स्टांप-कानून के उल्लंघन पर अभियोजन और संबंधित प्रावधान : धारा 43-46, भारतीय स्टांप अधिनियम

Himanshu Mishra

7 March 2025 11:38 AM

  • स्टांप-कानून के उल्लंघन पर अभियोजन और संबंधित प्रावधान : धारा 43-46, भारतीय स्टांप अधिनियम

    भारतीय स्टांप अधिनियम के तहत दस्तावेजों (Instruments) पर सही स्टांप शुल्क लगाया जाना आवश्यक है। यदि कोई दस्तावेज़ अनुचित रूप से स्टांप किया गया है या स्टांप शुल्क की चोरी हुई है, तो इस पर न केवल दंड (Penalty) लगाया जा सकता है, बल्कि दोषी व्यक्ति पर मुकदमा (Prosecution) भी चलाया जा सकता है।

    इसके अलावा, कुछ मामलों में स्टांप शुल्क या दंड की वसूली और वापसी (Refund) के भी प्रावधान हैं। इस लेख में हम धारा 43 से 46 तक के प्रावधानों को विस्तार से समझेंगे।

    धारा 43: स्टांप-कानून के उल्लंघन पर अभियोजन (Prosecution for Offence against Stamp-law)

    क्या कोई व्यक्ति दंड चुकाने के बाद भी अभियोजन के लिए उत्तरदायी रहेगा?

    इस धारा के अनुसार, यदि किसी दस्तावेज़ पर स्टांप शुल्क ठीक से नहीं चुकाया गया है और उस पर दंड लगाया गया है, तो केवल दंड चुकाने से अभियोजन की संभावना समाप्त नहीं होती है। यदि कोई व्यक्ति स्टांप-कानून का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है, भले ही उसने पहले ही दंड चुका दिया हो।

    क्या अभियोजन से बचने का कोई तरीका है?

    हालांकि, इस धारा में यह शर्त दी गई है कि यदि किसी दस्तावेज़ पर दंड चुका दिया गया है, तो अभियोजन केवल तभी होगा जब कलेक्टर (Collector) को यह लगे कि उस व्यक्ति ने जानबूझकर स्टांप शुल्क की चोरी (Evasion of Stamp Duty) करने की मंशा से यह कार्य किया था। यदि यह गलती या भूलवश हुआ है और स्टांप शुल्क बाद में चुका दिया गया है, तो आमतौर पर अभियोजन की संभावना कम होती है।

    उदाहरण

    मान लीजिए कि एक कंपनी ने एक महत्त्वपूर्ण व्यावसायिक अनुबंध (Business Agreement) बिना उचित स्टांप शुल्क चुकाए निष्पादित कर दिया। बाद में जब यह अनुबंध अदालत में प्रस्तुत किया गया, तो यह पाया गया कि यह दस्तावेज़ उचित रूप से स्टांप नहीं किया गया था। कलेक्टर ने उस पर दंड लगाया और स्टांप शुल्क की वसूली कर ली।

    यदि यह गलती अनजाने में हुई थी, तो मामला समाप्त हो सकता है। लेकिन यदि यह जानबूझकर किया गया था ताकि स्टांप शुल्क से बचा जा सके, तो कंपनी के खिलाफ मुकदमा दायर किया जा सकता है।

    धारा 44: स्टांप शुल्क या दंड चुकाने वाले व्यक्ति द्वारा वसूली (Recovery of Duty or Penalty by Payer in Certain Cases)

    यदि स्टांप शुल्क कोई और व्यक्ति चुकाने के लिए बाध्य था तो क्या होगा?

    इस धारा के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति ने किसी दस्तावेज़ पर स्टांप शुल्क या दंड चुका दिया है, लेकिन किसी अन्य व्यक्ति के साथ हुए अनुबंध (Agreement) या कानून के किसी अन्य प्रावधान के तहत दूसरा व्यक्ति इस शुल्क को चुकाने के लिए बाध्य था, तो पहला व्यक्ति अपनी चुकाई गई राशि की वसूली कर सकता है।

    कौन-सा दस्तावेज़ इस धारा के अंतर्गत आएगा?

    इस धारा का उपयोग तब होता है जब किसी दस्तावेज़ पर निम्नलिखित धाराओं के अंतर्गत स्टांप शुल्क या दंड चुकाया गया हो:

    • धारा 35: जब दस्तावेज़ को बिना उचित स्टांप शुल्क के प्रमाण में प्रस्तुत किया जाता है और फिर शुल्क और दंड चुकाकर स्वीकार किया जाता है।

    • धारा 37: जब दस्तावेज़ पर गलत प्रकार का स्टांप लगा होता है और उसे सही स्टांप के साथ प्रमाणित किया जाता है।

    • धारा 40: जब कलेक्टर दस्तावेज़ को जब्त करके उचित शुल्क और दंड लगाने के बाद उसे मान्य बनाता है।

    • धारा 41: जब कोई व्यक्ति गलती से स्टांप शुल्क का भुगतान न करने के कारण दस्तावेज़ प्रस्तुत करता है और फिर शुल्क चुकाकर इसे मान्य बनवाता है।

    उदाहरण

    अगर किसी मकान की बिक्री का दस्तावेज़ (Sale Deed) तैयार किया गया था और विक्रेता (Seller) के अनुबंध में यह शर्त थी कि खरीदार (Buyer) स्टांप शुल्क चुकाएगा, लेकिन किसी कारणवश विक्रेता ने यह शुल्क चुका दिया, तो वह इस राशि की वसूली खरीदार से कर सकता है।

    धारा 45: स्टांप शुल्क या दंड की वापसी (Refund of Penalty or Excess Duty by Revenue Authority in Certain Cases)

    क्या चुकाया गया दंड वापस मिल सकता है?

    यदि किसी व्यक्ति ने धारा 35 या 40 के तहत स्टांप शुल्क के साथ दंड भी चुका दिया है, तो वह मुख्य नियंत्रक राजस्व प्राधिकारी (Chief Controlling Revenue Authority) को एक लिखित आवेदन देकर दंड की पूरी या आंशिक राशि वापस लेने का अनुरोध कर सकता है। आवेदन भुगतान की तारीख से एक वर्ष के भीतर किया जाना चाहिए।

    क्या गलत तरीके से लगाए गए अतिरिक्त स्टांप शुल्क की वापसी हो सकती है?

    अगर किसी दस्तावेज़ पर धारा 35 या 40 के तहत अनावश्यक रूप से अधिक स्टांप शुल्क लगाया गया है, तो तीन महीने के भीतर आवेदन करने पर अधिशेष राशि (Excess Amount) वापस मिल सकती है।

    उदाहरण

    अगर किसी व्यक्ति ने किसी बंधक अनुबंध (Mortgage Deed) पर गलती से ज़रूरत से अधिक स्टांप शुल्क चुका दिया, और बाद में यह पाया गया कि वास्तव में कम शुल्क लागू होता था, तो वह आवेदन देकर अतिरिक्त राशि वापस मांग सकता है।

    धारा 46: धारा 38 के तहत भेजे गए दस्तावेज़ों के नुकसान की जिम्मेदारी (Non-liability for Loss of Instruments Sent Under Section 38)

    यदि कलेक्टर को भेजा गया दस्तावेज़ खो जाता है तो जिम्मेदारी किसकी होगी?

    यदि कोई दस्तावेज़ धारा 38(2) के तहत कलेक्टर को भेजा गया और वह खो जाता है, नष्ट हो जाता है या क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो उस दस्तावेज़ को भेजने वाला व्यक्ति इसकी जिम्मेदारी नहीं लेगा।

    क्या दस्तावेज़ का प्रमाण रखा जा सकता है?

    यदि किसी व्यक्ति का कोई दस्तावेज़ कलेक्टर को भेजा जा रहा हो, तो वह एक प्रमाणित प्रति (Authenticated Copy) बनवा सकता है, जिससे भविष्य में उसे किसी समस्या का सामना न करना पड़े।

    उदाहरण

    अगर किसी व्यापारिक अनुबंध को कलेक्टर के पास भेजा गया और डाक प्रणाली में वह दस्तावेज़ नष्ट हो गया, तो दस्तावेज़ भेजने वाले व्यक्ति को इसके नुकसान का उत्तरदायी नहीं ठहराया जाएगा। हालांकि, अगर उसने पहले से उसकी प्रमाणित प्रति बनवा ली थी, तो वह कानूनी रूप से उस प्रति का उपयोग कर सकता है।

    धारा 43 से 46 भारतीय स्टांप अधिनियम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये प्रावधान स्टांप-कानून के उल्लंघन, दंड और शुल्क की वसूली, स्टांप शुल्क की वापसी और कलेक्टर को भेजे गए दस्तावेज़ों के नुकसान से संबंधित हैं। यह सुनिश्चित करता है कि स्टांप शुल्क की चोरी रोकी जा सके और उचित मामलों में राहत भी प्रदान की जा सके।

    यदि कोई व्यक्ति गलती से स्टांप शुल्क नहीं चुकाता, तो उसे इसे सुधारने का अवसर दिया जाता है, लेकिन यदि कोई जानबूझकर स्टांप शुल्क से बचने का प्रयास करता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।

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