न्यायिक कार्यवाही के स्थानांतरण और मकान मालिक तथा किरायेदार की जानकारी देने की बाध्यता – धारा 28 और 29 हिमाचल प्रदेश किराया नियंत्रण अधिनियम, 2023
Himanshu Mishra
8 March 2025 2:02 PM

हिमाचल प्रदेश किराया नियंत्रण अधिनियम, 2023 (Himachal Pradesh Rent Control Act, 2023) मकान मालिक (Landlord) और किरायेदार (Tenant) के बीच संबंधों को नियंत्रित करने के लिए बनाया गया है। इस अधिनियम में कई महत्वपूर्ण प्रावधान (Provisions) दिए गए हैं, जिनमें से धारा 28 और 29 विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं।
धारा 28 न्यायिक कार्यवाही (Proceedings) के स्थानांतरण (Transfer) से संबंधित है, जबकि धारा 29 मकान मालिक और किरायेदार को किराए की संपत्ति (Rented Property) से संबंधित आवश्यक जानकारी प्रदान करने के लिए बाध्य करता है। ये प्रावधान पारदर्शिता (Transparency) बनाए रखने और विवादों के निपटारे में सहायक होते हैं।
इन धाराओं को बेहतर तरीके से समझने के लिए हमें अधिनियम की पूर्ववर्ती धाराओं जैसे नियंत्रक (Controller) की शक्तियों, अपीलीय प्राधिकरण (Appellate Authority) और आदेशों के क्रियान्वयन (Execution of Orders) से संबंधित प्रावधानों को भी देखना होगा।
धारा 28: कार्यवाही (Proceedings) के स्थानांतरण की शक्ति (Power to Transfer Proceedings)
इस धारा के तहत हाईकोर्ट (High Court) और अपीलीय प्राधिकरण (Appellate Authority) को यह शक्ति दी गई है कि वे न्यायिक कार्यवाही को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित कर सकते हैं। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि मामले निष्पक्षता (Fairness) के साथ सुने जाएं और सुनवाई में किसी प्रकार की देरी या पक्षपात (Bias) न हो।
हाईकोर्ट द्वारा कार्यवाही का स्थानांतरण (Transfer of Proceedings by High Court)
हाईकोर्ट के पास यह अधिकार है कि वह किसी भी कार्यवाही को एक अपीलीय प्राधिकरण से दूसरे अपीलीय प्राधिकरण को स्थानांतरित कर सकता है। यह स्थानांतरण किसी भी पक्ष (Party) द्वारा किए गए आवेदन (Application) के आधार पर या न्यायालय स्वयं संज्ञान (Suo Moto) लेकर कर सकता है। स्थानांतरण के बाद, जिस अपीलीय प्राधिकरण को मामला सौंपा गया है, उसे इस पर निर्णय लेना होगा और स्थानांतरण आदेश में दिए गए किसी भी विशेष निर्देश (Special Directions) का पालन करना होगा।
उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि किसी किरायेदार को नियंत्रक (Controller) द्वारा बेदखली (Eviction) का आदेश दिया गया और उसने इस आदेश के खिलाफ अपील (Appeal) दायर की। यदि किरायेदार को लगता है कि अपीलीय प्राधिकरण निष्पक्ष रूप से निर्णय नहीं लेगा, तो वह हाईकोर्ट से अनुरोध कर सकता है कि उसका मामला किसी अन्य अपीलीय प्राधिकरण को स्थानांतरित कर दिया जाए। यदि न्यायालय को यह उचित लगता है, तो वह स्थानांतरण का आदेश दे सकता है।
हाईकोर्ट या अपीलीय प्राधिकरण द्वारा नियंत्रक के अंतर्गत स्थानांतरण (Transfer within Jurisdiction by High Court or Appellate Authority)
धारा 28 के तहत, हाईकोर्ट या अपीलीय प्राधिकरण के पास यह शक्ति भी होती है कि वह किसी नियंत्रक के अधीन लंबित कार्यवाही को किसी अन्य नियंत्रक को स्थानांतरित कर सकता है।
उदाहरण के लिए, यदि किसी नियंत्रक के पास बहुत अधिक मामले लंबित हैं और सुनवाई में देरी हो रही है, तो अपीलीय प्राधिकरण यह आदेश दे सकता है कि कुछ मामलों को किसी अन्य नियंत्रक को स्थानांतरित कर दिया जाए ताकि सुनवाई समय पर हो सके।
धारा 28 का महत्व (Importance of Section 28)
यह प्रावधान न्यायपालिका (Judiciary) की निष्पक्षता और न्यायिक प्रक्रिया की गति बनाए रखने के लिए आवश्यक है। यदि किसी पक्ष को संदेह है कि वह निष्पक्ष सुनवाई प्राप्त नहीं करेगा, तो उसे स्थानांतरण के लिए आवेदन करने का अधिकार है। साथ ही, यदि किसी अधिकारी के पास अधिक मामले लंबित हैं, तो स्थानांतरण से मामलों का शीघ्र निपटारा हो सकता है।
धारा 29: मकान मालिक और किरायेदार द्वारा जानकारी देना (Landlord and Tenant to Furnish Particulars)
इस धारा के तहत मकान मालिक और किरायेदार को यह बाध्यता दी गई है कि वे किराए की संपत्ति से संबंधित आवश्यक जानकारी नियंत्रक को उपलब्ध कराएं। यह प्रावधान विवादों को रोकने और किरायेदारी (Tenancy) की पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए आवश्यक है।
जानकारी देने की बाध्यता (Obligation to Provide Details)
हर मकान मालिक और किरायेदार को नियंत्रक या उसके द्वारा अधिकृत किसी व्यक्ति को संपत्ति से संबंधित आवश्यक जानकारी देनी होगी। यह जानकारी क्या होगी, इसे अधिनियम के तहत बनाए गए नियमों में स्पष्ट किया जाएगा।
उदाहरण के लिए, मकान मालिक को किराए की संपत्ति का पता, किरायेदारी की अवधि, मासिक किराया और किरायेदारी की शर्तों (Terms of Tenancy) से संबंधित जानकारी देनी होगी। वहीं, किरायेदार को अपनी पहचान, किराए का भुगतान, और संपत्ति में किए गए किसी भी संशोधन (Modification) की जानकारी देनी होगी।
जानकारी एकत्र करने का उद्देश्य (Purpose of Collecting Information)
इस प्रावधान का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किराए की संपत्तियों का सही रिकॉर्ड रखा जाए। यह जानकारी विवादों के निपटारे में मदद करती है और अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने की सुविधा देती है कि अधिनियम का पालन हो रहा है।
उदाहरण के लिए, यदि कोई मकान मालिक यह दावा करता है कि किरायेदार ने किराया नहीं चुकाया, तो नियंत्रक के पास पहले से दर्ज जानकारी के आधार पर सत्यापन किया जा सकता है। इसी तरह, यदि कोई किरायेदार यह दावा करता है कि मकान मालिक उसे जबरन बेदखल कर रहा है, तो यह रिकॉर्ड विवाद को सुलझाने में सहायक होगा।
जानकारी न देने पर दंड (Penalty for Non-Compliance)
यदि कोई मकान मालिक या किरायेदार आवश्यक जानकारी देने से इनकार करता है, तो उसे कानूनी परिणामों (Legal Consequences) का सामना करना पड़ सकता है। नियंत्रक इस स्थिति में आवश्यक कार्रवाई कर सकता है ताकि सभी पक्ष अधिनियम का पालन करें।
पूर्ववर्ती धाराओं से संदर्भ (Reference to Earlier Sections)
धारा 28 और 29 को समझने के लिए अधिनियम की अन्य महत्वपूर्ण धाराओं को भी देखना आवश्यक है।
1. धारा 25: नियंत्रक की शक्तियाँ (Powers of Controller) – नियंत्रक को नागरिक न्यायालय (Civil Court) के समान शक्तियाँ दी गई हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि वह न्यायिक प्रक्रिया का पालन कर सके।
2. धारा 26: आदेशों का क्रियान्वयन (Execution of Orders) – धारा 28 के तहत स्थानांतरित कार्यवाही में आदेशों को लागू करने के लिए नियंत्रक को वही अधिकार मिलते हैं जो एक दीवानी न्यायालय (Civil Court) को होते हैं।
3. धारा 27: आवेदन दायर करना और निपटारा (Institution and Disposal of Applications) – इस धारा के तहत आवेदन कैसे दायर किए जाते हैं और उनकी सुनवाई कैसे होती है, यह निर्धारित किया गया है।
हिमाचल प्रदेश किराया नियंत्रण अधिनियम, 2023 की धारा 28 और 29 न्यायिक प्रक्रिया को सुचारू रूप से संचालित करने और किरायेदारी प्रणाली को पारदर्शी बनाए रखने के लिए आवश्यक प्रावधान हैं।
कार्यवाही के स्थानांतरण की शक्ति से सुनवाई में निष्पक्षता बनी रहती है, जबकि जानकारी देने की बाध्यता से विवादों का शीघ्र निपटारा सुनिश्चित होता है। इन धाराओं का उचित क्रियान्वयन हिमाचल प्रदेश में एक संगठित और न्यायसंगत किरायेदारी प्रणाली को सुनिश्चित करेगा।