कौन-कौन से दस्तावेज स्टाम्प ड्यूटी के अधीन आते हैं और कब छूट मिलती है : भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 की धारा 3

Himanshu Mishra

13 Feb 2025 1:46 PM

  • कौन-कौन से दस्तावेज स्टाम्प ड्यूटी के अधीन आते हैं और कब छूट मिलती है : भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 की धारा 3

    स्टाम्प ड्यूटी (Stamp Duty) एक प्रकार का कर (Tax) है, जो कानूनी दस्तावेजों (Legal Documents) पर लगाया जाता है ताकि वे वैध (Legally Valid) और लागू (Enforceable) हो सकें। यह सरकार के लिए राजस्व (Revenue) का एक महत्वपूर्ण स्रोत है और विभिन्न प्रकार के दस्तावेजों पर लागू होता है, जैसे कि समझौते (Agreements), विनिमय पत्र (Bills of Exchange), प्रतिज्ञा पत्र (Promissory Notes), और संपत्ति से जुड़े अनुबंध (Property Agreements)।

    भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 (Indian Stamp Act, 1899) भारत में स्टाम्प ड्यूटी को नियंत्रित करता है। यह अधिनियम यह निर्धारित करता है कि किन दस्तावेजों पर स्टाम्प ड्यूटी लगेगी, कितना शुल्क देना होगा और किन मामलों में छूट मिलेगी।

    इस अधिनियम के अध्याय II (Chapter II) में स्टाम्प ड्यूटी के लिए दस्तावेजों की देयता (Liability) का उल्लेख किया गया है। इसमें धारा 3 (Section 3) सबसे महत्वपूर्ण प्रावधान (Provision) है, जो यह बताती है कि कौन-कौन से दस्तावेज स्टाम्प ड्यूटी के अधीन आते हैं। इस लेख में, हम धारा 3 को सरल भाषा में समझेंगे ताकि आम व्यक्ति इसे आसानी से समझ सके।

    धारा 3: स्टाम्प ड्यूटी के लिए देय दस्तावेज (Section 3: Instruments Chargeable with Duty)

    धारा 3 के अनुसार, अधिनियम की अनुसूची I (Schedule I) में सूचीबद्ध कुछ दस्तावेजों पर स्टाम्प ड्यूटी देय होगी। यह शुल्क दस्तावेज के प्रकार पर निर्भर करता है। यह धारा दस्तावेजों को इस आधार पर वर्गीकृत करती है कि वे कहां और कैसे निष्पादित (Executed) किए गए हैं।

    भारत में निष्पादित दस्तावेज (Instruments Executed in India)

    धारा 3(क) (Section 3(a)) के अनुसार, कोई भी दस्तावेज जो अनुसूची I में सूचीबद्ध है और जो 1 जुलाई 1899 या उसके बाद भारत में निष्पादित किया गया है, उस पर स्टाम्प ड्यूटी लगेगी।

    उदाहरण (Example):

    अगर कोई व्यक्ति 2024 में दिल्ली में किसी संपत्ति की बिक्री विलेख (Sale Deed) पर हस्ताक्षर करता है, तो उसे स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान करना होगा, जो अनुसूची I में निर्धारित है। यदि वह ऐसा नहीं करता, तो यह दस्तावेज कानूनी रूप से मान्य नहीं होगा और उस पर अतिरिक्त दंड (Penalty) भी लगाया जा सकता है।

    विदेश में बनाए गए विनिमय पत्र और प्रतिज्ञा पत्र (Bills of Exchange and Promissory Notes Executed Outside India)

    धारा 3(ख) (Section 3(b)) के तहत, कोई भी विनिमय पत्र (Bill of Exchange) या प्रतिज्ञा पत्र (Promissory Note), जो भारत के बाहर बनाया गया है, लेकिन भारत में प्रस्तुत (Presented), भुगतान (Paid), स्वीकार (Accepted) या स्थानांतरित (Transferred) किया जाता है, तो वह स्टाम्प ड्यूटी के अधीन होगा।

    उदाहरण (Example):

    मान लीजिए कि लंदन में एक व्यापारी मुंबई के व्यापारी को एक प्रतिज्ञा पत्र जारी करता है और यह पत्र बाद में भारत में किसी और को सौंप दिया जाता है। ऐसी स्थिति में, इस पर भारतीय स्टाम्प ड्यूटी लगेगी।

    विदेश में निष्पादित अन्य दस्तावेज (Other Instruments Executed Outside India)

    धारा 3(ग) (Section 3(c)) उन दस्तावेजों पर लागू होती है जो भारत के बाहर निष्पादित किए गए हैं, लेकिन जिनका संबंध भारत में स्थित संपत्ति (Property) या भारत में किए जाने वाले किसी कार्य (Act) से है। यदि ऐसा दस्तावेज भारत में प्राप्त होता है, तो उस पर स्टाम्प ड्यूटी लगेगी।

    उदाहरण (Example):

    अगर दुबई में दो व्यक्तियों के बीच मुंबई में स्थित जमीन के हस्तांतरण (Transfer) का अनुबंध (Agreement) किया जाता है और यह दस्तावेज भारत में लाया जाता है, तो इस पर स्टाम्प ड्यूटी लागू होगी।

    स्टाम्प ड्यूटी से छूट (Exemptions from Stamp Duty)

    भारतीय स्टाम्प अधिनियम कुछ मामलों में छूट (Exemptions) भी प्रदान करता है, जिससे सरकारी लेन-देन (Government Transactions) और शिपिंग (Shipping) से जुड़े दस्तावेज स्टाम्प शुल्क के बोझ से मुक्त रहते हैं।

    सरकारी दस्तावेज (Government Instruments)

    धारा 3 के पहले उपबंध (First Proviso) के अनुसार, यदि कोई दस्तावेज सरकार द्वारा, सरकार के लिए, या सरकार के पक्ष में निष्पादित किया जाता है, तो उस पर स्टाम्प ड्यूटी नहीं लगेगी।

    उदाहरण (Example):

    अगर केंद्र सरकार किसी निजी कंपनी के साथ बुनियादी ढांचे के विकास (Infrastructure Development) के लिए अनुबंध करती है, तो इस समझौते पर कोई स्टाम्प ड्यूटी देय नहीं होगी।

    शिपिंग और पोत लेन-देन (Shipping and Vessel Transactions)

    धारा 3 के दूसरे उपबंध (Second Proviso) के अनुसार, जहाजों (Ships) और पोतों (Vessels) की बिक्री, हस्तांतरण (Transfer), गिरवी (Mortgage) या अन्य किसी रूप में स्वामित्व परिवर्तन (Ownership Change) से संबंधित दस्तावेजों पर स्टाम्प ड्यूटी नहीं लगेगी।

    उदाहरण (Example):

    अगर कोई कंपनी एक जहाज को दूसरे व्यापारी को बेचती है और वह जहाज भारतीय मर्चेंट शिपिंग अधिनियम, 1894 (Merchant Shipping Act, 1894) के तहत पंजीकृत (Registered) है, तो उस बिक्री पर कोई स्टाम्प ड्यूटी नहीं लगेगी।

    स्टाम्प ड्यूटी क्यों महत्वपूर्ण है? (Why Is Stamp Duty Important?)

    स्टाम्प ड्यूटी का कई महत्वपूर्ण उद्देश्य हैं:

    1. कानूनी वैधता (Legal Validity): बिना स्टाम्प शुल्क के दस्तावेज अदालत में मान्य नहीं होते।

    2. सरकार के लिए राजस्व (Revenue for the Government): इससे सरकार को वित्तीय सहायता मिलती है।

    3. धोखाधड़ी रोकना (Prevention of Fraud): स्टाम्प शुल्क के भुगतान से लेन-देन का प्रमाण मिलता है, जिससे जालसाजी (Fraud) की संभावना कम हो जाती है।

    स्टाम्प ड्यूटी नहीं देने के परिणाम (Consequences of Not Paying Stamp Duty)

    यदि कोई व्यक्ति स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान नहीं करता है, तो उसे कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है:

    1. दस्तावेज़ अमान्य हो सकता है (Document Inadmissibility): बिना स्टाम्प वाले दस्तावेज अदालत में स्वीकार नहीं किए जाएंगे।

    2. दंड (Penalties): स्टाम्प शुल्क न चुकाने पर, मूल शुल्क का दस गुना (Ten Times the Original Duty) तक दंड लग सकता है।

    3. कानूनी विवाद (Legal Disputes): संपत्ति और अनुबंधों से जुड़े मामलों में विवाद उत्पन्न हो सकता है।

    उदाहरण (Example):

    अगर कोई व्यक्ति जयपुर में संपत्ति खरीदता है लेकिन बिक्री विलेख पर स्टाम्प शुल्क नहीं देता, तो वह कानूनी रूप से संपत्ति का मालिक नहीं बन सकता और उसे पंजीकरण (Registration) में दिक्कत होगी।

    स्टाम्प ड्यूटी एक आवश्यक कानूनी प्रावधान (Legal Requirement) है, जो दस्तावेजों को वैध और लागू बनाता है। भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 की धारा 3 यह निर्धारित करती है कि कौन-कौन से दस्तावेजों पर स्टाम्प ड्यूटी लागू होगी। साथ ही, सरकार और शिपिंग लेन-देन को छूट भी दी गई है।

    अगर कोई व्यक्ति या संस्था स्टाम्प ड्यूटी नहीं देती, तो उसे कानूनी समस्याओं और दंड का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, सभी को इस कानून का पालन करना चाहिए ताकि उनके लेन-देन सुरक्षित और विवाद रहित रहें।

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