अन्य कारणों से लाइसेंस रद्द करने की शक्ति – राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 की धारा 35
Himanshu Mishra
11 Feb 2025 11:58 AM

राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 (Rajasthan Excise Act, 1950) शराब और नशीले पदार्थों (Intoxicating Substances) के निर्माण, बिक्री, वितरण और परिवहन को नियंत्रित करने के लिए बनाया गया एक कानून है।
यह अधिनियम यह सुनिश्चित करता है कि शराब और अन्य नशीले पदार्थों से जुड़ी गतिविधियाँ एक वैध (Legal) ढांचे के अंतर्गत रहें। इसके तहत सरकार को लाइसेंस (Licence), परमिट (Permit) या पास (Pass) जारी करने का अधिकार प्राप्त होता है, और यदि आवश्यक हो तो इन्हें निलंबित (Suspend) या रद्द (Cancel) भी किया जा सकता है।
धारा 34 में उन विशेष परिस्थितियों का उल्लेख किया गया है जिनमें लाइसेंस रद्द किया जा सकता है, जैसे – यदि लाइसेंसधारी (Licensee) नियमों का उल्लंघन करता है, फीस नहीं भरता, बिना अनुमति लाइसेंस ट्रांसफर करता है, या किसी गंभीर अपराध (Serious Offence) में दोषी पाया जाता है।
लेकिन कई बार ऐसे कारण उत्पन्न हो सकते हैं जो धारा 34 में शामिल नहीं हैं, लेकिन फिर भी सरकार को लाइसेंस रद्द करने की आवश्यकता होती है।
इसी उद्देश्य से धारा 35 को शामिल किया गया है, जिससे सरकार को यह शक्ति मिलती है कि यदि कोई अन्य कारण (Other Cause) हो जो धारा 34 में निर्दिष्ट नहीं है, तो भी वह लाइसेंस रद्द कर सके।
यह धारा यह भी सुनिश्चित करती है कि यदि सरकार प्रशासनिक (Administrative) कारणों या लोकहित (Public Interest) में लाइसेंस रद्द करती है, तो लाइसेंसधारी को कुछ राहत (Relief) मिले, जैसे – फीस की वापसी (Refund of Fees) और कुछ मामलों में मुआवजा (Compensation)।
धारा 35(1) – अन्य कारणों से लाइसेंस रद्द करने की शक्ति (Power to Cancel Licences for Other Reasons)
धारा 34 के अंतर्गत सरकार केवल तभी लाइसेंस रद्द कर सकती थी जब लाइसेंसधारी द्वारा नियमों का उल्लंघन किया गया हो। लेकिन कभी-कभी सरकार को नीति परिवर्तन (Policy Change), जनहित (Public Interest) या प्रशासनिक कारणों से लाइसेंस रद्द करने की आवश्यकता पड़ सकती है।
धारा 35(1) के तहत, यदि वह प्राधिकरण (Authority) जिसने लाइसेंस, परमिट या पास जारी किया है, यह मानता है कि उसे धारा 34 में उल्लिखित कारणों के अलावा किसी अन्य कारण से रद्द किया जाना चाहिए, तो वह ऐसा कर सकता है। लेकिन इस स्थिति में लाइसेंस रद्द करने से पहले सरकार को 15 दिनों के लाइसेंस शुल्क (Licence Fee for 15 Days) के बराबर राशि लौटानी होगी।
लाइसेंस रद्द करने के दो तरीके हैं:
1. पंद्रह दिन की लिखित सूचना देकर (With 15 Days' Notice) – इस स्थिति में, सरकार लाइसेंसधारी को लिखित रूप में सूचित करेगी कि उसका लाइसेंस 15 दिनों के बाद रद्द किया जाएगा। इससे लाइसेंसधारी को समय मिल जाता है कि वह आवश्यक वैधानिक (Legal) कदम उठा सके या अन्य प्रबंध कर सके।
2. बिना किसी सूचना के तुरंत रद्द करना (Cancel Without Notice) – कुछ मामलों में, सरकार को तत्काल लाइसेंस रद्द करने की आवश्यकता पड़ सकती है। ऐसी स्थिति में सरकार बिना किसी पूर्व सूचना के ही लाइसेंस रद्द कर सकती है। यह प्रावधान आमतौर पर तब लागू होता है जब कोई आपातकालीन (Emergency) स्थिति हो या सरकार को तत्काल निर्णय लेने की आवश्यकता हो।
धारा 35(2) – शुल्क या जमा राशि की वापसी (Refund of Fees or Deposit)
जब किसी लाइसेंस, परमिट या पास को धारा 35 के तहत रद्द किया जाता है, तो सरकार लाइसेंसधारी को उसकी पहले से चुकाई गई फीस (Prepaid Fees) या जमा राशि (Security Deposit) लौटा सकती है।
लेकिन यह वापसी पूरी तरह से नहीं होती, बल्कि सरकार यह सुनिश्चित करती है कि लाइसेंसधारी पर कोई बकाया राशि (Outstanding Dues) न हो। यदि कोई राशि सरकार को देय (Due) हो, तो उसे वापस की जाने वाली राशि में से काट लिया जाता है।
उदाहरण के लिए, यदि किसी शराब विक्रेता (Liquor Vendor) ने अपने वार्षिक लाइसेंस के लिए ₹10 लाख का शुल्क दिया था और छह महीने बाद सरकार ने नीति बदलकर उसके लाइसेंस को रद्द कर दिया, तो सरकार उसे बाकी बचे छह महीने का शुल्क लौटा सकती है, लेकिन अगर कोई बकाया शुल्क या जुर्माना (Penalty) हो, तो वह पहले काटा जाएगा।
धारा 35(3) – बिना सूचना के रद्द किए गए लाइसेंस के लिए मुआवजा (Compensation for Immediate Cancellation Without Notice)
धारा 35(3) के तहत, यदि किसी लाइसेंस को बिना सूचना के (Without Notice) तत्काल रद्द कर दिया जाता है, तो सरकार लाइसेंसधारी को कुछ अतिरिक्त मुआवजा (Additional Compensation) भी दे सकती है। यह मुआवजा देने या न देने का निर्णय आबकारी आयुक्त (Excise Commissioner) द्वारा किया जाता है।
इस प्रावधान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यदि सरकार की ओर से अचानक लिया गया कोई निर्णय किसी व्यवसायी को वित्तीय हानि (Financial Loss) पहुंचाता है, तो उसे उचित राहत (Relief) मिले। लेकिन यह मुआवजा स्वचालित रूप से नहीं दिया जाता, बल्कि यह आबकारी आयुक्त की विवेकाधीन (Discretionary) शक्ति पर निर्भर करता है।
उदाहरण के लिए, यदि सरकार अचानक यह निर्णय लेती है कि किसी विशेष क्षेत्र में शराब की सभी दुकानें बंद कर दी जाएं और दुकानों का लाइसेंस बिना किसी नोटिस के रद्द कर दिया जाता है, तो प्रभावित दुकानदारों को आबकारी आयुक्त के आदेश पर मुआवजा दिया जा सकता है।
धारा 34 बनाम धारा 35 – दोनों के बीच अंतर (Difference Between Section 34 and Section 35)
धारा 34 का उपयोग तब किया जाता है जब लाइसेंसधारी ने किसी नियम का उल्लंघन किया हो। उदाहरण के लिए, यदि कोई शराब विक्रेता बिना अनुमति के अपना लाइसेंस किसी अन्य व्यक्ति को बेच देता है, तो सरकार धारा 34 के तहत उसका लाइसेंस रद्द कर सकती है।
धारा 35, इसके विपरीत, उन मामलों के लिए है जहां सरकार को नीति परिवर्तन (Policy Change), जनहित (Public Interest), या प्रशासनिक कारणों (Administrative Reasons) से लाइसेंस रद्द करना होता है, भले ही लाइसेंसधारी ने कोई गलती न की हो।
इसका अर्थ यह हुआ कि धारा 34 में सजा (Punishment) का स्वरूप है, जबकि धारा 35 प्रशासनिक आवश्यकता (Administrative Requirement) के आधार पर बनाई गई है।
उदाहरण (Illustrations) से धारा 35 को समझना
1. सरकार की नीति में बदलाव (Policy Change) – सरकार यह निर्णय लेती है कि धार्मिक स्थलों (Religious Places) के आसपास शराब की बिक्री पर रोक लगाई जाए। ऐसे में सरकार धारा 35(1)(a) के तहत 15 दिन का नोटिस देकर उन सभी लाइसेंस को रद्द कर सकती है।
2. सार्वजनिक सुरक्षा (Public Safety) – किसी क्षेत्र में कानून-व्यवस्था (Law and Order) बिगड़ने के कारण सरकार यह तय करती है कि सभी शराब की दुकानें तुरंत बंद कर दी जाएं। ऐसे में सरकार धारा 35(1)(b) के तहत बिना किसी पूर्व सूचना के लाइसेंस रद्द कर सकती है और आबकारी आयुक्त प्रभावित लाइसेंसधारियों को धारा 35(3) के तहत मुआवजा देने का आदेश दे सकते हैं।
धारा 35 राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो सरकार को यह शक्ति देता है कि वह विशेष परिस्थितियों में, जब कोई नियम उल्लंघन नहीं हुआ है, फिर भी जनहित (Public Interest) या प्रशासनिक कारणों से लाइसेंस रद्द कर सके।
यह धारा लाइसेंसधारियों के हितों की रक्षा के लिए फीस वापसी (Fee Refund) और मुआवजा (Compensation) का प्रावधान भी करती है। इससे सरकार को नीतिगत (Policy) और कानूनी (Legal) निर्णय लेने में लचीलापन (Flexibility) मिलता है, जबकि लाइसेंसधारियों को अनुचित वित्तीय हानि से बचाने की व्यवस्था भी की जाती है।