धारा 49 के तहत राहत प्राप्त करने के लिए आवेदन कब किया जाना चाहिए : धारा 50 भारतीय स्टांप अधिनियम, 1899
Himanshu Mishra
11 March 2025 11:20 AM

भारतीय स्टांप अधिनियम के तहत, कुछ परिस्थितियों में खराब (spoiled) या अनुपयोगी (unusable) स्टांप पर छूट (allowance) प्राप्त करने का प्रावधान दिया गया है। यह प्रावधान धारा 49 के तहत आता है, जिसमें यह बताया गया है कि किन परिस्थितियों में स्टांप पर छूट मिल सकती है।
लेकिन छूट प्राप्त करने के लिए एक निश्चित समयसीमा (time limit) के भीतर आवेदन करना अनिवार्य है। इस प्रक्रिया और समयसीमा को स्पष्ट रूप से धारा 50 में परिभाषित किया गया है। इस लेख में, हम विस्तार से समझेंगे कि धारा 50 क्या कहती है, यह किस प्रकार धारा 49 से जुड़ी हुई है, और इसके तहत आवेदन करने की सही समयसीमा क्या है।
धारा 49 का संक्षिप्त परिचय और धारा 50 से संबंध
धारा 49 के तहत, विभिन्न स्थितियों में खराब हो चुके स्टांप के लिए राहत दी जाती है। जैसे कि,
1. गलती से खराब हो चुके स्टांप – यदि किसी स्टांप को गलती से या किसी लिखावट की त्रुटि (error in writing) के कारण बेकार बना दिया गया हो।
2. अधूरे दस्तावेज (incomplete documents) – यदि कोई दस्तावेज लिखा गया हो लेकिन उस पर किसी भी पक्ष (party) द्वारा हस्ताक्षर नहीं किए गए हों।
3. स्वीकार नहीं किए गए बिल ऑफ एक्सचेंज (Bill of Exchange) और प्रोमिसरी नोट (Promissory Note) – यदि ये उपयोग में नहीं लिए गए या गलत तरीके से लिख दिए गए हों।
4. अमान्य दस्तावेज (Invalid Documents) – यदि दस्तावेज कानूनी रूप से अमान्य (legally void) हो गया हो।
5. लेन-देन की विफलता (Failure of Transaction) – यदि किसी कारणवश लेन-देन पूरा नहीं हो पाया हो और स्टांप बेकार हो गया हो।
लेकिन, इन सभी मामलों में छूट प्राप्त करने के लिए धारा 50 के तहत एक निर्धारित समयसीमा के भीतर आवेदन करना आवश्यक है। अब हम विस्तार से समझेंगे कि विभिन्न मामलों में आवेदन कब तक किया जाना चाहिए।
धारा 50 के तहत आवेदन की समयसीमा
धारा 50 में यह स्पष्ट किया गया है कि राहत प्राप्त करने के लिए आवेदन कब तक करना आवश्यक है। यह विभिन्न परिस्थितियों के अनुसार अलग-अलग हो सकता है।
1. धारा 49 के खंड (d)(5) के अंतर्गत आने वाले मामलों में
धारा 49 (d)(5) में उन मामलों को शामिल किया गया है जहां किसी व्यक्ति ने कोई दस्तावेज बनाया था, लेकिन किसी कारणवश वह अनुपयोगी (unusable) हो गया। उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति किसी दस्तावेज को इसलिए उपयोग नहीं कर पाता क्योंकि संबंधित व्यक्ति पैसे देने से इंकार कर देता है या उस लेन-देन को पूरा करने से मना कर देता है, तो ऐसे मामलों में स्टांप पर छूट दी जा सकती है।
समयसीमा:
• इन मामलों में आवेदन दस्तावेज की तारीख से दो महीने के भीतर किया जाना चाहिए।
उदाहरण:
राम ने एक ऋण अनुबंध (loan agreement) तैयार किया और उस पर स्टांप शुल्क (stamp duty) का भुगतान किया। लेकिन जब वह ऋणदाता के पास गया, तो उसने पैसे देने से मना कर दिया। अब यह दस्तावेज बेकार हो गया। इस स्थिति में, राम को दो महीने के भीतर आवेदन करना होगा ताकि उसे स्टांप शुल्क पर छूट मिल सके।
2. उन मामलों में जहां स्टांप पेपर पर कोई दस्तावेज तैयार नहीं किया गया
यदि किसी स्टांप पेपर पर कोई भी दस्तावेज तैयार नहीं किया गया है और वह बिना उपयोग के खराब हो गया है, तो भी व्यक्ति छूट के लिए आवेदन कर सकता है।
समयसीमा:
• ऐसे मामलों में, आवेदन छह महीने के भीतर किया जाना चाहिए, जब स्टांप खराब हो गया हो।
उदाहरण:
सीता ने 500 रुपये का स्टांप पेपर खरीदा लेकिन उसे किसी भी दस्तावेज में उपयोग नहीं किया। कुछ महीनों बाद, वह गलती से फट गया और अब उपयोग में नहीं लाया जा सकता। इस स्थिति में, सीता को छूट के लिए छह महीने के भीतर आवेदन करना होगा।
3. उन मामलों में जहां स्टांप पेपर पर दस्तावेज लिखा गया लेकिन हस्ताक्षर नहीं हुए
कई बार ऐसा होता है कि किसी स्टांप पेपर पर दस्तावेज लिख दिया जाता है, लेकिन उस पर कोई भी पक्ष (party) हस्ताक्षर नहीं करता। ऐसे मामलों में भी स्टांप शुल्क पर छूट मिल सकती है।
समयसीमा:
• आवेदन छह महीने के भीतर किया जाना चाहिए, दस्तावेज की तारीख से या यदि उस पर कोई तारीख नहीं लिखी गई है, तो जिस दिन उसे पहली बार हस्ताक्षर किया गया था।
उदाहरण:
मोहन और सोहन ने एक किरायानामा (rental agreement) तैयार किया, लेकिन अंतिम समय पर सोहन ने उस पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। इस स्थिति में, मोहन को छूट पाने के लिए छह महीने के भीतर आवेदन करना होगा।
विशेष परिस्थितियां जहां आवेदन की समयसीमा बढ़ाई जा सकती है
धारा 50 में दो ऐसी परिस्थितियां बताई गई हैं, जहां समयसीमा को बढ़ाया जा सकता है:
1. यदि खराब हुआ स्टांप विदेश भेजा गया था
यदि कोई दस्तावेज जिसे खराब माना गया है, भारत से बाहर किसी अन्य देश भेजा गया था और फिर वापस भारत आया है, तो आवेदन की समयसीमा को बढ़ाया जा सकता है।
समयसीमा:
• आवेदन छह महीने के भीतर किया जा सकता है जब दस्तावेज वापस भारत में आ जाए।
उदाहरण:
रवि ने एक व्यापार समझौते (business agreement) के लिए स्टांप पेपर खरीदा और इसे विदेश भेजा, लेकिन जब तक वह वापस आया, तब तक लेन-देन रद्द हो चुका था। अब वह छह महीने के भीतर आवेदन कर सकता है।
2. यदि किसी कारणवश पुराना दस्तावेज रद्द नहीं किया जा सका
यदि किसी व्यक्ति ने एक नया दस्तावेज तैयार किया है और पुराने दस्तावेज को किसी कारणवश समय पर रद्द (cancel) नहीं कर पाया, तो उसे भी छूट मिल सकती है।
समयसीमा:
• आवेदन छह महीने के भीतर किया जाना चाहिए, नए दस्तावेज की तारीख से।
उदाहरण:
रीना ने एक संपत्ति विक्रय अनुबंध (sale agreement) बनाया, लेकिन कुछ गलतियों के कारण उसे नया दस्तावेज तैयार करना पड़ा। पुराना दस्तावेज छह महीने से पहले रद्द नहीं किया जा सका। अब वह नया दस्तावेज दिखाकर छूट के लिए आवेदन कर सकती है।
धारा 50 स्पष्ट रूप से यह निर्धारित करती है कि स्टांप शुल्क पर छूट प्राप्त करने के लिए कब और कैसे आवेदन करना चाहिए। यह धारा 49 के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करती है कि यदि किसी व्यक्ति का स्टांप गलती से खराब हो गया है, अधूरा रह गया है, या किसी अन्य कारण से उपयोग में नहीं लाया जा सका है, तो वह उचित समयसीमा के भीतर आवेदन करके छूट प्राप्त कर सकता है।
स्टांप शुल्क पर छूट प्राप्त करने के लिए समयसीमा का पालन करना बहुत जरूरी है। यदि कोई व्यक्ति निर्धारित समयसीमा के भीतर आवेदन नहीं करता, तो वह इस लाभ से वंचित हो सकता है। इसीलिए, यह महत्वपूर्ण है कि जो भी व्यक्ति किसी भी कारण से स्टांप पेपर का उपयोग नहीं कर पा रहा है, वह समय रहते इस प्रक्रिया को पूरा करे।