जानिए हमारा कानून
जैव विविधता अधिनियम, 2002 की धारा 6 और धारा 7: बौद्धिक संपदा अधिकारों का नियमन
जैव विविधता अधिनियम, 2002 भारत में एक महत्वपूर्ण कानूनी ढाँचा है जो देश के जैव संसाधनों (Biological Resources) और पारंपरिक ज्ञान (Traditional Knowledge) तक पहुँच को नियंत्रित करता है।इसकी मुख्य धाराओं में से, धारा 6 और धारा 7 दो अलग-अलग लेकिन संबंधित गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं: बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights or IPR) के लिए आवेदन और विभिन्न श्रेणियों के लोगों द्वारा जैव संसाधनों का व्यावसायिक उपयोग (Commercial Use)। ये धाराएँ एक बहु-स्तरीय निगरानी...
क्या राजनीतिक प्रभाव के आधार पर Prosecution Withdrawal उचित है?
सुप्रीम कोर्ट का हालिया फ़ैसला Shailendra Kumar Srivastava v. State of Uttar Pradesh & Anr. (2024 INSC 529) यह महत्वपूर्ण प्रश्न उठाता है कि क्या किसी आरोपी के राजनीतिक प्रभाव या जनछवि (Public Image) के आधार पर अभियोग वापसी (Withdrawal of Prosecution) की अनुमति दी जा सकती है।यह निर्णय न केवल CrPC (Code of Criminal Procedure, 1973) की धारा 321 की व्याख्या करता है बल्कि इस बात पर भी प्रकाश डालता है कि किस तरह न्यायिक प्रक्रिया (Judicial Process) में देरी, राजनीतिक दबाव और अभियोजन विवेक...
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 36A - धारा 36D : भारत में संरक्षित क्षेत्रों के नए प्रकार: संरक्षण और सामुदायिक भंडार
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (Wildlife Protection Act, 1972) भारत में संरक्षण प्रयासों को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कानूनी ढाँचा (legal framework) है। पारंपरिक राष्ट्रीय उद्यानों (National Parks) और अभयारण्यों (Sanctuaries) से परे, अधिनियम में धारा 36A से 36D तक के खंडों को शामिल किया गया है, जो दो नए प्रकार के संरक्षित क्षेत्रों - संरक्षण भंडार (Conservation Reserves) और सामुदायिक भंडार (Community Reserves) की स्थापना करते हैं। ये प्रावधान स्थानीय समुदायों की भागीदारी को बढ़ावा देने और...
जल अधिनियम 1974 की धारा 32 से 33A : आपातकालीन उपाय, न्यायालय से संरक्षण की मांग और दिशा-निर्देश जारी करने का अधिकार
धारा 32 : प्रदूषण की स्थिति में आपातकालीन उपाय (Emergency Measures in Case of Pollution)धारा 32 राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आपातकालीन परिस्थितियों में त्वरित कार्रवाई करने का विशेष अधिकार देती है। यदि बोर्ड को यह प्रतीत होता है कि किसी धारा (Stream), कुएँ (Well) या भूमि (Land) में किसी जहरीले (Poisonous), हानिकारक (Noxious) या प्रदूषणकारी (Polluting) पदार्थ का निकास (Discharge) हो चुका है या दुर्घटना अथवा अप्रत्याशित घटना (Accident or Unforeseen Event) के कारण ऐसा पदार्थ उसमें प्रवेश कर...
FIR और शिकायत में फ़र्क़ – पुलिस में क्या, कब और कैसे दर्ज करें?
FIR और शिकायत में फ़र्क़ – पुलिस में क्या, कब और कैसे दर्ज करें? हम अक्सर सुनते हैं – “FIR लिखवाओ” या “पुलिस में शिकायत करो”। लेकिन क्या दोनों एक ही चीज़ हैं? नहीं। आइए सरल शब्दों में समझते हैं:FIR (First Information Report) क्या है? • गंभीर अपराध (Cognizable Offence) होने पर लिखी जाती है – जैसे हत्या, डकैती, बलात्कार, अपहरण आदि। • इसमें पुलिस को तुरंत जाँच शुरू करने और आरोपी को गिरफ़्तार करने का अधिकार होता है। • FIR हमेशा लिखित रूप में दर्ज होती है और पीड़ित/शिकायतकर्ता को इसकी कॉपी मुफ़्त...
वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 34 और 35: Sanctuary के आसपास हथियारों का नियमन
वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972, भारत में वन्यजीव संरक्षण की आधारशिला है, जो जानवरों, पौधों और उनके आवासों की सुरक्षा के लिए एक शक्तिशाली कानूनी ढाँचा प्रदान करता है। हालाँकि यह अधिनियम एक व्यापक और विस्तृत दस्तावेज़ है, लेकिन कुछ धाराएँ विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे संरक्षित क्षेत्रों के प्रबंधन और उनकी पवित्रता पर गहरा असर डालती हैं। इनमें से धारा 34, जो Sanctuary के पास के क्षेत्रों में हथियारों के अनिवार्य Registration से संबंधित है, और धारा 35, जो National Parks की घोषणा और प्रबंधन...
जल अधिनियम 1974 की धारा 29 से 31 : पुनरीक्षण, कार्य निष्पादन का अधिकार और सूचना देने का दायित्व
धारा 29 : पुनरीक्षण का प्रावधान (Provision of Revision)धारा 29 में राज्य सरकार को यह अधिकार दिया गया है कि वह किसी भी समय, चाहे स्वयं (Suo Motu) या किसी व्यक्ति के आवेदन पर, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (State Board) द्वारा धारा 25, 26 या 27 के अंतर्गत पारित किसी भी आदेश (Order) की वैधता (Legality) और उपयुक्तता (Propriety) की जाँच कर सके। राज्य सरकार यदि यह पाती है कि आदेश में कोई त्रुटि है या सुधार की आवश्यकता है तो वह उसके संबंध में उपयुक्त आदेश पारित कर सकती है। हालाँकि, यह भी अनिवार्य शर्त...
जैव विविधता अधिनियम, 2002 की धारा 3, 4 और 5 का अवलोकन: जैव संसाधनों तक पहुँच पर प्रतिबंध
जैव विविधता अधिनियम, 2002 (The Biological Diversity Act or BD Act) भारत में एक महत्वपूर्ण कानून है जो जैव संसाधनों (Biological Resources) के संरक्षण, उनके टिकाऊ उपयोग (Sustainable Use), और उनके उपयोग से होने वाले लाभ को उचित रूप से साझा करने के लिए एक कानूनी ढाँचा प्रदान करता है।इस अधिनियम का अध्याय 3, जिसमें धारा 3, 4 और 5 शामिल हैं, विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह उन नियमों को स्थापित करता है कि कौन भारत के जैव संसाधनों और पारंपरिक ज्ञान (Traditional Knowledge) तक पहुँच सकता है, और किन शर्तों...
नौकरी से निकाले जाने पर कर्मचारी के अधिकार
किसी भी कर्मचारी के लिए नौकरी खोना एक बड़ा झटका होता है। लेकिन बहुत बार ऐसा अचानक और अनुचित तरीके से भी हो सकता है। ऐसे में ज़रूरी है कि कर्मचारी अपने कानूनी अधिकारों को जाने और समझे। भारतीय श्रम कानून (Labour Laws) कर्मचारियों को कई तरह की सुरक्षा प्रदान करते हैं ताकि उन्हें मनमाने ढंग से नौकरी से न निकाला जा सके।1. नोटिस पीरियड (Notice Period) का अधिकार • अधिकांश रोजगार अनुबंध (Employment Contract) और श्रम कानूनों के अनुसार, कर्मचारी को नौकरी से निकालने से पहले एक नोटिस पीरियड देना ज़रूरी है।...
क्या राज्य सरकार अनुसूचित जाति सूची में बदलाव कर सकती है?
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में Dr. Bhim Rao Ambedkar Vichar Manch Bihar, Patna v. State of Bihar & Ors. (2024 INSC 528) मामले में एक महत्वपूर्ण संवैधानिक प्रश्न पर निर्णय दिया। सवाल यह था कि क्या किसी राज्य सरकार को यह अधिकार है कि वह अनुसूचित जातियों (Scheduled Castes) की सूची में किसी जाति को जोड़, घटा या किसी दूसरी जाति में मिला दे। अदालत ने स्पष्ट किया कि संविधान के अनुच्छेद 341 (Article 341) के तहत केवल संसद (Parliament) को ही यह अधिकार है, और राज्य सरकारें इस सूची में कोई भी छेड़छाड़ नहीं...
चुनाव में Presiding Officer कौन होता है?
Representation of the People Act, 1951 की धारा 26 मतदान केंद्रों पर पीठासीन अधिकारी Presiding Officer और मतदान अधिकारियों (Polling Officers) की नियुक्ति से संबंधित है। यह धारा जिला चुनाव अधिकारी (District Election Officer) को मतदान केंद्रों के लिए अधिकारियों की नियुक्ति का अधिकार देती है, जो चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता, सुरक्षा और सुचारु संचालन सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। धारा 26 भाग IV (चुनाव का संचालन) के अंतर्गत आती है, जो मतदान प्रक्रिया से संबंधित है। यह धारा 1951 से...
चुनाव में रिटर्निंग ऑफिसर की नियुक्ति और महत्व
Representation of the People Act, 1951 भारत की चुनावी प्रक्रिया की रीढ़ है। यह अधिनियम संसद और राज्य विधानसभाओं के चुनावों की आयोजना, संचालन और विवादों के निपटारे से संबंधित नियमों को निर्धारित करता है। इस अधिनियम की धारा 21 चुनावी मशीनरी के प्रशासनिक ढांचे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो रिटर्निंग ऑफिसर (Returning Officer) और सहायक रिटर्निंग ऑफिसर (Assistant Returning Officer) की नियुक्ति से संबंधित है। यह धारा चुनाव आयोग को राज्य सरकारों के साथ परामर्श करके इन अधिकारियों की नियुक्ति करने का...
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 28 से 33 : वन्यजीव अभयारण्यों के भीतर नियम और प्रबंधन
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (Wildlife Protection Act, 1972) एक ऐतिहासिक कानून (landmark law) है जो भारत के वन्यजीवों और उनके आवासों की सुरक्षा के लिए एक व्यापक कानूनी ढाँचा (comprehensive legal framework) स्थापित करता है।जबकि अधिनियम के शुरुआती खंड अभयारण्यों की घोषणा और स्थापना पर ध्यान केंद्रित करते हैं, बाद के प्रावधान, विशेष रूप से धारा 28 से 33, इन संरक्षित क्षेत्रों के भीतर की गतिविधियों के लिए विशिष्ट नियम निर्धारित करते हैं। ये खंड अभयारण्यों के दिन-प्रतिदिन के प्रबंधन (day-to-day...
जल अधिनियम 1974 की धारा 26 से 28 : मौजूदा अपशिष्ट निकासी, सहमति का अस्वीकरण और अपील
धारा 26 : मौजूदा निकासी से संबंधित प्रावधान (Provision Regarding Existing Discharge of Sewage or Trade Effluent)इस धारा में यह स्पष्ट किया गया है कि यदि इस अधिनियम (Act) के लागू होने से ठीक पहले कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार का अपशिष्ट जल (Sewage) या औद्योगिक अपशिष्ट (Trade Effluent) किसी धारा (Stream), कुएँ (Well), नाले (Sewer) या भूमि (Land) में प्रवाहित कर रहा था, तो ऐसे मामलों में भी धारा 25 के प्रावधान लागू होंगे। अर्थात, जैसे नए उद्योग या नई निकासी के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (State...
जैव विविधता अधिनियम, 2002: एक परिचयात्मक लेख
जैव विविधता अधिनियम, 2002 (The Biological Diversity Act, 2002) भारत का एक महत्वपूर्ण कानून है, जिसे देश की जैव विविधता (Biological Diversity) के संरक्षण और इसके घटकों के टिकाऊ उपयोग (Sustainable Use) के लिए बनाया गया था।इसका एक सबसे अहम मकसद यह भी है कि जैव संसाधनों (Biological Resources) और उनसे जुड़े पारंपरिक ज्ञान (Traditional Knowledge) के उपयोग से होने वाले लाभ को उन लोगों के साथ उचित और न्यायपूर्ण तरीके से साझा किया जाए जिन्होंने इनकी रक्षा की है। यह कानून अंतरराष्ट्रीय जैविक विविधता...
क्या केंद्रीय सूचना आयोग को Benches बनाने और विनियम बनाने का अधिकार है?
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) का उद्देश्य सरकारी कामकाज में transparency (पारदर्शिता) और accountability (जवाबदेही) लाना है। इसके लिए कानून ने Central Information Commission (CIC) और राज्य सूचना आयोगों की स्थापना की। इन आयोगों का काम अपीलें सुनना, शिकायतें निपटाना और यह सुनिश्चित करना है कि जनता को जानकारी आसानी से मिल सके।लेकिन एक बड़ा सवाल यह रहा है कि क्या CIC को अपने आंतरिक कामकाज (internal functioning) को संगठित करने का पूरा अधिकार है? खासकर, क्या वह अपनी पीठें (Benches) बना सकता...
निर्वाचन अधिकारियों को अपनी ड्यूटी में लापरवाही करने पर सजा
Representation of the People Act, 1950 की धारा 32 निर्वाचन अधिकारियों द्वारा आधिकारिक कर्तव्य के उल्लंघन को दंडनीय बनाती है, जो मतदाता सूची की शुद्धता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। धारा 32 का मुख्य उद्देश्य निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों (Electoral Registration Officers - ERO) और सहायक अधिकारियों को उनके कर्तव्यों का पालन करने के लिए बाध्य करना है। यदि कोई अधिकारी बिना उचित कारण के मतदाता सूची की तैयारी, संशोधन या सुधार में लापरवाही बरतता है, तो वह दो साल तक की सज़ा...
मतदाता सूची में झूठी जानकारी देकर नाम शामिल करवाने का क्राइम
संविधान के अनुच्छेद 324 से 329 तक निर्वाचन संबंधी प्रावधान हैं, लेकिन व्यावहारिक रूप से निर्वाचन की तैयारी और मतदाता सूचियों के निर्माण के लिए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 एक महत्वपूर्ण कानून है। यह अधिनियम मतदाता सूचियों की तैयारी, संशोधन और सुधार से संबंधित है। इस अधिनियम की धारा 31 विशेष रूप से मतदाता सूची से जुड़ी झूठी घोषणाओं को दंडनीय अपराध बनाती है। धारा 31 का उद्देश्य मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करना है, क्योंकि मतदाता सूची ही निर्वाचन का आधार है। यदि कोई व्यक्ति मतदाता सूची की...
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 26 से 27: अभयारण्य की घोषणा और विनियमन के लिए एक मार्गदर्शिका
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (Wildlife Protection Act, 1972) भारत की विविध वनस्पतियों और जीवों के संरक्षण के लिए कानूनी आधार (legal basis) है। इस अधिनियम के भीतर, वन्यजीव अभयारण्यों के निर्माण और प्रबंधन के लिए एक विस्तृत कानूनी ढाँचा (legal framework) स्थापित किया गया है।जबकि अधिनियम के पिछले खंड प्रारंभिक सर्वेक्षण (initial survey) और भूमि अधिग्रहण (land acquisition) प्रक्रियाओं पर केंद्रित हैं, धारा 26 से 27 तक के खंड अधिकारों के प्रत्यायोजन (delegation), अभयारण्य की औपचारिक घोषणा और इन...
जल अधिनियम, 1974 की धारा 25 : नए आउटलेट और नए डिस्चार्ज पर रोक
जल अधिनियम, 1974 का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य यही है कि किसी भी जल स्रोत – जैसे नदी (Stream), कुआँ (Well), नाला (Sewer) या भूमि (Land) – को प्रदूषित होने से बचाया जा सके। धारा 25 इसी दिशा में एक बहुत अहम प्रावधान है। यह धारा उद्योगों, कारखानों, संस्थानों और अन्य गतिविधियों पर नियंत्रण लगाती है ताकि बिना अनुमति के कोई भी नया प्रदूषित जल निकासी (Discharge of Sewage or Trade Effluent) शुरू न हो सके।सरल शब्दों में कहा जाए तो इस धारा के तहत यह नियम है कि यदि कोई नया उद्योग लगाना चाहता है, नया आउटलेट...



















