जानिए हमारा कानून
BNSS की सेक्शन 170 क्या कहती है?
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 (BNSS) जिसे पहले CrPC कहा जाता था, की धारा 170 पुलिस को ऐसी शक्ति प्रदान करती है जो अपराध रोकने के लिए भी गिरफ्तारी कर सकती है और ऐसी गिरफ्तारी के बाद गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को जमानत लेनी होती है।सेक्शन 170BNSS की धारा 170 पुलिस को दी गई एक शक्ति माना गया है। जैसा कि पुलिस किसी भी व्यक्ति को किसी भी नॉन कॉग्निजेबल ऑफेंस में बगैर वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकती है। अगर कोई वारंट कोर्ट द्वारा जारी किया गया है तभी पुलिस उस व्यक्ति को गिरफ्तार करती है पर पुलिस को...
जानिए दहेज से संबंधित कानून
हमारे देश में दहेज की मांग करना संगीन अपराध है और ऐसे अपराध की सज़ा होने पर दहेज मांगने वाले व्यक्ति को जेल की सज़ा भी काटनी पड़ती है। दहेज केवल वही नहीं है जो शादी के समय लड़की को उसके माता पिता द्वारा दिया जाता है बल्कि दहेज उसे भी कहते हैं जो शादी के बाद भी निरंतर पत्नी के घर वालों से पति और उसके घर के सदस्यों द्वारा मांगा जाता है।पहले दहेज केवल स्त्रीधन होता है लेकिन समय के साथ परिस्थितियां बदलती चली गई, दहेज के अर्थ भी बदल गए। दहेज एक विभत्स और क्रूर व्यवस्था बनकर रह गया, जो महिलाओं के लिए एक...
जानिए फैमिली कोर्ट एक्ट से संबंधित प्रावधान
अलग अलग तरह की अदालतों की तरह ही एक कोर्ट फैमिली कोर्ट है, जो फैमिली से संबंधित मामलों को सुनती है और जनता के बीच न्याय करती है। फैमिली कोर्ट टाऊन एरिया में नहीं होती है, यह नगर के क्षेत्रों में होती है। इस कोर्ट को बनाने का उद्देश्य फैमिली से संबंधित मामलों का शीघ्र न्याय करना होता है। घर परिवारों में होने वाले विवादों में प्रमुख रूप से पति और पत्नी के बीच होने वाले विवाद होते हैं। इन विवादों के मामले में फैमिली कोर्ट एक्ट आने के पहले सिविल न्यायालय को अधिकारिता होती थी लेकिन वर्ष 1984 में भारत...
सीनियर एडवोकेट का दर्जा कैसे दिया जाता है? – पूरी प्रक्रिया और योग्यता का विश्लेषण
भारत के सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा जयसिंह बनाम भारत का सुप्रीम कोर्ट व अन्य मामले में सीनियर एडवोकेट (Senior Advocates) को नामित करने की प्रक्रिया में सुधार किया है। नया सिस्टम निष्पक्षता (Fairness), पारदर्शिता (Transparency), और वस्तुनिष्ठता (Objectivity) सुनिश्चित करता है।इस व्यवस्था का उद्देश्य पुराने मनमाने तरीकों को समाप्त कर सुव्यवस्थित तंत्र स्थापित करना है। इस लेख में सीनियर एडवोकेट का दर्जा पाने के लिए आवश्यक योग्यता और पूरी प्रक्रिया का सरल विश्लेषण दिया गया है।योग्यता और पात्रता...
अपराधी को छिपाने या बचाने पर क्या हो सकती है सजा? : भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 249
भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023), जो भारतीय दंड संहिता की जगह लाई गई है, 1 जुलाई 2024 से प्रभाव में आई है। यह कानून भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली को आधुनिक बनाने के लिए लाया गया है। धारा 249 अपराधी को छिपाने या शरण देने से संबंधित है, जिसमें उस व्यक्ति को कानून से बचाने का इरादा हो।यह धारा उन स्थितियों को कवर करती है जब कोई व्यक्ति जानबूझकर अपराधी को पनाह देता है या उन्हें छिपाने में मदद करता है। इस धारा में अलग-अलग सजा निर्धारित की गई है जो इस बात पर निर्भर करती है कि...
सीनियर एडवोकेट की नियुक्ति कैसे होनी चाहिए? – एक न्यायिक दृष्टिकोण
भारत के सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में सीनियर एडवोकेट (Senior Advocates) की नियुक्ति के लिए एक नया तंत्र लागू किया है।यह परिवर्तन इंदिरा जयसिंह बनाम भारत का सुप्रीम कोर्ट एवं अन्य मामले के निर्णय के बाद आया। इस केस में कोर्ट ने पारदर्शिता (Transparency), जवाबदेही (Accountability) और निष्पक्ष मापदंड (Objective Criteria) की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया। अब तक, वरिष्ठ अधिवक्ताओं की नियुक्ति एडवोकेट एक्ट, 1961 (Advocates Act) की धारा 16 के तहत की जाती थी, लेकिन इस प्रक्रिया को असंगत और संविधान के...
मजिस्ट्रेट द्वारा शिकायत खारिज करने की प्रक्रिया - भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 226
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bhartiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) ने 1 जुलाई 2024 से दंड प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code - CrPC) को प्रतिस्थापित कर दिया है। इस नई संहिता के तहत न्यायिक प्रक्रिया में कई सुधार और प्रावधान लाए गए हैं। इसमें धारा 226 के माध्यम से यह व्यवस्था की गई है कि किस स्थिति में मजिस्ट्रेट किसी शिकायत को खारिज कर सकता है।यह प्रावधान, धारा 223 से 225 में वर्णित प्रक्रियाओं के बाद लागू होता है और यह तय करता है कि शिकायत को ट्रायल (Trial) के लिए आगे बढ़ाने से...
किसी सिविल मुकदमे की संभावना होने पर कोर्ट को पहले ही इन्फॉर्म करना
सिविल केस में किसी भी डिस्प्यूट में पहले से ही कोर्ट को सूचित करने की प्रक्रिया को केवियट कहा जाता है। केवियट के संबंध में सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 की धारा 148(ए) में प्रावधान मिलते हैं।केवियट का अर्थ किसी व्यक्ति को सावधान करना होता है। सिविल मामलों में अनेक परिस्थितियां ऐसी होती हैं जहां कोई वादी किसी मुकदमे को कोर्ट में लेकर आता है, उस मुकदमे से संबंधित प्रतिवादी को समन जारी किए जाते हैं, समन की तामील बता दी जाती है, यदि पक्षकार हाज़िर नही होता है तब कोर्ट ऐसे पक्षकार को एकपक्षीय कर अपना...
बिना किसी लाइसेंस के उधार दिए रुपये पर ब्याज लेना
उधार दो तरह के होते हैं, एक उधार होता है जो किसी की सहायता हेतु अपने किसी परिचित को दिया जाता है और दूसरा होता है ऐसा उधार जिसे लोन कहा जाता है और ऐसे उधार दिए जाने के व्यापार किये जाते हैं। व्यापारी दी गयी रकम पर ब्याज़ वसूलता है। ऐसे व्यापार करने के लिए लाइसेंस की ज़रूरत होती है। बड़े स्तर पर इस तरह का व्यापार करने हेतु रिज़र्व बैंक से लाइसेंस लेने होते हैं और छोटे स्तर पर इस तरह का व्यापार करने हेतु अलग से साहूकारी व्यवस्था है।अनेक लोग ऐसे होते हैं जिन्हें बैंक द्वारा लोन नहीं दिया जाता है,...
धर्म और चुनावी आचार संहिता पर सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण निर्णय
इस ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने यह मुख्य सवाल उठाया कि क्या धर्म के आधार पर मतदाताओं से वोट मांगना जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (Representation of the People Act, 1951) की धारा 123(3) (Section 123(3)) के तहत भ्रष्ट आचरण (Corrupt Practice) माना जाएगा?इस लेख में विभिन्न सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर चर्चा की गई है, जिनसे इस प्रावधान की व्याख्या हुई है। इन निर्णयों ने यह स्पष्ट किया कि किस प्रकार धर्म के आधार पर वोट मांगना धर्मनिरपेक्षता (Secularism) और चुनाव की पवित्रता को...
धारा 225 और उससे संबंधित प्रावधानों की विस्तृत व्याख्या: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bhartiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) ने 1 जुलाई, 2024 से दंड प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code) को प्रतिस्थापित कर दिया है। इस नई संहिता के तहत न्यायिक प्रक्रिया में विभिन्न सुधार और नए प्रावधान लाए गए हैं।इसमें धारा 225 को विशेष महत्व दिया गया है, जो मैजिस्ट्रेट को शिकायत पर कार्रवाई करने से पहले जांच करने और अन्य निर्णय लेने की शक्ति प्रदान करती है। इस लेख में हम धारा 225 के साथ-साथ धारा 223 और धारा 224 पर भी चर्चा करेंगे, जो मैजिस्ट्रेट द्वारा...
क्या धर्म या जाति के नाम पर वोट मांगना जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अनुसार भ्रष्ट आचरण है?
इस ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (Representation of the People Act, 1951) की धारा 123(3) (Section 123(3)) की व्याख्या पर महत्वपूर्ण सवाल उठाया। मुख्य मुद्दा यह था कि क्या धर्म, जाति, समुदाय या नस्ल के नाम पर वोट मांगना, भ्रष्ट आचरण (Corrupt Practice) माना जाएगा? यह फैसला इसलिए भी अहम है क्योंकि यह चुनावों में भ्रष्ट आचरण की सीमाओं को स्पष्ट करता है और चुनाव को अमान्य कर सकता है।कानूनी पृष्ठभूमि (Legal Background) जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123...
न्यायिक प्रणाली की सुरक्षा: झूठे दावे, धोखाधड़ी से आदेश और झूठे आरोपों के खिलाफ BNS, 2023 की धारा 246, 247 और 248
भारतीय न्याय संहिता (Bhartiya Nyaya Sanhita), 2023, जो 1 जुलाई, 2024 से लागू हुई है, ने भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) को बदल दिया है। इसमें न्यायिक प्रक्रिया में झूठे दावे, धोखाधड़ी से प्राप्त आदेश और झूठे आरोपों से संबंधित विभिन्न प्रावधान जोड़े गए हैं।यह लेख विशेष रूप से धारा 246, 247 और 248 पर केंद्रित है, जो कोर्ट में किए गए झूठे दावे, धोखाधड़ी से प्राप्त आदेश और दुर्भावनापूर्ण (Malicious) इरादे से लगाए गए झूठे आरोपों को नियंत्रित करते हैं। इन प्रावधानों का उद्देश्य न्यायिक...
18 वर्ष से कम उम्र की लड़की से विवाह के बाद यौन संबंध बनाना रेप है?
सुप्रीम कोर्ट के Independent Thought बनाम भारत संघ (2017) मामले में मुख्य प्रश्न यह था कि क्या 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की से विवाह के बाद यौन संबंध बनाना रेप (Rape) माना जाएगा। भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code – IPC) की धारा 375 के अपवाद 2 (Exception 2) के अनुसार, यदि लड़की 15 वर्ष से अधिक है और उसकी शादी हो चुकी है, तो पति द्वारा बनाए गए यौन संबंध को रेप नहीं माना जाएगा।यह अपवाद बाल अधिकार (Child Rights) और बच्चों के यौन शोषण (Sexual Exploitation) से सुरक्षा को लेकर बने कानूनों के खिलाफ...
सहमति की उम्र और बाल विवाह: भारतीय कानूनों का इतिहास और कानूनी प्रावधान
बलात्कार कानूनों का ऐतिहासिक विकास (Historical Evolution of Rape Laws)भारत में बलात्कार (Rape) कानूनों का विकास धीरे-धीरे हुआ है। भारतीय दंड संहिता (IPC - Indian Penal Code) की धारा 375 में बलात्कार की परिभाषा दी गई है, जिसमें बताया गया है कि किन परिस्थितियों में यौन संबंध (Sexual Intercourse) को बलात्कार माना जाएगा, जिसमें सहमति (Consent) की अनुपस्थिति शामिल है। समय के साथ, इन कानूनों में कई बदलाव हुए, खासकर महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए। इतिहास में, सहमति की उम्र (Age of Consent) को...
मैजिस्ट्रेट के सामने कैसे शिकायत की जाती हैं : भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 223 और 224
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bhartiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023), जो 1 जुलाई 2024 को लागू हुई, ने दंड प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code - CrPC) को प्रतिस्थापित कर दिया है। इस नई कानूनी ढांचे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा यह है कि कैसे मैजिस्ट्रेट के सामने शिकायतें की जाती हैं और किस प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक है।इस संहिता के अध्याय 16 (Chapter 16) में यह विस्तार से बताया गया है कि मैजिस्ट्रेट शिकायतों को कैसे संभालता है, शिकायतकर्ता और गवाहों की जाँच कैसे करता है, और सरकारी...
जाली दावों और संपत्ति की जब्ती से बचाव: भारतीय न्याय संहिता, 2023 के सेक्शन 244 और 245
भारतीय न्याय संहिता, 2023, जो 1 जुलाई 2024 से लागू हो चुकी है और जिसने भारतीय दंड संहिता की जगह ली है, संपत्ति के जाली दावे और अदालत के आदेशों (Decree) में धोखाधड़ी से जुड़े विभिन्न कृत्यों को संबोधित करती है। सेक्शन 244 और 245 विशेष रूप से संपत्ति के जाली दावों और अदालत के आदेशों में धोखाधड़ी पर ध्यान केंद्रित करते हैं।इन प्रावधानों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी व्यक्ति कानूनी प्रक्रियाओं को गलत दावों या धोखाधड़ी से प्रभावित करके संपत्ति की जब्ती (Seizure) या अदालत के आदेशों से बच...
सरकारी लैंड नजूल के बारे में जानिए कानून
गवर्मेंट लैंड अनेक प्रकार की होती है। उन प्रकारों में एक प्रकार नजूल होता है जो शासकीय भूमि है। भारत में किसी समय अंग्रेजों का शासन रहा है। अंग्रेजों के रूल्स भारत में चलते थे। शासन व्यवस्था अंग्रेजों के पास ही थी। अंग्रेजों के विरुद्ध कई भारतीयों ने विद्रोह किया है, जिन्हें स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कहा गया। ऐसा विद्रोह सभी स्तर पर किया गया है। एक आम आदमी से लेकर एक राजा द्वारा भी विद्रोह किया गया है। अंग्रेजों के शासन के पहले भारत कोई एक देश नहीं था बल्कि अलग-अलग इलाकों पर अलग-अलग राजाओं की...
प्रॉपर्टी के वारिसों में पहला अधिकार कौन-से वारिसों का है?
इंडिया में उत्तराधिकार से रिलेटेड मामले पर्सनल लॉ से रेग्युलेट होते हैं। भारत में हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम लागू है जो भारत के हिन्दू,सिख,जैन और बौद्ध समाज के लोगों पर समान रूप से लागू होता है। इस एक्ट में उत्तराधिकारियों की अलग अलग क्लॉस दी गयी है। अगर प्रथम श्रेणी के उत्तराधिकारी उपलब्ध नहीं होते हैं तब संपत्ति दूसरे को मिलती है। दूसरे भी जब उपलब्ध नहीं होते हैं तब तीसरी या चौथी को चली जाती है।सामान्य रूप से यह देखने को नहीं मिलता है कि किसी हिंदू पुरुष या स्त्री की संपत्ति दूसरी और तीसरी...
क्या न्यायिक प्रणाली की कुशलता के लिए अदालतों का बुनियादी ढांचा प्राथमिकता होनी चाहिए?
ऑल इंडिया जजेस एसोसिएशन और अन्य बनाम भारत संघ के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भारत भर में अदालतों के बुनियादी ढांचे (Infrastructure) में सुधार की आवश्यकता पर विचार किया, खासकर अधीनस्थ अदालतों (Subordinate Courts) पर ध्यान केंद्रित करते हुए।अदालत ने जोर दिया कि एक मजबूत बुनियादी ढांचा न्यायपालिका (Judiciary) के प्रभावी संचालन के लिए महत्वपूर्ण है और यह कानून के शासन (Rule of Law) को बनाए रखने में मदद करता है। इस लेख में इस मामले में उद्धृत किए गए प्रमुख निर्णयों और अदालत द्वारा संबोधित किए गए...