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क्या भ्रामक विज्ञापनों पर लगाम लगाने के लिए Self Declaration प्रणाली उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा का नया कानूनी औज़ार बन सकती है?
क्या भ्रामक विज्ञापनों पर लगाम लगाने के लिए 'Self Declaration' प्रणाली उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा का नया कानूनी औज़ार बन सकती है?

सुप्रीम कोर्ट ने Indian Medical Association बनाम Union of India (2024) में एक ऐतिहासिक निर्णय देते हुए यह स्पष्ट किया कि भ्रामक और धोखाधड़ीपूर्ण विज्ञापनों पर नियंत्रण केवल मौजूदा कानूनों और नियमों पर निर्भर नहीं रह सकता, बल्कि इसके लिए एक ठोस और पहले से लागू होने वाला तंत्र आवश्यक है।इस निर्णय के तहत अब किसी भी प्रकार का विज्ञापन चाहे वह टीवी पर हो, रेडियो पर, अखबार में या इंटरनेट पर प्रसारित या प्रकाशित करने से पहले विज्ञापनदाता को 'Self Declaration' देना अनिवार्य होगा। अदालत ने इस आदेश को...

रजिस्टर्ड सोसाइटी के‌ खिलाफ कंस्ट्रक्टिव ट्रस्ट के रूप में S. 92 CPC का मुकदमा कब चलाया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धांतों की व्याख्या की
रजिस्टर्ड सोसाइटी के‌ खिलाफ 'कंस्ट्रक्टिव ट्रस्ट' के रूप में S. 92 CPC का मुकदमा कब चलाया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धांतों की व्याख्या की

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिए गए एक फैसले (ऑपरेशन आशा बनाम शैली बत्रा एवं अन्य) में सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 92 से संबंधित सिद्धांतों का सारांश प्रस्तुत किया और उन परिस्थितियों की व्याख्या की जिनमें किसी पंजीकृत सोसाइटी को 'कंस्ट्रक्टिव ट्रस्ट' माना जा सकता है ताकि उसके खिलाफ धारा 92 के अंतर्गत मुकदमा चलाया जा सके। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ की ओर से दिए गए निर्णय में निष्कर्षों का सारांश इस प्रकार है:i. CPC की धारा 92 के अंतर्गत दायर किया गया मुकदमा एक विशेष...