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Transfer Of Property में लीज़ के प्रावधान
लीज़-धारा 105धारा 105 लीज़ को परिभाषित करती है। एक आंशिक अन्तरण के रूप में अर्थात् कतिपय कालावधि के लिए उपभोगों के अधिकार का अन्तरण इस धारा के अनुसार अचल या स्थावर सम्पत्ति का लीज़ से अभिप्रेत है। ऐसी सम्पत्ति का उपभोग करने के अधिकार का अन्तरण जो किसी निश्चित अवधि के लिए भुगतान किए गये या भुगतान का वचन दिए गये मूल्य, धन, फसलों के अंश अथवा आवधिक रूप में दिए जाने वाले मूल्य की किसी अन्य वस्तु के प्रतिफल में अन्तरितों द्वारा अन्तरक को विशिष्ट अवसरों पर दिया जाता है। साधारण शब्दों में कहा जा सकता है।...
Transfer Of Property में कानून के इनफोर्समेंट से Burden पैदा होना
Transfer Of Property के अन्तर्गत क़ानून के इनफ़ोर्समेंट से Burden निम्नलिखित प्रकरणों में होता है-धारा 55 (4) (ख) यदि विक्रेता को करार के अनुसार निर्धारित धनराशि का भुगतान नहीं हुआ हो।धारा 55 (6) (ख) के अन्तर्गत क्रेता को क्रय हेतु अग्रिम भुगतान के रूप में दी गयी धनराशि पर भार।पी० पी० रामकृष्णन बनाम पी० प्रभाकरन के वाद में प्रतिवादी ने अपनी सम्पत्ति प्रतिवादी को रु० 1,25,000/- मात्र में बेचने का करार किया। इस करार के तहत वादी ने प्रतिवादी को रु० 1,00,000/- मात्र का भुगतान अग्रिम प्रतिफल के रूप में...
क्या दूसरी शादी के बाद माँ अपने बच्चे का उपनाम बदल सकती है? एक कानूनी विश्लेषण
सुप्रीम कोर्ट ने अकेला ललिता बनाम श्री कोंडा हनुमंथा राव (2022) मामले में एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रश्न पर फैसला दिया, जिसमें यह तय किया गया कि क्या एक माँ अपने बच्चे का उपनाम (Surname) बदल सकती है जब वह अपने पहले पति की मृत्यु के बाद दोबारा शादी कर लेती है।इस फैसले में कोर्ट ने स्पष्ट किया कि माँ, जो कि अपने बच्चे की एकमात्र प्राकृतिक संरक्षक (Natural Guardian) होती है, को यह अधिकार है कि वह अपने बच्चे का उपनाम निर्धारित कर सके और यदि आवश्यक हो, तो उसे अपने दूसरे पति को गोद (Adoption) भी दे सके। ...
भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899: जब एक लेन-देन में कई दस्तावेज उपयोग होते हैं
स्टाम्प ड्यूटी (Stamp Duty) एक महत्वपूर्ण कर (Tax) है, जो कानूनी दस्तावेजों (Legal Documents) पर लगाया जाता है ताकि वे वैध (Valid) और लागू (Enforceable) माने जाएं। भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 विभिन्न प्रकार के दस्तावेजों पर स्टाम्प ड्यूटी के प्रावधानों (Provisions) को निर्धारित करता है।कई बार, एक ही बिक्री (Sale), बंधक (Mortgage) या निपटान (Settlement) से जुड़े कई दस्तावेज उपयोग किए जाते हैं। इसी तरह, कुछ दस्तावेज कई अलग-अलग विषयों (Distinct Matters) से संबंधित हो सकते हैं या अधिनियम के...
धारा 362 और 363, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023: मामलों का हाईकोर्ट में संदर्भ और पहले से दोषी व्यक्तियों का परीक्षण
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) भारत में आपराधिक प्रक्रिया (Criminal Procedure) को नियंत्रित करने वाला नया कानून है। इसने दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (CrPC, 1973) को प्रतिस्थापित (Replace) किया है ताकि न्यायिक प्रक्रिया (Judicial Process) को अधिक प्रभावी और सुव्यवस्थित बनाया जा सके।धारा 362 और 363 यह तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं कि किन मामलों को हाईकोर्ट (Court of Session) को भेजा जाना चाहिए, और जो व्यक्ति पहले किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए...
हिमाचल प्रदेश अर्बन रेंट कंट्रोल अधिनियम, 1987: एक व्यापक व्याख्या
हिमाचल प्रदेश अर्बन रेंट कंट्रोल अधिनियम, 1987 (Himachal Pradesh Urban Rent Control Act, 1987) राज्य के शहरी क्षेत्रों (Urban Areas) में किराए (Rent) और किरायेदारों (Tenants) की बेदखली (Eviction) को नियंत्रित करने के लिए बनाया गया था।यह अधिनियम मकान मालिकों (Landlords) और किरायेदारों के अधिकारों (Rights) को संतुलित (Balance) करता है और किराए से जुड़े विवादों (Disputes) को हल करने के लिए एक कानूनी रूपरेखा (Legal Framework) प्रदान करता है। यह अधिनियम हिमाचल प्रदेश न्यायिक सेवा परीक्षा (Himachal...
Transfer Of Property की धारा 92 के प्रावधान
धारा-92यह धारा प्रत्यासन के सम्बन्ध में प्रावधान प्रस्तुत करती है। प्रत्यासन से तात्पर्य है किसी अन्य व्यक्ति (बदले में) का स्थान ग्रहण करना या उसके स्थान पर आसीन होना एवं उसके अधिकारों एवं दायित्वों से युक्त होना। उदाहरण के लिए यदि एक बंधक संव्यवहार में क बन्धकदार था और यदि क का स्थान ख विधि पूर्वक प्राप्त कर लेता है तो ख क को प्रत्यासित (प्रतिस्थापित) करता हुआ माना जाएगा।क अपने मकान का बन्धक ख को 5,000 रु० में तत्पश्चात् ग को 4,000 रु० में और फिर घ को 4,000 रु० में करता है। एक ही सम्पत्ति...
Transfer Of Property में Burden किसे कहा जाता है?
संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 100 भार की परिभाषा प्रस्तुत करती है भार और बंधक में अंतर होता है। भार का संबंध किसी संपत्ति के ऋण से होता है। जब कभी किसी संपत्ति पर कोई ऋण होता है तब कुछ संपत्ति को भार रखने वाली संपत्ति कहा जाता है तथा ऐसी परिस्थिति में संपत्ति का अंतरण नहीं किया जा सकता है।व्यावहारिक प्रयोजनों के लिए भार को बन्धक की एक प्रजाति माना जाता है फिर भी दोनों के बीच एक महत्वपूर्ण अन्तर है। बन्धक के अन्तर्गत सम्पत्ति का अन्तरण होता है जो मोचनाधिकार के अध्यधीन होता है। इसके विपरीत भार में...
कौन-कौन से दस्तावेज स्टाम्प ड्यूटी के अधीन आते हैं और कब छूट मिलती है : भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 की धारा 3
स्टाम्प ड्यूटी (Stamp Duty) एक प्रकार का कर (Tax) है, जो कानूनी दस्तावेजों (Legal Documents) पर लगाया जाता है ताकि वे वैध (Legally Valid) और लागू (Enforceable) हो सकें। यह सरकार के लिए राजस्व (Revenue) का एक महत्वपूर्ण स्रोत है और विभिन्न प्रकार के दस्तावेजों पर लागू होता है, जैसे कि समझौते (Agreements), विनिमय पत्र (Bills of Exchange), प्रतिज्ञा पत्र (Promissory Notes), और संपत्ति से जुड़े अनुबंध (Property Agreements)।भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 (Indian Stamp Act, 1899) भारत में स्टाम्प ड्यूटी...
शराब व्यापार और सरकारी राजस्व: राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 की धारा 39 और 40
राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 (Rajasthan Excise Act, 1950) राज्य में शराब और अन्य नशीले पदार्थों के निर्माण, बिक्री और कराधान (Taxation) को नियंत्रित करता है। इस अधिनियम के तहत, व्यापार में पारदर्शिता बनाए रखने और सरकार के राजस्व (Revenue) की सुरक्षा के लिए कुछ विशेष प्रावधान बनाए गए हैं।अध्याय VII (Chapter VII) में ऐसे ही दो महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल हैं—धारा 39, जो शराब विक्रेताओं और निर्माताओं के लिए सही माप-तौल उपकरण (Measuring and Testing Instruments) रखने की अनिवार्यता पर जोर देती है, और...
धारा 361, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023: जब मजिस्ट्रेट किसी मामले का निपटारा नहीं कर सकता
भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली (Criminal Justice System) को व्यवस्थित और प्रभावी बनाने के लिए, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) लागू की गई है। यह नया कानून दंड प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code - CrPC) का स्थान लेता है और आपराधिक मामलों को सुनने और तय करने की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है।इस कानून की धारा 361 (Section 361) एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो उन परिस्थितियों को स्पष्ट करती है जब एक मजिस्ट्रेट (Magistrate) को यह महसूस होता है कि वह...
सुप्रीम कोर्ट व्यक्तिगत स्वतंत्रता और आपराधिक कानून के दुरुपयोग को कैसे रोकता है?
भारत का सुप्रीम कोर्ट हमेशा नागरिकों के मौलिक अधिकारों (Fundamental Rights) की रक्षा करता है, खासकर व्यक्तिगत स्वतंत्रता (Personal Liberty) की, जो संविधान (Constitution) के अनुच्छेद 21 (Article 21) के तहत संरक्षित है। यह निर्णय महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें ग़लत गिरफ्तारी (Wrongful Arrest), आपराधिक कानून (Criminal Law) के दुरुपयोग और मुक्त भाषण (Freedom of Speech) से जुड़े मामलों को उठाया गया है।अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी व्यक्ति को कानूनी प्रक्रिया (Legal Process) का गलत इस्तेमाल करके...
Order XXII Rule 4 CPC | सुप्रीम कोर्ट ने कानूनी उत्तराधिकारियों को प्रतिस्थापित करने, छूट रद्द करने और देरी को माफ करने के लिए आवेदन दायर करने की सही प्रक्रिया बताई
सुप्रीम कोर्ट ने चल रहे मुकदमे में कानूनी उत्तराधिकारियों को प्रतिस्थापित करने के संबंध में स्पष्टीकरण जारी किया, जिसमें वकीलों द्वारा अक्सर की जाने वाली प्रक्रियागत गलतियों को संबोधित किया गया। न्यायालय ने मुकदमे या अपील के छूट और उस छूट को रद्द करने की प्रक्रिया के बीच महत्वपूर्ण अंतर पर जोर दिया, खासकर उन मामलों में जहां प्रतिस्थापन आवेदन प्रारंभिक 90-दिन की परिसीमा अवधि से परे दायर किए जाते हैं।Order XXII Rule 4 CPC मृतक पक्षों को उनके कानूनी प्रतिनिधियों से प्रतिस्थापित करने की प्रक्रिया को...
लाइसेंस सरेंडर नवीनीकरण और तकनीकी त्रुटियां : राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 की धाराएं 36, 37 और 38
राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 (Rajasthan Excise Act, 1950) में शराब की खुदरा बिक्री (Retail Sale) से जुड़े लाइसेंस (Licence) के सरेंडर (Surrender), नवीनीकरण (Renewal) और तकनीकी त्रुटियों (Technical Irregularities) को लेकर विस्तृत प्रावधान दिए गए हैं।धारा 36, 37 और 38 में यह बताया गया है कि यदि कोई लाइसेंसधारक (License Holder) अपना लाइसेंस छोड़ना चाहे, तो उसके लिए क्या प्रक्रिया होगी, क्या लाइसेंसधारक को नवीनीकरण (Renewal) का कोई अधिकार है, और यदि लाइसेंस में कोई तकनीकी गलती हो जाए, तो उसे वैध...
किशोर न्याय और जघन्य अपराध: क्या 16 से 18 साल के बच्चों को वयस्क अपराधियों की तरह सजा दी जानी चाहिए
भारत में नाबालिगों (Juveniles) के अपराधों को निपटाने के लिए Juvenile Justice (Care and Protection of Children) Act, 2015 बनाया गया है। इस कानून का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जिन बच्चों पर अपराध का आरोप है, उन्हें उचित न्याय मिले और उनके सुधार (Rehabilitation) पर ध्यान दिया जाए।लेकिन जब 16 से 18 वर्ष के बीच के किशोर (Teenagers) जघन्य अपराध (Heinous Crime) करते हैं, तो कानून इस बात की अनुमति देता है कि यह जांच की जाए कि उन्हें वयस्क (Adult) की तरह मुकदमे (Trial) का सामना करना चाहिए या नहीं। ...
धारा 360, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023: अभियोजन से हटने की प्रक्रिया, शर्तें और न्यायालय की भूमिका
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023), जो पहले की दंड प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code) का स्थान ले चुकी है, इसमें अभियोजन से हटने (Withdrawal from Prosecution) का प्रावधान धारा 360 (Section 360) में दिया गया है।यह धारा लोक अभियोजक (Public Prosecutor) या सहायक लोक अभियोजक (Assistant Public Prosecutor) को यह अधिकार देती है कि वे किसी भी आरोपी (Accused) के खिलाफ मुकदमे से हट सकते हैं, लेकिन इसके लिए न्यायालय (Court) की अनुमति आवश्यक होगी। यह...
क्या भारत में सच में राजद्रोह कानून समाप्त हो गया? बीएनएस 152 बनाम आईपीसी 124A की तुलना
भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita - BNS), 2023 को लागू करने से भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली (Criminal Justice System) में एक बड़ा बदलाव आया।इसने भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code - IPC), 1860 को पूरी तरह से बदल दिया। आईपीसी की धारा 124A, जो राजद्रोह (Sedition) से संबंधित थी, सबसे विवादास्पद प्रावधानों में से एक थी। सरकार ने दावा किया कि नए कानून में इसे हटा दिया गया है, लेकिन बीएनएस की धारा 152 को गहराई से देखने पर पता चलता है कि राजद्रोह की मूल अवधारणा अब भी नए रूप में मौजूद...
Transfer Of Property में डिपॉजिट टू कोर्ट किसे कहा जाता है?
संपत्ति अंतरण अधिनियम 1882 के अंतर्गत किसी भी बंधककर्ता को अपनी बंधक संपत्ति को मोचन करने का अधिकार प्राप्त है। यदि किसी बंधककर्ता ने अपनी कोई संपत्ति बंधक की संविदा के अंतर्गत बंधकदार को अंतरण की है तो उस संपत्ति की ऋण की अदायगी के समय विमोचन के अधिकार का प्रयोग कर पुनः प्राप्त कर सकता है। इस अधिनियम की धारा-83 इसी प्रकार मोचन के अधिकार का एक प्रारूप है। यदि कोई व्यक्ति अपने मोचन के अधिकार का प्रयोग करना चाहता है तथा अपने लिए गए ऋण की अदायगी करना चाहता है तब उसके पास में यह विकल्प उपलब्ध होगा...
Transfer Of Property की धारा 91 के प्रावधान
एक बंधककर्ता को अपनी संपत्ति पर मोचन का अधिकार प्राप्त होता है। बंधककर्ता के अलावा भी कुछ व्यक्ति ऐसे हैं जिन्हें मोचन का अधिकार प्राप्त है, धारा-91 उन्हीं व्यक्तियों का उल्लेख कर रही है।विधि बन्धककर्ता को यह अधिकार प्रदान करती है कि वह बन्धक रकम का भुगतान कर बन्धक सम्पत्ति वापस प्राप्त करे। बन्धककर्ता का यह अधिकार मोचनाधिकार कहलाता है। मोचनाधिकार की विवेचना अधिनियम की धारा 60 में की गयी है। धारा 91 उन व्यक्तियों के सम्बन्ध में प्रावधान करती है जो मोचन हेतु वाद ला सकेंगे या बन्धक सम्पत्ति का...
अन्य कारणों से लाइसेंस रद्द करने की शक्ति – राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 की धारा 35
राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 (Rajasthan Excise Act, 1950) शराब और नशीले पदार्थों (Intoxicating Substances) के निर्माण, बिक्री, वितरण और परिवहन को नियंत्रित करने के लिए बनाया गया एक कानून है।यह अधिनियम यह सुनिश्चित करता है कि शराब और अन्य नशीले पदार्थों से जुड़ी गतिविधियाँ एक वैध (Legal) ढांचे के अंतर्गत रहें। इसके तहत सरकार को लाइसेंस (Licence), परमिट (Permit) या पास (Pass) जारी करने का अधिकार प्राप्त होता है, और यदि आवश्यक हो तो इन्हें निलंबित (Suspend) या रद्द (Cancel) भी किया जा सकता है। ...