जानिए हमारा कानून
एक बेटी के प्रति पिता की कितनी हैं कानूनी जिम्मेदारियां
इंडिया का लॉ सभी नागरिकों और गैर नागरिकों को जीवन के हर क्षेत्र में अधिकारों के साथ जिम्मेदारी भी देता है जिन्हें पूरा करना हर व्यक्ति के लिए ज़रूरी है। इस ही प्रकार पिता को अपनी संतानों के भरण पोषण की भी ज़िम्मेदारी है और एक अविवाहित बेटी के भारत पोषण की ज़िम्मेदारी भी पिता की है। भरण पोषण से संबंधित कानून घरेलू हिंसा अधिनियम में भी मिलते हैं, जहां महिलाओं को भरण-पोषण दिलवाने की व्यवस्था की गई है। इसी के साथ हिंदू विवाह अधिनियम के अंतर्गत भी भरण-पोषण के प्रावधान मिलते हैं। जहां पर एक पत्नी अपने...
सुप्रीम कोर्ट ने चेक बाउंस मामलों में त्वरित सुनवाई और राहत पर क्या निर्देश दिए?
Meters and Instruments Pvt. Ltd. बनाम Kanchan Mehta (2017) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स अधिनियम, 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) के अंतर्गत चेक बाउंस (Cheque Dishonour) से जुड़े मामलों पर महत्वपूर्ण मुद्दों का विश्लेषण किया।कोर्ट ने चेक बाउंस मामलों के त्वरित निपटान (Speedy Disposal) की आवश्यकता पर जोर दिया और बताया कि अधिभारित न्यायपालिका (Overburdened Judiciary) से निपटने के लिए समय पर न्याय दिलाना क्यों जरूरी है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इन अपराधों के प्रतिपूरक और...
क्या विधानसभा की संसदीय सचिवों की नियुक्ति संविधान की सीमाओं का उल्लंघन करती है?
Bimolangshu Roy (Dead) Through LRs बनाम Assam राज्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने संसदीय सचिवों (Parliamentary Secretaries) की नियुक्ति की संवैधानिकता पर विचार किया। यह मामला असम संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन, भत्ते और अन्य प्रावधान) अधिनियम, 2004 से संबंधित था, जो संसदीय सचिवों की नियुक्ति की अनुमति देता था।इस फैसले में 91वां संविधान संशोधन अधिनियम, 2003 (91st Constitutional Amendment Act, 2003) के तहत मंत्रिपरिषद (Council of Ministers) के आकार पर लगाए गए सीमित प्रावधानों का विश्लेषण किया गया।...
लुटेरों या डकैतों को छिपाने पर दंड: भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 254
भारतीय न्याय संहिता, 2023, जो 1 जुलाई 2024 से लागू हुई है, अपराधों के खिलाफ कड़े प्रावधानों के साथ भारतीय कानून प्रणाली को सशक्त बनाती है। इसी के तहत धारा 254 में लुटेरों या डकैतों को छिपाने पर कठोर दंड का प्रावधान है। यह धारा उन व्यक्तियों पर सख्त कार्रवाई करती है जो जानबूझकर अपराधियों को छिपाने या उन्हें कानूनी दंड से बचाने में मदद करते हैं।धारा 254 का उद्देश्य (Purpose) धारा 254 के तहत, अगर कोई व्यक्ति यह जानता है या उसके पास यह मानने का पर्याप्त कारण है कि कुछ लोग लूट या डकैती करने जा रहे...
धारा 231, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023: अभियुक्त को बयान और दस्तावेज़ों की प्रतियां देने का प्रावधान
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 ने पुराने दंड प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code) की जगह ले ली है और 1 जुलाई, 2024 से लागू हो गई है। यह नई संहिता आपराधिक न्याय प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और न्यायपूर्ण बनाने के उद्देश्य से बनाई गई है।इस संहिता का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह सुनिश्चित करता है कि अभियुक्त (Accused) को मामले से संबंधित दस्तावेज़ों और बयानों की समय पर पहुँच मिल सके। धारा 231 उन मामलों के लिए यह प्रावधान करती है जो सत्र न्यायालय (Court of Session) द्वारा विशेष रूप से...
क्या कानूनी उत्तराधिकारी शिकायतकर्ता की मृत्यु के बाद आपराधिक कार्यवाही को जारी रख सकते हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने चंदा देवी डागा और अन्य बनाम मंजू के. हुमतानी और अन्य (2017) के मामले में यह महत्वपूर्ण मुद्दा तय किया कि क्या शिकायतकर्ता की मृत्यु के बाद उनके कानूनी उत्तराधिकारी आपराधिक शिकायत को जारी रख सकते हैं। इस निर्णय में अदालत ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 (Criminal Procedure Code, 1973, जिसे CrPC कहा जाता है) के प्रावधानों और इससे संबंधित महत्वपूर्ण न्यायिक फैसलों की व्याख्या की।CrPC के प्रावधान और प्रमुख सिद्धांत (Provisions and Principles) आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973...
अपराधियों को छुपाने पर कानूनी दंड: भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 253
भारतीय न्याय संहिता, 2023, जो 1 जुलाई 2024 को भारतीय दंड संहिता की जगह लागू हुई, में अपराधियों को छुपाने या उन्हें न्याय से बचाने के खिलाफ कड़े प्रावधान शामिल हैं। धारा 253 विशेष रूप से उस स्थिति को कवर करती है जब कोई व्यक्ति किसी अपराधी को जो कानूनी हिरासत से भाग निकला है या जिसके खिलाफ गिरफ्तारी का आदेश है, छुपाने या बचाने का प्रयास करता है। इस धारा के तहत दंड का निर्धारण इस आधार पर किया जाता है कि मूल अपराध कितना गंभीर था।धारा 253 का अर्थ धारा 253 के अनुसार, जो व्यक्ति किसी ऐसे अपराधी को...
आपराधिक कार्यवाही में दस्तावेजों की प्रति प्राप्त करने का अधिकार : BNSS, 2023 की धारा 230
भारत के नए आपराधिक कानून, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023), ने पुराने दंड प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code) को बदल दिया है और 1 जुलाई, 2024 से प्रभावी हो गया है। यह संहिता आपराधिक न्याय प्रक्रिया को आधुनिक और सरल बनाने के उद्देश्य से लागू की गई है।धारा 230 इस संहिता का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो पुलिस रिपोर्ट के आधार पर आरंभ किए गए मामलों में अभियुक्त (Accused) और पीड़ित (Victim) को आवश्यक दस्तावेज़ों की प्रतियां प्रदान करने से संबंधित है।...
सुप्रीम कोर्ट ने लंबित मुकदमों और अंडरट्रायल कैदियों को जमानत देने के मुद्दे को कैसे सुलझाया?
Hussain बनाम Union of India के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लंबित मुकदमों (Delayed Trials) और अंडरट्रायल कैदियों (Undertrial Prisoners) को जमानत देने के मुद्दे पर अहम निर्देश दिए। कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 21 (Article 21) के तहत न्याय में देरी (Delayed Justice) से व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता (Personal Liberty) का उल्लंघन होता है।इस फैसले में यह भी स्पष्ट किया गया कि बिना दोष सिद्ध हुए किसी व्यक्ति को लंबे समय तक जेल में रखना संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। व्यक्तिगत स्वतंत्रता और त्वरित...
जानिए आंसेस्टर प्रॉपर्टी से संबंधित कानून
कोई भी ऐसी प्रॉपर्टी जो पूर्वजों से मिलती है उसे ऐंसेस्टर प्रॉपर्टी कहा जाता है। यह ऐंसेस्टर प्रॉपर्टी पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही होती है और वारिसों को उत्तराधिकार में मिलती रहती है। स्वयं द्वारा अर्जित संपत्ति के अलावा पैतृक संपत्ति होती है। ऐसी संपत्ति उसके द्वारा अर्जित नहीं की जाती है या फिर उसे वसीयत नहीं की जाती है, बल्कि कानूनी रूप से उसे उत्तराधिकार में प्राप्त होती है। संपत्ति के मामले में कानून किसी भी व्यक्ति के रिश्तेदारों को संपत्ति का उत्तराधिकारी बनाता है। अगर कोई व्यक्ति बगैर वसीयत...
यदि पुलिस फेयर इन्वेस्टिगेशन नहीं करे तब क्या करे फरियादी
अनेक दफा देखने में आता है कि फरियादी की शिकायत रहती है कि पुलिस द्वारा उसके प्रकरण में फेयर इन्वेस्टिगेशन नहीं किया गया है। इस स्थिति में शिकायतकर्ता व्यथित हो जाता है क्योंकि शिकायतकर्ता अपनी शिकायत लेकर पुलिस के पास जाता है। उसके साथ घटने वाले किसी अपराध की जानकारी उसके द्वारा पुलिस को दी जाती है। उसकी जानकारी के आधार पर पुलिस एफआईआर दर्ज करती हैं। ऐसी एफआईआर के बाद अन्वेषण होता है। हालांकि पुलिस के पास यह अधिकार सुरक्षित है कि यदि अन्वेषण में उसे जिन व्यक्तियों के नाम पर एफआईआर की गई थी उनके...
संविधान के अंतर्गत महिलाओं के विशेष अधिकार और ऐतिहासिक फैसले
Santhini बनाम Vijaya Venketesh मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केवल वैवाहिक विवादों (Matrimonial Disputes) पर नहीं, बल्कि महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव (Discrimination) के मुद्दे पर भी चर्चा की।इस फैसले ने न्यायपालिका के दृष्टिकोण को सामने रखा, जो यह सुनिश्चित करता है कि महिलाओं को न्याय तक समान पहुंच (Equal Access to Justice) मिले, खासकर व्यक्तिगत विवादों में। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि कानूनों की व्याख्या इस तरह से होनी चाहिए, जो महिलाओं की गरिमा (Dignity) और समानता (Equality) को बनाए रखे। ...
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 228 और 229 : समन और मामूली अपराधों में मजिस्ट्रेट की भूमिका
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 ने दंड प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code) को प्रतिस्थापित किया है और यह 1 जुलाई, 2024 से प्रभावी हो चुकी है। यह कानून आपराधिक प्रक्रियाओं को अधिक सरल और आधुनिक बनाने के उद्देश्य से लागू किया गया है। धारा 228 और 229 विशेष रूप से समन जारी करने और मामूली अपराधों से संबंधित प्रक्रिया का वर्णन करती हैं।इन धाराओं में यह बताया गया है कि किस स्थिति में आरोपी को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने की आवश्यकता है और किन मामलों में सरल प्रक्रियाएं उपलब्ध हैं। ये धाराएं...
क्या वैवाहिक विवादों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुलझाया जा सकता है?
Santhini बनाम Vijaya Venketesh मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह सवाल उठाया कि क्या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए वैवाहिक विवादों (Matrimonial Disputes) का प्रभावी समाधान किया जा सकता है।इस फैसले में यह समझने की कोशिश की गई कि अगर अदालत किसी मामले को दूसरे क्षेत्र में स्थानांतरित (Transfer) करने के बजाय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का उपयोग करे, तो इससे न्यायिक प्रक्रिया पर क्या असर पड़ेगा। कोर्ट ने इस बात पर भी चर्चा की कि ऐसे मामलों में भावनात्मक (Emotional) पहलू को कैसे ध्यान में रखा जा सकता है। कानून के...
अपराधी को बचाने और अपराध छिपाने से जुड़े अपराध: भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 251 और 252
भारतीय न्याय संहिता, 2023, जो 1 जुलाई 2024 को लागू हुई है, ने भारतीय दंड संहिता की जगह ली है। इसमें विभिन्न प्रावधान हैं जो भ्रष्टाचार को रोकने और आपराधिक न्याय प्रणाली की पवित्रता बनाए रखने के उद्देश्य से बनाए गए हैं।इस नई संहिता के सेक्शन 251 और 252 उन मामलों से संबंधित हैं जहां लोग अपराध छिपाने, अपराधियों को कानूनी सज़ा से बचाने या चोरी की गई संपत्ति को वापस दिलाने के बदले लाभ प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। इन प्रावधानों के तहत, अपराध की गंभीरता के आधार पर विशेष सज़ाएं निर्धारित की गई हैं। ...
कैसे दिव्यांगों के लिए सार्वजनिक स्थानों तक पहुंच के अधिकार को मजबूत किया जा सकता है?
सुप्रीम कोर्ट का फैसला राजीव रतूड़ी बनाम भारत संघ मामले में दिव्यांग व्यक्तियों के सार्वजनिक स्थानों, सड़कों, और परिवहन सुविधाओं तक पहुंच के मौलिक मुद्दों (Fundamental Issues) को संबोधित करता है।यह निर्णय भारतीय संविधान और वैधानिक कानूनों (Statutory Laws) के तहत दिव्यांग व्यक्तियों के सम्मान और पहुंच के अधिकार की रक्षा के महत्व को रेखांकित करता है। इसके साथ ही, यह विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार ढांचों (International Human Rights Frameworks) के अनुरूप है, जो दिव्यांग व्यक्तियों के लिए समान...
किसी अपराध को छिपाने, अपराधी को बचाने, या कानूनी कार्रवाई से दूर रहने के लिए उपहार लेना : भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 250
भारतीय न्याय संहिता, 2023 ने 1 जुलाई, 2024 को लागू होकर भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) को बदल दिया। इस नई संहिता के तहत कुछ प्रावधान (Provisions) जोड़े गए हैं ताकि भारत के आपराधिक न्याय प्रणाली (Criminal Justice System) को आधुनिक बनाया जा सके।धारा 250 ऐसे मामलों से संबंधित है, जहां कोई व्यक्ति किसी अपराध को छिपाने, अपराधी को बचाने, या कानूनी कार्रवाई (Legal Action) से दूर रहने के लिए उपहार, पैसा या अन्य कोई लाभ (Benefit) स्वीकार करता है। इस धारा का उद्देश्य भ्रष्टाचार (Corruption) को...
भारत में सड़क सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट का क्या दृष्टिकोण रहा है?
डॉ. एस. राजसीकरण बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (Dr. S. Rajaseekaran v. Union of India) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सड़क सुरक्षा के गंभीर मुद्दों पर ध्यान दिया। अदालत ने बताया कि सुरक्षा नियमों के उचित पालन की कमी और प्रभावी कानून के क्रियान्वयन (Implementation) की कमी के कारण हर साल हजारों लोगों की जान चली जाती है। इस फैसले में सरकार और अन्य संबंधित विभागों की जिम्मेदारियों को विस्तार से समझाया गया है, ताकि सड़क दुर्घटनाओं (Road Accidents) और उससे होने वाली हानियों को कम किया जा सके। प्रमुख कानूनी...
मजिस्ट्रेट के समक्ष कार्यवाही का आरंभ : भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 227
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023, ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code) को प्रतिस्थापित कर दिया है और यह 1 जुलाई, 2024 से लागू हो चुकी है। इस नए कानून का उद्देश्य आपराधिक न्याय प्रणाली को आधुनिक बनाना है ताकि यह अधिक कुशल और तकनीक-हितैषी हो सके।संहिता की धारा 227 एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो मजिस्ट्रेट के समक्ष अपराध के संज्ञान (Cognizance) लेने और आरोपी के खिलाफ सम्मन या वारंट जारी करने की प्रक्रिया को स्पष्ट करती है। पर्याप्त आधार होने पर कार्यवाही का आरंभ: जब मजिस्ट्रेट...
विवाहित रहते हुए दूसरा विवाह करने पर दूसरी पत्नी और बच्चों को क्या अधिकार हैं?
इंडिया में विवाहित पति या पत्नी के जीवित रहते हुए दूसरी शादी करना अपराध है लेकिन यदि कोई पुरुष व्यक्ति दूसरी शादी कर ले तब दूसरी पत्नी और उससे हुए बच्चों के पास क्या सिविल अधिकार उपलब्ध हैं।अगर किसी व्यक्ति की पहली पत्नी मर चुकी है या उसकी पहली पत्नी से उसका तलाक हो गया है, तब कानून दूसरी शादी करने पर दूसरी पत्नी को पहली पत्नी ही मानता है, लेकिन पहली पत्नी जीवित है, पहली पत्नी से तलाक नहीं हुआ है, उसके बाद किसी व्यक्ति द्वारा दूसरा विवाह कर लिया जाता है, तब उसे दूसरी पत्नी कहा जाता है। ऐसा दूसरा...