सीमित अवधि की किरायेदारी में मकान खाली कराने का अधिकार: हिमाचल प्रदेश किराया नियंत्रण अधिनियम की धारा 17
Himanshu Mishra
28 Feb 2025 4:29 PM

हिमाचल प्रदेश किराया नियंत्रण अधिनियम (Himachal Pradesh Rent Control Act) का उद्देश्य किरायेदारों (Tenants) को मनमाने तरीके से मकान खाली कराने से सुरक्षा देना है। लेकिन यह अधिनियम मकान मालिकों (Landlords) के अधिकारों को भी ध्यान में रखता है। कुछ परिस्थितियों में मकान मालिक को अपनी संपत्ति की जरूरत होती है और ऐसे मामलों में उसे मकान खाली कराने का अधिकार दिया गया है।
धारा 17 (Section 17) एक ऐसा प्रावधान है, जो मकान मालिक को सीमित अवधि (Limited Period) के लिए दी गई किरायेदारी की समाप्ति के बाद मकान खाली कराने का अधिकार देता है। यह प्रावधान उन मामलों में लागू होता है, जहां मकान मालिक को कुछ समय के लिए मकान किराए पर देना पड़ता है और उसे निश्चित समय के बाद मकान वापस चाहिए।
यह लेख धारा 17 के हर पहलू को सरल हिंदी में समझाने के लिए लिखा गया है ताकि आम लोग अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझ सकें।
सीमित अवधि की किरायेदारी क्या है? (What is Limited Period Tenancy?)
सीमित अवधि की किरायेदारी एक ऐसा समझौता (Agreement) है, जिसमें मकान मालिक और किरायेदार के बीच यह तय होता है कि मकान एक निश्चित समय (Fixed Period) के लिए किराए पर दिया जा रहा है। इस अवधि के खत्म होने के बाद किरायेदार को मकान खाली करना होता है।
उदाहरण के तौर पर, अगर श्री शर्मा दो साल के लिए विदेश जा रहे हैं और इस दौरान अपना मकान श्री वर्मा को किराए पर देते हैं, तो यह सीमित अवधि की किरायेदारी होगी। समझौते में यह साफ लिखा होगा कि दो साल के बाद श्री वर्मा को मकान खाली करना होगा।
किरायेदारी के लिए कंट्रोलर की अनुमति (Permission of Controller)
धारा 17 के तहत, मकान मालिक को किरायेदारी शुरू करने से पहले कंट्रोलर (Controller) से अनुमति लेनी होती है। कंट्रोलर एक सरकारी अधिकारी होता है, जो किरायेदार और मकान मालिक के बीच विवादों को सुलझाने के लिए नियुक्त किया जाता है।
मकान मालिक को निर्धारित तरीके से एक आवेदन (Application) देकर यह बताना होता है कि वह मकान को सीमित अवधि के लिए किराए पर देना चाहता है। अगर कंट्रोलर मकान मालिक की जरूरत को सही मानता है, तो वह अनुमति देता है।
अगर मकान मालिक बिना कंट्रोलर की अनुमति के मकान किराए पर देता है, तो वह धारा 17 का फायदा नहीं उठा सकता।
लिखित समझौते की अनिवार्यता (Written Agreement Requirement)
धारा 17 के तहत यह जरूरी है कि मकान मालिक और किरायेदार के बीच एक लिखित समझौता (Written Agreement) हो।
इस समझौते में साफ तौर पर निम्नलिखित बातें लिखी होनी चाहिए:
1. किरायेदारी की अवधि कितनी होगी।
2. मकान मालिक को तय समय के बाद मकान वापस चाहिए।
3. किरायेदार इस अवधि के बाद मकान खाली करने के लिए सहमत है।
अगर कोई समझौता मौखिक (Oral) है या उसमें समय सीमा का जिक्र नहीं है, तो मकान मालिक धारा 17 के तहत मकान खाली कराने का अधिकार नहीं ले सकता।
किरायेदार को खाली करने का आदेश (Order to Vacate the Premises)
अगर किरायेदारी की अवधि पूरी हो जाती है और किरायेदार मकान खाली करने से इनकार करता है, तो मकान मालिक कंट्रोलर के पास आवेदन कर सकता है।
कंट्रोलर को यह जांचना होगा कि:
• क्या मकान किरायेदारी के लिए कंट्रोलर की अनुमति ली गई थी?
• क्या किरायेदारी का लिखित समझौता हुआ था?
• क्या तय की गई अवधि पूरी हो गई है?
अगर ये शर्तें पूरी होती हैं, तो कंट्रोलर मकान मालिक को मकान का खाली कब्जा दिलाने का आदेश देगा।
समय सीमा के भीतर आवेदन (Time Limit for Application)
मकान मालिक को किरायेदारी की अवधि खत्म होने के बाद निश्चित समय के भीतर कंट्रोलर के पास आवेदन करना होता है। यह समय सीमा अधिनियम के तहत बनाए गए नियमों के अनुसार तय की जाएगी।
अगर मकान मालिक समय सीमा के भीतर आवेदन नहीं करता है, तो वह धारा 17 का फायदा नहीं उठा सकता।
उदाहरण के तौर पर, अगर समझौते के अनुसार किरायेदारी 31 दिसंबर 2024 को खत्म हो रही है और आवेदन की समय सीमा 3 महीने है, तो मकान मालिक को 31 मार्च 2025 से पहले आवेदन करना होगा।
अन्य व्यक्तियों का बेदखल किया जाना (Eviction of Other Occupants)
धारा 17 के तहत, अगर किरायेदार ने मकान का कोई हिस्सा किसी और को बिना अनुमति के किराए पर दे दिया है, तो कंट्रोलर ऐसे व्यक्ति को भी मकान से बेदखल (Evict) करने का आदेश दे सकता है।
उदाहरण के लिए, अगर श्री वर्मा ने बिना श्री शर्मा की अनुमति के मकान का एक कमरा अपने दोस्त को किराए पर दे दिया है, तो कंट्रोलर आदेश देगा कि दोनों व्यक्तियों को मकान खाली करना होगा।
किरायेदार को मुआवजा नहीं (No Compensation to Tenant)
धारा 17 के तहत किरायेदार को मकान खाली करने के लिए किसी भी प्रकार का मुआवजा (Compensation) नहीं दिया जाएगा।
अगर किरायेदार ने मकान की मरम्मत या सुधार (Repairs or Improvements) पर पैसा खर्च किया है, तो भी उसे कोई मुआवजा नहीं मिलेगा, जब तक कि दोनों पक्षों के बीच ऐसा कोई समझौता न हुआ हो।
धारा 17 एक विशेष प्रावधान है, जो मकान मालिक के अधिकारों की रक्षा करता है, जब वह सीमित अवधि के लिए अपना मकान किराए पर देता है। यह प्रावधान उन मकान मालिकों के लिए फायदेमंद है, जो अस्थायी रूप से अपनी संपत्ति किराए पर देना चाहते हैं, लेकिन बाद में उसे वापस पाना चाहते हैं।
हालांकि, मकान मालिक को इस धारा का लाभ उठाने के लिए कुछ कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना होता है, जैसे कि कंट्रोलर की अनुमति लेना, लिखित समझौता करना और समय सीमा के भीतर आवेदन करना।
यह प्रावधान मकान मालिक और किरायेदार के बीच निष्पक्षता (Fairness) बनाए रखने में मदद करता है और किसी भी पक्ष के अधिकारों का हनन नहीं करता।
अगर दोनों पक्ष इस प्रावधान को सही ढंग से समझें और लागू करें, तो इससे मकान मालिकों और किरायेदारों के बीच विवाद कम हो सकते हैं।
महत्वपूर्ण बात (Important Point)
• मकान मालिक को पहले कंट्रोलर से अनुमति लेनी होती है।
• लिखित समझौता अनिवार्य है।
• आवेदन तय समय सीमा के भीतर करना होता है।
• किरायेदार को मकान खाली करने के लिए कोई मुआवजा नहीं दिया जाएगा।
इस तरह धारा 17, हिमाचल प्रदेश में मकान मालिकों के हितों की रक्षा के साथ-साथ किरायेदारों के अधिकारों का संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।