गलत उपयोग और खराब हुए स्टैम्प पर रियायत: भारतीय स्टाम्प अधिनियम की धारा 52 और 53

Himanshu Mishra

12 March 2025 1:27 PM

  • गलत उपयोग और खराब हुए स्टैम्प पर रियायत: भारतीय स्टाम्प अधिनियम की धारा 52 और 53

    भारतीय स्टाम्प अधिनियम (Indian Stamp Act) में विभिन्न कानूनी और वित्तीय दस्तावेजों के लिए स्टाम्प (Stamp) के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए विस्तृत प्रावधान दिए गए हैं।

    कई बार लोग अनजाने में गलत स्टाम्प का उपयोग कर लेते हैं, जैसे कि किसी दस्तावेज़ पर गलत प्रकार का स्टाम्प लगाना, आवश्यकता से अधिक मूल्य का स्टाम्प लगाना, या ऐसे दस्तावेज़ पर स्टाम्प लगाना, जिस पर कोई स्टाम्प शुल्क (Stamp Duty) लागू नहीं होता।

    ऐसे मामलों में, धारा 52 के तहत राहत दी जाती है, जिससे व्यक्ति को आर्थिक नुकसान न हो और गलत स्टाम्प का समाधान हो सके।

    इसी प्रकार, यदि स्टाम्प किसी गलती या अन्य कारणों से बेकार हो जाता है, तो धारा 53 यह निर्धारित करती है कि ऐसे मामलों में कैसे रियायत (Allowance) दी जाएगी। ये प्रावधान यह सुनिश्चित करते हैं कि लोग छोटे-मोटे स्टाम्प संबंधित गलतियों के कारण वित्तीय नुकसान न झेलें और स्टाम्प दस्तावेज़ों की वैधता बनी रहे।

    यह लेख भारतीय स्टाम्प अधिनियम की धारा 52 और 53 को विस्तार से समझाएगा, इनके महत्त्व, रियायत पाने की प्रक्रिया और व्यावहारिक उदाहरणों के माध्यम से इनकी व्याख्या करेगा।

    धारा 52: गलत उपयोग किए गए स्टाम्प (Misused Stamps) पर रियायत

    धारा 52 उन परिस्थितियों को कवर करती है, जब कोई व्यक्ति अनजाने में गलत स्टाम्प का उपयोग कर लेता है। यह धारा निम्नलिखित मामलों में लागू होती है:

    1. जब किसी दस्तावेज़ के लिए निर्धारित स्टाम्प के स्थान पर किसी अन्य प्रकार का स्टाम्प गलती से लगा दिया जाता है।

    2. जब आवश्यकता से अधिक मूल्य का स्टाम्प किसी दस्तावेज़ पर उपयोग किया जाता है।

    3. जब किसी ऐसे दस्तावेज़ पर स्टाम्प लगाया जाता है, जिस पर कोई स्टाम्प शुल्क लागू नहीं था।

    4. जब धारा 13 के उल्लंघन के कारण स्टाम्प बेकार हो जाता है और धारा 15 के अंतर्गत वह अनुपयोगी घोषित कर दिया जाता है।

    इन मामलों में, व्यक्ति को स्टाम्प अधीक्षक (Collector) के पास आवेदन करना होता है। यह आवेदन दस्तावेज़ की तिथि से छह महीने के भीतर किया जाना चाहिए। यदि दस्तावेज़ पर कोई तिथि नहीं है, तो आवेदन उस दिन से छह महीने के भीतर किया जाना चाहिए, जब दस्तावेज़ पहली बार निष्पादित (Executed) किया गया था।

    यदि दस्तावेज़ पर स्टाम्प शुल्क लागू होता है, तो सही शुल्क जमा करने के बाद ही रियायत दी जाएगी।

    गलत स्टाम्प उपयोग का उदाहरण

    मान लीजिए कि रमेश को एक किराया समझौते (Rental Agreement) के लिए ₹500 का स्टाम्प शुल्क देना था, लेकिन उसने गलती से ₹1000 का स्टाम्प लगा दिया।

    इस स्थिति में, स्टाम्प गलत तरीके से उपयोग किया गया माना जाएगा। रमेश धारा 52 के तहत स्टाम्प अधीक्षक से आवेदन करके राहत प्राप्त कर सकता है और उसे या तो ₹500 की वापसी मिलेगी या ₹500 का एक नया स्टाम्प दिया जाएगा।

    इसी तरह, अगर सीता ने ₹200 का स्टाम्प खरीदा लेकिन बाद में पता चला कि उसके दस्तावेज़ पर कोई स्टाम्प शुल्क लागू नहीं था, तो वह भी धारा 52 के तहत रियायत के लिए आवेदन कर सकती है।

    धारा 13 के उल्लंघन से स्टाम्प के अनुपयोगी होने का मामला

    धारा 13 के अनुसार, प्रत्येक दस्तावेज़, जिस पर स्टाम्प शुल्क लागू होता है, उसे एक ही स्टाम्प पेपर पर लिखा जाना चाहिए या अधिनियम में दिए गए नियमों का पालन करना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति इन नियमों का पालन नहीं करता और दस्तावेज़ गलत तरीके से लिखा जाता है, तो वह स्टाम्प बेकार हो जाता है।

    उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति एक अनुबंध (Agreement) को आधा स्टाम्प पेपर पर और आधा साधारण पेपर पर लिख देता है, तो यह धारा 13 का उल्लंघन होगा, और स्टाम्प धारा 15 के तहत अनुपयोगी घोषित कर दिया जाएगा। इस स्थिति में, स्टाम्प के लिए धारा 52 के अंतर्गत राहत ली जा सकती है।

    धारा 53: गलत उपयोग या खराब हुए स्टाम्प के लिए राहत कैसे दी जाती है

    यदि स्टाम्प अधीक्षक धारा 52 के अंतर्गत रियायत देने के लिए सहमत होता है, तो सवाल उठता है कि यह राहत किस रूप में दी जाएगी। धारा 53 इस प्रक्रिया को स्पष्ट करती है। राहत निम्नलिखित तीन तरीकों से दी जा सकती है:

    1. यदि कोई स्टाम्प गलत तरीके से उपयोग किया गया है या खराब हो गया है, तो अधीक्षक उसी प्रकार और समान मूल्य का एक नया स्टाम्प प्रदान कर सकता है।

    2. यदि आवेदनकर्ता अनुरोध करे और अधीक्षक उचित समझे, तो वह समान मूल्य का कोई अन्य प्रकार का स्टाम्प भी प्रदान कर सकता है।

    3. यदि अधीक्षक चाहे, तो व्यक्ति को स्टाम्प का मूल्य नकद में भी वापस किया जा सकता है, लेकिन इसमें प्रति ₹1 पर 10 naye paise की कटौती की जाएगी।

    स्टाम्प रियायत के व्यावहारिक उदाहरण

    मान लीजिए रमेश, जिसने गलती से ₹1000 का स्टाम्प ₹500 के बजाय उपयोग कर लिया था, स्टाम्प अधीक्षक से राहत का अनुरोध करता है।

    यदि आवेदन सही पाया जाता है, तो अधीक्षक निम्नलिखित में से किसी एक तरीके से राहत प्रदान कर सकता है:

    1. रमेश को ₹500 का एक नया स्टाम्प दिया जाएगा और ₹500 वापस कर दिए जाएंगे।

    2. यदि रमेश अनुरोध करता है, तो उसे ₹1000 के बदले कोई अन्य आवश्यक स्टाम्प दिया जा सकता है, जिसका उपयोग वह किसी अन्य दस्तावेज़ के लिए कर सके।

    3. अधीक्षक ₹1000 में से 10 naye paise प्रति ₹1 की कटौती करके शेष राशि नकद लौटा सकता है।

    धारा 52 और 53 की आवश्यकता और लाभ

    ये प्रावधान निम्नलिखित कारणों से महत्वपूर्ण हैं:

    1. ये लोगों को स्टाम्प उपयोग में की गई छोटी-छोटी गलतियों के कारण होने वाले आर्थिक नुकसान से बचाते हैं।

    2. ये यह सुनिश्चित करते हैं कि स्टाम्प शुल्क की प्रक्रिया पारदर्शी और न्यायसंगत बनी रहे।

    3. ये उचित अनुपालन (Compliance) को बढ़ावा देते हैं और अनावश्यक खर्चों को कम करते हैं।

    4. ये व्यक्तियों और व्यवसायों को स्टाम्प शुल्क से जुड़े मामलों में अधिक सतर्क और जागरूक बनाते हैं।

    स्टाम्प के लिए राहत पाने की प्रक्रिया

    1. आवेदनकर्ता को स्टाम्प अधीक्षक के पास आवेदन करना होगा।

    2. आवेदन छह महीने के भीतर जमा करना होगा।

    3. आवेदन में यह स्पष्ट करना होगा कि स्टाम्प का गलत उपयोग हुआ है या वह खराब हो गया है।

    4. यदि दस्तावेज़ पर स्टाम्प शुल्क लागू है, तो सही शुल्क चुकाने के बाद ही रियायत दी जाएगी।

    5. अधीक्षक आवेदन की जांच करेगा और उचित राहत प्रदान करेगा।

    भारतीय स्टाम्प अधिनियम की धारा 52 और 53 यह सुनिश्चित करती हैं कि लोग स्टाम्प शुल्क से जुड़ी गलतियों के कारण वित्तीय नुकसान न उठाएं। यदि कोई व्यक्ति गलत स्टाम्प उपयोग कर लेता है या स्टाम्प खराब हो जाता है, तो वह इन प्रावधानों के तहत राहत प्राप्त कर सकता है।

    इस प्रक्रिया को समझकर व्यक्ति और व्यवसाय दोनों ही स्टाम्प से जुड़े मामलों में अधिक सतर्कता बरत सकते हैं और अनावश्यक वित्तीय हानि से बच सकते हैं।

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