Transfer Of Property एग्रीमेंट के बिना लीज़ का पीरियड

Shadab Salim

19 Feb 2025 3:28 AM

  • Transfer Of Property एग्रीमेंट के बिना लीज़ का पीरियड

    लीज़ भी संपत्ति के अन्तरण का एक माध्यम है जिसमें संपत्ति का टाइटल तो उसके स्वामी के पास पर रहता है परंतु संपत्ति पर उपभोग का अधिकार अंतरिती उपलब्ध हो जाता।

    धारा 106 से अधिनियम का उद्देश्य है Lessee के हित को सुरक्षित रखना जो, इसमें उल्लिखित नियम के सिवाय पूर्णतया, असुरक्षित रहेगा। यथेच्छ लीज़धारी की तरह वह किसी भी क्षण lessor के विकल्प पर इस कारण कि Lessee द्वारा मुक्त कर देने पर उस सम्पत्ति का वह बेहतर उपयोग कर सकेगा, सम्पत्ति से बेदखल कर दिया जाएगा। यदि Lessee यकायक सम्पत्ति को मुक्त कर देता है जो lessor के लिए तुरन्त सम्पत्ति का विनियोजन करना दुष्कर होगा तथा सम्पत्ति कुछ समय के लिए बेकार हो जाएगी छोड़ देने के लिए सूचना, जैसा कि इस धारा में प्रस्तावित है, lessor तथा Lessee दोनों को ही सक्षम बनाती है कि वे अपने लिए कोई योजना तैयार कर लें। पर नोटिस की वहाँ आवश्यकता नहीं होगी जहाँ पक्षकार स्वयं कोई तत्प्रतिकूल संविदा किए हुए हो या कोई प्रथा प्रचलित हो जो नोटिस की आवश्यकता को समाप्त करती हो।

    इस प्रावधान का संशोधन इसलिए आवश्यक हो गया था कि लीज़ के समापन की अवधि की गणना में कठिनाइयाँ उत्पन्न होती थीं। सुप्रीम कोर्ट ने माँगी लाल बनाम सुगन चन्द के वाद में भी इस बात को दोहराया था कि नोटिस की अवधि की गणना में उस दिन की गणना नहीं को जाएगी जिस दिन नोटिस दी जाती है। भारत के विधि आयोग ने भी अपनी 181वीं रिपोर्ट में धारा 106 के सम्बन्ध में कतिपय सुझाव प्रस्तुत किया था।

    इन्हीं सुझावों के आलोक में धारा 106 को संशोधित कर यह सुस्पष्ट कर दिया गया कि लीज़ के समापन हेतु नोटिस की अवधि की गणना नोटिस प्राप्त होने की तिथि से की जाएगी (धारा 106 (2) ) यह संशोधन लम्बित वादों या कार्यवाहियों तथा दी गयी नोटिस के सम्बन्ध में भी लागू होगा जो प्रस्तावित संशोधन के अस्तित्व में आने से पूर्व जारी हुए हों।

    विश्लेषण - पर्यवसान या समापन के दृष्टिकोण से पट्टों को इस धारा के अन्तर्गत दो श्रेणियों में विभक्त किया गया है।

    (1) मासानुमासी पट्टे

    (2) वर्षानुवर्षी पट्टे

    स्थावर सम्पत्ति का कृषि के प्रयोजनों अथवा निर्माण के प्रयोजनों के लिए किया गया लीज़ वर्षानुवर्षी लीज़ माना जाएगा जबकि अन्य प्रयोजनों के लिए स्थावर सम्पत्ति का लीज़ मासानुमासी लीज़ समझा जाएगा।

    धारा 106 यह प्रावधान उपबन्धित करता है कि कृषि या विनिर्माण के प्रयोजनों के लिए स्थावर सम्पत्ति का लीज़ वर्षानुवर्षी लीज़ समझा जाएगा तथा ऐसा लीज़, lessor पर पट्टेदार द्वारा छः मास को ऐसी सूचना द्वारा पर्यवसेय है अथवा समाप्त हो सकेगा। यदि स्थावर सम्पत्ति का लीज़ उपरोक्त से पृथक् किसी अन्य प्रयोजन के लिए है तो यह लीज़ मासानुमासी लीज़ समझा जाएगा, जो lessor या पट्टेदार द्वारा पन्द्रह दिन की सूचना द्वारा पर्यवसेय है या समाप्त हो सकेगा।

    यह ध्यान देने योग्य तथ्य है कि वर्तमान धारा कृषि प्रयोजन हेतु लीज़ का सन्दर्भ ले रही है जबकि धारा 117 सुस्पष्ट करती है कि यह अध्याय कृषि प्रयोजनों हेतु तब तक प्रवर्तित नहीं होगा जब तक कि राज्य सरकार इस निमित्त अधिसूचना जारी न करें। यह भी महत्वपूर्ण है कि राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना तुरन्त के प्रभाव से लागू नहीं होती है। ऐसी अधिसूचना प्रकाशन को तिथि से छः मास की अवधि के पश्चात् ही लागू हो सकेगी। साधारणतया कृषि प्रयोजन के पट्टे भूविधियों के अन्तर्गत किए जाते हैं तथा भूविधियों का अधिनियमन राज्य विधान मण्डल द्वारा किया जाता है। अतः यह प्रावधान स्पष्टत: कृषि प्रयोजन हेतु किए गये पट्टों पर प्रभावी नहीं होगा। सम्भवतः इसे अति सावधानीवश इस धारा में वर्णित किया गया है।

    (1) एक मासानुमासी लीज़ पर्यवसेय होगा lessor या पट्टेदार की-

    (i) लिखित नोटिस द्वारा।

    (ii) नोटिस अवधि नोटिस प्राप्ति की तिथि से पन्द्रह दिन की हो।

    (iii) नोटिस उपधारा।

    (4) में वर्णित रोति से दो गयी हो।

    (2) एक वर्षानुवर्षी लीज़ पर्यवसेय होगा lessor पर पट्टेदार की

    (i) लिखित नोटिस द्वारा।

    (ii) नोटिस की अवधि नोटिस प्राप्ति की तिथि से छः मास की हो।

    (iii) नोटिस उपधारा

    (4) में वर्णित रीति से दी गयी हो।

    नोट- संशोधन सं० 3 सन् 2003 के प्रभावी होने से पूर्व इस धारा में यह अपेक्षा की गयी थी कि नोटिस अवधि समाप्त होने महीने के समापन के साथ अथवा वर्ष के समापन के साथ इस शर्त को सम्भवतः इसलिए समाप्त कर दिया गया है जिससे पट्टे का पर्यवसान अधिक सहज ढंग से हो सके। यह भी एक महत्वपूर्ण तथ्य है कि महीना या वर्ष का अन्त किस प्रणाली से निर्धारित होगा, सुनिश्चित नहीं होगा पक्षकार इंग्लिश कैलेण्डर, या विक्रमी संवत् या शक संवत या फसली वर्ष को आधार बना सकते हैं। इससे समय के निर्धारण में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इसी प्रकार महीना जनवरी, फरवरी न होकर चैत्र, वैशाख इत्यादि हो सकेगा। समरूपता लाने के लिए उक्त शर्त को समाप्त किया गया है।

    टेनेन्सी चाहे मासिक हो या अन्यथा, केवल सम्पत्ति अन्तरण अधिनियम, 1882 के प्रावधानों द्वारा ही विनियमित होती है। मासिक किरायेदार या पट्टेदार भी सम्पत्ति अन्तरण अधिनियम के अन्तर्गत निष्कापन के विरुद्ध सुरक्षा प्राप्त करने हेतु प्राधिकृत हैं। यदि पट्टे की अवधि के समापन के पश्चात् Lessee lessor को लीज़ सम्पत्ति का कब्जा प्रदान नहीं करता है तो वह सम्पत्ति का कब्जा एवं मध्यवर्ती लाभ के लिए न्यायालय से डिक्री प्राप्त कर सकेगा।

    जहाँ करार के फलस्वरूप lessor एवं लीज़दार के बीच मासिक टेनेन्सी का सृजन हुआ हो एवं उसमें टेनेन्सी की अवधि भी अभिलिखित हो तो ऐसी टेनेन्सी को समाप्त करते हेतु वाद संस्थित करने से पूर्व लीज़दार को इस आशय का नोटिस दिया जाना आवश्यक नहीं है। ऐसे मामलों में पट्टे का पर्यवसान स्वयमेव निर्धारित समय के बीत जाने से हो हो जाता है। यदि लीज़दार को नोटिस रजिस्ट्रीकृत डाक द्वारा भेजी जाए और वह डाक लेने से इन्कार कर दिया' इस टिप्पणी के साथ वापस आ जाए तो इस कारण lessorलीज़दार के निष्कासन हेतु बाद संस्थित करने के अपने अधिकार से वंचित नहीं होगा। वाद संस्थित करने का अधिकार तब भी समाप्त नहीं होगा जब कि lessor ने पट्टे की अवधि के समापन के पश्चात् की अवधि का किराया लीज़दार से प्राप्त किया हो।

    पर्यवसान हेतु नोटिस–लीज़ के पर्यवसान हेतु नोटिस को आवश्यकता तब होगी जब पक्षकारों के बीच कोई तत्प्रतिकूल संविदा या स्थानीय विधि या प्रथा न हो। यदि ऐसा है तो पर्यवसान हेतु नोटिस की आवश्यकता नहीं होगी। उदाहरणार्थ यदि लीज़ विलेख में यह उल्लिखित है कि लीज़ के पर्यवसान हेतु नोटिस की आवश्यकता नहीं हो तो इसके पर्यवसान हेतु नोटिस नहीं दी जाएगी। यदि कोई स्थानीय विधि या प्रथा प्रचलित है जिसके अनुसार लीज़ के समापन हेतु नोटिस की आवश्यकता नहीं होगी तो नोटिस नहीं देनी होगी। यदि लीज़ किसी निश्चित अवधि के लिए है तो भी नोटिस को दरकार नहीं होगी क्योंकि अवधि की समाप्ति लीज़ की समाप्ति के तुल्य है।

    यदि लीज़ का समापन किसी भावी घटना पर आधारित है तो घटना का घटित होना लीज़ समाप्त करने के लिए पर्याप्त हैं। नोटिस की आवश्यकता नहीं होगी यदि लीज़दार अतिधारण कर रहा तो या लीज़ शाश्वत लीज़ हो या जब्तीकरण द्वारा इसका पर्यवसान हो गया हो अथवा पट्टेदार lessor के स्वामित्व को नकार रहा हो।" "जीवन काल के लिए लीज़' में नोटिस की आवश्यकता नहीं होगी। 'यथेच्छ इच्छा' लीज़ में नोटिस की आवश्यकता नहीं होगी मात्र कब्जा की माँग पट्टेदारी समाप्त करने के लिए पर्याप्त होगी।

    इस धारा में प्रयुक्त पद "तत्प्रतिकूल संविदा" से यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है कि पट्टे के पक्षकार लीज़ हेतु प्रदत्त प्रकट प्रावधानों के विपरीत कोई संविदा करने के लिए स्वतंत्र है; एवं इसके द्वारा यह विधायिका की मंशा को ही निष्प्रभावी बना दें। यह प्रावधान एक वैध संविदा की प्रकल्पना करता है। अतः एक लीज़धारी जो अरजिस्ट्रीकृत करार एवं किराया पर सृजित की गयी है। और आपस में सहमत शर्तों के आधार पर की गयी है ऐसे संव्यवहार को मासिक लीज़दारी के रूप में स्वीकृत किया जायेगा। लीज़दारी में यह करार किं लगातार तीन महीने तक किराये का भुगतान न किये जाने पर ही लीज़दारी समाप्त की जा सकेगी अवैध मानी जाएगी, क्योंकि यह स्पष्टतः विधि के प्रकट प्रावधानों के प्रतिकूल है।

    साधारणतया लीज़ सम्पत्ति को खाली करने की नोटिस व्यक्तिगत तौर पर दी जाती है। किन्तु यदि एक से अधिक पट्टे एक साथ सृजित किए जाते हैं तो उन सभी को समाप्त करने हेतु एक ही नोटिस जारी की जा सकेगी। परन्तु इस नोटिस में उन पट्टों को सम्मिलित नहीं किया जा सकेगा जो पृथक् रूप में सृजित किए गये थे। यदि ऐसी नोटिस दी जाती है तो नोटिस अवैध होगी।

    तत्प्रतिकूल विधि - यदि लीज़ के सम्बन्ध में कोई तत्प्रतिकूल विधि अस्तित्ववान है तथा वह लीज़ के पर्यवसान हेतु नोटिस की आवश्यकता को समाप्त करती है, तो ऐसी स्थिति में लीज़ का पर्यवसान करने हेतु नोटिस की आवश्यकता नहीं होगी। यदि साधारण विधि के अन्तर्गत देनेन्सी को समाप्त करने के उपरान्त टेनेन्ट को अपनी सम्पत्ति से बेदखल करने का अधिकार किसी अस्थायी विधि द्वारा बाधित कर दिया जाता है तो नोटिस देने की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी तथा यह अधिकार तब पुनर्जीवित हो जाएगा जब उसका प्रभावी होना समाप्त हो जाए। कतिपय विधान नोटिस की आवश्यकता को ही समाप्त कर देते हैं।

    उदारहण स्वरूप दिल्ली रेंट कन्ट्रोल एक्ट इस धारा के प्रावधान को अधिक्रान्त करते हुए यह व्यवस्था करता है कि लैण्डलार्ड उक्त अधिनियम के अन्तर्गत पट्टेदार के निष्पादन हेतु वाद संस्थित कर सकेगा। टेनेसी का पर्यवसान करने हेतु टेनेन्सी को समाप्त करने हेतु नोटिस दिए बिना तत्प्रतिकूल प्रथा यदि किसी स्थान पर कोई प्रथा है जो धारा 106 से मेल नहीं खाती है तो ऐसे लीज़ के पर्यवसान हेतु नोटिस देना समीचीन होगा।

    यदि किसी स्थानीय प्रथा के अनुसार लीज़ के समापन हेतु पन्द्रह दिन की नोटिस के सापेक्ष 30 दिन की नोटिस की अपेक्षा करता है, तो पन्द्रह दिन की ऐसी नोटिस आवश्यक होगी जैसा कि उस धारा में अपेक्षित है, लीज़ को समाप्त करने के लिए आवश्यक होगी। यदि किसी मामले में कोई प्रथा प्रतिकूल है, तो इस धारा के प्रावधान लागू नहीं होंगे।

    टेनेन्सी की कालावधि तथा इसके पर्यवसान की रीति के निर्धारण से सम्बन्धित उपधारणा इस धारा के अन्तर्गत उन मामलों पर लागू नहीं होगी जहाँ कोई तत्प्रतिकूल प्रथा हो। अतः यदि इस आशय की कोई प्रथा है तो पट्टे का समापन तदनुसार होगा न कि इस धारा के अन्तर्गत। यदि स्थानीय प्रथा 30 दिन की नोटिस की अपेक्षा करती है किसी भवन से सम्बन्धित लीज़ के समापन हेतु तो 15 दिन को नोटिस, जैसा कि इस धारा में वर्णित है प्रभावी नहीं होगी इसी प्रकार यदि स्थानीय प्रधा नोटिस देने हेतु एक कालावधि निर्धारित करती है एवं इस हेतु प्रक्रिया का भी उल्लेख करती है तो नोटिस इस धारा में वर्णित रीति से देना आवश्यक नहीं होगा। इस प्रक्रिया का अनुसरण करना आवश्यक होगा जो प्रथा के अनुरूप है।

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