हिमाचल प्रदेश किराया नियंत्रण अधिनियम, 2023 के तहत जुर्माने की वसूली और पुराने कानून के तहत की गई कार्रवाई की वैधता : धारा 31 और 32
Himanshu Mishra
11 March 2025 11:17 AM

हिमाचल प्रदेश किराया नियंत्रण अधिनियम, 2023 की धारा 31 के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति पर इस अधिनियम के उल्लंघन (Violation) के कारण Controller द्वारा जुर्माना (Fine) लगाया जाता है, तो उसे तय समय सीमा में जुर्माना जमा करना होगा। यदि वह समय पर जुर्माना नहीं भरता है, तो Controller उचित कारण (Valid Reason) के आधार पर उसे कुछ और समय दे सकता है।
लेकिन अगर इसके बाद भी जुर्माना जमा नहीं किया जाता, तो इस राशि को दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (Code of Criminal Procedure, 1973) के प्रावधानों (Provisions) के अनुसार वसूला जाएगा।
इस धारा के तहत Controller को मजिस्ट्रेट (Magistrate) के समान अधिकार दिए गए हैं ताकि वह जुर्माने की वसूली कर सके, जैसे कि कोई मजिस्ट्रेट किसी अपराधी (Offender) से दंड वसूलता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अधिनियम के तहत लगाए गए जुर्माने की सही तरीके से वसूली हो और कोई भी व्यक्ति दंड से बच न सके।
उदाहरण (Illustration)
मान लीजिए कि किसी मकान मालिक (Landlord) ने बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किए किरायेदार (Tenant) को जबरन घर से निकाल दिया। Controller ने उस पर ₹5,000 का जुर्माना लगाया। उसे यह राशि तय समय सीमा में जमा करनी होगी। यदि वह जुर्माना भरने में असमर्थ हो तो वह Controller से समय बढ़ाने का अनुरोध कर सकता है, लेकिन अगर वह इसके बावजूद जुर्माना नहीं देता, तो इसे मजिस्ट्रेट के आदेश के अनुसार दंड प्रक्रिया संहिता के तहत वसूला जाएगा।
इस प्रावधान (Provision) से यह सुनिश्चित होता है कि Controller द्वारा लगाए गए दंड प्रभावी (Effective) रूप से लागू हों और लोग कानून का पालन करें।
पुराने कानून के तहत की गई कार्रवाई की वैधता (Validation of Actions Under Previous Law) – धारा 32
धारा 32 यह सुनिश्चित करती है कि हिमाचल प्रदेश शहरी किराया नियंत्रण अधिनियम, 1971 (Himachal Pradesh Urban Rent Control Act, 1971) के तहत किए गए सभी कार्य कानूनी रूप से वैध (Legally Valid) माने जाएंगे, भले ही किसी अदालत ने इस बारे में कोई आदेश दिया हो।
इसका मतलब यह है कि पुराने कानून के तहत जारी किए गए किसी भी निर्देश (Direction), अधिसूचना (Notification), किराया निर्धारण (Rent Fixation), आदेश (Order) या अनुमति (Permission) को नए कानून के तहत भी वैध माना जाएगा।
किन चीजों को मान्यता दी गई है?
• सरकार द्वारा जारी की गई अधिसूचनाएँ
• अधिकारियों द्वारा दिए गए निर्देश
• Controller द्वारा तय किया गया किराया
• मकान मालिकों या किरायेदारों को दी गई अनुमति
• Controller या अपीलीय प्राधिकरण (Appellate Authority) द्वारा पारित आदेश
उदाहरण (Illustration)
अगर किसी किरायेदार को 1971 के अधिनियम के तहत Controller ने एक निश्चित किराए पर रहने की अनुमति दी थी, तो यह अनुमति नए अधिनियम में भी वैध मानी जाएगी। इसी तरह, यदि 1971 के अधिनियम के तहत किसी क्षेत्र के लिए अधिकतम किराया तय किया गया था, तो यह सीमा नए कानून में भी लागू रहेगी।
अपराध से संरक्षण (Protection from Offense) – धारा 32(2)
धारा 32(2) यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी व्यक्ति ऐसे कार्य के लिए दोषी (Guilty) नहीं ठहराया जाएगा, जो पुराने अधिनियम के तहत अपराध नहीं था, भले ही वह नया कानून लागू हो गया हो। यानी यदि किसी ने ऐसा कोई कार्य किया है, जो पहले वैध था लेकिन अब प्रतिबंधित हो गया है, तो उसे दंडित नहीं किया जाएगा।
उदाहरण (Illustration)
अगर किसी मकान मालिक ने 2022 में 1971 के अधिनियम के तहत किराए में वृद्धि की थी, और अब 2023 के नए अधिनियम में बिना अनुमति किराया बढ़ाना अवैध कर दिया गया है, तो मकान मालिक को 2022 की वृद्धि के लिए दंडित नहीं किया जाएगा, क्योंकि उस समय यह कानूनन सही था।
हिमाचल प्रदेश किराया नियंत्रण अधिनियम, 2023 की धारा 31 और 32 कानून को प्रभावी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। धारा 31 Controller को मजिस्ट्रेट के समान अधिकार देती है ताकि वह जुर्माने की वसूली सुनिश्चित कर सके और लोग कानून के उल्लंघन के बाद दंड से न बच सकें।
धारा 32 यह सुनिश्चित करती है कि पुराने कानून के तहत लिए गए सभी निर्णय मान्य बने रहें और कानून में बदलाव के कारण कोई समस्या न हो। साथ ही, यह प्रावधान यह भी सुनिश्चित करता है कि जो कार्य पहले अपराध नहीं थे, उनके लिए किसी को नए कानून के तहत दोषी नहीं ठहराया जाएगा।
इन प्रावधानों से किरायेदारों और मकान मालिकों दोनों को कानूनी सुरक्षा मिलती है और यह सुनिश्चित होता है कि कानून का पालन सही तरीके से किया जाए।