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भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 22 और 26 : CCI की बैठकों की प्रक्रिया और जांच की प्रक्रिया
हमने पिछले खंडों में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India - CCI) के गठन और शक्तियों के बारे में सीखा। अब, भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम का अध्याय IV (Chapter IV) CCI के कामकाज के आंतरिक नियमों और जांच की प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित करता है। धारा 22 (Section 22) CCI की बैठकों के संचालन के तरीके को परिभाषित करती है, जबकि धारा 26 (Section 26) Competition-विरोधी मामलों की जांच के लिए एक विस्तृत प्रक्रिया निर्धारित करती है।धारा 22: आयोग की बैठकें (Meetings of the Commission)धारा...
वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 26 : नमूने लेने की शक्ति और कानूनी स्वीकार्यता के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया
वायु गुणवत्ता मानकों (Air Quality Standards) को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों (State Pollution Control Boards - SPCBs) और उनके अधिकृत अधिकारियों (Authorized Officers) को एक महत्वपूर्ण शक्ति दी गई है: विश्लेषण (Analysis) के लिए हवा या उत्सर्जन (Emission) के नमूने (Samples) लेने का अधिकार।वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 26 इस शक्ति का विवरण देती है और, इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि, यह एक सख्त प्रक्रिया (Strict Procedure) निर्धारित करती...
क्या धारा 498A की कार्यवाही को कानून के दुरुपयोग से बचाने के लिए रद्द किया जा सकता है?
धारा 498A आईपीसी (अब धारा 85 और 86, बीएनएस 2023) का दायरा और उद्देश्य (Scope and Purpose)भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 498A, जिसे अब भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita) की धारा 85 और 86 में शामिल किया गया है, का उद्देश्य शादीशुदा महिलाओं को उनके पति या ससुराल वालों द्वारा की जाने वाली क्रूरता (Cruelty) से बचाना है। "क्रूरता" का अर्थ है ऐसा जानबूझकर किया गया आचरण जो महिला को आत्महत्या करने के लिए मजबूर करे, या उसके जीवन, अंग या स्वास्थ्य (मानसिक या शारीरिक) को...
पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 60-63: पंजीकरण पूरा होने और अधिकारियों की शक्तियां
आइए पंजीकरण अधिनियम, 1908 (Registration Act, 1908) के भाग XI के उन अंतिम अनुभागों (sections) को समझते हैं जो पंजीकरण की अंतिम औपचारिकताओं और अधिकारियों की अतिरिक्त शक्तियों से संबंधित हैं। ये धाराएँ पंजीकरण प्रक्रिया की समाप्ति और उसकी कानूनी वैधता को सुनिश्चित करती हैं।60. पंजीकरण का प्रमाण पत्र (Certificate of registration)यह धारा बताती है कि पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद क्या अंतिम कदम उठाया जाता है। जब पंजीकरण के लिए प्रस्तुत किसी दस्तावेज़ पर धारा 34, 35, 58 और 59 के प्रावधानों का...
भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 20 - 21: CCI द्वारा संयोजनों की जांच और वैधानिक प्राधिकरणों द्वारा संदर्भ
हमने पिछले खंड में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India - CCI) के कर्तव्यों और जांच की शक्तियों के बारे में सीखा। अब, भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 20 (Section 20) और धारा 21 (Section 21) विशिष्ट रूप से यह बताती हैं कि CCI बड़े विलय (mergers) और अधिग्रहणों (acquisitions) (जिन्हें "संयोजन" कहते हैं) की जांच कैसे करता है और जब अन्य नियामक निकाय (regulatory bodies) Competition से संबंधित मुद्दों का सामना करते हैं तो वे क्या करते हैं।धारा 20: संयोजनों की जांच (Inquiry into...
वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 24-25 : प्रवेश, निरीक्षण और सूचना एकत्र करना
वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981, के प्रावधानों (Provisions) को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों (State Pollution Control Boards - SPCBs) को परिसर (Premises) का निरीक्षण करने और जानकारी एकत्र करने के लिए विशिष्ट और महत्वपूर्ण शक्तियाँ (Specific and Significant Powers) दी गई हैं।ये शक्तियाँ प्रदूषण मानकों (Pollution Standards) के अनुपालन (Compliance) की निगरानी करने, संभावित उल्लंघनों (Potential Violations) की जांच करने और कानूनी कार्रवाई (Legal...
क्या बिना किसी अन्य साक्ष्य के सिर्फ Dying Declaration के आधार पर दोष सिद्ध किया जा सकता है?
प्रस्तावना (Introduction): Dying Declaration की वैधता और सीमा को दोबारा समझनाSharif Ahmed बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2024) के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह विचार किया कि क्या केवल Dying Declaration यानी मृत्युपूर्व बयान के आधार पर किसी व्यक्ति को दोषी ठहराया जा सकता है, जब उसके समर्थन में कोई अन्य स्वतंत्र साक्ष्य (Independent Evidence) मौजूद न हो। इस निर्णय में न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि Section 32(1) of the Indian Evidence Act, 1872 के अंतर्गत आने वाले ऐसे बयानों को सावधानी से परखा जाना चाहिए...
The Indian Contract Act की धारा 1 के प्रावधान
The Indian Contract Act को समझने के लिए इसकी मूल 30 धाराओं को समझना अत्यंत आवश्यक है। प्रारंभ की 1 से लेकर 30 तक की धाराएं सर्वाधिक महत्वपूर्ण धाराएं है। इस एक्ट के मूल आधारभूत ढांचे को इन 30 धाराओं के भीतर समझाने का प्रयास कर दिया गया है। यदि इन 30 धाराओं को इनके मूल मर्म के साथ समझने का प्रयास किया जाए तो समस्त संविदा विधि को अत्यंत सरलता के साथ समझा जा सकता है।धारा 1 इस एक्ट का परिचयात्मक हिस्सा है, जो इसके नाम, विस्तार, और प्रारंभ की तारीख को परिभाषित करती है। यह धारा एक्ट के दायरे और लागू...
The Indian Contract Act का सिविल लॉ में महत्व
The Indian Contract Act सिविल मामलों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण एक्ट है। यह एक्ट सिविल मामलों में ऐसा ही महत्व रखती है जैसा महत्व प्रशासनिक विधि के मामले में संविधान का है। इस एक्ट के बाद ही अन्य विधियों का जन्म हुआ है। भारत में संविदा विधि से संबंधित सर्वाधिक महत्वपूर्ण एक्ट भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 (इंडियन कॉन्ट्रैक्ट एक्ट, 1872) अधिनियमित है। भारत में अंग्रेज शासन काल के समय इस एक्ट को भारत में सिविल विधि को समृद्ध बनाने हेतु बनाया गया था।अंग्रेज शासन काल को अपने कंपनी संबंधित अनुबंध करने...
पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 57 - 59: दस्तावेजों के पंजीकरण की प्रक्रिया के बारे में
57. पंजीकरण अधिकारी को कुछ पुस्तकों और सूचकांकों का निरीक्षण करने की अनुमति देना, और प्रविष्टियों की प्रमाणित प्रतियां देना (Registering officers to allow inspection of certain books and indexes, and to give certified copies of entries)यह धारा इस बात को नियंत्रित करती है कि कौन पंजीकरण कार्यालयों में रखे गए रिकॉर्ड का निरीक्षण कर सकता है और उनकी प्रतियां प्राप्त कर सकता है। उपधारा (1) के अनुसार, शुल्क के भुगतान के अधीन, बुक नंबर 1 (Book No. 1) और बुक नंबर 2 (Book No. 2) और उनसे संबंधित सूचकांक...
वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 22 – 23 : अनुपालन सुनिश्चित करना और आपात स्थितियों पर प्रतिक्रिया
वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981, न केवल वायु प्रदूषण के लिए मानक (Standards) स्थापित करता है बल्कि उनके प्रवर्तन (Enforcement) और अप्रत्याशित घटनाओं (Unforeseen Events) पर प्रतिक्रिया देने के लिए मजबूत तंत्र (Robust Mechanisms) भी प्रदान करता है।ये धाराएँ औद्योगिक संचालकों (Industrial Operators) के लिए मानकों को पूरा करने के लिए कानूनी दायित्व (Legal Obligation) को रेखांकित करती हैं, प्रदूषण को रोकने के लिए अदालत के आदेश (Court Orders) प्राप्त करने के लिए राज्य बोर्ड (State...
भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 18-19 : CCI के कर्तव्य और जांच की शक्तियां
हमने पिछले अध्यायों में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India - CCI) के गठन, संरचना, और कर्मचारियों के बारे में सीखा। अब, भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम का अध्याय IV (Chapter IV) CCI के कर्तव्यों, शक्तियों और कार्यों पर ध्यान केंद्रित करता है। यह अध्याय बताता है कि CCI को क्या करना चाहिए और Competition (प्रतिस्पर्धा) से जुड़े मामलों की जांच कैसे करनी चाहिए।धारा 18: आयोग के कर्तव्य (Duties of the Commission)धारा 18 CCI के मुख्य कर्तव्यों को परिभाषित करती है। इस अधिनियम के...
क्या बिना धार्मिक रस्मों के केवल Marriage Certificate के आधार पर पति-पत्नी का कानूनी दर्जा प्राप्त किया जा सकता है?
Dolly Rani बनाम Manish Kumar Chanchal के मामले में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि क्या केवल एक प्रमाणपत्र (Certificate) या पंजीकरण (Registration) से किसी पुरुष और महिला को पति-पत्नी का दर्जा दिया जा सकता है, जब वैवाहिक रीति-रिवाज़ (Rituals) और विधियाँ (Ceremonies) पूरी तरह से नहीं निभाई गई हों।अदालत ने यह निर्णय हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 (Hindu Marriage Act, 1955) की धारा 7 और 8 के आलोक में दिया और संविधान के अनुच्छेद 142 (Article 142 of Constitution) की शक्तियों का प्रयोग करते हुए...
पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 51 - 55: रजिस्टर-पुस्तकों और सूचकांकों के संबंध में पंजीकरण अधिकारियों के कर्तव्य
आइए, पंजीकरण अधिनियम, 1908 (Registration Act, 1908) के भाग XI को समझते हैं, जो पंजीकरण अधिकारियों के कर्तव्यों और शक्तियों (Duties and Powers of Registering Officers) से संबंधित है। यह भाग उन प्रक्रियाओं को निर्धारित करता है जिनका पालन पंजीकरण कार्यालयों में दस्तावेजों को दर्ज करने, रिकॉर्ड रखने और व्यवस्थित करने के लिए किया जाना चाहिए।51. विभिन्न कार्यालयों में रखी जाने वाली रजिस्टर-पुस्तकें (Register-books to be kept in the several offices)यह धारा उन विशिष्ट पुस्तकों को सूचीबद्ध करती है जो...
वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981, की धारा 21: वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए सहमति तंत्र
वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981, औद्योगिक स्रोतों से होने वाले वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक महत्वपूर्ण नियामक तंत्र (Critical Regulatory Mechanism) स्थापित करता है। धारा 21 इस ढाँचे (Framework) का एक आधारशिला (Cornerstone) है, जो औद्योगिक संयंत्रों (Industrial Plants) के लिए एक घोषित वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्र (Air Pollution Control Area) में स्थापित या संचालित होने से पहले राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (State Pollution Control Board - SPCB) से सहमति (Consent)...
भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 16-17: महानिदेशक और आयोग के अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति
हमने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India - CCI) के प्रमुख पदाधिकारियों, यानी अध्यक्ष (Chairperson) और सदस्यों (Members) के बारे में विस्तार से चर्चा की। लेकिन CCI का काम सिर्फ इन्हीं कुछ लोगों तक सीमित नहीं है।Competition Act के नियमों का उल्लंघन करने वाले मामलों की जांच करने और आयोग को उसके कार्यों में सहायता देने के लिए एक बड़ी टीम की आवश्यकता होती है। भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 16 (Section 16) और धारा 17 (Section 17) इसी टीम के बारे में बात करती हैं। धारा 16:...
क्या जिला न्यायपालिका से नियुक्त हाईकोर्ट जज की पेंशन उनकी अंतिम सैलरी के अनुसार तय होनी चाहिए?
संवैधानिक और विधिक ढांचा (Constitutional and Statutory Framework)यह मामला मुख्य रूप से High Court Judge की Pension से जुड़ा है, विशेषकर तब जब वह Judge District Judiciary (जिला न्यायपालिका) से प्रोन्नत होकर High Court में नियुक्त होते हैं और बीच में थोड़े समय का Break (अवधि-रहित अंतराल) आ जाता है। इसमें संविधान के अनुच्छेद 217 और अनुच्छेद 221 प्रमुख हैं। अनुच्छेद 217, High Court Judge की नियुक्ति को नियंत्रित करता है, जबकि अनुच्छेद 221(2) कहता है कि किसी Judge को Parliament द्वारा तय की गई...
क्या Negotiable Instruments Act की धारा 143A के तहत अंतरिम मुआवज़ा देना अदालत की मजबूरी है या विवेकाधीन अधिकार?
Supreme Court ने Rakesh Ranjan Shrivastava बनाम झारखंड राज्य (2024) में यह तय किया कि Negotiable Instruments Act, 1881 की धारा 143A(1) में अदालत को जो शक्ति दी गई है कि वह चेक बाउंस (Cheque Bounce) के मामलों में अंतरिम मुआवज़ा (Interim Compensation) देने का आदेश दे सकती है वह अनिवार्य (Mandatory) है या विवेकाधीन (Discretionary)।अदालत ने यह स्पष्ट किया कि इस धारा में प्रयुक्त “may” (कर सकती है) शब्द को अनिवार्य नहीं माना जा सकता। इस निर्णय ने इस कानून के दुरुपयोग को रोकने और निष्पक्षता सुनिश्चित...
वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 19-20 : वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्रों की घोषणा और विनियमन
वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981, का अध्याय IV, वायु प्रदूषण को सक्रिय रूप से रोकने और नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार की विशिष्ट शक्तियों (Specific Powers) को रेखांकित करता है।ये धाराएँ सरकार को सख्त प्रदूषण नियंत्रण (Stricter Pollution Control) के लिए विशिष्ट क्षेत्रों (Specific Areas) को नामित करने और प्रदूषण के स्रोतों (Sources of Pollution), जैसे कुछ ईंधन, उपकरण और यहाँ तक कि सामग्री को जलाने पर भी प्रतिबंध लगाने का अधिकार देती हैं। यह अधिनियम ऑटोमोबाइल (Automobiles) से...
पंजीकरण अधिनियम, 1908 - धारा 47- 50: पंजीकरण और गैर-पंजीकरण के प्रभाव
धारा 47. पंजीकृत दस्तावेज़ कब से प्रभावी होता है (Time from which registered document operates)यह धारा पंजीकरण के सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांतों में से एक को स्थापित करती है: पंजीकरण का पूर्वव्यापी प्रभाव (retrospective effect)। इसमें कहा गया है कि एक पंजीकृत दस्तावेज़ उस समय से प्रभावी माना जाएगा जिस समय से वह प्रभावी होना शुरू होता, यदि उसके पंजीकरण की आवश्यकता नहीं होती या उसे पंजीकृत नहीं किया गया होता। यह पंजीकरण के समय से प्रभावी नहीं होता। • उदाहरण: यदि एक संपत्ति का बिक्री विलेख 1 जनवरी को...




















