जानिए हमारा कानून

क्या पुलिस द्वारा दायर चार्जशीट को तकनीकी कारणों से मजिस्ट्रेट द्वारा लौटाया जाता है, तब भी आरोपी को डिफ़ॉल्ट जमानत का अधिकार प्राप्त होगा?
क्या पुलिस द्वारा दायर चार्जशीट को तकनीकी कारणों से मजिस्ट्रेट द्वारा लौटाया जाता है, तब भी आरोपी को डिफ़ॉल्ट जमानत का अधिकार प्राप्त होगा?

अचपाल @ रामस्वरूप और अन्य बनाम राजस्थान राज्य के मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने इस सवाल पर विचार किया कि क्या यदि 90 दिन की निर्धारित अवधि में जांच पूरी नहीं होती है, तो आरोपी को जमानत (Bail) दी जा सकती है। इस लेख में अदालत द्वारा कानून की व्याख्या, प्रमुख न्यायिक फैसले (Judicial Precedents), और इस मामले में आरोपी के जमानत के अधिकार (Right to Bail) के मुद्दे पर चर्चा की जाएगी, खासकर जब जांच कानूनी समय सीमा से अधिक हो जाती है।दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 167(2) के प्रावधान (Provisions of Section...

वैवाहिक अपराधों के लिए अभियोजन और कोर्ट का संज्ञान : भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के तहत धारा 219
वैवाहिक अपराधों के लिए अभियोजन और कोर्ट का संज्ञान : भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के तहत धारा 219

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023, जिसने आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) की जगह ली है, वैवाहिक अपराधों के अभियोजन के लिए एक विस्तृत कानूनी प्रक्रिया प्रदान करती है।इसमें यह निर्धारित किया गया है कि ऐसे मामलों में शिकायत कौन कर सकता है और किन परिस्थितियों में। यह संहिता कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए सख्त प्रावधान करती है, साथ ही न्याय की प्रक्रिया को सुनिश्चित करती है। धारा 219(1): वैवाहिक अपराधों के लिए संज्ञान (Cognizance) धारा 219(1) के तहत, कोर्ट केवल तभी वैवाहिक अपराधों (जो...

क्या भारतीय दंड संहिता की धारा 498A का दुरुपयोग हो रहा है या यह महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक है?
क्या भारतीय दंड संहिता की धारा 498A का दुरुपयोग हो रहा है या यह महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक है?

भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 498A को 1983 में विवाहित महिलाओं के खिलाफ हो रही क्रूरता और उत्पीड़न को रोकने के लिए लागू किया गया था। इस प्रावधान का उद्देश्य उन महिलाओं को कानूनी सुरक्षा प्रदान करना था, जो अपने पति या ससुराल वालों द्वारा की गई क्रूरता का शिकार होती हैं।हालांकि, इस कानून को लेकर सालों से यह बहस चल रही है कि क्या इसका दुरुपयोग हो रहा है। इस लेख में हम धारा 498A से जुड़े कानूनी प्रावधानों, महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णयों (Judgments), और अदालतों द्वारा उठाए गए बुनियादी...

क्या एक मेमोरी कार्ड या पेन ड्राइव दस्तावेज़ के रूप में मानी जा सकती है भारतीय साक्ष्य अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के तहत?
क्या एक मेमोरी कार्ड या पेन ड्राइव "दस्तावेज़" के रूप में मानी जा सकती है भारतीय साक्ष्य अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के तहत?

टेक्नोलॉजी के बढ़ते इस्तेमाल के साथ, अदालतों के सामने यह सवाल आ रहा है कि कैसे इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स जैसे मेमोरी कार्ड और पेन ड्राइव को पारंपरिक कानूनी परिभाषाओं में समायोजित किया जाए।एक महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि क्या मेमोरी कार्ड या पेन ड्राइव के कंटेंट्स को भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (Indian Evidence Act, 1872) की धारा 3 और भारतीय दंड संहिता, 1860 (Indian Penal Code, 1860) की धारा 29 के तहत "दस्तावेज़" (Document) माना जा सकता है। इस लेख में, हम उन प्रावधानों और निर्णयों पर विचार करेंगे...