क्या कर्मचारी विदेश यात्रा करने पर भी अवकाश यात्रा रियायत की छूट का दावा कर सकते हैं?
Himanshu Mishra
10 March 2025 3:25 PM

सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया बनाम असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स (2022) मामले में यह तय किया कि यदि Leave Travel Concession (LTC) के तहत यात्रा में विदेश (Foreign Travel) शामिल हो, तो क्या इसे टैक्स छूट (Tax Exemption) मिल सकती है।
कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा, जिसमें यह कहा गया था कि LTC केवल भारत के भीतर यात्रा (Domestic Travel) के लिए है, और अगर यात्रा में विदेशी स्थान शामिल हैं, तो इसे आयकर अधिनियम (Income Tax Act) की धारा 10(5) के तहत छूट नहीं मिल सकती।
कोर्ट द्वारा विश्लेषित कानूनी प्रावधान (Legal Provisions Examined by the Court)
इस मामले में मुख्य प्रश्न यह था कि क्या नियोक्ता (Employer) को अपने कर्मचारियों के LTC भुगतान पर टैक्स काटने (TDS Deduction) की ज़रूरत थी, जब उनकी यात्रा में विदेश शामिल था।
इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए, कोर्ट ने निम्नलिखित प्रावधानों की व्याख्या की:
1. आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 10(5) (Section 10(5) of Income Tax Act, 1961)
यह प्रावधान कर्मचारियों को अपने LTC लाभ (LTC Benefits) पर टैक्स छूट देता है, लेकिन केवल तभी जब यात्रा भारत के एक स्थान से दूसरे स्थान के बीच हो। यदि यात्रा में कोई विदेशी स्थान शामिल हो, तो यह छूट नहीं दी जा सकती।
2. इनकम टैक्स रूल्स, 1962 का रूल 2B (Rule 2B of Income Tax Rules, 1962)
यह नियम बताता है कि LTC छूट केवल तभी मिलेगी जब यात्रा भारत के भीतर की गई हो और सबसे छोटे मार्ग (Shortest Route) से की गई हो। अगर यात्रा में कोई विदेशी स्थान शामिल हो, तो यह नियम लागू नहीं होगा।
3. आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 192(1) (Section 192(1) of Income Tax Act, 1961)
यह प्रावधान नियोक्ता (Employer) को अपने कर्मचारियों के वेतन (Salary) से टैक्स काटने का कानूनी दायित्व (Legal Obligation) देता है। यदि कोई भुगतान टैक्स छूट योग्य नहीं है, तो नियोक्ता को उस पर TDS काटना आवश्यक है।
कोर्ट की LTC और विदेशी यात्रा पर व्याख्या (Court's Interpretation of LTC and Foreign Travel)
सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि LTC केवल घरेलू यात्रा (Domestic Travel) के लिए है और यदि यात्रा में विदेशी यात्रा शामिल है, तो यह LTC के उद्देश्य (Purpose) से मेल नहीं खाती।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने यह दलील दी कि उनके कर्मचारी भारत के भीतर यात्रा कर रहे थे, और भुगतान केवल भारत के गंतव्य (Destinations) के लिए किया गया था, भले ही यात्रा में एक विदेशी स्थान भी शामिल हो। लेकिन कोर्ट ने इस तर्क को अस्वीकार कर दिया और कहा कि एक बार यात्रा में कोई विदेशी स्थान आ जाता है, तो इसे घरेलू यात्रा नहीं माना जा सकता और यह धारा 10(5) के तहत कर मुक्त (Tax-Free) नहीं होगी।
कोर्ट द्वारा संदर्भित महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय (Judicial Precedents and Comparisons)
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि टैक्स छूट की व्याख्या (Interpretation of Tax Exemptions) स्पष्ट और सख्त होनी चाहिए।
अदालत ने इन मामलों का उल्लेख किया:
• कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स बनाम के. श्रीनिवासन (1972) [Commissioner of Income Tax v. K. Srinivasan (1972)] – इस मामले में कोर्ट ने कहा कि आयकर अधिनियम में दिए गए छूट प्रावधानों की व्याख्या उसके शब्दों के अनुसार ही की जानी चाहिए।
• सिल्क एंड आर्ट सिल्क मिल्स एसोसिएशन बनाम इनकम टैक्स ऑफिसर (1989) [Silk & Art Silk Mills Association v. Income Tax Officer (1989)] – इस फैसले में कोर्ट ने कहा कि अगर कोई कर छूट अस्पष्ट (Ambiguous) लगती है, तो उसे कर भुगतान (Taxation) के पक्ष में ही माना जाना चाहिए, न कि छूट के पक्ष में।
नियोक्ता की ज़िम्मेदारी और "ईमानदार गलती" का तर्क (Employer's Responsibility and the “Bonafide Mistake” Argument)
SBI ने यह दलील दी कि उन्हें पता नहीं था कि उनके कर्मचारियों ने LTC के तहत विदेश यात्रा की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि जब नियोक्ता LTC भुगतान की पुष्टि करता है, तब उसे यात्रा के सभी विवरण (Travel Details) मिलते हैं। इसलिए, यह दावा करना कि यह एक ईमानदार गलती (Bonafide Mistake) थी, स्वीकार्य नहीं है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि:
• नियोक्ता पर यह कानूनी दायित्व (Legal Duty) है कि वह सही तरीके से कर आकलन (Tax Assessment) करे।
• यदि सभी यात्रा दस्तावेज (Travel Documents) उसके पास उपलब्ध थे, तो वह यह दावा नहीं कर सकता कि उसे कर्मचारियों की यात्रा का विवरण नहीं पता था।
LTC छूट का उद्देश्य और विधायी मंशा (Legislative Intent Behind LTC Exemption)
कोर्ट ने LTC छूट के पीछे की मंशा को भी समझाया। 6वें वेतन आयोग (6th Pay Commission Report, 2008) ने यह स्पष्ट किया था कि LTC का उद्देश्य कर्मचारियों को भारत के भीतर यात्रा करने के लिए प्रेरित करना था, न कि विदेशी यात्रा करने के लिए।
वेतन आयोग की रिपोर्ट में कहा गया था:
1. LTC का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों को भारतीय संस्कृति (Indian Culture) और विरासत (Heritage) से परिचित कराना है।
2. यदि विदेशी यात्रा को शामिल कर दिया जाए, तो इससे सरकार का व्यय (Government Expenditure) बढ़ जाएगा, जिससे इस योजना का उद्देश्य ही विफल हो जाएगा।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया बनाम असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण कानूनी निर्णय (Legal Precedent) दिया। इस फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया कि LTC छूट केवल भारत के भीतर की गई यात्रा के लिए है और यदि यात्रा में विदेशी गंतव्य (Foreign Destinations) शामिल हैं, तो नियोक्ता को LTC भुगतान पर TDS काटना होगा।
इस निर्णय का असर यह होगा कि भविष्य में नियोक्ता (Employers) को LTC दावों (LTC Claims) को ज्यादा सावधानी से जांचना होगा ताकि वे इनकम टैक्स कानूनों (Income Tax Laws) का सही पालन कर सकें। इस फैसले ने यह भी सुनिश्चित किया कि LTC लाभ (LTC Benefits) का दुरुपयोग (Misuse) न हो और इसे केवल उसके मूल उद्देश्य (Purpose) के लिए ही उपयोग किया जाए।