सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

LiveLaw News Network

2 Nov 2020 1:24 PM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    सुप्रीम कोर्ट में कैसा रहा पिछला सप्ताह। आइए जानते हैं 26 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक सुप्रीम कोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।

    सुप्रीम कोर्ट ने मातृत्व अवकाश के दौरान प्रोफेसर को बर्खास्त करने के लिए डीयू कॉलेज पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाने का फैसला बरकरार रखा

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ अपील खारिज कर दी, जिसमें एक एडहॉक (तदर्थ) सहायक प्रोफेसर को फिर से बहाल किया गया था, जिसे दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कॉलेज ने मातृत्व अवकाश के दौरान सेवा से हटा दिया था। इसके साथ साथ दिल्ली हाईकोर्ट ने कॉलेज पर 50 हज़ार रुपए का जुर्माना भी लगाया था। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ ने कॉलेज के आचरण के खिलाफ गंभीर आपत्ति व्यक्त की और कहा कि मातृत्व अवकाश सेवाओं की समाप्ति का आधार नहीं हो सकता।

    बेंच ने कहा, " बच्चा होना किसी औरत की पेशेवर क्षमता पर कोई प्रतिबिंब नहीं है, चाहे वह सेना, नौसेना, न्यायपालिका, शिक्षण या नौकरशाही में हो। हम इस आधार पर सेवा समाप्ति की अनुमति नहीं देंगे।" तदनुसार, अदालत ने अपील खारिज कर दी और यह देखते हुए कि उत्तरदाता को मुकदमे के दौरान खर्च करना पड़ा होगा, कॉलेज पर 50000 रुपये का जुर्माना लगाया। आगे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

    पुलिस की मौजूदगी में टेस्ट आइडेंटिफिकेशन के दौरान पहचानकर्ता द्वारा दिया गया बयान सीआरपीसी की धारा 162 के प्रतिबंध के दायरे में : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब पुलिस की मौजूदगी में टेस्ट आइडेंटिफिकेशन परेड आयोजित कराई जाती है तो उसके परिणामस्वरूप हुआ कम्यूनिकेशन पहचानकर्ता द्वारा जांच के दौरान पुलिस अधिकारी के समक्ष दिये गये बयान के समान होता है और वे आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 162 के प्रतिबंध के दायरे में आते हैं। इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने अभियुक्त चुंथुराम और सह-अभियुक्त जगन राम को हत्या का दोषी ठहराया था। हाईकोर्ट ने चश्मदीदों की गवाही का हवाला देते हुए जगन राम को बरी कर दिया था। फिलिम साई द्वारा लुंगी की पहचान की गयी थी, जो चुंथुराम के खिलाफ इस्तेमाल एक और साक्ष्य थी।

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    'क्या वह कोई राक्षस है? ': सुप्रीम कोर्ट ने मृत्युदंड की सजा पर रोक लगाते हुए टिप्पणी की

    सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसे शख्स को मिली मौत की सज़ा पर रोक लगा दी है, जिसे एक महिला की गला घोंटकर हत्या करने, उसके पेट को काटने और उसके शरीर से कुछ अंगों को बाहर निकालने के भीषण कृत्य के लिए दोषी पाया गया था। हालांकि भारत के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस सजा पर रोक लगा दी, लेकिन बेंच ने अपराध की भयानकता पर घोर आश्चर्य जताया। वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा विधिक सहायता योजना के तहत दोषी मोहन सिंह के लिए पैरवी कर रहे थे।

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    सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस देश की सभी अदालतों के लिए बाध्यकारी : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को विशेष अनुमति याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि इस देश की सभी अदालतें शीर्ष अदालत के फैसले से बंधी हुई हैं। न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन के नेतृत्व वाली पीठ भूमि अधिग्रहण मामले में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर एसएलपी (SLP) पर विचार कर रही थी । पीठ के समक्ष यह प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ता को यह लगता है कि कार्यकारी अदालत ने गुरप्रीत सिंह बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (2006) 8 एससीसी 457 में दिए गए उच्चतम न्यायालय के फैसले का पालन नहीं किया।

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    बच्चे की कस्टडी निर्धारित करने में उसकी प्राथमिकताएं और झुकाव महत्वपूर्णः सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने बच्चे की अंतरराष्ट्रीय कस्टडी से संबंधित एक फैसले में गार्ड‌ीअन एंड वार्ड एक्ट 1890 की धारा 17 (3) पर भरोसा किया, जिसमें कहा गया कि कोर्ट नाबालिग की प्राथमिकताओं पर विचार कर सकता है, यदि वह इतना बड़ा/बड़ी है कि विवेकपूर्ण प्र‌ाथम‌िकताएं तय कर पाए। कोर्ट ने कहा, "धारा 17 (3) के अनुसार, नाबालिग बच्चे की कस्टडी के मुद्दे को निर्धारित करने के लिए बच्चे की प्राथमिकताएं और झुकाव महत्वपूर्ण हैं। धारा 17 (5) में यह प्रावधान है कि बच्‍चे की इच्छा के विरुद्ध अदालत किसी व्यक्ति को अभिभावक नियुक्त या घोषित नहीं करेगी।"

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    [सेंट्रल विस्टा] सुप्रीम कोर्ट में श्याम दीवान और तुषार मेहता में हुई तीखी नोकझोंक, मेहता ने कहा-सरकार के ‌लिए 'शर्मनाक' जैसे शब्द न इस्तेमाल करें, दीवान बोले-अपने पास रखें अपनी सलाह

    सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सेंट्रल विस्टा के मामले पर हुई सुनवाई में सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान और सॉलिस‌िटर जनरल तुषार मेहता के बीच उस समय तीखी बहस हो गई, जब श्याम दीवान ने इस मामले पर सरकार के रुख को "शर्मनाक" बताया। जस्टिस एएम खानविलकर, दिनेश माहेश्वरी और संजीव खन्ना की पीठ के समक्ष सुनवाई में श्री दीवान याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए थे। गुरुवार को, श्री दीवान ने ध्यान दिलाया कि मूल एनआईटी मूलतः केवल सेंट्रल विस्टा के लिए थी और इसे बाद में प्रधानमंत्री के निवास और अन्य कार्यालयों को शामिल करने के लिए संशोध‌ित किया गया, इसी कारण, कैसे कई प्रतिभागी अपनी योजनाओं का प्रस्तुत नहीं कर पाए।

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    NDPS की धारा 53 के तहत नियुक्त अधिकारी CrPC के तहत चार्जशीट दाखिल करने समेत सारी शक्तियों का इस्तेमाल कर सकता है : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सीआरपीसी के तहत एक पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी में निहित सभी जांच शक्तियां, जिसमें चार्जशीट दाखिल करने की शक्ति भी शामिल है,एनडीपीएस अधिनियम की धारा 53 के तहत नामित अधिकारियों में भी निहित होती हैं जब उन्हें एनडीपीएस अधिनियम के तहत अपराध निपटना होता है। अदालत (2: 1) ने, इस संबंध में राज कुमार करवाल बनाम भारत संघ (1990) 2 एससीसी 409 में व्यक्त किए गए विपरीत विचार को खारिज करते हुए तूफान सिंह बनाम तमिलनाडु राज्य के संदर्भ में जवाब दिया।

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    अंतरराष्ट्रीय कस्टडी के मामले में विदेशी अदालत का 'मिरर ऑर्डर' नाबालिग बच्चे की भलाई सुनिश्चित करता है : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने एक बच्चे की अंतरराष्ट्रीय कस्टडी से जुड़े मामले में 'मिरर ऑर्डर' की अवधारणा को लागू किया। जब एक अदालत किसी बच्चे को किसी विदेशी देश में स्थानांतरित करने की अनुमति देती है, तो यह एक शर्त लगा सकती है कि विदेशी अधिकार क्षेत्र में माता-पिता को भी वहां सक्षम अदालत से बच्चे के लिए हिरासत का समान आदेश प्राप्त करना चाहिए। इस तरह के आदेश को 'मिरर ऑर्डर' कहा जाता है। ये शर्त यह सुनिश्चित करने के लिए लगाई जाती है ताकि विदेशी क्षेत्राधिकार की अदालतों को मामले के संबंध में नोटिस दिया जाए और बच्चे की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

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    'बरी होना विभागीय जांच का निष्कर्ष नहीं': सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के मामले में बरी सिपाही की बर्खास्तगी को बरकरार रखा

    सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस सिपाही की बर्खास्तगी को बरकरार रखते हुए दोहराया कि भले ही अपराधी अधिकारी को आपराधिक आरोप से बरी कर दिया गया हो, बर्खास्तगी के आदेश को पारित किया जा सकता है। हेम सिंह को 1992 में राजस्थान की पुलिस सेवा में एक कांस्टेबल के रूप में नियुक्त किया गया था। अगस्त 2002 में, उसे हत्या के मामले में एक एफआईआर में नामित किया गया था और बाद में धारा 302, 201 और 120 बी के तहत एक आरोप पत्र दायर किया गया था। आपराधिक ट्रायल के लंबित के दौरान, एक आरोप-पत्र जारी किया गया, जिसके बाद राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम 1958 के नियम 16 ​​के प्रावधानों के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही की गई। सत्र न्यायालय ने उसे और सह-अभियुक्त को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।

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    "विशेषज्ञों का कहना है कि आपकी खूबसूरत कारें भी वायु प्रदूषण में योगदान करती हैं", सीजेआई बोबडे ने पराली जलाने की समस्या की सुनवाई में कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने राजधानी दिल्ली में बिगड़ते वायु प्रदूषण के मुद्दे पर आज मौख‌िक टिप्‍पणियां की हैं। इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने के मुद्दे का ‌निस्तारण करने के लिए आज कानून लागू किया गया है। भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा कि वे उन विशेषज्ञों के साथ बातचीत कर रहे हैं, जिन्होंने कहा है कि पराली जलाना राजधानी में वायु प्रदूषण का एकमात्र कारण नहीं है, वाहनों प्रदूषण का भी बड़ा योगदान है। सीजेआई बोबडे ने कहा, अपनी साइकिल बाहर निकालने का समय आ गया है।"

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    केंद्र ने एनसीएलएटी( NCLAT) के कार्यपालक अध्यक्ष के रूप में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बंसीलाल भट का कार्यकाल बढ़ाया

    केंद्र सरकार ने एक बार फिर न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बंसी लाल भट का कार्यकाल राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय अधिकरण (NCLAT) के कार्यपालक अध्यक्ष के रूप में 31 दिसंबर, या नियमित अध्यक्ष नियुक्त होने तक या अगले आदेश तक, जो भी जल्द हो, बढ़ा दिया है । इससे पहले सरकार ने उनका कार्यकाल 16 अक्टूबर 2020 तक बढ़ा दिया था। उन्हें पहले 12 मार्च 2020 को उक्त कार्यालय में नियुक्त किया गया और तीन माह की अवधि के लिए 15 मार्च को कार्यभार संभाला। इसके बाद केंद्र सरकार द्वारा उनके कार्यकाल को 15 जून, 2020 से तीन महीने की और अवधि के लिए बढ़ा दिया गया था।

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    सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ CBI जांच के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई

    सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई जांच के निर्देश देने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने कहा कि इस मुद्दे पर विचार जाएगा और नोटिस जारी कर प्रतिवादियों से जवाब मांगा गया है। दरअसल उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को एक खोजी पत्रकार उमेश शर्मा द्वारा उत्तराखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की प्राथमिकी दर्ज करने और जांच करने का निर्देश दिया था।

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    सुप्रीम कोर्ट ने व्यक्तिगत गारंटियों के मुद्दों से संबंधित इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को अपने पास ट्रांसफर किया

    सुप्रीम कोर्ट ने व्यक्तिगत गारंटियों के मुद्दों से संबंधित इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के प्रावधानों को चुनौती देने वाली उच्च न्यायालयों में लंबित याचिकाओं को ट्रांसफर करने का आदेश दिया है। जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने मामले की सुनवाई की। आईबीबीआई द्वारा कार्यवाही की बहुलता के आधार पर स्थानांतरण और उच्च न्यायालय में समान मुद्दों के लंबित के कारण परस्पर विरोधी निर्णयों से बचने के लिए याचिका दायर की गई थी। वरिष्ठ अधिवक्ता माधवी दीवान ने अदालत को बताया कि यह उचित होगा कि मुद्दे शीर्ष अदालत द्वारा तय किए जाएं ताकि इस मुद्दे पर एक सामान्य निर्णय पारित किया जा सके।

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    NDPS मामलों की जांच करने वाले अधिकारी 'पुलिस अधिकारी' हैं और उनके सामने इकबालिया बयान मान्य नहीं : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट (2: 1), ने कहा है कि नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस (NDPS) एक्ट के तहत नियुक्त केंद्र और राज्य एजेंसियों के अधिकारी पुलिस अधिकारी हैं और इसलिए धारा 67 के तहत उनके द्वारा दर्ज किए गए 'स्वीकारोक्ति' बयान स्वीकार्य नहीं हैं। जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन और जस्टिस नवीन सिन्हा ने इस तरह का फैसला दिया जबकि जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने असहमति व्यक्त की। पीठ 2013 में न्यायमूर्ति एके पटनायक और न्यायमूर्ति एके सीकरी की पीठ के इन मुद्दों का जवाब दे रही थी :

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    '41 ए CrPC के तहत शक्ति का उपयोग धमकाने, प्रताड़ित करने और परेशान करने के लिए नहीं किया जा सकता' : सुप्रीम कोर्ट ने WB सरकार के खिलाफ पोस्ट करने पर दिल्ली निवासी को जारी समन पर रोक लगाई

    सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की एक निवासी को पश्चिम बंगाल सरकार के खिलाफ 'आपत्तिजनक' फेसबुक पोस्ट करने के आरोपी के रूप में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 ए के तहत जारी नोटिस के जवाब में पश्चिम बंगाल में जांच अधिकारी के सामने पेश होने के दिशा-निर्देश पर रोक लगा दी है। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की पीठ ने कहा, "न्यायालय के रूप में संज्ञान अंतर्निहित सिद्धांतों का होता है जो पुलिस जांच के मामले में न्यायिक समीक्षा के अभ्यास को रोकता है, समान रूप से, अदालत को संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की रक्षा करनी चाहिए। "यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि धारा 41 ए के तहत शक्ति का उपयोग धमकाने, प्रताड़ित करने और परेशान करने के लिए नहीं किया गया है।"

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    (सीपीसी ऑर्डर 8 रूल 1 ए 3) अतिरिक्त दस्तावेज पेश करने की बचाव पक्ष की अर्जी पर विचार करते वक्त कोर्ट को नरम रुख अख्तियार करना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अदालतों को उस वक़्त नरम रुख अख्तियार करना चाहिए जब बचाव पक्ष उस दस्तावेज को पेश करने की अर्जी देता है जो वह लिखित बयान के साथ नहीं दे पाया था। कोर्ट मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील पर विचार कर रहा था। हाईकोर्ट ने बचाव पक्षों की ओर से दायर उस पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें नागरिक प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) के ऑर्डर 8 रूल 1(ए)(3) के तहत दायर याचिका को सुनने से इनकार कर दिया गया था। बचाव पक्ष ने अपनी पुनर्विचार याचिका में अतिरिक्त दस्तावेज पेश करने की अनुमति मांगी थी, जिसे हाईकोर्ट ने ठुकरा दिया था। उसके बाद बचाव पक्ष ने मद्रास हाईकोर्ट के इस फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। बचाव पक्ष ने कहा था कि उन्हें विवादित प्रॉपर्टी से संबंधित ये दस्तावेज हाल में प्राप्त हुए हैं, इसलिए उन्होंने लिखित बयान के साथ इन दस्तावेजों को तब पेश नहीं किया था।

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    [ उपभोक्ता संरक्षण ] निष्पादन कार्यवाही में एससीडीआरसी के आदेश के खिलाफ एनसीडीआरसी के समक्ष पुनर्विचार याचिका सुनवाई योग्य नहीं : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कहा है कि डिक्री के निष्पादन मामले में एक अपील पर राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एससीडीआरसी) के फैसले के खिलाफ राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के समक्ष उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 21 के तहत पुनर्विचार याचिका सुनवाई योग्य नहीं होती। इस मामले में, एनसीडीआरसी ने निष्पादन मामले में जिला उपभोक्ता फोरम के आदेश के खिलाफ अपील पर महाराष्ट्र राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग द्वारा जारी आदेश को चुनौती देने वाली पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी। आयोग ने यह टिप्पणी की थी कि पुनर्विचार याचिकाएं किसी उपभोक्ता विवाद में राज्य आयोग के आदेश के खिलाफ ही सुनवाई योग्य होती हैं, न कि आदेश पर अमल मामले में।

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    सुप्रीम कोर्ट ने निजी स्कूलों को फीस में 20 प्रतिशत तक कमी करने के कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्देशों पर रोक लगाने से इनकार किया

    सुप्रीम कोर्ट ने निजी स्कूलों को फीस में कम से कम 20 प्रतिशत कमी करने के कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्देशों पर रोक लगाने से इनकार किया सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा पारित निर्देशों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसके तहत निजी स्कूलों को फीस में कम से कम 20 प्रतिशत की कमी करने और वित्तीय वर्ष 2020-21 में शुल्क वृद्धि नहीं करने का निर्देश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के उन निर्देशों में भी हस्तक्षेप नहीं किया, जिनमें कहा गया था कि स्कूलों को गैर-आवश्यक सेवाओं (जैसे प्रयोगशाला, शिल्प, खेल सुविधाएं या अतिरिक्त गतिविधियों) के लिए शुल्क नहीं देना चाहिए, जिनका उपयोग छात्र नहीं कर रहे हैं। हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए, खर्च पर राजस्व की अधिकतम पांच प्रतिशत अधिक राशि ही स्कूलों के लिए अनुमन्य होगी।

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    "वह कहीं भाग नहीं रही है": सुप्रीम कोर्ट ने देवांगना कलिता को जमानत देने के फैसले को चुनौती देने वाली दिल्ली पुलिस की याचिका खारिज की

    दिल्ली दंगों से जुड़े एक मामले में छात्र एक्टिविस्ट देवांगना कलिता को जमानत देने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली दिल्ली पुलिस द्वारा दायर एक विशेष अनुमति याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को खारिज कर दिया। जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एम आर शाह की पीठ ने कहा कि अदालत जमानत आदेश में हस्तक्षेप करने के लिए इच्छुक नहीं है। भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने दिल्ली पुलिस की ओर से पेश होकर कहा कि उच्च न्यायालय ने प्रासंगिक पहलुओं पर विचार करने के लिए छोड़ दिया और जमानत देने के लिए अप्रासंगिक कारकों पर निर्भरता रखी। एएसजी ने कहा कि कलिता एक प्रभावशाली व्यक्ति है और वह गवाहों को प्रभावित कर सकती है और सबूतों से छेड़छाड़ कर सकती है।

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    'असंशोधनीय आचरण': सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को कानून विभाग में सुधार को कहा, देरी के लिए 35 हजार का जुर्माना लगाया

    मध्य प्रदेश राज्य बार-बार एक ही काम करता है और ये असंशोधनीय आचरण लगता है!, सुप्रीम कोर्ट ने 588 दिनों की देरी के साथ राज्य द्वारा दायर एक विशेष अनुमति याचिका को खारिज करते हुए ये टिप्पणी की। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अगुवाई वाली पीठ ने मध्य प्रदेश राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे कानूनी विभाग को संशोधित करने के पहलू पर गौर करें। ऐसा प्रतीत होता है कि विभाग समय सीमा में किसी भी उचित अवधि के भीतर अपील दायर करने में असमर्थ है, अदालत ने कहा।

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    आपराधिक ट्रायल प्रणाली में खामियां : सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालयों से क्रिमिनल प्रैक्टिस मसौदे पर प्रतिक्रिया मांगी

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आपराधिक ट्रायल प्रणाली में अपर्याप्तता और अक्षमताओं से संबंधित स्वत: संज्ञान कार्यवाही के दौरान, सभी उच्च न्यायालयों से एमिक्स क्यूरी द्वारा तैयार किए गए ड्राफ्ट ऑफ क्रिमिनल प्रैक्टिस के कार्यान्वयन पर प्रतिक्रिया मांगी। स्वत: संज्ञान मामले में अदालत द्वारा नियुक्त किए गए एमिक्स क्यूरी में से एक, वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने सुझाव दिया कि उच्च न्यायालयों को प्रशासनिक पक्ष में मसौदा आपराधिक नियमों को अपनाना चाहिए।

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    अभियुक्त की 'डिफॉल्ट बेल' की माकूल स्थिति आ जाने पर कोर्ट को उसके इस अधिकार के बारे में बताना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

    मजिस्ट्रेट द्वारा इस तरह की जानकारी साझा करने से अभियोजन पक्ष का टालमटोल वाला रवैया विफल होगा" सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अभियुक्त की 'डिफॉल्ट जमानत' की माकूल स्थिति आ जाने पर कोर्ट को चाहिए कि वह अभियुक्त को उसके इस अपरिहार्य अधिकार की उपलब्धता के बारे में बताये। न्यायमूर्ति यू. यू. ललित, न्यायमूर्ति एम शांतनगौदर और न्यायमूर्ति विनीत सरन की खंडपीठ ने सोमवार को दिये गये अपने फैसले में कहा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 167(2) के प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उपलब्ध अत्यधिक महत्वपूर्ण मौलिक अधिकारों का ही हिस्सा हैं। बेंच ने यह भी कहा है कि यदि कोर्ट जमानत अर्जी पर कोई फैसला नहीं लेता है और अभियोजन पक्ष को समय देकर सुनवाई टाल देता है तो यह विधायी आदेश का उल्लंघन होगा।

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    "एनआई एक्ट की धारा 138 के मामलों की जल्द सुनवाई की जाए" : सुप्रीम कोर्ट ने एमिकस क्यूरी की रिपोर्ट पर सभी हाईकोर्ट से जवाब मांगा

    सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को एमिकस क्यूरी द्वारा प्रस्तुत की गई प्रारंभिक रिपोर्ट पर सभी हाईकोर्ट से जवाब मांगा है। इस रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत चेक बाउंस मामलों की सुनवाई जल्द पूरी की जाए। भारत के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की खंडपीठ ने एक स्वत संज्ञान (In Re Expeditious Trial of Cases Under Section 138 of the N.I Act) मामले में यह आदेश दिया है।

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    सुप्रीम कोर्ट ने हाथरस केस के पीड़ितों व गवाहों की सुरक्षा CRPF को देने के आदेश दिए

    सुप्रीम कोर्ट ने हाथरस गैंगरेप और हत्या मामले से जुड़ी याचिकाओं का निपटारा करते हुए निर्देश दिया है कि पीड़ित परिवार और गवाहों को एक सप्ताह के भीतर सीआरपीएफ द्वारा सुरक्षा प्रदान की जाएगी। सीजेआई एस बोबडे के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि यह 'आश्वस्त है कि राज्य सरकार द्वारा पीड़ित परिवार और गवाहों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त व्यवस्था करने के लिए कदम उठाए गए हैं।' हालांकि, वर्तमान प्रकृति के एक मामले में सामान्य धारणा और निराशावाद को संबोधित करना आवश्यक है जिसे औचित्य के बिना नहीं कहा जा सकता है।

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    सुप्रीम कोर्ट ने तरुण तेजपाल के खिलाफ यौन उत्पीड़न का ट्रायल पूरा करने के लिए 31 मार्च, 2021 तक समय दिया

    सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में सहयोगी के यौन उत्पीड़न के मामले में तहलका के पूर्व संपादक तरुण तेजपाल के खिलाफ गोवा की अदालत में चल रहे ट्रायल की समय सीमा 31 मार्च, 2021 कर दी है। पहले ये समय सीमा 31 दिसंबर 2020 थी। मंगलवार को जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एम आर शाह ने ये समय सीमा गोवा पुलिस की अर्जी पर बढ़ाई जिसमें कहा गया था कि ये ट्रायल 31 दिसंबर तक पूरा नहीं हो पाएगा। दरअसल 19 अगस्त 2019 को सहकर्मी से रेप के मामले में तहलका के संपादक तरुण तेजपाल की आरोपों को रद्द कर आरोपमुक्त करने की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। उनके खिलाफ गोवा की निचली अदालत में ट्रायल को फिर से शुरू कर दिया गया।

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    "आप किसी कानून को लागू करने के लिए सामान्य निर्देश नहीं मांग सकते": सुप्रीम कोर्ट ने किसान कानूनों को लागू कराने की याचिका खारिज की

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें केंद्र और राज्यों को हाल ही में पारित तीन किसान अधिनियमों को लागू करने के लिए निर्देश मांगे गए थे। जनहित याचिका को खारिज करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने कहा, "आप कानून को लागू करने के लिए एक सामान्य निर्देश नहीं मांग सकते।आपको विशिष्ट मामलों को आगे लाना होगा।" "हिंदू धर्म परिषद" द्वारा दायर जनहित याचिका में किसान अधिनियमों के खिलाफ सभी विरोध प्रदर्शनों और आंदोलन पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश भी मांगे गए थे।

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    यदि बाद में चार्जशीट/ समय बढ़ाने की रिपोर्ट दाखिल होती है तो भी डिफ़ॉल्ट जमानत का अधिकार लागू होने योग्य : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जहां अभियुक्त पहले ही डिफ़ॉल्ट जमानत के लिए आवेदन कर चुका है, अभियोजक अंतिम रिपोर्ट (Final Report), अतिरिक्त शिकायत या समय बढ़ाने की रिपोर्ट दर्ज करके उसके अपरिहार्य अधिकार को लागू नहीं करने को पराजित नहीं सकता है। न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित, न्यायमूर्ति मोहन एम शांतनागौदर और न्यायमूर्ति विनीत सरन की पीठ ने मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील की अनुमति देते हुए, इस संबंध में कानूनी स्थिति को संक्षेप में प्रस्तुत किया:

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    [एनडीपीएस] महज जांच या अभियोजन पक्ष के केस में कमी जांच अधिकारी के पूर्वाग्रह को साबित करने का एक मात्र आधार नहीं हो सकता : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटांसेज (एनडीपीएस) मामले के एक अभियुक्त को दोषी ठहराते हुए कहा है कि जांच में या अभियोजन पक्ष के केस में कमी जांच अधिकारी के पूर्वाग्रह को साबित करने का एक मात्र आधार नहीं हो सकता। इस मामले में, ट्रायल कोर्ट द्वारा अभियुक्त को बरी कर दिया गया था। हाईकोर्ट ने सरकार की अपील स्वीकार कर ली थी और अभियुक्त को दोषी ठहराया था। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष, अभियुक्त की दलील थी कि शिकायतकर्ता द्वारा खुद जांच करना एनडीपीएस एक्ट की योजना के विपरीत होगा, जो पूरे ट्रायल को जोखिम में डाल देगा।

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    वीडियो कांफ्रेंसिंग सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में बिना शर्ट पेश हो गया वकील, जस्टिस चंद्रचूड़ बोले कुछ तो मर्यादा रखें

    सोमवार को सुदर्शन टीवी मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान में एक एडवोकेट को शर्टलेस देख सभी चौंक गए। वीसी सुनवाई के दौरान एक वकील स्क्रीन पर बिना शर्ट के दिखाई दिए। हालांकि कुछ सेकेंड के बाद वह वकील लॉग आउट हो गए। पीठ के पीठासीन न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने पूछा कि अधिवक्ता कौन है? हालांकि जज ने दो-तीन बार क्वेश्चन दोहराया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। मामला स्थगित होने के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस घटना पर अपनी नाराजगी जताते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से ये घटना शेयर की।

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    यह कभी सार्वजनिक प्रवचन का स्तर नहीं रहा : CJI बोबडे ने अर्नब गोस्वामी के वकील से कहा

    भारत के मुख्य न्यायाधीश ने सोमवार को रिपब्लिक टीवी के मुख्य संपादक अर्नब गोस्वामी की रिपोर्टिंग की शैली पर कुछ टिप्पणी की। सीजेआई बोबड़े ने वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे को कहा, जो गोस्वामी के लिए उपस्थित हुए थे, "आप रिपोर्टिंग के साथ थोड़े पुराने जमाने के हो सकते हैं। सच कहूं तो मैं इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता। यह हमारे सार्वजनिक प्रवचन का स्तर नहीं रहा है।" अदालत महाराष्ट्र राज्य द्वारा बॉम्बे उच्च न्यायालय के 30 जून के आदेश के खिलाफ रिपब्लिक टीवी के मुख्य संपादक, अर्नब गोस्वामी के खिलाफ जांच के लिए दायर विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

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    सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल कॉलेजों में 2020-2021 में OBC कोटा के तहत 50 % कोटा देने के अंतरिम आदेश देने वाली याचिका खारिज की

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तमिलनाडु राज्य और AIADMK द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें तमिलनाडु में स्नातक, स्नातकोत्तर चिकित्सा और दंत चिकित्सा पाठ्यक्रम 2020-2021 शैक्षणिक वर्ष के लिए अखिल भारतीय कोटा में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 50% कोटा लागू करने के लिए अंतरिम आदेश की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने मद्रास उच्च न्यायालय के 27 जुलाई के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया और कहा कि उच्च न्यायालय ने यह नहीं कहा था कि चालू शैक्षणिक वर्ष में अपने आप ओबीसी कोटा लागू किया जा

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