अधिक स्पष्ट बनाना
CrPC में न्यायालय को यह अधिकार था कि वह जनता को मुकदमे से हटा सकता था, लेकिन BNSS में इस अधिकार को और स्पष्ट किया गया है कि कब और कैसे इसे लागू किया जाना चाहिए।
4. पीड़िता की गोपनीयता (Confidentiality) को और अधिक मजबूत करना
BNSS, 2023 में यह प्रावधान जोड़ा गया है कि बलात्कार पीड़िता (Rape Victim) की पहचान (Identity) और पता (Address) को पूरी तरह गोपनीय रखा जाए, और न्यायालय की अनुमति के बिना इसकी कोई जानकारी प्रकाशित न हो।
उदाहरण से समझें
मान लीजिए कि एक बलात्कार का मामला CrPC, 1973 के तहत चल रहा है। न्यायाधीश यह तय करता है कि यह मुकदमा इन-कैमरा सुना जाएगा, और जनता की उपस्थिति पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। लेकिन, इस मुकदमे की सुनवाई महिला न्यायाधीश द्वारा कराना अनिवार्य नहीं था।
अब, यदि यही मामला BNSS, 2023 के तहत सुना जाए, तो यह स्वतः ही इन-कैमरा होगा, और यदि संभव हो, तो इसे महिला न्यायाधीश द्वारा ही सुना जाएगा। इसके अलावा, इस मामले में प्रकाशित की जाने वाली जानकारी पर और अधिक सख्त प्रतिबंध लगाए जाएंगे, ताकि पीड़िता की गोपनीयता बनी रहे।
नए बदलावों का प्रभाव
BNSS, 2023 में लाए गए बदलावों का मुख्य उद्देश्य पीड़ितों की सुरक्षा, गोपनीयता और न्याय तक उनकी बेहतर पहुंच सुनिश्चित करना है। इससे यौन अपराधों से जुड़े मामलों की सुनवाई अधिक संवेदनशील (Sensitive) और निष्पक्ष (Fair) हो सकेगी।
नए कानून के तहत:
• यौन अपराधों की सुनवाई अधिक सुरक्षित और गोपनीय होगी।
• महिला न्यायाधीश की भूमिका को और मजबूत किया गया है।
• न्यायालय को जनता की उपस्थिति को प्रतिबंधित करने के अधिकार को और अधिक स्पष्ट किया गया है।
BNSS, 2023 की धारा 366 ने CrPC, 1973 की धारा 327 में सुधार करके इसे और अधिक प्रभावी बना दिया है। इससे यौन अपराधों के मामलों में पीड़िता की सुरक्षा, गोपनीयता और निष्पक्ष न्याय की गारंटी दी गई है। हालांकि, खुले न्यायालय का सिद्धांत बना रहेगा, लेकिन संवेदनशील मामलों में न्यायालय के पास अधिक शक्ति होगी ताकि पीड़िता को सही न्याय मिल सके।