भारतीय स्टांप अधिनियम की धारा 49 के तहत खराब हो चुके स्टांप पर छूट प्राप्त करने की प्रक्रिया

Himanshu Mishra

10 March 2025 3:20 PM

  • भारतीय स्टांप अधिनियम की धारा 49 के तहत खराब हो चुके स्टांप पर छूट प्राप्त करने की प्रक्रिया

    परिचय (Introduction)

    भारतीय स्टैम्प अधिनियम (Indian Stamp Act) के तहत विभिन्न कानूनी और वित्तीय दस्तावेजों (Documents) पर स्टैम्प शुल्क (Stamp Duty) लगाया जाता है। हालांकि, कई बार ऐसा होता है कि खरीदा गया स्टैम्प किसी गलती, त्रुटि या अन्य कारणों से उपयोग के योग्य नहीं रह जाता।

    इस तरह के मामलों में, धारा 49 (Section 49) के तहत व्यक्ति को राहत प्रदान की जाती है, ताकि उसकी आर्थिक हानि न हो। यह प्रावधान इस बात को सुनिश्चित करता है कि यदि कोई स्टैम्प गलती से खराब हो गया है, तो उसका पुनः उपयोग (Reuse) किया जा सके या उसका पैसा वापस मिल सके।

    धारा 49 के तहत कुछ विशिष्ट परिस्थितियाँ निर्धारित की गई हैं, जिनमें स्टैम्प को "खराब" (Spoiled) माना जाएगा और व्यक्ति को इसके बदले छूट (Allowance) दी जाएगी। हालांकि, यह छूट कुछ शर्तों और समय-सीमा के अंतर्गत ही उपलब्ध होती है, जिनका पालन करना अनिवार्य है।

    खराब स्टैम्प (Spoiled Stamps) और उनकी छूट का प्रावधान (Allowance for Spoiled Stamps)

    खराब स्टैम्प का अर्थ (Meaning of Spoiled Stamp)

    "खराब स्टैम्प" उस स्टैम्प को कहा जाता है जिसे खरीदा तो गया लेकिन किसी गलती, त्रुटि या अन्य कारणों से उसका उपयोग नहीं हो पाया। यह सुनिश्चित करने के लिए कि ऐसे स्टैम्प व्यर्थ न जाएँ, व्यक्ति को या तो इसका बदला दिया जाता है या एक नया स्टैम्प प्रदान किया जाता है।

    धारा 49 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति निर्धारित समय-सीमा (Section 50 के अनुसार) के भीतर आवेदन करता है और कलेक्टर (Collector) यह प्रमाणित कर देता है कि स्टैम्प वास्तव में उपयोग के लायक नहीं है, तो व्यक्ति को छूट दी जा सकती है।

    किन परिस्थितियों में स्टैम्प को खराब माना जाएगा? (When Can a Stamp Be Considered Spoiled?)

    1. स्टैम्प लिखने के दौरान गलती से खराब हो जाए

    यदि कोई स्टैम्प गलती से खराब, मिटाया गया, फाड़ दिया गया, या किसी अन्य कारण से अनुपयोगी हो गया है, और उस पर अभी तक किसी ने हस्ताक्षर (Signature) नहीं किए हैं, तो इसे खराब माना जाएगा।

    उदाहरण: यदि कोई व्यक्ति किसी अनुबंध (Contract) को स्टैम्प पेपर पर लिखते समय गलती से स्याही गिरा देता है, जिससे पूरा दस्तावेज़ धुंधला हो जाता है और पढ़ने योग्य नहीं रहता, तो यह स्टैम्प खराब स्टैम्प माना जाएगा।

    2. स्टैम्प पर दस्तावेज लिखा गया लेकिन हस्ताक्षर नहीं हुए

    अगर किसी स्टैम्प पेपर पर आंशिक (Partial) या पूर्ण (Complete) रूप से दस्तावेज लिखा गया हो, लेकिन उस पर किसी भी पक्ष (Party) द्वारा हस्ताक्षर नहीं किए गए हैं, तो यह स्टैम्प खराब माना जाएगा।

    उदाहरण: मान लीजिए कि एक किरायेदार और मकान मालिक के बीच किरायानामा (Lease Agreement) तैयार किया गया, लेकिन बाद में किरायेदार ने हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। ऐसी स्थिति में यह स्टैम्प पेपर उपयोग नहीं किया जा सकता, और इसके बदले छूट का दावा किया जा सकता है।

    3. बिल ऑफ एक्सचेंज (Bill of Exchange) और प्रोमिसरी नोट (Promissory Note) से संबंधित छूट

    धारा 49 विशेष रूप से बिल ऑफ एक्सचेंज और प्रोमिसरी नोट के लिए भी छूट का प्रावधान करता है।

    इसमें निम्नलिखित स्थितियाँ शामिल हैं:

    • अगर कोई बिल ऑफ एक्सचेंज केवल ड्रॉअर (Drawer) द्वारा हस्ताक्षरित है, लेकिन स्वीकार (Accept) नहीं किया गया या उपयोग नहीं किया गया, तो यह खराब माना जाएगा।

    • अगर कोई प्रोमिसरी नोट सिर्फ निर्माता (Maker) द्वारा हस्ताक्षरित है, लेकिन इसे किसी और को सौंपा नहीं गया, तो यह छूट के लिए पात्र होगा।

    • अगर किसी बिल ऑफ एक्सचेंज या प्रोमिसरी नोट में कोई गलती या चूक (Omission or Error) हो गई है, जिससे यह दस्तावेज़ उपयोग में नहीं आ सकता, और एक नया दस्तावेज सही तरीके से बनाया गया है, तो पहले वाले स्टैम्प को खराब माना जाएगा।

    उदाहरण: मान लीजिए कि एक व्यापारी ₹1,00,000 की प्रोमिसरी नोट बनाता है लेकिन गलती से गलत तिथि डाल देता है, जिससे यह कानूनी रूप से अमान्य (Invalid) हो जाता है। यदि वह नया प्रोमिसरी नोट सही तिथि के साथ तैयार करता है और स्टैम्प शुल्क (Stamp Duty) फिर से देता है, तो वह पहले वाले खराब स्टैम्प के लिए छूट का दावा कर सकता है।

    4. ऐसे दस्तावेज़ जो बाद में अमान्य (Void) हो गए

    अगर कोई दस्तावेज़ वैध (Valid) रूप से बनाया गया था, लेकिन बाद में किसी कानूनी या अन्य कारण से यह अमान्य हो जाता है, तो स्टैम्प खराब माना जाएगा।

    इसमें निम्नलिखित स्थितियाँ शामिल हैं:

    • यदि कोई दस्तावेज़ शुरू से ही कानूनी रूप से अमान्य था, तो यह स्टैम्प खराब माना जाएगा।

    • यदि किसी महत्वपूर्ण गलती (Error) या त्रुटि के कारण कोई दस्तावेज़ उसके मूल उद्देश्य के लिए अनुपयोगी हो जाता है, तो इसे छूट मिल सकती है।

    • यदि किसी आवश्यक व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, जिससे दस्तावेज़ पूरा नहीं हो सकता, तो भी इसे खराब स्टैम्प माना जाएगा।

    • अगर कोई व्यक्ति दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर देता है, और इसके बिना यह दस्तावेज़ अधूरा रह जाता है, तो स्टैम्प का पैसा वापस लिया जा सकता है।

    • यदि किसी व्यक्ति ने किसी अनुबंध (Agreement) पर हस्ताक्षर किए, लेकिन बाद में उसने उस अनुबंध को लागू करने से इनकार कर दिया, तो उस स्टैम्प का पैसा वापस लिया जा सकता है।

    उदाहरण: यदि कोई बैंक ऋण (Loan) के लिए गारंटी पत्र (Guarantee Document) तैयार करता है और गारंटर (Guarantor) इसे स्वीकार करने से इनकार कर देता है, तो यह स्टैम्प खराब माना जाएगा और बैंक इसके बदले नया स्टैम्प ले सकता है।

    5. एक ही लेन-देन के लिए नया स्टैम्प उपयोग कर लिया जाए

    अगर किसी विशेष लेन-देन (Transaction) के लिए पहले स्टैम्प लिया गया था, लेकिन बाद में उसी लेन-देन के लिए एक नया स्टैम्प उपयोग कर लिया गया और पुराने स्टैम्प का कोई उपयोग नहीं हुआ, तो पहले वाला स्टैम्प खराब माना जाएगा।

    उदाहरण: यदि एक व्यापारी ₹500 के स्टैम्प पेपर पर अनुबंध बनाता है, लेकिन बाद में ₹1,000 के स्टैम्प पेपर पर संशोधित अनुबंध (Revised Agreement) तैयार करता है, तो ₹500 वाला स्टैम्प खराब माना जाएगा।

    छूट प्राप्त करने की प्रक्रिया (Process for Claiming Allowance)

    स्टैम्प छूट का दावा करने के लिए व्यक्ति को कलेक्टर (Collector) के पास एक आवेदन देना होगा और यह प्रमाणित करना होगा कि स्टैम्प वास्तव में उपयोग में नहीं आया है। कलेक्टर जांच करने के बाद निर्णय करेगा कि छूट दी जाए या नहीं।

    अगर आवेदन स्वीकार कर लिया जाता है, तो व्यक्ति को या तो रिफंड (Refund) मिल सकता है या उसे नया स्टैम्प जारी किया जा सकता है।

    धारा 49 का उद्देश्य लोगों को स्टैम्प शुल्क की अनावश्यक हानि से बचाना है। यह प्रावधान उन स्थितियों में राहत प्रदान करता है जब कोई स्टैम्प गलती से खराब हो जाता है या उपयोग के लायक नहीं रहता। हालांकि, छूट प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा और निर्धारित समय-सीमा के भीतर आवेदन करना होगा।

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