क्या बड़े बेंच द्वारा दिए गए निर्णय का महत्व अधिक होगा, भले ही बहुमत में न्यायधीशों की संख्या कम हो?
Himanshu Mishra
28 Feb 2025 4:26 PM

Trimurthi Fragrances (P) Ltd. v. Government of NCT of Delhi मामले में, भारत के सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर फैसला सुनाया कि जब विभिन्न पीठों (Benches) के निर्णयों में विरोधाभास (Conflict) होता है, तो किस निर्णय का पालन किया जाना चाहिए।
इस केस में यह स्पष्ट किया गया कि बड़ी पीठ (Larger Bench) का निर्णय छोटी पीठ (Smaller Bench) के निर्णय पर प्राथमिकता (Prevail) रखता है, चाहे बड़ी पीठ में बहुमत (Majority) का अनुपात कम ही क्यों न हो। यह लेख इस फैसले में दिए गए कानूनी सिद्धांतों (Legal Principles) को सरल हिंदी में समझाता है।
मिसालों की प्राथमिकता का सिद्धांत (Concept of Precedential Hierarchy)
कानूनी प्रणाली (Legal System) में मिसालों (Precedents) का सिद्धांत बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह सिद्धांत न्यायिक निर्णयों में स्थिरता (Stability), एकरूपता (Uniformity) और पूर्वानुमान (Predictability) सुनिश्चित करता है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस मामले में दोहराया कि बड़ी पीठ (Larger Bench) का निर्णय छोटी पीठ के निर्णय पर वरीयता (Priority) रखता है।
Dr. Jaishri Laxmanrao Patil v. The Chief Minister and Others (2021) के फैसले में भी यही सिद्धांत अपनाया गया था, जिसमें कहा गया कि बड़ी पीठ का निर्णय छोटे पीठ के निर्णय से अधिक प्रभावी (Binding) होता है, भले ही बड़ी पीठ में मतों का अनुपात कम हो।
संविधान का अनुच्छेद 145(5) (Article 145(5) of the Constitution)
अनुच्छेद 145(5) के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सुनवाई में उपस्थित न्यायाधीशों (Judges) के बहुमत (Majority) के मत से दिया जाता है। अदालत ने कहा कि यह प्रावधान इस सिद्धांत को मजबूत बनाता है कि बड़ी पीठ का निर्णय छोटी पीठ के निर्णय पर प्राथमिकता रखता है।
पिछले फैसलों में नियम का अनुप्रयोग (Application of the Rule in Previous Judgments)
इस मामले में अदालत ने कई महत्वपूर्ण फैसलों का हवाला दिया, जैसे कि Union of India v. Raghubir Singh (1989) और Central Board of Dawoodi Bohra Community v. State of Maharashtra (2005)। इन फैसलों में यह स्पष्ट किया गया कि बड़ी पीठ का निर्णय छोटी पीठ के लिए बाध्यकारी (Binding) होता है।
कोठारी प्रोडक्ट्स (Kothari Products) बनाम आगरा बेल्टिंग वर्क्स (Agra Belting Works) के फैसलों के बीच संघर्ष (Conflict Between Kothari Products and Agra Belting Works)
Trimurthi Fragrances केस में दो फैसलों के बीच विरोधाभास सामने आया। Kothari Products मामलों में कहा गया कि जिन वस्तुओं पर ADE Act के तहत उत्पाद शुल्क (Excise Duty) लगाया गया है, उन पर राज्य सरकार द्वारा बिक्री कर (Sales Tax) नहीं लगाया जा सकता। दूसरी ओर, Agra Belting Works मामलों में यह कहा गया कि यदि किसी वस्तु को सामान्य अधिसूचना (General Notification) के तहत कर से छूट दी गई है, तो बाद की अधिसूचना (Subsequent Notification) द्वारा कर लगाया जा सकता है।
मिसालों को पलटने के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत (Guiding Principles for Overruling Precedents)
अदालत ने निम्नलिखित सिद्धांत निर्धारित किए:
1. बड़ी पीठ का निर्णय छोटी पीठ के निर्णय पर प्राथमिकता रखता है।
2. छोटी पीठ बड़ी पीठ के निर्णय से असहमति (Dissent) नहीं कर सकती।
3. यदि छोटी पीठ को बड़ी पीठ के निर्णय पर संदेह है, तो उसे मामले को समान या बड़ी पीठ के पास भेजना चाहिए।
4. निर्णय की बाध्यता (Binding Nature) के लिए पीठ की ताकत (Strength of the Bench) महत्वपूर्ण होती है, न कि पीठ में बहुमत के न्यायाधीशों की संख्या।
Trimurthi Fragrances केस ने भारतीय न्याय प्रणाली (Indian Legal System) में मिसालों की प्राथमिकता पर महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण दिया। अदालत ने दोहराया कि किसी फैसले की बाध्यता न्यायाधीशों की संख्या से नहीं, बल्कि पीठ की शक्ति (Bench Strength) से तय होती है।
यह सिद्धांत कानूनी प्रणाली में स्थिरता, पूर्वानुमान और न्यायिक अनुशासन (Judicial Discipline) सुनिश्चित करता है। इस दृष्टिकोण को अपनाकर सुप्रीम कोर्ट कानून के शासन (Rule of Law) को मजबूत करता है और न्यायिक प्रक्रिया (Judicial Process) की अखंडता (Integrity) बनाए रखता है।