केंद्र ने एनसीएलएटी( NCLAT) के कार्यपालक अध्यक्ष के रूप में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बंसीलाल भट का कार्यकाल बढ़ाया

LiveLaw News Network

29 Oct 2020 10:52 AM GMT

  • केंद्र ने एनसीएलएटी( NCLAT) के कार्यपालक अध्यक्ष के रूप में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बंसीलाल भट का कार्यकाल बढ़ाया

    केंद्र सरकार ने एक बार फिर न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बंसी लाल भट का कार्यकाल राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय अधिकरण (NCLAT) के कार्यपालक अध्यक्ष के रूप में 31 दिसंबर, या नियमित अध्यक्ष नियुक्त होने तक या अगले आदेश तक, जो भी जल्द हो, बढ़ा दिया है ।

    इससे पहले सरकार ने उनका कार्यकाल 16 अक्टूबर 2020 तक बढ़ा दिया था।

    उन्हें पहले 12 मार्च 2020 को उक्त कार्यालय में नियुक्त किया गया और तीन माह की अवधि के लिए 15 मार्च को कार्यभार संभाला। इसके बाद केंद्र सरकार द्वारा उनके कार्यकाल को 15 जून, 2020 से तीन महीने की और अवधि के लिए बढ़ा दिया गया था।

    हाल ही में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय और एनसीएलएटी के रजिस्ट्रार को एक याचिका में नोटिस जारी किया था ताकि उनकी नियुक्ति को चुनौती दी जा सके। याचिकाकर्ता, एडवोकेट फोजिया रहमान, इस तथ्य से व्यथित हैं कि केंद्र सरकार ने एनसीएलएटी के वरिष्ठतम सदस्य को अपना अध्यक्ष नहीं बनाया है।

    एनसीएलएटी की वेबसाइट के अनुसार, जस्टिस भट ने कश्मीर विश्वविद्यालय से अपनी कानून की डिग्री प्राप्त करने के बाद 1975 में श्रीनगर के बार एसोसिएशन के साथ अधिवक्ता के रूप में दाखिला (Enroll) लिया। उन्होंने 1982 में केसीएस न्यायिक में चयन तक सिविल, आपराधिक और राजस्व अदालतों में प्रैक्टिस किया ।

    उन्हें जून 1989 में सब जज के रूप में पदोन्नत किया गया और अगस्त 1999 में उच्च न्यायिक सेवा में शामिल होने तक सीजेएम जम्मू के रूप में कार्य किया, इसके बाद उन्होंने पुंछ, रियासी और कठुआ के अलावा जम्मू और श्रीनगर दोनों में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश के रूप में कार्य किया।

    उन्होंने एक वर्ष तक मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण जम्मू के पीठासीन अधिकारी के रूप में और दो कार्यकाल के लिए जम्मू के विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निरोधक के रूप में भी कार्य किया। उन्हें अगस्त 2011 में सीबीआई मामलों की सुनवाई के लिए नवनिर्मित भ्रष्टाचार निरोधक न्यायालय का विशेष न्यायाधीश नियुक्त किया गया था, जहां उन्होंने 8 मार्च, 2013 को जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में अपनी पदोन्नति तक कार्य किया था।

    उन्हें सितंबर 2014 में जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय का स्थायी न्यायाधीश बनाया गया था और उन्हें दिसंबर, 2016 में जम्मू-कश्मीर राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था; लेकिन जम्मू में नए स्थापित सशस्त्र बल न्यायाधिकरण, क्षेत्रीय पीठ श्रीनगर में न्यायिक सदस्य के रूप में नियुक्त किए जाने के कारण उन्हें 19 दिनों के बाद इस्तीफा देना पड़ा। बाद में उन्होंने 17 अक्टूबर, 2017 को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण, नई दिल्ली के न्यायिक सदस्य के रूप में नियुक्त होने के बाद पद से इस्तीफा दे दिया।

    Next Story