बिना स्टैम्प वाले बिल और प्रोमिसरी नोट की स्टैम्पिंग और शुल्क व दंड की वसूली : धारा 47-48, भारतीय स्टैम्प अधिनियम

Himanshu Mishra

8 March 2025 2:07 PM

  • बिना स्टैम्प वाले बिल और प्रोमिसरी नोट की स्टैम्पिंग और शुल्क व दंड की वसूली : धारा 47-48, भारतीय स्टैम्प अधिनियम

    भारतीय स्टैम्प अधिनियम (Indian Stamp Act) का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी वित्तीय दस्तावेज (Financial Documents) कानूनी रूप से मान्य (Legally Valid) हों और सरकार को स्टैम्प शुल्क (Stamp Duty) के रूप में मिलने वाला राजस्व (Revenue) सुरक्षित रहे। इस अधिनियम की धारा 47 और 48 दो महत्वपूर्ण नियमों को निर्धारित करती हैं।

    धारा 47 यह बताती है कि यदि कोई बिल ऑफ एक्सचेंज (Bill of Exchange) या प्रोमिसरी नोट (Promissory Note) बिना स्टैम्प (Unstamped) के भुगतान के लिए प्रस्तुत किया जाता है, तो भुगतानकर्ता (Payer) इसे कैसे वैध बना सकता है।

    धारा 48 स्टैम्प शुल्क और दंड (Penalty) की वसूली (Recovery) की प्रक्रिया को निर्दिष्ट करती है और बताती है कि सरकार किस प्रकार उन लोगों से भुगतान वसूल सकती है जिन्होंने स्टैम्प शुल्क नहीं चुकाया है।

    धारा 47: बिना स्टैम्प वाले बिल (Unstamped Bill) और प्रोमिसरी नोट (Promissory Note) का निपटान (Settlement)

    बिना स्टैम्प के भुगतान के लिए प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों का क्या होगा?

    धारा 47 के अनुसार, यदि कोई बिल ऑफ एक्सचेंज (Bill of Exchange) या प्रोमिसरी नोट (Promissory Note) बिना स्टैम्प (Unstamped) के भुगतान के लिए प्रस्तुत किया जाता है और उस पर लागू स्टैम्प शुल्क 10 naye paise से अधिक नहीं है, तो भुगतान करने वाला व्यक्ति (Payer) इस समस्या को ठीक कर सकता है।

    इसके लिए उसे:

    1. आवश्यक एडहेसिव स्टैम्प (Adhesive Stamp) चिपकाना होगा।

    2. स्टैम्प को विधिवत रद्द (Cancel) करना होगा।

    3. फिर भुगतान करना होगा।

    इसके बाद यह दस्तावेज वैध (Valid) माना जाएगा।

    भुगतानकर्ता (Payer) स्टैम्प शुल्क (Stamp Duty) की भरपाई कैसे करेगा?

    जब भुगतानकर्ता (Payer) स्टैम्प शुल्क चिपकाकर और रद्द (Cancel) करके दस्तावेज को वैध बना देता है, तो वह यह राशि:

    • उस व्यक्ति से वसूल (Recover) कर सकता है, जो इसे मूल रूप से चुकाने के लिए जिम्मेदार था।

    • या वह यह राशि भुगतान की जाने वाली कुल रकम से काट (Deduct) सकता है।

    क्या स्टैम्प शुल्क भर देने से कोई दंड (Penalty) नहीं लगेगा?

    धारा 47 स्पष्ट रूप से कहती है कि यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर स्टैम्प शुल्क नहीं चुकाता है और बाद में पकड़ा जाता है, तो उसे दंड (Penalty) भी भरना पड़ सकता है। इस धारा के तहत केवल यह सुविधा दी गई है कि बिना स्टैम्प वाले दस्तावेज का भुगतान किया जा सके, लेकिन यह दंड से छूट नहीं देता।

    उदाहरण (Illustration)

    मान लीजिए कि राजस्थान के एक व्यापारी ने दिल्ली के एक आपूर्तिकर्ता (Supplier) को ₹1,00,000 का प्रोमिसरी नोट (Promissory Note) जारी किया लेकिन उस पर स्टैम्प शुल्क (Stamp Duty) नहीं लगाया। जब आपूर्तिकर्ता इसे बैंक में भुगतान के लिए प्रस्तुत करता है, तो बैंक को पता चलता है कि यह बिना स्टैम्प (Unstamped) है।

    अब, बैंक को दो विकल्प मिलते हैं:

    1. वह इस दस्तावेज़ को अस्वीकार कर सकता है।

    2. वह आवश्यक स्टैम्प (Stamp) चिपका सकता है, उसे रद्द (Cancel) कर सकता है और फिर भुगतान कर सकता है।

    बैंक ने दूसरा विकल्प चुना और ₹10 का स्टैम्प शुल्क चिपका दिया। बाद में, बैंक ने यह राशि आपूर्तिकर्ता के खाते से काट ली।

    लेकिन अगर सरकारी अधिकारी पाते हैं कि व्यापारी ने जानबूझकर स्टैम्प शुल्क से बचने की कोशिश की, तो वह दंड (Penalty) के लिए उत्तरदायी होगा।

    धारा 48: स्टैम्प शुल्क (Stamp Duty) और दंड (Penalty) की वसूली (Recovery)

    यदि कोई व्यक्ति स्टैम्प शुल्क नहीं चुकाता, तो सरकार उसे कैसे वसूल सकती है?

    धारा 48 यह निर्धारित करती है कि यदि कोई व्यक्ति स्टैम्प शुल्क (Stamp Duty) या दंड (Penalty) नहीं चुकाता, तो कलेक्टर (Collector) इसे विभिन्न कानूनी प्रक्रियाओं (Legal Processes) के माध्यम से वसूल सकता है।

    1. चल संपत्ति (Movable Property) की जब्ती (Seizure) और बिक्री (Sale):

    o यदि कोई व्यक्ति स्टैम्प शुल्क या दंड का भुगतान करने से इनकार करता है, तो कलेक्टर (Collector) को उसकी चल संपत्ति (Movable Property) जैसे कार, मशीनरी या अन्य सामान जब्त करने और बेचने का अधिकार है।

    2. अन्य कानूनी प्रक्रियाएँ (Legal Proceedings):

    o यदि जब्ती और बिक्री पर्याप्त नहीं होती, तो कलेक्टर बैंक खाते फ्रीज (Freeze) कर सकता है या भूमि राजस्व (Land Revenue) की वसूली की प्रक्रिया शुरू कर सकता है।

    क्या होता है यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर स्टैम्प शुल्क का भुगतान नहीं करता?

    यदि कोई व्यक्ति बार-बार स्टैम्प शुल्क (Stamp Duty) नहीं भरता है, तो उसके खिलाफ अदालत में मामला (Legal Case) भी दायर किया जा सकता है।

    उदाहरण (Illustration)

    मान लीजिए कि मुंबई में एक बिल्डर ने एक ग्राहक को ₹2 करोड़ की संपत्ति (Property) बेची लेकिन उसने बिक्री विलेख (Sale Deed) पर लगने वाला ₹10 लाख का स्टैम्प शुल्क (Stamp Duty) नहीं चुकाया।

    बाद में, सरकारी अधिकारियों ने पाया कि बिल्डर ने जानबूझकर स्टैम्प शुल्क से बचने के लिए यह कदम उठाया था। अब, धारा 48 के तहत:

    1. कलेक्टर बिल्डर की चल संपत्ति (Movable Property) को जब्त कर सकता है।

    2. यदि यह पर्याप्त नहीं होता, तो उसके बैंक खाते फ्रीज किए जा सकते हैं।

    3. यदि फिर भी राशि वसूल नहीं होती, तो उसके खिलाफ कानूनी मामला दायर किया जा सकता है।

    भारतीय स्टैम्प अधिनियम (Indian Stamp Act) की धारा 47 और 48 व्यापारिक लेन-देन (Commercial Transactions) में पारदर्शिता (Transparency) और वित्तीय अनुशासन (Financial Discipline) बनाए रखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।

    1. धारा 47 यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी बिल (Bill) या प्रोमिसरी नोट (Promissory Note) बिना स्टैम्प शुल्क के भुगतान के लिए अस्वीकार न किया जाए, और भुगतानकर्ता (Payer) को उसे स्टैम्प करने का अधिकार मिले।

    2. धारा 48 यह निर्धारित करती है कि यदि कोई व्यक्ति स्टैम्प शुल्क नहीं चुकाता, तो सरकार उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है और विभिन्न कानूनी तरीकों से शुल्क और दंड की वसूली कर सकती है।

    इन प्रावधानों से यह सुनिश्चित होता है कि वित्तीय दस्तावेज (Financial Documents) सही तरीके से स्टैम्प किए जाएँ, सरकार को राजस्व (Revenue) की हानि न हो, और लेन-देन (Transactions) में किसी भी प्रकार की अनियमितता (Irregularity) को रोका जा सके।

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