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जैव विविधता अधिनियम, 2002 की धारा 12 से 16 : राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण की कार्यप्रणाली और संरचना
जैव विविधता अधिनियम, 2002 भारत में जैव संसाधनों के संरक्षण, टिकाऊ उपयोग और लाभ-साझाकरण के लिए एक मजबूत कानूनी ढाँचा स्थापित करता है। इस अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए, राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (NBA) की स्थापना की गई थी।अधिनियम की धारा 12 से 16 तक, इस प्राधिकरण के आंतरिक कामकाज, बैठकों के संचालन, समितियों के गठन, अधिकारियों की नियुक्ति और शक्तियों के प्रत्यायोजन (Delegation of Powers) से संबंधित महत्वपूर्ण प्रावधानों का विवरण दिया गया है। ये धाराएँ सुनिश्चित करती हैं कि NBA एक...
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 38C, 38D, और 38E : केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण: कार्य, प्रक्रिया और वित्तपोषण
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (Wildlife Protection Act, 1972) ने केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (Central Zoo Authority - CZA) की स्थापना की, जैसा कि अध्याय IVA की धारा 38A में निर्दिष्ट है। जबकि धारा 38B ने प्राधिकरण की संरचना और सदस्यों की सेवा की शर्तों को परिभाषित किया, धारा 38C, 38D, और 38E इसके मुख्य कार्यों, संचालन प्रक्रियाओं और वित्तीय प्रबंधन के लिए आवश्यक रूपरेखा प्रदान करती हैं। ये खंड सुनिश्चित करते हैं कि प्राधिकरण देश में चिड़ियाघरों के विनियमन और विकास में एक प्रभावी भूमिका निभा...
जल अधिनियम, 1974 की धारा 39 और 40 : वार्षिक प्रतिवेदन और लेखा-परीक्षा की अनिवार्यता
जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 का प्रमुख उद्देश्य देश में जल प्रदूषण को नियंत्रित करना और स्वच्छ जल की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। यह अधिनियम न केवल प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को विभिन्न नियामक शक्तियाँ प्रदान करता है, बल्कि उनके कार्यों में पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और जवाबदेही को भी अनिवार्य बनाता है।इसी दृष्टि से अधिनियम की धारा 39 और धारा 40 अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये प्रावधान वार्षिक प्रतिवेदन (Annual Report) और लेखा-परीक्षा (Audit of Accounts) से संबंधित हैं। इन धाराओं...
The Indian Contract Act के अनुसार रास्ते में पड़ी हुई मिलने वाली चीज़ के प्रति जिम्मेदारी
कई चीज़ें वस्तु गुम हो जाती है तथा किसी अन्य व्यक्ति को पड़ी हुई प्राप्त होती है। इस परिस्थिति में भी संविदा का नियम लागू होता है। इस के संदर्भ में Contract Act की धारा 71 है जो इस संबंध में उल्लेख कर रही है। इस धारा के अनुसार जो व्यक्ति किसी अन्य की वस्तुओं को पाता है उन्हें अपनी अभिरक्षा में लेता है वैसे ही दायित्व के अधीन होना होगा जैसे कि एक उपनिहिती होता है।यदि वस्तुओं को पाने वाला किसी अन्य की वस्तु को एक बार अपनी अभिरक्षा में लेता है तो यह विधि में उपनिहिती माना जाता है तथा संविदा अधिनियम...
The Indian Contract Act में Quasi Contracts कैसे होता है?
संविदा होने के लिए करार की आवश्यकता होती है तब संविदा का निर्माण होता है परंतु सदैव ऐसा नहीं होता है। कुछ संविदाएं तो ऐसी होती हैं जिनमें कोई प्रस्ताव नहीं होता कोई स्वीकृति नहीं होती कोई प्रतिफल का निर्धारण नहीं होता परंतु संविदा का निर्माण हो जाता है। इसे सदृश्य संविदा कहते हैं अर्थात ऐसी संविदा जिसमें संविदा नजर नहीं आती है परंतु संविदा का अस्तित्व होता है। संव्यवहार जिसमें संविदा नजर नहीं आती है परंतु संविदा का निर्माण हो जाता है।कोई नजर आने वाली संविदा नहीं होने के बाद भी कुछ व्यवहारों को...
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 38-38B : केंद्र सरकार द्वारा संरक्षित क्षेत्रों की घोषणा और केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की स्थापना
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (Wildlife Protection Act, 1972) भारत में वन्यजीव संरक्षण (wildlife conservation) के लिए एक व्यापक कानूनी ढाँचा (legal framework) प्रदान करता है। अधिनियम की धारा 38 केंद्र सरकार (Central Government) को अभयारण्यों (sanctuaries) और राष्ट्रीय उद्यानों (National Parks) को घोषित करने की शक्ति देती है, जबकि अध्याय IVA केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (Central Zoo Authority) की स्थापना और संरचना (structure) का विवरण देता है, जो देश में चिड़ियाघरों के विनियमन (regulation) के लिए...
जल अधिनियम 1974 की धारा 34 से 38 : प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों की निरीक्षणीय शक्तियों तथा अनुपालन सुनिश्चित करने की प्रक्रिया
धारा 34 : केंद्र सरकार का अंशदान (Contributions by Central Government)धारा 34 के अंतर्गत यह व्यवस्था की गई है कि केंद्र सरकार प्रत्येक वित्तीय वर्ष (Financial Year) में केंद्रीय बोर्ड को अंशदान (Contribution) दे सकती है। यह अंशदान तभी दिया जा सकता है जब संसद (Parliament) द्वारा विधि (Law) के माध्यम से उपयुक्त विनियोजन (Appropriation) किया गया हो। इसका उद्देश्य यह है कि केंद्रीय बोर्ड (Central Board) को इस अधिनियम (Act) के अंतर्गत अपने कार्यों को पूरा करने के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता (Financial...
जैव विविधता अधिनियम, 2002 की धारा 8- 11 : राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण की स्थापना और संरचना
प्राधिकरण (National Biodiversity Authority - NBA) को एक वैधानिक निकाय (statutory body) के रूप में स्थापित किया ताकि अनुसंधान, वाणिज्यिक उपयोग और जैव-अन्वेषण (bioprospecting) के उद्देश्यों के लिए जैविक संसाधनों (biological resources) और संबंधित पारंपरिक ज्ञान (associated traditional knowledge) तक पहुंच को विनियमित (regulate) किया जा सके।एनबीए का प्राथमिक कार्य अधिनियम के उद्देश्यों को लागू करना है, जिसमें जैविक विविधता का संरक्षण (conservation of biological diversity), इसके घटकों का सतत उपयोग...
क्या UAPA राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा करते हुए मौलिक अधिकारों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को भी सुरक्षित रखता है?
Unlawful Activities (Prevention) Act, 1967 यानी UAPA भारत का ऐसा क़ानून है जिसे देश की एकता (Unity), अखंडता (Integrity) और संप्रभुता (Sovereignty) को ख़तरे में डालने वाली गतिविधियों और आतंकवाद से निपटने के लिए बनाया गया। लेकिन इसके साथ ही, यह क़ानून बार-बार इस आधार पर चुनौती दिया गया कि यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता (Personal Liberty) और संविधान द्वारा गारंटी किए गए अधिकारों को प्रभावित करता है।न्यायपालिका (Judiciary) ने इस संतुलन को तय करने में केंद्रीय भूमिका निभाई है यानी एक ओर नागरिक अधिकार और...
The Indian Contract Act के अंतर्गत Contract का पालन कौन करता है?
Contract का पालन कौन करेगा इसके संबंध में Contract Act की धारा 40 उल्लेखनीय है। इस धारा के अनुसार यदि किसी Contract की बाबत मामले की प्रकृति से ही यह बात स्पष्ट होती है कि किसी Contract के पक्षकारों का यह आशय था कि उसमें निहित किसी वचन का पालन स्वयं वचनदाता द्वारा किया जाना चाहिए तो ऐसी स्थिति में धारा 40 यह कहती है कि उक्त वचन का पालन वचनदाता को ही करना चाहिए जबकि अन्य स्थिति में वचनदाता के प्रतिनिधि भी उसका पालन कर सकेंगे।Contract का स्वयं वचनदाता द्वारा पालन किया जा सकता है या उसके अभिकर्ता...
The Indian Contract Act में किसी भी Contract का अमल में लाया जाना
इस एक्ट की धारा 37 के अनुसार किसी Contractके पक्षकारों को अपनी क्रमागत प्रतिज्ञाओं का पालन जब तक कि ऐसा पालन इस अधिनियम के या किसी अन्य विधि के अधीन माफी योग्य नहीं है या तो करना चाहिए या करने की पेशकश करनी चाहिए।इस अधिनियम की धारा 37 में एक महत्वपूर्ण बात यह है कि पालन की पेशकश को पालन के समतुल्य रखा गया है। इस नियम का कारण क्या है कि यदि कोई पक्षकार पालन की पेशकश करता है परंतु दूसरा पक्षकार उसे स्वीकार नहीं करता है या उसे पालन नहीं करने देता है तो पालन की पेशकश करने वाला पक्षकार Contractके...
जैव विविधता अधिनियम, 2002 की धारा 6 और धारा 7: बौद्धिक संपदा अधिकारों का नियमन
जैव विविधता अधिनियम, 2002 भारत में एक महत्वपूर्ण कानूनी ढाँचा है जो देश के जैव संसाधनों (Biological Resources) और पारंपरिक ज्ञान (Traditional Knowledge) तक पहुँच को नियंत्रित करता है।इसकी मुख्य धाराओं में से, धारा 6 और धारा 7 दो अलग-अलग लेकिन संबंधित गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं: बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights or IPR) के लिए आवेदन और विभिन्न श्रेणियों के लोगों द्वारा जैव संसाधनों का व्यावसायिक उपयोग (Commercial Use)। ये धाराएँ एक बहु-स्तरीय निगरानी...
क्या राजनीतिक प्रभाव के आधार पर Prosecution Withdrawal उचित है?
सुप्रीम कोर्ट का हालिया फ़ैसला Shailendra Kumar Srivastava v. State of Uttar Pradesh & Anr. (2024 INSC 529) यह महत्वपूर्ण प्रश्न उठाता है कि क्या किसी आरोपी के राजनीतिक प्रभाव या जनछवि (Public Image) के आधार पर अभियोग वापसी (Withdrawal of Prosecution) की अनुमति दी जा सकती है।यह निर्णय न केवल CrPC (Code of Criminal Procedure, 1973) की धारा 321 की व्याख्या करता है बल्कि इस बात पर भी प्रकाश डालता है कि किस तरह न्यायिक प्रक्रिया (Judicial Process) में देरी, राजनीतिक दबाव और अभियोजन विवेक...
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 36A - धारा 36D : भारत में संरक्षित क्षेत्रों के नए प्रकार: संरक्षण और सामुदायिक भंडार
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (Wildlife Protection Act, 1972) भारत में संरक्षण प्रयासों को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कानूनी ढाँचा (legal framework) है। पारंपरिक राष्ट्रीय उद्यानों (National Parks) और अभयारण्यों (Sanctuaries) से परे, अधिनियम में धारा 36A से 36D तक के खंडों को शामिल किया गया है, जो दो नए प्रकार के संरक्षित क्षेत्रों - संरक्षण भंडार (Conservation Reserves) और सामुदायिक भंडार (Community Reserves) की स्थापना करते हैं। ये प्रावधान स्थानीय समुदायों की भागीदारी को बढ़ावा देने और...
जल अधिनियम 1974 की धारा 32 से 33A : आपातकालीन उपाय, न्यायालय से संरक्षण की मांग और दिशा-निर्देश जारी करने का अधिकार
धारा 32 : प्रदूषण की स्थिति में आपातकालीन उपाय (Emergency Measures in Case of Pollution)धारा 32 राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आपातकालीन परिस्थितियों में त्वरित कार्रवाई करने का विशेष अधिकार देती है। यदि बोर्ड को यह प्रतीत होता है कि किसी धारा (Stream), कुएँ (Well) या भूमि (Land) में किसी जहरीले (Poisonous), हानिकारक (Noxious) या प्रदूषणकारी (Polluting) पदार्थ का निकास (Discharge) हो चुका है या दुर्घटना अथवा अप्रत्याशित घटना (Accident or Unforeseen Event) के कारण ऐसा पदार्थ उसमें प्रवेश कर...
FIR और शिकायत में फ़र्क़ – पुलिस में क्या, कब और कैसे दर्ज करें?
FIR और शिकायत में फ़र्क़ – पुलिस में क्या, कब और कैसे दर्ज करें? हम अक्सर सुनते हैं – “FIR लिखवाओ” या “पुलिस में शिकायत करो”। लेकिन क्या दोनों एक ही चीज़ हैं? नहीं। आइए सरल शब्दों में समझते हैं:FIR (First Information Report) क्या है? • गंभीर अपराध (Cognizable Offence) होने पर लिखी जाती है – जैसे हत्या, डकैती, बलात्कार, अपहरण आदि। • इसमें पुलिस को तुरंत जाँच शुरू करने और आरोपी को गिरफ़्तार करने का अधिकार होता है। • FIR हमेशा लिखित रूप में दर्ज होती है और पीड़ित/शिकायतकर्ता को इसकी कॉपी मुफ़्त...
वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 34 और 35: Sanctuary के आसपास हथियारों का नियमन
वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972, भारत में वन्यजीव संरक्षण की आधारशिला है, जो जानवरों, पौधों और उनके आवासों की सुरक्षा के लिए एक शक्तिशाली कानूनी ढाँचा प्रदान करता है। हालाँकि यह अधिनियम एक व्यापक और विस्तृत दस्तावेज़ है, लेकिन कुछ धाराएँ विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे संरक्षित क्षेत्रों के प्रबंधन और उनकी पवित्रता पर गहरा असर डालती हैं। इनमें से धारा 34, जो Sanctuary के पास के क्षेत्रों में हथियारों के अनिवार्य Registration से संबंधित है, और धारा 35, जो National Parks की घोषणा और प्रबंधन...
जल अधिनियम 1974 की धारा 29 से 31 : पुनरीक्षण, कार्य निष्पादन का अधिकार और सूचना देने का दायित्व
धारा 29 : पुनरीक्षण का प्रावधान (Provision of Revision)धारा 29 में राज्य सरकार को यह अधिकार दिया गया है कि वह किसी भी समय, चाहे स्वयं (Suo Motu) या किसी व्यक्ति के आवेदन पर, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (State Board) द्वारा धारा 25, 26 या 27 के अंतर्गत पारित किसी भी आदेश (Order) की वैधता (Legality) और उपयुक्तता (Propriety) की जाँच कर सके। राज्य सरकार यदि यह पाती है कि आदेश में कोई त्रुटि है या सुधार की आवश्यकता है तो वह उसके संबंध में उपयुक्त आदेश पारित कर सकती है। हालाँकि, यह भी अनिवार्य शर्त...
जैव विविधता अधिनियम, 2002 की धारा 3, 4 और 5 का अवलोकन: जैव संसाधनों तक पहुँच पर प्रतिबंध
जैव विविधता अधिनियम, 2002 (The Biological Diversity Act or BD Act) भारत में एक महत्वपूर्ण कानून है जो जैव संसाधनों (Biological Resources) के संरक्षण, उनके टिकाऊ उपयोग (Sustainable Use), और उनके उपयोग से होने वाले लाभ को उचित रूप से साझा करने के लिए एक कानूनी ढाँचा प्रदान करता है।इस अधिनियम का अध्याय 3, जिसमें धारा 3, 4 और 5 शामिल हैं, विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह उन नियमों को स्थापित करता है कि कौन भारत के जैव संसाधनों और पारंपरिक ज्ञान (Traditional Knowledge) तक पहुँच सकता है, और किन शर्तों...
नौकरी से निकाले जाने पर कर्मचारी के अधिकार
किसी भी कर्मचारी के लिए नौकरी खोना एक बड़ा झटका होता है। लेकिन बहुत बार ऐसा अचानक और अनुचित तरीके से भी हो सकता है। ऐसे में ज़रूरी है कि कर्मचारी अपने कानूनी अधिकारों को जाने और समझे। भारतीय श्रम कानून (Labour Laws) कर्मचारियों को कई तरह की सुरक्षा प्रदान करते हैं ताकि उन्हें मनमाने ढंग से नौकरी से न निकाला जा सके।1. नोटिस पीरियड (Notice Period) का अधिकार • अधिकांश रोजगार अनुबंध (Employment Contract) और श्रम कानूनों के अनुसार, कर्मचारी को नौकरी से निकालने से पहले एक नोटिस पीरियड देना ज़रूरी है।...



















